ट्रेन में बहन की चुदाई की कहानी तो आपने पढ़े होंगे। पर आज जो मैं कहानी आपको सुनाने जा रहा हूं वह सब सेक्स कहानी से अलग है। ये सेक्स कहानी कल रात की है इसलिए आपको सुना रहा हूं। इस कहानी में आप जानेंगे कैसे मैंने अपनी छोटी बहन को ट्रेन में चोद कर गर्म किया। क्योंकि उसको काफी ज्यादा ठंड लग रही थी। और मेरे पास कोई दूसरा उपाय नहीं था इस वजह से मुझे यह कदम उठाना पड़ा। आगे सीधे चलते हैं कहानी पर।
मेरा नाम दीपक है। मेरी बहन का नाम ज्योति है ज्योति मेरे से 2 साल छोटी है। हम दोनों दिल्ली के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ते हैं। मैं नॉनवेज स्टोरी का बहुत बड़ा फैन हूं मैं रोजाना यहां कर सेक्स कहानी पढ़ता हूं। मुझे इस वेबसाइट की कहानियां काफी हॉट और सेक्सी लगती है। इससे रोजाना इस वेबसाइट पर आकर एक से एक हॉट और सेक्सी कहानी पढ़ता हूं और मुठ मारता हूं। हम दोनों भाई बहन को कॉलेज से सर्दी की छुट्टी मिली थी, इस वजह से हम दोनों अपने गांव जा रहे थे। दिल्ली से गाँव पहुंचने में हमको करीब चौबीस घंटे लगते हैं। ट्रैन में टिकट कन्फर्म नहीं हो रहा था। इस वजह से बहुत मुश्किल हो रही थी।
किसी तरह से एक टिकट कन्फर्म मिल रहा था वो भी सेकंड क्लास ऐसी में तो हमने एक कन्फर्म और एक आर ए सी में ले लिया। अब जाने का जुगाड़ हो गया था। एक कन्फर्म से भी काम अब चल जाता। ट्रैन दिल्ली स्टेशन से खुली मेरा बर्थ साइड वाला था। मेरी बहन का उसके नेक्स्ट वाला। टीटी बोला की आपकी बहन का भी टिकट कन्फर्म कर दूंगा थोड़ा वेट करना होगा। तब तक हम दोनों खाना खा चुके थे। सभी लोग ज्यादा सर्दी होने की वजह से सो गए खाना खा कर। पूरा डब्बा सुनसान सा लग रहा था। सब लोग अपनी अपनी जगह पर कंबल ओढ़कर सो गए थे।
हम दोनों एक ही सीट पर सो गए। मेरी बहन की तबियत थोड़ी ख़राब थी उसको तीन चार दिन से हल्का हल्का बुखार था। जब ट्रैन पर चढ़ी उसके बाद से उसका हाथ पैर ज्यादा गर्म होने लगा था और धीरे धीरे उसको काफी ज्यादा ठंढ लगने लगी थी। मैंने उसको अपने शरीर में सटा कर सुला लिया। तब भी वो काँप रही थी। मुझे कुछ भी नहीं सूझ रहा था। क्या करूँ कैसे करूँ। रात रात का समय था। कोई और उपाय था नहीं।
मैंने घर फोन किया घर वाले से पूछा कि ज्योति की तबीयत खराब है उसको काफी ज्यादा ठंड लग रही है. मेरी मां बोली तुम उसको अच्छे से ओढ़ा दो ताकि ठण्ड नहीं लगे। वो तो मैं पहले ही कर चूका था। मेरी बहन कहने लगी भैया मुझे काफी सर्दी लग रही है कुछ करो। रात ज्यादा हो चुकी थी। मैंने उसको अपने में सता कर दबोच लिया ताकि उसको गर्मी मिल सके। फिर भी वो काँप रही थी। मैंने उसके शरीर को सहलाना शुरू किया ताकि उसको गर्मी मिल सके।
पर दोस्तों मैं बहक गया वहां मेरी नियत ख़राब हो गयी। किसी की भी न्यायत ख़राब हो जाये जब आप एक जवान लड़की को दबोच पर उसके ऊपर पैर चढ़ाएं हो तो। उसकी चौड़ी गांड मेरे लंड के पास था इस वजह से मेरा लंड खड़ा होने लगा था। मैं रोकने की कोशिश कर रहा था की किसी तरह से मेरा लंड खड़ा नहीं हो पर ये हो ना पाया और मेरा लंड मोटा लम्बा होकर मेरी बहन के गांड के बीचो बिच सेट हो गया। मेरा हाथ उसकी चूचियों पर जा टिका था धीरे धीरे मैं दबाने लगा था। उसकी टाइट चूचियों को दबाकर मेरा लंड और भी मोटा हो गया था।
उसके कंधे को चूमने लगा उसकी चूचियों को दबाने लगा। उसके गांड पर हाथ फेरने लगा। धीरे धीरे मेरी बहन की साँसे तेज तेज चलने लगी और कांपना धीरे धीरे बंद हो रहा था। मैंने तुरंत ही आवेश में आ गया और फिर मैंने
उसके जींस का बेल्ट खोलकर उसके जींस को नीचे कर दिया उसके पेंटी खोल दी। वो अब सीधी हो गयी। मैंने उसके बूब्स को दबाना शुरू कर दिया। वो अब सिसकारियां लेने लगी। मैंने तुरंत ही उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा और उसकी चूत में अपनी ऊँगली घुसा दी। उसकी टॉप को ऊपर कर ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को मसलने लगा। उसने खुद ही अपनी ब्रा की हुक खोल दी और अपने चूचियों को बंधन से मुक्त कर दिया।
अब मैं उसकी चूचियों को मसलने लगा और निप्पल को मुँह में ले लिया। अब मेरे से रहा नहीं जा रहा था। लग रहा था ऊपर चढ़ कर उसकी चूत में लंड घुसा दूँ। पर बेड पर ये संभव नहीं था। मैंने उसको साइड में लिए गांड के तरफ से चुत को सहलाया टांगो को आगे किया उसके अब गांड और उसका चूत मेरे लंड के सामने आ गया। मैंने अपना लंड निकाल कर उसकी चूत के छेद पर सेट किया और जोर से घुसा दिया। उसकी चूत पहले से ही गीली हो चुकी थी। लंड आराम से अंदर चला गया था।
अब मैं हौले हौले से अंदर बाहर करने लगा अपने लंड को। उसकी चूचियों को मसलते हुए चोदने लगा। अब वो भी मजे लेने लगी और मैं भी जोर जोर से धक्के देने लगा। वो बार बार घूम कर मेरे होठ को चुस्ती और मेरे गाल पर अपना हाथ फेरती फिर मूड जाती। मैं जोर जोर से लंड को अंदर बाहर करने लगा। वो सिसकारियां निकाल रही थी। ट्रैन रात में सरपट भाग रहा था और मैं भी जोर जोर से अपनी बहन को चोद कर गरम कर रहा था।
अब उसके मुँह से आह आआआ ह्ह्हह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह आआआ की आवाज निकलने लगी गांड घुमा घुमा कर मेरे लंड को अंदर लेने लगी। वो जोर जोर से पीछे धक्के देने लगी और मैं आगे धक्के देने लगा। मैंने पूछा अब ठण्ड लग रही है ? वो बोली नहीं अब ठण्ड नहीं लग रही है। तुमने जो मुझे गरम कर दिया। और भी हम दोनों जल्दी जल्दी करने लगे और फिर मैं झड़ गया।
मेरा पूरा माल उसकी चूत में समा गया और फिर मैं भाई बहन दोनों एक दूसरे को पकड़ कर सो गए। दूसरे दिन के बाद से तो मेरा रिश्ता पूरी तरह से बदल गया। हम दोनों एक दूसरे को चाहने लगे। घर में तो कम टाइम मिल रहा है। पर हाँ दिल्ली में तो मजा आ जाएगा। जल्दी ही हम दोनों दिल्ली के लिए रवाना होएंगे तक तक टी चोरी छुपे ही चुदाई हो पा रही है। मैं जल्द ही अपनी दूसरी कहानी लेकर आऊंगा तब तक के लिए धन्यवाद।