Homemade blue film sex story – 2 lund 1 chut sex story – Panty sniffing sex story: मेरा नाम रूपाली है, उम्र अभी उन्नीस साल की है, साउथ दिल्ली के एक अच्छे से घर में मम्मी-पापा और छोटा भाई मोनू के साथ रहती हूँ। मोनू अठारह साल का है, अभी-अभी कॉलेज में गया है। मेरा रंग गोरा है, लम्बे काले बाल, भूरी आँखें, हाइट पाँच फुट चार इंच और फिगर ऐसा कि लोग पीछे मुड़कर देखते हैं। मैं रोज की तरह उस दिन भी सहेलियों के साथ साकेत के मॉल में शॉपिंग करके लौटी थी। थककर अपने कमरे में घुसी तो बैग पटका और जींस की जेब से फोन निकालने लगी। नजर दराज पर गई तो देखा मेरी नीली रंग की लेस वाली पैंटी वहाँ पड़ी है। मुझे बिल्कुल याद नहीं था कि मैंने इसे यहाँ रखा था। मैंने तो सुबह यही पहनी थी और शाम को चेंज करके गंदे कपड़ों में फेंक दी थी।
अचानक बाहर गलियारे में दो जोड़ी पैरों की आहट सुनाई दी। मैं घबरा गई और बिना कुछ सोचे अलमारी में घुसकर दरवाजा हल्का सा बंद कर लिया। झिरी से देखा तो मोनू और उसका दोस्त रिषु कमरे में घुसे। मोनू ने दरवाजा अंदर से लॉक किया और धीमी आवाज में बोला, “रूपाली दीदी बाहर गई हैं, जल्दी कर, बस आज आखिरी बार। अगर इन्हें पता चला ना तो मेरी शामत आ जाएगी।”
रिषु की आँखें चमक रही थीं, “यार तू बेस्ट भाई है दुनिया का, तेरी दीदी कितनी माल है। बस एक बार और इनकी पैंटी सूंघने दे।” मोनू ने दराज खोला, नीली पैंटी निकाली और रिषु को थमा दी। रिषु ने उसे नाक पर रखते ही आँखें बंद कर लीं और गहरी साँस खींची, “उफ्फ्फ यार… अभी भी दीदी की चूत की खुशबू ताजा-ताजा है, बिल्कुल वैसी ही जैसी कल सूंघी थी।” वो पैंटी को नाक से रगड़ते हुए बोला, “धुली हुई है ना? काश आज वाली गंदी मिल जाती, उसमें तो चूत का पानी भी लगा रहता।”
मोनू शर्मा रहा था पर खड़ा देखता रहा। रिषु ने उसे उकसाया, “ले यार तू भी सूँघ, अपनी दीदी की है, कौन सा कोई पराई माल है।” मोनू ने पहले मना किया, फिर हार गया। उसने पैंटी ली और नाक पर रखकर जोर से खींचा, “सच में यार… बहुत सेक्सी खुशबू है, लंड खड़ा हो गया।” दोनों हँस पड़े। रिषु बोला, “चल कोई गंदी ढूंढते हैं।” मोनू ने गंदे कपड़ों के ढेर में हाथ डाला और मेरी लाल रंग की पैंटी निकाली जो मैंने परसों पहनी थी। उसमें पीले-पीले दाग साफ दिख रहे थे।
रिषु ने उसे छीना और नाक पर रखते ही सिसकारी भरी, “आआह… मम्म्म्म्म… ये तो कमाल है यार, दीदी की चूत और गाँड दोनों की महक मिली हुई है, दो दिन पुरानी है ना? बिल्कुल वैसी ही जैसे मैं सोचता था।” वो पैंटी को गालों से रगड़ने लगा, जीभ निकालकर दाग को चाटने लगा। मोनू अब तक बर्दाश्त नहीं कर पाया, उसने भी पैंटी ली और जोर-जोर से सूँघने लगा, “यार सच में… दीदी की चूत की स्मेल है, लंड फट जाएगा।”
दोनों ने पैंट नीचे की, लंड बाहर निकाला। रिषु ने लाल पैंटी लंड पर लपेटी और नीली पैंटी नाक पर रखी, मोनू ने भी ऐसा ही किया। दोनों एक साथ हिलाने लगे। मैं अलमारी में खड़ी अपनी चूत पर उंगलियाँ फेर रही थी, मेरी साँसें तेज हो रही थीं। मोनू ने पहले झड़ दिया, उसका गाढ़ा वीर्य लाल पैंटी में पूरा गिर गया, फिर रिषु ने भी भर दिया। दोनों ने लंड उसी पैंटी से पोंछा और हँसते हुए कमरे से निकल गए।
मैं थोड़ी देर बाद खिड़की से कूदकर बाहर निकली और घूमकर मुख्य दरवाजे से अंदर आई। मोनू डाइनिंग टेबल पर बैठा सैंडविच खा रहा था। मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “हाय मोनू, क्या खा रहा है?” वो हड़बड़ा गया, “हाय दीदी… वो बस सैंडविच।” मैं जानबूझकर झुकी ताकि मेरी क्लीवेज दिखे, उसकी नजर मेरी ब्रा की लेस पर चली गई।
अगली सुबह मम्मी-पापा ऑफिस चले गए, मोनू कॉलेज। मैं देर से उठी। बिस्तर पर लेटे-लेटे कल की सारी बातें याद आ रही थीं। मैंने गंदे कपड़ों में से लाल पैंटी निकाली, उसमें मोनू और रिषु का सूखा हुआ वीर्य साफ दिख रहा था। मैंने उसे नाक पर रखा, गहरी साँस ली, “उफ्फ्फ… कितना गंदा और कितना मजेदार…” मैंने जीभ निकालकर दाग चाटा, नमकीन स्वाद मुँह में फैल गया। मेरी चूत अपने आप भीगने लगी। मैंने तीन उंगलियाँ चूत में घुसेड़ीं और जोर-जोर से चोदने लगी, “आह्ह्ह… ह्ह्हीईई… मोनू… रिषु… आओ मुझे चोदो…” कुछ ही मिनट में मैं झड़ गई।
फिर मैं मोनू के कमरे में गई। उसकी शॉर्ट्स में भी वीर्य के दाग थे। मैंने उसे सूँघा, चाटा और फिर अपनी चूत में उंगलियाँ डालकर झड़ी। शाम को मैंने दिन भर पहनी हुई गुलाबी पैंटी गंदे कपड़ों में फेंक दी और खिड़की के पीछे छुप गई। मोनू आया, नोट पढ़ा कि मैं देर से आऊँगी, और सीधे मेरे कमरे में घुस गया। मेरी ताजा गुलाबी पैंटी उठाई, सूँघी और लंड बाहर निकालकर मुठ्ठ मारने लगा। मैं चुपके से कमरे में घुसी और जोर से बोली, “मोनू… ये क्या कर रहा है तू?”
वो हड़बड़ा कर खड़ा हो गया, लंड हाथ में ही था, “दी… दीदी… सॉरी… मैं…” उसकी सारी हिम्मत खत्म हो चुकी थी। मैंने शांत स्वर में कहा, “कोई बात नहीं, बस अब यहाँ से जा और नहा ले।” वो शर्म से मरा जा रहा था। रात को डिनर के बाद मैं उसके कमरे में गई। वो बिस्तर पर लेटा था। मैं उसके बगल में बैठ गई, “बता क्या बात है, कब से कर रहा है ये सब?”
उसने सब कबूल कर लिया, “दीदी… रिषु मुझसे तेरी पैंटी सूंघने को बोलता था, सौ रुपये देता था। मैं पहले मना करता था पर फिर… खुद भी मजा आने लगा।” मैंने हँसकर कहा, “मुझे अच्छा लगा जो तूने किया। जब मन करे कर लेना, बस मुझे पता होना चाहिए।” उसकी आँखें चमक उठीं, “सच में दीदी?” मैंने कहा, “हाँ, पर शर्त है… जब मैं देखूँ तभी।”
हम मेरे कमरे में गए, टीवी ऑन कर दिया ताकि आवाज बाहर न जाए। मोनू ने मेरी पैंटी उठाई, सूँघी। मैंने भी छीनकर सूँघी, “हम्म्म… अच्छी स्मेल है ना?” हम दोनों हँस पड़े। उसने बताया कि दिन में तीन-चार बार मुठ्ठ मारता है। मैंने कहा, “कल मम्मी-पापा बाहर जा रहे हैं, रिषु को बुला ले।” उसने खुशी से हाँ कह दिया।
अगले दिन शाम को मैं घर लौटी तो मोनू, रिषु और एक नया लड़का राजेंद्र सोफे पर बैठे थे। राजेंद्र के पास प्रोफेशनल कैमरा था। हम मेरे कमरे में गए। राजेंद्र ने कहा, “रूपाली, हम एक पॉर्न साइट शुरू कर रहे हैं, चेहरा नहीं आएगा, सिर्फ बॉडी। क्या तुम अपनी चूत दिखाओगी?” मैंने मुस्कुराकर जींस और पैंटी नीचे की, अपनी गुलाबी चूत दोनों हाथों से फैलाकर दिखाई। राजेंद्र ने फोटो ली।
फिर बीयर पी, बातें हुईं, सब गरम हो गए। रिषु ने कहा, “आज ही ब्लू फिल्म बना लेते हैं।” मैंने हँसकर हाँ कह दिया। राजेंद्र ने कैमरा ऑन किया। इंटरव्यू लिया, मैंने सब सच बता दिया कि मोनू को पैंटी सूँघते पकड़ा था। मोनू ने लंड निकाला, मैंने तारीफ की। फिर मैंने मुँह खोला और मोनू ने पूरा सात इंच का लंड मेरे गले तक घुसेड़ दिया। मैं जोर-जोर से चूसने लगी, “ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… गों गों…” आवाजें आने लगीं। लंड निकाला तो “पुच्च्च्च” की तेज आवाज हुई।
फिर मैंने सारे कपड़े उतारे, टाँगें कंधों पर रखकर चूत और गाँड दिखाई। मोनू ने मेरी चूत चाटी, जीभ अंदर तक डाली, गाँड का छेद भी चाटा। मैं चिल्लाने लगी, “आआह्ह्ह… ह्ह्हीईई… मोनू और चाट… चूत फाड़ दे जीभ से… ऊईईई…”। फिर मैंने उसकी उंगलियाँ चाटीं जिनमें मेरी चूत का रस था। राजेंद्र ने पूछा, “अब गाँड मारोगे?” मैंने तड़पकर कहा, “जल्दी से अपना लंड मेरी गाँड में पेलो।”
मोनू ने पूरा लंड मेरी गाँड में घुसाया, फिर तूफानी धक्के मारे। मैं अपनी चूत सहलाते हुए चिल्लाई, “हाँ भाई… और जोर से… अपनी दीदी की गाँड फाड़ दे… आआह्ह्ह… मैं गई रे…”। दोनों एक साथ झड़े, उसका गर्म वीर्य मेरी गाँड में इतना भरा कि बाहर टपकने लगा।
दो हफ्ते बाद फिर शूटिंग। इस बार राजेंद्र ने मुझे गोद में उठाया, मुझे अपनी छाती पर लिटाया और लंड गाँड में पूरा घुसेड़ दिया। मोनू ने सामने से चूत में पेल दिया। दोनों तरफ से एक साथ ठोका जा रहा था। मैं बेकाबू होकर चिल्लाई, “हाँआआ… दोनों मिलकर फाड़ दो मुझे… ऊओओह्ह्ह… ह्ह्हीईई… और तेज… चोदो अपनी दीदी को…”। राजेंद्र ने पहले झड़ा, उसका वीर्य मेरी गाँड से टपकने लगा। मोनू ने भी गाँड में ही सारा माल उड़ेल दिया। मैंने उंगलियाँ डालकर वीर्य चाटा और कैमरे की तरफ हाथ हिलाकर बोली, “अगली बार जल्दी मिलते हैं।”