दोस्त की बीवी की चुदाई की पूरी रात खंडहर में

Jungle sex story – friend wife sex story: दोस्तो, मेरा नाम विकास ठाकुर है, मैं 30 साल का एक जवान डॉक्टर हूँ, मेरा लंड 8 इंच का मोटा और सख्त है, जिसे देखकर कोई भी भाभी या लड़की तड़प उठती है। मुझे भाभियों की चुदाई का बड़ा शौक है, खासकर उनकी मोटी-मुलायम गांड मारने में जो अलग ही मजा आता है। ये सच्ची घटना मेरे सबसे अच्छे दोस्त सागर की बीवी पल्लवी भाभी के साथ हुई थी। हम तीनों एक ही हॉस्पिटल में काम करते हैं, इसलिए रोज साथ रहते थे, घूमते थे, पार्टी करते थे।

पल्लवी भाभी दिखने में बला की खूबसूरत थीं, उम्र करीब 28 साल, भूरी आँखें, गुलाबी गाल, साड़ी में उनके बड़े-बड़े चुचे और भारी भरकम गांड ऐसे उभरे रहते कि मरीज भी सिर्फ उनकी गांड देखने आते थे। साड़ी का पल्लू खिसकता तो ब्रा में कैद बड़े-बड़े दूध हिलते, और जब चलतीं तो गांड की लहरें लंड खड़ा कर देतीं।

हमें नासिक के जंगल में मेडिकल कैंप लगाना था। पंद्रह लोग गए थे, सागर और पल्लवी भाभी भी साथ थे। दो दिन बाद सागर के पैर में मोच आ गई, वो वापस चला गया और कैंप व भाभी की जिम्मेदारी मुझे सौंप गया। अब सिर्फ मैं और भाभी ही थे।

रात को भाभी ने मुझे अपने टेंट में बुलाया, कल का प्लान डिस्कस करने के लिए। मैं गया तो भाभी कपड़े बदल रही थीं, पतला पर्दा था, सब साफ दिख रहा था। भाभी ने ब्लाउज-ब्रा उतारी, बड़े-बड़े रसीले दूध बाहर आए, फिर पैंटी भी उतार दी, एकदम नंगी होकर टाइट नाइट पैंट और टी-शर्ट पहन लिया। उनके मोटे-मोटे निप्पल टी-शर्ट में साफ उभर रहे थे, गांड इतनी बड़ी कि पैंट फटने को थी। मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया।

मैं अंदर गया तो भाभी मुस्कुराईं, हम प्लान की बात करने लगे, पर मेरी नजर उनकी गांड और चूचों पर थी। बाकी लोग आ गए, प्लान बनाया और चले गए। भाभी ने मुझे रोका और बोलीं, “विकास, गाँव वालों ने हमें अपना पारंपरिक डांस दिखाने बुलाया है, चलो ना सिर्फ हम दोनों चलते हैं।” मैं तुरंत हाँ कर दिया।

वहाँ पहुंचे तो आदिवासी लोग पूजा कर रहे थे, फिर डांस शुरू हुआ। हमें भी नचाया, एक आदमी ने हमें खास शर्बत पिलाया, पीने के बाद पता चला वो देसी शराब थी, बहुत जोर की। हम दोनों नशे में मस्त हो गए। वो लोग हमें पति-पत्नी समझ रहे थे। डांस में भाभी मेरे सामने नाच रही थीं, उनकी मक्खन जैसी गांड मेरे लंड से टकरा रही थी, लंड पत्थर सा हो गया।

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डांस खत्म कर हम टेंट की ओर चले, पर रास्ता भटक गए। दो घंटे भटकते रहे, नेटवर्क नहीं, ठंड बहुत थी। भाभी थक कर बोलीं, “कहीं बैठ जाते हैं।” सामने एक पुराना खंडहर दिखा, हम अंदर घुसे। अचानक भाभी चिल्लाईं, पानी की टंकी में गिर गई थीं। मैं कूदा, उन्हें निकाला, हम दोनों पूरी तरह भीग गए, ठंड से काँपने लगे।

वहाँ सूखी घास थी, मैंने बिछाई। भाभी बोलीं, “विकास, गीले कपड़े उतारो वरना मर जाएंगे, हम डॉक्टर हैं, शर्म की कोई बात नहीं।” अंधेरे में हमने सारे कपड़े उतार दिए, एक-दूसरे से पीठ सटाकर लेट गए। पर ठंड कम नहीं हो रही थी। भाभी खुद पीछे सरकीं, उनकी नर्म गांड मेरे लंड से सट गई, मेरे सीने से उनके दूध दबने लगे। मेरा लंड लोहे जैसा खड़ा हो गया।

भाभी सहमी आवाज में बोलीं, “बस एक ही तरीका है, लिपट कर सोना पड़ेगा।” मैंने हिम्मत करके उनकी कमर पकड़ी, दोनों एक-दूसरे से चिपक गए। उनकी मोटी गांड को मैंने दोनों हाथों से मसलना शुरू किया, कितनी मुलायम और गर्म थी। भाभी सिसकने लगीं, “आह्ह्ह विकास, जोर से दबाओ मेरी गांड को, ठंड मार रही है मुझे, अपनी उंगलियां गांड के छेद में घुसाओ ना, गर्मी आएगी।” मैंने उनकी गांड के बीच उंगली फेरनी शुरू की, धीरे से छेद में अंदर-बाहर करने लगा, भाभी की साँसें तेज हो गईं, “ओह्ह्ह हाँ, ऐसे ही, मेरी गांड को फैलाओ विकास, कितने दिन से कोई छुआ नहीं।”

मैंने उन्हें पलटा, गहरे किस करने लगा, जीभ अंदर डाल दी, उनके होंठ चूसते हुए, गर्दन पर काटने लगा। मेरे हाथ उनके बड़े-बड़े दूध मसल रहे थे, निप्पल को चुटकी काट रहा था, उन्हें खींचता, दबाता। भाभी की साँसें तेज हो गईं, “आह्ह्ह इह्ह्ह विकास, मेरे निप्पल को काटो जोर से, दूध चूसो जैसे बच्चा चूसता है, आह्ह्ह मेरी चूत गीली हो रही है तेरे स्पर्श से।” मैंने एक हाथ नीचे सरकाया, उनकी चूत पर रगड़ने लगा, क्लिट को मसलने लगा, दो उंगलियां चूत में डाल दी, अंदर-बाहर करने लगा। भाभी कमर उचकाने लगीं, “उंगली और तेज पेलो साले, मेरी चूत को फाड़ दो, आह्ह्ह ऊऊईईई कितना मजा आ रहा है, तेरी उंगलियां मेरी जी-स्पॉट को छू रही हैं।”

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फिर भाभी ने खुद कहा, “मुझे चूत चटवानी है, सागर ने कभी नहीं चाटी, मेरी चूत का रस चखो ना विकास, पूरा पी जाओ।” मैं नीचे सरक गया, 69 में आ गए। उनकी चूत एकदम गुलाबी, रस से भरी थी। मैंने जीभ पूरी अंदर घुसेड़ दी, चूत को ऐसे चाटने लगा जैसे आइसक्रीम हो, झांटों को खींचता, क्लिट को चूसता, उंगलियां चूत में डाल कर चोदता रहा। भाभी तड़प उठीं, “आअह्ह्ह्ह ऊऊईईई विकास, चाटो जोर जोर से मेरी चूत, रस निकालो सारा, आह्ह्ह ह्ह्ह्हीईई तेरी जीभ मेरी चूत को पागल कर रही है, क्लिट को काटो ना।” और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं। ग्ग्ग्ग्ग ग्ग्ग्ग्ग गी गी गों गों गोग, पूरा लंड गले तक ले लिया, हाथ से मुठ मारते हुए चूस रही थीं, टट्टों को सहलातीं, चूसतीं।

मैं बोला, “भाभी, माल निकलने वाला है।” वो गले से लंड निकाल कर बोलीं, “मुँह में ही डालो साले, तेरे लंड का गाढ़ा रस पीना है मुझे, पूरा निगल जाऊँगी।” दो मिनट बाद मैंने झड़ गया, भाभी ने एक बूंद नहीं छोड़ी, सारा रस पी गई और लंड चाट-चाट कर साफ कर दिया।

अब भाभी बेकाबू थीं, “विकास चोदो मुझे अब, हर स्टाइल में, मेरी चूत तेरे मोटे लंड के लिए तड़प रही है, बस माल अंदर मत डालना अभी।” मैंने उन्हें किस करते हुए दूध चूसे, निप्पल काटे, फिर चूत में तीन उंगलियाँ डाल कर तेज-तेज चोदने लगा। भाभी की कमर ऊपर उठने लगी, “आह्ह्ह्ह ह्ह्ह्हीईई उंगली और तेज, फाड़ दो मेरी चूत को, तेरी उंगलियां मेरी चूत की दीवारें खरोंच रही हैं, आह्ह्ह मुझे चोदो अब, लंड डालो।” मैंने लंड उनकी चूत पर रगड़ा, भाभी खुद पकड़ कर छेद पर सेट करने लगीं।

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पहला झटका मारा तो आधा लंड अंदर गया, भाभी चीखीं, “ओह्ह्ह मर गयी, कितना मोटा लंड है रे तेरा, मेरी चूत फैल रही है।” मैं रुका नहीं, दूसरा जोरदार धक्का मारा, पूरा लंड जड़ तक चला गया। भाभी की टाइट चूत में फच फच फच शुरू हो गया। मैं धीरे-धीरे पेल रहा था, फिर स्पीड बढ़ाई। भाभी चिल्ला रही थीं, “आह्ह्ह और जोर से साले, फाड़ दो मेरी चूत, आज तक ऐसा मोटा लंड नहीं लिया आह्ह्ह्ह ऊईईई माँँँ, तेरे लंड ने मेरी चूत की मलाई निकाल दी।” मैंने उनके पैर कंधे पर रखे, अब लंड जड़ तक मार रहा था।

भाभी झड़ गईं, चूत से रस की बौछार निकली, पर गांड ऊपर उठा कर साथ देती रहीं। मैंने उन्हें घोड़ी बनाया, पीछे से गांड पकड़ कर पेलने लगा, फट फट फट फट। भाभी की मोटी गांड की लहरें देखकर मैं पागल हो रहा था। मैं बोला, “भाभी रुक नहीं पा रहा, अंदर ही डाल दूँ?” वो हाँफते हुए बोलीं, “डाल दो साले, मेरी चूत को तेरे माल से भर दो, गोली खा लूँगी।” मैंने आखिरी तेज झटकों में सारा गाढ़ा माल उनकी चूत में उड़ेल दिया।

दोनों पसीने से तर, नंगे लेटे रहे। दस मिनट बाद मेरा लंड फिर खड़ा। भाभी बोलीं, “चूत में दर्द है, पर गांड मार लो, मेरी गांड का छेद फैलाओ विकास, उंगली से पहले गर्म करो।” मैंने उनकी गांड में थूक लगाई, दो उंगलियां डाल कर फैलाने लगा, अंदर-बाहर किया। भाभी बोलीं, “आह्ह्ह्ह हाँ, उंगली और तेज, मेरी गांड को तैयार करो तेरे मोटे लंड के लिए।” फिर धीरे-धीरे लंड घुसाया। भाभी दर्द और मजे में चिल्ला रही थीं, “आह्ह्ह्ह धीरे से साले, आह्ह्ह्ह फिर जोर से पेलो, पूरी गांड फाड़ दो मेरी।” मैंने उनके दूध पकड़ कर गांड मारनी शुरू की, फिर तेज-तेज पेला और सारा माल उनकी गांड में छोड़ दिया।

सुबह कपड़े पहने, भाभी ने मुझे लंबा किस किया और बोलीं, “ये राज हमेशा राज रहेगा।” हम टेंट वापस आ गए। आज भी हम अच्छे दोस्त हैं, पर कभी-कभी भाभी को देखकर लंड खड़ा हो जाता है, वो शरमाकर मुस्कुरा देती हैं।

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