गाँव की गोरी को डॉक्टर ने चोदा -1

एमबीबीएस की डिग्री मिलते ही मेरी पोस्टिंग उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में हो गई। यह गाँव इतना पिछड़ा था कि यहाँ के लोग नीम-हकीमों, ओझाओं और झाड़-फूँक वालों के भरोसे जीते थे। मेरे आने से पहले किसी डॉक्टर ने यहाँ कदम नहीं रखा था। गाँव वालों ने मेरा स्वागत ऐसे किया, मानो कोई देवता अवतरित हो गया हो। मेरा बंगला गाँव के बाहर था, जहाँ खेतों की मिट्टी और नदी की नमी की खुशबू हवा में घुली रहती थी। बंगले में ही मेरी डिस्पेन्सरी थी, जहाँ रोज़ मरीज़ों की भीड़ लगती। गर्मी के दिनों में पंखे की हवा भी पसीने की चिपचिपाहट को दूर नहीं कर पाती थी। Village Girl and Doctor Sex story

जल्द ही मैं गाँव वालों के लिए भगवान-सा बन गया। बीमारी हो या सलाह, लोग मेरे पास दौड़े चले आते। मैं भी कभी मना नहीं करता, चाहे सुबह हो या आधी रात। गाँव में एक साल गुज़रने के बाद मैंने यहाँ की औरतों और लड़कियों की खूबसूरती पर गौर किया। एक से बढ़कर एक हसीनाएँ थीं, पर मास्टर जी की बेटी गोरी ने मेरा दिल चुरा लिया। उसका गोरा बदन, लंबी काया, भरे-पूरे उरोज, पतली कमर और मटकते नितंब किसी को भी दीवाना बना दें। मैंने कई रातें उसे सोचकर बिताईं, पर किस्मत ने उसकी शादी ठाकुर के बेटे राजन से कर दी।

यह जोड़ी बिल्कुल बेमेल थी। गोरी, जो किसी अप्सरा-सी थी, और राजन, काला-कलूटा, सूखा-सा, जिसकी मर्दानगी पर मुझे शक था। शादी के एक साल बाद ठकुराइन मेरे बंगले पर आई। चिंता में डूबी वह बोली, “डॉक्टर साहब, मेरी बहू को बच्चा नहीं हो रहा। न जाने क्या गड़बड़ है। बेटा-बहू कुछ बताते नहीं, पर मुझे डर है कि गोरी बाँझ तो नहीं?” मैंने उसे तसल्ली दी, “आप राजन और गोरी को मेरे पास भेजें, मैं देख लूँगा।” ठकुराइन ने गुप्त रखने की विनती की, क्योंकि यह खानदान की इज़्ज़त का सवाल था।

एक शाम राजन और गोरी मेरे क्लिनिक आए। गोरी की साड़ी में लिपटी काया, गोरे गालों पर हल्की लाली, और आँखों में छुपी प्यास ने मुझे बेकाबू कर दिया। उसकी चूचियाँ साड़ी के नीचे उभरी हुई थीं, मानो ब्लाउज़ फाड़कर बाहर आने को बेताब हों। राजन को देखकर लगता था कि वह न मर्द है, न जोशीला। धीरे-धीरे दोनों मुझसे खुलने लगे। राजन ने एक दिन शरमाते हुए कबूल किया कि वह गोरी की चूत में लंड नहीं डाल पाता। कोशिश करते ही गोरी दर्द से चिल्लाने लगती, और वह उसे तकलीफ़ नहीं देना चाहता था। गोरी को भी राजन का सूखा बदन देखकर कोई उत्तेजना नहीं होती थी।

मैंने मौके का फायदा उठाया। ठकुराइन और राजन को बुलाकर कहा, “गड़बड़ राजन में नहीं, गोरी की चूत में है। एक छोटा-सा ऑपरेशन करना होगा, जिससे उसकी योनि खुल जाएगी।” ठकुराइन खुश हो गई, पर राजन ने पूछा, “साहब, क्या गोरी को आपके सामने नंगी होना पड़ेगा?” मैंने कहा, “हाँ, राजन। यह ज़रूरी है। वरना तू गोरी की जवानी का मज़ा कभी नहीं ले पाएगा।” राजन ने हाथ जोड़कर कहा, “साहब, कुछ भी कीजिए, बस हमारा आँगन बच्चे की किलकारी से गूँज उठे।” मैंने भरोसा दिलाया कि गोरी को कुछ दिन मेरे क्लिनिक में रखकर मैं सब ठीक कर दूँगा।

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गोरी मेरे बंगले में आ गई। वह मिलनसार थी, मुझसे हँसकर बात करती थी। उसकी हर अदा मेरे लिए इम्तिहान थी। उसका गोरा बदन, कसी चूचियाँ, और मटकती गाँड देखकर मेरा मूसल हर बार तन जाता था। मेरा लंड, जो 8 इंच लंबा और मोटा था, उसका सुपारा लाल टमाटर-सा चमकता था। महीनों से मैंने कोई औरत नहीं चोदी थी, और गोरी की जवानी मेरे सब्र को तोड़ रही थी।

गोरी के आने का दूसरा दिन था। पहली रात मैंने किसी तरह काटी, पर अब मुझसे रहा नहीं गया। उसकी हँसी, साड़ी से झलकता गोरा पेट, और नशीली नज़रें मुझे पागल कर रही थीं। रात को क्लिनिक बंद करने के बाद मैंने कहा, “गोरी, तेरे केस के बारे में ज़रूरी बात करनी है। मेरे कमरे में आ।” वह साड़ी में लिपटी मेरे सामने बैठी। उसकी चूचियाँ ब्लाउज़ में कैद थीं, और उसकी गहरी नाभि साड़ी के नीचे चमक रही थी। मैंने कहा, “गोरी, जो बातें मैं पूछूँगा, शायद राजन के बिना नहीं पूछनी चाहिए। पर इलाज के लिए मुझे सच जानना है। सच-सच बताना।”

उसने नज़रें झुका लीं। मैंने पूछा, “राजन कहता है, तू माँ बनने के काबिल नहीं। क्या सच है?” वह रुआँसी हो गई, “नहीं, साहब। मेरे में कोई कमी नहीं। मैं माँ बन सकती हूँ। पर वह… वह मेरी चूत में लंड नहीं डाल पाते।” मैंने अनजान बनकर पूछा, “क्या नहीं कर पाते?” वह शरमाई, “साहब, आप पराए मर्द हैं। मुझे शर्म आती है।” मैंने दरवाज़ा बंद किया, खिड़कियों में चिटकनी लगाई, और कहा, “अब कोई नहीं सुनेगा। डॉक्टर से कुछ नहीं छुपाना। हो सकता है, इलाज के लिए मुझे तुझे नंगी करना पड़े।”

वह चुप रही। मैंने पूछा, “क्या राजन तेरी चूत में लंड डाल पाता है?” उसने कहा, “नहीं, साहब। वह कोशिश करते हैं, पर मैं दर्द से चिल्लाने लगती हूँ।” मैंने कहा, “तो तू अभी तक कुँवारी है?” वह बोली, “हाँ, साहब। शादी को साल भर हो गया, पर मैं तड़पती रह जाती हूँ।” मैंने पूछा, “क्या तुझे चुदाई की प्यास नहीं?” वह बोली, “कौन-सी लड़की नहीं चाहती कि कोई बलिष्ठ मर्द उसकी चूत को लूट ले? पर राजन को देखकर मेरी सारी प्यास मर जाती है।”

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मैंने उसका हाथ थामकर कहा, “चिंता मत कर। मैं सब ठीक कर दूँगा। बिस्तर पर लेट जा, मुझे तेरा चेकअप करना है।” वह बोली, “ऊपर से देख लीजिए, साहब।” मैंने हँसकर कहा, “तू तो किसी हूर-सी है। तुझे देखकर मर्द का लौड़ा तन जाए। मुझे देखना है कि तू कुँवारी कैसे बची है। साड़ी उतार।” वह शरमाई, “मुझे शर्म आती है!” मैंने कहा, “डॉक्टर से शर्माएगी, तो इलाज कैसे होगा?”

वह बिस्तर पर लेट गई। मैंने उसकी साड़ी खींची, और वह ब्लाउज़ और पेटीकोट में थी। उसका गोरा पेट, गहरी नाभि, और कसी चूचियाँ देखकर मेरा मूसल तन गया। मैंने पेटीकोट ऊपर सरकाया और हाथ अंदर डाला। उसकी मखमली गुफा नंगी थी। मैंने उसकी चूत के होंठों को सहलाया। वह सिसकी, और उसकी जाँघों ने मेरे हाथ को दबाया। उसकी चूत टाइट थी, मानो किसी मर्द का सालों से इंतज़ार कर रही हो। मैंने उंगली अंदर घुसाई। वह उछली, और सिसकारी निकली, “उई माँ!”

मैंने उंगली अंदर-बाहर की, और उसकी चूत गीली हो गई। उसका रस मेरी उंगलियों को भिगो रहा था। मैंने पूछा, “कैसा लग रहा है?” वह बोली, “बहुत अच्छा, साहब।” मैंने कहा, “राजन ऐसा करता था?” वह छटपटाते हुए बोली, “नहीं, साहब। वह तो कुछ जानते ही नहीं।” मैंने उसकी चूत को खोदते हुए कहा, “अगली बार राजन के पास जाने से पहले अपनी चूत के सारे बाल साफ़ कर ले। उसे मज़ा आएगा।” वह बोली, “उन्होंने ऐसा कभी नहीं कहा।” मैंने कहा, “बाथरूम में रेज़र है। जा, साफ़ कर।”

वह गई और लौटी। मैंने पूछा, “हो गया?” वह बोली, “हाँ, साहब। मैंने पहले भी रेज़र यूज़ किया है।” मैंने कहा, “लेट जा।” इस बार वह बिना हिचक लेट गई। मैंने पेटीकोट का नाड़ा खींचा, और वह खुल गया। उसकी 22 इंच की कमर, 34 इंच के नितंब, और मांसल जाँघें मेरे सामने थीं। उसने मेरा हाथ पकड़ा, “साहब, आप मुझे नंगी कर रहे हैं!” मैंने कहा, “देख लूँ कि तूने बाल ठीक साफ़ किए या नहीं।”

मैंने पेटीकोट पूरा खींचकर फेंक दिया। उसका गोरा बदन, सपाट पेट, और विशाल नितंब सिर्फ़ ब्लाउज़ में थे। वह शरम से आँखें बंद करके पेट के बल हो गई। मैंने कहा, “पलट, गोरी! इतनी खूबसूरत काया पर गर्व कर।” मैंने उसके नितंबों पर हाथ रखकर उसे पलट दिया। उसकी गोरी चूत जाँघों के बीच चमक रही थी। पंखुड़ियाँ फड़क रही थीं, और गीलापन साफ़ दिख रहा था।

मेरा लंड अंडरवियर में तूफ़ान मचा रहा था। मैंने उसकी चूत पर उंगलियाँ फिराईं और पूछा, “क्या राजन तेरी चूत को चूमता है?” वह बोली, “नहीं, साहब!” मैंने उसके नितंबों पर हाथ रखकर पूछा, “यहाँ?” वह मादक आवाज़ में बोली, “नहीं, साहब। आप कैसी बातें कर रहे हैं?” उसकी चूचियाँ ब्लाउज़ में तन गई थीं। मैं बिस्तर पर चढ़ गया और उसकी चूचियों को मसलने लगा। वह तड़पी, “साहब, ये क्या कर रहे हैं?” मैंने कहा, “मुझे देखना है कि राजन ठीक करता है या नहीं।”

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वह बोली, “आपके हाथों में मर्दानी ताकत है। बहुत अच्छा लग रहा है।” मैंने उसकी कमर पकड़कर उठाया, और उसका ब्लाउज़ चूचियों के दबाव से फट गया। दो गोरी, कसी चूचियाँ बाहर उछल पड़ीं। 32-22-34 की काया, दूध-सी गोरी, मेरे सामने नंगी थी। मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू किया। मेरे होंठों ने उसे जकड़ लिया। मेरे एक हाथ ने उसे मेरे बदन से चिपकाया, और दूसरे ने उसकी चूत में उंगली डाल दी। मैंने उसकी क्लिटोरिस को मसला, और उसके नितंब ऊपर उठने लगे। वह मतवाली हो गई।

मैंने पूछा, “क्या राजन ने ऐसा किया?” वह बोली, “नहीं, साहब। वह तो सीधे चढ़कर थक जाते हैं।” वह छटपटाते हुए बोली, “जाँच ख़त्म हुई, साहब?” मैंने कहा, “अब मैं वही करूँगा, जो एक मर्द को ऐसी तड़पती औरत के साथ करना चाहिए। तेरा कौमार्य मेरा मूसल तोड़ेगा।” मेरी उंगली ने उसकी चूत में गीला रस महसूस किया, जो जाँघों को भिगो रहा था। वह चीखी, “साहब, मैं रुसवा हो जाऊँगी!” मैंने कहा, “मुझ पर भरोसा रख। मैं तुझे जवानी का सुख दूँगा और हर मुसीबत से बचाऊँगा। आज के बाद राजन तेरी चूत में लंड डाल सकेगा, और तू माँ बन जाएगी।”

वह बोली, “कैसे, साहब?” मैंने उसकी चूचियों को मसलते हुए कहा, “तेरी चूत का द्वार बंद है। मैं इसे अपने लौड़े से खोल दूँगा।” उसकी चूचियाँ सख्त हो गई थीं। उसका बदन पसीने से चमक रहा था। वह डरते हुए बोली, “साहब, मेरी इज़्ज़त से मत खेलिए!” मैंने कहा, “तेरी चूत का गीला रस बता रहा है कि तुझे मर्द चाहिए।” वह नशीली नज़रों से बोली, “साहब, मैं माँ बनूँगी ना?” मैंने कहा, “हाँ, गोरी।” वह बोली, “तो अपनी फीस ले लो। मेरी जवानी आपकी है।” मैंने कहा, “आ जा, मेरी रानी!”

कहानी जारी रहेगी।
कहानी का अगला भाग: गाँव की गोरी और डॉक्टर-2

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