Hotelroom Blackmail Sex Story – Old Uncle Young College Girl Sex Story: हैलो दोस्तों, मेरा नाम रितिका है, मैं 21 साल की हूँ, चंडीगढ़ में रहती हूँ और अभी कॉलेज में पढ़ाई कर रही हूँ। मेरी हाइट 5 फुट 7 इंच है, रंग एकदम दूध सा गोरा है और फिगर भी कातिलाना, 34-26-36। सब कहते हैं कि मैं देखने में बहुत खूबसूरत हूँ। आज मैं आपको अपनी सबसे पहली सेक्स की सच्ची घटना सुनाने जा रही हूँ, जिसने मेरी जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी।
ये बात पिछले साल की है, जब मैं 20 साल की थी और जवानी अपने पूरे शबाब पर थी। मेरे बूब्स भरे-भरे हो चुके थे, कमर पतली और गोल-गोल गांड थी, चूत पर हल्के-हल्के मुलायम बाल उग आए थे, निप्पल्स भी अब साफ बाहर दिखने लगे थे। मैं अच्छे घर की लड़की हूँ, कभी किसी लड़के से ज्यादा बात भी नहीं की थी, लेकिन मन में कुछ-कुछ होने लगा था।
हमारे कॉलेज का शिमला टूर प्लान हुआ, तीन दिन का। घर वालों ने बिना किसी संकोच के जाने दिया क्योंकि टीचर्स साथ थे। पांच घंटे का सफर करके हम शिमला पहुंचे, एक अच्छे होटल में रुके। मेरा रूम दो और सहेलियों के साथ था, बिलकुल आखिरी रूम के बगल में। शाम को घूमकर लौटे तो देखा कि बगल वाले रूम में एक अंकल जा रहे थे। उम्र करीब 45 साल, कद 6 फुट 6 इंच का, गजब का हट्टा-कट्टा बदन, चौड़ी छाती, मोटी-मोटी बाजुएं। हमें देखकर मुस्कुराए और हैलो कहा। बातों-बातों में पता चला कि वो अकेले घूमने आए हैं। उनकी नजरें मुझे एकटक देख रही थीं, मेरे बूब्स और गांड को जैसे निगल जाना चाहती थीं। मुझे अजीब सा लगा, लेकिन कहीं अंदर कुछ गुदगुदाने भी लगा।
अगले दिन सुबह मैं कुछ सामान लेने रूम में अकेली आई। वही अंकल बाहर निकले और फिर बातें शुरू हो गईं। बोले, “मेरी बेटी भी बिलकुल तुम्हारी तरह दिखती है।” फिर बोले कि मुझे एक गिफ्ट देना चाहते हैं, लेकिन उसके लिए अकेले में उनके साथ घूमना पड़ेगा। मैंने मना किया, तो बहुत प्यार से समझाया, “बेटी की तरह समझकर कह रहा हूँ।” आखिर मैं मान गई कि कल सुबह बीमारी का बहाना बनाकर रुक जाऊँगी।
अगले दिन सब घूमने चले गए, मैंने सर को बोला तबीयत ठीक नहीं। आधे घंटे बाद अंकल तैयार खड़े थे। मैंने कहा कि बाहर नहीं जाना, यहीं बात कर लेंगे। वो मुस्कुराए और मुझे अपने रूम में ले गए, दरवाजा अंदर से बंद कर दिया। कोल्डड्रिंक दी, मैंने पी ली, मुझे क्या पता उसमें बेहोशी की दवा थी।
जब होश आया तो मैं पूरी नंगी बिस्तर पर थी, अंकल पास बैठे मुस्कुरा रहे थे। मैं डर गई, चिल्लाई, “ये क्या किया आपने?” वो हंसे, “अभी तो कुछ नहीं किया बेटा, कर तो बहुत कुछ सकता था।” फिर धमकाया कि नंगी फोटो वायरल कर देंगे अगर साथ नहीं दी। मेरे पास कोई चारा नहीं था।
अंकल ने कहा, “सीधा लेट जाओ, पहले तुम्हें तैयार करता हूँ।” मैं डरते हुए लेट गई। वो मेरे दोनों पैरों के बीच बैठ गए, मेरे बूब्स को अपने बड़े-बड़े हाथों में लेकर जोर-जोर से दबाने लगे, “आह्ह्ह… अंकल…” मेरे मुंह से अपने आप सिसकारी निकल गई। उनके हाथ इतने बड़े थे कि मेरे बूब्स बौने लग रहे थे। फिर अपना मुंह एक बूब्स पर रखा और ऐसे चूसने लगे जैसे सालों से भूखे हों, चूचूक-चूचूक की आवाजें, मैं तो पागल हो गई, “ओह्ह्ह… आह्ह्ह… ह्ह्हीई…” मेरे निप्पल्स एकदम कड़े हो गए। दूसरा बूब्स भी ऐसे ही चूसा कि मेरी चूत अपने आप गीली होने लगी।
फिर नीचे आए, मेरी टांगें चौड़ी कीं और चूत सहलाने लगे, गुदगुदाने लगा तो मैं हंस पड़ी। अचानक जीभ चूत पर रखी और चाटने लगे, “आअह्ह्ह… अंकल… क्या कर रहे हो… ओह्ह्ह्ह्ह…” मैं तो तड़प उठी। जीभ अंदर डाली तो बिजली सी दौड़ गई, “ह्ह्हीईई… आह्ह्ह्ह…” मैं कसकर चादर पकड़ ली। फिर एक उंगली अंदर की, बहुत दर्द हुआ, मैंने मना किया तो बोले, “बस थोड़ी देर, फिर मजा आएगा।” उंगली तेज-तेज अंदर-बाहर करने लगे, अब दर्द के साथ-साथ मजा भी आने लगा, “आह्ह… इह्ह्ह… हाँ अंकल… ओह्ह्ह…”
अपने कपड़े उतारे, बदन देखकर दंग रह गई, फिर अंडरवियर उतारा तो एक काला, मोटा, सांप जैसा 6 इंच का लंड बाहर आया, मेरी कलाई जितना मोटा। बोले, “चूसो इसे।” मैं डरी, “नहीं जाएगा मुंह में।” वो हंसे, “अभी तो आधा खड़ा है, चूसोगी तो पूरा 8 इंच हो जाएगा।” मैंने हाथ में लिया, गर्म-गर्म, दोनों हाथों से भी पूरा नहीं आ रहा था। फिर मुंह खोला, सुपारा अंदर लिया, “ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग…” वो खुद आगे-पीछे करने लगे। मेरे मुंह की गर्मी से लंड बड़ा होता गया, जब बाहर निकाला तो सच में 8 इंच का राक्षस बन चुका था। मैं डर गई, “अंकल इतना बड़ा मेरी चूत में नहीं जाएगा, फट जाएगी।”
बोले, “बहुत मजा आएगा बेटी, बस एक बार ट्राई कर।” मुझे लिटाया, चूत पर ढेर सारा थूक लगाया, फिर लंड का सुपारा चूत के मुहाने पर रखकर जोर लगाया। सुपारा अंदर घुसा तो जैसे चाकू घुस गया, “आआआइईईई… नहीं अंकल… निकालो… दर्द हो रहा है…” मैं चीखी, लेकिन वो नहीं रुके। मुझे किस करने लगे, बूब्स चूसने लगे। थोड़ी देर बाद दर्द कम हुआ तो धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगे। फिर एक जोर का धक्का, दो इंच और अंदर, मेरी चीख उनके मुंह में दब गई, चूत से खून बहने लगा। मैं रोने लगी, लेकिन वो नहीं रुके, बूब्स मसलते रहे, किस करते रहे।
धीरे-धीरे मैं भी साथ देने लगी, कमर उछालने लगी। वो और तेज हुए, पूरा लंड बाहर निकालकर फिर घुसाते, “आह्ह्ह… ह्ह्हा… अंकल… तेज… और तेज…” अब मुझे सिर्फ मजा आ रहा था। 15 मिनट चुदाई के बाद बोले, “पूरा अंदर डालूं?” मैंने हाँ कह दिया। एक जोर का धक्का, लगा जैसे लंड मेरी नाभि तक पहुँच गया, “आआह्ह्ह्हीईईई… मर गई… ओह्ह्ह्ह…” फिर दूसरा धक्का और पूरा 8 इंच का लंड मेरी छोटी सी चूत में समा गया। अब दर्द बिलकुल गायब, सिर्फ स्वर्ग सा मजा, “हाँ अंकल… चोदो मुझे… जोर से… आह्ह्ह… इह्ह्ह… ओह्ह्ह्ह…”
वो पागलों की तरह चोदने लगे, कमरा पीट-पीट की आवाजों से गूँज रहा था। दस मिनट बाद अंकल ने मेरी चूत में ही अपना माल झाड़ दिया, इतना गाढ़ा और इतना सारा कि चूत भरकर बाहर बहने लगा, चादर खून और वीर्य से लथपथ। वो मेरे ऊपर ही लेट गए, किस करने लगे, बूब्स मसलते रहे। मैं उनसे लिपटकर सो गई, उस पल वो मेरे लिए दुनिया के सबसे अच्छे इंसान थे।