Bhabhi devar sex story – Pussy licking sex story – Ass licking sex story: हैलो दोस्तों, मैं आज आपको अपनी बिल्कुल सच्ची और बेहद कामुक चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जिसमें मैंने अपनी कजिन भाभी प्रीति को पूरी तरह चोदा और उनका अनमोल रस चखा। ये घटना अभी कुछ महीने पहले की है। मैं एक खुले विचारों वाले परिवार से हूँ, गर्मियों की छुट्टियों में हमारे यहाँ रिश्तेदार आते रहते हैं। इस बार मेरे कजिन भाई अपनी बीवी प्रीति भाभी और उनके दो प्यारे बच्चों गीतू (5 साल) और शिव (3 साल) के साथ हमारे घर आए थे।
प्रीति भाभी उस वक्त 34 साल की थीं, फिगर 34-28-36, दो बच्चों के बाद भी वो किसी स्वर्ग की अप्सरा से कम नहीं लगती थीं। उनकी चूचियाँ और भी भरी-भरी, उभरी हुई हो गई थीं, गोल-गोल भारी गांड बाहर को निकली हुई थी, पूरा बदन रसीला और भरावदार। शादी के सालों बाद वो बातों में भी खुल गई थीं। जब भी वो पास से गुजरतीं, उनकी बदन की हल्की-हल्की खुशबू मुझे पागल कर देती। मैं चुपके-चुपके उनकी चूचियों और मटकती गांड को घूरता रहता, मौका मिलते ही किसी बहाने छू लेता।
एक दिन भैया को दो महीने के लिए बाहर जाना पड़ा। भाभी बहुत उदास थीं, लेकिन उनके जाने के बाद हम दोनों काफी करीब आ गए। मैं बच्चों के साथ खेलता तो कभी भाभी से अकेले में बातें करता, कभी चुपके से उनका हाथ छू लेता, कमर पर हाथ फेर देता। वो भी अब मुझसे खुलकर हँसती-बोलती थीं। मैंने मन ही मन ठान लिया था कि किसी भी तरह प्रीति भाभी को पटाकर उनके रसीले बदन का मजा लूँगा।
एक दिन हम दोनों बातें कर रहे थे। मैंने उनकी खूब तारीफ की, कॉलेज के दिन, बॉयफ्रेंड सबके बारे में पूछा। वो खुशी-खुशी सब बता रही थीं, चेहरा लाल हो रहा था। फिर उन्होंने मुझसे मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा। मैंने कहा, “भाभी, आप जैसी अप्सरा कहाँ मिली मुझे अभी तक?” वो हँस पड़ीं और मेरे लंड की तरफ देखकर बोलीं, “इस उम्र में गर्लफ्रेंड नहीं तो ये कैसे संभालते हो?” मैं दंग रह गया, लेकिन मौका समझकर बोला, “आपको देखकर अब कुछ और ही करने का मन करता है।” मैंने कुछ सेक्सी जोक्स सुनाए, वो हँसते हुए मुझे छूने लगीं।
फिर मैंने हिम्मत करके पूछ ही लिया, “भाभी, शादी से पहले कभी कुछ किया था?” वो शरमाते हुए बोलीं, “ये मेरा राज है, तुम्हें क्यों बताऊँ?” मैंने कहा, “मैं पराया थोड़ा हूँ, साली आधी घरवाली होती है तो देवर भी आधा पति ही है ना?” वो शरमा गईं और बात टालकर किचन में चली गईं। मैं उनके पीछे-पीछे गया, पीछे से चिपककर खड़ा हो गया और फिर पूछा, “पहली बार कब किया था भाभी? कैसा लगा?” वो लाल होकर बोलीं, “जब तुम्हारा टाइम आएगा तब पता चल जाएगा।” उनका जवाब रुखा था, लेकिन आँखों में कुछ और ही था।
दोपहर में मैं अपने कमरे में भाभी को याद करके लंड सहला रहा था, खड़ा होकर टेंट बना हुआ था। अचानक भाभी कमरे में आ गईं और सब देख लिया। मैं घबरा गया, लेकिन वो मुस्कुराते हुए पास बैठ गईं और बोलीं, “किसी को याद कर रहे हो ना?” मैंने हिम्मत करके कहा, “बस आपको ही याद कर रहा था।” फिर उनका हाथ पकड़कर अपनी गोद में सिर रख दिया और उनका हाथ अपने खड़े लंड पर रख दिया। जैसे ही उनका हाथ लंड पर पड़ा, वो चौंक गईं, लेकिन हाथ नहीं हटाया। उनकी साँसें तेज हो गईं।
वो बोलीं, “मुझमें ऐसा क्या अच्छा लगता है तुम्हें?” मैंने कहा, “सब कुछ, तुम्हारी आँखें, तुम्हारी चूचियाँ, तुम्हारी गाण्ड, जी चाहता है आइसक्रीम की तरह चूस जाऊँ।” ये सुनते ही उन्होंने मेरे लंड को जोर से मसल दिया और बोलीं, “और क्या-क्या करना चाहते हो मेरे साथ?” मैं समझ गया कि हरी झंडी मिल गई। मैंने उन्हें बाहों में भर लिया, चूचियाँ अपनी छाती से दबाईं, साड़ी के ऊपर से गाण्ड मसलने लगा। वो भी मेरा लंड पैंट के अंदर से सहलाने लगीं और फुसफुसाईं, “मैं भी बहुत प्यासी हूँ, आज मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ, पर किसी को बताना मत।”
मैंने उनके होंठ चूसने चाहे तो वो बोलीं, “पहले सिर्फ तुम्हारा लंड देखना चाहती हूँ।” मैं उन्हें बाथरूम में ले गया, दरवाजा बंद किया और लिपट गए। मैं उनके होंठ चूसने लगा, चूचियाँ मसलने लगा। वो सिसक रही थीं, “आह्ह प्रीति को आज चोद डालो, और जोर से दबाओ।” मैंने साड़ी-पेटीकोट ऊपर किया, लाल पैंटी पूरी गीली थी, चूत का रस और खुशबू से पूरा बाथरूम महक रहा था। मैंने पैंटी के ऊपर से चूत चाटनी शुरू की। वो मेरे सिर को जोर से दबाने लगीं, “हाँ आह्ह इह्ह्ह और जोर से, चाटो मेरी चूत को, उफ्फ्फ मर गई।” वो काँपने लगीं, गांड ऊपर उठा-उठाकर मेरे मुँह पर रगड़ने लगीं और तेज-तेज सिसकारियाँ लेते हुए झड़ गईं। मैंने उनकी गीली पैंटी चाटकर सारा रस पी लिया। वो शांत हुईं तो बोलीं, “रात को बाकी मजा लेंगे।”
रात को डिनर के दौरान भाभी बार-बार मुझे छूती रहीं, एक बार तो जानबूझकर अपनी चूत मेरे हाथ से रगड़ दीं और शरारती मुस्कान दी। खाना खाकर बच्चे सो गए तो भाभी गुलाबी मैक्सी में मेरे कमरे में आईं, दरवाजा अंदर से बंद किया और मेरे पास बैठ गईं। मैं नाराज बनकर बैठा था तो वो मुझे मनाने लगीं, सीने से लगाया और होंठों पर गहरा किस किया। मैंने भी उन्हें खींच लिया, गर्दन चूमी, गाल चूमें, बालों में हाथ फेरा। वो आहें भरने लगीं, “उफ्फ्फ आह्ह्ह हाँ ऐसे ही।”
मैंने उन्हें दीवार से सटाया, एक पैर से उनकी चूत रगड़ने लगा, एक हाथ से चूचियाँ मसलता रहा तो दूसरे से गाण्ड दबाता रहा। फिर धीरे-धीरे नीचे आया, मैक्सी ऊपर की तो लाल बिकिनी पैंटी पूरी गीली, रस की खुशबू कमाल की। मैंने बिकिनी उतारी और उनकी प्यासी चूत पर टूट पड़ा। जीभ से चूत का दाना रगड़ते ही वो चीखने लगीं, “आह्ह्ह ओह्ह्ह चाटो प्रीति की चूत को, हाँ ऐसे ही उफ्फ्फ आईईईई मर गई।” मैंने उनकी गांड के दोनों कुल्हे फैलाए, गांड का छेद सूंघा, फिर जीभ से चाटने लगा। वो पागल हो गईं, “हाँ और जोर से, गांड भी चाटो, आह्ह्ह्ह्ह मेरे राजा।” मैंने गीली उंगली गांड में डालने की कोशिश की, बहुत टाइट थी, वो कसमसाईं लेकिन चूत चाटते-चाटते फिर झड़ गईं।
फिर हम 69 में आ गए। मैं उनकी चूत खा रहा था तो वो मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं, ग्ग्ग्ग ग्ग्ग्ग गी गी गों गों गोग, पूरा गले तक ले रही थीं। मैं जैसे ही जीभ अंदर डालता वो मेरे लंड को काट लेतीं, “आह्ह्ह दबाओ मेरी चूत को, उफ्फ्फ तुम्हारा लंड बहुत स्वादिष्ट है।” कुछ देर बाद वो फिर झड़ीं, मैंने सारा रस पी लिया। अब वो मेरे ऊपर चढ़ गईं, मेरे लंड को अपनी चूत पर रगड़ने लगीं और धीरे-धीरे अंदर ले लिया। उनकी चूत अभी भी टाइट थी, दो बच्चों के बाद भी। वो ऊपर-नीचे होने लगीं, चूचियाँ उछल रही थीं, “आह्ह्ह चोदो मुझे, जोर से, हाँ ऐसे ही।” मैंने नीचे से धक्के मारने शुरू किए। फिर मैंने उन्हें घोड़ी बनाया, पीछे से उनकी गांड पकड़कर तेज-तेज ठोका। वो चिल्ला रही थीं, “हाँ देवर जी, फाड़ दो मेरी चूत, आह्ह्ह्ह उफ्फ्फ और तेज।” मैंने उनकी गांड पर जोरदार थप्पड़ मारे, वो और जोश में आ गईं। आखिर में मैंने उनकी चूत में ही सारा माल झड़ दिया। हम दोनों थककर लेट गए, वो मेरे सीने पर सिर रखकर बोलीं, “तुमने तो मुझे स्वर्ग दिखा दिया।”
उसके बाद जब भी मौका मिलता, हम चुपके से एक-दूसरे का रस पीते रहे। प्रीति भाभी की चूत का अनमोल रस आज भी मेरी जीभ पर है।