नई दुल्हन की जिम में चुदाई

Nayi dulhan ki chudai sex story – Gym trainer intimate sex story – New bride gym sex story: मेरी शादी अभी-अभी अभिषेक से हुई थी, और हमारी यह अरेंज मैरिज थी जो अब धीरे-धीरे प्यार की मिठास से भर रही थी, लेकिन अभिषेक का व्यस्त बिजनेस जीवन हमें ज्यादा समय साथ बिताने का मौका नहीं देता था, जिससे मैं अक्सर खुद को इतना अकेला महसूस करती थी कि शाम को घर लौटते ही बिस्तर पर लेटकर छत को घूरती रहती, और मन में एक गहरा खालीपन सा छा जाता, जैसे मेरी आत्मा किसी करीबी स्पर्श की तलब में तड़प रही हो।

मैं एक बेहद खूबसूरत और गोरी-चिट्टी लड़की हूँ, मेरी उम्र महज चौबीस साल है, और मेरी फिगर इतनी परफेक्ट है—चौंतीस-अट्ठाईस-छत्तीस—कि शादी के बाद भी मैं और ज्यादा निखरकर सामने आ रही हूँ, जैसे मेरी त्वचा की चमक और शरीर की हर वक्र हर किसी को अपनी ओर खींचती हो, मेरी गोरी जांघें इतनी चिकनी और मुलायम हैं कि छूने से दिल धड़क उठे, और मेरे स्तन भरे हुए लेकिन सख्त, जो किसी भी कपड़े में उभरकर मेरी अंतरंग इच्छाओं को जाहिर कर देते हैं।

अभिषेक एक सफल बिजनेसमैन है जो दिन-रात अपने काम में डूबा रहता है, सुबह जल्दी निकल जाता और रात देर से लौटता, थककर सो जाता, और मेरी उन गहरी जरूरतों पर ध्यान नहीं दे पाता जो मेरे दिल और शरीर को एक करीबी बंधन की तलब में छोड़ देती हैं, जैसे हमारे बीच की रातें अब सिर्फ सोने की हो गई हैं, बिना उस गर्माहट के जो मुझे अंदर से पिघला दे।

शादी के एक महीने बाद ही मैंने सोचा कि मैं जिम जॉइन करके अपनी बॉडी को मेंटेन रखूँगी, साथ ही कुछ समय खुद के लिए निकालूँगी, क्योंकि घर की चार दीवारों में बंद रहना मुझे इतना बेचैन कर रहा था कि मैं अपनी बॉडी में छुपी उस ऊर्जा को महसूस करती जो किसी अंतरंग स्पर्श से बाहर निकलना चाहती थी, जैसे मेरी हर सांस में एक गुप्त तलब जाग रही हो।

सुबह के समय जिम जाना मेरा रोज का रूटीन बन गया था, जहाँ हवा में पसीने की हल्की-सी महक मिली हुई रहती थी, मशीनों की हल्की गड़गड़ाहट और संगीत की धुनें एक अलग ही ऊर्जा पैदा करती थीं, जैसे हर कोने में वर्कआउट की आवाजें गूँजती रहतीं, और मुझे लगता कि यहाँ आकर मैं खुद को जीवंत महसूस करती हूँ, जैसे मेरी आत्मा किसी करीब आने वाले स्पर्श की प्रतीक्षा में हो।

वहाँ का ट्रेनर कुणाल था—एक लंबा-चौड़ा और मस्कुलर नौजवान, जिसकी उम्र अट्ठाईस साल थी, और उसकी गहरी आँखें तथा मुस्कान में एक ऐसा आकर्षण था जो मुझे मोहित कर देता, जैसे उसकी मांसपेशियाँ हर मूवमेंट में फूलती-उभरती हों और उसकी त्वचा से निकलती पसीने की हल्की नमकीन गंध आसपास की हवा को गर्म कर देती हो, उसके चौड़े कंधे, उभरे बाइसेप्स, और साफ-सुथरा लेकिन मर्दाना चेहरा मुझे हर बार अपनी ओर खींचता, जैसे वो मेरी गुप्त इच्छाओं को पढ़ रहा हो।

पहली बार जब मैं जिम में कदम रखी, तो कुणाल ने मुझे गर्मजोशी से वेलकम किया, उसकी आवाज में एक गहराई थी जो मेरे कानों में गूँज गई और मेरे दिल को छू गई, “हैलो मैम, मैं कुणाल हूँ, आपका ट्रेनर, बताइए आपकी क्या जरूरतें हैं?” उसने मुस्कुराते हुए पूछा, और मैंने शरमाते हुए, अपनी आँखें नीची करके जवाब दिया, “बस, फिट रहना चाहती हूँ, शादी के बाद थोड़ा वजन बढ़ गया है,” जबकि मेरी टाइट लेगिंग्स मेरी गोरी जांघों की चिकनी त्वचा को इस कदर हाइलाइट कर रही थीं कि कुणाल की नजरें वहाँ से हट ही नहीं रही थीं, जैसे वह मेरी हर वक्र को अपनी आँखों से सहला रहा हो, और मेरी ग्रे लेगिंग्स इतनी टाइट थी कि मेरी गांड की गोलाई साफ उभर रही थी, जो मुझे एक गुप्त उत्तेजना दे रही थी।

“कोई दिक्कत नहीं, हम साथ मिलकर काम करेंगे,” कुणाल ने कहा, और उसकी आवाज में वो गर्माहट थी जो मेरे दिल में एक हल्की-सी कंपकंपी पैदा कर गई, जैसे वो शब्द मेरे शरीर में घुसकर मेरी अंतरंग भावनाओं को जगा रहे हों, और मैं महसूस कर रही थी कि उसके साथ का विचार मुझे एक गहरा सुकून दे रहा है।

धीरे-धीरे दिन बीतने लगे, और कुणाल मुझे पर्सनल ट्रेनिंग देता रहा, जहाँ वर्कआउट के दौरान वह मेरे इतने करीब आ जाता कि उसकी साँसों की गर्म हवा मेरी त्वचा पर लगती और मुझे अंदर तक गर्म कर देती, उसके हाथ मेरे कंधों को छूते जैसे बिजली का झटका देते, और कमर को सपोर्ट करते हुए उसकी उँगलियाँ मेरी नरम त्वचा में हल्का-सा दबाव डालतीं, जिससे हर छुअन में एक करंट सा दौड़ जाता था, और मुझे लगता कि कुणाल की उँगलियाँ मेरी त्वचा पर आग की लपटें छोड़ रही हैं, जैसे वो स्पर्श मेरी आत्मा को छू रहा हो, जबकि जिम की ठंडी एयरकंडीशनिंग हवा मेरे पसीने को और ज्यादा महसूस कराती, जैसे मेरी सफेद टी-शर्ट में से पसीना छनकर मेरी काली ब्रा की लाइन दिखने लगती, और मैं उसके करीब होने की उस अंतरंग अनुभूति में खो जाती।

एक दिन स्क्वाट्स करते हुए मैं बुरी तरह थक गई, मेरे पैर काँप रहे थे और साँसें तेज हो गई थीं, पसीने की बूँदें मेरे माथे से बहकर मेरी गर्दन पर सरक रही थीं, और मेरी टी-शर्ट चिपककर मेरे स्तनों की आउटलाइन को और साफ कर रही थी, “कुणाल, बस… अब नहीं हो रहा,” मैंने हाँफते हुए कहा, और कुणाल ने तुरंत मेरी कमर को अपनी मजबूत बाहों से पकड़ लिया, उसकी उँगलियाँ मेरी कमर की नरम त्वचा पर दब गईं, जहाँ टी-शर्ट ऊपर सरक गई थी, जैसे वो स्पर्श मेरे अंदर की आग को और भड़का रहा हो, “अरे, थोड़ा और धक्का दो… देखो, तुम्हारी बॉडी कितनी परफेक्ट है, हर मूवमेंट में वो लचक इतनी सेक्सी लगती है,” उसने कहा, जबकि उसकी साँसें मेरे कान के इतने पास लग रही थीं कि उसका गर्म स्पर्श मुझे काँपने पर मजबूर कर रहा था, और उसकी मांसपेशियों की गंध मिली पसीने की खुशबू मेरे नथुनों में भर गई, जैसे वो गंध मेरे अंदर घुसकर मुझे उसके और करीब ला रही हो।

रात को अभिषेक के साथ बिस्तर पर लेटे हुए मैं कुणाल के बारे में सोचती रहती, अभिषेक थककर सो जाता लेकिन मेरी बॉडी में एक अजीब-सी गर्मी फैल जाती, जैसे मेरी त्वचा पर कुणाल की छुअन की यादें अब भी जल रही हों, और मेरी चूत में एक हल्की-सी नमी महसूस होती जो मुझे इतना बेचैन कर देती कि मैं करवटें बदलती रहती और हाथ अपनी जांघों पर फेरती, लेकिन वो राहत नहीं मिलती जो सिर्फ कुणाल का स्पर्श दे सकता था, जैसे मेरी आत्मा उसकी गर्माहट की तलब में तड़प रही हो।

एक शाम जिम में तेज बारिश हो रही थी, बाहर पानी की झमाझम आवाज आ रही थी और जिम लगभग खाली हो चुका था, सिर्फ मशीनों की हल्की गुनगुनाहट और बारिश की बूँदों की थपथपाहट का शोर था, हवा में मिट्टी की सोंधी महक मिली हुई थी जो खिड़कियों से अंदर आ रही थी, और वो माहौल इतना अंतरंग लग रहा था जैसे वो सिर्फ हम दोनों के लिए बना हो।

मैं उस दिन लेट आई थी, और कुणाल अकेला ही वहाँ रुक गया था, जैसे वह मेरा इंतजार कर रहा हो, उसकी टी-शर्ट पसीने से चिपकी हुई थी और उसकी मांसपेशियाँ और उभर रही थीं, जो मुझे अपनी ओर खींच रही थीं।

“आज लेट हो गई?” कुणाल ने पूछा, उसकी आँखों में एक चमक थी जो मेरे दिल को छू गई, और मैंने अपनी गीली टी-शर्ट को ठीक करते हुए कहा, “हाँ, घर का काम था,” जबकि मेरी सफेद टी-शर्ट बारिश से भीगकर चिपक गई थी, और मेरे काले ब्रा की आउटलाइन साफ दिख रही थी, जो मेरे गोरे स्तनों की उभार को और ज्यादा आकर्षक बना रही थी, कुणाल की नजरें वहाँ टिक गईं जैसे वह उन्हें अपनी आँखों से सहला रहा हो, और मेरी लेगिंग्स भी गीली होकर मेरी जांघों पर चिपक गई थीं, जो मुझे एक गुप्त उत्तेजना दे रही थी।

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वर्कआउट शुरू हुआ, ट्रेडमिल पर दौड़ते हुए मेरी साँसें तेज हो गईं, मेरे पैरों की थपथपाहट मशीन पर गूँज रही थी, और पसीने की बूँदें मेरे माथे से बहकर गर्दन पर सरक रही थीं, मेरी टी-शर्ट और चिपक गई थी, कुणाल मेरे बगल में खड़ा था, इतने करीब कि उसकी गर्माहट मुझे महसूस हो रही थी, “स्पीड बढ़ाओ… हाँ, ऐसे ही, तुम्हारी जांघें कितनी मजबूत लग रही हैं,” उसने कहा, उसकी आवाज में एक भारीपन था जो मेरे अंदर कुछ जगा रहा था।

अचानक मेरा पैर फिसला, और मैं गिरने लगी, लेकिन कुणाल ने मुझे अपनी मजबूत बाहों में थाम लिया, हम दोनों की साँसें एक-दूसरे से टकरा गईं, कुणाल की छाती की गर्मी मेरी त्वचा पर लग रही थी, और उसकी मांसपेशियों की सख्ती मेरे हाथों में महसूस हो रही थी, उसकी टी-शर्ट से निकलती पसीने की गंध मुझे घेर रही थी, जैसे वो गंध मुझे उसके और करीब ला रही हो।

“ठीक हो?” कुणाल ने धीरे से पूछा, उसकी आँखें मेरी आँखों में इतनी गहराई से डूब गईं कि समय रुक सा गया, मैंने सिर्फ सिर हिलाया लेकिन मैं हिल नहीं पाई, क्योंकि कुणाल की दिल की तेज धड़कन मेरे हाथ के नीचे महसूस हो रही थी, और उसकी त्वचा से निकलती मर्दाना गंध मुझे मदहोश कर रही थी, जैसे वो गंध मेरे अंदर घुसकर मेरी हर इच्छा को जगा रही हो, और मैं महसूस कर रही थी कि हमारे बीच का ये पल कितना अंतरंग है।

“कुणाल… ये क्या हो रहा है हमारे बीच?” मैंने फुसफुसाते हुए कहा, मेरी आवाज में एक कंपकंपी थी जो मेरी भावनाओं को जाहिर कर रही थी, और कुणाल ने मुझे और ज्यादा कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया, जैसे वो मुझे कभी छोड़ना न चाहे, “जो होना चाहिए था, हंशिका, तुम मुझे हर दिन पागल कर रही हो, तुम्हारी बॉडी को देखकर, उसकी हर वक्र को छूकर मैं खुद को रोक नहीं पाता, तुम्हारी खुशबू, तुम्हारी साँसें सब मुझे दीवाना बना रही हैं,” उसने कहा, उसकी उँगलियाँ मेरी पीठ पर फिसल रही थीं, जैसे वो मेरी आत्मा को सहला रही हों, और मेरी आँखें बंद हो गईं, मैं जानती थी कि ये गलत है लेकिन अभिषेक के साथ वो गर्माहट और जुनून नहीं था जो कुणाल की छुअन में था, जैसे अभिषेक का स्पर्श अब ठंडा लगता जबकि कुणाल का हर छूना मेरे अंदर आग लगाता और मुझे उसके करीब होने का एहसास देता।

कुणाल ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए, चुंबन इतना गहरा और पैशनेट था कि मेरी सारी हिचकिचाहट पिघल गई, जैसे वो चुंबन हमारी आत्माओं को जोड़ रहा हो, मेरी जीभ कुणाल की जीभ से मिलकर एक मीठे-नमकीन स्वाद में खो गई, जैसे हम दोनों की लार एक-दूसरे में घुल रही हो, कुणाल के होंठ रसीले और गर्म थे, और मैंने अपनी जीभ से उसके होंठों को चाटा, जबकि कुणाल के हाथ मेरी कमर से सरककर मेरी गांड पर आ गए, जोर से दबा दिए, मेरी गांड की नरमी उसके हाथों में दब गई, और मैं सिसकार उठी, “आह्ह… कुणाल, कितना अच्छा लग रहा है, तुम्हारी उँगलियाँ मेरी गांड को ऐसे दबा रही हैं जैसे वो सिर्फ तुम्हारी हैं, मुझे तुम्हारे इतने करीब महसूस करा रही हैं,” मैंने कहा, मेरी आवाज हाँफ रही थी और मेरी आँखें उसकी आँखों में डूबी हुई थीं।

कुणाल ने चुंबन तोड़ा और मेरे कान में फुसफुसाया, उसकी गर्म सांस मेरे कान को सहला रही थी, “तुम्हारी ये गांड कितनी मुलायम है, हंशिका, मैं इसे हर दिन देखता हूँ और सोचता हूँ कि इसे चोदते हुए कैसा लगेगा, तुम रंडी जैसी लग रही हो अभी, लेकिन मेरी रंडी, सिर्फ मेरी,” और फिर से मेरे होंठों को चूसने लगा, जीभ से जीभ को रगड़ते हुए, जैसे वो रगड़ हमारी भावनाओं को और गहरा कर रही हो, हाथ अब मेरी जांघों पर फिसलने लगे, धीरे-धीरे ऊपर की तरफ, मेरी साँसें और तेज हो गईं, मैं कुणाल की छाती पर हाथ फेर रही थी, उसकी मांसपेशियों की सख्ती महसूस कर रही थी, जैसे वो सख्ती मेरे अंदर की नरमी से मिल रही हो।

हम ट्रेडमिल से उतरकर जिम के एक कोने में चले गए, जहाँ नरम मैट्स बिछे थे, फर्श की ठंडक हमारे पैरों को छू रही थी, और कुणाल ने मुझे धीरे से मैट पर लिटा दिया, उसकी आँखों में इतना प्यार और वासना थी कि मेरा दिल तेज धड़क रहा था, जैसे वो नजरें मुझे कह रही हों कि मैं सिर्फ उसकी हूँ, मैट की ठंडी सतह मेरी पीठ पर लगी और मैं कांप गई, लेकिन कुणाल की गर्माहट ने मुझे घेर लिया।

“तुम कितनी सेक्सी हो, हंशिका, तुम्हारी ये चूचियाँ मुझे पागल कर रही हैं, मैं इन्हें चूसना चाहता हूँ, इनकी नरमी को महसूस करना चाहता हूँ, ये गोरी चूचियाँ कितनी कड़ी हो गई हैं, जैसे मेरे लिए तरस रही हों,” उसने कहा, और मेरी सफेद टी-शर्ट को धीरे-धीरे ऊपर सरका दिया, मेरी त्वचा पर हवा लगी और मैं सिहर उठी, टी-शर्ट मेरे स्तनों पर अटक गई तो कुणाल ने उसे और ऊपर किया, मैंने हाथ ऊपर करके टी-शर्ट उतारने में मदद की, अब मैं सिर्फ काली ब्रा में थी, जो मेरे गोरे स्तनों को कसकर पकड़े हुए थी, जो हल्के-हल्के उछल रहे थे, कुणाल ने ब्रा के हुक को पीछे से खोला, ब्रा ढीली हो गई और वो उसे साइड कर दिया, मेरे गोरे स्तन बाहर आ गए, उनके निप्पल हल्के गुलाबी रंग के थे, सख्त होकर खड़े थे, कुणाल ने एक निप्पल को अपनी उँगलियों से छुआ, धीरे से मरोड़ा, जैसे वो मरोड़ मेरे अंदर की आग को और भड़का रहा हो, “देखो, कितने कड़े हो गए हैं तुम्हारे निप्पल, जैसे मेरे लिए तरस रहे हों, मैं इन्हें चूसकर लाल कर दूंगा, तुम्हें अपना बना लूंगा,” उसने कहा, और फिर एक निप्पल को अपने मुँह में ले लिया, जोर से चूसने लगा, कभी जीभ से सहलाता, कभी हल्का-सा काटता, उसकी जीभ की गर्मी और दाँतों का दबाव मेरे निप्पल पर लग रहा था, जैसे वो आग की तरह जल रहा हो और मुझे उसके करीब होने का एहसास दे रहा हो, मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “ओह्ह… स्सी… कुणाल, जोर से चूसो, कितना मजा आ रहा है, तुम्हारी जीभ की गर्मी मेरी त्वचा को जलाती हुई लग रही है, मेरे निप्पल को ऐसे काटो जैसे वो सिर्फ तुम्हारे हैं, मादरचोद, और जोर से चूस, मुझे तुम्हारा प्यार महसूस हो रहा है,” मैंने कहा, उसके बालों में उँगलियाँ फेरते हुए, जैसे वो फेरना हमारी निकटता को और बढ़ा रहा हो, कुणाल ने दूसरे स्तन पर हाथ रखा, उसे मसलने लगा, निप्पल को उँगलियों से खींचा, “ये चूचियाँ कितनी भरी हुई हैं, हंशिका, मैं इन्हें रोज दबाना चाहता हूँ, तुम्हारी ब्रा के अंदर ये कैसे छुपी रहती हैं, वो सिर्फ मेरे लिए हैं,” और वो चूसता रहा, कभी एक को, कभी दूसरे को, मेरी चूत में अब गर्म नमी फैल गई थी, लेगिंग्स के अंदर की वो गीलापन मुझे बेचैन कर रहा था, जैसे मेरी योनि की दीवारें सिकुड़ रही हों, और क्लिट सख्त होकर फूल गई हो, मैं अपनी जांघें आपस में रगड़ रही थी, लेकिन वो रगड़ कुणाल की निकटता की तुलना में कुछ नहीं थी।

कुणाल ने मेरे स्तनों से मुँह हटाया और नीचे की तरफ सरका, मेरे पेट पर किस किया, जीभ से नाभि को चाटा, मैं कांप उठी, जैसे वो चाटना मेरे अंदर की हर संवेदना को जगा रहा हो, “उफ्फ़… कुणाल, तुम क्या कर रहे हो, मेरी नाभि को ऐसे चाटो, कितना गुदगुदा रहा है लेकिन मजा आ रहा है, जैसे तुम मुझे अंदर से जान रहे हो,” मैंने कहा, और कुणाल ने मेरी ग्रे लेगिंग्स को धीरे-धीरे नीचे सरकाया, मैंने कूल्हे ऊपर करके मदद की, लेगिंग्स मेरी जांघों से फिसलकर नीचे आई, मेरी गोरी जांघें नंगी हो गईं, जो चिकनी और मुलायम थीं, कुणाल की उँगलियाँ उन पर फिसलीं, धीरे-धीरे अंदर की तरफ, जांघों के बीच छुआ, जैसे वो छुअन मेरी आत्मा को छू रही हो, “तुम्हारी जांघें कितनी गर्म हो गई हैं, हंशिका, जैसे आग लगी हो, मैं इन्हें चाटना चाहता हूँ, तुम्हें महसूस कराना चाहता हूँ कि तुम मेरी हो,” उसने कहा, और जांघों पर जीभ फेरी, कभी चाटता, कभी हल्का काटता, मेरी सिसकारियाँ बढ़ गईं, “आह्ह… स्सी… कुणाल, मेरी जांघों को ऐसे मत छेड़ो, मैं पागल हो रही हूँ, तुम्हारी जीभ की गर्मी सीधे मेरी चूत में लग रही है, मुझे तुम्हारे और करीब ला रही है,” फिर लेगिंग्स पूरी उतार दी, अब मैं सिर्फ लाल पैंटी में थी, जो पूरी तरह गीली हो चुकी थी, जो मेरी गुलाबी चूत की नमी से चिपक गई थी, पैंटी के बीच में एक गीला धब्बा साफ दिख रहा था, “देखो, कितनी गीली हो गई हो तुम, तुम्हारी चूत की ये खुशबू मुझे दीवाना बना रही है, वो नमकीन-मीठी महक जो पैंटी से आ रही है, मैं इसे सूंघना चाहता हूँ, क्योंकि ये महक सिर्फ मेरे लिए है,” कुणाल ने कहा, और अपना नाक पैंटी पर रख दिया, गहरी साँस ली, “आह्ह… कितनी मदमस्त महक है तुम्हारी चूत की, जैसे रंडी की चूत हो, लेकिन मेरी प्यारी रंडी की,” और पैंटी पर अपनी उँगली फेर दी, जो मेरी क्लिट को छूकर मुझे काँपने पर मजबूर कर रही थी, उँगली की रगड़ से क्लिट पर दबाव पड़ा और मैं सिसकार उठी, “कुणाल, प्लीज… अब सहन नहीं होता, तुम्हारी उँगली की गर्मी मुझे पागल कर रही है, मेरी क्लिट को ऐसे रगड़ो, मादरचोद, और जोर से दबाओ, मुझे महसूस कराओ कि मैं तुम्हारी हूँ,” मैंने कहा।

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कुणाल ने पैंटी को धीरे से नीचे सरकाया, मेरी चूत नंगी हो गई, क्लीन शेव्ड, गुलाबी और रसीली, क्लिट ऊपर की तरफ फूली हुई, और योनि की होंठ हल्के गुलाबी, नमी से चमक रहे थे, कुणाल ने अपनी उँगली से क्लिट को छुआ, धीरे-धीरे रगड़ा, जैसे वो रगड़ मेरी हर संवेदना को छू रही हो, “देखो, कितनी फूली हुई है तुम्हारी क्लिट, जैसे मेरे लिए तैयार हो, मैं इसे चूसकर बड़ा कर दूंगा, तुम्हें सुख की गहराई दिखाऊंगा,” और फिर अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी, जीभ से चाटने लगा, क्लिट को चूसने लगा, मेरी योनि के रस का नमकीन-मीठा स्वाद उसकी जीभ पर फैल रहा था, जीभ की टिप क्लिट पर घूम रही थी, कभी दबाव डालती, कभी चाटती, मेरी सिसकारियाँ और तेज हो गईं, “आआह्ह… उफ्फ़… हाय राम… कुणाल, तुम क्या कर रहे हो… ओह्ह माई गॉड, तुम्हारी जीभ की हर लहर मेरी चूत को अंदर तक हिला रही है, क्लिट को ऐसे चूसो जैसे वो तुम्हारा लॉलीपॉप हो, मादरचोद, और जोर से चाटो मेरी चूत, मुझे तुम्हारी निकटता का एहसास दे रही हो,” मैं चिल्लाई, मेरे कूल्हे उछलने लगे, और कुणाल ने एक उँगली अंदर डाल दी, योनि की गर्म, गीली दीवारों पर उँगली फिसली, धीरे-धीरे हिलाने लगा, कभी अंदर-बाहर करता, कभी घुमाता, उँगली की रगड़ मेरी योनि की दीवारों पर इतनी सुखद थी कि मेरा बदन अकड़ गया, और मैं झड़ने लगी, “आह्ह… मैं आ रही हूँ… स्सी… कुणाल, कितना मजा है, मेरी चूत से निकलता रस तुम्हारी जीभ पर फैल रहा है, ओह्ह… और जोर से उँगली हिलाओ, फाड़ दो मेरी चूत, लेकिन प्यार से!”

झड़ने के बाद मैंने कुणाल को अपनी ओर खींचा, मेरी आँखों में वासना की चमक थी लेकिन साथ में एक गहरा प्यार, “अब तुम्हारी बारी है, मैं तुम्हें वैसा ही मजा दूँगी, जैसे तुम मुझे दे रहे हो, हमारी ये निकटता और बढ़े,” मैंने कहा, और कुणाल की ग्रे ट्रैक पैंट को नीचे सरकाया, उसकी बॉक्सर से उसका लंड उभरा हुआ दिख रहा था, मैंने बॉक्सर भी उतार दी, कुणाल का लंड आठ इंच का, मोटा और सख्त था, जो उभरी नसों से भरा हुआ था, सुपारा गुलाबी और चमकदार, प्री-कम से गीला, मैंने उसे हाथ में लिया, ऊपर-नीचे करने लगी, उसकी गर्मी और सख्ती मेरे हाथों में महसूस हो रही थी, उँगलियाँ सुपारे पर फिसलीं जहां वो और चिकना था, “कितना बड़ा और मोटा है तुम्हारा… अभिषेक का इससे आधा है, ये मेरी मुट्ठी में कड़क हो रहा है, सुपारा कितना गुलाबी और चमकदार है, मैं इसे चूसकर इसका रस निकालूँगी, क्योंकि ये सिर्फ मेरा है,” मैंने कहा, और मुँह में ले लिया, जोर-जोर से चूसने लगी, जीभ से सुपारे को सहलाती, कभी चाटती, कभी होंठों से दबाती, कुणाल ने सिसकारी ली, “ओह्ह… हंशिका, चूसो… हाँ, ऐसे… तुम रंडी जैसी चूस रही हो, तुम्हारी जीभ की गर्मी मेरे लंड को पिघला रही है, सुपारे को ऐसे चाटो, मादरचोद, गले तक लो इसे,” उसने कहा, और मेरे बाल पकड़कर धक्के देने लगा, मेरे मुँह में उसका लंड का नमकीन प्री-कम फैल रहा था, मैं गले तक लेने की कोशिश करती और चूसती रहती, कभी सुपारे को जीभ से घुमाती, कभी नसों पर जीभ फेरती, ग्ग्ग्ग.. ग्ग्ग्ग.. गी.. गी.. गी.. गों.. गों.. गोग, जैसे आवाजें निकल रही थीं मेरे मुँह से जबकि मैं डीपथ्रोट करने की कोशिश कर रही थी, और कुणाल की सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थीं, जैसे वो सिसकारियाँ हमारी निकटता को और गहरा कर रही हों।

अब कुणाल ने मुझे मैट पर फिर से लिटाया, उसकी आँखों में जुनून था लेकिन साथ में एक गहरा प्यार, “अब मैं तुम्हें चोदूंगा, हंशिका, तुम्हारी चूत फाड़ दूंगा, लेकिन इतने प्यार से कि तुम कभी भूल न सको, क्योंकि तुम मेरी हो,” उसने कहा।

मैंने अपने पैर फैला दिए, मेरी चूत की गर्मी और नमी हवा में फैल रही थी, क्लिट अब भी फूली हुई, “हाँ, चोदो मुझे… जोर से चोदो, कुणाल, मैं तुम्हारी रंडी हूँ आज, तुम्हारा लंड मेरी चूत में घुसकर मुझे पूरा कर दो, मुझे महसूस कराओ कि हम एक हैं,” मैंने कहा।

कुणाल ने लंड को मेरी चूत पर सेट किया, सुपारे को क्लिट पर रगड़ा, जो गीला होकर फिसल रहा था, फिर एक झटके में अंदर घुसेड़ दिया, मैं चीख उठी, “आआह्ह… उफ्फ़… दर्द हो रहा है… लेकिन अच्छा लग रहा है, तुम्हारा मोटा लंड मेरी चूत की दीवारों को फैला रहा है, सुपारा अंदर तक टकरा रहा है, जैसे वो मुझे अंदर से भर रहा हो,” और कुणाल धक्के देने लगा, धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाई, हर धक्के में लंड की नसें चूत की दीवारों पर रगड़ रही थीं, जिम में हमारी साँसों की तेज आवाजें, मैट की चरमराहट और मेरी सिसकारियाँ गूँज रही थीं, मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, उनके गुलाबी निप्पल हवा में कड़क हो रहे थे, कुणाल ने उन्हें दबाया, चूसा, उनकी नरमी को मसलते हुए, जैसे वो मसलना हमारी निकटता को और बढ़ा रहा हो, “ओह्ह… कुणाल, जोर से… हाँ, ऐसे चोदो… मेरी चूत तुम्हारी है, तुम्हारा लंड अंदर तक टकरा रहा है, कितना गहरा लग रहा है, मेरी क्लिट को रगड़ो, मुझे तुम्हारा प्यार महसूस हो रहा है,” मैंने कहा, मेरी योनि से चपचप की आवाज आ रही थी, आह इह्ह ओह्ह ओह! आह.. ह्ह्ह.. इह्ह.. ..! आह ह ह ह ह्हीईई आअह्ह्ह्ह, जैसे सिसकारियाँ निकल रही थीं हर धक्के के साथ, और मैं उसकी आँखों में देखकर महसूस कर रही थी कि ये पल सिर्फ हमारा है।

हम पोजीशन चेंज करते रहे, डॉगी स्टाइल में कुणाल ने मुझे घुटनों पर किया, पीछे से लंड डाला, सुपारा फिर से अंदर घुसा, मेरी गांड को थप्पड़ मारे, मेरी गोरी त्वचा पर लाल निशान पड़ गए, थप्पड़ की जलन से मैं सिसकार उठी, “आह्ह… स्सी… मादरचोद, कितना मजा आ रहा है, तुम्हारे थप्पड़ की जलन मेरी गांड को और गर्म कर रही है, जोर से ठोको, मुझे महसूस कराओ कि मैं तुम्हारी हूँ,” मैं बोली, और कुणाल ने मेरे बाल पकड़े, जोर-जोर से ठोका, उसका लंड मेरी चूत में गहराई तक जा रहा था, रस की चपचपाहट की आवाज आ रही थी, हर धक्के में सुपारा योनि की पिछली दीवार पर लगता, जैसे वो लगना हमारी आत्माओं को जोड़ रहा हो।

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फिर मैं ऊपर आई, कुणाल मैट पर लेट गया, मैं उसके लंड पर बैठ गई, धीरे से चूत में डाला, लंड की मोटाई फिर से महसूस हुई, मैं उछलने लगी, अपनी चूत को ऊपर-नीचे करने लगी, मेरे कूल्हों की लचक और स्तनों की उछाल कुणाल को मदहोश कर रही थी, चूचियाँ ऊपर-नीचे हो रही थीं, “ओह्ह… हंशिका, तुम कितनी हॉट हो… मैं झड़ने वाला हूँ, तुम्हारी चूत की गर्मी मुझे घेर रही है, दीवारें मेरे लंड को कस रही हैं, जैसे हम एक हो गए हैं,” कुणाल ने कहा।

“मेरे अंदर ही झड़ो… मैं पिल लेती हूँ, तुम्हारा गर्म वीर्य मेरी चूत में भर दो, मुझे वो गर्माहट महसूस कराओ,” मैंने कहा, और हम दोनों एक साथ झड़े, कुणाल का वीर्य मेरी चूत में भर गया, गर्म तरल की अनुभूति मुझे और ज्यादा सुख दे रही थी, जैसे वो अंदर फैल रहा हो और हमें और करीब ला रहा हो, और मेरी योनि से मिश्रित रस बाहर टपक रहा था, आह्ह.. ह्ह.. आऊ.. ऊऊ.. ऊउइ ..ऊई ..उईईई.. जैसे आवाजें निकल रही थीं मेरी झड़ने की प्रक्रिया में।

हम थककर मैट पर लेट गए, एक-दूसरे की बाहों में, कुणाल ने मुझे अपनी छाती से लगा लिया, उसकी दिल की धड़कन मेरे कानों में गूँज रही थी, हम दोनों की साँसें अभी भी तेज थीं, पसीने से बॉडीज चिपचिपी हो गई थीं, लेकिन वो चिपचिपाहट हमें और अंतरंग महसूस करा रही थी।

मैंने मुस्कुराकर कहा, “फिर मिलेंगे न? तुम्हारी छुअन के बिना मैं रह नहीं पाऊँगी, तुम मेरी जिंदगी का हिस्सा हो,” और कुणाल ने मुझे फिर से चूमा, हमारे होंठों का मिलन अब और ज्यादा मीठा लग रहा था, जैसे वो चुंबन हमारी आत्माओं को बांध रहा हो, लेकिन हम दोनों जानते थे कि ये जारी रहेगा।

उस रात से हमारा रिश्ता और गहरा हो गया, जिम अब हमारी मिलन स्थली बन गया था, जहाँ हर वर्कआउट सेशन में वासना की आग भड़कती लेकिन साथ में एक गहरा भावनात्मक बंधन, अभिषेक को कुछ पता नहीं चला, और मेरी जिंदगी में एक नई उत्तेजना आ गई, जैसे मेरी बॉडी अब कुणाल के स्पर्श से और ज्यादा निखर रही हो, मेरी त्वचा की चमक में वो जुनून झलकता, और मैं घर जाकर अभिषेक से बात करती लेकिन मन में कुणाल की यादें रहतीं, जैसे वो यादें मुझे जीने की ताकत देतीं।

दिन बीतते गए, और एक दिन अभिषेक शहर से बाहर गया था, मैंने कुणाल को जिम में ही मिलने का प्लान बनाया, जिम बंद होने के बाद हम अंदर रुक गए, चारों तरफ अँधेरा था लेकिन मशीनों की हल्की लाइट में हमारी बॉडीज चमक रही थीं, हवा में अब भी पसीने की महक थी, जो हमारे अंतरंग पलों को और गहरा बना रही थी।

कुणाल ने मुझे वेट बेंच पर लिटाया, उसकी ठंडी धातु मेरी पीठ पर लग रही थी, लेकिन कुणाल की नजरें मुझे गर्म कर रही थीं, “आज तुम्हें और जोर से चोदूंगा, तुम्हारी हर इच्छा पूरी करूँगा, क्योंकि तुम मेरी हो,” उसने कहा।

मैंने अपनी नीली ड्रेस को धीरे से ऊपर किया, लेकिन कुणाल ने उसे पूरी उतार दी, जिपर खोलकर कंधों से सरकाया, ड्रेस नीचे गिर गई, अंदर मैं ब्रा और पैंटी में थी, कुणाल ने ब्रा उतारी, मेरे गोरे स्तन फिर नंगे हो गए, गुलाबी निप्पल सख्त, फिर पैंटी उतारी, चूत फिर गुलाबी और गीली दिखी, पूरी तरह नंगी होकर बेंच पर लेट गई, मेरी त्वचा हवा से ठंडी हो रही थी लेकिन कुणाल की नजरों से गर्म, जैसे वो नजरें मुझे कह रही हों कि मैं सिर्फ उसकी हूँ।

कुणाल ने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा, सुपारे की गर्मी मेरी क्लिट को छू रही थी, “उफ्फ़… डालो ना… इंतजार नहीं होता, तुम्हारा लंड की रगड़ मुझे पागल कर रही है, सुपारा मेरी क्लिट पर फिसल रहा है, मुझे तुम्हारी निकटता चाहिए,” मैंने कहा।

कुणाल ने धक्का मारा, इस बार और गहरा, लंड की मोटाई फिर महसूस हुई, मेरी सिसकारियाँ जिम में गूँज रही थीं, “आआह्ह… कुणाल, तुम्हारा लंड कितना मोटा है… मेरी चूत फट रही है लेकिन कितना सुखद दर्द है, अंदर की हर दीवार को छू रहा है, नसें रगड़ रही हैं, जैसे वो रगड़ हमें एक कर रही हो।”

कुणाल ने स्पीड बढ़ाई, मेरे स्तनों को मसलता रहा, गुलाबी निप्पल को उँगलियों से मरोड़ा, मेरी साँसें तेज हो गईं, “ओह्ह… जोर से ठोको, मेरी चूचियों को ऐसे मसलो, निप्पल दर्द कर रहे हैं लेकिन मजा आ रहा है, तुम्हारा स्पर्श मुझे जीवंत कर रहा है,” आह्ह.. ह्ह.. आऊ.. ऊऊ.. ऊउइ ..ऊई ..उईईई.. जैसे सिसकारियाँ निकल रही थीं।

फिर हम शावर रूम में चले गए, पानी की फुहार हमारे शरीर पर गिर रही थी, गर्म पानी की बूँदें हमारी त्वचा को चिकना कर रही थीं, कुणाल ने मुझे दीवार से सटा दिया, पीछे से अपना लंड डाला, सुपारा फिर घुसा, पानी की वजह से सब स्लिपरी हो गया था, लंड आसानी से फिसल रहा था, “ओह्ह… हाँ, ऐसे चोदो… मेरी रंडी बनाओ मुझे, पानी की फुहार के साथ तुम्हारे धक्के कितने गहरे लग रहे हैं, मेरी गांड पर तुम्हारा पेट लग रहा है, जैसे हम एक हो गए हैं,” मैं चिल्लाई।

कुणाल ने मेरे कूल्हों को पकड़ा, जोर-जोर से ठोका, पानी की छपछपाहट और हमारी सिसकारियों का मिश्रण कमरे में गूँज रहा था, हर धक्के में लंड की टिप पिछली दीवार पर लगती, हम दोनों फिर झड़े, गर्म वीर्य और पानी का मिश्रण मेरी जांघों पर बह रहा था, मैं महसूस कर रही थी वो गर्म तरल अंदर से बाहर आ रहा है, आह इह्ह ओह्ह ओह! आह.. ह्ह्ह.. इह्ह.. ..! आह ह ह ह ह्हीईई आअह्ह्ह्ह, जैसे आवाजें इको हो रही थीं, और वो पल हमें और अंतरंग बना रहा था।

शावर के बाद हम एक-दूसरे को साफ करते रहे, हमारे हाथ एक-दूसरे की त्वचा पर फिसल रहे थे, चुंबन करते रहे, जैसे वो चुंबन हमारी आत्माओं को बांध रहे हों, “तुम मेरी जिंदगी हो, हंशिका, तुम्हारी खुशबू, तुम्हारी छुअन सब मेरी है,” कुणाल ने कहा।

मैंने कहा, “और तुम मेरी आग बुझाने वाले, तुम्हारे बिना ये जीवन फीका है, तुम मुझे पूरा करते हो,” लेकिन हम दोनों जानते थे कि ये जारी रहेगा, बिना किसी वादे के, लेकिन गहरे बंधन के साथ।

यह सिलसिला चलता रहा, मैं अभिषेक से प्यार करती हूँ लेकिन कुणाल से वो जुनून है जो मुझे जिंदा रखता है, जैसे हर मिलन में नई संवेदनाएँ जागतीं, जिम में हर मुलाकात एक नई अंतरंग कहानी बन जाती, हमारी बॉडीज एक-दूसरे के लिए तरसतीं, और हर चुदाई में नई ऊँचाइयाँ छूतीं, मेरी त्वचा अब और ज्यादा संवेदनशील हो गई है, हर स्पर्श में वो करंट महसूस करती, और जीवन की ये उत्तेजना मुझे खुश रखती है, अंत में मैंने फैसला किया कि मैं दोनों दुनिया को बैलेंस करूँगी, क्योंकि कुणाल का पैशन मुझे वो सुख देता है जो अभिषेक की व्यस्तता में खो गया था, और मैं हर सुबह जिम जाती, कुणाल की छुअन की तलब में, जैसे वो तलब हमारी आत्माओं को जोड़ती हो।

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