Sautelay bhaiyon ki jabardasti chudai – Forcefully Sex Story: मेरा नाम निहारिका है। मैं 21 साल की हूँ, और आज मैं तुम्हें अपनी जिंदगी की उस कहानी के बारे में बताने जा रही हूँ, जिसने मुझे मासूम बच्ची से एक रंडी बना दिया। मेरी उम्र भले ही अब 21 की है, लेकिन ये कहानी तब की है जब मैं 18 साल की थी। मैं गोरी-चिट्टी, पतली कमर वाली, चिकनी त्वचा वाली लड़की थी। मेरे चूचे छोटे लेकिन टाइट थे, जैसे दो पके हुए संतरे, जो कपड़ों के ऊपर से भी उभर कर दिखते थे। मेरी चूत एकदम गुलाबी, बिल्कुल चिकनी थी, उस पर एक भी बाल नहीं था। मेरी गांड भी टाइट और गोल थी, जो चलते वक्त हल्का-हल्का हिलता था। मेरी सौतेली माँ के दो बेटे, राकेश और सुनील, मेरे सौतेले भाई थे। राकेश मुझसे चार साल बड़ा, यानी 22 का, लंबा, गठीला, और चेहरे पर एक दबंग सी मुस्कान लिए रहता था। सुनील 23 का था, उसका रंग थोड़ा सांवला, लेकिन शरीर मजबूत और आँखों में एक गंदी चमक रहती थी।
जब मैं 12 साल की थी, मेरी माँ का देहांत हो गया। पापा ने जल्द ही दूसरी शादी कर ली। मेरी सौतेली माँ, शीला, एक क्रूर औरत थी। वो मुझसे घर का सारा काम करवाती—झाड़ू-पोछा, बर्तन, कपड़े धोना, सब कुछ। ना करने पर मारती थी, कभी चप्पल से, कभी बेलन से। उसने पापा को ये कहकर मेरी पढ़ाई बंद करवा दी कि लड़की को पढ़ाने से क्या फायदा, ये तो शादी करके चली जाएगी। पापा ने उसकी बात मान ली। मैं दिन-रात घर के कामों में उलझी रहती। मेरी जिंदगी नर्क बन चुकी थी।
जैसे-जैसे मैं जवान हुई, मैंने देखा कि राकेश और सुनील की नजरें मुझ पर बदलने लगीं। वो मेरे चूचों को घूरते, मेरी गांड को ताकते, खासकर जब मैं झाड़ू लगाती या बर्तन धोती। उनकी आँखों में हवस साफ दिखती थी, लेकिन मैं चुप रहती। मैंने कभी जाहिर नहीं किया कि मुझे उनकी गंदी नजरों का पता है। मैं डरती थी कि अगर मैंने कुछ कहा, तो सौतेली माँ और पिटाई करेगी।
एक दिन मेरी सौतेली माँ के भाई का देहांत हो गया। पापा, माँ, और राकेश को उनके गांव जाना पड़ा। सुनील ने बहाना बनाया कि उसे कोई जरूरी काम है, इसलिए वो रुक गया। मुझे बाद में पता चला कि उसका कोई काम नहीं था, वो बस मेरे साथ अकेले रहना चाहता था। उस रात, जब मैं खाना खाकर सोने गई, रात के करीब 12 बजे सुनील मेरे कमरे में आया। उसके हाथ में एक कोल्ड ड्रिंक की बोतल थी। उसने मुझे बड़े प्यार से कहा, “निहारिका, ये ले, प्यास लगी होगी।” मैं हैरान थी। सुनील ने मुझे कभी इतने प्यार से कुछ नहीं दिया था। मैंने खुशी-खुशी वो कोल्ड ड्रिंक पी ली, लेकिन उसका स्वाद थोड़ा अजीब था। दस मिनट बाद मेरी हालत बिगड़ने लगी। मेरे हाथ-पैर सुन्न पड़ गए, मैं हिल तक नहीं पा रही थी। बोलने में भी दिक्कत हो रही थी। मैं बेड पर लेटी थी, बस आँखें खुली थीं। मैंने मुश्किल से सुनील से कहा, “भैया, मेरी तबीयत खराब हो रही है।”
सुनील ने हंसते हुए कहा, “अरे, तबीयत तो खराब होगी ही। मैंने कोल्ड ड्रिंक में दवा मिलाई है। अब तू अगले 10 घंटे तक ना हिल पाएगी, ना जोर से बोल पाएगी।” मैं डर के मारे कांप उठी। मैंने पूछा, “भैया, तुमने ऐसा क्यों किया?” उसने मेरी तरफ गंदी मुस्कान फेंकी और बोला, “तेरे इस चिकने बदन को चोदने का मन बहुत दिनों से था। आज मौका मिला है, तो तुझे रंडी बनाकर ही छोडूंगा।”
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मैं सन्न रह गई। इससे पहले कि मैं कुछ कह पाती, सुनील मेरे पास आया और मेरी कुर्ती उतारने लगा। मैंने कमजोर आवाज में कहा, “भैया, भगवान के लिए ऐसा मत करो।” लेकिन वो नहीं रुका। उसने मेरी कुर्ती फाड़ दी और पजामा भी खींचकर उतार दिया। अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। सुनील मेरे चूचों को ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा। उसने कहा, “साली, तेरे ये टाइट चूचे और गोल गांड देखकर तो कोई भी लौड़ा फिदा हो जाए।” उसकी बातें सुनकर मेरी रूह कांप रही थी, लेकिन मैं बेबस थी। उसने मेरी ब्रा और पैंटी भी उतार दी। अब मैं बिल्कुल नंगी थी। उसने मेरी टांगें फैलाईं और अपने कपड़े उतार दिए। जब मैंने उसका लौड़ा देखा, तो मेरी आँखें फटी रह गईं। वो 9 इंच लंबा और इतना मोटा था कि देखकर ही डर लग रहा था। Sautelay bhai ne randi banaya
सुनील ने मेरे मुँह को जबरदस्ती खोला और अपना लौड़ा मेरे मुँह में डाल दिया। उसने मेरे बाल पकड़कर जोर-जोर से झटके मारने शुरू कर दिए। उसका लौड़ा मेरे गले तक जा रहा था, मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। “उम्म्म… आह्ह्ह…” मेरी आवाज दब रही थी। कुछ देर बाद वो मेरे मुँह में ही झड़ गया। उसने मेरा मुँह तब तक नहीं छोड़ा, जब तक मैं उसका सारा वीर्य निगल नहीं गई। मेरी आँखों से आंसू बह रहे थे, लेकिन वो रुका नहीं। उसने अपना लौड़ा निकाला और मेरी चूत पर रख दिया। उसने मेरी पतली कमर को दोनों हाथों से पकड़ा और एक जोरदार झटका मारा। “आआआआह्ह्ह!” मैं दर्द से तड़प उठी, लेकिन चीख नहीं निकली। उसका लौड़ा मेरी टाइट चूत में घुस गया, मेरी सील टूट गई। खून निकलने लगा, और मेरी आँखों से आंसू बहने लगे।
सुनील ने कोई रहम नहीं किया। वो जोर-जोर से झटके मारने लगा, “धप्प… धप्प… धप्प…” मेरी चूत में उसका लौड़ा अंदर-बाहर हो रहा था। “आह्ह्ह… ऊऊऊ… भैया, रुक जाओ… मैं मर जाऊंगी!” मैं बड़बड़ा रही थी, लेकिन वो हंस रहा था। “साली, अब तो तू मेरी रंडी है। चुपचाप मजे ले!” उसने मेरी चूत में इतनी जोर से चोदा कि कुछ देर बाद वो मेरे अंदर ही झड़ गया। उसका गर्म वीर्य मेरी चूत में भर गया। वो मेरे ऊपर ढेर हो गया, उसकी सांसें तेज थीं।
थोड़ी देर बाद वो फिर उठा। उसने मेरा मुँह पकड़ा और फिर से अपना लौड़ा मेरे मुँह में डाल दिया। इस बार वो और भी तेज झटके मारने लगा। “चूस साली, अच्छे से चूस!” वो चिल्लाया। मैं बेबस थी, उसका लौड़ा मेरे मुँह में अंदर-बाहर हो रहा था। कुछ देर बाद उसने लौड़ा निकाला और फिर से मेरी चूत में घुसेड़ दिया। “आआआह्ह्ह… ऊऊऊ…” मैं फिर दर्द से तड़प उठी। उस रात उसने मुझे चार बार चोदा। हर बार वो मेरी चूत को रगड़ता, मेरे चूचों को मसलता, और मेरे होंठों को चूसता। मैं बार-बार झड़ रही थी, लेकिन दर्द इतना था कि मैं बेहोश हो गई।
अगले दिन जब मेरी आँख खुली, शाम के 5 बज रहे थे। मैं बेड पर नंगी पड़ी थी। मेरी चूत और गांड में इतना दर्द था कि मैं हिल भी नहीं पा रही थी। बेड पर खून और वीर्य के धब्बे थे। मैं मुश्किल से उठी और बाथरूम गई। आईने में देखा तो मेरी चूत सूज गई थी, लाल हो गई थी। मैं गर्म पानी से नहाई और बाहर आई। मैंने सिर्फ एक तौलिया लपेटा हुआ था। सुनील लिविंग रूम में टीवी देख रहा था। उसने मुझे देखा और कहा, “आजा, मेरे पास बैठ।” मैं डर रही थी, उसकी आँखों में वही हवस थी। उसने टीवी पर एक वीडियो चलाया। मैं देखकर सन्न रह गई—ये मेरी चुदाई की वीडियो थी। उसने कहा, “अगर तूने किसी को बताया, तो ये वीडियो पापा को दिखा दूंगा और कहूंगा कि तूने अपनी मर्जी से मुझसे चुदवाया।”
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मैं डर गई। उसने मुझसे तौलिया उतारने को कहा। मैंने मना किया, तो उसने गुस्से में कहा, “साली, जब तक माँ-पापा नहीं आते, तू नंगी रहेगी। अगर कपड़ा पहना, तो तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा।” उसने मेरा तौलिया खींच लिया। उसने मुझसे नंगी ही खाना बनवाया। खाना खाने से पहले उसने फिर मेरा मुँह पकड़ा और अपना लौड़ा चुसवाया। जब वो झड़ने वाला था, उसने अपना वीर्य मेरे खाने पर डाल दिया और बोला, “खा साली, ये तेरा नाश्ता है।” मैं रो रही थी, लेकिन मुझे खाना पड़ा।
रात के 8 बजे उसने मुझे बेडरूम में बुलाया। मैं समझ गई थी कि अब क्या होने वाला है। उसने मुझे कुत्तिया की तरह बनाया और अपने लौड़े पर तेल लगाया। उसने मेरी चूत पर लौड़ा टिकाया और धीरे-धीरे अंदर डालने लगा। “आआआह्ह्ह… ऊऊऊ…” मैं दर्द से चिल्ला रही थी। उसने एक जोरदार झटका मारा, और उसका पूरा लौड़ा मेरी चूत में समा गया। “धप्प… धप्प… धप्प…” उसकी रफ्तार बढ़ती गई। “साली, अब तो तुझे मजे आने लगे हैं!” वो हंस रहा था। सचमुच, दर्द के साथ-साथ मुझे अब थोड़ा मजा भी आने लगा था। मैं अपनी गांड पीछे करके उसका साथ देने लगी। “आह्ह्ह… हाँ भैया… और जोर से…” मैं बड़बड़ा रही थी। वो और तेज चोदने लगा। कुछ देर बाद मैं झड़ गई, और उसने भी मेरी चूत में अपना वीर्य डाल दिया।
अचानक कमरे का दरवाजा खुला, और राकेश अंदर आ गया। मैं और सुनील डर गए। राकेश को तो एक महीने बाद आना था! राकेश गुस्से में बोला, “भैया, ये क्या कर रहे हो?” सुनील चुप रहा। फिर राकेश ने हंसते हुए कहा, “साले, इस रंडी को तो मैं चोदना चाहता था। तूने मुझसे पहले चोद लिया!” मैं हैरान थी। राकेश ने बताया कि उसने एग्जाम का बहाना बनाकर जल्दी वापसी की थी, ताकि वो मुझे चोद सके।
राकेश ने अपने कपड़े उतारे। उसका लौड़ा सुनील से भी बड़ा था, करीब 10 इंच लंबा और मोटा। उसने मेरा मुँह पकड़ा और बोला, “चूस साली, मेरे लौड़े को चूस!” मैंने मना किया, तो उसने मुझे एक थप्पड़ मारा। मैं डर गई और उसका लौड़ा चूसने लगी। “उम्म्म… आह्ह्ह…” उसका लौड़ा मेरे मुँह में मुश्किल से समा रहा था। कुछ देर बाद उसने मुझे उल्टा किया और मेरे पेट के नीचे तकिया रख दिया। सुनील तेल लाया और मेरी गांड पर लगाने लगा। राकेश ने मेरी गांड पर अपना लौड़ा टिकाया और धीरे-धीरे अंदर डालने लगा। “आआआह्ह्ह… ऊऊऊ… नहीं भैया, ये बहुत दर्द कर रहा है!” मैं चिल्ला रही थी। उसने एक जोरदार झटका मारा, और उसका पूरा लौड़ा मेरी गांड में घुस गया। मैं दर्द से तड़प उठी। “आआआआ… मर गई… निकालो इसे!” मैं चीख रही थी।
राकेश हंसने लगा, “साली, अब तो तेरी गांड फटेगी!” उसने मेरी गांड में जोर-जोर से झटके मारने शुरू किए। “धप्प… धप्प… धप्प…” मेरी गांड में उसका लौड़ा अंदर-बाहर हो रहा था। सुनील मेरे सामने आया और मेरा मुँह पकड़कर अपना लौड़ा चुसवाने लगा। मैं एक साथ दोनों भाइयों से चुद रही थी। राकेश ने मेरी गांड में इतनी जोर से चोदा कि मेरा सूराख चौड़ा हो गया। वो मेरी गांड में ही झड़ गया। फिर उसने मेरा मुँह पकड़ा और अपना लौड़ा चुसवाया। मैं बिल्कुल टूट चुकी थी।
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उसके बाद दोनों भाइयों ने बारी-बारी से मेरी चूत और गांड चोदी। कभी सुनील मेरी चूत में लौड़ा डालता, तो राकेश मेरी गांड मारता। कभी राकेश मेरे मुँह में लौड़ा डालता, तो सुनील मेरी चूत चाटता। “आह्ह्ह… ऊऊऊ… बस करो… मैं मर जाऊंगी!” मैं चिल्ला रही थी, लेकिन वो दोनों हंस रहे थे। “साली, अब तू हमारी रंडी है। जब मन करेगा, चोदेंगे!” राकेश ने कहा।
जब तक पापा और माँ नहीं आए, दोनों ने मेरी जमकर चुदाई की। आखिरी दिन, जब पापा और माँ आने वाले थे, दोनों ने पूरे दिन मेरी गांड और चूत की बारी-बारी चुदाई की। मेरी गांड का सूराख इतना चौड़ा हो गया था कि बैठने में दर्द होता था। मेरी चूत सूज गई थी, और मेरा शरीर टूट चुका था। पापा और माँ के आने के बाद भी, जब उन्हें मौका मिलता, वो मुझे चोदते। उन्होंने मेरी इतनी वीडियो बना ली थीं कि मैं कुछ कह भी नहीं सकती थी।
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