Pariwarik group chudai – Devar Bhabhi Sasur Sex: मैं, रानी, झारखंड के धनबाद की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र 24 साल है, और मैं एक गोरी-चिट्टी, खूबसूरत औरत हूँ। मेरा फिगर 34-28-36 है, मेरी चूचियाँ भारी और गोल हैं, जिनके भूरे निप्पल मेरी पतली नाइटी में उभरकर दिखते हैं। मेरे लंबे, काले, रेशमी बाल मेरी कमर तक लहराते हैं, और मेरी भूरी आँखों में एक शरारती चमक रहती है। दो साल पहले मेरी शादी हरियाणा के पानीपत में विनोद से हुई, जो 30 साल का एक फौजी है। वो लंबा, गठीला, और फौजी वाली ठसक लिए हुए है, लेकिन उसकी ड्यूटी की वजह से वो महीने में बस एक-दो बार घर आता है। घर में मेरे अलावा मेरे ससुर, रामलाल, जो 55 साल के हैं, और उनके तीन बेटे—सूरज (28 साल), रवि (26 साल), और दीपक (24 साल)—रहते हैं। सास का देहांत हो चुका है, तो मैं इस घर की इकलौती औरत हूँ।
सूरज, सबसे बड़ा देवर, लंबा-चौड़ा, गुस्सैल, और थोड़ा रौबदार है। उसकी काली मूँछें और भारी आवाज उसे और डरावना बनाती हैं। उसका रंग साँवला है, और वो हमेशा बनियान और ढीली पैंट में रहता है, जिससे उसका मस्कुलर बदन साफ दिखता है। रवि, बीच वाला, शांत मिजाज का है, लेकिन उसकी आँखों में एक चालाकी है। वो गेहुँआ रंग का है, और उसकी पतली मूँछें उसे एक कॉलेज के लड़के जैसा लुक देती हैं। दीपक, सबसे छोटा, हँसमुख और शरारती है। उसका गोरा रंग, चिकनी त्वचा, और हमेशा मुस्कुराता चेहरा मुझे शुरू से पसंद था। ससुर रामलाल दुबले-पतले हैं, लेकिन उनकी मक्खन जैसी बातें और चालाक नजरें मुझे हमेशा थोड़ा असहज करती थीं।
हरियाणा का माहौल मुझे शुरू में बिल्कुल नहीं भाया। धनबाद की तंग गलियाँ, वहाँ की बोली, और मायके की सादगी की याद मुझे सताती थी। यहाँ का खाना—रोटी, दाल, और तीखी सब्जी—मुझे अजीब लगता था। लोगों की तेज बोली और खुल्लमखुल्ला मजाक मुझे समझ नहीं आता था। विनोद की ड्यूटी की वजह से मैं अकेली थी, और चार मर्दों के बीच रहना मुझे डराता था। मैंने कई बार सोचा कि वापस गाँव चली जाऊँ, लेकिन हर बार ससुर जी मुझे मना लेते। एक दिन, जब विनोद फिर से ड्यूटी पर गया, मैंने ससुर जी से कहा, “पिताजी, विनोद तो हमेशा बाहर रहता है। मैं यहाँ अकेली क्या करूँ? मैं अपने मायके回去ना चाहती हूँ।” मेरी बात सुनकर ससुर जी की आँखें नम हो गईं। वो बोले, “नहीं बेटी, तुम चली जाओगी तो गाँव वाले क्या कहेंगे? मेरे बेटों की शादी नहीं हो रही थी, इसलिए तुमसे विनोद का ब्याह करवाया। तुम जो माँगोगी, मैं दूँगा। बस यहीं रहो।” उनकी बातों में दर्द था, लेकिन उनकी नजरों में कुछ और था, जो मुझे समझ नहीं आया।
सच कहूँ, तो मुझे दीपक से थोड़ा लगाव हो गया था। उसकी शरारती हँसी, मेरे साथ मजाक करने का तरीका, और वो छुप-छुपकर मेरी तारीफ करने की आदत मुझे अच्छी लगने लगी थी। उसकी हरकतें मुझे हँसाती थीं, और कहीं न कहीं मेरे मन में उसके लिए एक अलग सा खिंचाव था। मैंने सोचा, अगर विनोद नहीं है, तो शायद दीपक के साथ थोड़ा वक्त बिताकर मैं इस अकेलेपन से बाहर निकल सकती हूँ। मैंने धीरे-धीरे उस पर डोरे डालने शुरू किए। कभी रसोई में उसकी शर्ट पकड़कर मजाक करती, कभी जानबूझकर साड़ी का पल्लू सरका देती, ताकि मेरी गहरी क्लीवेज दिखे। तीसरे दिन, रात को जब सब सो रहे थे, मैंने दीपक को रसोई में बुलाया। मैंने हल्की गुलाबी नाइटी पहनी थी, जो मेरे बदन से चिपक रही थी। मेरी चूचियाँ उसमें साफ उभर रही थीं, और निप्पल हल्के-हल्के दिख रहे थे।
“क्या हुआ, भाभी? रात को बुलाया?” दीपक ने अपनी शरारती मुस्कान के साथ पूछा। मैंने उसका हाथ पकड़ा और धीरे से कहा, “बस, यूँ ही। तेरा भाभी को याद कर रही थी।” वो मेरे करीब आया, और उसकी गर्म साँसें मेरे गालों पर महसूस होने लगीं। उसने मेरी कमर पर हाथ रखा और मुझे अपनी ओर खींच लिया। मैंने विरोध नहीं किया। उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए, और मैं उसकी बाहों में पिघलने लगी। उसका चुंबन गहरा और भूखा था, जैसे वो मुझे पूरा निगल लेना चाहता हो। “भाभी, तू तो आग है,” उसने मेरे कान में फुसफुसाया, और मेरी नाइटी के ऊपर से मेरी चूचियों को सहलाने लगा। मैंने एक हल्की सी सिसकारी भरी, “आह्ह…” और उसका सीना पकड़ लिया।
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उसने मुझे रसोई के स्लैब पर बिठा दिया और मेरी नाइटी को धीरे-धीरे ऊपर सरकाने लगा। मेरी गोरी जाँघें नजर आने लगीं। उसने मेरी चूत पर उँगलियाँ फिराई, जो पहले से ही गीली हो चुकी थी। “भाभी, तेरी बुर तो पहले से तैयार है,” उसने हँसते हुए कहा। मैंने शरमाते हुए कहा, “चुप कर, बदमाश!” लेकिन मेरी साँसें तेज हो रही थीं। उसने अपनी पैंट उतारी, और उसका सात इंच का लंड मेरे सामने था, जिसका सुपारा गुलाबी और चमकदार था। उसने मेरी नाइटी पूरी तरह ऊपर कर दी और मेरी टाँगें फैलाईं। उसका लंड मेरी चूत के मुँह पर रगड़ रहा था, और मैं “उम्म… दीपक, धीरे…” कहते हुए सिसक रही थी। उसने धीरे से लंड अंदर डाला, और मैंने एक जोरदार सिसकारी भरी, “आआह्ह!” उसका लंड मेरी चूत में धीरे-धीरे अंदर-बाहर होने लगा, और हर धक्के के साथ मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। “भाभी, तेरी चूत कितनी टाइट है,” उसने कहा, और मैंने जवाब दिया, “बस कर, दीपक… आह्ह… और जोर से!” हम दोनों की साँसें तेज थीं, और रसोई में सिर्फ “पच-पच” की आवाज गूँज रही थी।
लेकिन तभी, अचानक ससुर जी और सूरज रसोई में आ गए। मैं घबरा गई और नाइटी नीचे करने लगी, लेकिन सूरज ने हँसते हुए कहा, “अरे भाभी, रुक क्यों गई? मजा तो अब शुरू होगा!” मेरे चेहरे पर शर्म और डर दोनों थे, लेकिन ससुर जी ने कहा, “बेटी, डर मत। हम सब एक परिवार हैं। तू खुश रहे, बस यही चाहता हूँ।” उनकी बातों में एक अजीब सा लालच था। दीपक ने मुझे देखकर आँख मारी और बोला, “भाभी, अब तो सब खुल गया। चल, मजे लेते हैं।” मुझे समझ नहीं आया कि क्या करूँ, लेकिन मेरे शरीर में अभी भी गर्मी थी, और कहीं न कहीं मुझे ये सब रोमांचक भी लग रहा था।
अगले दिन से, सूरज और रवि ने भी मेरे साथ खुलकर बातें शुरू कर दीं। सूरज ने एक दिन मुझे बाथरूम के पास पकड़ लिया, जब मैं नहाकर निकली थी। मैंने हल्का नीला सलवार-कमीज पहना था, जो मेरे गीले बदन से चिपक रहा था। उसने मेरी कमर पकड़ी और कहा, “भाभी, तू तो माल है। दीपक को तो मजा लेने दिया, अब मेरी बारी?” मैंने शरमाते हुए कहा, “सूरज, ये ठीक नहीं है…” लेकिन उसने मेरे होंठों पर उंगली रख दी और बोला, “चुप, भाभी। तुझे भी तो मजा चाहिए।” उसने मुझे दीवार से सटा दिया और मेरी कमीज ऊपर उठाकर मेरी चूचियों को बाहर निकाला। मेरे भूरे निप्पल सख्त हो चुके थे। उसने एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा। मैं सिसक उठी, “आह्ह… सूरज, धीरे…” उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोला, और मेरी गुलाबी पैंटी नीचे सरका दी। उसकी उंगलियाँ मेरी चूत पर फिरने लगीं, और मैं “उम्म… आह्ह…” की आवाजें निकाल रही थी।
सूरज ने मुझे बाथरूम के फर्श पर लिटा दिया और अपनी पैंट उतारी। उसका लंड नौ इंच का था, मोटा और सख्त, जिसका सुपारा गहरा गुलाबी था। उसने मेरी टाँगें चौड़ी कीं और मेरी चूत पर लंड रगड़ा। “भाभी, तेरी बुर तो रसीली है,” उसने कहा। मैंने शरमाते हुए कहा, “सूरज, धीरे डाल…” उसने एक जोरदार धक्का मारा, और मैं चीख पड़ी, “आआह्ह!” उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर गया, और मैं दर्द और मजा दोनों महसूस कर रही थी। उसने मेरी चूचियों को मसलते हुए जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। “पच-पच” की आवाज पूरे बाथरूम में गूँज रही थी, और मैं “आह्ह… सूरज… और जोर से…” चिल्ला रही थी। उसने मेरी गाँड में उंगली डाली, और मैं और जोर से सिसक उठी, “उम्म… हाय…” करीब बीस मिनट तक उसने मुझे चोदा, और मैं दो बार झड़ चुकी थी।
उसके बाद रवि ने भी अपनी बारी ली। एक दोपहर, जब मैं बेडरूम में थी, रवि अंदर आया। मैंने हल्की हरी साड़ी पहनी थी, जिसका पल्लू मेरी चूचियों पर लटक रहा था। रवि ने मुझे बेड पर धकेल दिया और बोला, “भाभी, अब मेरी बारी है।” उसने मेरी साड़ी खींचकर उतार दी, और मेरे ब्लाउज के बटन खोल दिए। मेरी काली ब्रा में मेरी चूचियाँ उभर रही थीं। उसने ब्रा उतारी और मेरे निप्पलों को चूसने लगा। मैं सिसक रही थी, “आह्ह… रवि, ये क्या कर रहा है…” उसने मेरी साड़ी पूरी तरह उतार दी और मेरी पैंटी में उंगलियाँ फिराने लगा। मेरी चूत गीली थी, और उसकी उंगलियाँ मेरे क्लिट को सहला रही थीं। उसने मुझे बेड पर लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गया। उसका लंड आठ इंच का था, मोटा और सख्त। उसने मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखीं और धीरे से लंड अंदर डाला। मैं “उम्म… आह्ह…” की आवाजें निकाल रही थी। उसने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए, और हर धक्के के साथ मेरी चूचियाँ उछल रही थीं। “भाभी, तेरी चूत तो जन्नत है,” उसने कहा, और मैंने जवाब दिया, “बस कर, रवि… आह्ह… और जोर से चोद!” हम दोनों की साँसें तेज थीं, और “पच-पच” की आवाज कमरे में गूँज रही थी।
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ससुर जी इस सब में शामिल थे। वो चाहते थे कि मैं उनके तीनों बेटों की जरूरतें पूरी करूँ। एक रात, तीनों देवर और ससुर जी मेरे कमरे में आए। मैंने लाल नाइटी पहनी थी, जो मेरे बदन से चिपक रही थी। ससुर जी ने कहा, “बेटी, आज तुझे पूरा मजा देंगे।” मैं डर गई, लेकिन मेरे शरीर में एक अजीब सी गर्मी थी। सूरज ने मेरी नाइटी उतारी, और रवि ने मेरी ब्रा और पैंटी खींच दी। दीपक मेरी चूचियों को चूसने लगा, और सूरज मेरी चूत पर जीभ फिराने लगा। मैं सिसक रही थी, “आह्ह… हाय… ये क्या कर रहे हो…” रवि ने मेरा मुँह अपने लंड की ओर कर दिया और बोला, “भाभी, इसे चूस।” मैंने उसका लंड मुँह में लिया, और उसका गुलाबी सुपारा मेरी जीभ पर फिसल रहा था। सूरज ने मेरी चूत में लंड डाला और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। मैं “मम्म… आह्ह…” की आवाजें निकाल रही थी। दीपक मेरी गाँड में उंगली डाल रहा था, और मैं दर्द और मजा दोनों में डूबी थी। तीनों ने बारी-बारी से मुझे चोदा—कभी चूत में, कभी गाँड में। “पच-पच” और मेरी सिसकारियों की आवाज पूरे कमरे में गूँज रही थी। मैं कई बार झड़ चुकी थी, और मेरा शरीर थरथरा रहा था।
अब मुझे इस सब की आदत हो गई है। शुरू में डर लगता था, लेकिन अब मैं हर लंड का मजा लेती हूँ। सूरज का रफ और जंगली चोदना, रवि का जोशीला और तेज चोदना, और दीपक का प्यार भरा और आराम से चोदना—हर एक का अपना मजा है। कभी-कभी तीनों एक साथ मुझे चोदते हैं, तो मैं सातवें आसमान पर होती हूँ। ससुर जी हमेशा पास बैठकर देखते हैं और तारीफ करते हैं, “बेटी, तू तो असली रंडी है।” मैं अब शरमाती नहीं, बल्कि हँसकर कहती हूँ, “पिताजी, ये सब आपकी मेहरबानी है।”
तो दोस्तों, अब मुझे डर नहीं लगता। मैं हर लंड की भूख मिटाती हूँ, और हर चुदाई का मजा लेती हूँ। अगर आप दिल्ली या पानीपत के आसपास हैं, तो आकर मेरे साथ मजा ले सकते हैं। आपको मेरी कहानी कैसी लगी, जरूर बताइए।
Aapki mail id to likh dete aapke sath contact kaise karu mai panipat se hu
Main bhi jharkhand ranchi se hun kya aap hmse mill skte hai……??