जीजा जी ने सोफे पे बिठा के मेरे कुंवारेपन की झिल्ली फाड़ दी

मेरा नाम कोमलप्रीत है लेकिन घरवाले प्यार से कोमल बुलाते हैं और मैं पंजाब के गुरदासपुर शहर से हूँ। मेरी दो बहनें हैं, छोटी काव्या अठारह साल की है और बड़ी दीदी बेबी की शादी हो चुकी है, वो तेईस साल की है, जीजा मनदीप चंडीगढ़ में रहते हैं और मोबाइल फोन का बिजनेस करते हैं। ये सच्ची घटना आठ महीने पुरानी है।

उस रात को मैं कैसे भूल सकती हूँ जब जीजा मनदीप ने मेरे कुंवारेपन की झिल्ली फाड़ दी और अपना मजबूत लौड़ा मेरी चूत में पूरा गाड़ दिया। कभी कभी नींद से जाग जाती हूँ क्योंकि वो मोटा लौड़ा आज भी याद आता है लेकिन मजबूरी है और वो लौड़ा अब शायद कभी नहीं मिलेगा।

आइये आपको उस रात और उसके पहले बाद की पूरी घटना बताती हूँ। दीदी बेबी का एक दिन फोन आया, उसकी आवाज हल्की सी ढीली लग रही थी जैसे वो बीमार हो। मैंने पूछा क्या हुआ तो बोली बहुत बीमार हूँ, मलेरिया हो गया है, बदन में कमजोरी इतनी कि घर का काम नहीं कर पा रही। मुझसे ये सुनकर रहा नहीं गया। मैंने कहा अरे दीदी अगर कहो तो मैं आ जाऊँ, वैसे भी कॉलेज में दस दिन की छुट्टी है। बेबी बोली अगर तू आ सकती है तो आ जा लेकिन तेरे जीजा के पास काम का रश है इसलिए वो लेने नहीं आ सकेंगे। मैंने कहा कोई बात नहीं दी, मैं पापा के साथ आ जाऊँगी। बेबी बोली ठीक है कल ही आ जा।

अगले दिन दोपहर बाद पापा ने मुझे बस में बिठा दिया। मेरी कद काठी उम्र के हिसाब से काफी बड़ी है, मैं किसी मॉडल से कम नहीं लगती, बस में हर लड़का मुझे घूर रहा था लेकिन मन में गुस्सा नहीं घमंड आ रहा था, मैं सोच रही थी मेरा पति शाहरुख जितना सेक्सी और सलमान जितना चौड़ा हो। चंडीगढ़ पहुँचते ही ऑटो लिया और दीदी के घर चली गई। दीदी को देखा तो बहुत कमजोर लग रही थी, तकलीफ साफ दिख रही थी। दवाई के बारे में पूछा तो बोली चल रही है। मैंने पूछा जीजाजी कहाँ हैं तो दीदी बोली आईफोन का नया मॉडल लॉन्च हुआ है उसमें लगे हैं, मैंने कहा शोरूम मत जाओ लेकिन जबरदस्ती भेज दिया, एक दिन में बीस हजार कमाने का मौका थोड़े आता है। मैंने कहा ठीक है दी अब घबरा मत मैं हूँ कुछ दिन, तेरा और जीजा का पूरा ख्याल रखूंगी। दीदी बोली अच्छा है तू आ गई कल तो होटल से खाना मंगवाना पड़ा। मैंने कहा चल मैं तेरी पसंद के राजमा चावल बनाती हूँ।

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फ्रेश होकर किचन में गई और राजमा बनाने लगी, दीदी को राजमा बहुत पसंद है। रात आठ बजे तक खाना तैयार हो गया। मैंने कहा जीजाजी आ जाएँ तो इकट्ठे खाएँगे लेकिन दीदी बोली उनका कोई ठिकाना नहीं। हम दोनों बहनों ने खाना खा लिया, दीदी को दवाई देकर सुला दिया और ड्राइंग रूम में डिस्कवरी चैनल देखने लगी। टीवी देखते देखते दस बज गए पता ही नहीं चला। तभी मुख्य दरवाजा खुला और जीजाजी अंदर आए, मुझे देखा नहीं और फोन पर किसी से लड़ रहे थे। जीजा बोले लौड़ा मेरा साले तुम पार्सल के रेट मनमाने बढ़ाते हो, अगर ऐसा चला तो कुछ नहीं मंगवाऊंगा। मुझे देखकर फोन काट दिया और बोले अरे कोमल कब आई तू, बताया नहीं मैं गाड़ी लेकर आ जाता। मैंने कहा नहीं जीजाजी आप बीजी हैं दी ने बताया। जीजा बोले साली के लिए क्या बीजी क्या फ्री।

मैंने देखा जीजा को चलने में तकलीफ हो रही थी, पैर इधर उधर हो रहे थे, शराब पीकर आए थे और पुष्टि तब हुई जब मेरे पास सोफे पर बैठे, जीजा फुल टुन्न थे, मुँह से शराब की तेज खुशबू आ रही थी, सही से बैठ भी नहीं पा रहे थे। मैंने पूछा जीजा जी खाना लगा दूँ तो बोले नहीं बाहर खाकर आया हूँ, तेरी दीदी जाग रही है। मैंने कहा नहीं दीदी को सोए काफी समय हो गया। जीजा बोले ओके और टाँगें सोफे पर फैलाकर आँखें बंद कर लेट गए, जूते कपड़े वैसे ही पहने थे और सो गए। मैंने कहा उतार लो लेकिन कुछ बोले नहीं, नशे में थे। मैंने सोचा मैं ही जूते उतार देती हूँ, जीजा के पैर गोद में लेकर डोरी खोलकर जूते फेंक दिए। पैंट की बेल्ट बहुत टाइट थी, सोचा इसे भी खोल दूँ। बेल्ट खोलते वक्त नजर नीचे गई जहाँ बड़ा पर्वत सा उभार था।

क्या जीजा का लौड़ा इतना बड़ा था। मन में गुदगुदी होने लगी, अंदर से कूद रहा था। इससे पहले लौड़ा सिर्फ ब्लू फिल्मों में देखा था लेकिन पैंट के ऊपर इतना बड़ा आकार देखकर खुशी हो रही थी। बेल्ट खोलते हुए हाथ का पीछे वाला हिस्सा लौड़े पर लगा दिया, बहुत सख्त लग रहा था। जीजा हिले नहीं तो हिम्मत बढ़ी, पूरा हाथ रखकर महसूस किया, लौड़ा गर्म था और छूते ही चूत में खुजली होने लगी। मैं तब तक कुंवारी थी, सिर्फ उंगली से हस्तमैथुन किया था। सच में भारी लौड़ा था, खोलकर देख लूँ, जीजा नशे में हैं। मन में विचार आने लगे, धीरे से जिप खोली, अंडरवीयर में छिपा था, बटन खोलकर पैंट उतार दी। अच्छे बुरे की समझ नहीं रही थी, हाथ लौड़े पर रखकर दबाने लगी, अंडरवीयर खींचा और बालों के बीच महाराजा को देखा। अच्छा तो ये है लौड़ा।

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पहली बार लाइव लौड़ा देखा, आँखों के सामने आधे से ज्यादा तना हुआ। हाथ रुके नहीं, छूने का मन हुआ। जैसे ही हाथ में लिया जीजा की आँख खुल गई और बोले कोमल क्या कर रही है। मैंने कहा कुछ नहीं जीजाजी कपड़े खोल रही थी, आप नींद में थे जूते वगैरह नहीं उतारे। जीजा बोले मुझे पता है तू क्या कर रही थी, मैं सोया था लेकिन हाथ लगाकर सहलाया तो नींद उड़ गई, बस आँखें बंद करके लेटा था। मैं डर गई कहीं दीदी को बता न दें। लेकिन जीजा बोले इतना शौक है तो कपड़े उतार देता हूँ। मैं क्या बोलती, सिर्फ देखना था लेकिन जीजा कहाँ मानने वाले। कभी ना कभी तो नथ उतरवानी थी, आज क्यों नहीं, मैं चुप रही।

जीजा के हाथ मेरे चूचों पर थे, जोर जोर से दबा रहे थे, मैंने आँखें बंद कर ली। जीजा सोफे से खड़े हुए, शर्ट उतारी, बिल्कुल नंगे हो गए, मुझे कंधे से पकड़कर नाइटी उतारने को हाथ ऊपर करवाए, मैं अगले मिनट नंगी हो गई। जीजा चूचों को मुँह में लेकर चूसने लगे, गर्म होंठ का अहसास जानलेवा था, अजीब खुमारी छा रही थी। जीजा के हाथ कमर से चूतड़ों तक पहुँचे, मुझे खींचा, लौड़ा चूत के पास आ गया जैसे करंट लगा। जीजा ने होंठ मेरे होंठों से लगाए, मुँह में व्हिस्की की गंध भर गई, चूसते हुए सोफे पर बैठ गए। मैं जीजा की टाँगों के बीच थी, उन्होंने मेरे हाथ पकड़े और चेहरा लौड़े की तरफ ले गए।

मैं प्रश्न भरी नजर से देखने लगी, जीजा ने मुँह सुपाड़े पर लाकर छोड़ दिया। मैंने लौड़ा हाथ में लिया, गर्मी महसूस की, जीजा ने पीछे से धकेला, मुँह खुलते ही आधा लौड़ा अंदर चला गया। ओह गॉड, मुँह फाड़ रहा था, तीन इंच मोटाई ज्यादा थी लेकिन मैंने आधे को चूसना शुरू कर दिया। जीजा ने झटके देने चाहे लेकिन मैंने जांघें थाम लीं। जीजा खड़े हुए और मुँह जोर जोर से चोदने लगे, लौड़ा मुँह से ग्ग्ग्ग ग्ग्ग्ग गी गी गों गों गोग जैसी आवाजें निकाल रहा था। थोड़ी देर में मजा आने लगा, जैसे चॉकलेट आइसक्रीम खा रही हूँ। जीजा ने लौड़ा बाहर निकाला, मेरी टाँगें फैलाईं, मुझे सोफे पर लिटाया, होंठ चूत के होंठों से लगे और स्वर्ग भेजने लगे, आह इह्ह ओह्ह ओह जीजा जी आह ह्ह्ह इह्ह।

ये चुसाई मार देने वाली थी, जीजा ने चूत में उंगली डाली, चूसते हुए उंगली से चोदने लगे, आह ह ह ह ह्हीईई आअह्ह्ह्ह के साथ मैं झड़ गई। जीजा ने मुँह हटाया, लौड़ा चूत पर टिकाया, चूत गीली थी, अब फाइट होगी। जीजा ने थूक लिया, लौड़े पर लगाया, एक झटका देकर आधा लंड दे दिया, आह्ह ह्ह आऊ ऊऊ ऊउइ ऊई उईईई मरर गई रे। जीजा ने मुँह पर हाथ रखा, दूसरा जोर का झटका देकर पूरा लौड़ा पेल दिया, लगा चमड़ी जल रही है, जैसे गरम लोहे की सलाख घुसी हो।

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जीजा थोड़ी देर नहीं हिले, फिर धीरे धीरे हिलाना शुरू किया, लगा चमड़ी लौड़े के साथ निकल रही है। आँखों से आँसू बहने लगे, जीजा के हाथ गीले हो गए, कान के पास बोले घबरा मत अभी ठीक हो जाएगा। सच में दो मिनट बाद सुखद लगा, मैं कूल्हे हिलाने लगी। जीजा ने हाथ मुँह से हटाकर चूचों पर रखा, चूत ठोकते हुए चूचे मसल रहे थे, मैं सुखसागर में थी, लौड़ा ठक ठक ठोक रहा था, चप चप चप की आवाजें आ रही थीं, पसीना बह रहा था, बदन काँप रहा था। जीजा के झटके तीव्र हो गए, स्पीड से चोदने लगे, आह आह ओह ओह ओह। जीजा कुत्ते जैसे फास्ट हुए, थोड़ी देर बाद लगा चूत में पेशाब किया लेकिन वो वीर्य था, लंड दबाकर सारा पानी अंदर छोड़ दिया।

मैं उनसे लिपटकर लेट गई, आँख कब लगी पता नहीं। सो गई लेकिन दीदी की चीखें सुनकर आँख खुली, जीजा कपड़े पहन रहे थे, बेबी दीदी माँ बहन एक कर रही थी। हम पकड़े गए, रात डेढ़ बजे दीदी पानी पीने उठी और हमें देख लिया। काश दीदी के रूम में पानी की बोतल रख दी होती। दीदी जीजा से लड़ रही थी, मुझे उठते देख पास आई और दोनों गालों पर तमाचा मार दिया। मैं कुछ बोल नहीं पाई। दीदी बोली तू बहन बनकर आई थी या सौतन, तेरा जीजा ठरकी बना लेकिन तू रोक सकती थी, नहीं मैडम बाहों में पड़ी थी, कल इस घर में नहीं दिखना, बैग उठा निकल और जिन्दगी में मत आना, नहीं तो पापा को फोन करती हूँ। जीजा ने समझाने की कोशिश की लेकिन दीदी नहीं मानी, तलाक की बात की। मेरे पास चारा नहीं, सुबह सहेली रचना को फोन किया जो चंडीगढ़ में रहती है, टैक्सी लेकर उसके घर चली गई।

दीदी ने सच में कभी घर नहीं आने दिया, फंक्शन में मिलें तो उखड़ी रहती हैं। जीजा का लौड़ा महंगा पड़ा लेकिन ऐसा लौड़ा मिलना बड़ी बात है, अब ख्वाहिश है भावी पति का लौड़ा भी ऐसा तगड़ा हो।

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