Real sister sex story – Sister in law threesome sex story – Nand bhabhi threesome sex story: उस पहली रात के बाद प्रिया और मैं पूरी तरह बेकाबू हो चुके थे, हर दिन रिया और जीजाजी के ऑफिस जाते ही घर हमारा हो जाता था और मौका मिलते ही हम एक-दूसरे पर टूट पड़ते थे, मन में अपराधबोध की लहरें उठती रहतीं क्योंकि ये मेरी सगी बहन रिया का घर था और उसकी सगी ननद प्रिया को मैं रोज चोद रहा था, लेकिन वो अपराधबोध ही आग को और भड़का देता था, जैसे कोई निषिद्ध फल जितना मना उतना ही मीठा लगता।
कहानी का पिछला भाग: बहन के घर उसकी नन्द की पहली चुदाई
पहले दिन तो किचन में चाय बनाते वक्त ही शुरू हो गया था, प्रिया चाय उबाल रही थी और भाप उसके चेहरे पर चढ़ रही थी, उसके गीले बाल गर्दन पर चिपक गए थे, उसकी त्वचा से चाय की हल्की गंध मिली हुई उसके पसीने की नमकीन, गर्म खुशबू मुझे मदहोश कर गई थी। मैं पीछे से आया, उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ा और धीरे से उसकी गर्दन पर होंठ रखे, उसकी त्वचा इतनी मुलायम और गर्म थी कि मेरी साँसें खुद तेज हो गईं। वो सिहर उठी और फुसफुसाई, “जॉयदीप… कोई आ गया तो?” लेकिन उसकी आवाज में डर कम था, उत्साह ज्यादा, उसकी साँसें मेरे गाल पर गर्माहट बिखेर रही थीं। मैंने उसकी साड़ी ऊपर की, पैंटी को साइड किया और उंगलियाँ उसकी गीली चूत पर फेरीं, वो इतनी गर्म और चिपचिपी थी कि उसके रस की मीठी-तेज़, मादक गंध कमरे में फैल गई, मुझे और उत्तेजित कर रही थी। मन में सोचा—ये रिया की ननद है, लेकिन इसकी बुर की ये गंध इतनी नशीली है कि मैं रुक नहीं पा रहा। मैंने धीरे-धीरे दो उंगलियाँ अंदर डालीं और अंदर-बाहर करने लगा, उसकी चूत की दीवारें मेरी उंगलियों को जकड़ रही थीं, गर्म और स्पंजी। वो चाय का कप छोड़कर मेरे कंधे पकड़ ली और सिसकी, “आह्ह… जॉयदीप… धीरे… चाय गिर जाएगी…” लेकिन उसकी कमर खुद ऊपर उठ रही थी, उसकी जांघें काँप रही थीं। मैंने स्पीड बढ़ाई, क्लिट को अंगूठे से रगड़ा और उसके रस मेरी उंगलियों पर बहने लगे, चिपचिपे और गर्म। वो काँपकर झड़ गई, उसकी सिसकारियाँ तेज होती गईं “आऊ… ऊऊ… ऊउइ… उईईई… आह ह ह ह ह्हीईई!” और उसका शरीर झटके खा रहा था, पसीना उसकी गर्दन पर चमक रहा था। हमने जल्दी से खुद को संभाला, लेकिन वो दिन भर मेरी आँखों में वो चमक रही थी, जैसे कोई गुप्त वादा।
अगले दिन लिविंग रूम में सब कुछ और गहरा हो गया, टीवी पर कोई फैमिली ड्रामा चल रहा था जहां भाई-बहन का रिश्ता दिखाया जा रहा था, प्रिया मेरी गोद में सर रखकर लेटी थी और उसका हाथ मेरे लंड पर सरक गया, ऊपर-नीचे सहलाने लगा, उसकी उंगलियों की नरमी और गर्माहट मेरे लंड को सख्त कर रही थी। मैंने उसकी टी-शर्ट ऊपर की, ब्रा के ऊपर से उसके स्तनों को दबाया, उसके निप्पल्स सख्त हो चुके थे और उसकी साँसें तेज होकर मेरी छाती पर लग रही थीं, उसकी त्वचा से आने वाली हल्की फूलों वाली खुशबू मुझे और करीब खींच रही थी। वो फुसफुसाई, “जॉयदीप… भाभी की फोटो हमें देख रही है…” और दीवार पर रिया और जीजाजी की शादी की तस्वीर लगी थी, वो नजर मुझे और उत्तेजित कर रही थी। मैंने प्रिया को गोद में उठाया, उसकी शॉर्ट्स नीचे की और अपना लंड बाहर निकाला, वो ऊपर बैठ गई और धीरे-धीरे अंदर लिया, उसकी चूत की गर्माहट और चिपचिपाहट मेरे लंड को घेर रही थी। हमारी साँसें टीवी की आवाज में मिल रही थीं, हर धक्के पर मैं सोचता—अगर रिया अभी आ गई तो?—लेकिन वो सोच ही मुझे और जोर से पेलने पर मजबूर कर रही थी, उसके नितंब मेरे पेट से टकरा रहे थे। प्रिया सिसक रही थी “आह… ह्ह्ह… भाभी की सोफे पर मुझे चोद रहा है… आह्ह… और तेज… पेल दे रे!” और हम जल्दी में झड़े, उसके रस और मेरे रस की मिली हुई गंध कमरे में फैल गई, लेकिन वो रिस्क हमें और भूखा बना गया।
तीसरे दिन शाम को प्रिया के कमरे में हम पूरी तरह खुल गए थे, मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और रिया का दुपट्टा पास पड़ा था, मैंने उसे प्रिया की आँखों पर बाँध दिया, “अब सिर्फ महसूस करो,” मैंने कहा और उसकी साँसें तेज हो गईं। मैंने फ्रिज से आइस क्यूब लिया और उसकी जांघों पर फेरा, ठंडक से उसकी त्वचा पर रोंगटे खड़े हो गए और वो काँप उठी, “ओह्ह… जॉयदीप… ये क्या…” उसकी आवाज में उत्सुकता और उत्तेजना मिली हुई थी। मैंने आइस उसके निप्पल्स पर रगड़ा और फिर मुँह से चूसा—ठंडा और गर्म का मिश्रण उसे तड़पा रहा था, उसकी कमर झुक रही थी और उसके स्तनों से आने वाली गर्माहट मेरे होंठों पर लग रही थी। फिर नीचे गया, आइस उसकी चूत के होंठों पर फेरा और वो चीखी “आह्ह… ठंडा… लेकिन अच्छा… अब चाटो!” मैंने जीभ से चाटा, पहले बाहर से छेड़ते हुए, उसकी मादक गंध—मीठी, हल्की मिट्टी जैसी, मिली हुई उसके पसीने की नमकीन खुशबू—मुझे और नीचे खींच रही थी, उसके रस का स्वाद मेरी जीभ पर फैल रहा था। मन में सोचा—ये रिया की ननद है, लेकिन इसकी बुर की ये गंध इतनी नशीली है कि मैं रुक नहीं पा रहा। मैंने जीभ अंदर डाली, क्लिटोरिस को चूसा, उंगलियाँ मिलाकर अंदर-बाहर किया। जैसे ही वो झड़ने वाली थी—उसकी बुर की दीवारें सिकुड़ने लगीं, उसकी जांघें थरथराने लगीं—मैं रुक गया, सिर्फ हल्के से जीभ की नोक से क्लिट को छेड़ता रहा। “प्लीज… जॉयदीप… मुझे झड़ने दो… आह… ह्ह्ह… इह्ह!” वो गिड़गिड़ाई, उसकी साँसें रुक-रुक कर आ रही थीं, उसका शरीर पसीने से चमक रहा था। मैंने तीन बार ऐसा किया, हर बार तनाव बढ़ाते हुए, उसकी सिसकारियाँ तेज होती गईं—”ऊऊ… ऊउइ… ऊई… उईईई…”—जब तक वो पूरी तरह बर्बाद नहीं हो गई। आखिर में तेज चाटा, उंगलियाँ अंदर घुमाईं और वो झड़ गई—उसकी बुर सिकुड़ती हुई, रस की धार बहती हुई मेरे मुँह पर—”उईईई… आह ह ह ह ह्हीईई आअह्ह्ह्ह… मैं आ गई… तुम्हारी जीभ ने मुझे मार डाला, जॉयदीप!” उसका शरीर झटके खा रहा था, पसीना उसकी पीठ पर चमक रहा था, उसकी जांघें अभी भी काँप रही थीं, कमरे में उसके रस की गंध फैली हुई थी।
फिर प्रिया ने मुझे लिटाया और बोली, “अब मेरी बारी,” आँखों पर पट्टी बंधी हुई थी। उसने पहले जीभ से टिप चाटी, फिर मुंह में लिया, डीपथ्रोट ट्राई करते हुए गला घोंटने जैसी आवाजें निकलीं—”ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… गी… गी… गोग…”—और बीच-बीच में हल्का गुनगुनाया, वो पुराना बचपन का गाना, कंपन मेरे लंड पर महसूस हो रही थी, उसके गर्म मुंह की नमी और लार की चिपचिपाहट मुझे और सख्त कर रही थी। मैं कराहा “प्रिया… तेरा गुनगुनाना मुझे पागल कर देगा… चूस जोर से, अपना गला भर ले मेरे लौड़े से… हाँ… और गहरा!” उसके लार मेरे लंड पर बह रहे थे, चिपचिपे और गर्म, उसके बालों से आने वाली शैंपू की खुशबू मेरे नाक में भर रही थी।
फिर मैंने उसे घोड़ी बनाया, वो चारों पर हो गई, नितंब ऊपर उठाए, मैं पीछे से घुसा, हर धक्का जोरदार था और चप-चप की आवाज कमरे में गूंज रही थी, उसके नितंबों की मुलायम त्वचा मेरे पेट से टकरा रही थी। प्रिया चिल्ला रही थी “जॉयदीप… आह… पेल मुझे जोर से रे… भाभी के बिस्तर के पास, मेरी बुर को फाड़ दे अपने मोटे लौड़े से… हाँ… और अंदर डाल… मैं तेरी रंडी बन गई हूँ… ऊह… पेल ना, और जोर से!” मैं भी बोला “तेरी चूत कितनी टाइट… अगर रिया अभी आ गई तो क्या होगा?” ये गंदी बातें हमें और बेकाबू बना रही थीं, मैं उसकी कमर पकड़े जोर-जोर से धक्के दे रहा था, उसके स्तन हिल रहे थे, पसीना हमारी पीठ पर बह रहा था और कमरे में हमारे शरीरों की मिली हुई गंध फैली हुई थी।
तभी दरवाजा खुला और मेरा खून सूख गया, रिया खड़ी थी, मेरी सगी बहन और प्रिया की भाभी, ऑफिस से जल्दी लौट आई थी। उसकी आँखें फैली हुईं थीं—अपनी सगी ननद को घोड़ी बनाकर अपने सगे भाई से चुदवाते देखकर, मेरा लंड अभी प्रिया की चूत में था और चपचपाहट की आवाज रुक गई थी। प्रिया भी घबरा कर सिकुड़ गई। रिया पत्थर हो गई, उसकी नजर मेरे मोटे लंड पर अटकी जो प्रिया की गीली चूत से बाहर निकल रहा था, फिर प्रिया के हिलते स्तनों पर, उसकी साँसें तेज हो रही थीं और उसकी त्वचा पर हल्की लाली चढ़ गई थी।
वो कमरे में आई और दरवाजा बंद किया, उसकी साड़ी का पल्लू सरक रहा था, उसके स्तन उभरते दिख रहे थे और उसके शरीर से आने वाली परफ्यूम की हल्की गंध कमरे में मिल गई। “ये… ये क्या हरकत है तुम दोनों की?” उसकी आवाज काँप रही थी, “जॉयदीप… तू मेरा सगा भाई है… और प्रिया तू मेरी सगी ननद… ये क्या गंदगी?” लेकिन वो पास आती गई, उसकी साँसें तेज थीं और उसकी आँखें मेरे लंड से हट नहीं रही थीं। मन में वो सोच रही थी—बचपन में हम साथ नहाते थे, खेलते थे, जॉयदीप मुझे गोद में उठाता था, कहीं गहरे में एक अनकही चाहत थी जो कभी बाहर नहीं आई, अब सामने था—उसका सगा भाई नंगा, इतना मर्दाना, उसकी चूत गीली हो रही थी और उसकी जांघें हल्की काँप रही थीं। “ये राज बाहर नहीं जाना चाहिए,” वो बोली, लेकिन उसकी नजर मेरे सख्त लंड पर थी, पल्लू फिर सरका और उसके निप्पल्स साड़ी के ऊपर से दिख रहे थे, वो खुद को छू रही थी हल्के से, लेकिन दिखावा कर रही थी गुस्से का।
प्रिया और मैं घबराए थे, लेकिन प्रिया ने हिम्मत की और बोली, “भाभी… आप भी…” रिया करीब आई, पहले प्रिया को देखा फिर मुझे और बोली, “तूने मेरी ननद को इतने जोर से चोदा… अब मुझे दिखा कितना मर्द है मेरा सगा भाई,” उसकी आवाज में गुस्सा कम था, वासना ज्यादा, उसकी साँसें गर्म होकर मेरे चेहरे पर लग रही थीं।
रिया ने धीरे-धीरे साड़ी उतारी, उसके गोरे स्तन बाहर आए, गुलाबी निप्पल्स सख्त और उसका मंगलसूत्र लटक रहा था, उसकी त्वचा से आने वाली हल्की पसीने की गंध मिली हुई उसकी परफ्यूम की खुशबू कमरे में फैल गई। वो प्रिया के पास गई, उसे चूमा—पहले होंठों पर, फिर गर्दन पर, प्रिया ने जवाब दिया और हल्की हँसी के साथ बोली “भाभी… हम अब सैलियाँ से ज्यादा…” रिया नीचे झुकी, प्रिया की चूत चाटी—जहाँ मेरा रस लगा था—और फुसफुसाई, “प्रिया… तेरी बुर में मेरे भाई का रस… मैं चाट रही हूँ… कितना नमकीन है… आह… तू मेरी रंडी बन, मैं तुझे खाती रहूँ… ओह्ह… और फैला अपनी टाँगें!” प्रिया सिसकी “आह्ह… भाभी… चाटो… ओह्ह… आपकी जीभ कितनी गर्म… ऊई… उईईई!” रिया का मंगलसूत्र प्रिया की जांघ पर रगड़ रहा था, ठंडी धातु गर्म त्वचा पर और प्रिया की जांघें काँप रही थीं, कमरे में उनके रस की मिली हुई गंध फैल रही थी।

मैं देखता रहा, लंड दर्द कर रहा था और मेरी साँसें तेज हो रही थीं। रिया मेरे पास आई, उसने मेरा लंड हाथ में लिया और बोली, “ये मेरा सगा भाई का लौड़ा… इतना मोटा, इतना गर्म,” उसकी उंगलियों की गर्माहट और दबाव मुझे और उत्तेजित कर रहा था। मैंने उसे लिटाया, पहले उसके स्तनों को चूसा, निप्पल्स काटा और वो कराह रही थी “जॉयदीप… सगे भाई… चूस अपनी बहन के स्तन… आह्ह… याद है बचपन में तू इन्हें देखता था, अब चूस रहा है?” उसके स्तनों का स्वाद नमकीन और मीठा था। फिर मैं नीचे गया, उसकी चूत चाटी, उसका स्वाद प्रिया से अलग—ज्यादा मीठा, ज्यादा परिपक्व, उसके रस की गंध मुझे और पागल बना रही थी और उसकी जांघें मेरे गालों को दबा रही थीं। वो तड़प रही थी “चाट मुझे… तेरी सगी बहन की बुर चाट… ओह्ह… ह्ह्ह… मैं कितने दिन से भूखी थी… याद है बचपन में तू मेरी गोद में सोता था, अब मेरी गोद भरने वाला है!”
मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ा—पहले सिर्फ टिप—उसके रस की चिपचिपाहट मेरे लंड पर लग रही थी, उसकी खुशबू—उसके शरीर की मस्की गंध, मिली हुई उसकी उत्तेजना की तेज़, नमकीन सुगंध—मुझे पागल बना रही थी। मन में सोचा—ये मेरी सगी बहन है, लेकिन इसकी बुर की ये गर्मी मुझे खींच रही है, क्या ये पाप इतना मीठा होना चाहिए? वो गिड़गिड़ाई “डाल ना रे… सगे भाई… अपनी बहन की गीली बुर में अपना मोटा लौड़ा पेल… आह… कितना मोटा है तेरा… चोद अपनी सगी बहन को जैसे रंडी हो… हाँ… और रगड़ो पहले!” मैंने धीरे से अंदर किया, सिर्फ आधा, उसकी टाइट दीवारें मुझे जकड़ रही थीं, गर्म और स्पंजी, उसकी चूत की गर्माहट मेरे लंड को घेर रही थी। वो चीखी “आह इह्ह… ओह्ह… जॉयदीप… धीरे… लेकिन रुकना मत… आऊ… ऊऊ… ऊउइ!” उसकी पीठ झुक गई, नाखून मेरी बाहों में गड़ रहे थे। मैं बाहर निकाला, फिर अंदर, हर इंच पर आनंद की लहर दौड़ती। जैसे ही स्पीड बढ़ाई, रुक गया—सिर्फ टिप से रगड़ता रहा। तीन बार ऐसा किया, हर बार तनाव बढ़ाते हुए, उसकी सिसकारियाँ तेज—”ऊई… उईईई… आह्ह.. ह्ह.. बस अब डालो!”—जब तक हम दोनों बर्बाद नहीं हो गए। आखिर में पूरा अंदर, तेज धक्के दिए, उसके स्तन हिल रहे थे, मंगलसूत्र मेरी छाती पर खरोंच रहा था—ठंडी धातु गर्म त्वचा पर, मैंने उसे हल्के से दाँतों से पकड़ा, जैसे पाप का स्वाद चख रहा हूँ, उसकी चूत की दीवारें मेरे लंड को दूध रही थीं। वो जोर-जोर से सिसक रही थी और प्रिया की ओर देखकर बोली “प्रिया… देख… तुम्हारा भाई तो नमर्द है… छोटा लंड और दो मिनट में झड़ जाता है… मर्द तो मेरा भाई है देखो… कितना मोटा लंड… कितने देर से पेल रहा है मुझे!” प्रिया पास बैठी देख रही थी, खुद की चूत सहला रही थी और हँसकर बोली “हाँ भाभी… असली मर्द है… आज दो-दो प्यासी औरतों को अकेले पेल कर रख दिया… आह्ह्ह्ह!” प्रिया फिर रिया के स्तन चूसने लगी, उसके होंठों की गर्माहट रिया की त्वचा पर लग रही थी।
फिर मैंने रिया को घोड़ी बनाया, पीछे से घुसा, उसके नितंब पकड़े जो मुलायम और गर्म थे। प्रिया नीचे लेट गई, मेरे अंडकोष चाटने लगी, उसकी जीभ की नमी और गर्माहट मुझे और तेज कर रही थी। “ओह ! आह.. ह्ह्ह.. जॉयदीप… सगे भाई… पीछे से पेल… और जोर से… याद है बचपन में तू मुझे पीठ पर चढ़ता था, अब मेरी पीठ पर चढ़कर पेल रहा है?” रिया चिल्ला रही थी, उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थीं। फिर पोजिशन बदली—प्रिया ऊपर बैठ गई मेरे लंड पर, उछल रही थी “आह ह ह ह ह्हीईई… जॉयदीप… भाभी देख रही है… आह्ह… और गहरा!” और रिया मेरे मुँह पर बैठ गई, उसकी चूत की गर्माहट और रस मेरे होंठों पर बह रहे थे। मैं उसकी चूत चाट रहा था, प्रिया मेरे लंड पर उछल रही थी, कमरे में हमारे शरीरों की मिली हुई गंध, पसीने की नमी और सिसकारियों की आवाजें भर गई थीं।
आखिरकार हम तीनों एक साथ झड़े, मैं पहले प्रिया के अंदर, फिर रिया के, दोनों की चूत में मेरा रस भर गया, उनके रस और मेरे रस की मिली हुई गंध कमरे में फैली हुई थी। हम हाँफते हुए लेटे रहे, एक-दूसरे से लिपटे, उनकी त्वचा की गर्माहट और साँसों की लय मेरी छाती पर महसूस हो रही थी। रिया ने मुझे चूमा, फिर प्रिया को और बोली, “ये गलत है… लेकिन इतना मीठा,” उसकी आँखों में अपराधबोध और नई भूख चमक रही थी। प्रिया मुस्कुराई “अब हम तीनों साथ हैं भाभी… अगली बार और मजा करेंगे।” मैं बस देखता रहा—मेरी सगी बहन और उसकी सगी ननद, दोनों मेरे साथ, उनकी त्वचा की गर्माहट अभी भी मेरे शरीर पर लग रही थी।
मुझे भी पेलो
मेरी चूत चाट लो