Dirty group sex in train sex story: मैं समीर, अपनी फैमिली के साथ रहता हूँ। हम छह लोग हैं। पापा रमेश, 42 के, सख्त मिजाज, गठीले, कुर्ता-पायजामा में रहते हैं। मम्मी शीला, 38 की, गोरी, भरी हुई फिगर, साड़ी में उनकी 36C चूचियाँ और भारी गांड उभरती है। बड़ी बहन रीना, 24 की, लंबी, गोरी, भूरी आँखों वाली, सलवार-कमीज में सजी-धजी। बड़ा भाई अजय, 23 का, सांवला, मस्कुलर, मजाकिया। मैं, 22 का, मध्यम कद, गेहुंआ रंग, जींस-टीशर्ट में देसी स्टाइल। और मेरी छोटी बहन ज्योति, 20 की, नीली आँखों वाली, 34D चूचियाँ, भारी गांड जो चलते वक्त लचकती है। वो टाइट सलवार-कमीज पहनती है, दुपट्टा चूचियों पर रखती है, लेकिन उसकी गांड का उभार छुपता नहीं।
हमारी फैमिली खुशहाल है, पैसे की कमी नहीं। बचपन से हमें बाहर के बच्चों के साथ खेलने की मनाही थी। हम भाई-बहन घर में ही मस्ती करते, हँसी-मजाक करते। घर का माहौल सख्त लेकिन प्यार भरा था।
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ। बचपन से मुझे चुदाई का चस्का था, पर समझ नहीं थी। मुझे आज भी अफसोस है कि मैंने कई मौके गंवाए। 12 साल की उम्र में हमारे पड़ोस में रानी भाभी आई थीं, 23 की, एकदम माल। उनकी 34B चूचियाँ, गोरा बदन, और गहरे गले की साड़ी में क्लीवेज दिखता था। वो मुझे भूखी नजर आती थीं। मेरे सामने चूचियाँ रगड़तीं, पल्लू सरकातीं। एक बार तो पूरी नंगी होकर कपड़े बदले। मैं देखता रह गया, पर कम उम्र की वजह से कुछ किया नहीं। वो लाइन देती थीं, पर मैं भोला था, समझ नहीं पाया।
जवान होने पर रानी भाभी की चूत मेरे सपनों में आने लगी। मैं उनकी चूचियों और गांड के बारे में सोचता। लेकिन वो अपने गाँव चली गईं। मैं खुद को कोसता कि मस्त चुदाई का मौका गंवा दिया। अब चुदाई मेरे दिमाग पर सवार थी। मैं हर वक्त चूत और लंड के बारे में सोचता।
एक दिन मैं कमरे में लेटा था, चुदाई की सोच में डूबा। तभी बचपन की बात याद आई। मैं, मेरा दोस्त सैफ (अब 23, सांवला, पतला, चालाक), और ज्योति घर में खेल रहे थे। खेल-खेल में चादर ओढ़कर अंधेरे में बैठ गए। सैफ ने कहा, “समीर, हम अपनी लुल्ली एक-दूसरे को दिखाते हैं।” मैंने हँसते हुए हाँ भरी। सैफ ने अपना 5 इंच का तना हुआ लंड निकाला। मैंने उसे पकड़ा। उसने सिसकारी भरी। फिर मैंने ज्योति का हाथ सैफ के लंड पर रखा। ज्योति खुशी से हँस पड़ी और उसे पकड़ लिया। मुझे मजा आया। मैंने अपनी चेन खोली और अपना 6 इंच का लंड ज्योति के हाथ में दिया। सैफ ने मेरा लंड हिलाया, पर मुझे अजीब लगा, तो मैंने मना किया। हमने चादर हटाई और खेलने लगे। तब ज्योति 10-11 की थी, लेकिन अब 20 की है, उसकी चूचियाँ 34D, भारी गांड, और नीली आँखें कयामत ढाती हैं।
ये बात याद आते ही मेरा लंड तन गया। मैं बेचैन होकर कमरे से बाहर निकला। ज्योति ड्राइंग रूम में बैठी ड्राइंग बना रही थी। उसने टाइट पिंक सलवार-कमीज पहनी थी, काली ब्रा और चड्डी सलवार से झलक रही थी। दुपट्टा उसकी चूचियों पर था। मैं उसके पास गया। उसने मुझे देखकर अपनी ड्राइंग दिखाई। मैं बगल में बैठ गया और उसका ब्रश लेकर सुधार करने लगा। मेरा हाथ बार-बार उसकी नरम 34D चूचियों को छू रहा था। वो बेखबर थी। मेरी हिम्मत नहीं हुई कि चूचियाँ मसल दूँ। मैं उठकर चला गया, पर मन में गर्मी थी।
कुछ दिन बाद खालू (45, मोटे, दाढ़ी वाले) पंजाब से आए और ज्योति को ले गए। कॉलेज की छुट्टियाँ थीं, 18 दिन बाद कॉलेज खुलने वाला था। मम्मी ने कहा, “ज्योति को पंजाब से ट्रेन से लाना है।” मैं खुश हो गया। मैंने नीली जींस और काली टी-शर्ट पहनी, बैग पैक किया, और शाम की ट्रेन से निकल गया। टिकट कन्फर्म नहीं था। मैंने टीसी को 500 रुपये दिए और S6 में सीट पकड़ ली। अगले दिन पंजाब पहुँचा। खाला (40, सांवली, 36D चूचियाँ, गहरे गले का लाल सूट) ने खूब खिलाया। उनकी चूचियाँ सूट से झाँक रही थीं।
शाम की ट्रेन थी। खालू ने दो टिकट लिए, एक कन्फर्म। स्टेशन जाने से पहले ज्योति बार-बार खालू से गले मिल रही थी। मुझे अजीब लगा। हम स्टेशन पहुँचे। ट्रेन में अपर बर्थ मिली। ज्योति ने कहा, “भैया, मेरी मदद करो।” उसने रेलिंग पर पैर रखा। मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसकी भारी गांड पर हाथ रखकर ऊपर चढ़ाया। उसकी गांड इतनी नरम थी कि मेरा लंड जींस में तन गया। मैं भी चढ़ गया।
सामने रेहान (23, गोरा, नीली शर्ट) बैठा था। वो ज्योति को घूर रहा था। ज्योति ने टाइट पिंक कमीज और व्हाइट सलवार पहनी थी, काली चड्डी सलवार से दिख रही थी। वो रेहान को आँखों-आँखों में देख रही थी। मैंने कहा, “चादर निकाल, ठंड है।” उसने चादर निकाली। हमने मूवी की बात शुरू की। मैंने कहा, “लेट जा।” वो मेरी गोद में सिर रखकर लेट गई। उसकी कमीज ऊपर खिसकी, गोरी नाभि दिखी।
ज्योति ने करवट बदली। उसका मुँह मेरे लंड की तरफ, गांड रेहान की तरफ। चादर हट गई। रेहान उसकी गांड घूर रहा था। मेरा लंड तन गया। मैं बेकाबू था। टीसी (शादाब, 40, मोटा) आया, ज्योति की गांड देखी, और बोला, “सीट का इंतजाम हो गया।” उसने हमें AC कोच के खाली कम्पार्टमेंट में बिठाया। ज्योति ने दरवाजा बंद किया। मेरे दिमाग में चुदाई का प्लान बनने लगा। मैं अपनी भोली बहन को चोदना चाहता था।
मैंने बचपन की बात छेड़ी। हम हँसने लगे। ज्योति अपने होंठ चबा रही थी, टाँगें फैला रही थी। मैं गरम हो गया। उसने दुपट्टा हटाया। उसकी चूचियाँ काली ब्रा में कैद थीं। ट्रेन का झटका लगा, मैं गिर गया, और नकली चीख मारी। ज्योति ने मुझे उठाकर सीट पर लिटाया, पूछा, “भैया, कहीं चोट तो नहीं लगी?” मैंने पैर की तरफ इशारा किया। वो पैर दबाने लगी। बोली, “भैया, जींस निकाल लो, तकलीफ होगी।” मैंने जींस उतारी, काले अंडरवियर में था।
ज्योति मेरी जांघें दबाने लगी। मेरा 6 इंच का लंड तन गया। उसने मेरे अंडरवियर की तरफ देखा, जीभ होंठों पर फेरी। मैंने कहा, “मुझे यहाँ भी दर्द है,” और लंड के नीचे हाथ रखा। वो मेरे पास आई, जांघें दबाने लगी। उसका हाथ मेरे लंड से टकरा रहा था। उसने मेरा लंड अंडरवियर से निकाला, कहा, “यहाँ तो दर्द नहीं है।” मैंने कहा, “है मेरी रानी, वहाँ भी दर्द है।” उसने मेरा लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। “आह्ह… स्स्स… ज्योति… क्या चूसती है,” मैं सिसकारियाँ भर रहा था। उसने मेरे गुलाबी सुपारे को जीभ से चाटा, चमक रहा था। उसकी गर्म साँसें मेरी गोटियों पर लग रही थीं।
मैंने उसके बाल पकड़े, मुँह को गहरा किया। “उम्म… भैया… तेरा लंड… आह्ह,” वो सिसकारी। मैंने उसकी पिंक कमीज का हुक खोला, उतारकर सीट पर रखा। वो काली ब्रा और व्हाइट सलवार में थी। मैंने उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से दबाया। “आह्ह… भैया… धीरे,” वो बोली। मैंने सलवार का नाड़ा खोला। वो काली चड्डी में थी। मैंने चड्डी में हाथ डाला। उसकी गुलाबी चूत गीली थी, क्लिट सख्त। “ज्योति, तेरी चूत तो भट्टी बन गई,” मैंने कहा। उसने शरमाते हुए कहा, “भैया, तेरा लंड भी तो पत्थर हो गया।”
मैंने उसकी ब्रा उतारी। उसकी 34D चूचियाँ उछलकर बाहर आईं, गुलाबी निपल्स सख्त। मैंने एक निपल मुँह में लिया, दूसरी को मसला। “आह्ह… स्स्स… भैया… और चूसो,” वो सिसकारी। मैंने उसकी चड्डी उतारी। उसकी चूत हल्के बालों से ढकी थी। मैंने उसकी चूत चाटी, क्लिट को जीभ से रगड़ा। “उम्म… आह्ह… भैया… ये क्या कर रहे हो… आह्ह,” वो पागल थी। मैंने उसकी चूत में उंगली डाली, वो गीली थी। “ज्योति, तेरी चूत तो रस छोड़ रही है,” मैंने कहा।
हम नंगे हो गए। ज्योति ने मुझे धक्का दिया, मैं सीट पर गिरा। वो मेरे ऊपर चढ़ी, मेरा लंड चूसने लगी। “आह्ह… ज्योति… तू तो रंडी बन गई,” मैंने कहा। उसने हँसते हुए कहा, “भैया, तुमने ही तो बनाया।” उसने अपनी चूत मेरे मुँह के पास लाई। हम 69 में थे। चप-चप की आवाज गूँज रही थी। मैं उसकी चूत चाट रहा था, वो मेरा लंड चूस रही थी। “आह्ह… उम्म… भैया… तेरी जीभ… मेरी चूत में… आह्ह,” वो चिल्लाई।
ज्योति ने कहा, “भैया, अब चुदवाओगी भी कि बस…” मैंने उसे सीधा लिटाया। उसने मेरे लंड पर थूक लगाया, अपनी चूत पर भी। वो टॉयलेट स्टाइल में मेरे लंड पर बैठी। मेरा लंड उसकी चूत में डाला। “आह्ह… स्स्स… भैया… कितना मोटा है,” वो चिल्लाई। मैंने नीचे से धक्के मारे। “ज्योति, तेरी चूत तो बहुत टाइट है… आह्ह,” मैंने कहा। वो ऊपर-नीचे हो रही थी, चूचियाँ उछल रही थीं। मैंने चूचियों को मसला। “आह्ह… भैया… और जोर से… मेरी चूत को रगड़ दो,” वो चिल्लाई। चट-चट की आवाज गूँजी।
10 मिनट बाद उसने पोजीशन बदली। वो सीट पर बैठी, बोली, “भैया, मेरी दोनों टाँगें उठा कर मेरी चूत फाड़ दो।” मैंने उसकी टाँगें कंधों पर रखीं, लंड उसकी चूत में डाला। उसकी चूत गीली थी, लंड फिसल गया। “आह्ह… स्स्स… भैया… और गहरा… मेरी बुर को फाड़ दो,” वो चिल्लाई। मैंने स्पीड बढ़ाई। उसकी चूचियाँ हिल रही थीं। मैंने एक निपल चूसा। “उम्म… भैया… मेरी चूत… आह्ह,” वो सिसकारी। चप-चप की आवाज कम्पार्टमेंट में गूँज रही थी।
मैं झड़ने वाला था। मैंने लंड निकाला, उसके मुँह में डाला। उसने हिलाया, सारा माल पी लिया। “आह्ह… ज्योति… तू कमाल है,” मैंने कहा। वो हँसी, “भैया, अभी तो शुरुआत है।” तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। मैंने अंडरवियर पहनने की कोशिश की। ज्योति बोली, “कोई जरूरत नहीं।” उसने दरवाजा खोला। पाँच टीसी (शादाब, 40, मोटा; संजीत, 35, पतला; अनिल, 38, गोरा; सूरज, 42, मोटा; जावेद, 40, सांवला) घुसे। शादाब बोला, “हाय ज्योति, मेरी जान, कैसी हो?” मैं हैरान था। ज्योति ने मुझे चुप रहने का इशारा किया।
ज्योति ने सबका परिचय लिया। शादाब ने बाकियों का परिचय करवाया। ज्योति ने सबसे हाथ मिलाया। वो मुझे इग्नोर कर रहे थे। संजीत मेरे पास आया, बोला, “ये तुम्हारी सगी बहन है?” मैंने हाँ कहा। उसने कहा, “क्या तुम 1 की चूत से बाहर निकले?” सब हँसने लगे। सारे टीसी नंगे होने लगे।
संजीत मेरे पास आया, मेरा लंड पकड़कर हिलाने लगा। उसने अपनी गांड में उंगली डाली, ढीला किया, डॉगी स्टाइल में झुका। मैंने लंड निकाला। संजीत ने उसे मुँह में लिया। “आह्ह… संजीत… तेरा मुँह… आह्ह,” मैंने कहा। उसने थूक से मेरा लंड गीला किया, अपनी गांड में तेल लगाया। मैंने उसकी गांड में लंड डाला। “आह्ह… आराम से… मादरचोद… धीरे,” संजीत चिल्लाया। मैंने धक्के मारे। उसकी गांड टाइट थी, मेरा लंड रगड़ रहा था। “संजीत, तेरी गांड तो चूत से भी मस्त है,” मैंने कहा।
इधर ज्योति की चीखें गूँजी। शादाब उसकी चूत में 7 इंच का लंड पेल रहा था। जावेद उसकी गांड में 6 इंच का लंड डाले था। सूरज ने अपना 5 इंच का लंड ज्योति के मुँह में डाला। “आह्ह… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो… गांड मारो,” ज्योति चिल्लाई। अनिल उसकी चूचियों को मसल रहा था, निपल्स को चूस रहा था। “ज्योति, तेरी चूचियाँ तो रसीली हैं,” अनिल बोला। ज्योति अपनी कमर उठाकर चुद रही थी। “आह्ह… शादाब… और गहरा… मेरी बुर को रगड़ दो,” वो चिल्लाई। चट-चट, थप-थप की आवाजें गूँज रही थीं।
मुझे गुस्सा आया। मैं संजीत की गांड मारते हुए ज्योति के पास गया। जावेद को हटाया, उसकी गांड में लंड डाला। “आह्ह… भैया… तेरी बहन की गांड… चोद दे,” ज्योति हँसी। मुझे गुस्सा आया। मैंने बैग से केला निकाला, तेल लगाया, उसकी गांड में डाला। “आह्ह… भैया… ये क्या… बहुत मजा आ रहा है,” वो चिल्लाई। मैंने केले को जोर-जोर से हिलाया, उसकी गांड का छेद बड़ा किया। फिर केले के साथ मेरा लंड डाला। “आह्ह… भैया… दर्द हो रहा है… आह्ह,” ज्योति चिल्लाई। शादाब ने स्पीड बढ़ाई। अनिल ने ज्योति की चूत में उंगली डाली, क्लिट रगड़ी। “आह्ह… अनिल… मेरी चूत… उफ्फ,” ज्योति सिसकारी।
मैंने केला निकाला। शादाब ने ज्योति की चूत चाटी, गुलाबी क्लिट को चूसा। मैंने उसकी गांड चाटी, उसका छेद गीला था। “आह्ह… भैया… तेरी जीभ… मेरी गांड में,” ज्योति बोली। सूरज संजीत के मुँह में माल गिरा रहा था। “संजीत, मेरा रस पी ले,” सूरज बोला। मैं झड़ने वाला था। संजीत ने मेरा लंड मुँह में लिया, माल पी लिया। “आह्ह… संजीत… तेरा मुँह कमाल है,” मैंने कहा। ज्योति झड़ गई। संजीत ने उसकी चूत का रस चाटा। “ज्योति, तेरी चूत का रस तो अमृत है,” संजीत बोला। हम सब हँसने लगे।
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