मेरे बॉयफ्रेंड ने मेरी मम्मी को खेत में चोदा

दोस्तो, मेरा नाम आकृति है, उम्र २३ साल। मैं एक छोटे से गाँव में रहती हूँ, जहाँ खेतों की मिट्टी और गायों की घंटियों की आवाज जिंदगी का हिस्सा है। घर में मम्मी, पापा, और मेरा छोटा भाई है। पापा शहर में नौकरी करते हैं, साल में एक बार गाँव आते हैं। मैं बचपन से ही हॉट थी—गोरा रंग, भरा हुआ बदन, और कसी हुई कमर। गाँव के लड़के मेरे पीछे पागल थे, लेकिन मेरी मम्मी, रीना, ३८ साल की उम्र में भी किसी को मात दे देती थीं। उनकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ, गोल-मटोल गांड, और चिकना गोरा बदन देखकर कोई नहीं कह सकता था कि वो दो बच्चों की माँ हैं। मम्मी की हँसी और चाल में एक अजीब सी कशिश थी, जो गाँव के मर्दों को ललचा देती थी।

पापा की गैरहाजिरी में मम्मी की जिंदगी रंगीन थी। गाँव में उनके नाजायज सम्बन्धों की बातें हवा में तैरती थीं—ताऊ जी, चाचा जी, यहाँ तक कि पड़ोस के ठाकुर साहब तक। पहले मुझे यकीन नहीं हुआ। मम्मी मेरे लिए माँ थीं, पूजनीय। लेकिन धीरे-धीरे शक गहराने लगा। मैंने देखा कि मम्मी अक्सर खेत के बहाने घर से निकलती थीं, और उनकी साड़ी हमेशा कुछ ज्यादा ही चुस्त होती थी। गाँव की औरतें चुगली करती थीं, “रीना तो रंडी है, हर मर्द के साथ सोती है।” मैंने ठान लिया कि मुझे सच पता करना है।

एक दिन सुबह, जब गर्मी से खेतों में धूल उड़ रही थी, मम्मी ने कहा, “आकृति, मैं खेत जा रही हूँ। तू भाई के साथ घर पर रह।” उनकी हरी साड़ी उनके बदन से चिपकी थी, और ब्लाउज इतना टाइट कि उनकी चूचियाँ बाहर निकलने को बेताब थीं। वो चली गईं, और मैं घर के कामों में लग गई। चाय बनाई, भाई को नाश्ता दिया, और रोटी बेलने लगी। तभी मेरा छोटा भाई, जो १२ साल का था, जोर-जोर से रोने लगा। उसका पेट दुख रहा था, और वो चिल्लाने लगा, “दीदी, मम्मी को बुला लाओ!” मैंने उसे चुप कराया, लेकिन वो नहीं माना। मजबूरी में मैं खेत की ओर दौड़ पड़ी।

खेत का रास्ता उबड़-खाबड़ था, और मेरी सलवार पसीने से चिपक रही थी। दूर-दूर तक सिर्फ बाजरे की फसल और काँटेदार झाड़ियाँ दिख रही थीं। मैंने मम्मी को पुकारा, लेकिन जवाब नहीं आया। तभी मेरी नजर एक कोने की झाड़ी पर पड़ी, जहाँ मम्मी किसी के साथ बैठी थी। मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मैं धीरे-धीरे पास गई और एक मोटे बबूल के पेड़ के पीछे छिप गई। वहाँ से मुझे सब साफ दिख रहा था। मम्मी के पास बैठा शख्स कोई और नहीं, मेरा बॉयफ्रेंड यश था।

यश और मैं दो साल से प्यार करते थे। वो गाँव का सबसे हैंडसम लड़का था—लंबा, कसरती बदन, और गहरी आँखें। हम खेतों में टहलते, हँसते-बोलते, लेकिन मैंने हमेशा हद में रही। हमने कभी सेक्स नहीं किया, क्योंकि मैं चाहती थी कि शादी के बाद ही वो पल आए। लेकिन अब यश को मम्मी के साथ देखकर मेरा दिल टूट गया। मम्मी की साड़ी उनके घुटनों तक ऊँची थी, और यश उनके होंठों को पागलों की तरह चूस रहा था। उसका एक हाथ मम्मी की मोटी, गोरी जांघों को सहला रहा था, और दूसरा उनकी चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से दबा रहा था। मम्मी की आँखें बंद थीं, और वो सिसकार रही थीं, “आह… यश… और चूस…!”

मुझे गुस्सा, जलन, और दुख—सब एक साथ महसूस हो रहा था। मैं सामने जाकर दोनों को गालियाँ देना चाहती थी, “साली रंडी, मेरे यश को छीन लिया!” लेकिन मेरे पैर जम गए। कुछ अजीब सा था उस नजारे में, जो मुझे रोक रहा था। मैं चुपके से और करीब गई, एक दूसरी झाड़ी के पीछे छिपकर सब देखने लगी। मम्मी ने यश की पैंट की जिप खोली और उसका लंड बाहर निकाला। मैं चौंक गई। यश का लंड इतना बड़ा और मोटा था कि मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। वो किसी लोहे के डंडे की तरह था, काला, नसों से भरा, और गुस्से में तना हुआ। “ off-white”>मम्मी ने उसे दोनों हाथों से पकड़ा और धीरे-धीरे सहलाने लगी, जैसे कोई कीमती मूसल हो। उनकी उंगलियाँ उसकी नसों पर फिसल रही थीं, और यश की साँसें तेज हो रही थीं। मम्मी ने अपने ब्लाउज के ऊपरी बटन खोल रखे थे, जिससे उनकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ बाहर झाँक रही थीं। वो हरकत में थीं, और उनकी हर साँस के साथ और उभर रही थीं।

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मम्मी ने यश के लंड को अपने होंठों के पास लाया और उसका सिरा चूमा। फिर उन्होंने उसे अपने मुँह में ले लिया। लंड इतना मोटा था कि मम्मी का मुँह पूरा खुल गया, लेकिन वो रुकी नहीं। वो उसे चूसने लगीं, पहले धीरे, फिर तेज। उनकी जीभ लंड के हर कोने पर घूम रही थी, और यश की सिसकारियाँ हवा में गूँज रही थीं। “आह… रीना… तू तो रंडी है,” यश ने सिसकारी लेते हुए कहा। मम्मी ने जवाब में सिर्फ एक शरारती मुस्कान दी और और जोर से चूसने लगीं। यश ने मम्मी का ब्लाउज उतार फेंका। मम्मी ने ब्रा नहीं पहनी थी, और उनकी चूचियाँ आजाद होकर बाहर आ गईं। वो इतनी कड़क और भरी हुई थीं कि उम्र का कोई निशान नहीं दिखता था। उनकी गुलाबी चूचियाँ धूप में चमक रही थीं, और यश ने उन्हें दोनों हाथों से मसलना शुरू कर दिया।

मम्मी की साड़ी अब पूरी तरह उतर चुकी थी, और सिर्फ उनका लाल पेटीकोट बचा था। यश ने उसे भी खींचकर उतार दिया। मम्मी की चूत नंगी हो गई, और उसकी घनी, काली झांटें धूप में चमक रही थीं। वो ऐसी थी जैसे कोई जंगल। यश ने अपनी उंगलियाँ मम्मी की चूत पर फिराईं, और वो गीली थी। “साली, तेरी चूत तो बाढ़ है,” यश ने कहा, और मम्मी ने जवाब में सिसकारी ली। वो दोनों अब पूरी तरह नंगे थे, और खेत की झाड़ियों में उनकी चुदाई का खेल शुरू होने वाला था।

मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा था, लेकिन मेरा शरीर गर्म हो रहा था। मेरी सलवार के नीचे मेरी चूत में हलचल थी। मैंने अनजाने में अपनी उंगलियाँ वहाँ ले जाकर सहलाना शुरू कर दिया। मम्मी और यश का नजारा मेरे लिए नया था, लेकिन उसमें कुछ था जो मुझे रोक रहा था। मैंने अपनी सलवार को थोड़ा नीचे खिसकाया और अपनी चूत को जोर-जोर से रगड़ने लगी। मेरी साँसें तेज हो रही थीं, और मेरी आँखें उन दोनों पर जमी थीं।

मम्मी ने यश के लंड को अपनी चूचियों पर रगड़ना शुरू किया। उनकी चूचियाँ इतनी बड़ी थीं कि लंड उनके बीच दब गया। मम्मी उन्हें जोर-जोर से हिलाने लगीं, और यश की सिसकारियाँ और तेज हो गईं। “आह… रीना… तू तो स्वर्ग की अप्सरा है,” यश ने कहा। मम्मी ने हँसकर जवाब दिया, “बस, अब मेरी चूत में ये मूसल डाल दे!” यश ने मम्मी का पेटीकोट पूरी तरह उतार दिया, और उनकी चूत की घनी झांटें साफ दिख रही थीं। यश ने अपनी जीभ मम्मी की चूत पर रख दी और उसे चाटने लगा। मम्मी की सिसकारियाँ चीखों में बदल गईं। “आह… यश… चूस ले मेरी चूत को… हाय…!” मम्मी चिल्ला रही थीं। उनकी कमर हवा में उछल रही थी, और वो यश के बालों को पकड़कर अपनी चूत पर दबा रही थीं। यश की जीभ मम्मी की चूत के हर कोने को चाट रही थी, और उसका रस उसके होंठों पर चमक रहा था। मम्मी की चूत इतनी गीली थी कि छप-छप की आवाज साफ सुनाई दे रही थी।

मम्मी अब तड़प रही थीं। “यश… अब रहा नहीं जाता… चोद दे मुझे… खेत में ही पेल दे!” उन्होंने गिड़गिड़ाते हुए कहा। यश ने हँसकर कहा, “अभी तो खेल शुरू हुआ है, रंडी!” उसने मम्मी को घास पर लिटाया और उनकी टाँगें हवा में उठा दीं। उसने अपना मोटा लंड मम्मी की चूत के मुहाने पर रखा और धीरे-धीरे रगड़ने लगा। मम्मी की सिसकारियाँ रुकने का नाम नहीं ले रही थीं। “आह… यश… मत तड़पा… पेल दे…!” मम्मी ने चिल्लाया। यश ने एक जोरदार झटका मारा, और उसका पूरा लंड मम्मी की चूत में समा गया। मम्मी की चीख निकल गई, “उई… माँ… मर गई…!” लेकिन वो तुरंत शांत हो गईं और अपनी कमर हिलाने लगीं। यश ने धीरे-धीरे झटके मारना शुरू किया, और हर झटके के साथ मम्मी की चूचियाँ उछल रही थीं। उनकी चूत इतनी गीली थी कि लंड की हर हरकत के साथ छप-छप की आवाज गूँज रही थी।

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मैं अब पूरी तरह गर्म हो चुकी थी। मेरी उंगलियाँ मेरी चूत में तेजी से चल रही थीं, और मेरी साँसें रुक-रुक कर आ रही थीं। मैंने अपनी सलवार को पूरी तरह नीचे खिसका दिया और एक हाथ से अपनी चूचियाँ दबाने लगी। मम्मी और यश का नजारा मेरे लिए किसी जादू से कम नहीं था। यश अब मम्मी को पूरी ताकत से चोद रहा था। उसने मम्मी की एक टाँग अपने कंधे पर रखी और दूसरी को हवा में उठा रखा था। हर झटके के साथ मम्मी की चूत और गहरी होती जा रही थी। “आह… यश… और जोर से… फाड़ दे मेरी चूत को…!” मम्मी चिल्ला रही थीं। यश ने उनकी चूचियाँ पकड़ीं और उन्हें मसलते हुए और तेज झटके मारने लगा।

फिर यश ने कहा, “चल, मेरे ऊपर आ जा!” मम्मी यश के ऊपर चढ़ गईं और हाथ में लंड पकड़कर अपनी चूत में घुसाने लगीं। एक जोरदार झटके में वो लंड पर बैठ गईं, और उनकी चीख निकल गई, “आह… मर गई… इतना मोटा…!” मम्मी का चेहरा दर्द और मजा दोनों से भरा था। कुछ देर वो ऐसे ही रुकी रहीं, जैसे लंड उनकी चूत को चीर रहा हो। फिर धीरे-धीरे वो ऊपर-नीचे होने लगीं। अब मम्मी सातवें आसमान पर थीं, खूब जोर-जोर से झटके मार रही थीं। उनकी चूचियाँ हर हरकत के साथ उछल रही थीं, और उनकी सिसकारियाँ खेत में गूँज रही थीं। “आह… यश… चोद… मेरी चूत को फाड़ दे…!” मम्मी चिल्ला रही थीं।

मेरे मुँह से गाली निकल गई, “साली कुत्ती रंडी… मेरे यश को भी नहीं छोड़ा!” लेकिन मेरा शरीर मेरी बात नहीं मान रहा था। मेरी चूत इतनी गीली थी कि मेरी उंगलियाँ फिसल रही थीं। मैं अब पूरी तरह उनके नजारे में खो चुकी थी। यश ने मम्मी को नीचे उतारा और एक पेड़ के सहारे खड़ा करके उनकी एक टाँग उठा दी। उसने अपना लंड मम्मी की चूत में डाला और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मम्मी की सिसकारियाँ चीखों में बदल गईं। “हाँ… यश… ऐसे ही चोद… आज तक मुझे इस तरह किसी ने नहीं पेला…!” मम्मी चिल्ला रही थीं। यश एक टाँग उठाकर मम्मी को चोदे जा रहा था, झटके पर झटके लगा रहा था।

मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था। मैं उंगलियों से अपनी चूत को रगड़ रही थी, लेकिन मेरा मन कर रहा था कि मैं भी वहाँ जाऊँ और यश से कहूँ, “पहले मेरी चूत फाड़!” लेकिन मैं सिर्फ देख सकती थी। यश ने अब मम्मी को कुतिया बनने को कहा। मम्मी घोड़ी बन गईं, उनकी गोल गांड हवा में थी। यश ने पीछे से अपना लंड उनकी चूत में डाला और कुत्ते की तरह चोदने लगा। मम्मी की चूचियाँ हर झटके के साथ लटक रही थीं, और उनकी चीखें खेत में गूँज रही थीं। “आह… यश… पेल दे… मेरी चूत को तोड़ दे…!” मम्मी चिल्ला रही थीं। यश ने उनकी गांड पर एक जोरदार चपत मारी, और मम्मी की चीख में मजा साफ सुनाई दे रहा था।

पता नहीं मम्मी ने कितनी बार यश से ऐसे ही खेत में चुदवाया होगा। शायद मम्मी ने अपनी साड़ी ऊपर की होगी, और यश का लंड खड़ा हो गया होगा। मम्मी ने अपनी चूचियाँ दिखाई होंगी, और यश ने न जाने कितने झटके मारे होंगे। आज भी यश जोर-जोर से पेल रहा था। मम्मी चिल्ला रही थीं, “आह… उई… माँ… ओह… उम्म्ह…!” पूरा खेत उनकी चुदाई की आवाजों से गूँज रहा था।

मेरा मन कर रहा था कि मैं वहाँ जाऊँ और यश से कहूँ, “इस रंडी को बाद में चोद, पहले मुझे रंडी बना!” लेकिन मैं कुछ न कर पाई। मैं बस अपनी चूत में उंगलियाँ डाल रही थी, और मेरी सिसकारियाँ भी तेज हो रही थीं। यश ने अब मम्मी को अपनी गोद में उठा लिया। मम्मी की टाँगें हवा में थीं, और यश का लंड उनकी चूत में गहरे तक जा रहा था। मम्मी ने यश के होंठों को चूसना शुरू कर दिया, और उनकी चूचियाँ यश के सीने से रगड़ रही थीं। “आह… यश… तू मेरा राजा है… चोद मुझे…!” मम्मी चिल्ला रही थीं। यश ने उनकी गांड को दोनों हाथों से पकड़ा और और तेज धक्के मारने लगा।

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इस बीच, मैं भी झड़ चुकी थी। मेरी चूत से रस बह रहा था, और मेरे पैर काँप रहे थे। लेकिन मम्मी और यश का खेल अभी खत्म नहीं हुआ था। यश ने मम्मी को खेत की घास पर लिटाया और उनकी दोनों टाँगें हवा में उठा दीं। उसने अपना लंड उनकी चूत में डाला और ऐसी स्पीड से चोदना शुरू किया कि पूरा खेत उनकी चुदाई की आवाजों से गूँज उठा। मम्मी की चूचियाँ हर झटके के साथ उछल रही थीं, और वो नीचे से अपनी गांड उठा-उठाकर यश का साथ दे रही थीं। यश ने एक हाथ से उनकी चूचियाँ मसलीं और दूसरा हाथ उनकी चूत के ऊपरी हिस्से पर रगड़ने लगा। मम्मी की चीखें अब अनियंत्रित हो गई थीं। “आह… यश… फाड़ दे… मेरी चूत को चीर दे…!” वो बार-बार चिल्ला रही थीं।

यश की स्पीड और तेज हो गई। उसका चेहरा लाल हो रहा था, और उसकी साँसें रुक-रुक कर आ रही थीं। “रीना… मैं झड़ने वाला हूँ… बता, माल कहाँ गिराऊँ?” यश ने हाँफते हुए पूछा। मम्मी ने पागलपन में कहा, “मेरी चूत में डाल दे… मुझे फिर से माँ बना दे… तुझ जैसा चोदने वाला मुझे कभी नहीं मिला… रात को भी मेरे कमरे में आना, जमके चोदना!” यश ने कुछ देर और जोर-जोर से धक्के मारे, फिर उसने अपना लंड बाहर निकाला और मम्मी के मुँह की ओर कर दिया। उसका गर्म, गाढ़ा माल मम्मी के होंठों, गालों, और चूचियों पर गिरा। मम्मी ने लंड को अपने मुँह में लिया और उसे चूसकर साफ कर दिया। “आह… यश… तू मेरा राजा है,” मम्मी ने सिसकारी लेते हुए कहा। यश ने जवाब में उनके होंठों को चूमा और कहा, “आई लव यू, मेरी रानी!”

वो दोनों कुछ देर तक एक-दूसरे की बाहों में लिपटे रहे। मम्मी की साँसें अभी भी तेज थीं, और उनकी चूत से रस टपक रहा था। यश ने उनकी चूचियाँ सहलाईं और धीरे-धीरे उनके बदन को चूमने लगा। मम्मी ने हँसते हुए कहा, “यश, रात को मेरे कमरे में आना। आज तेरे साथ पूरी रात चुदाई करनी है।” यश ने शरारती मुस्कान के साथ कहा, “ठीक है, मेरी रानी। रात को तेरी गांड भी मारूँगा।” मम्मी ने हँसकर जवाब दिया, “तेल तैयार रखूँगी, मेरे राजा।”

अँधेरा होने लगा था, और खेत में सन्नाटा छा गया था। मम्मी और यश ने अपने कपड़े उठाए, लेकिन मम्मी ने कहा, “यश, कुछ दूर तक ऐसे ही नंगे चलें?” यश ने हँसकर हामी भर दी। वो दोनों नंगे ही, एक-दूसरे को चूमते और दबाते हुए, खेत के किनारे की ओर बढ़े। यश पीछे से मम्मी की गांड को जोर-जोर से दबा रहा था, और मम्मी की हँसी हवा में गूँज रही थी। वो इतने मगन थे कि मुझे नहीं देख पाए। मैंने अपनी सलवार ठीक की और चुपके से घर की ओर भागी। मेरा दिल जल रहा था, लेकिन मेरी चूत की आग अभी भी बुझी नहीं थी।

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