भाभी ने कहा, मुझे तुम्हारी वो शर्त मंजूर है

Neighbor bhabhi sex story – Call Recording blackmail sex story: ये बात करीब तीन-चार साल पुरानी है जब मैं कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था। मेरे घर के ठीक सामने वाली गली में एक भाभी रहती थी, नाम माधुरी दीक्षित, उम्र पच्चीस साल, रंग बिलकुल गोरा, बदन गठीला और पंजाबी सूट में तो जैसे कोई बॉम्ब लगती थी। दो बच्चों की माँ थी पर देखकर बिलकुल नहीं लगता था, इतनी टाइट बॉडी। उसका पति अनूप एक देहाती मजदूर था, सुबह निकलता और शाम को लौटता। हमारी फैमिली से ज्यादा जान-पहचान नहीं थी, बस पड़ोसी होने की वजह से कभी-कभी भाभी बात कर लेती थी। मेरे दोस्तों से पता चला कि उसका किसी अजनबी लड़के से चक्कर चल रहा है। इधर मैं भी उसे देखकर मन मचलता रहता था, हर वक्त यही सोचता कि किस बहाने इसे चोदूँ।

कहते हैं ना भगवान के घर देर है अंधेर नहीं, वैसा ही मेरे साथ हुआ। एक दिन भाभी हमारे घर आई और बोली, “वरुण, अपना फोन देना, अनूप को कॉल करनी है, वो सुबह से गए हैं अब तक नहीं लौटे, पता करना है कब तक आएँगे।” मैंने अपना मोबाइल दे दिया, वो लेकर अपने घर चली गई। दस मिनट बाद अपने पाँच साल के बेटे के हाथ मोबाइल वापस भिजवा दिया।

फिर एक दिन भाभी दोबारा मोबाइल माँगने आई। तभी दोस्तों की बात याद आई कि इसका हमारे ही गाँव के संजय नाम के लड़के से चक्कर है। दिमाग में शैतानी आईडिया आया, मैंने अपना फोन ऑटो रिकॉर्डिंग मोड पर डाल दिया, मतलब कोई भी कॉल आए या जाए सारी बात रिकॉर्ड हो जाएगी। भाभी मोबाइल लेकर गई और वापस कर गई। मैं कमरे में जाकर हेडफोन लगाया और रिकॉर्डिंग प्ले की, जो कुछ इस तरह थी।

माधुरी – हेलो संजय, मैं माधुरी बोल रही हूँ। संजय – हाँ बोलो जान, क्या हुक्म है? माधुरी – सुनो, आज अनूप दूर की रिश्तेदारी में जा रहा है, पूरे हफ्ते नहीं आएगा, तुम रात दस बजे उसी जगह आ जाना जहाँ पहले मिलते हैं। संजय – ठीक है जान, गुलाम समय पर पहुँच जाएगा।

फोन कट गया। सारी बात सुनकर सबूत हाथ लग गया, लोग सही बोलते थे। मैंने भी कमर कस ली, एक बार तो भाभी की जवानी का रस चखकर रहूँगा, चाहे ब्लैकमेल ही करना पड़े।

हर बार जब भाभी मोबाइल माँगती, उसकी कॉल रिकॉर्ड हो जाती और मुझे उनके प्लान का पता चल जाता। एक दिन भाभी ने बेटे को भेजा, “वरुण को बुलाकर ला, डिश काम नहीं कर रहा।” मैं तुरंत उनके घर गया, डिश ठीक किया, वापस आने लगा तो भाभी बोली, “बैठो, चाय बन रही है, पीकर जाना।” मैं बैठ गया, बातें होने लगी। मैंने ऐसे ही पूछा, “भाभी, ये संजय कौन है?”

इसे भी पढ़ें  भाई का लंड चूसी

सवाल सुनते ही भाभी का रंग उड़ गया, लड़खड़ाती जुबान से बोली, “क… कौन संजय? कोई नहीं है, तुम ऐसा क्यों पूछ रहे हो?” मैं – ज्यादा बनो मत भाभी, सच-सच बोलो। वो अकड़ते हुए – कौन संजय, क्या बकवास कर रहे हो? मैं किसी संजय को जानती तक नहीं, पूरी रिश्तेदारी में इस नाम का कोई नहीं। मैं – अच्छा, तो आप ऐसे नहीं मानोगी।

मैंने मोबाइल निकाला, रिकॉर्डिंग प्ले की। सुनते ही भाभी के तोते उड़ गए। जो पहले अकड़ रही थी, अब हाथ जोड़कर मिन्नत करने लगी, “इस रिकॉर्डिंग को अभी डिलीट कर दो, आपके आगे हाथ जोड़ती हूँ। अगर किसी को भनक लगी तो मेरी शादीशुदा जिंदगी बर्बाद हो जाएगी। तुम जो चाहोगे करने को तैयार हूँ, बस डिलीट कर दो।” मैं – लेकिन मुझे इसमें क्या फायदा होगा? वो – तुम चाहते क्या हो, बोलो? मैं – आप भी जानती हो।

वो मेरा इशारा समझ गई पर मुँह से सुनना चाहती थी। वो – बोलो भी, इसके बदले मैं सब करने को तैयार हूँ। मैं – मुझे आपके साथ एक रात गुजारनी है, मंजूर है तो बोलो। वो – नहीं, ये नहीं हो सकता। मैंने अनूप के अलावा किसी को खुद को छूने नहीं दिया और तुम सीधा चोदना चाहते हो, कोई और माँग माँग लो। मैं – नहीं, और कुछ नहीं। फिलहाल जा रहा हूँ, जब दिल करे बता देना, मुझे कोई जल्दबाजी नहीं।

इतना बोलकर मैं घर आ गया। उसके बाद जब भी भाभी का सामना होता, वो मुझे इग्नोर करने की कोशिश करती।

एक दिन संजय का फोन आया, “क्यों वरुण भाई, हमारे पीछे हाथ धोकर पड़े हो? डिलीट कर दो जो भी सबूत हैं।” मैं – इसमें मुझे क्या फायदा? वो – तुम्हारी शर्त क्या है? मैं – मैंने माधुरी को बता दिया है। वो – ठीक है, माधुरी से बात करके बाद में करता हूँ।

एक दिन मैं बाजार गया था, वहाँ माधुरी मिल गई। हमारा सामान एक ही दुकान से आता है, दोनों ने पर्ची दी और दुकान में ही कुर्सियों पर बैठ गए। मैं – कैसे हो भाभी? वो – हाल तो तुमने बेहाल कर रखा है।

इसे भी पढ़ें  दीदी ने चुदवाया

मैं हँस दिया। वो – जिस लड़की की तरफ हाथ करोगे उससे तेरी बात करवा दूँगी, पर मुझसे ऐसा काम नहीं होगा। मैं – नहीं, मुझे तो आप पसंद हो। मैं नहीं चाहता आप उसे छोड़ो, बस मुझसे एक बार सेक्स कर लो, फिर कभी रास्ते में नहीं आऊँगा। वो – ठीक है, पर सोचने का वक्त दो। मैं – आपको एक हफ्ते का वक्त दिया, उसके बाद मेरा वक्त शुरू। वो – ठीक है।

हम सामान लेकर घर आ गए। एक दिन मम्मी-पापा रिश्तेदारी में अखंड पाठ के भोग पर गए थे, मैं घर पर अकेला था, दरवाजा बंद करके पढ़ाई कर रहा था। डोरबेल बजी, दरवाजा खोला तो सामने भाभी खड़ी थी। मैंने अंदर आने को कहा, वो मेरे कमरे में आकर बैठ गई। मैं पानी का ग्लास लेकर आया।

पानी पिलाकर पूछा, “कैसे आए भाभी?” वो – मुझे तुम्हारी वो शर्त मंजूर है, यही बताने आई थी। मैं – सच में? वो – हाँ पगले, सच में।

मैं खुशी से झूमने लगा, भाभी को गले लगा लिया। वो – अच्छा, आज रात दस बजे मैं दरवाजा खुला रखूँगी, तुम अंधेरे का फायदा उठाकर आ जाना। मैं – ठीक है भाभी।

वो चली गई। मेरा एक-एक मिनट साल की तरह गुजर रहा था, बार-बार मोबाइल देखता। आठ बजे नहाया, खाना खाया, नौ बजे तक परिवार सो गया। दस बजते ही चुपके से निकला, भाभी के गेट में घुसा। वो नलके के पास बर्तन माँज रही थी, मुझे देखकर खुश हुई, “चुपके से कमरे में चले जाओ, बर्तन माँजकर आती हूँ।”

मैं छिपता-छिपता कमरे में गया, बेड के नीचे छिप गया। दस मिनट बाद भाभी आई, दरवाजा अंदर से लॉक किया, “बाहर आ जाओ, अब कोई खतरा नहीं।” मैं बेड पर बैठ गया। थोड़ी नॉर्मल बात की, फिर भाभी बोली, “चलो जल्दी ये काम भी खत्म कर लेते हैं।”

मैंने हाँ में हाँ मिलाई। वो – पर एक शर्त है। मैं – क्या? वो – आज के बाद वो रिकॉर्डिंग डिलीट कर दोगे। मैं – हाँ मंजूर है। वो – चलो ठीक है, आ जाओ।

वो बेड पर लेट गई। मैं उसके ऊपर झुका, उसके मोटे सुर्ख होंठ चूसने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी, जीभ अंदर डालकर चूम रही थी। दस मिनट तक किस करते रहे, साँसें तेज हो गईं। मैंने धीरे-धीरे उसका दुपट्टा खींचा, फिर सलवार का नाड़ा खोला, कुर्ती ऊपर की। भाभी की गोरी कमर पर हाथ फेरते हुए ब्रा का हुक खोला, भारी मम्मे बाहर आए।

इसे भी पढ़ें  ट्रेन में जबरदस्त चुदाई का खेल

भाभी – मुझे एकदम नंगा करके खुद कपड़ों में रहोगे, ये कहाँ का कानून है?

वो उठी, मुझ पर भूखी शेरनी की तरह झपटी, मुझे लेटाया, टी-शर्ट ऊपर की, पैंट का बटन खोला, अंडरवियर सहित सब उतार दिया। अब दोनों नंगे थे। भाभी मेरे ऊपर आई, होंठ चूसने लगी। फिर नीचे सरक गई, मेरी छाती चाटी, मम्मों को काटा, नाभि में जीभ घुमाई। मेरा लंड सावधान होकर खड़ा था, वो मुठ्ठी में लेकर टोपा चाटी, “तैयार हो ना?”

मैं – हाँ जी, बिलकुल।

वो बेड पर मेरे बगल में लेट गई, “तुम भी मेरा मूड बनाओ, दोनों को मजा आए।” मैं उसके ऊपर आया, होंठ चूसे, मम्मे दबाए, निप्पल चाटे, नीचे हाथ ले जाकर पैंटी उतारी। भाभी की शेव की हुई चूत गीली थी, उँगली अंदर डाली तो वो सिहर उठी। मैंने clit रगड़ा, दो उँगलियाँ अंदर-बाहर करने लगा। भाभी की साँसें तेज, “वरुण… जल्दी डालो… अब सब्र नहीं।”

मैंने लंड पर थूक लगाया, उसकी टाँगें ऊपर उठाईं, लंड चूत के मुँह पर रखा, हल्का झटका दिया। गीली चूत होने से आधा लंड अंदर चला गया। भाभी के चेहरे की शक्ल बदल गई, “धीरे… धीरे करो…” मैं रुका, फिर धीरे-धीरे पूरा लंड अंदर पेल दिया। भाभी ने टाँगों से मुझे जकड़ लिया, कुछ देर वैसे ही रहे। फिर उसने छोड़ा, मैंने धीरे-धीरे पेलना शुरू किया, chap-chap की आवाज आने लगी।

मैं उसके होंठ चूसता, गाल चाटता, मम्मे दबाता। भाभी का बदन अकड़ने लगा, नाखून मेरी पीठ में गड़ाए, “आआआह्ह… वरुण… हाँ…” दो मिनट बाद वो झड़ गई, चूत से रस बह निकला। अब मेरा बाकी था। भाभी बोली, “जल्दी करो, मुझे सुसु भी जाना है।” मैंने स्पीड बढ़ाई, थप-थप, फच-फच की आवाजें गूँजने लगीं। पाँच मिनट बाद मैंने लंबी साँस ली, भाभी की चूत में गर्म वीर्य की पिचकारियाँ छोड़ दीं।

भाभी – तुम यहीं लेटो, कपड़े पहन लो, मैं सुसु करके आती हूँ, देखती हूँ कोई जागा तो नहीं।

मैंने कपड़े पहने, भाभी आई तो मैंने मोबाइल निकाला, रिकॉर्डिंग उनके सामने डिलीट कर दी। भाभी खुश हुई, गले लगाकर बोली, “अब जब मन करे बता देना, टाइम निकाल लेंगे, पर आगे से ऐसा डराने वाला सबूत मत लाना।” मैंने वादा किया, होंठ चूमा और चुपके से घर आकर सो गया।

Leave a Comment