देवर की नजर मेरे बूब्स को घूरती रहती

नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम ललिता है, 22 साल की जवान, शादीशुदा औरत। मेरी शादी को अभी तीन महीने हुए हैं, और मेरी जिंदगी मस्त चल रही है। मेरा मर्द, यानी मेरा पति, मुंबई में आर्किटेक्ट है, 27 साल का, और दिखने में ऐसा माल कि बस देखते ही बनता है। हम दोनों मुंबई के एक छोटे से फ्लैट में रहते हैं, और घर में सिर्फ़ हम दो ही हैं। लेकिन आज जो कहानी मैं सुनाने जा रही हूँ, वो मेरी चुदास भरी जिंदगी का वो पल है, जिसने मेरी चूत की आग को ठंडा किया और मेरी गांड को जन्नत दिखाई।

शादी से पहले मेरा एक आशिक था, लेकिन हम सिर्फ़ मुँह से मजे लेते थे—थोड़ा लंड चूसना, थोड़ा चूत चटवाना। जब मेरे पति ने पहली बार मेरी चूत मारी, तब तक मैं कुँवारी थी। मेरा फिगर 34-28-36, गोरी चमड़ी, रसीले बूब्स, और उभरी हुई गांड—लोग मुझे देखकर लंड हिलाने लगते हैं। मेरी दिली तमन्ना थी कि मेरा मर्द मुझे रगड़-रगड़ कर चोदे, मेरी चूत और गांड को फाड़ दे, लेकिन मेरा पति दिनभर काम में डूबा रहता। रात को थककर आता, दो-चार धक्के मारता, और सो जाता। मेरी चूत की प्यास अधूरी रह जाती।

एक रात मेरे पति घर आए, और उनके साथ मेरा देवर अंकित भी था। अंकित 19 साल का जवान छोरा, लंबा-चौड़ा, और अपने भैया जितना ही स्मार्ट। दोनों भाइयों को एक साथ देखकर मेरी चूत में करंट सा दौड़ गया। मैंने सोचा, यही मौका है अपनी चुदास मिटाने का। मेरा पति तो मेरी आग नहीं बुझा पाया, लेकिन अंकित का जवान लंड शायद मेरी चूत को ठंडक दे दे। बस, मैंने ठान लिया कि आज रात अंकित को फँसाकर उससे जमकर चुदवाऊँगी।

रात के खाने का टाइम था। मैंने जानबूझकर ब्रा-पैंटी उतार दी और एक पतला सा नाइट गाउन पहन लिया, जो इतना ढीला था कि मेरे बूब्स का आधा हिस्सा झलकता था। गाउन का गला इतना बड़ा कि झुकते ही मेरे रसीले आम साफ़ दिखें। मेरे पति को मेरे ऐसे कपड़ों से कोई ऐतराज़ नहीं था, वो तो कहते थे, “घर में तू जैसी मर्ज़ी रह।” लेकिन अंकित की आँखें मेरे बूब्स पर अटक गईं। मेरे 34B के मोटे-मोटे बूब्स उसे भूखे शेर की तरह ताक रहे थे। मैंने उसे कई बार मेरे बूब्स को घूरते पकड़ा। वो शरमाता, लेकिन उसकी नजर बार-बार मेरे गाउन के अंदर झाँकती। मैं समझ गई कि आज रात ये छोरा मेरे जाल में फँसने वाला है।

खाना खाने के बाद मेरा पति थकान से चूर होकर अपने कमरे में जाकर ढेर हो गया। मैं और अंकित लिविंग रूम में बैठे गप्पें मारने लगे। मैंने सोफे पर इस तरह लेट लिया कि मेरा गाउन ऊपर सरक जाए और मेरी गोरी, चिकनी जाँघें नजर आएँ। बातों-बातों में मैंने उसका हाथ अपने बूब्स पर टच करवाया। ब्रा ना होने से मेरा बूब उछल गया, और अंकित का मुँह लाल पड़ गया। मैंने हँसते हुए कहा, “अरे, कुछ नहीं, मैंने ब्रा नहीं पहनी, इसीलिए ऐसा हुआ।” मेरी ये बात सुनकर उसका लंड पजामे में तन गया। मैंने देखा कि उसका पजामा तंबू बन रहा है।

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मैंने माहौल गरम करते हुए कहा, “क्या बात है, देवर जी? इतना क्यूँ ताक रहे हो मेरे बूब्स को?” वो हकलाते हुए बोला, “नहीं भाभी, बस ऐसे ही।” मैंने ठहाका मारते हुए कहा, “अरे, मुझे ललिता बुला, और जो तू सोच रहा है, वो तेरे पजामे में साफ़ दिख रहा है।” मेरी ये बिंदास बात ने उसे और खोल दिया। उसने हिम्मत जुटाकर पूछा, “तुम घर में हमेशा बिना ब्रा के रहती हो?” मैंने लेटे-लेटे गाउन को और ढीला करते हुए कहा, “हाँ यार, और सिर्फ़ ब्रा ही क्यूँ, मैं तो पैंटी भी नहीं पहनती। घर में अब क्या शरमाना?” ये सुनते ही उसका लंड पजामे में उछलने लगा, और वो मेरे और करीब सरक आया।

अब माहौल पूरी तरह चुदास भरा हो चुका था। उसने बोला, “ललिता, मैं कब से तेरे बूब्स को ताक रहा हूँ, करीब से देखना चाहता हूँ।” मैं कुछ बोलती, उससे पहले उसने अपना हाथ मेरे गाउन के अंदर घुसा दिया। उसके गर्म हाथ मेरे नंगे बूब्स को मसलने लगे, और मेरे निप्पल्स को मरोड़ने लगे। मैंने नखरे करते हुए कहा, “अरे अंकित, ये क्या कर रहा है?” लेकिन मेरी आँखें चुदास से चमक रही थीं। उसने मेरी बात अनसुनी करते हुए कहा, “ललिता, तू भी तो यही चाहती है।” और उसने अपना पजामा नीचे खींच दिया। उसने मेरा हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया और बोला, “देख, मैंने भी तो अंदर कुछ नहीं पहना।”

उसका लंड देखकर मेरी चूत में बिजली दौड़ गई। 8 इंच लंबा, मोटा, और गर्म लंड मेरे हाथ में धड़क रहा था। उसकी नसें उभरी हुई थीं, और टोपा गुलाबी, चमकता हुआ। मेरी चूत गीली हो चुकी थी। मैंने उसका लंड सहलाते हुए कहा, “अगर तुझे मेरे बूब्स करीब से देखने हैं, तो देख ले, लेकिन मुझे बदले में ये मोटा लंड चाहिए।” मैं उठी और उसे आँख मारते हुए उसके बेडरूम की ओर चल दी। अंकित मेरे पीछे लपका। कमरे में घुसते ही मैंने अपना गाउन उतार फेंका। अब मैं पूरी नंगी उसके सामने थी। मेरे गोरे बूब्स, उभरे निप्पल्स, पतली कमर, और चिकनी, गीली चूत उसे पागल कर रहे थे।

अंकित ने मेरे बूब्स को दोनों हाथों से मसला और भूखे कुत्ते की तरह मेरे निप्पल्स चूसने लगा। उसका एक हाथ मेरी चूत पर गया, और उसने दो उंगलियाँ मेरी गीली चूत में घुसा दीं। वो बोला, “ललिता, तेरी चूत तो आग उगल रही है।” मैं सिसकारते हुए बोली, “तेरा ये मोटा लंड देखकर मेरी चूत पिघल गई। लेकिन अगर भैया जाग गए तो?” उसने हँसते हुए कहा, “वो सुबह तक मरे पड़े रहेंगे, तू टेंशन मत ले।” ये सुनते ही उसने मुझे बेड पर पटक दिया और अपने सारे कपड़े उतार फेंके। उसका जवान, नंगा जिस्म देखकर मेरी चूत और गीली हो गई। उसकी छाती पर हल्के बाल, पतली कमर, और वो तना हुआ लंड—हाय, मैं तो मर ही गई।

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उसने मुझे अपने ऊपर आने को कहा, और हम 69 की पोजीशन में आ गए। उसकी गर्म जीभ मेरी चूत को चाट रही थी, जैसे कोई भूखा शहद चाटता हो। उसने मेरी चूत के दाने को मुँह में लेकर चूसा, और एक उंगली मेरी टाइट गांड में घुसा दी। मैं उसका 8 इंच का लंड मुँह में लेकर चूस रही थी। उसका टोपा मेरे गले तक जा रहा था, और उसका नमकीन स्वाद मेरे होश उड़ा रहा था। मैं सिसकार रही थी—ह्हम्म… आह्ह… और वो मेरी चूत को और ज़ोर से चाट रहा था। मेरी चूत गीली होकर टपक रही थी, और उसकी उंगली मेरी गांड में अंदर-बाहर हो रही थी।

कुछ देर बाद उसने मुझे उठाया और बोला, “ललिता, अब तेरी चूत की बारी है।” मैंने डॉगी स्टाइल में अपनी गांड ऊपर उठाई, और उसने मेरी कमर पकड़कर अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा। उसका गर्म टोपा मेरी चूत के मुँह पर रगड़ रहा था, और मैं तड़प रही थी। फिर उसने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उसका पूरा 8 इंच का लंड मेरी चूत में समा गया। मैं चीखी—आह्ह… धीरे कर, हरामी! लेकिन वो कहाँ मानने वाला था। उसने मेरे बूब्स को मसलते हुए ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने शुरू किए। उसका लंड मेरी चूत की गहराइयों को चीर रहा था, और हर धक्के के साथ मेरी सिसकारियाँ तेज़ हो रही थीं—आह्ह… और ज़ोर से… चोद दे मेरी चूत को…

पहले उसने धीरे-धीरे धक्के मारे, जैसे मेरी चूत का मज़ा ले रहा हो। फिर उसने स्पीड बढ़ा दी। उसका लंड मेरी चूत में इतनी तेज़ी से अंदर-बाहर हो रहा था कि बेड चरमरा रहा था। मेरे बूब्स हवा में उछल रहे थे, और वो उन्हें बार-बार मसल रहा था। मेरी चूत इतनी गीली थी कि चप-चप की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज रही थी। वो मेरी गांड पर थप्पड़ मारते हुए बोला, “ललिता, तेरी चूत तो जन्नत है।” मैं सिसकारते हुए बोली, “हाँ, और ज़ोर से पेल, मेरी चूत फाड़ दे।” करीब 25 मिनट तक उसने मुझे ऐसे ही चोदा। मैं तीन बार झड़ चुकी थी, और मेरी टाँगें काँप रही थीं। लेकिन अंकित का लंड अभी भी पत्थर की तरह टाइट था।

फिर उसने अपना लंड निकाला और बोला, “अब तेरी गांड की बारी, ललिता।” मैंने कहा, “अंकित, मैंने कभी गांड नहीं मरवाई, धीरे करना।” लेकिन उसकी आँखों में चुदास की चमक थी। उसने मेरी गांड पर ढेर सारा थूक लगाया और अपना लंड मेरी टाइट गांड के छेद पर सेट किया। मैंने साँस रोकी, और उसने एक ज़ोरदार धक्का मारा। उसका मोटा लंड मेरी गांड में आधा घुस गया, और मेरी चीख निकल गई—आह्ह… मर गई… निकाल दे! उसने मेरे मुँह पर हाथ रखा और धीरे-धीरे लंड को और अंदर पेलने लगा। दर्द के साथ-साथ मुझे मज़ा भी आने लगा। उसने मेरे बूब्स को मसलते हुए कहा, “ललिता, तेरी गांड तो तेरी चूत से भी टाइट है।”

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मैं सिसकारते हुए बोली, “हाँ, फाड़ दे मेरी गांड, जमकर चोद…” उसने स्पीड बढ़ा दी, और उसका लंड मेरी गांड में पूरा अंदर-बाहर होने लगा। हर धक्के के साथ मेरी गांड में आग लग रही थी, लेकिन वो आग मुझे जन्नत की सैर करा रही थी। वो मेरी गांड पर थप्पड़ मार रहा था, और मेरे बूब्स को मरोड़ रहा था। मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं—आह्ह… ह्हम्म… और ज़ोर से… करीब 20 मिनट तक उसने मेरी गांड मारी। मैं एक बार फिर झड़ गई, और मेरी गांड का छेद उसका लंड चूस रहा था।

फिर उसने मुझे पलट दिया और मेरा सिर पकड़कर अपना लंड मेरे मुँह के पास लाया। मैंने उसका गर्म, धड़कता लंड मुँह में लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। उसका लंड मेरे मुँह में इतना बड़ा लग रहा था कि मेरी साँसें रुक रही थीं। मैंने उसकी गोटियों को सहलाते हुए लंड को गले तक लिया। वो सिसकार रहा था—ह्हम्म… ललिता, तू तो रंडी है… और चूस… दो मिनट में उसका शरीर अकड़ गया, और उसने अपना गर्म, गाढ़ा माल मेरे मुँह में और बूब्स पर उड़ेल दिया। मैं उसकी मलाई को अपने बूब्स पर रगड़ते हुए सिसकारी।

हम दोनों हाँफते हुए बेड पर गिर पड़े। मैंने कहा, “अंकित, तूने तो मेरी चूत और गांड दोनों की आग बुझा दी।” वो हँसते हुए बोला, “ललिता, तू तो चुदक्कड़ है। अब जब भी मौका मिलेगा, तेरी गांड मारूँगा।” मैंने बाथरूम जाकर खुद को साफ़ किया और अपने कमरे में चली गई। लेकिन मेरी चूत अभी भी उस मोटे लंड की धक्कों को याद कर रही थी।

अगले दिन सुबह अंकित मेरे पास आया और चुपके से मेरे बूब्स दबाते हुए बोला, “ललिता, रात का मज़ा फिर ले?” मैंने उसे आँख मारी और कहा, “रात का इंतज़ार कर, आज तेरे लंड को और रगड़ूँगी।” उस रात के बाद हम दोनों जब भी मौका मिलता, चुदाई का खेल खेल लेते। अंकित का मोटा लंड मेरी चूत और गांड का साथी बन गया, और मेरी चुदास अब हर रात जन्नत की सैर करती थी।

आपको मेरी ये चुदास भरी कहानी कैसी लगी, ज़रूर बताना।

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