छोटे भाई से चुदवायी कुंवारी चूत – भाग 3

Bhai ke sath bathroom chudai – हाय दोस्तो, अब आगे की कहानी सुनिए।

कहानी का पिछला भाग: छोटे भाई से चुदवायी कुंवारी चूत – भाग 2

मैंने खाने की टेबल पर मम्मी की तरफ देखा और जानबूझकर धीरे से कहा, “मम्मी, वो आज सुबह जब मैं…” मैंने बात अधूरी छोड़ी और बबलू की तरफ देखा। वो डर के मारे काँप रहा था। उसने मम्मी से छुपकर मेरी तरफ हाथ जोड़कर सॉरी बोलना शुरू कर दिया। “दीदी, प्लीज, प्लीज दीदी,” वो धीरे से बुदबुदा रहा था।

तभी मम्मी गुस्से में बोलीं, “क्या बोलना है तुझे? जल्दी बोल ना!” मैंने शांत लहजे में कहा, “मम्मी, वो जब मैं आज सुबह नहा रही थी, तो नल से पानी बहुत धीरे-धीरे आ रहा था।” मम्मी ने राहत की साँस ली और बोलीं, “ठीक है, मैं तेरे अब्बा को बोलकर नल ठीक करवा दूँगी।”

मैंने चुपके से बबलू की तरफ देखा। वो डर से पसीने में तर-बतर था, लेकिन मेरी बात सुनकर उसे थोड़ा सुकून मिला। उसका चेहरा देखकर मुझे हँसी आ रही थी, पर मैंने खुद को कंट्रोल किया। खाना खत्म होने के बाद हम दोनों अपने कमरे की ओर जाने लगे। बबलू ने धीरे से कहा, “दीदी, थैंक्स। और प्लीज, मम्मी को कुछ मत बताना, वरना मेरी पिटाई हो जाएगी।”

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मैंने सख्ती से कहा, “आगे से मेरी कोई बात नहीं मानी, तो मैं मम्मी को सब बता दूँगी। समझा?” वो तुरंत बोला, “हाँ दीदी, मैं आपकी हर बात मानूँगा।” तभी मम्मी ने बबलू को आवाज दी, “बबलू, सुन! अभी तेरे अब्बा का फोन आया था। वो आज रात घर नहीं आएँगे। तू अपनी किताबें लेकर मेरे रूम में आ जा।”

बबलू ने जवाब दिया, “जी मम्मी, मैं अभी चेंज करके और किताबें लेकर आता हूँ।” वो अपने कमरे में चला गया। मैं भी उसके पीछे जाने लगी, तभी मम्मी ने मुझे पुकारा, “आलिया, जरा इधर तो आ!” मैंने कहा, “जी मम्मी, आती हूँ।” नीचे जाकर मम्मी ने कहा, “बेटा, ये बर्तन किचन में रख दे।” मैं बर्तन रखने लगी। इतने में बबलू आया और मम्मी उसे अपने कमरे में ले गईं।

मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था। मम्मी ने मेरा सारा प्लान खराब कर दिया। लेकिन मैं कर भी क्या सकती थी? मैंने बर्तन रखे और अपने कमरे में चली गई। गुस्से में मैंने सारा सामान इधर-उधर फेंकना शुरू कर दिया। पता नहीं मुझे क्या हो गया था। मैं ऐसा क्यों कर रही थी? थोड़ी देर बाद मैं शांत हुई और सोचने लगी कि बबलू तो बस आज रात के लिए मम्मी के पास सोने गया है। कल से वो मेरे साथ ही होगा।

मैंने खुद को तसल्ली दी और बबलू के बारे में सोचने लगी। उसका लंड मेरे दिमाग में बार-बार घूम रहा था। मैं उसे फिर से देखना चाहती थी, उसका लंड अपने मुँह में लेना चाहती थी। ये सोचकर मेरी चूत गीली होने लगी। मैं कुछ बहाना बनाकर मम्मी के कमरे में चली गई। वहाँ मम्मी बबलू को डाँट रही थीं, “तू अपना होमवर्क ठीक से क्यों नहीं करता?” मम्मी ने उसे एक थप्पड़ भी मारा। बबलू मुझे देखकर अपने आँसू पोंछने लगा।

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मम्मी ने मुझे देखा और गुस्से में कहा, “हाँ, तू यहाँ क्यों आई? अब तुझे क्या काम है?” मैं डर गई और कुछ बोल नहीं पाई। मैं अपने कमरे में लौट आई, कपड़े उतारे और अपनी चूत में उंगली करने लगी। मैं बबलू के लंड को इमैजिन कर रही थी। उंगली करते-करते मैं झड़ गई और उसी हालत में सो गई, मेरा हाथ मेरी चूत में ही था।

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सुबह जब आँख खुली तो 7 बज रहे थे। मैंने कपड़े पहने और सोचने लगी कि आज कैसे बबलू का लंड फिर से देखूँ। तभी मेरे दिमाग में एक प्लान आया। क्यों न मैं आज बबलू के साथ बाथरूम में नहा लूँ? मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और बाथरूम का दरवाजा खुला छोड़ दिया। मैं जानती थी कि बबलू सुबह उठते ही सीधा बाथरूम आता है। मैं तैयार थी।

जैसे ही दरवाजे की आवाज आई, मैं अलर्ट हो गई। बबलू बाथरूम की तरफ आ रहा था, लेकिन अचानक रुक गया। उसने आवाज लगाई, “दीदी, दीदी!” मैंने कोई जवाब नहीं दिया। उसने दरवाजा खटखटाया और बोला, “दीदी, क्या आप अंदर हो?” मैंने झट से दरवाजा खोला और उसे अंदर खींच लिया। वो डर गया और बोला, “सॉरी दीदी, मैं बाहर रुकता हूँ। आप पहले नहा लो।”

वो बाहर जाने लगा, लेकिन मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया और अपनी गोद में उठा लिया। मैंने कहा, “कहाँ जा रहा है तू?” वो बोला, “दीदी, आप पहले नहा लो, मैं बाद में नहा लूँगा।” मैंने हँसते हुए कहा, “चल, आज हम दोनों साथ में नहाते हैं।” वो घबरा गया, “नहीं दीदी!” मैंने सख्ती से कहा, “मैं आज मम्मी को सचमुच बता दूँगी कि तू रोज मुझे नहाते हुए देखता है।”

ये कहते हुए मैंने जोर से चिल्लाया, “मम्मी!” मेरे मुँह से मम्मी का नाम सुनते ही उसने फटाक से मेरा मुँह बंद किया और बोला, “दीदी, प्लीज मम्मी को मत बोलो। मैं आपके साथ नहा लूँगा।” मैंने उसके गाल पर एक चुम्मी दी और कहा, “चल, अब जल्दी से कपड़े उतार। आज हम दोनों साथ नहाएँगे।”

लेकिन उसका मन नहीं था। वो बिना कपड़े उतारे मेरे साथ नहाने लगा। उसका सिर नीचे झुका हुआ था। मैंने पूछा, “क्या मेरी चूत को देख रहा है?” वो बोला, “नहीं दीदी!” मैंने फिर कहा, “तो फिर क्या देख रहा है?” वो घबराते हुए बोला, “नहीं दीदी, कुछ नहीं। दरअसल, आपको इस हालत में देखकर मुझे बहुत डर लग रहा है।”

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मैंने हँसते हुए कहा, “क्यों? मैं इतनी बुरी लगती हूँ तुझे?” वो बोला, “नहीं दीदी, वैसा नहीं।” मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए। उसका लंड फिर से मेरे सामने था। मैंने पूछा, “तेरी नुन्नी का दर्द कैसा है अब?” उसने कहा, “अब कम हो गया है।” मैंने उसका लंड हाथ में लिया और धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगी। उसका लंड मुलायम और गर्म था।

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वो बोला, “दीदी, मुझे स्कूल जल्दी जाना है। मैं नहाकर जल्दी निकल जाऊँगा।” मैंने कहा, “ठीक है, आज मैं तुझे नहलाती हूँ।” मैंने उसके पूरे बदन पर साबुन लगाना शुरू किया। मेरा हाथ बार-बार उसके लंड पर जा रहा था। मैंने कहा, “दे, मैं तेरे चेहरे को भी अच्छे से साफ कर देती हूँ।” मैंने उसके चेहरे पर ढेर सारा साबुन लगा दिया और कहा, “अब अपनी आँखें मत खोलना।”

मैं उसके लंड को मुँह में लेने के लिए तड़प रही थी। मैंने जल्दी से उसके लंड को पानी से साफ किया और उसे अपने मुँह में ले लिया। मैं धीरे-धीरे उसे चूसने लगी, मेरी जीभ उसके लंड के टॉप पर गोल-गोल घूम रही थी। “आह्ह,” मेरे मुँह में उसका लंड और सख्त हो गया। अब वो पूरा खड़ा हो चुका था, करीब 6 इंच लंबा और 2 इंच मोटा। मैं उसे और तेजी से चूसने लगी।

बबलू बोला, “दीदी, मेरी नुन्नी पर कुछ गर्म-गर्म लग रहा है।” मैंने कुछ नहीं कहा और बोली, “चुप कर।” मैंने उसका लंड और गहराई से चूसा, मेरी जीभ उसके लंड के नीचे तक जा रही थी। वो धीरे-धीरे सिसकारियाँ लेने लगा, “आह्ह… दीदी…” मैंने उसका लंड मुँह से निकाला और फिर से चूसना शुरू किया।

तभी उसने कहा, “दीदी, प्लीज पानी डालो, मेरी आँखों में साबुन जा रहा है।” मैंने उस पर पानी डाला और उसे अच्छे से साफ किया। फिर मैंने उसके बदन को तौलिये से पोंछा। मैं उसे अपने कमरे में ले आई। मैं अभी भी पूरी नंगी थी, लेकिन वो मुझे देख ही नहीं रहा था। उसने सिर नीचे कर रखा था।

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मैंने पूछा, “तुझे क्या हुआ? तू मुझे क्यों नहीं देख रहा?” वो बोला, “दीदी, मुझे अच्छा नहीं लगता कि मैं आपको ऐसे देखूँ।” मैंने जानबूझकर कहा, “अरे बबलू, देख ना, पीछे मुझे कुछ काट रहा है।” उसने बिना देखे कहा, “दीदी, कुछ भी नहीं है।” मैंने कहा, “अरे, फिर हाथ फेर दे, अगर कुछ होगा तो निकल जाएगा।”

वो बोला, “कहाँ पर दीदी?” मैंने कहा, “कमर के नीचे।” वो धीरे-धीरे मेरी कमर पर हाथ फेरने लगा। मैंने फिर कहा, “बबलू, थोड़ा और नीचे।” वो और नीचे हाथ ले गया। मैंने फिर कहा, “थोड़ा और नीचे, मेरी गांड के बीच में।” ये सुनते ही वो डर गया और उसने हाथ रोक लिया।

मैंने गुस्से में कहा, “जल्दी हाथ फेर ना, मुझे वहाँ कुछ काट रहा है।” उसने मेरी गांड पर हाथ फेरा। मैंने कहा, “बबलू, और थोड़ा फेर दे।” वो धीरे-धीरे मेरी गांड पर हाथ फेरने लगा। मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपनी गांड के छेद पर रगड़ने लगी। मेरे पूरे बदन में करंट दौड़ गया। पहली बार किसी का हाथ मेरी गांड पर था। मैं सिसकारियाँ लेने लगी, “आह्ह… बबलू…”

वो बोला, “दीदी, बस, अब मैं लेट हो रहा हूँ।” मैंने स्माइल करते हुए कहा, “अब अच्छा लग रहा है।” वो अपना बैग लेकर स्कूल चला गया। मैंने अपनी चूत को देखा, वो पूरी गीली थी। मैंने उसे साफ किया, कपड़े पहने और नीचे चली गई। तब तक बबलू जा चुका था और मम्मी मार्केट से लौट आई थीं। मैंने उनका सामान लिया और खाना बनाने की तैयारी शुरू की।

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मम्मी ने मार्केट से मोटे-मोटे गाजर लाए थे, जो बबलू के लंड जैसे दिख रहे थे। मैंने दो गाजर मम्मी की नजरों से बचाकर अपने कमरे में रख लिए। खाना बनाने के बाद मैंने मम्मी से कहा, “मम्मी, मेरा सिर दर्द कर रहा है। मैं थोड़ी देर सोने जा रही हूँ।” मम्मी बोलीं, “ठीक है।”

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मैं अपने कमरे में गई, सारे कपड़े उतारे और पोर्न मूवी देखने लगी। उसमें एक लड़की अपनी चूत और गांड में डिल्डो डाल रही थी। मैंने भी एक गाजर लिया, उस पर थोड़ा तेल लगाया और अपनी चूत में धीरे-धीरे डालना शुरू किया। गाजर 8 इंच लंबा और 2 इंच मोटा था। पहले तो थोड़ा दर्द हुआ, लेकिन मैंने उसे बाहर नहीं निकाला।

मैं धीरे-धीरे गाजर को अंदर-बाहर करने लगी। अब वो आराम से मेरी चूत में जा रहा था। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह्ह… उह्ह…” मेरा पानी निकल गया। फिर मैंने गाजर पर और तेल लगाया और अपनी गांड पर भी तेल लगाया। मैंने गाजर को धीरे-धीरे अपनी गांड में डालना शुरू किया। तेल की वजह से वो आसानी से अंदर-बाहर होने लगा।

मैंने और जोर लगाया, गाजर आधा और अंदर चला गया। मुझे दर्द होने लगा, लेकिन साथ ही एक अजीब-सा मजा भी आ रहा था। मेरे मुँह से “आह्ह… ओह्ह…” की आवाजें निकल रही थीं। मैं गाजर को और तेजी से अंदर-बाहर करने लगी। तभी मम्मी ने मुझे आवाज दी। मैं हड़बड़ा गई और जल्दी-जल्दी कपड़े पहनने लगी। जल्दबाजी में मैं ब्रा पहनना भूल गई।

मैं नीचे आई तो मम्मी बोलीं, “चल, खाना खाते हैं।” हम खाने बैठे। मम्मी की नजर मेरे निप्पल्स पर थी, जो मेरी टाइट टी-शर्ट में साफ दिख रहे थे। मैं शरमा गई, लेकिन कुछ बोली नहीं।

दोस्तो, आगे क्या हुआ और कैसे हुआ? ये सब जानने के लिए मेरी इस कहानी के अगले भाग का इंतजार करें। प्लीज, अपने कमेंट्स में बताएँ कि आपको ये कहानी कैसी लगी।

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