माली ने मक्खन लगाकर चोदा

Maali ne choda sex story – Makhan laga kar chudai – Gaon ki chudai: हाय दोस्तों, मैं आयशा, लाहौर से। मेरी उम्र अब 20 साल है, और मेरा रंग इतना गोरा है कि लोग अक्सर मेरी तारीफ करते नहीं थकते। मेरा फिगर 34-28-36 है, जो मेरे लंबे, घने, काले बालों और गहरी भूरी आँखों के साथ मेरी खूबसूरती को और बढ़ाता है। मेरे बूब्स गोल और भरे हुए हैं, जिनकी गुलाबी निपल्स मेरी टाइट कुर्तियों में हल्की सी उभर आती हैं। पिछले एक साल से मैं हॉट और मसालेदार कहानियाँ पढ़ रही हूँ, और इतनी सारी सेक्सी स्टोरीज पढ़ने के बाद सोचा कि अपनी ज़िंदगी का वो हॉट तजुर्बा आपके साथ शेयर करूँ, जो मेरे साथ दो साल पहले हुआ, जब मैं 18 की थी। ये कहानी मेरी ज़िंदगी का सबसे मज़ेदार और उत्तेजक लम्हा है, जो आज भी मुझे सिहरन देता है।

मेरे परिवार में चार लोग हैं—पापा, मम्मी, मेरा छोटा भाई उमर, और मैं। मम्मी 40 साल की हैं, लेकिन उनकी फिटनेस और गोरा रंग उन्हें 30 की दिखाता है। वो अक्सर साड़ी या सलवार-कमीज़ पहनती हैं, और उनकी स्माइल में एक अलग ही चमक है। उमर 18 साल का है, मुझसे दो साल छोटा, कद 5.8 फीट, और थोड़ा शरारती लेकिन दिल का साफ। वो ज़्यादातर टी-शर्ट और शॉर्ट्स में रहता है, और उसका दुबला-पतला लेकिन फुर्तीला शरीर उसे गाँव में दौड़ने-भागने के लिए परफेक्ट बनाता है। पापा ज़्यादातर काम में बिज़ी रहते हैं, तो घर पर मैं, मम्मी और उमर ही ज़्यादा वक्त बिताते हैं।

ये बात तब की है जब मैंने F.A के पेपर दिए थे, और गर्मियों की छुट्टियाँ शुरू हो गई थीं। गर्मी इतनी थी कि घर में बैठे-बैठे पसीना छूट रहा था। मैं और उमर बोर हो रहे थे। एक दिन उमर ने मुझसे कहा, “आयशा, ये बोरियत तो मार डालेगी। क्यों ना गाँव चलें? वहाँ हमारे खेत हैं, आम का बाग़ है, थोड़ा मज़ा आएगा।” उसकी बात मुझे पसंद आई। गाँव की ताज़ा हवा, हरियाली, और वहाँ की शांति का ख्याल ही मन को सुकून दे रहा था। हमने मम्मी-पापा से बात की। मम्मी ने कहा, “ठीक है, गाँव में थोड़ा चेंज मिलेगा।” पापा ने भी हामी भर दी। बस फिर क्या, हमने अगले दिन की तैयारी शुरू कर दी।

मैंने अपने बैग में कुछ पसंदीदा कपड़े पैक किए—एक टाइट गुलाबी कुर्ती, जो मेरे फिगर को पूरी तरह उभारती थी, एक नीली सलवार-कमीज़, और एक काली जीन्स, जो मेरी गोल गाँड को और आकर्षक बनाती थी। उमर ने अपनी दो टी-शर्ट्स और शॉर्ट्स बैग में ठूंसे, और मम्मी ने कुछ खाने का सामान और अपनी हल्की हरी साड़ी पैक की। अगले दिन सुबह 11 बजे हम मम्मी, मैं, और उमर गाँव के लिए निकल पड़े। रास्ता लंबा था, और गर्मी की वजह से पसीना छूट रहा था। मैंने अपनी गुलाबी कुर्ती और काली जीन्स पहनी थी, और मेरे बाल खुले थे, जो हवा में लहरा रहे थे। उमर बार-बार मुझसे मज़ाक कर रहा था, और मम्मी खिड़की से बाहर गाँव की हरियाली देख रही थीं।

शाम 6:30 बजे हम गाँव पहुँचे। वहाँ का माहौल शांत था। हमारे पुराने घर के बाहर नीम का पेड़, आँगन में चारपाई, और दूर तक फैली हरियाली मन को तरोताज़ा कर रही थी। हमने सामान रखा, नहाया, और रात का खाना खाकर सो गए। गाँव की ठंडी हवा और चाँदनी रात ने नींद को और गहरी कर दिया।

अगली सुबह मेरी आँख 9 बजे खुली। मैंने बेड से उठते ही खिड़की खोली, और बाहर की ताज़ा हवा ने मेरे चेहरे को छू लिया। मैंने अपनी नीली सलवार-कमीज़ पहनी, जो हल्की थी और गर्मी में आरामदायक थी। मेरे बालों को मैंने ढीली सी चोटी में बाँध लिया। नाश्ते में मम्मी ने गरम पराठे और दही बनाया था, जो खाते ही मन खुश हो गया। उमर सुबह-सुबह ही गाँव के बच्चों के साथ क्रिकेट खेलने चला गया। मैं और मम्मी दिनभर गाँव में घूमे, कुछ रिश्तेदारों से मिले, और पुरानी यादें ताज़ा कीं।

शाम 4 बजे के आसपास उमर वापस आया और बोला, “आयशा, चलो ना बाग़ देखने। हमारे आम के पेड़ देखे कितने दिन हो गए!” मैं भी उत्साहित हो गई। मैंने अपनी गुलाबी कुर्ती और काली जीन्स पहनी, जो मेरे फिगर को पूरी तरह हाईलाइट कर रही थी। मेरी कुर्ती का गला हल्का गहरा था, जिससे मेरे बूब्स की शेप हल्की सी दिख रही थी। उमर ने नीली टी-शर्ट और काले शॉर्ट्स पहने थे। हम दोनों बाग़ की ओर निकल पड़े, जो हमारे घर से 4 किलोमीटर दूर था। रास्ते में खेतों की हरियाली, दूर तक फैले पेड़, और हल्की ठंडी हवा मन को सुकून दे रही थी। उमर बार-बार मज़ाक कर रहा था, और मैं उसकी बातों पर हँस रही थी।

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जब हम बाग़ पहुँचे, तो वहाँ कुछ मज़दूर बैठे थे, जो पेड़ों की छाँव में बातें कर रहे थे। उनमें से एक आदमी, जो लंबा-चौड़ा और पहलवान जैसा दिख रहा था, खड़ा हुआ और मुझे “मैम साहब” कहकर बुलाया। उसकी आवाज़ में रौब था, लेकिन वो सम्मान से बात कर रहा था। मैंने समझ लिया कि ये हमारा माली है, जो बाग़ की देखभाल करता है। उसका नाम तौसीफ था। वो 32 साल का था, कद 6.2 फीट, रंग साँवला, और शरीर इतना मज़बूत कि किसी को भी डरा दे। उसने हल्की सी नीली लुंगी पहनी थी, और उसका चौड़ा सीना साफ दिख रहा था। मैंने उससे कहा, “हमें पूरा बाग़ दिखाओ।” उसने सिर हिलाया और हमें बाग़ घुमाने लगा।

तौसीफ आगे-आगे चल रहा था, और मैं और उमर पीछे-पीछे। बाग़ में आम के पेड़ों की कतारें थीं, जिनके बीच से हल्की धूप छनकर आ रही थी। फूलों की खुशबू और पेड़ों की सरसराहट माहौल को जादुई बना रही थी। तौसीफ ने बताया कि इस साल आम की फसल अच्छी हुई है। मैं और उमर उसकी बातें सुन रहे थे, लेकिन कुछ देर बाद उमर थक गया। उसने कहा, “आयशा, मुझसे अब और नहीं चला जाता। तुम बाग़ देख लो, मैं यहीं रुकता हूँ।” वो उन मज़दूरों के पास बैठ गया, जो पास के पेड़ के नीचे हँसी-मज़ाक कर रहे थे। मैंने सोचा, बाग़ देखने का मौका है, तो मैं अकेले ही तौसीफ के साथ आगे बढ़ गई।

तौसीफ और मैं बातें करते हुए चल रहे थे। उसने बताया कि वो कई सालों से हमारे बाग़ की देखभाल कर रहा है, और उसे पेड़ों से बहुत प्यार है। मैंने उससे पूछा कि वो कहाँ रहता है, तो उसने बताया कि उसका छोटा सा घर बाग़ के पास ही है। बातों-बातों में उसने मेरे बारे में पूछा, और मैंने बताया कि मैं और मेरा भाई छुट्टियों में यहाँ आए हैं, और हफ्ते भर रुकेंगे। उसकी बातों में एक अजीब सी गर्मजोशी थी, जो मुझे थोड़ा असहज कर रही थी, लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया।

शाम ढलने लगी थी, और बाग़ में हल्का अंधेरा छाने लगा। हम काफी दूर निकल आए थे। अचानक मेरा पैर एक पत्थर से टकराया, और मैं लड़खड़ा कर गिर पड़ी। तौसीफ ने फट से मुझे पकड़ने के लिए झुका, और उसकी लुंगी हल्की सी खिसक गई। मुझे उसका काला, मोटा लंड साफ दिखाई दिया। वो अंदर कुछ नहीं पहने था! मेरी साँसें थम गईं। मैंने जल्दी से नज़रें हटाईं, लेकिन मन में एक अजीब सी हलचल होने लगी। उसने मेरी कमर पकड़कर मुझे उठाया, लेकिन मेरे पैर फिर फिसले, और मैं उसकी गोद में जा गिरी। मेरी 36 की गोल गाँड उसके लंड से टकराई, और मेरे 34 के बूब्स उसके मज़बूत हाथों से दब गए। मेरे पूरे शरीर में करंट सा दौड़ गया। हड़बड़ाहट में उठते वक्त मेरा हाथ गलती से उसके लंड से टकरा गया, जो अब और सख्त हो चुका था। मैंने देखा कि उसकी लुंगी में एक बड़ा सा तंबू बन गया था, लेकिन वो ऐसे बर्ताव कर रहा था जैसे कुछ हुआ ही न हो।

हम आगे बढ़े, लेकिन मेरा दिमाग उसी पल में अटक गया था। उसका मोटा, काला लंड मेरी आँखों के सामने बार-बार आ रहा था। मैंने अपनी गुलाबी कुर्ती को ठीक किया, जो थोड़ी सी खिसक गई थी, और मेरी ब्रा का स्ट्रैप हल्का सा दिख रहा था। बाग़ अब पूरी तरह सुनसान हो चुका था। दूर-दूर तक कोई नहीं था। मुझे हल्का डर लगने लगा, और मैंने सोचा कि अब वापस चलना चाहिए। तभी अचानक तेज़ आँधी शुरू हो गई। पेड़ हिलने लगे, और ऐसा लग रहा था जैसे सब कुछ उड़ जाएगा। मैं डर के मारे काँपने लगी। तौसीफ ने मेरा हाथ पकड़ा और बोला, “मैम साहब, डरो मत। मेरा घर पास में है, वहाँ चलते हैं।” उसकी आवाज़ में एक अजीब सा रौब था, जो मुझे डराने के साथ-साथ अजीब सी उत्तेजना भी दे रहा था। मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था। मैं डरते-डरते उसके साथ चल पड़ी।

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पाँच मिनट बाद हम उसके छोटे से घर पहुँचे। ये एक साधारण सा मकान था, जिसमें एक कमरा, एक छोटी रसोई, और बाहर एक छोटा सा आँगन था। अंदर एक सिंगल बेड था, जिस पर पुरानी सी चादर बिछी थी, एक टूटी सी कुर्सी, और कुछ बिखरा हुआ सामान। उसने मुझे बेड पर बैठने को कहा और रसोई से पानी लाने गया। मैं अभी बेड पर बैठी थी, मेरी गुलाबी कुर्ती थोड़ी सी गीली हो चुकी थी, क्योंकि बाहर हल्की बूँदाबाँदी शुरू हो गई थी। मेरे बाल चोटी से खुल गए थे, और मेरे चेहरे पर कुछ गीली लटें चिपक रही थीं। तभी एक तेज़ हवा का झोंका आया, और तौसीफ की लुंगी पूरी तरह उड़ गई। अब वो मेरे सामने पूरी तरह नंगा खड़ा था। उसका 9 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड मेरे सामने लटक रहा था। उसका सुपारा गहरा गुलाबी था, और उसकी नसें साफ उभरी हुई थीं। मैं तो जैसे पत्थर हो गई। इतना मोटा और काला लंड मैंने पहले कभी नहीं देखा था। मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं।

वो मेरे पास आया, और मैं डर से पीछे हट गई। उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया। “मैम साहब, इसे छूकर देखो,” उसने कहा। उसकी आवाज़ में एक अजीब सी सख्ती थी। मेरी साँसें तेज़ हो गईं, और शरीर में सिहरन दौड़ने लगी। मैंने मना करने की कोशिश की, लेकिन उसने धमकी दी, “अगर मेरी बात नहीं मानी, तो तुम्हें जान से मार दूँगा, और सबको कहूँगा कि तुम आँधी में कहीं खो गई।” उसकी बातों से मैं काँप गई। मेरे पास कोई चारा नहीं था। मैंने डरते-डरते उसके लंड को हाथ में लिया। वो इतना गर्म और सख्त था कि मेरे हाथ काँपने लगे। मैंने धीरे-धीरे उसे मुँह में लिया। “उम्म्म… उम्… उम्…” उसका मोटा लंड मेरे गले तक जा रहा था, और मुझे साँस लेने में दिक्कत हो रही थी। मैंने अपने दोनों हाथों से उसके लंड को पकड़ा और आगे-पीछे करने लगी। उसका सुपारा मेरे होंठों पर रगड़ रहा था, और उसकी गंध मेरे दिमाग को सुन्न कर रही थी।

तौसीफ ने मेरी गुलाबी कुर्ती को एक झटके में उतार दिया। मेरी काली ब्रा साफ दिख रही थी, जिसके स्ट्रैप्स मेरे कंधों पर टाइट थे। उसने मेरी ब्रा को भी खींचकर फाड़ दिया, और मेरे 34 के बूब्स हवा में लटकने लगे। मेरी गुलाबी निपल्स सख्त हो चुकी थीं, और वो हल्की सी काँप रही थीं। तौसीफ मेरे बूब्स को देखकर पागल सा हो गया। उसने मेरे एक बूब को मुँह में लिया और चूसने लगा। “आह्ह… उफ्फ…” मैं सिसकारियाँ लेने लगी। उसका मुँह मेरे बूब्स पर ऐसा था जैसे वो उन्हें खा जाएगा। वो मेरे निपल्स को दाँतों से हल्का सा काट रहा था, और मैं मज़े में पागल हो रही थी। “हाँ… और चूसो… उफ्फ… तौसीफ…” मैं बड़बड़ा रही थी। उसने मेरे दूसरे बूब को हाथ से दबाया, और उसकी उंगलियाँ मेरी निपल्स को मसल रही थीं। मेरी चूत पूरी गीली हो चुकी थी। मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपनी जीन्स के ऊपर से अपनी चूत पर रख दिया।

उसने मेरी जीन्स का बटन खोला और उसे नीचे खींच दिया। मेरी काली पैंटी साफ दिख रही थी, जो मेरी गीली चूत की वजह से थोड़ी सी चिपक गई थी। उसने मेरी पैंटी को भी एक झटके में उतार दिया। अब मेरी गोरी, चिकनी चूत उसके सामने थी। मेरी चूत के होंठ हल्के गुलाबी थे, और मेरा दाना सख्त होकर बाहर उभर आया था। उसने मेरी चूत को उंगलियों से सहलाया, और मैं “उफ्फ… आह्ह…” करके सिसकारने लगी। उसकी उंगलियाँ मेरे दाने को रगड़ रही थीं, और मैं अपनी गाँड उठा-उठाकर मज़ा ले रही थी। “तौसीफ… हाँ… वाह… और करो…” मैं बेकाबू हो रही थी। उसने मेरी चूत के होंठों को उंगलियों से खोला और अपनी जीभ अंदर डाल दी। “आह्ह… उफ्फ… हाँ…” उसकी गर्म जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी। मैंने उसका सिर पकड़ा और अपनी चूत पर दबा दिया। वो मेरे दाने को चूस रहा था, और मैं “आह्ह… हाँ… और चाटो… उफ्फ…” करके चिल्ला रही थी।

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तभी उसने पास रखा मक्खन का डिब्बा उठाया। उसने अपनी उंगलियों पर मक्खन लिया और मेरी चूत पर मल दिया। मक्खन की ठंडक और उसकी गर्म उंगलियों का टच मुझे पागल कर रहा था। उसने मेरी चूत को फिर से चाटना शुरू किया। “आह्ह… उफ्फ… हाँ… तौसीफ… और चूसो… मेरी चूत को खा जाओ…” मैं चिल्ला रही थी। उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी, और मक्खन की चिकनाहट ने मज़ा दोगुना कर दिया। मैं इतने मज़े में थी कि मेरी साँसें रुक रही थीं। “आह्ह… उफ्फ… हाँ… और… और…” मैं दो बार झड़ चुकी थी, और मेरी चूत से रस टपक रहा था।

तौसीफ ने अपना लंड मेरी चूत पर रखा। उसका सुपारा मेरे दाने से टकरा रहा था। “तौसीफ… धीरे… मैं वर्जिन हूँ…” मैंने डरते हुए कहा। उसने मेरी बात अनसुनी की और अपने लंड पर तेल लगाया। उसका लंड अब और चमक रहा था, और उसकी नसें फटने को तैयार थीं। उसने मेरी चूत के मुँह पर लंड रखा और ज़ोर से धक्का मारा। “आआआआ… उफ्फ… मर गई…” मेरी चीख निकल गई। उसका मोटा लंड मेरी चूत में फिसल गया, क्योंकि मेरी चूत टाइट थी। मैंने राहत की साँस ली, लेकिन उसने फिर से कोशिश की। इस बार उसने मेरी टाँगें फैलाईं, मेरी चूत पर थूक लगाया, और फिर ज़ोर से धक्का मारा। “आआआ… उफ्फ… स्स्स…” उसका लंड आधा अंदर चला गया, और मेरी चूत फटने लगी। खून बहने लगा, और मैं दर्द से चिल्ला रही थी। “तौसीफ… रुक जाओ… प्लीज़…” मैं रो रही थी। लेकिन वो रुका नहीं। उसने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “आह्ह… उफ्फ… स्स्स…” मेरी चूत में दर्द और मज़ा दोनों मिल रहे थे।

उसने मुझे कुतिया की तरह घुमाया और पीछे से मेरी चूत में लंड डाला। “आह्ह… हाँ… चोदो… और ज़ोर से…” मैं अब मज़े में बड़बड़ा रही थी। उसका लंड मेरी चूत के अंदर तक जा रहा था, और उसकी गोलियाँ मेरी गाँड से टकरा रही थीं। “पच… पच… पच…” उसकी चुदाई की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। मैं अपनी गाँड पीछे-आगे कर रही थी, और वो मेरे बूब्स को पीछे से मसल रहा था। “आयशा… तेरी चूत कितनी टाइट है… उफ्फ…” वो बड़बड़ा रहा था। मैं “आह्ह… हाँ… और चोदो… फाड़ दो मेरी चूत…” करके चिल्ला रही थी।

वो झड़ने वाला था। उसने अपना लंड निकाला और मेरे बूब्स और चेहरे पर अपनी गर्म धार छोड़ दी। मैं हाँफ रही थी, और मेरा शरीर पसीने और उसके रस से चिपचिपा हो गया था। मैं बेड पर लेट गई, और मेरी चूत में हल्का सा दर्द था, लेकिन मज़ा इतना था कि मैं उसे भूल गई।

तो दोस्तों, आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी? प्लीज़ नीचे कमेंट करके बताएँ। आपकी राय से मुझे और हॉट कहानियाँ लिखने की हिम्मत मिलेगी। अगली कहानी में बताऊँगी कि तौसीफ ने मुझे फिर कैसे-कैसे चोदा।

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