मेरा नाम सुनिता है, और मैं 20 साल की हूँ। मेरे शरीर की बनावट ऐसी है कि लोग मुझे देखकर दोबारा पलटकर जरूर देखते हैं। मेरी लंबाई 5 फुट 6 इंच है, चूचियाँ 36 इंच की, कमर 28 इंच की, और गाँड 34 इंच की है। मेरी ये फिगर कई मर्दों के दिलों की धड़कन बढ़ा चुकी है, और मैं भी इस बात का पूरा मजा लेती हूँ। लेकिन एक बात मैं शुरू करने से पहले साफ कर दूँ—मुझे नए-नए लंड लेना बहुत पसंद है। मेरी ये नटखट चूत हर बार कुछ नया चाहती है। इसमें इतनी खुजली होती है कि इसे शांत करने के लिए मुझे हर बार एक नया लंड चाहिए। अब तक मेरी इस प्यारी चूत ने 13 लंडों का स्वाद चखा है, और मैं पूरे दावे के साथ कह सकती हूँ कि 14वाँ लंड तुम में से किसी का हो सकता है। कैसे? वो मैं कहानी के अंत में बताऊँगी। तो चलो, अब कहानी शुरू करते हैं।
ये बात तब की है जब मैं 18 साल की होने वाली थी। मेरा जन्मदिन बस दो दिन दूर था, और मेरे दिल में एक अजीब सी बेचैनी थी। मुझे जन्मदिन के तोहफे बहुत पसंद हैं। मम्मी-पापा हर बार मुझे कुछ ऐसा गिफ्ट देते हैं जो मेरे दिल को छू जाता है। लेकिन इस बार जो हुआ, उसने न सिर्फ मेरा दिल, बल्कि मेरी चूत को भी झकझोर दिया।
जन्मदिन से दो दिन पहले की रात थी। मैं देर रात, शायद 1:30 बजे के आसपास, बाथरूम जाने के लिए उठी। घर में सन्नाटा था, और सिर्फ रात की खामोशी सुनाई दे रही थी। बाथरूम से निकलते वक्त मुझे एक साये जैसा कुछ दिखा, जो तेजी से हॉल की तरफ गया। पहले तो मैंने सोचा कि शायद मेरी आँखों का धोखा है, लेकिन मेरे दिल में एक खटका सा हुआ। मैं अपने बिस्तर पर लेटने गई, लेकिन तभी मुझे दरवाजा खुलने की हल्की सी खटक सुनाई दी। घड़ी में मैंने देखा, रात के 1:38 बज रहे थे। मेरे दिमाग में तुरंत ख्याल आया—कहीं चोर तो नहीं घुस आया? डर तो बहुत लग रहा था, लेकिन मेरी जिज्ञासा डर से ज्यादा थी।
मैंने हिम्मत जुटाई और धीरे-धीरे अपने कमरे से बाहर निकली। लॉबी में अंधेरा था, और मेरी साँसें तेज चल रही थीं। मैंने चारों तरफ नजर दौड़ाई, लेकिन कुछ दिखा नहीं। फिर मैंने हल्के कदमों से मुख्य दरवाजे की ओर बढ़ना शुरू किया। जैसे ही मैं वहाँ पहुँची, मैंने देखा कि दरवाजा लॉक नहीं था। ये देखकर मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मैंने धीरे से दरवाजा खोला और बाहर झाँका। तभी मेरी नजर हमारे घर के गेट पर पड़ी, जहाँ एक आदमी एक कोने में छुपकर बैठा था और बाहर की ओर देख रहा था।
मैंने उसे ध्यान से देखने की कोशिश की, लेकिन अंधेरे में कुछ साफ नहीं दिख रहा था। तभी उसने अपना फोन निकाला, और स्क्रीन की रोशनी उसके चेहरे पर पड़ी। मैं सन्न रह गई। वो कोई और नहीं, मेरे पापा थे। मेरे दिमाग में सवालों का तूफान उठने लगा। पापा इस वक्त, रात के इस पहर, यहाँ क्या कर रहे हैं? मैं उन्हें आवाज देने ही वाली थी कि वो चुपके से, चोरों की तरह, वहाँ से उठे और बाहर की ओर चल पड़े। मेरी जिज्ञासा अब और बढ़ गई थी। मैंने सोचा, मुझे पता लगाना ही होगा कि आखिर माजरा क्या है।
मैंने भी चुपके से उनका पीछा शुरू किया। मैंने अपने कदम हल्के रखे, ताकि कोई आवाज न हो। मैंने देखा कि पापा हमारी पड़ोसन मिस काव्या के घर की ओर जा रहे हैं। मेरे दिल की धड़कन और तेज हो गई। मैं उनके पीछे-पीछे चली गई। जब मैं काव्या के घर के पास पहुँची, तो देखा कि उनका गेट हल्का सा खुला हुआ है। मैंने धीरे से गेट को और खोला और अंदर घुस गई। अंदर एकदम अंधेरा था, और सन्नाटा ऐसा कि मेरी साँसों की आवाज भी मुझे सुनाई दे रही थी। मैं सोच रही थी कि पापा आखिर गए कहाँ, तभी एक कमरे की लाइट जली। खिड़की से रोशनी बाहर आने लगी।
मैंने फौरन खिड़की के पास जाकर झाँका, और जो नजारा मैंने देखा, उसने मेरे होश उड़ा दिए। पापा अंदर पूरी तरह नंगे खड़े थे। उनके सामने मिस काव्या घुटनों पर बैठी थीं और उनके करीब 7.5 इंच लंबे, मोटे, तगड़े लंड को अपने मुँह में लेकर बड़े मजे से चूस रही थीं। उनका लंड इतना मोटा और शानदार था कि मैं उसे देखकर स्तब्ध रह गई। मेरे मन में गुस्सा भी था कि पापा मम्मी के साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं, लेकिन साथ ही मेरी चूत में एक अजीब सी सनसनी होने लगी। मैं ये सब देखकर हैरान थी, लेकिन मेरी नजरें उस दृश्य से हट नहीं रही थीं। तभी उनकी बातें शुरू हुईं।
काव्या: “उम्म्म… आह्ह… डार्लिंग, तुम्हारा ये मोटा लंड… इसका स्वाद तो मेरे लिए अमृत है।”
पापा: “आह्ह… मेरी रानी, और जोर से चूस… मुझे भी तेरी इस रसीली चूत का मजा लेना है।”
काव्या: “नहीं, आज मैं इसे जी भरकर चूसूँगी। इस लंड को तो मैं दिन-रात प्यार करना चाहती हूँ।”
पापा: “आह्ह… जल्दी कर, मेरी जान। मैं बड़ी मुश्किल से घर से निकला हूँ।”
काव्या: “उफ्फ… तुम हमेशा जल्दबाजी में क्यों रहते हो? कभी तो मेरे साथ पूरा वक्त बिताओ।”
पापा: “आह्ह… तू तो कमाल की चूसाई कर रही है। बस ऐसे ही चूस, मेरी रंडी।”
काव्या: “क्यों, तुम्हारी वो बुझी हुई बीवी क्या तुम्हारे इस शानदार लंड को प्यार नहीं करती?”
पापा: “अरे, वो तो बस नाम की बीवी है। तुझ जैसा मजा तो वो सपने में भी नहीं दे सकती।”
ये सुनकर मेरा खून खौल उठा। मम्मी के लिए ऐसी बातें सुनना मेरे लिए असहनीय था। मैं गुस्से में थी, लेकिन तभी पापा ने अपना असली रंग दिखाया। उन्होंने काव्या को बिस्तर पर पटक दिया और अपने उस तगड़े, मोटे लंड को उनकी चूत के मुँह पर रखा। फिर एक ही झटके में उन्होंने पूरा लंड उनकी चूत की गहराइयों में उतार दिया। काव्या की एक हल्की सी चीख निकली, लेकिन पापा ने रुकने का नाम नहीं लिया। उन्होंने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि कमरा “आह्ह… उह्ह… थप… थप…” की आवाजों से गूँज उठा।
पापा काव्या की चुदाई पूरी ताकत से कर रहे थे। वो अपने लंड को पूरा बाहर निकालते, और फिर “स्तक” करके एक ही झटके में पूरा अंदर ठूंस देते। काव्या की चीखें निकल रही थीं, और वो गालियाँ बकने लगीं। पापा भी जवाब में गालियाँ दे रहे थे। उनकी चुदाई इतनी जोरदार थी कि मैं बाहर खड़ी सब कुछ भूल गई। मेरा एक हाथ कब मेरी पैंटी के अंदर चला गया, मुझे पता ही नहीं चला। मैंने अपनी चूत को सहलाना शुरू किया, और मेरी उंगलियाँ मेरी गीली चूत में अंदर-बाहर होने लगीं।
काव्या: “चोद, साले, चोद! मेरी चूत फाड़ दे, आह्ह… हरामी!”
पापा: “साली कुतिया, ले मेरा लंड! तेरी माँ की चूत, ले और ले!”
काव्या: “आह्ह… और जोर से, मेरे राजा! आज मेरी चूत का भोसड़ा बना दे!”
पापा: “तेरी चूत आज इतनी टाइट क्यों लग रही है? तेरा वो बेकार पति तुझे चोदता नहीं क्या?”
काव्या: “नहीं, वो साला बस ऑफिस में गाँड मराता रहता है। दिन-रात काम ही करता है।”
पापा: “साली रंडी, ले, आज मैं तेरी चूत का बाजा बजाता हूँ!”
पापा ने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी। काव्या चिल्लाती रही, लेकिन पापा ने उसे एक ही पोज में करीब 35 मिनट तक चोदा। इस दौरान काव्या चार बार झड़ चुकी थी, लेकिन पापा का जोश कम नहीं हुआ। वो बस धकाधक चुदाई करते रहे। मैं बाहर खड़ी ये सब देख रही थी, और मेरी उंगलियाँ मेरी चूत में तेजी से चल रही थीं। पापा का वो मोटा, तगड़ा लंड मेरे दिमाग में बस गया। उनकी ताकत, उनका जोश, और वो लंड मेरी चूत में आग लगा रहे थे। मैं उंगलियाँ करते-करते दो बार झड़ गई।
तभी पापा ने एक जोरदार सिसकारी भरी और अपना लंड काव्या की चूत से निकाला। फिर “पच… पच…” करके उनके गर्म, गाढ़े माल की पिचकारी काव्या के चेहरे, चूचियों, पेट, और यहाँ तक कि उनके बालों पर जा गिरी। काव्या का पूरा शरीर उनके माल से नहा गया। मैं ये सब देखकर हैरान थी। पापा का लंड अब आधा ढीला हो चुका था, लेकिन फिर भी वो इतना सेक्सी और शानदार लग रहा था कि मैं उसकी दीवानी हो गई।
मैंने और देर नहीं की और चुपके से घर लौट आई। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। थोड़ी देर बाद पापा भी चुपके से घर आए और अपने कमरे में जाकर सो गए। उस रात मैं सो नहीं सकी। मैंने पापा के उस मोटे लंड को सोच-सोचकर बार-बार अपनी चूत में उंगली की। मैंने अपनी चूचियों को मसला, अपनी चूत को रगड़ा, और कम से कम पाँच बार झड़ी। लेकिन मेरी चूत की आग शांत होने का नाम नहीं ले रही थी।
सुबह जब मैं उठी, तो मेरी आँखों के सामने बस पापा का वो लंड नाच रहा था। मैं मन ही मन मचल रही थी। मैं बाथरूम में नहाने गई। गर्म पानी मेरे शरीर पर गिर रहा था, लेकिन मेरी चूत की गर्मी उससे भी ज्यादा थी। मैंने शावर के नीचे खड़े-खड़े अपनी चूत में उंगली शुरू कर दी। मैंने अपनी चूचियों को जोर-जोर से दबाया और पापा के लंड को想像 करते हुए दो बार और झड़ गई। जब मैं नहाकर बाहर आई, तो मम्मी-पापा डाइनिंग टेबल पर नाश्ता कर रहे थे।
मैं: “गुड मॉर्निंग, मम्मी-पापा!”
मम्मी: “गुड मॉर्निंग, बेटा।”
पापा: “गुड मॉर्निंग, सुनिता। आ, नाश्ता कर ले।”
मम्मी: “नहा लिया या ऐसे ही आ गई?”
मैं: “अरे मम्मी, मैं तो नहा ली हूँ।”
पापा: “हाँ, तभी तो इतनी चमक रही है।”
मैं: “हाहा, पापा, आप भी ना!”
(मन में): “लेकिन मुझे तो आपका वो मोटा, तगड़ा लंड ज्यादा चमकता दिख रहा है, मेरे सेक्सी पापा।”
हमने नाश्ता किया। पापा ऑफिस चले गए, और मम्मी घर के काम में व्यस्त हो गईं। उस दिन मेरा स्कूल बंद था, तो मैं अपने कमरे में बैठकर बस यही सोच रही थी कि पापा के साथ ऐसा क्या किया जाए कि मैं उनके लंड का मजा ले सकूँ। मेरा एक बॉयफ्रेंड है, और उसने मेरी कई बार चुदाई की है। उसका लंड भी ठीक-ठाक है, लेकिन पापा के उस मोटे, तगड़े लंड और उस रात की चुदाई को देखने के बाद मेरा मन कहीं और नहीं लग रहा था। मैं बस यही चाहती थी कि किसी भी तरह पापा को अपने जाल में फँसाऊँ।
मैंने सोचा कि अगर मैं पापा को ब्लैकमेल कर सकूँ, तो बात बन सकती है। मैंने फैसला किया कि रात को पापा पर नजर रखूँगी। अगर वो फिर से काव्या के घर जाएँ, तो मैं उनकी वीडियो बना लूँगी। उस रात मैं बिल्कुल नहीं सोई। मैं बस पापा के बाहर जाने का इंतजार करती रही। लेकिन मेरी बदकिस्मती, वो उस रात काव्या के घर नहीं गए। मुझे अपनी चूत में उंगली करके ही अपनी आग शांत करनी पड़ी। मैंने अपनी चूत को इतना रगड़ा कि मेरी उंगलियाँ दुखने लगीं, लेकिन वो आग कम होने का नाम नहीं ले रही थी।
कई रातें मैंने पापा पर नजर रखी, लेकिन वो दोबारा काव्या के घर नहीं गए। मेरा सब्र अब जवाब दे रहा था। मैंने तय किया कि अगले दिन सुबह कुछ न कुछ तो करूँगी ही। मेरे दिमाग में एक शरारत सूझी।
अगले दिन मैंने पूरी प्लानिंग कर ली थी। मैंने अपनी सबसे टाइट जींस और एक गहरे गले का टॉप पहना, ताकि मेरी चूचियाँ उभरकर दिखें। मैं तैयार होकर अपने कमरे से बाहर आई और पापा से बोली, “पापा, प्लीज आज मुझे स्कूल तक छोड़ दीजिए। मेरी सहेली आज नहीं जा रही, वरना मुझे अकेले जाना पड़ता।” पापा ने तुरंत हाँ कर दी। मेरा काम बन गया।
पापा ने कार निकाली, और हम दोनों घर से निकल पड़े। इत्तेफाक से जब हम निकल रहे थे, तो मिस काव्या अपने गेट पर खड़ी थीं। वो एक टाइट साड़ी में थीं, जिसमें उनकी चूचियाँ और गाँड साफ उभर रही थीं। पापा ने उन्हें चोर नजरों से देखा और एक हल्की सी आँख मारी। मैंने सब देख लिया, लेकिन चुप रही।
मैं: “पापा, काव्या जी भी बहुत अच्छी हैं, है ना?”
पापा: “हाँ, बेटा, बहुत अच्छी हैं।”
मैं: “हाँ, लेकिन बेचारी हमेशा अकेली रहती हैं। उनके पति तो बस काम में डूबे रहते हैं।”
पापा: “हाँ, लेकिन तभी तो वो इतने अमीर हैं।”
मैं: “हाँ, अमीर तो हैं, लेकिन खुश नहीं।”
पापा: “खुश क्यों नहीं?”
मैं: “मतलब, उनके साथ बात करने वाला कोई नहीं। वो आसपास वालों से भी ज्यादा बात नहीं करतीं।”
पापा: “शायद वो भी अपने पति की तरह बिजी रहती हों।”
मैं: “हाँ, या फिर किसी और के साथ।”
पापा (हैरानी से): “किसी और के साथ? मतलब?”
मैं: “पता नहीं, मैंने कई बार उनके घर एक अनजान आदमी को आते देखा है।”
पापा: “कैसा अनजान आदमी?”
मैं: “पता नहीं, एक रात मैंने उनके घर एक आदमी को चोरों की तरह छुपते हुए जाते देखा था।”
ये सुनते ही पापा का चेहरा सफेद पड़ गया। उनकी साँसें तेज हो गईं।
पापा (लड़खड़ाती आवाज में): “बेटा, शायद कोई जानवर होगा, कोई कुत्ता या कुछ और।”
मैं: “अरे पापा, आप खुद को कुत्ता क्यों बुला रहे हैं?”
ये सुनते ही पापा ने झट से कार साइड में लगाई और हैरानी से मुझे देखने लगे। उनके चेहरे पर डर साफ दिख रहा था।
पापा (घबराते हुए): “सुनिता, ये क्या बात कर रही है? अपने पापा को कुत्ता कह रही है?”
मैं: “अरे पापा, इतने भोले मत बनो। मुझे आपके और काव्या जी के बारे में सब पता चल गया है।”
पापा: “क्या पता चल गया?”
मैं: “अब क्या, ये भी मुझे बताना पड़ेगा?”
पापा (गुस्से में): “ये मजाक बहुत हो गया।”
मैं: “आह्ह… मेरी जान, जल्दी कर, मुझे भी तेरी चूत का स्वाद चखना है।”
मेरे मुँह से ये बात सुनते ही पापा का चेहरा और लाल हो गया।
पापा (गुस्से में): “बदतमीज, अपने पापा के सामने ऐसी बातें करती है? तुझे शर्म नहीं आती?”
मैं: “पापा, अब ज्यादा ओवर मत हो जाइए। अपनी गलती मान लीजिए।”
पापा: “बकवास बंद कर।”
मैं: “ठीक है, तो मैं आज घर जाकर आपकी और काव्या जी की वीडियो मम्मी को दिखा दूँगी।”
वीडियो की बात सुनते ही पापा का बुरा हाल हो गया।
पापा (गिड़गिड़ाते हुए): “प्लीज, बेटी, ऐसा मत करना। मुझे माफ कर दे। मैं आगे से काव्या से कभी नहीं मिलूँगा, तेरी कसम।”
मैं: “पापा, मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किसके साथ सोते हैं। मुझे तो बस अपनी बात पूरी करवानी है।”
पापा (हैरानी से): “क्या?”
मैं: “हम्म…”
पापा: “कौन सी बात?”
मैं: “पापा, मुझे भी आपके उस मोटे, तगड़े लंड का स्वाद चखना है।”
ये सुनते ही पापा भड़क उठे और मुझ पर चिल्लाने लगे। लेकिन मैंने उन्हें चुप करा दिया। मैंने कहा कि कल मेरा 18वाँ जन्मदिन है, और मुझे गिफ्ट में आपका लंड चाहिए। पापा के पास कोई चारा नहीं था, क्योंकि मेरे पास उनकी वीडियो थी।
हमने तय किया कि रात को पापा आइसक्रीम लाएँगे, और हम उसमें मम्मी को नींद की गोलियाँ मिला देंगे। उस रात घर में बहुत कुछ होने वाला था। सब कुछ प्लान के मुताबिक हुआ। मैंने मम्मी की आइसक्रीम में नींद की गोलियाँ मिलाईं, और वो सो गईं। मैं रात 1:04 बजे का इंतजार करने लगी। तुम सोच रहे होगे कि 1:04 क्यों? क्योंकि मेरा जन्म रात 1 बजकर 4 मिनट पर हुआ था। इसलिए हमने ये टाइम चुना।
मैं अपने बिस्तर पर लेटी थी, बस दरवाजे की ओर देख रही थी। मेरी चूत में पहले से ही आग लगी हुई थी। मैं कभी अपनी चूचियों को सहला रही थी, तो कभी अपनी चूत को रगड़ रही थी। मुझसे इंतजार नहीं हो रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे मैं पहली बार चुदने जा रही हूँ। मेरी चूत गीली हो चुकी थी, और मेरे निप्पल्स मेरे टॉप में सख्त होकर उभर रहे थे।
आखिर वो पल आ गया। ठीक 1:04 पर पापा मेरे कमरे में आए। वो एक टाइट बनियान और पैंट में थे, और उनकी चौड़ी छाती और मोटे-मोटे बाजू देखकर मेरी चूत और गीली हो गई। मैं उन्हें देखकर इतनी खुश हुई कि बता नहीं सकती। पापा भी मुझे कामुक नजरों से देख रहे थे। उनकी आँखों में वो आग थी, जो मैंने उस रात काव्या के साथ देखी थी। शायद वो समझ चुके थे कि जब जवान, मस्त माल मिल ही रहा है, तो क्यों न इसका पूरा मजा लिया जाए। उस पल वो मेरे लिए मेरे पापा नहीं, बस एक तगड़ा, सेक्सी मर्द थे, और मैं उनके लिए एक कामुक औरत।
मैं बिस्तर पर खड़ी हो गई। मेरी चूचियाँ मेरे टाइट टॉप में उभर रही थीं, और मेरी गाँड मेरी शॉर्ट्स में साफ दिख रही थी। पापा मेरी ओर बढ़े। जैसे ही वो बिस्तर के पास आए, मैंने छलाँग लगाई और उनकी गोद में जा लिपटी। मैंने अपनी टाँगों से उनकी कमर को जकड़ लिया, और मेरी चूचियाँ उनकी छाती से दब गईं। सबसे पहले मैंने उनके होंठों को अपने होंठों से जोड़ा और चूमने लगी। उनके होंठ गर्म और रसीले थे। मैं उनके मुँह में अपनी जीभ डाल रही थी, और वो मेरी जीभ को चूस रहे थे। लेकिन पापा तो उस्ताद थे। उन्होंने उस चुंबन को कुछ ही पलों में गहरे, कामुक स्मूच में बदल दिया। वो मेरे होंठों का रस चूस रहे थे, और मैं सिसक रही थी।
पापा ने मुझे अपनी बाँहों में कस लिया। उनकी मजबूत बाँहें मेरी कमर को जकड़ रही थीं। मैं उनकी गोद में थी, और मेरी चूत उनकी पैंट के ऊपर से उनके लंड को महसूस कर रही थी। वो लंड पहले से ही सख्त हो चुका था, और मेरी चूत में currents दौड़ने लगे। पापा ने मुझे बिस्तर के एक कोने पर लिटाया और मेरी टी-शर्ट को एक झटके में उतार फेंका। मेरी काली लेस वाली ब्रा में मेरी चूचियाँ और उभरकर दिख रही थीं। पापा की नजरें मेरी चूचियों पर टिक गईं। वो फिर से मेरे होंठों को चूमने लगे। उनकी जीभ मेरे मुँह में अंदर-बाहर हो रही थी, और मैं सिसकारियाँ भर रही थी।
तभी पापा के बड़े-बड़े, खुरदुरे हाथ मेरी छोटी-छोटी, नाजुक चूचियों की ओर बढ़े। वो मेरी कमर से होते हुए मेरी चूचियों तक पहुँचे। उन्होंने मेरी ब्रा को एक तरफ सरका दिया, जैसे वो वहाँ थी ही नहीं। फिर उन्होंने मेरी चूचियों को अपने हाथों में भर लिया और जोर-जोर से दबाने लगे। उनकी उंगलियाँ मेरे निप्पल्स को मसल रही थीं, और मैं मस्ती में सिसक रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे मैं स्वर्ग के दरवाजे पर खड़ी हूँ।
पापा ने स्मूच छोड़ा और मेरी गर्दन को चूमने लगे। उनकी गर्म साँसें मेरी गर्दन पर पड़ रही थीं, और मेरे पूरे शरीर में सिहरन दौड़ रही थी। फिर वो धीरे-धीरे नीचे बढ़े और मेरी नाजुक चूचियों की ओर आए। उन्होंने मेरी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया और मजे से चूसने लगे। उनकी जीभ मेरे निप्पल के चारों ओर घूम रही थी, और वो उसे हल्के से काट भी रहे थे। मैं “आह्ह… स्सी…” करके सिसक रही थी। पापा ने मेरी चूची को पूरा मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगे। उनके एक हाथ ने मेरी दूसरी चूची को पकड़ा और उसके निप्पल को अपनी उंगलियों में मसलने लगा। मुझे हल्का सा दर्द हो रहा था, लेकिन उनकी चूसाई इतनी मादक थी कि वो दर्द मजे में बदल गया।
पापा ने करीब 15 मिनट तक मेरी चूचियों को चूसा। वो कभी मेरी एक चूची को मुँह में लेते, तो कभी दूसरी को। मेरी चूचियाँ उनकी लार से गीली हो चुकी थीं, और मेरे निप्पल्स सख्त होकर लाल हो गए थे। मैं बस सिसक रही थी, और मेरी चूत अब पूरी तरह गीली हो चुकी थी। तभी पापा के दोनों हाथ मेरी चूत की ओर बढ़े। उन्होंने मेरी शॉर्ट्स को पकड़ा और एक ही झटके में “चर्र्र” करके उसे फाड़ दिया। मेरी गुलाबी पैंटी अब उनके सामने थी, जो मेरी गीली चूत की वजह से चिपक गई थी। पापा ने मेरी पैंटी को भी एक तरफ सरका दिया और मेरी चूत को अपनी दो उंगलियों से सहलाने लगे।
उनकी उंगलियाँ मेरी चूत के होंठों पर घूम रही थीं, और मेरी क्लिट को हल्के-हल्के दबा रही थीं। मैं “आह्ह… पापा…” करके सिसक रही थी। फिर पापा नीचे झुके और मेरी चूत को चूमने लगे। उनकी गर्म जीभ मेरी चूत के होंठों पर फिसल रही थी। वो मेरी क्लिट को चूस रहे थे, और उनकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी। मैं इतने मजे में थी कि मेरी साँसें रुक रही थीं। पापा ने अपनी जीभ से मेरी चूत की ऐसी चुदाई की कि कुछ ही मिनटों में मेरी चूत ने रस की धार छोड़ दी। मैं “आह्ह… स्सी…” करके झड़ गई। पापा ने मेरे रस की एक बूंद भी बर्बाद नहीं की और सारा चाट गए।
मैं कुछ सेकंड के लिए जैसे खो गई। मेरी साँसें तेज थीं, और मेरा शरीर काँप रहा था। लेकिन अब मेरी बारी थी। मैं उठी और पापा को बिस्तर पर बिठाया। मैंने उनकी पैंट खोलने की कोशिश की, लेकिन पापा ने फटाफट अपनी पैंट और बनियान उतारकर फेंक दी। उन्होंने अंडरवेयर नहीं पहना था, तो उनका 7.5 इंच लंबा, मोटा, तगड़ा लंड मेरी आँखों के सामने था। वो लंड इतना शानदार था कि मैं उसे देखकर पागल हो गई।
मैंने बिना देर किए अपने घुटनों पर बैठ गई और पापा को पीछे लेटने को कहा। वो अपनी टाँगें बिस्तर से नीचे लटकाकर लेट गए। मैंने उनके लंड को अपने हाथों में लिया। वो इतना गर्म और सख्त था कि मेरे हाथों में currents दौड़ गए। मैंने उनकी सुपारी की ऊपरी चमड़ी को पीछे खींचा, और उनका हल्का भूरा, चमकता सुपाड़ा मेरे सामने आ गया। उसमें से एक अजीब सी, मादक खुशबू आ रही थी, जो मुझे और दीवाना बना रही थी। मैंने पहले कुछ मिनट उनके लंड को आगे-पीछे करके खेला। मैं उसकी नसों को महसूस कर रही थी, और उसकी गर्मी मेरे हाथों में समा रही थी।
फिर मैंने उनकी सुपारी पर अपनी जीभ रखी और उसे हल्के से चाटा। उसका स्वाद इतना लाजवाब था कि मैं रुक नहीं सकी। मैंने उनकी पूरी सुपारी को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी। मैं अपनी जीभ को उनकी सुपारी के चारों ओर घुमा रही थी, और उनके लंड को अपने मुँह में अंदर-बाहर कर रही थी। उनका लंड इतना बड़ा था कि मेरे मुँह में पूरा नहीं आ रहा था। मैंने अपने हाथ से उनके लंड को हिलाना शुरू किया और अपने मुँह से उनकी सुपारी को चूसने लगी।
तभी पापा ने मेरे सिर को अपने हाथों से पकड़ा और अपने लंड की ओर दबाने लगे। वो अपनी कमर को ऊपर उठा रहे थे, जिससे उनका लंड मेरे मुँह में और अंदर जा रहा था। मैं बेकाबू हो रही थी। मैंने छूटने की कोशिश की, लेकिन पापा ने एक जोरदार झटका मारा और अपना पूरा 7.5 इंच लंड मेरे गले तक उतार दिया। मैं उनके लंड को अपने गले में महसूस कर रही थी। मेरी साँस रुक गई, और मैं बिलबिलाने लगी। 6-7 सेकंड बाद उन्होंने मुझे छोड़ा। मैंने फौरन उनका लंड अपने मुँह से निकाला। जैसे ही लंड बाहर आया, मेरी जान में जान आई। उनका लंड मेरी लार से चिकना और चमकदार हो गया था।
पापा: “आह्ह… मेरी रानी, क्या चूसाई है! मजा आ गया!”
उन्होंने फिर से अपना लंड मेरे मुँह में डाला और एक और जोरदार झटका मारा। इस बार उनका लंड 10 सेकंड तक मेरे गले में रहा। जब उन्होंने लंड निकाला, तो मैं सचमुच स्वर्ग में थी। मेरी आँखें आनंद से बंद हो गई थीं। मैं फिर से उनके लंड को चूसने लगी। मैंने उनकी सुपारी को चाटा, उनके लंड की नसों पर अपनी जीभ फिराई, और उनके टट्टों को अपने हाथों से सहलाया। पापा सिसकारियाँ भर रहे थे, और मैं उनकी हर सिसकारी का मजा ले रही थी। मैंने करीब 15 मिनट तक उनके लंड को चूसा, और वो मेरे मुँह में और गहराई तक ले जाने की कोशिश कर रहे थे।
फिर मैं फर्श पर लेट गई। मेरा शरीर पसीने और उत्तेजना से गीला था। पापा अपने लंड को हिलाते हुए बिस्तर से उठे और मुझे खड़ा किया। उन्होंने मुझे एक जोरदार, गहरा स्मूच दिया। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं उनके मुँह में अपनी जीभ डाल रही थी। हम दोनों एक-दूसरे के होंठों को चूस रहे थे। फिर पापा ने मुझे बिस्तर के एक कोने पर लिटा दिया। अब मैं समझ गई कि असली खेल शुरू होने वाला है।
पापा ने एक तकिया फर्श पर फेंका और उस पर घुटनों के बल बैठ गए। उन्होंने मेरी एक टाँग अपने कंधे पर रखी और मेरी चूत को दो उंगलियों से रगड़ने लगे। उनकी उंगलियाँ मेरी क्लिट को मसल रही थीं, और मेरी चूत फिर से गीली हो गई थी। पापा ने एक हाथ से मेरी चूची को पकड़ा और उसके निप्पल को जोर-जोर से मसलने लगे। मैं दर्द और मजे के बीच झूल रही थी।
मैं: “प्लीज पापा, अब और मत तड़पाओ। अपनी बेटी की चूत को चोद दो। आह्ह…”
पापा: “स्सी… तेरी इस रसीली चूत का आज मैं भोसड़ा बना दूँगा।”
मैं: “हाँ, पापा, मुझे सब पता है। बस अब मेरी चूत फाड़ दो। आह्ह… बर्दाश्त नहीं हो रहा!”
पापा ने मुझे कामुक नजरों से देखा। उनकी आँखों में वो आग थी, जो मैंने उस रात काव्या के साथ देखी थी। उन्होंने अपना लंड मेरी चूत के द्वार पर रखा। मैं कुछ बोलने ही वाली थी कि उन्होंने एक जोरदार झटका मारा और अपना आधा लंड मेरी चूत में घुसा दिया। मैं चीखने वाली थी, लेकिन इससे पहले कि मैं कुछ करती, उन्होंने एक और झटका मारा और अपना पूरा 7.5 इंच लंबा, मोटा लंड मेरी चूत में ठूंस दिया।
उनका लंड मेरी चूत की दीवारों को चीरता हुआ अंदर गया। मैं दर्द से बिलबिला उठी और लंड निकालने की कोशिश करने लगी। लेकिन पापा की पकड़ इतनी मजबूत थी कि मैं हिल भी नहीं सकी। उन्होंने बिना रुके अपना लंड सुपारी तक बाहर निकाला और एक ही झटके में फिर से मेरी चूत की गहराइयों में घुसा दिया।
मैं: “आह्ह… प्लीज… निकालो… मैं मर जाऊँगी!”
पापा: “अब कुछ नहीं होगा, मेरी रानी। अब मैं तुझे दिखाता हूँ कि असली चुदाई क्या होती है।”
मैं: “प्लीज, एक बार निकालो… आह्ह…”
लेकिन पापा अब कहाँ मानने वाले थे। वो एक सांड की तरह मेरी चूत को बजा रहे थे। उनका लंड मेरी चूत में इतनी गहराई तक जा रहा था कि मुझे लग रहा था जैसे वो मेरे पेट तक पहुँच गया है। कमरे में “आह्ह… स्सी… थप… थप…” की आवाजें गूँज रही थीं। पापा ने मेरी दूसरी टाँग भी अपने कंधे पर रख ली, जिससे मेरी चूत और खुल गई। अब उनका लंड और गहराई तक जा रहा था।
पहले 5 मिनट तक मैं दर्द से चिल्लाती रही। मेरी चूत उनके मोटे लंड को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। लेकिन फिर धीरे-धीरे वो दर्द मजे में बदल गया। पापा का खुरदुरा लंड मेरी चूत की दीवारों पर रगड़ रहा था। उनकी हर धक्के में मेरी चूत रस छोड़ रही थी। मैं “आह्ह… स्सी… और जोर से…” करके सिसक रही थी।
पापा: “क्या बात, तेरी सील तो पहले से टूटी हुई है!”
मैं: “हाँ… आह्ह… बस चोदते रहो… अब तो मजा आ रहा है… आह्ह…”
पापा: “साली, किससे चुदवाती है तू?”
मैं: “मेरा बॉयफ्रेंड है… उससे… आह्ह…”
पापा: “अच्छा, तो तुझे लंड का स्वाद पहले से पता है। रुक, अब मैं तुझे असली चुदाई का मजा देता हूँ।”
पापा ने अपनी रफ्तार और बढ़ा दी। वो मेरी जबरदस्त चुदाई करने लगे। उनका लंड मेरी चूत में इतनी तेजी से अंदर-बाहर हो रहा था कि मेरी चूत की दीवारें जल रही थीं। कमरे में सिसकारियाँ, गालियाँ, और “थप… थप… थप…” की आवाजें गूँज रही थीं।
मैं: “चोद, साले! अपनी बेटी को अपनी रंडी बना ले… आह्ह… फाड़ दे मेरी चूत!”
पापा: “साली कुतिया, मुझे गालियाँ देती है? ले, और ले मेरा लंड!”
मैं: “मार मेरी चूत… फाड़ दे… आह्ह… और जोर से!”
पापा: “तेरी चूत तो कुंवारी जैसी टाइट है, आह्ह… क्या माल है तू!”
पापा ने अब मेरी टाँगें नीचे कीं और मुझे घोड़ी बनने को कहा। मैं फौरन घुटनों और हाथों के बल हो गई। मेरी गाँड हवा में थी, और मेरी चूत पूरी तरह खुली थी। पापा मेरे पीछे आए और अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ने लगे। मैं “प्लीज, पापा, अब डाल दो…” करके गिड़गिड़ा रही थी। पापा ने एक जोरदार झटका मारा और अपना पूरा लंड मेरी चूत में ठूंस दिया। मैं “आह्ह…” करके चीख पड़ी।
पापा ने मेरी कमर पकड़ी और धकाधक चुदाई शुरू कर दी। उनका लंड मेरी चूत की गहराइयों को चीर रहा था। उनकी जाँघें मेरी गाँड से टकरा रही थीं, और “थप… थप…” की आवाज पूरे कमरे में गूँज रही थी। पापा ने एक हाथ से मेरी चूची को पकड़ा और उसे जोर-जोर से मसलने लगे। मैं मजे में सिसक रही थी। मेरी चूत बार-बार रस छोड़ रही थी। मैं इस दौरान 6 बार झड़ चुकी थी, लेकिन पापा का जोश कम नहीं हो रहा था।
फिर पापा ने मुझे सीधा लिटाया और मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखीं। उन्होंने अपना लंड फिर से मेरी चूत में डाला और चुदाई शुरू कर दी। इस बार उनकी रफ्तार और तेज थी। उनका लंड मेरी चूत को रगड़ रहा था, और मैं हर धक्के में स्वर्ग में थी। पापा मेरी चूचियों को चूस रहे थे, मेरे निप्पल्स को काट रहे थे, और मेरी चूत को अपने लंड से फाड़ रहे थे।
ये चुदाई का सिलसिला 40 मिनट तक चला। मैं इस दौरान 8 बार झड़ चुकी थी। मेरी चूत लाल हो चुकी थी, और मेरा शरीर पसीने और रस से गीला था। तभी पापा ने एक जोरदार सिसकारी भरी और अपना लंड मेरी चूत से निकाला। फिर “पच… पच…” करके उनके गर्म, गाढ़े माल की पिचकारी मेरे चेहरे, चूचियों, पेट, और यहाँ तक कि मेरे बालों पर जा गिरी। उनकी पहली तीन पिचकारी मेरे गले तक गईं, और फिर धीरे-धीरे छोटी होती गईं। उनका लंड धीरे-धीरे ढीला पड़ गया, लेकिन फिर भी वो शानदार लग रहा था।
मैं उनके गर्म माल को अपने शरीर पर महसूस कर रही थी। मैंने अपनी उंगली अपनी चूचियों पर फिराई और उस पर लगा माल चाट लिया। उसका स्वाद इतना मादक था कि मैं फिर से उत्तेजित हो गई। पापा साइड में लेटकर मुझे देख रहे थे। हमारी नजरें मिलीं, और दोनों के चेहरों पर एक सेक्सी, शरारती मुस्कान आ गई।
फिर हम दोनों बाथरूम गए। हमने साथ में शावर लिया। पापा ने मुझे अपनी बाँहों में लिया, और हम दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे। शावर के नीचे उनका लंड फिर से सख्त होने लगा था, लेकिन हम दोनों थक चुके थे। पापा ने मुझे जन्मदिन के तोहफे में एक खूबसूरत सोने की अँगूठी दी। फिर हम अपने-अपने कमरे में जाकर सो गए।
सुबह जब मैं उठी, तो मेरा शरीर दर्द कर रहा था। मेरी चूत इतनी चुदाई के बाद सूज गई थी, और मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। मम्मी ने पूछा, तो मैंने कहा कि रात को बाथरूम में फिसल गई थी। मम्मी को कुछ शक नहीं हुआ।
इसके बाद मेरे और पापा के बीच कई बार चुदाई हुई। हर बार वो और मस्त और जोरदार होती थी। वो सारी कहानियाँ मैं बाद में बताऊँगी। तो तब तक के लिए अलविदा, और अपनी सुनिता को ढेर सारा प्यार देना।