डैडी और उसकी रंडी बेटी प्रिया की चुदाई

Daddy daughter roleplay sex story: नमस्कार, मेरा नाम साक्षी सिन्हा है। मेरी उम्र सैंतीस साल है। बाहर से हमारा परिवार बिलकुल साधारण लगता है – मेरा पति राहुल, अड़तीस साल का, और हमारी बेटी प्रिया, उन्नीस साल की, कॉलेज में पढ़ती है। लेकिन हमारे बेडरूम की दीवारें अगर बोल सकतीं, तो वे बतातीं कि हम कितने गंदे हो चुके हैं।

सब उस रात से शुरू हुआ जब राहुल आधी रात को बाथरूम गए। वापस आकर वे बिस्तर पर लेटे, लेकिन बेचैन थे। उन्होंने मुझे जगाया और फुसफुसाए, “साक्षी… प्रिया के कमरे से पोर्न की आवाज़ें आ रही थीं।” मैंने हँसकर कहा, “अरे, उसकी उम्र ही ऐसी है। तू कान क्यों लगा रहा था?” लेकिन जब उन्होंने बताया कि औरत डैडी को पुकार रही थी और कह रही थी “मम्मी को पता नहीं चलेगा”, तो मेरे दिल में कुछ हलचल हुई।

मैंने राहुल का हाथ थामा और धीरे से कहा, “इसमें बुरा क्या है? बहुत लोग ऐसी फैंटसी रखते हैं। मुझे भी… अच्छा लगता है।” राहुल चौंके। उनकी आँखें मेरे चेहरे पर टिक गईं। मैंने शरमाते हुए कबूल किया, “हाँ। जब हम साथ होते हैं, कभी-कभी मैं सोचती हूँ कि हम सगे भाई-बहन हैं… या तू मेरा बाप है। इससे मेरी चूत में आग लग जाती है। मैंने कभी बताया नहीं क्योंकि डर थी कि तू मुझे गंदी समझेगा।”

राहुल ने मुझे बाँहों में खींच लिया। उनकी साँसें तेज़ हो गईं। उस रात हमने पहली बार भाई-बहन का रोलप्ले किया। बहुत धीमा। बहुत रोमांटिक। मैंने उनकी छाती पर सिर रखकर फुसफुसाया, “भैया… धीरे से… तेरी छोटी बहन डर रही है।” राहुल ने मेरे होंठों पर होंठ रखे। उनका स्पर्श नरम था। फिर धीरे-धीरे मेरी नाइटी ऊपर की। उनकी उँगलियाँ मेरी जाँघों पर फिसलीं। मैं सिहर उठी। “भैया… वहाँ मत छुओ… बहन की इज़्ज़त है…” लेकिन मेरी आवाज़ में हवस साफ़ थी।

राहुल ने मेरी चूत पर उँगलियाँ फेरीं। मैं गीली हो चुकी थी। “रंडी बहन… कितना रस छोड़ रही है…” मैं कराही, “आह्ह… भैया… हाँ… अपनी सगी बहन की चूत सहलाओ…” फिर उन्होंने मुझे लिटाया। लंड मेरी चूत पर रगड़ा। गरम। सख्त। मैंने कमर ऊपर उठाई। “भैया… डाल दो… बहन की चूत फाड़ दो…” एक झटका। मैं चीखी। “उफ्फ़… भैया… पूरा अंदर… हाय…”

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कई हफ़्ते हम इसी में डूबे रहे। हर रात कुछ नया। कभी भाई-बहन, कभी कुछ और। फिर एक शाम मैंने राहुल के कान में फुसफुसाया, “अब डैडी-डॉटर ट्राई करें?” राहुल रुक गए। “साक्षी… ये ठीक है?” मैंने उनका लंड सहलाया। “बहुत ठीक है। बस ट्राई तो करो।”

पहली कुछ रातें मैंने सिर्फ़ “डैडी” कहा। किस करते हुए। “डैडी… आपकी बेटी को किस करो…” राहुल हिचकते, लेकिन उनकी आँखों में चमक आ जाती। धीरे-धीरे वे गोद में उठाने लगे। “बेटी… डैडी की लाडली…” मैं उनकी गोद में सिमट जाती। उनकी छाती पर सिर रखती। उनकी गंध – पसीने और मर्दानगी की – मेरी चूत को गीला कर देती।

एक रात मैंने ज़िद की, “आज मुझे प्रिया कहकर छुओ।” राहुल ठिठके। “साक्षी… ये… प्रिया हमारी बेटी है…” मैंने उनके लंड को मुँह के पास ले जाकर फुसफुसाया, “प्लीज़… सिर्फ़ नाम। मुझे पता है तुझे भी अजीब लगेगा, लेकिन देखना कितना मज़ा आएगा।” राहुल की साँसें तेज़ हो गईं। मैंने उनका लंड चूसा। गीला किया। फिर ऊपर चढ़ गई। उनका लंड मेरी चूत की दरार पर फिसल रहा था। गरम। नसें फड़क रही थीं।

मैंने उनकी आँखों में देखा। “बोलो ना… प्रिया बोलकर…” राहुल की साँसें मेरे गाल पर गिर रही थीं। वे काँपते हुए बोले, “प्रिया… मेरी छोटी गुड़िया… डैडी का लंड चाहिए?”

बस। वो नाम सुनते ही मेरी चूत में बिजली दौड़ गई। मैंने महसूस किया – मेरी चूत अचानक इतनी गीली हो गई कि जाँघें फिसलने लगीं। दिमाग में सिर्फ़ एक विचार – ‘ये नाम गलत है… और यही गलत होना मुझे पागल कर रहा है।’ मैंने कमर नीचे की। उनका सुपारा अंदर फिसला। “आह्ह… डैडी… धीरे… प्रिया की चूत छोटी है…”

राहुल की आँखें बंद हो गईं। वे बड़बड़ाए, “प्रिया… मेरी बेटी…” फिर एक जोरदार झटका। पूरा लंड अंदर। मैं चीखी। “आआह्ह… डैडी… फट गई प्रिया की चूत… उफ्फ़… मम्मी सो रही हैं… पता चल जाएगा…” मेरी चूत ने उनका लंड ऐसा निचोड़ा मानो दूध निकाल लेगी।

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राहुल पागल हो गए। वे तेज़ धक्के मारने लगे। “ले प्रिया… डैडी तेरी चूत मार रहा है… पापा की लाडली रंडी…” मैं नीचे से कमर उछाल रही थी। चपाक-चपाक की आवाज़। पसीना। गंध। “हाँ डैडी… चोदो अपनी सगी बेटी को… मादरचोद डैडी… आह्ह… स्सी… बहुत गहरा…”

मैं झड़ गई। पहले कभी इतना ज़ोर से नहीं। पूरा बदन काँपा। चूत बार-बार सिकुड़ रही थी। राहुल भी चीखे, “ले प्रिया… डैडी का माल… अपनी बेटी की चूत में…” गरम वीर्य की धारें। मैंने महसूस किया हर बूँद।

उसके बाद ये रोज़ का हो गया। राहुल भी अब खुद कहते, “प्रिया… आज स्कूल की यूनिफॉर्म वाली बेटी को चोदूँ?” मैं हँसती, “हाँ डैडी… प्रिया तैयार है…”

एक दिन प्रिया कॉलेज गई थी। मैं उसकी लॉन्ड्री कर रही थी। उसकी गुलाबी लेस वाली पैंटी हाथ में आई। मैंने अनजाने में नाक के पास ले ली। हल्की सी खुशबू – पसीने की, जवानी की, थोड़ी चूत वाली। मेरी चूत सिकुड़ गई। मैंने उसे सूँघा। गहरा। और सोचा – ‘एक दिन राहुल को ये सूँघवाऊँगी।’

कई महीने बाद मैंने हिम्मत की। प्रिया बाहर गई हुई थी। मैंने वो पैंटी पहन ली। ऊपर नाइटी। शाम को राहुल आए। मैंने उन्हें बेडरूम में खींचा। किस किया। लंबा। गीला। फिर नाइटी उतारी। सिर्फ़ पैंटी। राहुल ने देखा। “ये… प्रिया की लग रही है।”

मैं मुस्कुराई। उनका हाथ पैंटी पर रखा। “हाँ डैडी… आज मैं सच में प्रिया हूँ। सूँघ कर देखो।” राहुल हिचके। मैंने उनका सिर नीचे किया। पैंटी उनकी नाक पर दबा दी। वे पहले हल्के से सूँघे। फिर गहरा। लंबी साँस। उनकी आँखें बंद।

मैंने फुसफुसाया, “बोलो… कैसी लग रही है प्रिया की पैंटी की खुशबू? कॉलेज से आई है ना… थोड़ी पसीने वाली… थोड़ी चूत वाली…” राहुल की आवाज़ काँपी, “साक्षी… ये बहुत गंदी है… लेकिन लंड फट जाएगा…” मैं हँसी। “गंदी ही तो चाहिए डैडी को… अब जीभ निकालो… चाटो इसे… जैसे प्रिया की चूत चाट रहे हो…”

राहुल ने पैंटी पर जीभ फेरी। फिर पैंटी साइड की और मेरी चूत चाटने लगे। “उम्म… प्रिया की चूत… कितनी मीठी… थोड़ी नमकीन…” मैं कराही, “चाटो डैडी… अपनी बेटी की गीली चूत चाटो… आह्ह… स्सी… जीभ अंदर डालो…”

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फिर मैंने पैंटी उतारी। उनके मुँह पर रख दी। “अब इसे मुँह में रखो… और चबाओ थोड़ा… जबकि मुझे चोद रहे हो।” राहुल ने पैंटी मुँह में ठूँस ली। स्वाद लिया। फिर मुझे दीवार से सटाया। लंड एक झटके में अंदर। “ले प्रिया… डैडी तेरी पैंटी चबाते हुए तेरी चूत मार रहा है… रंडी बेटी…”

मैं चीखी। “हाँ डैडी… चबाओ… प्रिया की गंदी पैंटी चबाओ… और चोदो… उफ्फ़… हाय… झड़ रही हूँ…” हम दोनों साथ झड़े। मेरी चूत ने उनका लंड इतना जोर से जकड़ा कि लगा पूरा वीर्य निचोड़ लेगी। राहुल ढेर हो गए। पैंटी अभी भी उनके मुँह में।

अब ये भी रोज़ का हो गया। कभी मैं प्रिया की नई पैंटी चुराकर पहनती। कभी राहुल खुद ले आते। किचन में, जब प्रिया बाहर सो रही हो, मैं फ्रिज के पास झुककर कहती, “डैडी… प्रिया की नींद में ही चोद लो… अगर वो उठ गई तो?” राहुल पीछे से पेलते, “उठ जाए तो देख ले… डैडी अपनी लाडली को कैसे चोदता है…”

मैं जानती हूँ ये गलत है। लेकिन यही गलत होना हमें रात-रात भर जगाए रखता है। राहुल भी अब कहते हैं, “प्रिया को देखकर अब लंड खड़ा हो जाता है… सिर्फ़ तेरे कारण।” हम दोनों इस दलदल में पूरी तरह डूब चुके हैं। और बाहर निकलने की कोई इच्छा नहीं। क्योंकि ये हवस अब हमारी साँसों में बस चुकी है – डैडी और उसकी रंडी बेटी प्रिया की।

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