दोस्तों, मेरा नाम सैम है और मेरी उम्र 19 साल है। ये कहानी कुछ दिन पहले की है, जब मेरे जीवन में एक ऐसी घटना घटी, जिसने मुझे हमेशा के लिए बदल दिया। मेरे घर में चार लोग हैं—मम्मी, पापा, मैं, और मेरी बड़ी बहन प्रिया, जो मुझसे तीन साल बड़ी है। प्रिया 22 साल की है, और हम दोनों का रिश्ता बेहद खास है।
मैं स्वभाव से बहुत शांत हूँ। हमेशा अपनी दुनिया में खोया रहता हूँ, और लोगों से कम बात करता हूँ। खासकर लड़कियों से तो मैं बिल्कुल नहीं बोल पाता। मेरे इस शांत स्वभाव की वजह से लोग मुझे उदास समझते हैं, और शायद इसीलिए मेरा कोई दोस्त नहीं है। लेकिन मेरी जिंदगी में एक इंसान ऐसा है, जिसके साथ मैं अपनी हर बात शेयर करता हूँ—मेरी बहन प्रिया। वो मेरी सबसे अच्छी दोस्त है। वो मुझे समझती है, मेरे मन की बात जानती है। उसे पता है कि मैं बाहर से शांत दिखता हूँ, लेकिन अंदर से कितना शरारती और हवसी हूँ।
प्रिया एक आम दिल्ली की लड़की है—न ज्यादा खूबसूरत, न ज्यादा साधारण। उसका चेहरा सामान्य था, और मैंने उसे कभी गलत नजर से नहीं देखा। मेरे लिए वो सिर्फ मेरी बहन और दोस्त थी। लेकिन कहानी आगे बढ़ने पर आपको पता चलेगा कि कैसे सब कुछ बदल गया।
मैंने 12वीं पास कर ली थी, और मुझे कॉलेज में दाखिला लेना था। मेरा दाखिला एक दूसरे राज्य के कॉलेज में हो गया। मैं नहीं जाना चाहता था, क्योंकि मुझे अकेले रहने और नए लोगों से बात करने का डर था। लेकिन मम्मी-पापा के दबाव की वजह से मुझे जाना पड़ा। कॉलेज में मैंने खुद को पढ़ाई, व्यायाम, और अपने कमरे में समय बिताने तक सीमित रखा। मैंने पार्ट-टाइम काम भी शुरू किया—कंप्यूटर से जुड़ा हुआ, जिससे मुझे अच्छे पैसे मिलने लगे। इन पैसों से मैं बार में जाकर शराब पीता, और अपनी हवस को मुठ मारकर शांत करता। इस दौरान मेरी बॉडी भी काफी फिट हो गई थी—मजबूत कंधे, चौड़ा सीना, और आकर्षक व्यक्तित्व। लेकिन मेरा मन अभी भी अकेला था।
कई महीने बीत गए। मैं मम्मी-पापा और प्रिया से फोन पर कम बात करता था। धीरे-धीरे मैं उन्हें भूलने लगा। मेरा पहला सेमेस्टर खत्म हुआ, और छुट्टियाँ शुरू हो गईं। तभी मुझे घर से मम्मी का फोन आया। उन्होंने बताया कि प्रिया की शादी तय हो गई है, और दो दिन बाद उसकी सगाई है। मुझे तुरंत घर आने को कहा। ये सुनकर मेरा दिल बैठ गया। मेरी सबसे अच्छी दोस्त, मेरी बहन, अब किसी और की होने वाली थी। मैंने खुद को समझाया कि प्रिया खुश होगी, क्योंकि उसका होने वाला पति एक अमीर आदमी था। फिर भी, मेरे दिल में एक अजीब सी बेचैनी थी।
मैं जल्दी से घर पहुँचा। वहाँ शादी की तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही थीं। हर तरफ सजावट हो रही थी, और सब खुश दिख रहे थे। लेकिन मैं अंदर से उदास था। मम्मी-पापा ने मेरा स्वागत किया, मुँह मीठा करवाया, और फिर शादी की तैयारियों में लग गए। मैं भी उनकी मदद करने लगा, लेकिन मेरा ध्यान प्रिया को ढूँढने में था। वो कहीं दिख नहीं रही थी। पूरा दिन तैयारियों में निकल गया।
शाम को प्रिया अपनी सहेलियों के साथ घर आई। उसे देखकर मेरे होश उड़ गए। वो इतनी खूबसूरत और सेक्सी लग रही थी कि मैं विश्वास नहीं कर पा रहा था। उसने शायद शादी की वजह से खुद को पूरी तरह बदल लिया था। उसकी गोरी त्वचा, भरे हुए होंठ, और कसी हुई साड़ी में उसका उभरा हुआ फिगर—सब कुछ मेरे दिल में आग लगा रहा था। मेरे शरीर में जैसे बिजली का करंट दौड़ गया। वो मेरे पास आई और बोली, “कैसा है, सैम?” मैंने हड़बड़ाते हुए कहा, “ठीक हूँ!” और बस उसे देखता रहा। वो अपनी सहेलियों के साथ चली गई, लेकिन मेरे दिमाग में उसकी छवि छप गई। पहली बार मैंने उसे अपनी बहन की जगह एक औरत के रूप में देखा।
मैं भूल गया कि वो मेरी बहन है। मेरे मन में सिर्फ एक ही ख्याल था—मैं उसे पाना चाहता हूँ, उसे चोदना चाहता हूँ। लेकिन ये कैसे संभव था? सगाई के दिन मैंने उसके होने वाले पति को देखा। वो दिखने में साधारण था, बल्कि कहूँ तो बदसूरत। मुझे गुस्सा आया कि इतना लकी इंसान कैसे हो सकता है, जो मेरी खूबसूरत प्रिया को पा रहा है। मैं खुद को कोस रहा था कि काश मैंने पहले कुछ किया होता।
जैसे-जैसे शादी की रस्में आगे बढ़ रही थीं, मेरा दिल और बेचैन होता जा रहा था। मैं अकेला और लाचार महसूस कर रहा था। आखिरकार, मैंने फैसला कर लिया कि मुझे प्रिया को पाना है, चाहे इसके लिए मुझे कितना भी जोखिम क्यों न उठाना पड़े। मैंने एक खतरनाक योजना बनाई।
शादी का दिन आ गया। प्रिया की विदाई हो रही थी। वो रो रही थी, और सबके आँसू भी निकल रहे थे। लेकिन उसका पति खुश था, क्योंकि आज वो प्रिया के साथ सुहागरात मनाने वाला था। प्रिया ने सबको गले लगाया। जब उसने मुझे गले लगाया, मेरे शरीर में फिर से वही करंट दौड़ा। वो कार में बैठकर चली गई। मैंने अपनी योजना को अंजाम देने की तैयारी शुरू कर दी।
उन्होंने एक लग्जरी होटल में कमरा बुक किया था। मैंने भी उसी होटल में कमरा लेने की कोशिश की, लेकिन सारी बुकिंग फुल थी। शादी का कार्ड दिखाकर और होटल स्टाफ से गुजारिश करने के बाद मुझे एक कमरा मिला, जो उनके कमरे से चार मंजिल नीचे था। रात के 11 बज चुके थे। मुझे पता था कि 11:05 बजे उनके कमरे में दूध सर्व किया जाएगा। मैंने मौके का फायदा उठाने का सोचा। मैं होटल के रेस्तरां में गया, जहाँ एक वेटर दो गिलास दूध लेकर जा रहा था। मैंने उसका पीछा किया। हम लिफ्ट में थे। मैंने वेटर से कहा कि मुझे 16वीं मंजिल पर जाना है। जैसे ही वो बटन दबाने लगा, मैंने चुपके से दोनों गिलास दूध में नींद की गोली मिला दी। ये गोली 3-4 मिनट में असर करती थी, लेकिन सिर्फ 15 मिनट तक।
मैं अपने कमरे में लौट गया। मैंने एक दो तरफा जैकेट पहनी थी—एक तरफ काली, दूसरी तरफ नीली। मैंने एक किताब भी साथ रखी, ताकि चेहरा छिपा सकूँ। मैं अजीब ढंग से चलते हुए लिफ्ट में गया। प्रिया और उनके पति का कमरा 20वीं मंजिल पर था। मैंने जैकेट को उलटकर नीला कर लिया और किताब से मुँह ढककर, दूसरी तरह चलने लगा। ये सब मैं सीसीटीवी कैमरों से बचने के लिए कर रहा था। उनके कमरे का कार्ड मैं पहले ही चुरा चुका था। मैं चुपके से उनके कमरे में घुसा। अंदर देखा तो प्रिया और उनका पति सोफे पर बेहोश पड़े थे। शायद नींद की गोली ने असर कर दिखाया था।
मैंने जेब से क्लोरोफॉर्म निकाला और एक रूमाल में डालकर प्रिया के पति के मुँह पर बाँध दिया, ताकि वो और गहरी नींद में चला जाए। फिर मैंने प्रिया को गोद में उठाया। उस पल का अहसास बयान करना मुश्किल है। उसकी गर्म साँसें, उसका मुलायम शरीर—मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गईं। मैं उसे बेडरूम में ले गया और उसकी आँखों पर एक काला कपड़ा बाँध दिया, ताकि उसे पता न चले कि मैं कौन हूँ। मैंने उसके चेहरे पर पानी के छींटे मारे। वो धीरे-धीरे होश में आई। उसने पूछा, “ये पटी क्यों बाँधी है?” मैं चुप रहा, क्योंकि मेरी आवाज से वो मुझे पहचान सकती थी।
बिना कुछ बोले, मैं उस पर चढ़ गया और उसे चूमने लगा। उसके रसीले होंठों का स्वाद मेरे होश उड़ा रहा था। हैरानी की बात थी कि वो भी मेरा साथ दे रही थी। शायद उसे लगा कि ये उसका पति है। मेरे अंदर एक अजीब सी उत्तेजना थी। मैंने आज ठान लिया था कि मैं अपनी हवस की आग को प्रिया के साथ बुझाऊँगा। मैंने उसके ब्लाउज के ऊपर से उसके भरे हुए चूचों को दबाना शुरू किया। वो सिसकारियाँ लेने लगी, “आह… आह… उफ्फ!” उसकी आवाजें मेरे अंदर की आग को और भड़का रही थीं। मैंने उसकी साड़ी और गहने उतार दिए। जब मैंने उसे पूरी तरह नंगा किया, तो मेरे होश उड़ गए। उसकी गोरी चमकती त्वचा, बड़े-बड़े चूचे, और साफ चिकनी चूत—वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी।
मैं उस पर टूट पड़ा। मैंने उसके पूरे शरीर को चूमा, चाटा। उसके गले, कंधों, और पेट को चूमते हुए मैं नीचे गया। मैंने उसके चूचों को मुँह में लिया और निप्पलों को जोर-जोर से चूसने लगा। वो कराह रही थी, “आह… आह… और जोर से!” उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। फिर मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रखा। उसकी चूत से स्ट्रॉबेरी जैसी मादक खुशबू आ रही थी। मैंने जीभ से उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसने अपने पैरों से मेरा मुँह दबा लिया और मेरे बाल पकड़कर मेरा सिर अपनी चूत में दबाने लगी। वो बोल रही थी, “आई लव यू… फाड़ दो मेरी चूत… दिखा दो अपनी मर्दानगी… मैं तुम्हारी हूँ, मेरे पति देव!” ये सुनकर मुझे हँसी आई, क्योंकि वो मुझे अपने पति समझ रही थी।
मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर डाल दी। वो उछल पड़ी और जोर-जोर से सिसकारने लगी, “आह… उफ्फ… श्ह्ह!” कुछ ही देर में वो झड़ गई। उसकी चूत से निकला पानी मैंने आधा पी लिया, और बाकी एक टिश्यू पर रख लिया। मैंने उसे अपना लंड चूसने को देना चाहा, लेकिन डर था कि बाद में उसे मेरी पहचान न हो जाए। मुझे चॉकलेट खाने की आदत है, और मैंने उस दिन भी चॉकलेट साथ रखी थी। मैंने अपने लंड पर चॉकलेट लगाई और उसे चूसने को दिया। उसने मेरा लंड लॉलीपॉप की तरह चूसना शुरू कर दिया। वो इतनी जोश में थी कि मेरा लंड उसके मुँह में पूरा अंदर-बाहर हो रहा था। मैं भी उसके मुँह में धक्के मार रहा था। हम 69 की पोजीशन में आ गए—मैं उसकी चूत चाट रहा था, और वो मेरा लंड चूस रही थी। वो फिर से झड़ गई, और मैं भी उसके मुँह में झड़ गया। उस पल का मजा ऐसा था कि मैं सब कुछ भूल गया—वो मेरी बहन थी, या मैं गलत कर रहा हूँ। मैं बस उस आनंद में डूब गया।
वो बोली, “अब और नहीं रुकता, राजा… डाल दो ना अंदर!” उसकी चूत अभी तक कुंवारी थी, और बहुत टाइट थी। मैंने फिर से अपने लंड पर चॉकलेट लगाई, ताकि वो आसानी से अंदर जाए। मैंने उसकी चूत पर लंड सेट किया और एक जोरदार धक्का मारा। मेरा लंड थोड़ा सा अंदर गया, लेकिन उसकी चीख निकल गई। वो रोने लगी। मैंने उसे चूमकर चुप कराया। मैंने देखा कि उसकी चूत से खून निकल रहा था—उसकी सील टूट गई थी। थोड़ी देर बाद वो शांत हुई। मैंने एक और धक्का मारा, और मेरा आधा लंड अंदर चला गया। मेरा लंड 7 इंच लंबा और 4 इंच मोटा है, इसलिए उसे दर्द हो रहा था। मैंने तीसरा धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में जड़ तक उतर गया। वो रो रही थी, “प्लीज… छोड़ दो… निकाल लो!” लेकिन मैं रुका नहीं। मैं धीरे-धीरे धक्के मारने लगा।
थोड़ी देर बाद उसे मजा आने लगा। वो मेरा साथ देने लगी और सिसकारने लगी, “आह… उफ्फ… श्ह्ह… चोदो मुझे… और जोर से… फाड़ दो… आह!” उसकी कामुक आवाजें मुझे पागल कर रही थीं। वो तीन बार झड़ चुकी थी। मैंने करीब 30 मिनट तक उसे चोदा, और फिर उसकी चूत में ही झड़ गया। उस पल का आनंद बयान नहीं कर सकता। ऐसा मजा मुझे पहले कभी नहीं मिला था।
मैंने फिर से उसे चूमना शुरू किया। मैंने उससे अपना लंड चुसवाया, और जल्दी ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। इस बार मैंने उसे कुतिया की तरह घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में लंड पेल दिया। उसे बहुत मजा आ रहा था। वो चिल्ला रही थी, “आह… और जोर से… चोदो मुझे!” मैंने उसकी कमर पकड़ी और तेज-तेज धक्के मारने लगा। उसकी चूत की गर्मी और टाइटनेस मुझे जन्नत का अहसास करा रही थी।
मेरी नजर उसकी गोल, मुलायम गांड पर पड़ी। मैंने अपने लंड पर फिर से चॉकलेट लगाई और उसकी गांड के छेद पर सेट किया। उसने मना किया, “नहीं… वहाँ नहीं!” लेकिन मैंने उसकी एक न सुनी। मैंने धीरे से लंड अंदर डाला। उसकी गांड बहुत टाइट थी। वो चीखी, और उसकी गांड से थोड़ा खून निकला। तभी मैंने देखा कि उसकी आँखों की पटी खुल गई है। मैं घबरा गया। मैंने जल्दी से उसे लेटाया, ताकि वो मुझे न देख सके। मैं पीछे से उसकी गांड मार रहा था। मैंने फिर से उसकी आँखों पर पटी बाँधी और तेजी से उसकी गांड चोदने लगा। वो जोर-जोर से चिल्ला रही थी, “आह… उफ्फ… धीरे… फट गई!” उसकी आवाजें इतनी तेज थीं कि शायद पूरा फ्लोर सुन सकता था। लेकिन शायद सुहागरात की वजह से किसी ने ध्यान नहीं दिया।
मैंने उसकी गांड में ही झड़ दिया। मैं उसके बगल में लेट गया। उसने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैं उसी के साथ, उसकी बाहों में सोना चाहता था। लेकिन मैंने खुद को नियंत्रित किया। मैंने क्लोरोफॉर्म लिया और अपने हाथों से उसके मुँह पर रखकर उसे बेहोश कर दिया। चुदाई के बाद मैं इतना थक गया था कि बेड से उतरते ही गिर पड़ा। लेकिन मैंने खुद को संभाला। मैंने अपने सारे कपड़े पहने और कमरे के बाहर देखा। मेरा जीजा अभी भी सोफे पर बेहोश पड़ा था। मैंने उसे उठाया और प्रिया के साथ बेड पर लिटा दिया। मैंने उसके कपड़े भी उतार दिए, ताकि लगे कि उसने ही प्रिया को चोदा है। मैंने दोनों के मुँह को धोया, ताकि क्लोरोफॉर्म का पता न चले।
मैंने प्रिया की चूत से निकला पानी, जो टिश्यू पर था, अपने जीजा के मुँह पर लगा दिया, ताकि लगे कि वो 69 पोजीशन में थे। फिर मैंने प्रिया की आँखों की पटी हटाई। लेकिन मुझे लगा कि उसके चेहरे पर मेरा वीर्य होना चाहिए। मैंने फिर से मुठ मारना शुरू किया। मैंने प्रिया का हाथ पकड़ा और उसी से मुठ मारी। मन तो कर रहा था कि उसे फिर से चोद दूँ, लेकिन मैंने खुद को रोका। मैं उसके चूचों से लेकर मुँह तक झड़ गया। फिर मैं चुपके से कमरे से निकल गया। मैंने कोई सबूत नहीं छोड़ा। किताब से मुँह ढककर, अजीब ढंग से चलते हुए मैं लिफ्ट में चढ़ा और अपने कमरे में लौट गया।
मैंने सुबह 5 बजे का अलार्म लगाया और थोड़ी देर सोया। सुबह जल्दी मैंने होटल से चेक-आउट किया और अपनी कार से घर की ओर निकल गया। रास्ते में मैं सोच रहा था कि रात को कितना मजा आया। लेकिन साथ ही मुझे थोड़ा अपराधबोध भी हो रहा था। मैं डर रहा था कि कहीं मैंने कोई सबूत तो नहीं छोड़ दिया। मुझे चॉकलेट की बहुत आदत है, और मेरा स्वाद चॉकलेटी है। अगर प्रिया ने बाद में अपने पति को चूमा और उसे चॉकलेट का स्वाद आया, तो शक हो सकता है। साथ ही, अगर मेरे जीजा का लंड मुझसे छोटा हुआ, तो प्रिया को शायद कुछ गड़बड़ लगे।
ये कहानी यहीं खत्म होती है। लेकिन इसके बाद जो हुआ, वो और भी रोमांचक है। मेरी जिंदगी में क्या-क्या बदला, और क्या प्रिया को कभी मेरे बारे में पता चला—ये सब अगले हिस्से में।
कहानी का अगला हिस्सा: पट्टी बांध कर मनाई बहन के साथ सुहागरात – भाग 2
1 thought on “पट्टी बांध कर मनाई बहन के साथ सुहागरात – भाग 1”