मेरी बहनों की चुत की चुदास

दोस्तो, आप सभी को मेरा नमस्ते। मेरा नाम अमन है, उम्र 23 साल, और मैं इंजीनियरिंग का स्टूडेंट हूँ। मैं हमेशा से ऐसी कहानियाँ पढ़ता रहा हूँ, जो दिल और जिस्म दोनों को गरम कर देती हैं। आज मैं अपनी जिंदगी का वो मस्त अनुभव शेयर करने जा रहा हूँ, जिसने मेरी जवानी को नया रंग दिया।

ये बात तब की है जब मैं 20 साल का था, कॉलेज के तीसरे सेमेस्टर की छुट्टियों में घर आया था। गर्मियों का मौसम था, हवा में गर्मी और घर में रिश्तेदारों की चहल-पहल। मैंने घर पहुँचते ही देखा कि मम्मी-पापा, दादी और मेरी सगी बहन रिचा के अलावा मेरे अंकल की बेटी अवनी और बुआ की बेटी आयुषी भी आई हुई थीं। अवनी मुझसे दो साल बड़ी, 22 की, और आयुषी एक साल बड़ी, 21 की। रिचा भी मुझसे डेढ़ साल बड़ी, यानी 21.5 की थी। घर में मैं इकलौता जवान लड़का था, और चारों तरफ ये तीन हसीनाएँ।

मैं बचपन से हॉस्टल में पढ़ा हूँ, तो घर आने पर सबकी आँखों में मेरे लिए ख़ुशी थी। मैंने सबको प्रणाम किया, दादी ने सिर पर हाथ फेरा, मम्मी ने गले लगाया। खाना-वाना खाकर मैं थक गया था। हमारे घर में रात को गरम दूध पीने की आदत है। मैंने अपना दूध का गिलास लिया, गटक कर खत्म किया और बिस्तर की तरफ बढ़ गया।

घर में माहौल खुशहाल था। मम्मी ने हम चारों भाई-बहनों के लिए बड़े कमरे में सोने का इंतजाम किया। कमरा इतना बड़ा था कि एक डबल बेड, एक सिंगल बेड, और सोफा सेट के बाद भी जगह बची थी। रिचा, अवनी और आयुषी डबल बेड पर सोने लगीं, और मैं सिंगल बेड पर। सोने से पहले हम सब बैठकर गप्पें मारने लगे। बातें मौसम की गर्मी, मच्छरों की तादाद, और कॉलेज की मस्ती तक गईं। लेकिन मुझे लग रहा था कि तीनों बहनें धीमी आवाज़ में कुछ और भी बातें कर रही थीं, जो मुझे साफ़ नहीं सुनाई दे रही थी। उनकी खुसुर-पुसुर से मुझे शक हुआ कि मेरे कमरे में होने से वो थोड़ा असहज थीं।

अब मैं आपको इन तीनों हसीनाओं के बारे में बता दूँ। रिचा, मेरी सगी बहन, 5 फीट 5 इंच की, रंग एकदम गोरा, जैसे दूध। उसका फिगर 30-28-32, चेहरा मासूम पर जिस्म भरा हुआ। अवनी, अंकल की बेटी, 5 फीट 7 इंच, गोरी, फिगर 32B-30-36, गदराया बदन और चाल में नखरा। आयुषी, बुआ की बेटी, 5 फीट 8 इंच, रंग दूधिया, फिगर 32B-28-34, पतली कमर और भारी गाँड। मैं खुद 6 फीट 1 इंच का, गेहुंआ रंग, और लंड 6 इंच का, जो जवानी में हमेशा तना रहता था।

रात गहराने लगी। उनकी खुसुर-पुसुर से मुझे नींद नहीं आ रही थी, पर मैं चादर ओढ़कर लेट गया। तभी अचानक ‘पच्च-पच्च’ की आवाज़ ने मेरी नींद उड़ा दी। ये वैसी आवाज़ थी, जो गहरी, रसीली स्मूच से आती है। मैंने चादर के अंदर से आँखें खोलीं और देखा तो मेरे होश उड़ गए। रिचा, अवनी और आयुषी, तीनों एक-दूसरे के साथ चूमाचाटी में डूबी थीं। नाइट बल्ब बंद था, लेकिन AC की LED लाइट में सब साफ़ दिख रहा था। कभी अवनी रिचा के ऊपर चढ़ रही थी, कभी आयुषी अवनी की चूचियाँ दबा रही थी। वो बीच-बीच में मेरी तरफ भी देख रही थीं, जैसे चेक कर रही हों कि मैं सोया हूँ या नहीं।

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मेरा लंड तुरंत आधा खड़ा हो गया। पानी टपकने लगा। मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूँ—लंड सहलाऊँ या उनके खेल में कूद जाऊँ। लेकिन मैंने खुद को रोका। मैंने चुपके से उनकी रासलीला देखी। अवनी ने रिचा की नाइटी ऊपर की और उसकी चूत को चाटने लगी। रिचा सिसकार रही थी, “उफ्फ, अवनी दी, और चूसो!” आयुषी ने अपनी पैंटी उतारी और रिचा के मुँह पर अपनी चूत रगड़ने लगी। तीनों की सिसकियाँ और गंदी बातें कमरे में गूँज रही थीं। “साली, तेरी चूत कितनी रसीली है,” अवनी ने हँसते हुए कहा। रिचा ने जवाब दिया, “कुतिया, तू तो मेरी चूत की दीवानी है।” आयुषी ने चहकते हुए कहा, “बस करो, मेरी बारी भी तो दो!”

मैं चादर में छिपकर ये तमाशा देख रहा था। मेरा लंड अब पूरा तन गया था, लेकिन मैंने कुछ नहीं किया। उनकी चुसाई और चाटने की लीला देखकर मेरा दिमाग गरम हो गया। धीरे-धीरे उनकी तवज्जो मुझसे हटकर उनकी चुदास पर आ गई। करीब आधा घंटा बाद वो थककर लेट गईं। मैं भी आँखें बंद करके सोने की कोशिश करने लगा। तभी उनकी धीमी बातें फिर शुरू हुईं।

अवनी ने रिचा से कहा, “तुझे कोई दिक्कत न हो तो मैं अमन का ले लूँ?”
रिचा ने हँसकर जवाब दिया, “मुझे क्या दिक्कत, साली? तेरी चूत, तू किसी का भी ले ले!”
आयुषी ने चहकते हुए कहा, “अवनी, तू पटा ले, फिर मैं भी अपनी चूत की खुजली मिटवाऊँगी।”
अवनी ने मस्ती में कहा, “फिर रिचा भी अपने भाई का लंड ले लेगी।”
रिचा ने झट से कहा, “अब सो जा, कुतिया!”

तीनों हल्के से हँसने लगीं और कुछ देर बाद सो गईं। मैं भी उनकी बातें सुनकर दिमाग में तूफान लिए सो गया।

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सुबह सब नॉर्मल था। तीनों मुझसे ऐसे बात कर रही थीं, जैसे कुछ हुआ ही न हो। मैंने भी नॉर्मल बिहेव किया, लेकिन उनकी आँखों में शरारत साफ़ दिख रही थी। रिचा और आयुषी नाश्ते के बाद गार्डन में चली गईं। मैंने आयुषी से पूछा, “अवनी दीदी कहाँ हैं?”
वो बोली, “उसको पथरी का दर्द है, रूम में लेटी है।”

मैं कमरे में गया। अवनी नाइटी में लेटी थी, चेहरा दर्द से सिकुड़ा हुआ। मैंने पूछा, “दीदी, ज्यादा दर्द है? दवा ली?”
वो बोली, “हाँ, दवा ली, पर आराम नहीं हुआ।”
मैंने कहा, “वोवरान इंजेक्शन लें?”
वो बोली, “नहीं, सुई नहीं लगवानी।”

मैंने सोचा, मौका है। मैंने कहा, “बताओ, कहाँ दर्द है?”
उसने पेट के नीचे हाथ रखकर कहा, “यहाँ।”
मैंने हल्का सा हाथ लगाया, “यहाँ?”
वो बोली, “हाँ, यहीं।”

वो थोड़ा तड़पने का नाटक करने लगी। मैं समझ गया कि साली मौका दे रही है। रात की बातें मेरे दिमाग में घूम रही थीं, खासकर उसकी “अमन का ले लूँ” वाली बात। मैंने मस्ती में कहा, “जैसे दाँत दर्द में दबाने से आराम मिलता है, वैसे यहाँ भी दबाओ।”

वो कुछ नहीं बोली, बस कराहती रही। मैंने कहा, “पागल हो यार, रुको, मैं दबाता हूँ।” मैंने ‘तू’ बोलकर माहौल हल्का किया। वो मेरी तरफ देखने लगी, जैसे पूछ रही हो कि पागलपन क्या है। मैंने उसके पेट पर हल्के से हाथ फेरा। उसने कोई विरोध नहीं किया। तभी आयुषी कमरे में आ गई। अवनी ने उसे आँख मारकर इशारा किया। आयुषी हँसकर बाहर चली गई।

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मैंने मौका देखकर अवनी की नाइटी थोड़ी ऊपर की। उसने हल्का सा हड़बड़ाने का नाटक किया, पर कुछ बोली नहीं। मैंने कहा, “मैं मसाज से दर्द ठीक कर दूँगा।” उसे पता था कि मैंने ऋषिकेश में योग और मसाज का कोर्स किया है। उसने हल्का सा सिर हिलाया।

मैंने उसके पेट को सहलाना शुरू किया। मेरा लंड तन रहा था। मैंने धीरे-धीरे हाथ नीचे की तरफ बढ़ाया। उसकी सलवार का नाड़ा टाइट था, पर मैंने हिम्मत करके हाथ अंदर डाला। मेरी उंगलियों को उसकी चूत की झांटें छूने लगीं। वो सिसकारी, “उफ्फ, अमन…” मेरा लंड अब लोहे सा हो गया। मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से चूत को सहलाया। उसकी चूत गीली थी, जैसे नदी बह रही हो।

मैंने उसकी चूत की फांकों को छुआ तो उसने मेरा हाथ बाहर निकाला। “कोई आ जाएगा,” उसने कहा। मैं समझ गया कि साली मचल रही है। मैंने उसकी सलवार के ऊपर से चूत को सहलाना शुरू किया। वो ‘सीई… उफ्फ… और करो’ की आवाज़ें निकालने लगी। मैंने उसकी नाइटी ऊपर की और ब्रा को नीचे सरकाया। उसके 34B के गोल, रसीले मम्मे मेरे सामने थे। भूरे निप्पल तने हुए, जैसे आम के बौर। मैंने एक मम्मा मुँह में लिया और चूसने लगा। वो सिसकार रही थी, “आह, अमन, और चूस…”

मैंने बाहर देखा, कोई नहीं था। मैंने दरवाजा हल्का सा बंद किया और वापस अवनी के ऊपर चढ़ गया। मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला और पैंटी नीचे की। उसकी चूत चिकनी थी, जैसे रेशम। मैंने उंगली अंदर डाली। वो चिल्लाई, “उफ्फ, मादरचोद, धीरे!” मैंने हँसकर उसकी चूत को और रगड़ा। उसकी सिसकियाँ कमरे में गूँज रही थीं।

तभी आयुषी की आहट सुनाई दी। मैं बेड से हटा। अवनी ने बुरा सा मुँह बनाया। आयुषी ने हँसकर कहा, “अरे, क्या चल रहा है?” और बाहर चली गई। मैंने अवनी से कहा, “ऊपर मेरे कमरे में आ जाओ।”
वो मुस्कुराई, “ठीक है, बाल साफ़ करके आती हूँ।”
मैंने हँसकर कहा, “मैं भी अपने लंड की झांटें साफ़ कर लेता हूँ।”

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मैं ऊपर अपने कमरे में गया, शॉवर लिया, और लंड को चिकना किया। दस मिनट बाद अवनी आई। उसने स्कर्ट और हाफ शर्ट पहनी थी, बिना ब्रा और पैंटी। उसकी चूचियाँ शर्ट में उभरी हुई थीं। मैं सिर्फ फ्रेंची में था। मैंने दरवाजा बंद किया। वो मेरी कमर से लिपट गई। हमारे होंठ जुड़ गए। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, जैसे लड़ रही हो। मैंने उसकी गाँड दबाई, उंगली उसकी चूत में डाली। वो टपक रही थी।

मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया। उसने स्कर्ट और शर्ट उतार दी। उसकी चूत चमक रही थी, जैसे शहद की बूँदें। मैंने उसकी टाँगें फैलाईं और चूत पर मुँह लगाया। उसकी गंध मुझे पागल कर रही थी। मैंने जीभ से उसकी चूत की फांकों को चाटा। वो चिल्लाई, “आह, भैनचोद, और चाट!” मैंने उसकी चूत को चूसा, जैसे आम का रस पी रहा हूँ। उसने मेरी फ्रेंची उतारी और मेरा लंड मुँह में लिया। उसकी गर्म जीभ मेरे लंड पर घूम रही थी।

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वो बोली, “अमन, बस कर, अब लंड डाल दे। मेरी चूत में आग लगी है।”
मैंने पूछा, “प्रोटेक्शन?”
वो चिल्लाई, “माँ की चूत प्रोटेक्शन! पेल दे साले, दो महीने से प्यासी हूँ।”

मैंने उसकी टाँगें कंधों पर रखीं। मेरा लंड उसकी चूत के मुँह पर था। मैंने सुपारा अंदर ठोका। वो चिल्लाई, “आह, मादरचोद, फाड़ेगा क्या?” मैंने हँसकर एक और झटका मारा। आधा लंड उसकी चूत में घुस गया। उसने मेरी पीठ पर नाखून गड़ाए। “रुक जा, हरामी, पानी तो निकलने दे।” मैंने उसके मम्मे चूसे, निप्पल काटे। उसकी सिसकियाँ धीमी हुईं। उसने गाँड उठाई। मैंने लंड बाहर खींचा और एक जोरदार धक्का मारा। पूरा 6 इंच का लंड उसकी चूत में समा गया।

धकाधक चुदाई शुरू हो गई। उसकी चूत इतनी गीली थी कि ‘पच-पच’ की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। वो चिल्ला रही थी, “चोद साले, और जोर से! मेरी चूत फाड़ दे!” मैंने उसकी गाँड के नीचे तकिया रखा और गहरे धक्के मारने लगा। उसकी चूचियाँ उछल रही थीं। मैंने एक मम्मा पकड़कर दबाया, दूसरा चूसा। वो सिसकार रही थी, “आह, अमन, तेरा लंड जन्नत है!”

करीब 25 मिनट की चुदाई के बाद मेरा माल छूटने वाला था। मैंने पूछा, “कहाँ निकालूँ?”
वो बोली, “अंदर ही छोड़ दे, साले! मेरी चूत को भर दे।”
मैंने जोरदार धक्के मारे और उसकी चूत में माल छोड़ दिया। वो भी झड़ गई, उसकी चूत काँप रही थी।

हम दोनों हाँफते हुए लेट गए। मैंने हँसकर पूछा, “पथरी का दर्द कैसा है?”
वो हँस दी, “तेरे इस लोहे के लंड ने पथरी तोड़ दी।”
मैंने मस्ती में कहा, “तो जा, आयुषी से कह दे, उसकी खुजली भी मिटवाए।”
वो चौंकी, “मतलब तू सब सुन रहा था?”
मैंने उसकी चूची चूसते हुए कहा, “मुझे भोसड़ी समझ रखा था?”
वो बोली, “तो रिचा को भी बुला लूँ?”
मैंने हँसकर कहा, “चूत और लंड का कोई रिश्ता नहीं। चूत को लंड चाहिए, और लंड को चूत और गाँड दोनों।”
वो हँस पड़ी, “मादरचोद, गाँड मारने की भी सोच रहा है!”

हम चिपककर लेट गए। अवनी की चुदाई का मज़ा मैं ले चुका था। अगले दिन मैं कॉलेज के काम से दिल्ली चला गया। लेकिन आयुषी और रिचा की चूत की चुदास अभी बाकी थी। वो कहानी बाद में सुनाऊँगा।

कहानी का अगला भाग: गर्लफ्रेंड की भाभी की सुहागरात

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