चाची ने भतीजे को सेट कर चुदाई कराई

Chachi sex story – Bhatija Chachi sex story: मेरा नाम खुशी है और मैं 28 साल की हूँ, मेरी शादी को दो साल हो चुके हैं, लेकिन मेरे पति बाहर काम करते हैं और घर पर चार-पाँच महीनों में एक बार ही आते हैं, जिससे मेरी शारीरिक जरूरतें पूरी नहीं हो पातीं—रातें अकेली गुजारते हुए मेरी चूत में एक जलन सी महसूस होती है जो मुझे बेचैन कर देती है।

मैं अक्सर अपनी चूत की आग को शांत करने के लिए गाजर का इस्तेमाल करती हूँ, उसकी ठंडी और सख्त सतह को अंदर धकेलते हुए मैं कल्पना करती हूँ कि कोई मजबूत मर्द मुझे संभाल रहा है, लेकिन अब मुझे किसी असली मर्द की तलाश है जो मेरी इस प्यास को बुझा सके, मेरे शरीर की हर नस में आग लगा सके और मुझे पूर्ण संतुष्टि दे।

एक दिन हमारे घर पर मेरा भतीजा पुनीत आया, जो 20 साल का है और देखने में बहुत स्मार्ट लगता है—उसकी मांसल बॉडी, गहरी काली आँखें जो रहस्यमयी लगती हैं, और मुस्कान जो दिल को छू लेती है, मुझे तुरंत आकर्षित करने लगी, उसके आने से घर में एक नई ऊर्जा सी महसूस हो रही थी, जैसे हवा में जवानी की ताजगी घुल गई हो।

मैंने उससे पूछा कि अचानक कैसे आना हुआ, तो उसने बताया कि उसके एग्जाम हैं इसलिए वह दो दिनों के लिए मेरे घर पर रहने आया है, उसकी आवाज में एक मासूमियत थी लेकिन उसकी नजरों में कुछ और ही चमक थी जो मुझे अपनी ओर खींच रही थी।

पुनीत को देखते ही मेरा मन खराब होने लगा, मेरी साँसें तेज हो गईं और मेरे मन में विचार आने लगे कि कैसे उसे सेट किया जाए, क्योंकि उसकी जवानी की गर्मी मुझे अपनी ओर खींच रही थी, मेरी चूत में हल्की सी गुदगुदी होने लगी और मैं कल्पना करने लगी कि उसके मजबूत हाथ मेरे शरीर पर कैसे फिसलेंगे।

शाम हो गई थी और मैं किचन में काम कर रही थी, जहाँ से मसालों की तीखी खुशबू हवा में फैली हुई थी और स्टोव की आग की गर्माहट मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थी, तभी मैंने पुनीत को आवाज लगाई कि दो मिनट मेरी मदद कर दे, मेरी आवाज में एक जानबूझकर की गई मिठास थी जो उसे आकर्षित करने के लिए थी।

वह बोला कि आ रहा हूँ चाची, और जैसे ही वह आया, उसके कदमों की आवाज से मेरा दिल धड़कने लगा, मैंने कहा कि मुझे ऊपर का कोई सामान उठाना है, इसलिए थोड़ा मुझे उठा दे, और जैसे ही पुनीत ने मेरी कमर को छुआ, उसकी मजबूत उँगलियों की गर्माहट मेरी त्वचा से होकर मेरे पूरे शरीर में फैल गई, मैं पानी-पानी हो गई और जानबूझकर अपनी गांड को उसके लंड पर रगड़ने लगी, जिससे मुझे उसके लंड के सख्त होते जाने का एहसास हुआ—वह मेरी गांड से टकरा रहा था और उसकी सख्ती मुझे और उत्तेजित कर रही थी, जैसे कोई गर्म लोहे की छड़ मेरी त्वचा को छू रही हो।

पुनीत ने पूछा कि चाची, सामान ले लिया क्या, उसकी आवाज में हल्की सी कंपकंपी थी जो उसके उत्तेजित होने का संकेत दे रही थी, फिर मैं नीचे उतरते हुए उसकी तरफ मुड़ी और अपने बूब्स को उसके बदन से टकरा दिया, उनकी मुलायमियत उसके सीने से रगड़कर मुझे एक मीठी सिहरन दे रही थी और मैंने उसे कसकर पकड़ लिया, उसके शरीर की मर्दाना खुशबू मेरे नथुनों में भर गई जो मुझे और मदहोश कर रही थी।

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पुनीत ने चिंता से कहा कि चाची, लगी तो नहीं, उसकी आँखों में वासना की चमक साफ दिख रही थी, फिर उसने मुझे छोड़ दिया, लेकिन मुझे साफ-साफ उसके लोअर में खड़ा हुआ लंड दिखाई दे रहा था, जो तंबू की तरह उभरा हुआ था और उसकी लंबाई का अंदाजा मुझे और उत्साहित कर रहा था, जैसे कोई विशालकाय साँप जाग रहा हो।

मैंने उसका पूरा मूड बना दिया और पुनीत अपने कमरे में चला गया, उसके जाते हुए कदमों की आवाज मुझे और बेचैन कर रही थी।

कुछ समय बाद मैं पुनीत के कमरे की तरफ गई, दरवाजा खुला हुआ था और मैं सीधे अंदर चली गई, जहाँ कमरे में हल्की रोशनी थी और हवा में उसकी जवानी की मर्दाना खुशबू फैली हुई लग रही थी, जैसे कोई मस्क की सुगंध हो।

मैंने देखा कि पुनीत अपने लोअर को नीचे करके जोर-जोर से मुठ मार रहा था, उसका बड़ा लंड बाहर निकला हुआ था जो लाल होकर चमक रहा था और उसकी हर हरकत से कमरे में हल्की-हल्की आवाजें आ रही थीं, जैसे कोई चटकने की ध्वनि, और उसके चेहरे पर पसीने की बूँदें चमक रही थीं जो उसकी उत्तेजना को दर्शा रही थीं।

मेरे मुँह में पानी आ गया, मेरी जीभ सूखने लगी और मैं उसे चुपके से देखती रही क्योंकि वह फोन में कुछ देखकर मुठ मार रहा था, शायद कोई वीडियो जिसकी आवाज हल्की-हल्की मेरे कानों तक पहुँच रही थी, महिलाओं की सिसकारियाँ और पुरुषों की घर्राहटें।

फिर मैंने आवाज दी कि पुनीत, तो आवाज सुनते ही वह डर गया और जल्दी से अपने लंड को लोअर में डाल लिया, उसका चेहरा लाल हो गया और वह हाँफते हुए बोला कि हाँ चाची, उसकी साँसें इतनी तेज थीं कि मैं उन्हें महसूस कर सकती थी।

मैंने पूछा कि क्या कर रहा था, तो वह बोला कि कुछ नहीं चाची, लेकिन मैंने कहा कि मैंने सब देख लिया है, चाची प्लीज किसी को बताना मत, उसकी आवाज में डर और शर्म मिश्रित थी।

मैंने उसे आश्वासन दिया कि कोई बात नहीं पुनीत, इस उम्र में ऐसा होता रहता है और डर मत, मैं किसी को नहीं बताऊँगी, मेरी आवाज में एक सांत्वना थी जो उसे और करीब लाने के लिए थी।

फिर मैंने पूछा कि पहले ये बता किसकी याद में मुठ मार रहा था, तो पुनीत कुछ नहीं बोला, उसकी आँखें नीचे झुकी हुई थीं और साँसें तेज चल रही थीं, उसके होंठ काँप रहे थे।

मैंने कहा कि डर मत, मैं तेरी दोस्त ही हूँ, और धीरे-धीरे मैंने उसे अपनी बातों में फँसा लिया, अपनी मीठी आवाज और आँखों के इशारों से उसे और करीब खींचते हुए, मेरी उँगलियाँ हल्के से उसके कंधे पर फिर रही थीं।

पुनीत ने कहा कि चाची, आप गुस्सा हो जाओगी, लेकिन मैंने कहा कि नहीं होऊँगी, बता दे, मेरी नजरें उसकी आँखों में गड़ी हुई थीं।

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तब उसने बताया कि चाची, आपको, और मैं यही तो चाहती थी, लेकिन दिखावे के लिए मैंने कहा कि तू पागल हो गया है क्या, मेरे चेहरे पर एक नकली आश्चर्य था लेकिन अंदर से खुशी की लहर दौड़ रही थी।

पुनीत ने कहा कि चाची, जब आपके बूब्स मुझसे टकराए थे, मुझे वही आपको चोदने का मन कर गया था, और उसकी ये बात सुनते ही मैंने उसके लोअर के ऊपर से उसके लंड को सहलाना शुरू कर दिया, जिसकी गर्माहट मेरी हथेली में फैल रही थी और वह मेरी तरफ देखने लगा, उसकी आँखों में वासना चमक रही थी जैसे कोई भूखा शेर अपनी शिकार को देख रहा हो।

मैंने कहा कि पुनीत, मैं भी तुझसे बहुत प्यार करती हूँ, और मेरी ये बात सुनते ही पुनीत ने मुझे पकड़ा और बेड पर पटक दिया, उसकी मजबूत बाहों की पकड़ से मेरी साँसें रुकने लगीं लेकिन उत्तेजना से दिल तेज धड़क रहा था, बेड की मुलायम गद्दी मेरी पीठ पर लगी और मैं उसके नीचे दब गई।

मुझे बेड पर पटककर उसने मेरी कमीज उतार दी और मेरे बदन को चूमने लगा, उसके होंठों की गर्माहट और जीभ की चाट मेरी त्वचा पर बिजली जैसी सनसनी पैदा कर रही थी, मैं भी पानी-पानी हो रही थी और उसके बालों को सहलाने लगी, उनके मुलायम स्पर्श से मुझे और मजा आ रहा था, उसके बालों में उँगलियाँ फिराते हुए मैं उसकी खोपड़ी की गर्माहट महसूस कर रही थी।

फिर पुनीत मेरे बूब्स को दबाने लगा, उनकी सख्ती से मेरे निप्पल्स कड़े हो गए और दर्द के साथ-साथ सुख की लहर दौड़ रही थी, जैसे कोई मीठा दर्द हो।

पुनीत ने कहा कि चाची, आपके बूब्स बहुत मुलायम हैं, उसकी आवाज में कामुकता थी, और फिर मेरी ब्रा उतारकर फेंक दी, मेरे नंगे बूब्स को चाटने लगा, उसकी जीभ की गीली गर्माहट और चूसने की आवाज से कमरा गूँज रहा था, मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैंने बेड की चादर को कसकर पकड़ लिया, जिसकी रेशमी ठंडक मेरी उँगलियों में महसूस हो रही थी, मेरी सिसकारियाँ कमरे में फैल रही थीं।

पुनीत अपने मुँह से मेरे एक बूब को नोचने लगा, जिससे हल्का दर्द लेकिन गहरा सुख मिल रहा था, और दूसरे बूब को अपने एक हाथ से दबाने लगा, उसकी हथेली की रफ़ सतह मेरी त्वचा को और उत्तेजित कर रही थी, मैं कराह रही थी और मेरी चूत से रस बहने लगा था।

मैंने भी पुनीत के पूरे कपड़े उतार दिए और उसके लंड को हिलाने लगी, जो मेरी मुट्ठी में गर्म और सख्त महसूस हो रहा था, जैसे कोई लावा बह रहा हो, मैंने उसे और कड़क कर दिया, उसकी नसें फड़क रही थीं।

मैंने कहा कि पुनीत, तेरा लंड तो बहुत मोटा और लंबा है, तो उसने कहा कि चाची, इस लंबे और मोटे लंड को आप अपनी चूत में लोगी तो आपको बहुत मजा आएगा, उसकी बातों से मेरी उत्तेजना और बढ़ गई।

मैंने कहा कि फिर इंतजार किसका कर रहा है, डाल दे चूत के अंदर तेरे लंड को, और मेरी ये बात सुनकर पुनीत ने मेरी सलवार उतार दी और पैंटी भी, जिसकी गीली खुशबू हवा में फैल गई, जैसे कोई मादक सुगंध हो, फिर मुझे घोड़ी बना दिया और अपने लंड को हाथ में पकड़कर मेरी चूत पर रगड़ने लगा, हर रगड़ से मेरी चूत में आग सी लग रही थी और मेरा बुरा हाल होने लगा, सिहरन पूरे शरीर में फैल रही थी, मैं कराह रही थी और उसे और अंदर लेने के लिए तड़प रही थी।

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पुनीत ने मेरी चूत पर थूक लगाया, जो गीला और ठंडा महसूस हुआ, और लंड को चूत पर सेट कर दिया।

जैसे ही लंड मेरी चूत को फाड़ते हुए अंदर घुसा, मेरे से कुछ बोला ही नहीं गया और मेरी चीख निकल गई, दर्द इतना तेज था कि आँखें बंद हो गईं लेकिन जल्दी ही सुख में बदल गया, जैसे कोई स्वर्गीय अनुभूति हो, फिर पुनीत ने मेरी कमर को पकड़ा और जोर-जोर से चोदने लगा, हर धक्के से मेरे बूब्स जोर-जोर से हिलने लगे और पट-पट की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं, पसीने की खुशबू और हमारी साँसों की आवाज से माहौल और गर्म हो गया, मैं अपनी गांड को पीछे धकेल रही थी ताकि वह और गहराई तक जाए।

फिर पुनीत ने लंड को बाहर निकाला और मेरी गांड के छेद पर थूक लगाया, जो चिपचिपा और गर्म लगा।

मैंने उसे मना किया कि पुनीत, आगे से चूत मार ले, गांड तो तेरे चाचा को भी नहीं दी, लेकिन उसने मेरी एक नहीं सुनी, उसकी आँखों में एक जिद थी।

मैंने गांड पर हाथ रखने की कोशिश की, लेकिन उसने मेरे हाथ साइड कर दिए और लंड को गांड पर सेट करते हुए जोर से झटका मारा, मेरी तो जान ही निकल गई, दर्द इतना तेज था कि मेरी आँखों से आँसू आने लगे और चीख निकल गई, जैसे कोई जलती हुई सलाई अंदर घुस रही हो, लेकिन धीरे-धीरे मुझे मजा आने लगा, गांड की टाइटनेस में उसका लंड फिसल रहा था और सुख की लहरें दौड़ रही थीं, मैं कराह रही थी और उसे प्रोत्साहित कर रही थी।

थोड़ी देर बाद पुनीत ने अपना पानी मेरी गांड में छोड़ दिया, जो गर्म और चिपचिपा महसूस हुआ, जैसे कोई गर्म तरल अंदर बह रहा हो, और ऐसे पुनीत ने मेरी चूत और गांड दोनों को जमकर पेला, मेरी गांड मारकर छेद को बड़ा कर दिया, जिससे मुझे एक नई तरह की संतुष्टि मिली।

तो ये थी मेरी और भतीजे के साथ अपनी चूत चुदाई की कहानी, जो मेरी जिंदगी में एक यादगार पल बन गई।

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