Bewafa biwi sex story – Padosan sex story: इस चीटिंग वाइफ सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि जब मेरी पत्नी ने एक बाहरी पुलिस वाले के साथ लगातार चुदाई शुरू कर दी तो मैंने पड़ोस में रहने वाली उसकी सहेली से दोस्ती गहराई और उसे अपनी हवस का शिकार बनाया, फिर उसकी भरी हुई चूत को अपने मोटे लंड से भरकर पहली मुँह दिखाई की।
दोस्तों, मेरा नाम नमन गोयत है, मैं सेना में काम करता हूं और शादीशुदा हूं, मेरा शरीर फौजी ड्रिल से कसा हुआ है, चौड़ी छाती और मज़बूत बाजू हैं, उम्र 32 साल की है और मैं ज्यादातर यूनिफॉर्म में ही रहता हूं जो मेरे कद को और लंबा दिखाता है।
यह चीटिंग वाइफ सेक्स कहानी उस समय की है जब मैं अपने परिवार के साथ हिसार कैंट में रहता था और बाहर से सब कुछ सामान्य लग रहा था, घर में पत्नी रचिता और हमारे बच्चे थे, सुबह ड्यूटी पर जाता और शाम को लौटकर परिवार के साथ डिनर करता, लेकिन अंदर ही अंदर तनाव बढ़ रहा था।
वहां एक और फौजी का परिवार रहता था जिससे हमारे बहुत अच्छे संबंध थे, हम त्योहारों पर साथ मनाते, बच्चों को एक साथ खेलने देते और कभी-कभी रात का खाना भी साथ खाते।
उस परिवार में पड़ोसन थी, उसका पति राकेश और एक बेटा व एक बेटी रहते थे, पड़ोसन का फिगर भरा-पूरा था, 38 इंच की छाती, 40 इंच की गांड और 34 इंच की कमर, रंग एकदम गोरा था, चेहरा चाँद जैसा गोल और चमकदार, उस दिन वो हल्के गुलाबी सलवार सूट में थी जो उसके भरे हुए कूल्हों को और उभार रहा था, मूड हमेशा हंसमुख और बातूनी रहता था।
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जब राकेश की पोस्टिंग गोवा में हो गई तो पड़ोसन अपने दोनों बच्चों के साथ कैंट में अकेले रहने लगी, घर अचानक सूना हो गया, बच्चे दिन में स्कूल चले जाते और वो अकेली घर संभालती, कभी-कभी उदास भी दिखती।
मेरी पत्नी रचिता पड़ोसन को अपनी सगी बहन की तरह मानती थी, दोनों घंटों बातें करतीं, एक दूसरे के घर आना-जाना लगा रहता, कपड़े सिलवाने से लेकर खाना बनाने की रेसिपी तक सब शेयर करतीं, रचिता तो पड़ोसन के घर में अपनी अलमारी तक रखती थी।
कुछ दिनों बाद मुझे शक हुआ और फिर पता चला कि रचिता की एक पुलिस वाले से गहरी सुलह हो चुकी है, वो खुद घर से बाहर निकलकर अपनी चूत और गांड मरवाती थी, फोन पर मीठी-मीठी बातें सुनाई देतीं, शाम को बाहर जाने का बहाना बनाती और देर रात लौटती, बदन पर परफ्यूम की तेज़ महक और चेहरे पर संतुष्टि की चमक होती।
जब मुझे इस धोखेबाज पत्नी का पूरा सच पता चला तो दिल टूट गया, रात भर नींद नहीं आई, गुस्सा और दुख दोनों साथ थे, मैं मरने तक की सोचने लगा, घर की दीवारें भी बोझ लगने लगीं।
अपनी ही बीवी से झगड़ा किया, बहुत कुछ सुना-सुनाया, लेकिन वो एक लंड से संतुष्ट होने वाली नहीं थी, पुलिस वाले के मोटे लंड की आदि हो चुकी थी, मेरे सामने भी बेफिक्र होकर फोन पर हवस भरी बातें करती।
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फिर पड़ोसन ने मुझे समझाया, मेरे घर आई, घंटों बैठी, चाय बनाकर दी, कंधे पर हाथ रखकर बोली कि ऐसे लोग हर जगह होते हैं, जिंदगी रुकती नहीं, उसकी बातों से दिल को थोड़ी राहत मिली, वो बड़े प्यार से सपोर्ट करती रही।
धीरे-धीरे मैं और पड़ोसन करीब आने लगे, शाम को बालकनी में चाय पीते, पार्क में घूमते, बातें गहरी होने लगीं, उसकी मुस्कान में सुकून मिलता, गोरी त्वचा और भरे बदन को देखकर मन में हवस भी जागने लगी।
मेरी अपनी शारीरिक जरूरतें थीं, लंबे समय से पत्नी ने छुआ तक नहीं था, लंड तड़पता रहता, रात को मुठ मारकर सो जाता, लेकिन वो सुकून नहीं था, मन नफरत और प्यास से भरा था।
एक तरफ रचिता बाहर चुदवा कर आती और दूसरी तरफ मैं अकेले मुठियाता, लंड ढीला पड़ जाता, गुस्सा बढ़ता जाता, नींद उड़ जाती।
इसी बीच पड़ोसन की तरफ आकर्षण बढ़ा, उसका 38-40-34 का फिगर देखकर लंड अपने आप खड़ा हो जाता, गोरे बदन की कल्पना में डूबने लगा।
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मैं अपना ज्यादातर समय उसके साथ बिताने लगा, दिन में मदद करता, सामान लाता, शाम को बातें, रात को उसके घर सोने लगा, बच्चे सो जाते तो हम देर तक जागते, टीवी देखते या पुरानी यादें ताज़ा करते।
वो मुझे प्यार से खिलाती, हाथ का बना खाना परोसती, हंसते-हंसते समय बीतता, कभी मेरे कंधे पर सिर रख देती, उसकी गर्म सांसें गर्दन पर महसूस होतीं।
उसकी मुस्कान में हवस की चमक दिखने लगी, आँखों में शरारत, होंठों पर हल्की सी स्माइल, वो पति-पत्नी और प्रेमी-प्रेमिका वाले अश्लील चुटकुले सुनाने लगी, जिससे साफ लगा कि वो भी लंड की भूखी है।
मैं मजाक में उसे हथिनी कहने लगा, वो हंसकर बोली हां तेरी हथिनी तैयार है, आँख मारते हुए, उसकी हंसी में कामुकता साफ झलकती।
धीरे-धीरे रिश्ता गहरा हो गया, हाथ पकड़ना, गले लगना आम हो गया, कोई देखता तो लगता पति-पत्नी हैं।
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एक शाम बालकनी में चाय पीते हुए मैंने प्रपोज़ कर दिया, बोला मुझे तुमसे प्यार हो गया, वो शरमाई लेकिन आँखें चमक उठीं, पति दूर थे, उसे भी लंड की जरूरत थी, प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।
अब हम एक दूसरे को किस करने लगे, पहले गाल, फिर होंठ, जीभ मिलाकर लंबे किस, हवस साफ दिखती, हाथ बदन पर फिसलने लगे।
एक दिन ऊपर वाले कमरे में ठंड के मौसम में एक ही रजाई में लिपटे बैठे थे, शरीर की गर्मी एक दूसरे को छू रही थी, सांसें तेज़ होने लगीं।
मैंने धीरे से पैरों से उसके पैर सहलाने शुरू किए, वो गर्म हो गई, आँखें बंद कर लीं, फिर मेरा पैर जांघों पर चढ़ता हुआ चूत तक पहुंचा, पैंटी के ऊपर से सहलाने लगा।
उसकी चूत गीली हो चुकी थी, पैंटी भीग गई, वो मेरी जांघ पर हाथ फेर रही थी, मेरा लंड पैंट में तन गया, वो दबाकर मुस्कुराई।
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रजाई के अंदर मैंने उसके पैर चूमने शुरू किए, जीभ से जांघें चाटते ऊपर बढ़ा, पसीने की हल्की नमकीन खुशबू आ रही थी, वो सिहर उठी।
फिर टी-शर्ट के ऊपर से 38 साइज़ की चूची मुंह में भर ली, निप्पल कड़क हो गए, दस मिनट होंठ चूमने के बाद टी-शर्ट उतार दी, अंदर ब्रा नहीं थी, गोरे बूब्स उछलकर बाहर आए।
मैं एक चूची हाथ से मसल रहा था, दूसरी मुंह में लेकर निप्पल चूस रहा था, जीभ गोल-गोल घुमाता, कभी हल्का काटता, वो आह जोर से पी लो मज़ा आ रहा है कहकर सिसक रही थी, कमर उछाल रही थी।
दोनों मम्मियां खूब मसलकर लाल कर दीं, दांतों के निशान पड़ गए, लार चमक रही थी, मुझे उसका दूध चूसने में स्वर्ग सा लग रहा था, पत्नी की धोखेबाजी भूल गया।
हवस से बोली तेरी हथिनी की चूत लंड का इंतज़ार कर रही है, आँखें लाल, होंठ कांप रहे थे, मैंने लोअर उतार फेंकी, लाल पैंटी चूत के जगह से पूरी गीली थी, रस की महक कमरे में फैल गई।
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पैंटी के ऊपर से चूत रगड़ते ही वो सिसकी आह आह तुम क्या कर रहे हो, मैं बोला हथिनी की चूत रगड़ रहा हूं, वो हंस पड़ी और बोली जल्दी लंड निकाल।
मैंने सारे कपड़े उतार दिए, 6 इंच का लंड तना हुआ था, वो खुश होकर पकड़ लिया, आगे-पीछे हिलाने लगी, अंडकोष दबाने लगी।
मैं बिस्तर पर लेट गया, वो लंड मुंह में लेकर चूसने लगी, पेशेवर रंडी की तरह गले तक ले जाती, जीभ से गोल-गोल चाटती, लार टपक रही थी, 15 मिनट तक चूसती रही, मैं आँखें बंद कर मज़ा लेता रहा, कभी कमर उठाकर मुंह में ठोंकता।
फिर मैंने मुंह में ही वीर्य छोड़ दिया, वो निगल गई, एक बूंद नहीं छोड़ी, लंड चाटकर साफ कर दिया।
मैंने उसकी चूत और गांड में उंगली डाली, वो फिर लंड चूसकर खड़ा करने लगी, दो उंगलियां चूत में अंदर-बाहर, क्लिट रगड़ता रहा, चूत पूरी गीली हो गई।
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लंड फिर टाइट हो गया, वो उठी, चूत सेट करके लंड पर बैठ गई, धीरे-धीरे नीचे सरकाती हुई, लंड चूत चीरता हुआ अंदर घुसा, आह्ह्ह्ह निकल गई।
वो लंड पर कूदने लगी, मैं नीचे से गांड उठाकर ठोकता, थप-थप की आवाजें गूंजने लगीं, पसीना छूट रहा था, आह्ह्ह ओह्ह्ह की सिसकारियां कमरे में।
फिर मैंने उसे धकेलकर नीचे लिटाया, मिशनरी में चढ़ गया, पैर हवा में उठवा लिए, फुल स्पीड में पेलने लगा, चप-चप फच-फच की आवाजें, चूत से रस छूट रहा था।
वो चिल्ला रही थी मेरी चूत फाड़ दो, प्यासी हूं, प्यास बुझा दो, नाखून मेरी पीठ पर गड़ाए, मैं उसके बाल खींचता हुआ जोर-जोर से ठोंकता रहा।
काफी देर बाद चूत में वीर्य भर दिया, ऊपर लेटा रहा, सांसें तेज़, चूत से वीर्य बह रहा था।
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उसके बाद हम रोज़ चुदाई करने लगे, मैं पड़ोसन की चूत-गांड पीटता, रचिता पुलिस वाले से मरवाती।
फिर मप्र पोस्टिंग हो गई, परिवार गांव चला गया, छुट्टी में आता तो सीधे पड़ोसन की चूत मारता, पूरी रात पेलता।
मैंने कहा किसी और का लंड सेट कर लो, वो मानी नहीं, मेरे लंड से प्यार कहती।
बाद में किसी और से सेट किया, गर्भवती हो गई, मैंने दवाई दिलवाई, बच्चा गिरवाया।
पति को पता चला, झगड़े हुए, तलाक की नौबत आई।
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बाद में पता चला पड़ोसन कई लंड खा चुकी थी, प्यार का ड्रामा था।
अब प्यार से चिढ़ होती है, सिर्फ चूत-गांड चोदता हूं, वफा-प्यार मजाक लगते हैं।