मैं, समृद्धि, आज अपने दिल की सारी बातें खुलकर बयान करने जा रही हूँ। ये मेरी जिंदगी का वो सच है, जो पहले मुझे शर्मसार करता था, पर अब मैं इसे जीने में मजा लेती हूँ। मेरी उम्र 28 साल है, और मैं नोएडा में रहती हूँ। पहले मैं लखनऊ में थी, जहाँ की हूँ। मेरे पति, देव, नोएडा में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करते हैं। मैंने एमबीए किया है, पर अब घर से ऑनलाइन बिजनेस संभालती हूँ। बाहर से मेरी जिंदगी चमकदार लगती थी, पर अंदर से ये बिल्कुल खोखली थी।
शादी को चार साल हो गए, पर मैं माँ नहीं बन पाई। घरवालों का दबाव बढ़ता गया—हर बार वही ताने, “जल्दी बच्चा पैदा करो, टाइम मत गँवाओ।” मैं रात को चुपके-चुपके रोती थी, क्योंकि मुझे पता था कि ये मुमकिन नहीं। देव मुझे चोद ही नहीं पाते थे। उनका लंड जैसे ही खड़ा होता, वैसे ही वीर्य नीचे गिर जाता। वो मेरी चूत के मुँह पर लंड लगाते, और बस, वही ढेर हो जाता। मैंने कभी जोरदार चुदाई का मजा नहीं लिया। उनकी कमजोरी ने मेरी जिंदगी को बेरंग कर दिया। मेरे अंदर जवान औरत की आग धधक रही थी, पर उसकी तपिश को ठंडा करने वाला कोई नहीं था।
हमने सब कुछ आजमाया—बड़े अस्पताल, देसी हकीम, आयुर्वेदिक दवाएँ। कुछ भी काम नहीं आया। मैं गुस्से में चिल्लाती, “तुम्हारे लंड में दम नहीं, तो मैं क्या करूँ? मेरी चूत की प्यास कौन बुझाएगा?” वो चुप रहते, सिर झुकाए। मेरी चूत हर रात तड़पती थी, पर कोई रास्ता नहीं था। घर में रोज कलह होने लगी। मैं माँ बनना चाहती थी, पर जब कोई चोदेगा ही नहीं, तो बच्चा कैसे होगा? मैंने सोचा, शायद तलाक ही एकमात्र रास्ता है।
एक रात मैंने देव से साफ कह दिया, “बताओ, अब क्या होगा? घरवाले ताने मार रहे हैं, मोहल्ले वाले तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। मैं ये सब बर्दाश्त नहीं कर सकती। या तो मुझे बच्चा दो, या मुझे छोड़ दो। मैं दूसरी शादी कर लूँगी।” मेरे शब्द उनके सीने में खंजर की तरह चुभे। वो जानते थे कि अगर वो मुझे नहीं चोद सकते, तो किसी और के साथ भी उनका यही हाल होगा। मैंने कहा, “जो करना है, जल्दी करो। मेरे पास वक्त नहीं है।” मेरे पास तो रास्ता था—मैं दूसरी शादी कर सकती थी। पर देव का क्या? वो तो टूट जाते।
फिर एक दिन देव ने हिम्मत जुटाई और बोले, “समृद्धि, मैं तुम्हें माँ नहीं बना सकता, ये तुम भी जानती हो। डॉक्टर ने साफ कह दिया है। अगर तुम चाहो, तो किसी अपने बॉयफ्रेंड या दोस्त से चुद लो। मैं मना नहीं करूँगा।” मैंने गुस्से में जवाब दिया, “मेरे पास ऐसा कोई नहीं है। अगर तुम्हारे पास कोई ऑप्शन है, तो बताओ।” वो थोड़ा हिचकिचाए, फिर बोले, “मेरा दोस्त सतीश है। वो अक्सर कहता है कि तुम बहुत हॉट हो, सेक्सी हो। वो तुम्हें बहुत पसंद करता है। शायद वो… तुम्हें चोद सके।” मैं सन्न रह गई। अपने पति के मुँह से ऐसी बात सुनकर मुझे गुस्सा भी आया, पर मेरी चूत में एक अजीब-सी सनसनी दौड़ गई।
मैंने कहा, “ठीक है, अगर तुम्हें कोई दिक्कत नहीं, तो सतीश को बुलाओ। पर ये सब कैसे होगा? कोई मर्द से कैसे कहोगे कि मेरी बीवी को चोदो?” देव ने कहा, “मैं मैनेज कर लूँगा। तुम बस तैयार रहो।” प्लान बन गया। शनिवार की शाम सतीश को डिनर पर बुलाया गया। सतीश की बीवी उस वक्त बैंगलोर गई थी, तो वो अकेले आए। मैंने सोचा, ये मेरा मौका है। मैंने जानबूझकर ब्रा नहीं पहनी और एक टाइट, पतली स्पोर्ट्स टी-शर्ट और कैप्री पहन ली। मेरी चूचियाँ साफ दिख रही थीं, निप्पल उभरे हुए थे। मेरी गांड का उभार कपड़ों से बाहर झांक रहा था। मैंने बाल खुले छोड़े, लाल लिपस्टिक लगाई, और हल्का परफ्यूम छिड़का, ताकि सतीश की नजर मुझ पर ठहर जाए।
शनिवार की शाम सात बजे सतीश आए। वो काले रंग की शर्ट और टाइट जींस में थे, और सचमुच गजब लग रहे थे। उनकी चौड़ी छाती, भारी आवाज, और आँखों की चमक में कुछ ऐसा था कि मेरी चूत पहले से ही गीली होने लगी। देव ने पहले ही पीना शुरू कर दिया था। शायद उन्हें इस हकीकत को झेलने के लिए नशे की जरूरत थी। सतीश ने हँसते हुए कहा, “अरे यार, तूने तो अकेले पीना शुरू कर दिया! मुझे तो बुलाया भी नहीं।” देव ने तुरंत जवाब दिया, “आज तू अपनी भाभी के साथ पी। आज समृद्धि भी पिएगी।” मैंने भी हँसकर कहा, “हाँ सतीश जी, मैं तो बस आपका इंतजार कर रही थी। आज मूड है मेरा।”
हम तीनों बैठ गए। टेबल पर व्हिस्की की बोतल, मसालेदार चिकन, सलाद, और नमकीन सजा था। माहौल गर्म होने लगा। मैं जानबूझकर सतीश के सामने झुकती, ताकि मेरी चूचियाँ उनके सामने हिलें। उनकी नजर मेरे निप्पल्स पर अटक रही थी। मेरी गांड का उभार देखकर वो बेचैन हो रहे थे। देव ने दो पेग लिए और सोफे पर ही लुढ़क गए। मैंने और सतीश ने भी थोड़ा पिया, पर हमारा ध्यान कहीं और था। जब सतीश ने देखा कि देव नशे में धुत्त है, वो मेरे करीब खिसक आए।
उन्होंने मेरा ग्लास उठाया, जिसमें मेरी लाल लिपस्टिक लगी थी। उन्होंने जीभ से उसे चाटा और मुझे भूखी नजरों से देखा। मेरी चूत में आग लग गई। मैंने अपना पैर उनकी गोद में रख दिया। वो मेरे पैरों को सहलाते हुए बोले, “क्या मस्त पैर हैं, समृद्धि। तो जिस्म कितना गजब होगा!” मैंने तुरंत उनके करीब जाकर अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए। ओह, वो पल! मेरी चूत गीली हो गई, मेरा जिस्म पिघलने लगा।
सतीश ने मेरी टी-शर्ट फटाक से उतारी, और मेरी चूचियाँ आजाद हो गईं। वो भूखे भेड़िए की तरह मेरे निप्पल्स पर टूट पड़े। पहले जीभ से चाटा, फिर दाँतों से हल्का-हल्का काटा। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “उफ्फ, सतीश… और जोर से चूसो!” वो मेरी एक चूची को मुँह में लेते, दूसरी को उंगलियों से मसलते। मेरी चूचियाँ लाल हो गईं, निप्पल्स सख्त हो गए। मैंने अपनी कैप्री और पैंटी उतार फेंकी और पास के सिंगल बेड पर लेट गई। सतीश ने भी अपने कपड़े उतारे। उनका लंड तना हुआ था—मोटा, लंबा, और नसों से भरा। मेरी चूत उसे देखकर तड़प उठी।
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वो मेरे ऊपर चढ़े और बोले, “समृद्धि, मैं तुम्हें कितना चाहता था। रोज तुम्हारी चूचियाँ और गांड सोचकर मूठ मारता था। आज तुम मेरी बाहों में हो, वो भी नंगी!” उन्होंने मेरी जांघें चौड़ी कीं और मेरी चूत पर जीभ फिरानी शुरू की। उनकी गर्म जीभ मेरी चूत के दाने को चाट रही थी, और मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह्ह, सतीश… चाटो और… मेरी चूत को खा जाओ!” वो मेरे गर्म पानी को चाट-चाटकर साफ कर रहे थे, पर मैं बार-बार गीली हो रही थी। उनकी उंगलियाँ मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रही थीं, और वो मेरे निप्पल्स को मसल रहे थे। मैं पहली बार झड़ गई, मेरा जिस्म काँप रहा था।
पर सतीश रुके नहीं। वो मेरे कानों को चूमते, मेरी गर्दन पर दाँत गड़ाते, फिर मेरी गांड में उंगली डालकर मुझे तड़पाते। मैं चिल्ला रही थी, “सतीश, अब बर्दाश्त नहीं होता… अपना लंड डालो!” उन्होंने मेरे पैर और चौड़े किए और अपना मोटा लंड मेरी चूत के मुँह पर सेट किया। एक जोरदार धक्का मारा, और पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। मैं चीख पड़ी, “आह्ह, सतीश… कितना मोटा है… मेरी चूत फट जाएगी!” वो जोर-जोर से धक्के मारने लगे। मेरी चूचियाँ हिल रही थीं, और वो उन्हें दोनों हाथों से मसल रहे थे। मैं नीचे से अपनी गांड उछाल रही थी, ताकि उनका लंड और गहरा जाए। वो मेरे होंठ चूसते, मेरी गांड पर थप्पड़ मारते, और कहते, “क्या टाइट चूत है तेरी, समृद्धि… इसे तो रोज पेलना पड़ेगा!” मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “हाँ, सतीश… और तेज… मेरी चूत फाड़ दो!”
फिर उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी गांड ऊपर थी, और वो पीछे से मेरी चूत में लंड पेल रहे थे। उनकी हर धक्के में मेरी चूत गीली होती जा रही थी। वो मेरी कमर पकड़कर जोर-जोर से चोद रहे थे। उनकी उंगलियाँ मेरी गांड के छेद को सहला रही थीं, और मैं पागल हो रही थी। “सतीश, और गहरा… मेरी गांड में भी डालो!” मैं चिल्लाई। उन्होंने अपनी उंगली मेरी गांड में डाली और साथ-साथ मेरी चूत को पेलते रहे। मैं दूसरी बार झड़ गई, मेरा जिस्म थरथरा रहा था।
पर सतीश का जोश कम नहीं हुआ। उन्होंने मुझे बेड से उठाया और दीवार के सहारे खड़ा कर दिया। मेरे एक पैर को अपने कंधे पर रखा और फिर से लंड मेरी चूत में पेल दिया। वो खड़े-खड़े मुझे चोद रहे थे, मेरी चूचियाँ उनके मुँह में थीं। मैं उनके कंधों पर नाखून गड़ा रही थी, “उफ्फ, सतीश… तुम्हारा लंड जादू है… चोदो मुझे!” वो मेरी गांड को थप्पड़ मारते, मेरे निप्पल्स को काटते, और धक्के पे धक्के मारते।
फिर उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठाया। मैं उनके लंड पर बैठ गई, और वो नीचे से धक्के मारने लगे। मेरी चूचियाँ उनके चेहरे पर उछल रही थीं, और वो उन्हें चूस रहे थे। मैं ऊपर-नीचे हो रही थी, “सतीश, और तेज… मेरी चूत को रगड़ दो!” मैं तीसरी बार झड़ गई, और मेरी चूत उनके लंड को निचोड़ रही थी।
अचानक देव की आँख खुली। सतीश घबरा गए और लंड बाहर निकाल लिया। मैंने चिल्लाकर कहा, “रुको, सतीश! चोदो मुझे!” देव ने हँसते हुए कहा, “चालू रखो यार, मजे लेने दे।” वो पेग लेकर पास की कुर्सी पर बैठ गए और हमें देखने लगे। सतीश ने फिर से मेरी चूत में लंड डाला और चोदना शुरू किया। इस बार उन्होंने मुझे बेड पर उल्टा लिटाया और मेरी गांड में उंगली डालते हुए मेरी चूत को पेला। मैं चीख रही थी, “सतीश, मेरी गांड भी चोदो… मैं तुम्हारी रंडी हूँ!”
वो अलग-अलग तरीकों से मुझे चोदते रहे—कभी बेड पर, कभी फर्श पर, कभी मुझे गोद में उठाकर। मैं चार बार झड़ चुकी थी, और आखिरकार सतीश भी झड़ गए। उनका गर्म वीर्य मेरी चूत में भरा हुआ था, और कुछ मेरी जांघों पर बह रहा था। मैं संतुष्ट थी, मेरी वासना की आग बुझ चुकी थी।
उस रात के बाद सतीश हर रात हमारे घर आने लगे। देव सामने बैठकर हमें देखते, और मैं सतीश के मोटे लंड का मजा लेती। अब मुझे कोई शर्मिंदगी नहीं। मैं अपनी जिंदगी जी रही हूँ। सती सावित्री बनने का कोई फायदा नहीं। जिंदगी छोटी है, और मजे लेना जरूरी है। मुझे उम्मीद है कि जल्द ही मैं माँ बनूँगी, और मेरी जिंदगी में नया सुख आएगा।