खेल खेल में चुदाई, भाई ने बहन को चोदा

Bhai Behen nonveg chudai story ये कहानी आज से एक महीना पहले की है। मम्मी-पापा घर पर नहीं थे। मेरे भाई ने मुझे चोद दिया और मैं भी खुशी-खुशी चुद गई। आज मैं आपको अपनी सच्ची कहानी सुनाने जा रही हूँ।

मेरा नाम रूचि है, रूचि अग्रवाल। मैं 19 साल की हूँ, दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ती हूँ। मेरा फिगर 34-28-36 है, गोरी हूँ और लंबे काले बाल मेरी कमर तक आते हैं। लोग कहते हैं मेरी आँखें बहुत बोलती हैं, और मेरी मुस्कान किसी का भी दिल जीत लेती है। मेरा भाई योगेश 22 साल का है, लंबा-चौड़ा, गठीला बदन, और चेहरे पर हमेशा एक शरारती मुस्कान। वो जिम जाता है, तो उसका शरीर कसा हुआ है, और उसकी पर्सनालिटी ऐसी है कि कोई भी लड़की उस पर फिदा हो जाए। हम दोनों बचपन से साथ खेलते-कूदते आए हैं। बाहरवाले हमें भाई-बहन कम, दोस्त ज्यादा समझते हैं। हमारी बॉन्डिंग इतनी खुली और मजबूत है कि हम एक-दूसरे से कुछ नहीं छुपाते। हर छोटी-बड़ी बात शेयर करते हैं, चाहे वो दिल की बात हो या कोई परेशानी।

मैं सेक्स स्टोरीज पढ़ने की शौकीन हूँ। अपने मोबाइल पर रोज रात को बिस्तर पर लेटकर नॉनवेज स्टोरीज पढ़ती हूँ। इन्सेस्ट स्टोरीज मुझे सबसे ज्यादा पसंद हैं। ऐसी कहानियाँ पढ़ते वक्त शरीर में गर्मी सी दौड़ जाती है, और ठंडी रातों में भी चूत गीली हो जाती है। मैं अक्सर सोचती थी कि ऐसी चुदाई का मजा असल जिंदगी में कैसा होगा। आज मैं अपनी कहानी आपको बता रही हूँ, जो मेरे और मेरे भाई के बीच घटी। अगर हिंदी में कोई गलती हो जाए, तो माफ करना।

एक दिन की बात है, मम्मी-पापा किसी रिश्तेदार की शादी में गए थे। घर पर सिर्फ मैं और योगेश थे। दोपहर का वक्त था, धूप हल्की-हल्की कमरे में आ रही थी। मैंने हल्की सी पिंक टी-शर्ट और ब्लैक स्कर्ट पहनी थी। योगेश नीले ट्रैकसूट और व्हाइट टी-शर्ट में था। हम दोनों लिविंग रूम में बैठे बोर हो रहे थे। फिर अचानक मस्ती सूझी। मैंने योगेश के पेट में गुदगुदी की, वो हँसते हुए उछल पड़ा और बोला, “रुचि, ये क्या कर रही है!” उसने भी जवाब में मेरे पेट में गुदगुदी कर दी। मैं हँसते-हँसते लोटपोट हो गई। फिर मैंने उसके गाल पकड़कर खींच लिए, और उसने भी मेरे गाल खींच दिए। ये मस्ती बढ़ती गई।

हम दोनों घर में इधर-उधर भागने लगे, एक-दूसरे को चिढ़ाते हुए, गुदगुदी करते हुए। हँसी-मजाक में पूरा घर गूँज रहा था। मैं भागते-भागते सोफे के पास रुकी और उसका कॉलर पकड़ने की कोशिश की, लेकिन गलती से मेरा हाथ उसके लंड पर चला गया। मैं एकदम से रुक गई। उसका ट्रैकसूट पतला था, और मुझे उसके लंड का आकार साफ महसूस हुआ। वो कड़क और गर्म था। मैंने झट से हाथ हटा लिया और हँसते हुए बोली, “अरे, सॉरी भाई, गलती से लग गया!”

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योगेश ने शरारती अंदाज में मेरी तरफ देखा और कहा, “अच्छा, गलती से? अब तो मैं भी नहीं छोड़ूँगा!” वो मेरे पीछे दौड़ा। मैं चिल्लाते हुए किचन की तरफ भागी और दरवाजा बंद करने की कोशिश की, लेकिन उसने धक्का मारकर दरवाजा खोल दिया। मैंने हँसते हुए कहा, “भाई, प्लीज, गलती हो गई! छोड़ दो ना!” लेकिन वो कहाँ मानने वाला था। उसने मजाक में कहा, “सब समझ रहा हूँ मैं, गलती से छुआ, है ना?” और वो मेरे पास आ गया।

अचानक उसने मेरी चूचियों को छू लिया। मैं झटके से बैठ गई, अपने घुटनों से चूचियों को ढक लिया और ऊपर से हाथ रख लिए। लेकिन योगेश ने पीछे से मेरी चूचियों को पकड़ लिया और हल्के से दबाने लगा। उसकी उंगलियाँ मेरी टी-शर्ट के ऊपर से मेरी निप्पल्स को छू रही थीं। वो बोला, “देख, तूने मेरा लंड छुआ, मैंने तेरी चूचियाँ छू लीं। बात खत्म!” लेकिन उसका लंड मेरी पीठ से टकरा रहा था। मोटा, कड़क, और गर्म। मेरे शरीर में सिहरन सी दौड़ गई। मेरी चूत में हल्की सी गीलापन महसूस हुआ।

मैंने हँसते हुए उससे छूटने की कोशिश की और भागकर बेडरूम में चली गई। वो भी मेरे पीछे आ गया। मैंने मजाक में फिर से उसका लंड पकड़ लिया, इस बार जानबूझकर। जैसे ही मैंने पकड़ा, वो और बड़ा होने लगा। योगेश चुपचाप खड़ा रहा, लेकिन उसका लंड मेरे हाथ में फूलता जा रहा था। मैंने उसकी आँखों में देखा, उसकी साँसें तेज थीं। मेरे शरीर में गर्मी बढ़ रही थी। मैंने धीरे से कहा, “भाई, क्या मैं इसे अंदर से पकड़ लूँ?” वो कुछ नहीं बोला, बस मुझे देखता रहा।

मैंने उसके ट्रैकसूट में हाथ डाला और उसके लंड को पकड़ लिया। गर्म, मोटा, और 7 इंच का कड़क लंड मेरे हाथ में था। उसने भी मेरी टी-शर्ट में हाथ डाला और मेरी चूचियों को पकड़ लिया। उसकी उंगलियाँ मेरी निप्पल्स को सहला रही थीं। फिर उसने मेरी टी-शर्ट उतार दी। मैं सिर्फ काली ब्रा और स्कर्ट में थी। उसने मेरी ब्रा का हुक खोलने की कोशिश की, लेकिन हुक नहीं खुला। मैंने हँसते हुए कहा, “रुक, मैं खोल देती हूँ।” मैंने ब्रा उतारी और अपनी 34 साइज की चूचियाँ उसके सामने खोल दीं। मेरी निप्पल्स गुलाबी और कड़क थीं।

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योगेश मेरी चूचियों पर टूट पड़ा। उसने मेरी एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा। “आह्ह…” मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गई। उसकी जीभ मेरी निप्पल्स को चाट रही थी, और दूसरी चूची को वो जोर-जोर से दबा रहा था। मैंने मजाक में कहा, “भाई, कुछ तो निकाल ना!” वो हँसा और बोला, “यहाँ से तो कुछ नहीं निकल रहा, लेकिन नीचे जरूर कुछ गीला हो रहा है!” उसकी बात सुनकर मेरी चूत और गीली हो गई।

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उसने मेरी स्कर्ट खींचकर उतार दी। अब मैं सिर्फ काली पैंटी में थी। उसने पैंटी भी उतार दी और मेरी चिकनी चूत को देखने लगा। मैं बेड पर लेट गई, ताकि उसे आराम से देखने को मिले। उसने मेरी जाँघों को फैलाया और अपनी जीभ मेरी चूत पर रख दी। “उम्म्म… आह्ह…” मैं सिसकार उठी। उसकी गर्म जीभ मेरी चूत के दाने को चाट रही थी। मैंने उसके बाल पकड़े और अपनी चूत में और जोर से सटा लिया। मेरी साँसें तेज हो गई थीं। मैंने कहा, “भाई, मुझे तड़पाओ मत… मैं भी तेरा लंड चूसना चाहती हूँ!”

वो तुरंत 69 की पोजीशन में आ गया। उसका मोटा लंड मेरे मुँह के सामने था। मैंने उसे मुँह में लिया और चूसने लगी। “स्स्स… रुचि… आह्ह…” वो सिसकार रहा था। उसकी जीभ मेरी चूत को चाट रही थी, और मैं उसके लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। उसका लंड मेरे मुँह में और कड़क हो गया। मेरी चूत बार-बार पानी छोड़ रही थी, और वो उसका नमकीन स्वाद चाट-चाटकर मजे ले रहा था। “उम्म्म… भाई… और चाट… आह्ह…” मैं सिसकार रही थी।

करीब 10 मिनट तक हम 69 में एक-दूसरे को चूसते रहे। फिर वो उठा और मेरे होंठों को चूमने लगा। उसकी जीभ मेरी जीभ से लिपट रही थी। उसने मेरी चूचियों को फिर से दबाना शुरू किया। मैंने अपने पैर और फैला दिए और बोली, “भाई, अब डाल दे… मेरी चूत में तेरा लंड चाहिए!” उसने अपना लंड मेरी चूत पर रखा और एक झटका मारा, लेकिन चूत इतनी गीली थी कि लंड फिसल गया। मैंने हँसते हुए कहा, “अरे भाई, ठीक से कर ना!” मैंने उसका लंड पकड़ा और अपनी चूत के छोटे से छेद पर सेट किया। “धीरे डालना…” मैंने कहा।

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लेकिन योगेश तो बहनचोद उतावला हो चुका था। उसने एक जोरदार झटका मारा और उसका पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया। “आआह्ह… भाई… उफ्फ…” मैं चीख पड़ी। दर्द से मेरी आँखों में आँसू आ गए। चूत से खून निकलने लगा। मैंने कहा, “ये क्या कर दिया?” वो बोला, “रुचि, टेंशन मत ले… मैंने स्टोरीज में पढ़ा है, पहली बार में खून निकलता है।” मैं चुप हो गई।

वो धीरे-धीरे मुझे चोदने लगा। शुरू में दर्द हुआ, लेकिन धीरे-धीरे एक अजीब सा मजा आने लगा। उसका मोटा लंड मेरी चूत को रगड़ रहा था। “आह्ह… भाई… और जोर से… उफ्फ…” मैं सिसकार रही थी। वो मेरी चूचियों को मुँह में ले रहा था, जैसे कोई बच्चा दूध पीता है। मैं बार-बार अपनी चूचियाँ उसके मुँह में दे रही थी। उसका लंड मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था। “पच… पच… पच…” चुदाई की आवाज कमरे में गूँज रही थी। मैंने कहा, “भाई, और तेज… मेरी चूत को फाड़ दे!”

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वो और जोर-जोर से झटके मारने लगा। “रुचि… तेरी चूत कितनी टाइट है… आह्ह…” वो सिसकार रहा था। मैंने अपने पैर उसकी कमर पर लपेट लिए और उसे और गहराई तक खींच लिया। करीब 30 मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ गया। उसका गर्म माल मेरी चूत में भर गया। मैं पहले ही दो बार झड़ चुकी थी। मेरी चूत गीली और चिपचिपी हो चुकी थी।

रात भर वो मुझे हर आधे घंटे में चोदता रहा। कभी मिशनरी में, कभी डॉगी स्टाइल में। मैं भी मजे ले-लेकर चुदती रही। “आह्ह… भाई… और चोद… मेरी चूत तेरी है…” मैं बार-बार कह रही थी। उस रात के बाद से हमारा रिश्ता बदल गया। अब जब भी मम्मी-पापा घर पर नहीं होते, योगेश मुझे चोदने लगता है। और जब मेरा मन करता है, मैं उसे उकसाती हूँ। वो तुरंत तैयार हो जाता है। मैं मानो उसकी रखैल बन गई हूँ।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसी मस्ती की है? कमेंट में जरूर बताएँ।

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