कुंवारी दीदी को पेला तो रोने लगी

Kunwari didi ki chudai Sex Story: नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम रवि है। मैं 19 साल का हूँ, गठीला बदन, हल्का सांवला रंग, और कॉलेज में पढ़ता हूँ। मेरी चचेरी बहन ज्योति दीदी 28 साल की हैं। उनका रंग भी हल्का सांवला है, लेकिन चेहरा इतना खूबसूरत कि कोई भी देखकर दीवाना हो जाए। उनकी फिगर 34-28-36 की है, कसी हुई चूचियाँ, पतली कमर, और गोल-मटोल गाण्ड। वो अपने गाँव में स्कूल टीचर हैं। उनकी हंसी और बात करने का ढंग इतना प्यारा है कि हर कोई उनका फैन बन जाता है। हम बचपन से ही बहुत करीब रहे हैं, मस्ती-मजाक, खेल-कूद, सब साथ में किया। लेकिन मैंने कभी उन्हें उस नजर से नहीं देखा था, जब तक वो रात नहीं आई। अगर कहानी में कोई गलती हो जाए, तो माफ करना, दोस्तों। चलो, अब कहानी शुरू करते हैं। virgin didi ki seal

मैं गर्मियों की छुट्टियों में अपने बड़े पापा, यानी चाचा, के घर गया था। कई महीनों बाद मैं उनके गाँव गया था। सुबह हम सब खेतों में घूमने निकले। ज्योति दीदी ने हल्की गुलाबी सलवार-कमीज पहनी थी, जो उनके बदन पर एकदम फिट थी। उनकी कमीज का गला थोड़ा गहरा था, और जब वो हँसते-हँसते झुकती थीं, तो उनकी क्लीवेज साफ दिख जाती थी। मैं बार-बार नजरें हटाने की कोशिश करता, लेकिन मन में कुछ गलत ख्याल आने लगे। उनकी चाल में एक अदा थी, जो मुझे बार-बार उनकी तरफ खींच रही थी। शाम को हम बाजार गए, कुछ सामान लिया, और रात को एक ढाबे पर खाना खाया। ढाबे की पीली रोशनी में दीदी का चेहरा और निखर रहा था। उनकी आँखों में मासूमियत थी, लेकिन उनकी मुस्कान में कुछ शरारत भी झलक रही थी।

रात को घर लौटे, तो सब थक चुके थे। बड़े पापा और चाची अपने कमरे में सोने चले गए। दीदी ने मुझे बुलाया और बोलीं, “रवि, तू तो कई दिनों बाद आया है। आज रात मेरे कमरे में सो जा। पहले थोड़ा लूडो खेलते हैं, मस्ती करेंगे।” उनकी आवाज में वही पुरानी मासूम शरारत थी, और मैं तुरंत मान गया। दीदी ने अपने कमरे में एक गद्दा बिछाया, और हम लूडो खेलने बैठ गए। दीदी ने अब तक वही गुलाबी सलवार-कमीज पहनी थी, लेकिन दुपट्टा उतार दिया था। उनकी कमीज के बटन ढीले थे, और पासे फेंकने के लिए जब वो झुकती थीं, तो उनकी चूचियों की झलक दिख जाती थी। मैं बार-बार नजरें हटाता, लेकिन मेरा ध्यान बार-बार उनकी तरफ जा रहा था।

लूडो खत्म हुआ, तो दीदी ने कहा, “चल, अब सोते हैं।” उन्होंने कमरे की लाइट ऑन रखने को कहा, क्योंकि उन्हें अंधेरे से डर लगता था। फिर वो बाथरूम गईं। जब वापस आईं, तो मैं दंग रह गया। दीदी ने अपनी सलवार-कमीज उतार दी थी और सिर्फ काली ब्रा और काली पैंटी में थीं। उनकी ब्रा में उनकी चूचियाँ कसी हुई थीं, और पैंटी इतनी टाइट थी कि उनकी चूत का उभार साफ दिख रहा था। मैंने हड़बड़ाते हुए कहा, “दीदी, ये क्या? कपड़े क्यों उतार दिए?” वो हँसकर बोलीं, “अरे, रवि, तू मेरा भाई है। तुझसे क्या शरमाना? और गर्मी भी तो बहुत है।” उनकी बात सुनकर मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मैंने भी अपनी टी-शर्ट और जींस उतार दी और सिर्फ नीले बॉक्सर में लेट गया।

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रात को करीब 2 बजे मेरी नींद खुली। मैंने देखा कि दीदी गहरी नींद में सो रही थीं। उनकी साँसें धीरे-धीरे चल रही थीं, और उनकी ब्रा का एक स्ट्रैप कंधे से सरक गया था। उनकी चूचियों का आधा हिस्सा ब्रा से बाहर झाँक रहा था, और उनकी निप्पल का हल्का सा उभार ब्रा के ऊपर से दिख रहा था। मैंने पानी पीने के लिए दीदी को जगाने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं उठीं। तभी मेरी नजर उनकी पैंटी पर पड़ी। पैंटी का कपड़ा इतना पतला था कि उनकी चूत का उभार साफ दिख रहा था, और हल्की सी गीलापन की लकीर भी नजर आ रही थी। मैंने पहले कभी दीदी को इस नजर से नहीं देखा था, लेकिन उस पल मेरा दिमाग काबू से बाहर हो गया। मैं धीरे से उनके पास गया और उनकी पैंटी के ऊपर से उनकी चूत पर हल्का सा चुम्मा ले लिया। उनकी चूत की हल्की नमकीन खुशबू मेरे दिमाग में चढ़ गई।

मैंने थोड़ी हिम्मत जुटाई और उनकी पैंटी को धीरे से एक तरफ सरकाया। उनकी चूत बिल्कुल साफ थी, जैसे हाल ही में शेव की हो। उनकी चूत की गुलाबी फांकें हल्की सी गीली थीं, और उनका क्लिट छोटा सा, हल्का गुलाबी रंग लिए हुए था। मैंने धीरे से अपनी जीभ उनकी चूत पर रखी और हल्के से चाटा। दीदी की नींद में हल्की सी हलचल हुई, और मैं डर गया। मैंने तुरंत साइड में लेटकर सोने का नाटक शुरू कर दिया। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। कुछ देर बाद जब दीदी फिर से गहरी नींद में चली गईं, तो मैंने फिर से हिम्मत की। इस बार मैंने उनकी पैंटी को और नीचे खिसकाया और उनकी चूत को अच्छे से चाटने लगा। उनकी चूत का स्वाद नमकीन और हल्का खट्टा था, जो मुझे पागल कर रहा था। मैंने उनकी क्लिट को जीभ से सहलाया, और तभी दीदी की सिसकी निकली, “उम्म… आह…” मैं रुक गया, लेकिन दीदी ने आँखें नहीं खोलीं।

सुबह जब मैं उठा, तो दीदी अभी भी सो रही थीं। उनकी पैंटी अब तक नीचे थी, और उनकी चूत साफ दिख रही थी। मैंने फिर से उनकी चूत को चाटना शुरू किया। इस बार मैंने अपनी एक उंगली धीरे से उनकी चूत में डाली। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरी उंगली को अंदर जाने में मुश्किल हो रही थी। मैंने धीरे-धीरे उंगली अंदर-बाहर की, और उनकी चूत का पानी मेरी उंगली पर लगने लगा। तभी दीदी की एक जोरदार सिसकी निकली, “आह… रवि…” मैं चौंक गया। दीदी जाग रही थीं! वो आँखें बंद करके लेटी थीं, लेकिन उनकी साँसें तेज थीं, और उनके चेहरे पर लाली छा गई थी। मैंने उनके कान में धीरे से कहा, “दीदी, मुझे पता है आप जाग रही हो। आपको भी तो मजा आ रहा है, ना?” दीदी ने पहले तो कुछ नहीं कहा, फिर शरमाते हुए बोलीं, “रवि, ये गलत है… लेकिन… हाय, तूने मुझे गरम कर दिया।”

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मैंने दीदी को और जोश में लाने के लिए उनकी ब्रा के ऊपर से उनकी चूचियों को दबाना शुरू किया। उनकी चूचियाँ मुलायम, लेकिन कसी हुई थीं। मैंने उनकी ब्रा का हुक खोला, और उनकी चूचियाँ आजाद हो गईं। उनकी निप्पल गहरे भूरे रंग की थीं, और वो सख्त हो चुकी थीं। मैंने एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा। दीदी की सिसकियाँ तेज हो गईं, “आह… रवि… धीरे… उफ्फ…” मैंने दूसरी चूची को हाथ से दबाया और उसकी निप्पल को उंगलियों से मसला। दीदी की साँसें और तेज हो गईं। मैंने उनकी पैंटी को पूरी तरह उतार दिया और उनकी चूत को फिर से चाटना शुरू किया। उनकी चूत अब पूरी गीली थी, और उनका पानी मेरे मुँह में आ रहा था। मैंने उनकी क्लिट को जीभ से चूसा, और दीदी की कमर हल्की-हल्की उछलने लगी। वो बोलीं, “रवि… हाय… क्या कर रहा है… उफ्फ… और चाट…”

मैंने दीदी से पूछा, “दीदी, आपने पहले कभी ऐसा किया है?” वो शरमाते हुए बोलीं, “नहीं, रवि… मैंने कभी किसी के साथ… मैं कुंवारी हूँ।” ये सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया। मैंने कहा, “दीदी, मैं तुम्हारी सील तोड़ने वाला पहला लड़का बनूँगा।” दीदी ने शरमाते हुए हल्की सी हामी भरी। मैंने अपना बॉक्सर उतारा, और मेरा 8.5 इंच का लंड बाहर आ गया। मेरा लंड मोटा था, और इसका सुपारा गुलाबी रंग का था, जो चमक रहा था। दीदी ने मेरे लंड को देखा और डर गईं। वो बोलीं, “रवि, ये तो बहुत बड़ा है… मैं इसे कैसे लूँगी? मैं डर रही हूँ।” मैंने उन्हें समझाया, “दीदी, डरने की बात नहीं। मैं धीरे-धीरे करूँगा। तुम बस मजे लो।”

मैंने दीदी से मेरा लंड मुँह में लेने को कहा, लेकिन वो मना करने लगीं। बोलीं, “नहीं, रवि… मुझे गंदा लगता है।” मैंने उन्हें प्यार से मनाया, “दीदी, बस एक बार ट्राई करो। तुम्हें अच्छा लगेगा।” आखिरकार वो मान गईं। उन्होंने मेरे लंड के सुपारे को धीरे से मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। उनका गर्म मुँह मेरे लंड पर जादू कर रहा था। मैं सिसक रहा था, “आह… दीदी… उफ्फ… क्या चूस रही हो!” दीदी अब धीरे-धीरे पूरे लंड को मुँह में लेने की कोशिश कर रही थीं। मैंने उनके बाल पकड़े और धीरे-धीरे उनके मुँह में लंड अंदर-बाहर किया। उनका लार मेरे लंड पर लग रहा था, और वो हल्की-हल्की सिसक रही थीं, “उम्म… रवि…”

फिर मैंने दीदी को लिटाया और उनकी चूत पर अपना लंड रगड़ना शुरू किया। उनकी चूत का पानी मेरे लंड पर लग रहा था, और वो सिसक रही थीं, “उम्म… रवि… अब डाल दे… और कितना तड़पाएगा?” मैंने उनकी चूत पर लंड का सुपारा रखा और धीरे से धक्का दिया। मेरा लंड का सिर्फ 2 इंच हिस्सा अंदर गया, और दीदी चिल्ला उठीं, “आह… रवि… दर्द हो रहा है!” मैंने उन्हें लिपलॉक किया ताकि उनकी आवाज बाहर न जाए। मैंने धीरे-धीरे और धक्के दिए, और मेरा लंड उनकी टाइट चूत में आधा अंदर चला गया। दीदी की आँखों में आँसू आ गए, और वो बोलीं, “रवि, निकाल दे… मैं मर जाऊँगी!” मैंने उन्हें शांत किया और 2-3 मिनट रुका। फिर मैंने धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया। उनकी चूत अब ढीली होने लगी थी, और वो भी मजा लेने लगी थीं। वो सिसक रही थीं, “आह… रवि… अब अच्छा लग रहा है… और कर…”

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मैंने दीदी को घोड़ी बनाया और पीछे से उनकी चूत में लंड डाला। उनकी गोल गाण्ड मेरे सामने थी, और मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। हर धक्के के साथ दीदी की सिसकियाँ तेज हो रही थीं, “आह… रवि… और जोर से… उफ्फ… चोद दे मुझे!” मैंने उनकी गाण्ड पर हल्का सा थप्पड़ मारा और और जोर से धक्के देने लगा। उनकी चूत का पानी मेरे लंड पर लग रहा था, और “चप-चप” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। मैंने दीदी को फिर से सीधा लिटाया और उनकी टांगें फैलाकर मिशनरी स्टाइल में चोदना शुरू किया। इस बार मेरा पूरा लंड उनकी चूत में जा रहा था, और दीदी की सिसकियाँ चीखों में बदल गई थीं, “आह… रवि… हाय… मर गई… उफ्फ… और जोर से!”

पहले राउंड के बाद हम दोनों थक गए। मैंने दीदी को अपनी बाहों में लिया, और हम कुछ देर लेटे रहे। दीदी ने शरमाते हुए कहा, “रवि, ये गलत है… लेकिन इतना मजा पहले कभी नहीं आया।” मैंने उन्हें चूमा और कहा, “दीदी, बस तुम मजे लेती रहो।” फिर हमने दो और राउंड लिए। दूसरे राउंड में मैंने दीदी को गोद में उठाकर चोदा। उनकी चूचियाँ मेरे सीने से टकरा रही थीं, और वो मेरे गले में बाहें डालकर सिसक रही थीं, “आह… रवि… उफ्फ… क्या मस्त चोद रहा है!” तीसरे राउंड में दीदी मेरे ऊपर चढ़ गईं और उछलने लगीं। उनकी चूचियाँ मेरे सामने हिल रही थीं, और मैं उन्हें चूस रहा था। हर राउंड में दीदी की सिसकियाँ और मेरे धक्कों की आवाज कमरे में गूँज रही थी।

सुबह हम दोनों नहाकर तैयार हुए और नाश्ता करने बैठ गए। दीदी ने मुझे चुपके से देखकर मुस्कुराया, और मैं समझ गया कि अब जब भी मौका मिलेगा, हम ये मस्ती दोहराएंगे। अब मैं जब भी बड़े पापा के घर जाता हूँ, दीदी के साथ राउंड लगाता हूँ और खूब मजा करता हूँ। उम्मीद है, दोस्तों, आपको मेरी सच्ची कहानी पसंद आई होगी। आपका क्या ख्याल है? नीचे कमेंट करके बताइए!

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