Dost ki mom ki chudai sex story – Horny milf sex story – Big ass sex story: मेरा नाम राहुल है, और मैं 22 साल का हूं, एक ऐसा लड़का जो कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ अपनी छिपी हुई वासनाओं को भी जीता है, रोजाना क्लास में बैठकर लेक्चर सुनता हूं लेकिन दिमाग में हमेशा कुछ न कुछ शरारती विचार घूमते रहते हैं, खासकर जब बात दोस्त की मॉम की आती है। मेरा बेस्ट फ्रेंड अजय है, जो मेरे साथ ही क्लास में बैठता है और हम दोनों हर तरह की मस्ती साथ करते हैं, फिल्में देखना, गेम खेलना, लेकिन अजय का घर मेरे घर से ज्यादा दूर नहीं होने की वजह से मैं वहां अक्सर चला जाता हूं, जहां असली वजह अजय से मिलना कम और उसकी मॉम से नजरें मिलाना ज्यादा होती है, क्योंकि अजय की मॉम, रीता आंटी, मेरे सपनों की रानी हैं, जिनकी एक झलक मेरे बदन में आग लगा देती है, और मैं रातों को उनके बारे में सोचकर हाथ चलाता हूं। 40 साल की उम्र में भी वो 30 की लगती हैं, उनका फिगर इतना कमाल का है कि 36D के बड़े-बड़े बूब्स ब्लाउज से बाहर फूटने को बेताब रहते हैं, 28 की पतली कमर साड़ी में लहराती हुई हर किसी को मोहित कर लेती है, और 38 की मोटी, गोल गांड चलते हुए ऐसे मटकती है मानो लंड को सीधा आमंत्रित कर रही हो, उनकी त्वचा इतनी मुलायम और गोरी कि छूने से पहले ही हाथों में गर्माहट महसूस हो, साथ ही उनकी खुशबू जो हल्की फूलों वाली परफ्यूम की होती है, वो मेरे नाक में घुसकर सीधा दिमाग को उत्तेजित कर देती है, और उनके बाल लंबे काले जो कंधों पर लहराते हैं। सालों से मैं उनके बारे में सोचकर मुठ मारता आ रहा हूं, कल्पना करता हूं उनकी गीली bur में अपना 7 इंच का मोटा लंड घुसेड़कर कैसे फाड़ दूंगा, उनके बूब्स को चूसकर दूध निकालूंगा, उनकी सिसकारियां सुनकर कैसे और जोश में आ जाऊंगा, और हर बार उनके बूब्स की वो ब्राउन निप्पल्स वाली इमेज दिमाग में घूमती है, या उनकी शेव्ड गुलाबी चूत की कल्पना जिसमें ब्राउन क्लिट फूला हुआ हो, पानी टपकता हो। मन में हमेशा ये आग सुलगती रहती है, ‘कब मिलेगा मौका इस मिल्फ को पेलने का?’, और हर बार उनके घर जाने पर वो आग और भड़क जाती है, खासकर जब अजय के पापा लंबे टूर पर बाहर रहते हैं, जिससे घर में एक तरह की अकेली उदासी छाई रहती है जो रीता आंटी के चेहरे पर साफ दिखती है, मानो वो भी किसी गर्माहट की तलाश में हों, और मैं सोचता हूं कि शायद मेरे लंड से वो उदासी मिट जाए, क्योंकि अंकल की अनुपस्थिति उन्हें अकेला छोड़ देती है।
एक दिन अजय ने फोन किया, “यार, घर आ जा, पापा बाहर गए हैं, पार्टी करेंगे,” और उसकी आवाज में वो उत्साह था जो मुझे फटाफट तैयार होने पर मजबूर कर देता है, मैंने सोचा आज घर जाकर देखूंगा क्या मौका मिलता है, मन में रीता आंटी की चूत चोदने की प्लानिंग पहले से ही चल रही थी, शायद आज वो मौका मिल जाए जहां अकेलापन हमें करीब ला दे, लेकिन मैंने खुद को कंट्रोल किया कि जल्दबाजी न करूं, सब धीरे-धीरे होगा, क्योंकि अगर वो तैयार नहीं हुईं तो सब बर्बाद हो जाएगा। मैं तैयार हुआ, एक साधारण नीली टी-शर्ट और काली जींस पहनी, जिसमें मेरा लंड आसानी से छुप सके, और उसके घर पहुंच गया, दरवाजे पर दस्तक दी तो अजय ने दरवाजा खोला, हमने थोड़ी देर बात की, उसने बताया पापा टूर पर हैं और घर में सिर्फ मॉम हैं, लेकिन वो बोला, “यार, मुझे अर्जेंट काम से बाहर जाना पड़ रहा है, तू रुक, मॉम हैं घर पर, मैं 2-3 घंटे में आता हूं,” और उसकी ये बात सुनकर मैं मन ही मन झूम उठा, सोचा आज तो रीता आंटी की bur और गांड दोनों का भोसड़ा बना दूंगा, लेकिन साथ ही एक हल्की सी घबराहट भी थी कि कहीं वो मना न कर दें, क्योंकि वो अजय की मॉम हैं और मैं उसका दोस्त, अगर कुछ गड़बड़ हुई तो दोस्ती टूट सकती है। अजय चला गया, और मैं लिविंग रूम में बैठा इंतजार करने लगा, दिल की धड़कन तेज हो गई थी, लंड हल्का सख्त महसूस हो रहा था जैसे पहले से ही तैयार हो, सोफे पर बैठकर मैंने चारों तरफ नजर दौड़ाई, घर में वो ही पुरानी सजावट, दीवारों पर फैमिली फोटोज, लेकिन रीता आंटी की खुशबू हर जगह फैली हुई थी, जो मुझे और उत्तेजित कर रही थी। थोड़ी देर बाद रीता आंटी चाय लेकर आईं, एक हल्की नीली ट्रांसपेरेंट साड़ी में, जिसमें से उनकी काली ब्रा और पैंटी की शेप झलक रही थी, लो-कट ब्लाउज में उनके बड़े बूब्स की गहरी क्लीवेज साफ दिख रही थी, निप्पल्स हल्के उभरे हुए जैसे मुझे छेड़ रहे हों, और उनकी त्वचा पर हल्का पसीना चमक रहा था जो गर्मी की वजह से था, लेकिन मुझे लग रहा था जैसे मेरी नजरों से ही वो गर्म हो रही हों, साड़ी उनकी पतली कमर पर टाइट बंधी हुई थी, और नीचे से पैरों तक फैली हुई, उनके बाल खुले थे जो कंधों पर गिर रहे थे, और चाय की ट्रे हाथ में पकड़े हुए वो मुस्कुरा रही थीं। हवा में उनकी परफ्यूम की मीठी महक फैली थी, जो मेरे नाक में घुसकर सीधा लंड तक पहुंच रही थी, और साथ में चाय की भाप वाली खुशबू मिलकर एक अजीब सा नशा पैदा कर रही थी, मैंने चाय ली और थोड़ी बात की, लेकिन मेरी नजरें उनके बूब्स पर टिकी हुई थीं। “बेटा, अजय तो चला गया, तू अकेला क्या करेगा?” उन्होंने मुस्कुराकर कहा, उनकी आंखों में वो शरारती चमक थी जो मुझे और गर्म कर रही, लेकिन साथ ही एक हल्की उदासी भी थी जो उनके पति की लंबी अनुपस्थिति से आती लगती थी, मानो घर की ये खालीपन उन्हें अंदर से खोखला कर रहा हो, और मैंने सोचा कि शायद आज मैं वो खालीपन भर दूं, लेकिन धीरे से शुरू करूंगा।
मैंने कहा, “आंटी, कोई बात नहीं, आप हैं ना, मुझे आपकी कंपनी चाहिए, आपके साथ बातें करके मजा आता है,” और मेरी आवाज में वो छिपा हुआ इशारा था जो शायद उन्होंने पकड़ लिया, क्योंकि वो हंस दीं, उनकी हंसी में वो कंपन था जो मेरे कान में गूंज गया, और वो रसोई की तरफ मुड़ीं, गांड मटकाती हुई जैसे जानबूझकर मुझे ललचा रही हों, मैंने उनकी गांड को घूरा जो साड़ी में से मोटी लग रही थी, और मन में सोचा कि कितनी मुलायम होगी वो, हर कदम पर वो मांसल गांड हिल रही थी, और मैंने फैसला किया कि अब कुछ करूंगा। मैं उनके पीछे-पीछे गया, पानी मांगने का बहाना बनाकर, लेकिन असल में तो उनकी मटकती गांड को घूर रहा था, हर कदम पर वो मांसल गांड हिलती हुई मुझे पागल कर रही थी, और रसोई की गर्म हवा में मसालों की तीखी खुशबू उनके बदन की महक से मिलकर एक कामुक माहौल बना रही थी, रसोई में लाइट जल रही थी, काउंटर पर कुछ सामान रखा हुआ, और फ्रिज खुला था, मैंने देखा वो झुक रही हैं। रसोई में वो फ्रिज के सामने झुकीं, सामान निकाल रही थीं, साड़ी कमर से ऊपर सरक गई, पैंटी की पतली लाइन उनकी गोरी गांड की दरार में दबी हुई, जैसे मुझे बुला रही हो, और उनकी जांघों की मुलायम त्वचा पर हल्का पसीना चिपक रहा था जो छूने को ललचा रहा था, मैंने उनकी गांड को करीब से देखा, गोरी त्वचा पर कोई दाग नहीं, बस मोटी और गोल, और मेरी सांसें तेज हो गईं, हाथ कांपने लगे। मन में विचार आया, ‘कैसी गर्म माल है ये आंटी, सालों से सपनों में चोदता आ रहा हूं, आज असली चूत का स्वाद चखूंगा, उनकी bur की महक सूंघकर देखूंगा कितनी मुस्की है,’ और ये सोचते हुए मेरा लंड पैंट में फड़फड़ा रहा था, प्रीकम से चड्ढी गीली हो गई, दिल की धड़कन कानों में गूंज रही जैसे कोई ड्रम बज रहा हो, मैंने हिम्मत की और धीरे से उनके पीछे सट गया, अपना सख्त लंड उनकी गांड की दरार में रगड़ा, वो हल्की सी सिहर उठीं, उनकी पीठ मेरे सीने से सट गई, और मैंने महसूस किया उनकी सांसें रुक गईं जैसे चौंककर, लेकिन पीछे नहीं हटीं, बल्कि अपनी कमर थोड़ी सी हिलाई, जैसे टेस्ट कर रही हों मेरी हिम्मत, उनकी त्वचा की गर्माहट मेरे बदन में电流 की तरह दौड़ गई, और मैंने उनकी कमर पर हाथ रखा, मुलायम त्वचा छूकर और जोश आ गया। “आंटी, तुम्हारी ये मटकती गांड देखकर मेरा लंड पागल हो रहा है, बस फटने वाला है, तुम्हारी चूत में घुसकर आग बुझानी है,” मैंने उनके कान में गर्म सांस फूंकते हुए फुसफुसाया, और पीछे से उनके बूब्स जोर से दबा दिए, उनकी निप्पल्स मेरी हथेलियों में सख्त हो गईं, ब्राउन कलर की वो निप्पल्स दबाने से और हार्ड लग रही थीं, और मैंने महसूस किया उनका बदन थोड़ा कांप रहा था, उनके बूब्स इतने मुलायम कि उंगलियां धंस रही थीं, आह्ह.. ह्ह.. आंटी, कितने बड़े हैं ये बूब्स, मैंने सोचा।

वो चौंक गईं, लेकिन विरोध कम था, उनकी सांसें तेज हो गईं, और उन्होंने हल्के से मेरी तरफ मुड़ने की कोशिश की लेकिन मैंने उन्हें पीछे से ही पकड़े रखा, उनकी कमर पर मेरी पकड़ मजबूत थी, और मैंने उनके बूब्स को और जोर से मसला, निप्पल्स को अंगूठे से रगड़ा, आह्ह.. इह्ह.. राहुल, धीरे, वो सिसकारीं, लेकिन उनका बदन मेरे स्पर्श से गर्म हो रहा था। “राहुल, ये क्या कर रहा है? अजय का दोस्त है तू, अगर किसी ने देख लिया तो? छोड़ मुझे, ये गलत है,” लेकिन उनकी आवाज कांप रही थी, विरोध में एक हल्की सी झिझक थी जैसे मन से तैयार हों लेकिन जुबान से मना कर रही हों, और वो अपनी गांड मेरे लंड पर रगड़ रही थीं, जैसे सालों की प्यास जाग गई हो लेकिन स्वीकार करने में शर्म आ रही हो, उनकी साड़ी की सिलवटें मेरे हाथों से दब रही थीं, और मैंने उनके कान में कहा, आंटी, आपकी bur कितनी गीली होगी, मुझे चखने दो। मैंने उनके ब्लाउज के हुक खोल दिए, एक-एक करके तीन हुक खोले, ब्लाउज ढीला हो गया, फिर ब्रा ऊपर सरका दी, और बड़े बूब्स बाहर निकाल लिए, निप्पल्स ब्राउन और हार्ड, जैसे पत्थर, गोरी त्वचा पर ब्राउन निप्पल्स चमक रहे थे, और मैंने उन्हें मसल दिया, पिंच किया, उनकी सिसकारी मेरे कानों में मधुर संगीत की तरह गूंजी, बूब्स दबाने से उनका दूधिया रंग लाल हो रहा था, आह्ह.. ह्ह.. राहुल, मत कर इतना जोर से, वो बोलीं, लेकिन उनका हाथ मेरी कमर पर आ गया। “आंटी, मैं आपको बहुत चाहता हूं, आपकी गीली bur में अपना मोटा लंड घुसेड़कर चोदना चाहता हूं, आपको रंडी की तरह पेलना चाहता हूं, आपकी ये गांड तो मेरी गुलाम है,” और ये कहते हुए मैंने उनकी गर्दन पर किस किया, उनकी त्वचा का नमकीन स्वाद मेरी जीभ पर लगा, गर्दन की वो खुशबू सूंघकर मैं और पागल हो गया, और मैंने गर्दन चाटी, जीभ से रगड़ी। वो सिसकारी भरकर बोलीं, “उम्म… राहुल, धीरे कर, ये सब अचानक… मेरी चूत पहले से गीली हो गई है तेरे लंड को सोचकर, लेकिन क्या करूं, अंकल इतने दिनों से बाहर हैं कि अकेलापन खाए जा रहा है, फिर भी, तेरे लंड की महक मुझे पागल कर देती है, लेकिन रुक, सोच ले,” और उनकी ये बातें सुनकर मैं समझ गया कि वो तैयार हो रही हैं, लेकिन मैंने उन्हें और तड़पाया, उंगलियां उनकी कमर पर फेरते हुए, उनकी साड़ी की प्लीट्स को हल्के से खींचा, आंटी, आपकी चूत कितनी टाइट होगी, मैंने फुसफुसाया। वो चूसते हुए सोच रही थीं, ‘ये राहुल वैसा ही है जैसा मेरा कॉलेज का बॉयफ्रेंड, जो मुझे रंडी की तरह चोदता था, अंकल की अनुपस्थिति के बाद की ये उदासी मिट जाएगी शायद, लेकिन इतनी जल्दी हां कहना ठीक नहीं,’ लेकिन मैंने नहीं सुना, धीरे-धीरे उनकी साड़ी कमर तक ऊपर उठाई, साड़ी की सिलवटें खोलकर ऊपर की, पैंटी नीचे खींच दी, उनकी चूत पूरी शेव्ड, गुलाबी लेबिया गीली और फूली हुई, ब्राउन क्लिट उभरा हुआ, मुस्की महक फैल रही जो मेरे नाक में घुसकर और उत्तेजित कर रही, चूत की लेबिया गुलाबी और गीली, पानी की बूंदें टपक रही थीं, और मैंने क्लिट को उंगली से छुआ, वो सिहर उठीं। मैंने दो उंगलियां bur में घुसेड़ दीं, अंदर-बाहर करने लगा, उनकी चूत क्लेंच हो रही, पानी टपक रहा, उनकी जांघें कांप रही थीं, और रसोई की टाइल्स पर उनके पैर फिसलने लगे, उंगलियां अंदर जाते हुए चूत की दीवारों को रगड़ रही थीं, आह्ह.. इह्ह.. राहुल, उंगली इतनी गहराई से, वो कराहीं। “आआह्ह… राहुल, उंगली से चोद मत, अपना लंड डाल, मेरी bur की आग बुझा, लेकिन धीरे से, मैं तैयार नहीं इतनी जल्दी,” वो कराह उठीं, उनकी आवाज में अब विरोध कम और वासना ज्यादा थी, उनका बदन मेरे स्पर्श से गर्म हो रहा था, और मैंने उंगलियां और तेज कीं, चूत का पानी मेरी उंगलियों पर चिपक रहा था, गी.. गी.. की आवाज आ रही थी, आंटी, कितना पानी निकल रहा है, मैंने कहा।
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मैंने पैंट खोला, जिप नीचे की, पैंट और चड्ढी नीचे सरका दी, 7 इंच का मोटा, नसों वाला लंड बाहर निकाला, जो प्रीकम से चमक रहा था, नसें उभरी हुईं, सुपारा गुलाबी और फूला हुआ, और हवा में उसकी गर्माहट महसूस हो रही थी, लंड की नसें नीली दिख रही थीं, और मैंने उसे हिलाया, प्रीकम टपका। वो धीरे से घुटनों पर बैठ गईं, उनकी आंखों में वो भूखी नजर थी जो मुझे और पागल कर रही, लेकिन बैठते हुए उन्होंने हल्का सा झिझका जैसे अंतिम बार सोच रही हों, और उनके घुटने टाइल्स पर लगे, वो लंड को देखकर बोलीं, कितना मोटा है। पहले जीभ से लंड के सुपारे को चाटा, गुलाबी सुपारे पर जीभ फेरी, प्रीकम का नमकीन स्वाद चखकर ‘म्म्म…’ की आवाज निकाली, उनकी जीभ की गर्म चिपचिपाहट मेरे लंड पर फैल गई, जीभ सुपारे के छेद पर घुमाई, ग्ग्ग्ग.. ग्ग्ग्ग.. की आवाज आई जैसे चाट रही हों। फिर पूरा मुंह खोलकर लंड अंदर लिया, गर्म, गीला मुंह मेरे लंड को लपेट रहा था, थूक की चिपचिपाहट, जीभ की घुमावदार चाल सुपारे पर, बॉल्स को हाथ से सहलाती हुई, उनकी उंगलियां मेरी जांघों पर दबाव डाल रही थीं, बॉल्स को हल्के से मसला, गों.. गों.. गोग, मुंह से आवाज निकल रही थी। “उफ्फ… आंटी, जोर से चूसो मेरे लंड को, अपना थूक लगाकर इसे रंडी की तरह चाटो, तेरा मुंह कितना गर्म है, बस पिघला देगा,” मैंने सिसकारते हुए कहा, बाल कसकर पकड़े, कमर हिलाकर मुंह चोदने लगा, मेरी जांघें कांप रही थीं, लंड मुंह में अंदर-बाहर हो रहा था, ग्ग्ग्ग.. ग्ग्ग्ग.. गी.. गी.. गी.. की आवाजें तेज। वो स्लर्प-स्लर्प की आवाजें निकाल रही थीं, थूक लंड से टपक रहा, उनकी सांसें तेज, नाक से गर्म हवा मेरी जांघों पर लग रही जैसे आग लगा रही हो, और उन्होंने लंड को गले तक लिया, गैगिंग की आवाज आई, ग्ग्ग्ग.. ग्ग्ग्ग..। “म्म्म… कितना स्वादिष्ट है तेरा लंड का रस, रोज चूसूंगी इसे, लेकिन आज इतनी हड़बड़ी क्यों,” वो हांफती बोलीं, उनकी आंखें ऊपर की तरफ देख रही थीं जैसे मुझसे सवाल कर रही हों, और फिर दोबारा मुंह में लिया, गों.. गों.. गोग, मैंने उनके मुंह को और जोर से चोदा, थूक उनके ठोड़ी पर टपक रहा था, आंटी, चूसो जोर से, मैंने कहा। मन में सोचा, ‘ये आंटी तो जन्मजात लंड चूसने वाली है, अंकल की किस्मत खराब कि इसे रोज नहीं पेलते, उनकी ये kink तो अलग लेवल की है, और ये उदासी शायद लंबे समय से चली आ रही है,’ और मैंने बाल पकड़कर और तेज किया, लंड उनके गले में टकरा रहा था।
फिर मैंने उन्हें काउंटर पर झुकाया, उनके हाथ काउंटर पर रखे, पीछे से लंड उनकी चूत पर रगड़ा, गीली गुलाबी लेबिया को सुपारे से छूकर, वो कमर हिलाकर पीछे धकेल रही थीं, जैसे बेसब्री से इंतजार कर रही हों लेकिन साथ ही हल्का विरोध भी कर रही हों, चूत का पानी मेरे सुपारे पर लग रहा था, आह्ह.. इह्ह.. राहुल, रगड़ मत इतना, वो बोलीं। धीरे-धीरे सुपारा अंदर सरकाया, उनकी चूत की गर्म, टाइट दीवारें मेरे लंड को जकड़ रही थीं, जैसे दूध की मलाई में डुबोया हो, और मैंने महसूस किया उनका बदन तन गया, चूत की दीवारें सुपारे को मसल रही थीं, आह्ह.. ह्ह.. आऊ.. ऊऊ.. ऊउइ..। “आआह्ह… राहुल, पूरा डाल ना, मेरी चूत तेरे लंड के लिए तरस रही है, लेकिन धीरे से, मैं इतनी जल्दी तैयार नहीं,” वो सिसकारीं, उनकी आवाज में अब पूरी वासना घुल गई थी, और उन्होंने कमर पीछे की, मैंने धीरे-धीरे पूरा लंड घुसेड़ा। फिर एक जोरदार धक्के में पूरा लंड घुसेड़ा, ‘आआआह्ह… कितना मोटा और लंबा है तेरा लंड, मेरी चूत फाड़ दी, लेकिन मजा आ रहा है!’ वो चीखीं, उनकी चूत क्लेंच हो रही थी, पानी बह रहा, पच-पच की गीली आवाजें रसोई में गूंज रही, उनकी दीवारें मेरे लंड को मसल रही थीं, और मैंने धक्के शुरू किए, हर धक्के में लंड अंदर जाता, सुपारा चूत की गहराई छूता, आह इह्ह ओह्ह ओह ! आह.. ह्ह्ह.. इह्ह.. ..!। पसीना हम दोनों के बदन पर चिपक रहा, उनकी गांड की मांसलता मेरी जांघों से टकरा रही, मुस्की चूत की महक हवा में फैल गई जो और उत्तेजना बढ़ा रही, मैंने उनके बूब्स पीछे से दबाए, ब्राउन निप्पल्स पिंच किए, आह्ह.. ह ह ह ह्हीईई आअह्ह्ह्ह। मैं धक्के मारता रहा, हर थ्रस्ट में उनके बूब्स हिलते, निप्पल्स रगड़ते, मन में विचार, ‘ये मिल्फ चूत तो स्वर्ग है, रोज इसमें डुबकी लगानी पड़ेगी, और उनकी ये उदासी शायद पति की लंबी अनुपस्थिति से है जो अब मेरे लंड से मिटेगी,’ और मैंने स्पीड बढ़ाई, आह्ह.. ह्ह.. आऊ.. ऊऊ.. ऊउइ ..ऊई ..उईईई..। “आंटी, आपकी चूत कितनी टाइट और गर्म है, जैसे जवान कुंवारी लड़की की, मैं रोज आपको चोदूंगा, आपकी गांड भी मारूंगा,” और ये कहते हुए मैंने उनके कान चाटे, उनकी गर्दन की खुशबू सूंघी, कान में फुसफुसाया, आंटी, आपकी bur का रस कितना मीठा है। वो बोलीं, “हां बेटा, तेरे अंकल इतने दिनों से बाहर हैं कि चोदते ही नहीं ठीक से, घर की ये खालीपन मुझे मार रहा है, तू रोज आया कर, मुझे अपनी वेश्या बना ले, आआह्ह… जोर से चोद, मेरी चूत का भोसड़ा बना दे,” और उनकी ये बातें सुनकर मैं और जोश में आ गया, धक्के और तेज किए, लंड चूत में अंदर-बाहर, पच-पच की आवाज तेज, आह इह्ह ओह्ह ओह ! आह.. ह्ह्ह.. इह्ह.. ..!। मैंने स्पीड बढ़ाई, उनकी गांड पर जोर-जोर से थप्पड़ मारे, लाल कर दी, धक्कों की रिदम में मसाला डिब्बा गिर पड़ा, खनखनाहट हुई, लेकिन हम रुके नहीं, उल्टा और जोश आ गया, जैसे रिस्क से मजा दोगुना, रसोई की गर्म हवा हमारे पसीने से और भारी हो गई, उनकी सिसकारियां तेज हो गईं, आह्ह.. ह ह ह ह्हीईई आअह्ह्ह्ह। फिर मैंने उन्हें घुमाया, काउंटर पर बैठाया और सामने से चोदा, उनके पैर मेरे कंधों पर थे, मैंने लंड पूरा अंदर-बाहर किया, सुपारा क्लिट को रगड़ते हुए, उनकी ब्राउन क्लिट फूली हुई थी, मैंने उंगली से क्लिट रगड़ी, आह्ह.. इह्ह.. राहुल, क्लिट पर इतना मत रगड़। मैंने उनकी चूत चाटी, जीभ अंदर घुसेड़ी, गुलाबी लेबिया चाटी, क्लिट को चूसा, उनकी जांघें मेरे सिर को जकड़ रही थीं, उनका रस मेरे मुंह में मीठा-नमकीन लग रहा था, जीभ चूत की दीवारों पर फेरी, गी.. गी.. गी.. की आवाज, आह्ह.. इह्ह.. राहुल, जीभ इतनी गहराई में। “उम्म… राहुल, चाट मेरी चूत, पी ले मेरा पानी, तेरी जीभ कितनी जादुई है,” वो बोलीं, उनकी उंगलियां मेरे बालों में फंसी हुई थीं, और उनका बदन झटके खा रहा था। उनकी चूत से मीठा रस निकल रहा था, मैंने सब चाट लिया, जीभ की हर हरकत से उनका बदन कांपता, क्लिट चूसने से वो सिसकारतीं, आह्ह.. ह्ह.. आऊ.. ऊऊ.. ऊउइ ..ऊई ..उईईई..।

फिर मैंने कहा, “आंटी, अब गांड मारूंगा,” और उन्होंने हल्का सा सिर हिलाया, उनकी आंखें बंद थीं, वो बोलीं, “हां, मार ले, लेकिन धीरे, मुझे गांड में मजा आता है, कभी सोचा नहीं था इतना,” उनकी आवाज में अब कोई झिझक नहीं थी, और मैंने थूक लिया, अपना थूक उनकी गांड के छेद पर लगाया, लंड का सुपारा छेद पर रखा। मैंने थूक लगाया, लंड उनकी टाइट गांड के छेद पर रखा और धीरे-धीरे घुसेड़ा, गांड में लंड घुसते ही वो ज्यादा जोर से सिसकारीं, “आआह्ह… दर्द हो रहा है, लेकिन मजा आ रहा है, ये तो चूत से भी ज्यादा मजा दे रहा है, कभी सोचा नहीं था,” और उनकी गांड की टाइटनेस मेरे लंड को मसल रही थी, गर्माहट ऐसी कि जल रहा हो, सुपारा अंदर जाता हुआ दीवारों को फैला रहा था, आह्ह.. ह ह ह ह्हीईई आअह्ह्ह्ह। मैंने स्पीड बढ़ाई, गांड चोदते हुए चूत में उंगली की, उनकी गांड क्लेंच हो रही, पसीना टपक रहा, उनकी सिसकारियां रसोई में गूंज रही थीं, लंड गांड में अंदर-बाहर, थप-थप की आवाज, आह इह्ह ओह्ह ओह ! आह.. ह्ह्ह.. इह्ह.. ..!। “तेरा लंड मेरी गांड फाड़ रहा है, जोर से पेल, मुझे तेरी रंडी बना,” वो चिल्लाईं, उनका चेहरा लाल हो गया था, और मैंने धक्के तेज किए, आह्ह.. ह्ह.. आऊ.. ऊऊ.. ऊउइ ..ऊई ..उईईई..। मैं चोदता रहा, बारी-बारी चूत और गांड में लंड डाला, हर स्विच पर नई सनसनी महसूस हो रही थी, चूत से गांड में जाते हुए लंड गीला हो जाता, गांड की टाइटनेस से और हार्ड, आह्ह.. इह्ह.. राहुल, बदल-बदल कर चोद। “उम्म… कमिंग… आआह्ह,” वो झड़ गईं, चूत से गर्म फव्वारा निकला, मेरे लंड को भिगो दिया, उनका बदन कांप रहा था, नाखून मेरी पीठ में गड़ रहे, दर्द और मजा मिलकर एक हो गया, फव्वारा काउंटर पर गिरा, आह्ह.. ह ह ह ह्हीईई आअह्ह्ह्ह। मैं नहीं रुका, चोदता रहा, मेरी सांसें भारी हो गईं, लंड फड़फड़ा रहा था, आंटी, अब झड़ने वाला हूं। फिर मैंने कहा, “आंटी, मुंह में लो, स्पर्म पी लो,” और वो नीचे बैठीं, मुंह खोला, मैंने लंड उनके मुंह में डाला और जोर से झड़ गया। गाढ़ा स्पर्म उनके मुंह में भर गया, कुछ बाहर टपका उनके बूब्स पर, चिपचिपा, गर्म, और उसकी महक हवा में फैल गई, स्पर्म सफेद और गाढ़ा, उनके होंठों पर लगा, ग्ग्ग्ग.. ग्ग्ग्ग.. जैसे निगल रही हों। वो सब निगल गईं, “यम्मी, राहुल, तेरे स्पर्म का टेस्ट कमाल है, रोज पिला, तेरे साथ ये kink जीने का मजा अलग है,” उनकी जीभ बाहर निकालकर बाकी स्पर्म चाट रही थी, और मैंने देखा उनके मुंह के किनारे पर स्पर्म लगा हुआ, आंटी, कितना अच्छा चूसती हो, मैंने कहा।
सांसें थमने लगीं, लेकिन आग अभी बुझी नहीं थी, हम दोनों हांफ रहे थे, पसीने से भीगे, बदन चिपचिपा, मैंने उनके होंठों पर किस किया, अपना ही स्पर्म का स्वाद चखा, उनकी आंखों में संतुष्टि थी लेकिन साथ ही वो उदासी की छाया जो पति की लंबी अनुपस्थिति से आती थी, अब थोड़ी कम लग रही थी, और हमने एक-दूसरे को देखा, आंटी, अब रोज आऊंगा, मैंने कहा। तभी अजय का फोन आया, वो आ रहा था। हमने जल्दी से कपड़े ठीक किए, मैंने पैंट ऊपर की, रीता आंटी ने ब्रा नीचे की, ब्लाउज के हुक लगाए, साड़ी नीचे की, पैंटी ऊपर चढ़ाई, एक ट्रॉफी की तरह, और उसकी गर्माहट अभी भी महसूस हो रही थी, हमने रसोई साफ की, और मैं लिविंग रूम में बैठ गया। उस रात के बाद, मैं रोज अजय के घर जाता, और रीता आंटी को चोदता, कभी रसोई में डॉगी स्टाइल में उनकी चूत फाड़ता, कभी बेडरूम में 69 पोज में उनकी चूत चाटता और लंड चुसवाता, कभी बाथरूम में शावर के नीचे एनल सेक्स करता जहां पानी उनके बूब्स पर गिरता, वो मेरी रंडी बन गईं, हर जगह चुदाई, मल्टीपल ऑर्गेज्म, और वो taboo थ्रिल हमें और बांधता है, अजय को कभी पता नहीं चला, लेकिन आंटी अब मेरे लंड की गुलाम हैं, उनकी उदासी अब मेरे स्पर्श से मिटती है।
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