खेल-खेल में बेटी को चोदा-3

पिछला भाग पढ़ें:- खेल-खेल में बेटी को चोदा-2

अपनी बेटी नम्रता की सील तोड़कर मैं सातवें आसमान पर था। उसकी तारीफ कि मैंने उसकी सोच से कहीं ज्यादा मस्त चोदा, ने मेरे लंड में आग लगा दी। दो घंटे बाद, जब मैं उसे कुतिया बनाकर जोर-जोर से पेल रहा था, उसकी गांड मेरे हर धक्के के साथ हिल रही थी। अचानक वो चिल्लाई, “पापा, तू इतना जबरदस्त लौड़ा पेलता है, तो मम्मी उस मोटे राघव और अपने बेटे से भी छोटे लौंडे से क्यों चुदवाती है?” मैंने उसकी चूचियाँ मसलते हुए, और गहरा धक्का मारते हुए पूछा, “रानी, तुझे ये सब किसने बताया?”

नम्रता ने अपनी गांड मेरे लंड पर ठेली, और सिसकारते हुए बोली, “किसने बताया? उस रंडी को राघव से चुदवाते मैंने अपनी आँखों से देखा। मेरी बर्थडे वाली रात मैं तुझसे चुदवाना चाहती थी, पापा। तुझे ढूँढने छत पर गई, तो देखा तू संध्या मैडम को पेल रहा था। उसकी चूत में तेरा लौड़ा अंदर-बाहर हो रहा था, और वो कुतिया सिसकारियाँ भर रही थी। मैंने तुम्हारी पूरी चुदाई देखी। तूने उसे दो बार चोदा, फिर भी उससे चिपका रहा। गुस्से में नीचे आई, तो मम्मी के कमरे से किसी मर्द की सिसकारियाँ सुनाई दीं। खिड़की से झाँका, तो वो रंडी राघव के ऊपर चढ़कर अपनी चूत ठोक रही थी।”

वो मेरे धक्कों के साथ चूत रगड़ रही थी, और बोली, “उस मोटे राघव का लंड तेरे जितना ना लंबा था, ना मोटा। मैंने उनकी चुदाई देखी, फिर गुस्से में अपने बेड पर सो गई। सुबह नींद खुली, तो तुझे अपने बगल में देखा। तू मेरे पास था, फिर भी मुझे चोदा क्यों नहीं?” उसकी बातों ने मेरे लंड को और सख्त कर दिया। मैंने उसकी टाइट चूचियाँ दबाते हुए, चूत में लंड पेलते हुए कहा, “रानी, उस रात संध्या ने मुझे चूस-चूसकर निचोड़ लिया था। मैं उसे कॉलेज के दिनों से चोद रहा हूँ। पहले मम्मी के कमरे गया, दरवाजा बंद था। खिड़की से देखा, अंधेरा था। मुझे नहीं पता था कि वो राघव से चुदवा रही थी। फिर तेरा कमरा खुला देखा। तू इतनी मासूम लग रही थी कि मैं तुझे छू भी नहीं सका। तू मेरी बेटी है, यही सोचकर तेरे बगल में सो गया।”

नम्रता ने मेरी गांड पर नाखून गड़ाए, और चिल्लाई, “सुबह जब तुझे देखा, मेरा दिल बाग-बाग हो गया। मैंने तेरा पजामा खोला, और तेरा लंड सहलाने लगी। कुछ ही देर में वो लोहे की तरह सख्त हो गया। मैंने तेरे सुपाड़े को चूसना शुरू किया, जैसे कोई लॉलीपॉप हो। तू झड़ने लगा, और मेरे कुत्ते, तुझे पता भी नहीं चला! तू खर्राटे मार रहा था, और मैंने तेरे रस की हर बूँद गटक ली।”

वो रुकी, सिसकारी, और बोली, “फिर भी मेरा मन नहीं भरा। मैं नंगी होकर तेरे ऊपर चढ़ गई। अपनी चूचियाँ तेरे मुँह पर रगड़ीं, चूत को तेरे होंठों पर मसला। लेकिन संध्या ने तुझे ना जाने क्या खिला दिया, तू बेहोश की तरह सोया रहा। मैंने इतना चूत रगड़ी कि मैं झड़ गई। कपड़े पहनकर बाहर आई, तो राघव जाँघिया पहनकर चाय पी रहा था।”

उसकी गंदी बातों ने मेरे लंड में और आग भर दी। मैं और तेजी से पेलते हुए बोला, “वो हरामी तुझे देखकर घबरा गया होगा?” नम्रता ने अपनी गांड मेरे लंड पर जोर से ठेली, और बोली, “नहीं, वो बेटीचोद बिल्कुल नहीं घबराया। मुझे अपने पास बिठाया। मैंने सीधे पूछा कि वो मम्मी को कब से चोद रहा है। उसने कहा कि वो तुम्हारी शादी के चार महीने बाद से मम्मी को पेल रहा है। और दावा किया कि मैं और विनोद उसके बच्चे हैं।”

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उसकी बात ने मुझे गुस्सा और चुदास दोनों दिला दी। मैंने लंड बाहर खींचा, नम्रता को पलटा, और उसका मुँह पकड़कर पूरा लंड उसके गले में पेल दिया। नम्रता ने लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसना शुरू किया। एक हाथ से मेरे अंडकोषों को मसला, और दूसरे से लंड की जड़ पकड़कर मुँह में अंदर-बाहर किया। मैं इतना गर्म था कि उसके माथे को पकड़कर लंड दबाया, और मेरा रस उसके मुँह में फव्वारे की तरह छूटा। नम्रता ने सारा रस चूस लिया, फिर मुँह खोलकर दिखाया। उसका मुँह मेरे गाढ़े, सफेद रस से भरा था। वो सारा रस गटक गई, और मुस्कुराते हुए बोली, “पापा, तेरे रस का स्वाद किसी अमृत से कम नहीं।”

मैंने उसे अपनी बाँहों में कसकर जकड़ लिया, और उसके रसीले होंठ बार-बार चूसते हुए कहा, “मेरी कुतिया बेटी, चाहे तेरी रंडी मम्मी कुछ भी बोले, मैं कभी नहीं मानूँगा कि तू और विनोद मेरे बच्चे नहीं हो।” लेकिन नम्रता का दिमाग कुछ और था। वो बोली, “जिस दिन वो रंडी बोलेगी कि हमारा बाप राघव है, मैं उसी के सामने तुझसे ऐसी चुदाई करवाऊँगी। हरामी, इतना देर तो सड़क का कुत्ता भी नहीं चोदता। अब तू बाहर जा, मैं नहीं चाहती कि मम्मी हमें आज साथ देखे। तूने अपनी कुतिया को बहुत ठंडा किया, रात को तुझे मस्त इनाम दूँगी।”

मैंने उसे मनाने की कोशिश की, लेकिन वो अपनी माँ की तरह जिद्दी थी। मैंने कपड़े पहने, अणिमा का फोन लिया, और बाहर निकल गया। तब शाम के 6:15 बज रहे थे। मैंने नम्रता के साथ चार घंटे से ज्यादा चुदाई की मस्ती मारी।

किस्मत से अणिमा का फोन मेरे हाथ लगा था। राघव 24 साल से मेरी बीवी को चोद रहा था, और मुझे भनक तक नहीं। मैंने सोचा, राघव से सीधे बात करूँगा, और उसके सामने उसकी बहू संध्या को चोदकर उसका गुरूर तोड़ूँगा। कार मेन रोड पर लाई, तो मेरे जिगरी दोस्त प्रेम की याद आई।

प्रेम मेरा बचपन का यार था। हमने मिलकर 50 से ज्यादा चूत चोदी थीं। मैंने उसकी माँ, दोनों बहनों, और बीवी को पेला था। मैंने उसकी माँ और बहनों को चुदवाने में मदद की। मेरी माँ अब नहीं थी, लेकिन मेरी दोनों बहनें जब भी आती थीं, प्रेम से चुदवाती थीं। प्रेम ने अणिमा को पटाने की कोशिश की, लेकिन अणिमा ने उसे कभी भाव नहीं दिया।

मैंने कार प्रेम की दुकान के सामने रोकी। वो मुझे देखते ही दौड़ा, और बोला, “नरेन, मेरी बेटी और बहन ससुराल से आई हैं, और तुझसे चुदवाने की जिद कर रही हैं। कल पूरा दिन हमारे साथ गुजार, और दोनों को साथ में शीला को भी पेल।”

मैंने अणिमा का फोन उसे थमाया, और बोला, “इसके सारे वीडियो पेनड्राइव में डाल दे। लेकिन खबरदार, कोई वीडियो देखने की कोशिश मत करना।” फिर हँसते हुए कहा, “3-4 गंदी से गंदी चुदाई की वीडियो भी डाल। अगर तेरी चुदाई का कोई वीडियो हो, तो वो भी। अणिमा को तेरा चेहरा पसंद नहीं, लेकिन तेरी चुदाई देखकर वो तुझसे जरूर चुदवाएगी। जल्द ही तेरा लंड मेरी रंडी बीवी की चूत में घुसेगा।”

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प्रेम उदास होकर बोला, “यार, जले पर नमक मत छिड़क। अणिमा को मेरे जैसे बदसूरत का लंड नहीं, तेरे जैसे खूबसूरत मर्द का लौड़ा चाहिए। तेरी माँ और बहनों को मेरे लंड का जादू पता था, इसलिए वो चुदवाती थीं। अणिमा एक बार मुझसे चुदवा ले, तो बार-बार आएगी।”

मुझे नम्रता की चुदाई याद आई। मैंने कहा, “प्रेम, अणिमा जल्द तुझसे चुदवाएगी। नम्रता भी जवान हो गई है, और चुदवाने लगी है। उसे पटा, वो जल्दी पट जाएगी।” लेकिन प्रेम को मेरी बेटी नहीं, मेरी बीवी चाहिए थी। वो बोला, “मुझे बड़ी उम्र की माल पसंद हैं। नम्रता को तू ही चोद। फोन की बैटरी कमजोर है, बदल दूँ?”

मैंने बैटरी बदलने को कहा। उसने फोन, पेनड्राइव, और एक कैप्सूल दिया। बोला, “ये कैप्सूल खा ले, और कल-परसों इसका असर बता।” प्रेम की दुकान मोबाइल के साथ पॉर्न और ताकत की दवाएँ बेचती थी। मुझे भरोसा था कि वो मुझे नुकसान नहीं पहुँचाएगा। मैंने कैप्सूल चबाया, और कार राघव के घर की ओर मोड़ दी।

शाम 7:15 बजे मैंने संध्या के दरवाजे पर दस्तक दी। संध्या ने दरवाजा खोला, और मुझे देखते ही मेरे गले लग गई। उसका टाइट ब्लाउज उसकी भारी चूचियों को मुश्किल से थामे था। वो चिल्लाई, “नरेन, उस मोटे राघव से जान बची। समझ नहीं आता, अणिमा को चोदने के बाद वो मुझे कैसे छू लेता है? तूने उसे चोदना बंद किया, तभी तो वो हर दूसरे दिन मेरे ससुर को पेलने आती है, और फिर वो बेटीचोद मुझे रगड़ता है।”

अचानक राघव की आवाज आई, “अणिमा मेरे पास इसलिए आती है, क्योंकि उसे मेरा लंड तुझसे ज्यादा भाता है, नरेन।” मैंने देखा, राघव नंगा खड़ा था। उसका लंड अभी भी गीला चमक रहा था। नम्रता ने उसे सही कहा था—हाथी जैसा मोटा, 100 किलो का।

मैंने दरवाजा बंद किया, और संध्या को वहीं दीवार से सटाकर नंगा कर दिया। उसकी साड़ी फर्श पर गिरी, और उसकी चिकनी चूत मेरे सामने चमक रही थी। मैंने अपने कपड़े उतारे, और संध्या को कमर से पकड़कर उठाया। उसने अपनी टाँगें मेरी कमर पर लपेटीं, और मेरे गले में बाँहें डाल दीं। कमरे में जाते हुए मैंने राघव को ताना मारा, “अंकल, जब मेरी रंडी बीवी रोज तुमसे चुदवाती है, तो मेरी संध्या को क्यों तंग करते हो? मैं इसे अपने घर ले जाता हूँ, और अणिमा को तुम्हारे पास भेज देता हूँ। दिन में उसे बैंक में पेलो, रात में गांड मारो। चल, संध्या, अपने राजा का लौड़ा ले।”

मैं डाइनिंग टेबल की कुर्सी पर बैठा, और संध्या मेरे लंड पर कूदने लगी। उसकी गीली चूत मेरे लंड को चूस रही थी। मैं उसकी भारी चूचियों को चूस रहा था, और वो सिसकारियाँ भर रही थी, “आह, नरेन… और जोर से!” राघव अपना ढीला लंड सहलाते हुए हमारी चुदाई देख रहा था। मैंने संध्या को ले जाने की बात कही, जो उसे पसंद नहीं आई। वो बोला, “अणिमा 24 साल से मुझसे और दूसरों से चुदवाती है, लेकिन वो तुझे बहुत प्यार करती है। जब तू 6-6 महीने ट्रेनिंग पर जाता था, मैं हर रात उसकी चूत में लंड पेलता था। मैंने तेरी बीवी को तुझसे ज्यादा चोदा है। लेकिन वो मुझे छोड़कर मेरे पास नहीं आएगी। अगर वो आई, तो नम्रता भी आएगी।”

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राघव ने मेरे सवाल का जवाब खुद दे दिया। मुझे नम्रता की चुदाई याद आई। मैंने उसे और चिढ़ाने के लिए कहा, “तुमने अणिमा को तब चोदा, जब वो नम्रता से छोटी थी। अगर नम्रता भी तुम्हारे पास आए, तो मैं नहीं रोकूँगा। वो अपनी माँ से ज्यादा मस्त माल है। और अगर वो तुम्हारी बेटी है, तो मैं उसे जल्दी चोदूँगा, और तुम भी पेल लेना।”

राघव का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। वो चिल्लाया, “मैं इतना नीच नहीं कि अपनी बेटी को चोदूँ!” मुझे उसे तंग करना मजा दे रहा था। मैंने संध्या की चूचियाँ चूसते हुए कहा, “अगर अणिमा ने भी कहा कि नम्रता तुम्हारी बेटी है, तो मैं तेरे लंड की कसम, मैं ही उसे चोदूँगा। तुझे तो मेरा जूठन खाने की आदत है। अणिमा और उसकी माँ को मैंने चार महीने चोदा, तब तूने शुरू किया। तेरी बहन भूमिका की सील मैंने तोड़ी, सात महीने पेला, तब तूने उसकी चूत में लंड डाला। भूमिका से पूछ, उसकी बेटी करिश्मा का पहला मर्द मैं हूँ। तू मेरे पीछे-पीछे मेरी बीवी को चोदता है। अब चाहे जब मेरे घर आ, अणिमा को पेल। चाहे हर रात मेरे घर में उसे चोद। नम्रता तुझे चार महीने पहले अणिमा को चोदते देख चुकी है। लेकिन अगर तूने मेरी संध्या को छुआ, तो तेरे बैंक के सारे डायरेक्टर और स्टाफ को पता चल जाएगा कि तूने अणिमा को चोदने के लिए नौकरी दी, और दूसरे डायरेक्टरों से भी चुदवाता है।”

राघव बोला, “जावेरी ने खुशामद की, तो मैंने अणिमा से कहा, और वो खुद उसके पास जाने लगी। आज भी उसने पहले जावेरी से चुदवाया, फिर मेरे पास आई।” कुछ देर चुप रहकर वो उदास बोला, “तीन महीने से डायरेक्टर जोशी का बेटा अशोक भी उसे चोद रहा है। नरेन, मैं अब संध्या को नहीं छूँगा, लेकिन प्लीज, मुझे और अणिमा को बदनाम मत कर।”

सारी बात साफ हो गई। मैंने फिर धमकी दी, “अणिमा और नम्रता को जितना चोदना है, चोद। लेकिन संध्या को छुआ, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। अब हमें डिस्टर्ब मत कर, देख, मैं तेरी बहू की चूत को कितना खुश करता हूँ।”

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