गरीब लड़की की पहलवान से चुदाई

Pahlawan se chudai हेलो दोस्तों, ये कहानी एक गरीब लड़की पुष्पा की है। पुष्पा एक साधारण सी लड़की थी, जिसका परिवार बेहद तंगहाली में जी रहा था। उसके माँ-बाप दिन-रात मेहनत-मजदूरी करके घर चलाते थे। पुष्पा की दो बड़ी बहनें थीं—नंदा और ममता। दोनों बहनें दिखने में बेहद खूबसूरत और स्मार्ट थीं। नंदा की लंबी कद-काठी, गोरा रंग और चमकीली आँखें थीं, जो हर किसी का ध्यान खींच लेती थीं। ममता थोड़ी गोल-मटोल थी, लेकिन उसकी मुस्कान और चुलबुला अंदाज़ लड़कों को दीवाना बना देता था। दूसरी तरफ, पुष्पा सबसे छोटी थी और दिखने में उतनी आकर्षक नहीं थी। उसका कद छोटा था, शरीर दुबला-पतला, और चेहरा साधारण। गली के लड़के उसकी तरफ ध्यान ही नहीं देते थे, जिसके चलते पुष्पा अक्सर मन ही मन उदास रहती थी।

25 साल की होने के बावजूद पुष्पा 20 साल की किशोरी सी लगती थी। उसकी दोनों बहनें अपनी खूबसूरती और चुलबुलेपन के कारण गली के लड़कों की नजरों में रहती थीं। पुष्पा को लगता था कि वो उनके सामने कहीं नहीं ठहरती। वो अक्सर अपनी किस्मत को कोसती और सोचती कि काश वो भी अपनी बहनों की तरह सुंदर होती। लेकिन उसका दिल साफ था, और वो अपनी पढ़ाई और घर के कामों में लगी रहती थी।

पुष्पा के पड़ोस में एक पहलवान रहता था, जिसका नाम था बलदेव। बलदेव एक हट्टा-कट्टा, छह फुट लंबा मर्द था, जिसका शरीर पत्थर की तरह सख्त और मांसपेशियां उभरी हुई थीं। उसका अखाड़ा मोहल्ले के पास ही था, जहां वो दिन-रात कसरत करता और अपनी ताकत का प्रदर्शन करता था। गली की कई लड़कियां उस पर फिदा थीं, और पुष्पा की दोनों बहनें, नंदा और ममता, भी उसकी दीवानी थीं। पुष्पा को शक था कि उसकी बहनें रात के अंधेरे में बलदेव के साथ वक्त बिताती थीं। एक रात, करीब 12 बजे, पुष्पा की नींद खुल गई। उसे पेशाब करने के लिए बाहर जाना था। उसने देखा कि घर में नंदा और ममता दोनों गायब थीं। उसने इधर-उधर नजर दौड़ाई, लेकिन वो कहीं नहीं दिखीं।

पुष्पा का शक गहरा गया। उसे लगा कि दोनों बहनें जरूर बलदेव के पास गई होंगी। वो धीरे-धीरे अखाड़े की तरफ बढ़ी। जैसे ही वो पास पहुंची, उसे तेज-तेज आवाजें सुनाई दीं। पहले ममता की चीख सुनाई दी, “आआआह… उउउउह… बलदेव, और जोर से!” फिर नंदा की आवाज आई, “ओह्ह… हाय… कितना मोटा लंड है तेरा, बलदेव! और तेज कर, चोद मुझे!” पुष्पा के कदम ठिठक गए। उसने अंधेरे में छिपकर देखने की कोशिश की, लेकिन कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। सिर्फ आवाजें थीं—हंसी, सिसकियां, और चुदाई की थप-थप की आवाजें। नंदा ने धीरे से कहा, “अरे, धीरे बोलो, कहीं पुष्पा जाग गई तो?” बलदेव हंसा और बोला, “अरे, जागने दे! उसे भी बुला लेंगे। एक दिन तो उसकी भी चूत मारनी है ना!”

ये सुनकर पुष्पा का शरीर गर्म हो गया। उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। आज तक किसी ने उसके बारे में ऐसी बात नहीं की थी। वो चुपचाप घर लौट आई और अपने बिस्तर पर लेट गई, लेकिन नींद कोसों दूर थी। उसका दिमाग बार-बार बलदेव की बातों पर अटक रहा था। “कैसा होगा उसका लंड? कितना बड़ा होगा? मेरी बहनें इसे कैसे लेती होंगी?” पुष्पा ने पहले कभी किसी मर्द को इस तरह नहीं सोचा था। उसने लड़कों को पेशाब करते देखा था, लेकिन किसी का लंड छूना तो दूर, इतने करीब से कभी नहीं सोचा था।

उसका मन बेचैन था। उसने धीरे से अपनी सलवार का नाड़ा खोला और अपना हाथ अपनी चूत की तरफ ले गई। जैसे ही उसने छुआ, उसे एहसास हुआ कि उसकी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी। इतना पानी पहले कभी नहीं निकला था। उसकी उंगलियां धीरे-धीरे उसकी चूत के होंठों पर फिसलने लगीं। उसने अपनी उंगली अंदर डाली और धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगी। “आह…” उसकी सांसें तेज हो गईं। उसे अजीब सा मजा आ रहा था। वो बार-बार बलदेव के लंड के बारे में सोच रही थी। उंगली तेज करने से उसका शरीर अकड़ गया, और एक जोरदार झटके के साथ उसका पानी निकल गया। वो हांफते हुए लेट गई। थोड़ी देर बाद नंदा और ममता चुपके से घर लौटीं और सो गईं। पुष्पा भी थकान से सो गई।

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अगली सुबह जब पुष्पा नहाने गई, तो उसने फिर से अपनी चूत में उंगली डाली। गर्म पानी की फुहारों के बीच उसने बलदेव को याद किया और एक बार फिर पानी निकाल लिया। वो नहीं चाहती थी कि उसकी बहनों को इस बात का पता चले। वो कॉलेज चली गई, लेकिन उसका मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था। हर पल उसे बलदेव का चेहरा, उसकी मांसपेशियां, और उसकी वो बातें याद आ रही थीं। पुष्पा का डर अब खत्म हो चुका था। उसे लग रहा था कि कोई तो है जो उसे चाहता है।

एक दिन रास्ते में कॉलेज से लौटते वक्त बलदेव से उसकी मुलाकात हो गई। बलदेव ने मुस्कुराते हुए पूछा, “कैसी हो, पुष्पा? पढ़ाई कैसी चल रही है?” पुष्पा की धड़कनें तेज हो गईं। उसने शर्माते हुए कहा, “ठीक है…” बलदेव ने हल्का सा मुस्कुराया और चला गया। पुष्पा का दिल बलदेव के लिए धड़कने लगा था। उसे अब प्यार का एहसास हो रहा था।

कई दिन तक यही सिलसिला चला। पुष्पा रात को चुपके से अपनी बहनों की चुदाई की आवाजें सुनती। “आह… उह… बलदेव, और जोर से!” उनकी सिसकियां और थप-थप की आवाजें उसे पागल कर देती थीं। वो हर रात अपनी उंगलियों से अपनी चूत को शांत करती और बलदेव को सोचकर मुठ मारती।

कुछ दिनों बाद पुष्पा के मामा की शादी थी। पूरा परिवार आठ दिनों के लिए गांव जाने वाला था, लेकिन पुष्पा की परीक्षाएं चल रही थीं, इसलिए वो नहीं जा सकी। उसकी देखभाल के लिए उसकी दादी रुक गईं। दादी की उम्र ज्यादा थी, और वो रात में थोड़ी सी आहट पर भी जाग जाती थीं। पुष्पा अपनी पढ़ाई में ध्यान देना चाहती थी, लेकिन उसका मन बार-बार बलदेव की तरफ भाग रहा था। एक रात, 12 बजे, जब वो पढ़ रही थी, उसका मन बेचैन हो गया। वो उठकर अखाड़े की तरफ जाने लगी, लेकिन दादी जाग गईं और उसे सोने को कह दिया।

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अगले दिन पुष्पा परीक्षा देकर लौट रही थी, तभी बलदेव से उसकी मुलाकात हुई। बलदेव ने पूछा, “पेपर कैसा हुआ?” पुष्पा ने कहा, “ठीक था।” बलदेव ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “कल कौन सा पेपर है?” पुष्पा ने जवाब दिया, “अकाउंट्स का।” बलदेव ने कहा, “मेरे अखाड़े में किसी लड़के ने अकाउंट्स के फाइनल ईयर के नोट्स छोड़ दिए हैं। अगर तुम्हें चाहिए, तो रात को आकर ले जाना।” पुष्पा ने सिर्फ “ठीक है” कहा और घर चली गई।

जैसे-जैसे रात गहराने लगी, पुष्पा की बेचैनी बढ़ती गई। उसे बलदेव की बातें याद आ रही थीं। उसे दादी का भी डर था, जो किसी भी छोटी सी आवाज पर जाग जाती थीं। अचानक उसकी नजर दादी की दवाइयों पर पड़ी, जिनमें नींद की गोलियां थीं। पुष्पा ने मौका देखकर दादी के पानी में दो नींद की गोलियां मिला दीं। दादी गहरी नींद में सो गईं। रात के 12:30 बज चुके थे। पुष्पा का मन अब बलदेव के ख्यालों में डूबा हुआ था। उसे नोट्स की बात याद आई, लेकिन वो जानती थी कि बलदेव ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं है। फिर भी, उसका दिल उसे अखाड़े की तरफ खींच रहा था।

मोहल्ला सन्नाटे में डूबा था। सभी सो चुके थे। पुष्पा ने धीरे से घर का दरवाजा खोला और अखाड़े की तरफ बढ़ गई। बलदेव का अखाड़ा पास ही था। वो दरवाजे के पास पहुंची, लेकिन उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। उसने सोचा कि बलदेव शायद सो रहा होगा। फिर भी, उसने हिम्मत जुटाकर कुंडी खटखटाई।

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बलदेव एक मंझा हुआ मर्द था। उसने कई लड़कियों के साथ रातें बिताई थीं। कुंडी की आवाज सुनते ही वो समझ गया कि कोई खास मेहमान आया है। उसने दरवाजा खोला और पुष्पा को बाहर खड़ा देखा। उसकी आँखों में चमक थी। “आ गई पुष्पा?” उसने मुस्कुराते हुए कहा। पुष्पा ने शर्म से गर्दन हिलाकर हाँ कहा। “नोट्स चाहिए ना? आ, मेरे साथ,” कहकर बलदेव ने दरवाजा बंद किया और पुष्पा का हाथ पकड़कर उसे अंदर ले गया।

अखाड़े में चारों तरफ कसरत का सामान बिखरा था। रोशनी इतनी कम थी कि पुष्पा को चलने में दिक्कत हो रही थी। बलदेव ने हल्के से कहा, “पुष्पा, क्या मैं तुझे गोद में उठा लूं? तुझे चलने में तकलीफ हो रही है।” पुष्पा चुप रही, लेकिन उसकी चुप्पी ने बलदेव को इशारा दे दिया। उसने पुष्पा को अपनी मजबूत बाहों में उठा लिया। पुष्पा ने शर्म से अपनी आँखें बंद कर लीं। उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। बलदेव उसे अखाड़े के पीछे वाले एक छोटे से कमरे में ले गया, जहां एक बिस्तर बिछा था। कमरे में बमुश्किल रोशनी थी।

पुष्पा ने कांपती आवाज में पूछा, “ये… ये तुम मुझे कहाँ ले आए?” बलदेव ने हल्के से हंसते हुए कहा, “यहीं तो नोट्स हैं। जरा ढूंढना पड़ेगा।” दोनों ढूंढने का नाटक करने लगे। अंधेरे का फायदा उठाकर बलदेव ने अपने सारे कपड़े उतार दिए। पुष्पा कुछ समझ पाती, उससे पहले वो बलदेव से टकरा गई। जैसे ही वो टकराई, बलदेव ने उसका हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया। पुष्पा का दिल जैसे रुक गया। पहली बार उसने किसी मर्द के लंड को छुआ था। वो गर्म, सख्त और बहुत बड़ा था। उसे एहसास हुआ कि बलदेव पूरी तरह नंगा है।

बलदेव ने धीरे से पुष्पा की सलवार का नाड़ा खोला। पुष्पा चुप रही, उसका शरीर कांप रहा था। बलदेव ने उसका टॉप भी उतार दिया। अब पुष्पा सिर्फ अपनी ब्रा और पैंटी में थी। बलदेव ने उसे फिर से गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया। उसने पुष्पा की पैंटी को धीरे से नीचे खींचा। पुष्पा की चूत पूरी तरह गीली थी। बलदेव ने हंसते हुए कहा, “अरे, तो तू पहले से ही तैयार है, पुष्पा!” पुष्पा शर्म से कुछ नहीं बोली। उसका छोटा कद और नाजुक शरीर बलदेव के सामने और भी नन्हा लग रहा था।

बलदेव ने पुष्पा की ब्रा भी उतार दी। उसकी छोटी-छोटी चूचियां अब खुली थीं। बलदेव ने धीरे से उसकी चूचियों को अपने बड़े-बड़े हाथों में लिया और मसलने लगा। “आह…” पुष्पा की सिसकी निकल गई। बलदेव ने उसके निप्पल को अपनी उंगलियों से हल्के से दबाया, फिर उन्हें चूसने लगा। पुष्पा का शरीर सिहर उठा। “उह… बलदेव…” वो धीरे से सिसक रही थी। बलदेव ने उसकी चूत पर अपनी उंगलियां फिराईं। “कितनी गीली है तेरी चूत, पुष्पा,” उसने कहा। उसने अपनी एक उंगली धीरे से पुष्पा की चूत में डाली। “आआह…” पुष्पा की सांसें तेज हो गईं। बलदेव ने उंगली को आगे-पीछे किया, और पुष्पा की सिसकियां तेज हो गईं। “उह… आह… बलदेव, ये क्या कर रहे हो?”

बलदेव ने हल्के से हंसते हुए कहा, “अरे, बस तुझे मजा दे रहा हूँ। अभी तो असली मजा बाकी है।” उसने पुष्पा के दोनों पैर फैलाए और अपनी जीभ उसकी चूत पर रख दी। पुष्पा का शरीर झटके से अकड़ गया। “आआआह… हाय… ये क्या… उह…” उसकी सिसकियां कमरे में गूंज रही थीं। बलदेव ने उसकी चूत को चाटना शुरू किया, उसकी जीभ पुष्पा की चूत के होंठों पर फिसल रही थी। “उम्म… कितनी टाइट है तेरी चूत,” बलदेव ने कहा। पुष्पा की सांसें अब और तेज हो गई थीं। उसका शरीर पसीने से चमक रहा था।

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करीब दस मिनट तक बलदेव ने उसकी चूत को चाटा, और पुष्पा बार-बार सिसक रही थी। “आह… उह… बलदेव… बस करो… मैं… मैं झड़ जाऊंगी…” लेकिन बलदेव रुका नहीं। उसने अपनी जीभ को और तेज किया, और पुष्पा का शरीर अकड़ गया। “आआआह… उउउउह…” उसका पानी निकल गया। बलदेव ने मुस्कुराते हुए कहा, “अब तैयार हो जा, मेरी जान। असली खेल शुरू होने वाला है।”

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बलदेव का लंड अब पूरी तरह टाइट था। उसका लंड करीब 8 इंच लंबा और मोटा था, जो पुष्पा के लिए किसी हथियार से कम नहीं था। उसने पुष्पा के हाथ में अपना लंड थमाया। पुष्पा ने डरते हुए उसे पकड़ा। “ये… ये तो बहुत बड़ा है,” उसने कांपती आवाज में कहा। बलदेव ने हंसते हुए कहा, “अरे, डर मत। तेरी चूत इतनी गीली है, आसानी से ले लेगी।” उसने पुष्पा के दोनों पैर ऊपर उठाए और अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रखा। पुष्पा की सांसें थम गईं। बलदेव ने एक हाथ उसके मुँह पर रखा और धीरे से अपने लंड को उसकी चूत में धकेल दिया।

“आआआह… मर गई मैं… निकालो… बलदेव, मैं मर जाऊंगी…” पुष्पा की चीख निकल गई। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि बलदेव का लंड मुश्किल से अंदर जा रहा था। बलदेव ने धीरे-धीरे धक्के देना शुरू किया। “थप… थप…” चुदाई की आवाजें कमरे में गूंजने लगीं। पुष्पा की सिसकियां अब दर्द से मजे में बदल रही थीं। “उह… आह… बलदेव… धीरे…” वो सिसक रही थी। बलदेव ने कहा, “अरे, बस थोड़ा सा दर्द होगा। फिर मजा आएगा।” उसने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी।

पुष्पा अब बलदेव का साथ देने लगी थी। उसकी चूत पूरी तरह गीली थी, जिससे बलदेव का लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। “आह… उह… बलदेव, और जोर से… चोदो मुझे…” पुष्पा अब खुलकर बोल रही थी। बलदेव ने उसकी चूचियों को मसलते हुए कहा, “ले, मेरी रानी, ले मेरा लंड!” करीब आधे घंटे तक बलदेव ने पुष्पा की चुदाई की। थप-थप की आवाजें, पुष्पा की सिसकियां, और बलदेव की हल्की-हल्की गालियां कमरे में गूंज रही थीं। “आह… तेरी चूत कितनी टाइट है, पुष्पा… मजा आ रहा है…” बलदेव ने कहा।

आखिरकार, बलदेव का शरीर अकड़ गया, और उसने पुष्पा की चूत में ही अपना पानी छोड़ दिया। “आआआह…” पुष्पा भी उसी वक्त झड़ गई। दोनों हांफते हुए एक-दूसरे के बगल में लेट गए। बलदेव ने पुष्पा के माथे को चूमा और कहा, “मजा आया, मेरी जान?” पुष्पा ने शर्माते हुए हल्के से हाँ में सिर हिलाया। उस रात बलदेव ने पुष्पा को दो बार और चोदा। हर बार उसने पुष्पा को नए-नए तरीकों से मजा दिया। कभी उसे गोद में उठाकर, कभी उसे बिस्तर पर लिटाकर। पुष्पा का शरीर थक चुका था, लेकिन उसका मन तृप्त था।

अब जब भी बलदेव को मौका मिलता, वो पुष्पा की चुदाई करता। पुष्पा, जो पहले अपनी बहनों से जलती थी, अब खुद बलदेव की बाहों में खोई रहती थी। उसका डर, उसकी शर्म, सब खत्म हो चुका था। वो अब बलदेव की हर बात मानती और उसकी चुदाई का पूरा मजा लेती।

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