हाय, मैं राजीव मेहता हूँ। दिल्ली में रहता हूँ और विप्रो में जॉब करता हूँ। अभी मुझे जॉब शुरू किए हुए बस एक साल ही हुआ है। आज जो मैं आपको बताने जा रहा हूँ, वो एकदम सच्ची घटना है। मेरे घर में चार लोग हैं – मम्मी, पापा, मैं, और मेरी छोटी बहन रोशनी। पापा का अपना बिजनेस है, मम्मी घर पर रहती हैं। मेरा भाई बैंगलोर में जॉब करता है। रोशनी ने अभी 12वीं के एग्जाम दिए हैं और अब वो आगे की पढ़ाई कॉरेस्पॉन्डेंस से करना चाहती है। उसकी उम्र 18 साल है। असल में रोशनी मेरे चाचा की बेटी है। मेरे चाचा और चाची का देहांत काफी समय पहले हो गया था, तब से वो हमारे साथ रहती है। उस वक्त वो बहुत छोटी थी।
मैंने अभी-अभी कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया था और विप्रो में जॉब लग गई। इसके बाद मैं दिल्ली शिफ्ट हो गया और यहाँ किराए के फ्लैट में रहने लगा। दो महीने तक सब कुछ ठीक चला। फिर एक बार मैं घर वापस गया। पापा ने मुझसे रोशनी की पढ़ाई के बारे में बात की। मैंने कहा, “जैसा वो चाहे, वैसा करवा दो।” फिर मम्मी से गप्पे मारने लगा। मम्मी बोलीं, “बेटा, वहाँ रहकर कितना कमजोर हो गया है। टाइम से खाना नहीं मिलता क्या?” मैंने कहा, “माँ, ऑफिस जाने-आने में टाइम ही नहीं बचता। खाना तो बाहर से खा लेता हूँ।” मम्मी बोलीं, “ये कैसी जॉब है कि टाइम ही नहीं मिलता?” मैंने जवाब दिया, “माँ, शुरुआत में तो ऐसा ही होता है। अगर आगे बढ़ना है तो मेहनत करनी पड़ती है।” मम्मी ने कहा, “जैसी तेरी मर्जी, बेटा।”
रोशनी ने बीच में कहा, “भैया, अगली बार डीयू का फॉर्म लेते आना। मुझे कॉरेस्पॉन्डेंस कोर्स के लिए फॉर्म भरना है।” मैंने कहा, “ठीक है, ले आऊँगा। वैसे तू करना क्या चाहती है?” रोशनी बोली, “देखती हूँ भैया, जिसमें हो जाए, वही कर लूँगी।” मम्मी ने कहा, “अगर ऐसी ही बात है तो तू खुद दिल्ली चली जा। वहाँ फॉर्म भर ले, पढ़ाई कर ले, भाई के साथ रहकर। भाई को भी घर का खाना मिल जाएगा। अगर कोई कोर्स नहीं मिला तो वापस आ जाना।” रोशनी बोली, “हाँ माँ, ये ठीक है, लेकिन पापा नहीं मानेंगे।” मम्मी ने कहा, “उनको मैं समझा लूँगी।” मैंने कहा, “जैसा हो, बता देना। मैं बाहर दोस्तों से मिलने जा रहा हूँ।”
रात को डिनर के वक्त पापा ने पूछा, “राजीव, कोई प्रॉब्लम तो नहीं होगी अगर रोशनी तुम्हारे साथ वहाँ रहे?” मैंने कहा, “नहीं पापा, कोई प्रॉब्लम नहीं। ये ठीक है कि वो खुद जाकर कॉलेज का पता करे।” पापा बोले, “तो ठीक है, तुम इसे अगली बार अपने साथ ले जाना।” मैंने कहा, “ठीक है पापा, जैसा आप कहें। मुझे कुछ पैसे चाहिए होंगे, सामान लेना पड़ेगा।” पापा ने कहा, “कोई बात नहीं, पैसे ले जाना।”
अगली सुबह मैं और रोशनी दिल्ली के लिए निकल गए। शाम तक हम मेरे फ्लैट पर पहुँच गए। फ्लैट में एक रूम और एक हॉल था। रोशनी ने कहा, “भैया, फ्लैट तो अच्छा है, लेकिन मेरा बेड कहाँ है?” मैंने कहा, “आज तू मेरे बेड पर सो जा, मैं सोफे पर सो जाऊँगा।” रोशनी ने फ्रेश होकर डिनर बनाया। हमने खाना खाया और सोने चले गए।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
सुबह रोशनी ने मुझे उठाया और चाय दी। मैंने कहा, “मैं ऑफिस जाते वक्त तुझे डीयू पर छोड़ दूँगा। जब काम हो जाए तो ऑटो लेकर वापस आ जाना।” फिर मैं उसे डीयू छोड़कर ऑफिस चला गया। कई दिन ऐसे ही बीते। फिर रोशनी का कॉलेज में एडमिशन हो गया। हमने ये बात घर पर बता दी। रोशनी बहुत खुश थी। उसने नए-नए दोस्त भी बना लिए थे। मैंने घर का सारा सामान ले लिया था। अब हम दोनों के सोने के लिए डबल बेड और टीवी भी ले लिया था।
सॉरी, मैं रोशनी के बारे में बताना भूल गया। उसका फिगर 32-28-34 है। दूध-सी गोरी है और उसका चेहरा बहुत क्यूट है।
लगभग एक महीने बाद मेरा मन ड्रिंक करने का हुआ। मैंने रोशनी से कहा, “मैं ड्रिंक करता हूँ, ये बात घर पर मत बताना। मेरा मन है, क्या मैं कर सकता हूँ?” रोशनी बोली, “ठीक है भैया, इसमें इतना क्यों डर रहे हो? पापा भी तो करते हैं।” मैं बोतल ले आया और सोफे पर बैठकर टीवी देखते हुए पीने लगा। तभी रोशनी आकर पास वाले सोफे पर बैठ गई। रोशनी ने पूछा, “भैया, कब से पी रहे हो ये?” मैंने कहा, “दो साल से। लेकिन कम पीता हूँ।” रोशनी बोली, “एक बात पूछूँ, बुरा मत मानना।” मैंने कहा, “हाँ, पूछ।” वो बोली, “थोड़ी-सी मैं भी पी लूँ? ट्राई करना चाहती हूँ।” मैंने कहा, “नहीं, तू अभी छोटी है।” रोशनी बोली, “कहाँ भैया, अब तो कॉलेज में आ गई। अब कौन-सी छोटी हूँ? बाकी जैसी आपकी मर्जी।” मैंने कहा, “ठीक है, पी ले।” और मैंने उसका एक गिलास बना दिया।
जैसे ही उसने पिया, उसका मुँह बिगड़ गया। बोली, “ये कितना कड़वा है! तुम लोग इसे कैसे पीते हो?” मैंने कहा, “इसलिए तो सबके पीने की औकात नहीं होती। जा, सो जा। सुबह आराम से उठना, मेरी कल और परसों की छुट्टी है।” रोशनी बोली, “कोई बात नहीं, एक और दे दो।” मैंने पूछा, “पक्का?” वो बोली, “हाँ, दे दो।” मैंने उसका एक और पेग बना दिया। उसने करीब पाँच पेग मारे और झूमने लगी। मैंने पूछा, “सब ठीक है?” वो बोली, “भैया, सिर घूम रहा है, गर्मी लग रही है।” मैं भागकर किचन गया, नींबू लाकर उसे खिलाया। 10-15 मिनट बाद उसे थोड़ा बेहतर लगा। वो उठी, रूम में गई, पजामा उतारकर शॉर्ट्स पहनकर वापस आ गई। रोशनी बोली, “भैया, तुम ऐसे अकेले-अकेले पीते हो? कोई दोस्त नहीं है?” मैंने कहा, “दोस्त तो हैं, लेकिन सब अपने काम में बिजी रहते हैं।” रोशनी ने पूछा, “कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं है?” मैंने कहा, “नहीं, कोई मिली ही नहीं।” रोशनी हँसते हुए बोली, “कितने शरीफ हो! हाहाहा।”
मैं बैठा पेग पीता रहा, वो टीवी देखती रही। रात के करीब एक बजे थे। वो टीवी के चैनल बदल रही थी, तभी केबल वाले का एडल्ट चैनल लग गया, जिसमें वीकेंड्स पर पोर्न मूवीज चलती हैं। मैं तो देखता ही रह गया, और रोशनी भी आगे नहीं बढ़ी। शर्म के मारे मैं उसे कुछ बोल ही नहीं पा रहा था। मेरा लंड (9 इंच लंबा और 3 इंच मोटा) खड़ा हो गया। मैंने जैसे-तैसे उसके हाथ से रिमोट लिया और चैनल बदल दिया। वो चुप बैठी रही। मैं भी चुप था।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
रोशनी बोली, “भैया, एक पेग देना।” मैंने उसे बना के दे दिया। वो बोली, “भैया, वो क्या हो रहा था?” मैंने गुस्से में कहा, “तू पेग पी और सोने जा। बहुत रात हो गई।” वो जल्दी से पेग पीकर रूम में सोने चली गई। रूम की लाइट बंद हो गई। मैं टीवी देख रहा था। फिर मैंने टीवी म्यूट किया, वही चैनल लगाया और पजामा नीचे करके मुठ मारने लगा। करीब 10 मिनट हुए होंगे कि तभी रोशनी बोली, “भैया, ये क्या कर रहे हो?”
मैं सन्न रह गया। हॉल में अंधेरा था, लेकिन टीवी की लाइट से मेरा लंड साफ दिख रहा था। मैं रोशनी का चेहरा देख रहा था। वो आगे बढ़ी। मैं फिर से दंग रह गया। उसने सिर्फ टॉप पहना था, जो उसके आधे पेट तक आता था। नीचे वो पूरी नंगी थी। वो चलकर मेरे पास खड़ी हो गई। मैंने हिम्मत करके अपना हाथ उसकी चूत पर फेर दिया। वो सिहर उठी और मुझसे लिपट गई। मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी। वो सिसकियाँ लेने लगी, “आह्ह… भैया…”
मैंने उसे हल्का-सा उठाया, अपनी टाँगों पर बिठाया और उसकी कमर पकड़कर जोर से नीचे दबाया। मेरा लंड उसकी चूत में घुसने की कोशिश कर रहा था, लेकिन रुक गया। मैंने थोड़ा-सा थूक लिया, लंड पर लगाया और फिर जोर से धक्का मारा। एक ही बार में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया। उसकी चीख निकल गई, “आआह्ह… भैया… दर्द हो रहा है!” लेकिन मैं नशे में था, मैंने ध्यान नहीं दिया और जोर-जोर से उसे चोदने लगा। वो बस चीखती रही, “आह्ह… उह्ह… भैया, रुको…”
मैं नहीं रुका। करीब 20 मिनट तक गंदे तरीके से उसे चोदने के बाद मैं झड़ गया। मैं सोफे पर वैसे ही गिर गया, और वो मेरे ऊपर। मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में था। 10 मिनट बाद मुझे थोड़ा होश आया। मैंने उसके होंठ चूमने शुरू किए और उसके बूब्स दबाने लगा। वो अभी भी रो रही थी, “भैया… बहुत दर्द हुआ…”
मुझे अहसास हुआ कि मेरा लंड उसकी चूत में फिर से खड़ा हो गया है। पता नहीं मुझे क्या हो गया था। मैं उसे किस करते-करते फिर से चोदने लगा। उसके आँसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। पूरे कमरे में पचक-पचक की आवाज गूँज रही थी। मैं एक सेकंड के लिए भी नहीं रुका और पूरी जान से उसे चोदता रहा। 30 मिनट बाद मैं फिर से झड़ गया। इस बार मेरा लंड अपने आप बाहर निकल आया। मैंने रोशनी को एक तरफ किया और बाथरूम चला गया।
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
वहाँ जाकर देखा कि मेरे लंड पर मुठ और खून लगा हुआ था। मैंने उसे धोया और बाहर आकर हॉल की लाइट ऑन की। मैं दंग रह गया। पूरे सोफे पर खून और मुठ बिखरा हुआ था। रोशनी दर्द से कराह रही थी। मैंने उसे उठाया, बाथरूम में नहलाया और सोफा व फर्श साफ किया।
मैंने रोशनी को बेड पर लिटाया। वो अपनी चूत पर हाथ रखकर रो रही थी। मैं बाहर आया, नंगा ही बैठकर पेग मारने लगा। टीवी पर वही बीएफ चल रही थी। मैं सोच नहीं पा रहा था कि मैंने नशे में ये क्या कर दिया। फिर मैंने सोचा, जो हुआ सो हुआ। मैंने बोतल खत्म की, एक पेग बनाया और रूम में गया। रोशनी को कहा, “ये पी ले, आराम मिलेगा।”
वो दीवार से पीठ लगाकर बैठी थी। उसकी टाँगें खुली थीं और एक हाथ उसकी चूत पर था। उसने गिलास लिया। मैं बेड पर गया, उसका हाथ हटाया और उसकी चूत को धीरे-धीरे चाटने लगा। पहले उसे दर्द हुआ, फिर आराम मिलने लगा। वो पेग पीती रही और सिसकियाँ लेती रही, “आह्ह… उह्ह… भैया…”
थोड़ी देर बाद उसने बचा हुआ पेग एक झटके में पी लिया और अपने दोनों हाथों से मेरा सिर अपनी चूत में दबाने लगी। अब उसे भी मजा आने लगा था। मैं 15 मिनट तक चाटता रहा। वो झड़ गई और मैंने उसका सारा पानी पी लिया। फिर मैं उसके पास लेट गया और उसे लिपटकर सो गया।
रात के करीब 3 बजे मेरी आँख खुली। प्यास से गला सूख रहा था। मैं उठा, किचन में पानी पिया और वापस लेट गया। मैंने देखा, मेरा लंड फिर खड़ा था। दर्द कर रहा था, लेकिन बैठने का नाम नहीं ले रहा था। रोशनी गहरी नींद में थी। मैंने उसके बूब्स चूसे, फिर उसकी टाँगों की तरफ गया। उसकी दोनों टाँगें फैलाईं और उसकी चूत पर लंड रखकर एक ही झटके में घुसा दिया। मैं रुका नहीं। लगातार चोदता रहा, आँखें बंद करके। रोशनी की नींद पहले झटके में ही चीख के साथ खुल गई, “आआह्ह… भैया, नहीं… दर्द हो रहा है!”
आप यह Family Sex Stories - Incest Sex Story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
मैंने ध्यान नहीं दिया और चोदता रहा। वो चीखती रही, मुझे पीछे हटाने की कोशिश करती रही, लेकिन मैं नहीं रुका। करीब 40 मिनट तक चोदने के बाद मैंने लंड बाहर निकाला और उसके पेट पर मुठ निकाल दी। फिर उसके पास लेट गया। जैसे ही मैंने लंड निकाला, उसने दोनों हाथ अपनी चूत पर रख लिए, दर्द में कराहते हुए। वो रोती रही। मैंने उसे बाहों में लिया और कहा, “अब कुछ नहीं होगा, रोना बंद कर।”
जैसे-तैसे वो चुप हुई और मुझसे लिपटकर लेट गई। रोशनी बोली, “भैया, आपने ऐसा क्यों किया?” मैंने कहा, “मैंने नहीं, हम दोनों ने किया। और ये बात हमारे बीच ही रहनी चाहिए, चाहे कुछ भी हो जाए।” रोशनी बोली, “मुझे बहुत दर्द हो रहा है।” मैंने कहा, “पहली बार था, इसलिए हुआ। अब नहीं होगा।” रोशनी बोली, “मुझे छोड़ो, मुझे बाथरूम जाना है।”
मैंने देखा, वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी, लंगड़ा रही थी। वो बाथरूम में जाकर नहाने लगी…
क्या आपको लगता है कि राजीव और रोशनी का रिश्ता अब पहले जैसा रह पाएगा? अपनी राय कमेंट में बताएँ।