मेरी माँ ने मुझे धमका कर मुझसे चुदवाया

दोस्तो, मेरा नाम नीरज है, और मैं आपको अपनी मॉम की एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जिसने मेरी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया। मेरी मॉम, सुनीता, 45 साल की हैं, लेकिन उनकी खूबसूरती और हॉट फिगर देखकर कोई भी कहेगा कि वो अभी 30 की जवान औरत हैं। उनका गोरा रंग, भरे हुए मम्मे, पतली कमर, और गोल-मटोल गांड किसी का भी दिल धड़का दे। मेरे पापा दिल्ली में नौकरी करते हैं और महीने में एक-दो बार ही घर आते हैं। हमारा घर छोटा सा है—दो कमरे, एक हॉल, और एक पुराना सा बाथरूम। मैं और मॉम ज्यादातर अकेले रहते हैं, और यही अकेलापन हमारी कहानी का बीज बना। Mom Son Sex Story

बात उस गर्मी की रात की है जब मेरे चाचा और उनकी नई-नवेली बीवी हमारे घर आए। चाचा की शादी को अभी तीन महीने ही हुए थे, और उनकी बीवी, मेरी चाची, एकदम मस्त माल थी—लंबी, गोरी, और टाइट फिगर। मॉम ने उन्हें मेरा कमरा दे दिया, और मैं मॉम के साथ उनके बेडरूम में सोने चला गया। रात को करीब 1 बजे, मैं गहरी नींद में था, तभी चाचा के कमरे से सिसकारियों और बिस्तर की चरमराहट की आवाज़ आई। मेरी नींद खुल गई। मैंने बेड पर हाथ फेरा, लेकिन मॉम वहाँ नहीं थी। मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मैं धीरे से उठा और हॉल की ओर गया, जहाँ से हल्की-हल्की रोशनी आ रही थी।

हॉल में जो नज़ारा देखा, उसने मेरे होश उड़ा दिए। मॉम दरवाज़े के पास खड़ी थी, उनका पतला पेटीकोट घुटनों तक नीचे सरक गया था। वो चाचा के कमरे के दरवाज़े में बने छोटे से छेद से अंदर झाँक रही थी। उनका एक हाथ उनकी चूत पर था, और वो धीरे-धीरे उंगली कर रही थी। उनकी साँसें तेज थीं, और चेहरा लाल हो रहा था। पेटीकोट के ऊपर से उनके मम्मे सख्त दिख रहे थे, जैसे ब्रा के बिना वो बाहर निकलने को बेताब हों। मैं चुपके से अंधेरे कोने में खड़ा हो गया। मेरा लंड पजामे में तन गया, और मैं साँस रोककर मॉम को देखने लगा। उनकी उंगलियाँ उनकी चूत में गहरे तक जा रही थीं, और हर बार जब वो उंगली बाहर निकालती, उनकी चूड़ियों की खनक हल्की सी सुनाई देती। मॉम की आँखें बंद थीं, और वो बड़बड़ा रही थी, “हाय… कितना मज़ा… और जोर से…” कुछ देर बाद मॉम की कमर काँप उठी, उन्होंने एक गहरी सिसकारी भरी, और उनकी चूत से पानी टपकने लगा। वो धीरे से पेटीकोट ठीक करके कमरे में लौट आई।

मुझे देखते ही मॉम चौंक गई। उनकी आँखों में डर था, लेकिन साथ ही एक अजीब सी चमक भी। “क्या देखा तूने, नीरज?” मॉम ने सख्त आवाज़ में पूछा।
“कुछ नहीं, मॉम,” मैंने हड़बड़ाते हुए कहा, मेरा गला सूख रहा था।
“अच्छा, चल सो जा!” मॉम ने कहा और बेड पर लेट गई। लेकिन उनकी आवाज़ में वो सख्ती नहीं थी, बल्कि एक हल्की सी नरमी थी, जैसे वो कुछ छुपा रही हों।

उस रात मैं सो नहीं पाया। मॉम का वो रूप मेरे दिमाग में बार-बार घूम रहा था। उनका गोरा बदन, उनकी गीली चूत, और वो सिसकारियाँ—सब कुछ मुझे पागल कर रहा था। मैं बार-बार मॉम की तरफ देख रहा था। वो पतले, सफेद पेटीकोट में सो रही थी, जो नींद में उनकी जाँघों तक खिसक गया था। उनकी गोरी जाँघें चाँदनी में चमक रही थीं, और पेटीकोट के नीचे उनकी चूत की हल्की सी शेप दिख रही थी। मैंने अपने लंड को पजामे के ऊपर से सहलाया, लेकिन मन नहीं माना। मॉम अब मेरे लिए सिर्फ मॉम नहीं थी—वो एक ऐसी औरत थी, जिसकी आग मेरे जिस्म में भी सुलग रही थी।

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सुबह चाचा और चाची चले गए। घर में फिर से सन्नाटा छा गया। मॉम ने नाश्ता बनाया—गर्मागर्म पराठे, दही, और चाय। वो एक हल्की सी मैक्सी में थी, जो उनके जिस्म से चिपकी हुई थी। मैक्सी इतनी पतली थी कि उनके मम्मों के निप्पल साफ दिख रहे थे, और नीचे उन्होंने पैंटी भी नहीं पहनी थी। जब वो पराठे परोसने के लिए झुकी, तो उनकी गहरी क्लीवेज ने मेरे लंड को फिर से सलामी देने पर मजबूर कर दिया। मुझे लगा मॉम जानबूझकर मुझे तड़पा रही हैं। नाश्ते के बाद मॉम बोली, “मैं नहाने जा रही हूँ, तू कहीं मत जाना।”
“ठीक है,” मैंने कहा, लेकिन मेरा दिमाग अब काबू में नहीं था।

हमारा बाथरूम पुराना था, और उसके दरवाज़े में एक छोटा सा छेद था, जो पहले कभी ताले का हिस्सा था। मॉम के नहाने गए आधा घंटा हो गया, लेकिन नहाने की आवाज़ नहीं आ रही थी। मेरा मन बेचैन हो गया। मैं धीरे से बाथरूम के पास गया और छेद से अंदर झाँका। जो नज़ारा देखा, उसने मेरे लंड को पत्थर जैसा सख्त कर दिया। मॉम पूरी नंगी थी, उनकी गोरी चूचियाँ हवा में तनी हुई थीं, और उनके हाथ में एक मोटा, लंबा बैंगन था। वो उस बैंगन को अपनी चूत में जोर-जोर से अंदर-बाहर कर रही थी। उनकी चूत गीली थी, और हर बार जब बैंगन अंदर जाता, उनकी सिसकारियाँ गूंजती। “हाय… और गहरा… आह…” मॉम बड़बड़ा रही थी। उनका चेहरा लाल था, और वो अपनी जीभ बार-बार होंठों पर फेर रही थी। उनकी चूत से पानी टपक रहा था, जो उनके जाँघों पर बह रहा था। मैं इतना खो गया कि समय का ध्यान ही नहीं रहा।

अचानक मॉम ने दरवाज़ा खोल दिया। मैं पकड़ा गया। मॉम ने तौलिया लपेट रखा था, लेकिन उनके चेहरे पर गुस्सा और शर्मिंदगी थी। “नालायक, तू यहाँ क्या कर रहा है?” मॉम चिल्लाई। “रुक, तेरे पापा को अभी फोन करती हूँ!”
“मॉम, प्लीज़, माफ कर दो!” मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा।

पूरे दिन मॉम मुझसे बात नहीं की। वो घर के कामों में व्यस्त रही, और मैं अपने कमरे में शर्मिंदगी और उत्तेजना के बीच झूलता रहा। लेकिन रात को जब सोने का समय हुआ, मॉम ने अचानक कहा, “नीरज, तू आज मेरे साथ ही सोयेगा।”
“क्यों, मॉम?” मैंने डरते हुए पूछा।
“क्योंकि तू आजकल गलत रास्ते पर जा रहा है। मुझे तुझ पर नज़र रखनी है,” मॉम ने सख्त लहजे में कहा, लेकिन उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी।

मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। मॉम रात को सिर्फ पतला पेटीकोट पहनकर सोती थी, और उनकी नींद में पेटीकोट अक्सर जाँघों तक खिसक जाता था। मैंने पजामा और टी-शर्ट पहन रखी थी। मॉम बोली, “ये पजामा उतार दे, सोने में तकलीफ होगी।”
“मुझे कोई तकलीफ नहीं,” मैंने हड़बड़ाते हुए कहा।
“मुझे होगी! उतार!” मॉम ने डाँटते हुए कहा।

मैंने पजामा उतार दिया और सिर्फ कच्छे में बेड पर लेट गया। मॉम मेरे बगल में लेटी थी, उनका पेटीकोट पहले से ही जाँघों तक खिसका हुआ था। उनकी गोरी जाँघें और चूत की हल्की सी शेप मुझे साफ दिख रही थी। मॉम बोली, “तू क्या देख रहा है, नीरज?”
“कुछ नहीं,” मैंने जल्दी से कहा।
“सच-सच बता, वरना पापा को सब बता दूँगी!” मॉम ने धमकाया।

मैं डर गया और हकलाते हुए बोला, “मॉम, उस रात जब आप चाचा के कमरे के पास उंगली कर रही थी, मैंने देख लिया था। और सुबह आप बाथरूम में बैंगन के साथ… वो भी देख लिया। आप इतनी सेक्सी लग रही थी कि मैं खुद को रोक नहीं पाया।”
मॉम ने मेरी आँखों में देखा और धीरे से पूछा, “तुझे क्या होता है, बेटा?”
“बहुत कुछ, मॉम… मेरा लंड खड़ा हो जाता है,” मैंने शर्माते हुए कहा।

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अचानक मॉम ने मेरा कच्छा नीचे खींचा और मेरे लंड को पकड़ लिया। मेरा लौड़ा पहले से ही टनटना रहा था, और उनके मुलायम हाथों के स्पर्श से और सख्त हो गया। “तो ये है तेरी बेचैनी का राज,” मॉम ने मुस्कुराते हुए कहा। फिर वो बोली, “जब तूने सब कुछ देख लिया, तो अब मेरे साथ सब कुछ कर!”
“मॉम, ये गलत है!” मैंने डरते हुए कहा।
“गलत तो तूने किया, जो मुझे चोरी-छुपे देख रहा था। अब पापा को बताऊँ?” मॉम ने फिर धमकाया।
“नहीं, मॉम, प्लीज़!” मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा।

बस फिर क्या था, मेरे अंदर की आग भड़क उठी। मैंने मॉम का पेटीकोट ऊपर खींचा और उनके नंगे बदन को देखकर पागल हो गया। उनका गोरा जिस्म, भरे हुए मम्मे, और उनकी चूत के ऊपर हल्की सी झांटें—सब कुछ मुझे जन्नत जैसा लग रहा था। मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रखे और चूसने लगा। उनके होंठ रसीले थे, जैसे कोई पका हुआ आम। मॉम ने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया। उनकी जीभ मेरे मुँह में घूम रही थी, और मेरे हाथ उनके मम्मों को मसल रहे थे। उनके निप्पल सख्त हो गए थे, और मैंने उन्हें धीरे-धीरे चूसना शुरू किया।

“आह… नीरज… और जोर से चूस…” मॉम सिसकारियाँ ले रही थी। मैंने उनका एक मम्मा मुँह में लिया और दूसरे को मसलने लगा। उनकी चूचियाँ इतनी मुलायम थीं कि मेरे हाथों में पिघल रही थीं। मैंने अपनी जीभ उनके निप्पल पर गोल-गोल घुमाई, और मॉम की सिसकारियाँ तेज हो गई। फिर मैं नीचे गया और उनकी चूत को सूंघा। उसकी गर्म, मादक खुशबू ने मुझे दीवाना कर दिया। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत पर रखी और चाटना शुरू किया। उनकी चूत पहले से ही गीली थी, और मेरा हर चाटना उनकी सिसकारियों को और तेज कर रहा था। “हाय… बेटा… और गहरा चाट…” मॉम ने मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाते हुए कहा। मैंने उनकी चूत के दाने को जीभ से सहलाया, और उनकी कमर उछलने लगी।

मैंने अपनी दो उंगलियाँ उनकी चूत में डाली और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरी उंगलियाँ जकड़ सी गई। “आह… नीरज… तूने तो मुझे पागल कर दिया…” मॉम चिल्लाई। मैंने उनकी चूत को चाटते हुए उंगलियों से चोदना जारी रखा। कुछ ही मिनटों में मॉम की कमर काँप उठी, और उनकी चूत से गर्म पानी मेरे मुँह पर छलक गया। “हाय… मैं झड़ गई, बेटा!” मॉम ने हाँफते हुए कहा।

मैंने पूछा, “मॉम, कैसा लगा?”
“तूने तो अपनी मॉम को जन्नत दिखा दी!” मॉम ने मुस्कुराते हुए कहा। “अब अपनी मॉम की प्यास बुझा, बेटा!”

मैंने अपना कच्छा उतारा, मेरा मूसल जैसा लंड बाहर आया। मॉम ने उसे देखा और उनकी आँखें चमक उठी। “ये तो तेरे पापा से भी मोटा है,” मॉम ने हँसते हुए कहा। मैंने मॉम की टाँगें चौड़ी की और अपने लंड का सुपारा उनकी चूत पर रगड़ा। उनकी चूत इतनी गीली थी कि लंड आसानी से फिसल रहा था। मैंने धीरे से एक धक्का मारा, और मेरा आधा लंड उनकी चूत में समा गया। मॉम ने एक गहरी सिसकारी भरी, “आह… बेटा… कितना मोटा है तेरा…”

मैंने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया। उनकी चूत की गर्मी और टाइटनेस ने मुझे पागल कर दिया। हर धक्के के साथ मॉम की चूचियाँ उछल रही थीं, और उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थी। “और जोर से, नीरज… अपनी मॉम की चूत फाड़ दे!” मॉम चिल्लाई। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, और हर धक्का उनकी चूत की गहराई तक जा रहा था। मॉम ने अपनी टाँगें मेरी कमर पर लपेट दी, और उनकी नाखून मेरी पीठ में गड़ रहे थे।

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कुछ देर बाद मैंने मॉम को घोड़ी बनाया। उनकी मोटी गांड मेरे सामने थी, और मैंने उनके गुदाद्वार को अपनी उंगली से सहलाया। “बेटा, वहाँ अभी नहीं…” मॉम ने कहा, लेकिन उनकी आवाज़ में एक शरारत थी। मैंने उनकी चूत में फिर से लंड डाला और पीछे से जोर-जोर से धक्के मारने लगा। उनकी गांड हर धक्के के साथ लहरा रही थी, और मैंने उनके मम्मों को पीछे से पकड़कर मसलना शुरू किया। “आह… हाय… मर गई…” मॉम की सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गई थी।

मैंने मॉम को फिर से सीधा लिटाया और उनकी टाँगें अपने कंधों पर रखी। इस बार मैंने पूरा लंड उनकी चूत में उतार दिया। हर धक्का उनकी बच्चेदानी तक जा रहा था, और मॉम की आँखें आनंद से बंद हो रही थी। “बेटा… और तेज… मैं फिर से झड़ने वाली हूँ…” मॉम ने कहा। मैंने अपनी पूरी ताकत लगा दी, और कुछ ही मिनटों में मॉम फिर से झड़ गई। उनकी चूत ने मेरे लंड को जकड़ लिया, और मैं भी अब झड़ने वाला था। “मॉम, कहाँ निकालूँ?” मैंने हाँफते हुए पूछा।
“मेरे मम्मों पर, बेटा!” मॉम ने कहा।

मैंने लंड बाहर निकाला और उनके मम्मों पर सारा माल छोड़ दिया। मॉम ने मेरे लंड को पकड़कर सहलाया और बाकी बूँदें भी निचोड़ ली। हम दोनों हाँफते हुए एक-दूसरे के बगल में लेट गए। मॉम ने मेरे गाल पर एक प्यार भरा चुम्मा दिया और बोली, “बेटा, तूने अपनी मॉम को सच्चा सुख दिया।”

लेकिन रात अभी बाकी थी। कुछ देर बाद मॉम ने फिर से मेरे लंड को सहलाना शुरू किया। “एक बार और, बेटा,” मॉम ने शरारती अंदाज़ में कहा। इस बार मैंने मॉम को अपनी गोद में बिठाया और उनके मम्मों को चूसते हुए उनकी चूत में लंड डाला। मॉम ऊपर-नीचे हो रही थी, और उनकी सिसकारियाँ फिर से कमरे में गूंज रही थी। हमने उस रात चार बार चुदाई की, हर बार अलग-अलग तरीके से। मॉम की चूत की गर्मी और उनकी सिसकारियों ने मुझे ऐसा नशा दिया कि मैं सब कुछ भूल गया।

अगले दिन सुबह मॉम ने मुझे प्यार से जगाया और नाश्ता बनाया। लेकिन उनकी मुस्कान में अब एक नई शरारत थी। एक दिन पापा को शक हुआ, क्योंकि मॉम और मैं ज़्यादा करीब हो गए थे। मॉम ने हँसते हुए बात को टाल दिया, “अरे, नीरज अब बड़ा हो गया है, माँ-बेटे में थोड़ा मज़ाक तो चलता है।” पापा को यकीन हो गया, और हमारा राज़ सुरक्षित रहा।

अब मैं और मॉम हर रात एक-दूसरे की प्यास बुझाते हैं। मॉम का गोरा जिस्म, उनकी रसीली चूत, और उनकी सिसकारियाँ मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गई हैं। हम दोनों अब सिर्फ माँ-बेटे नहीं, बल्कि एक-दूसरे के जिस्मानी साथी हैं। आपको मेरी कहानी कैसी लगी, ज़रूर बताना!

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