Sasur-Bahu Ki Barish Mein Chudai – कहानी का पिछला भाग: बहकती बहू-21
मदनलाल के फुफ्कारते कोबरा को देखकर काम्या का दिल धक-धक करने लगा। वो छत पर आते वक्त सोच रही थी कि बाबूजी को समझा-बुझाकर वापस लौट जाएगी, मगर उसका 8 इंच का तना हुआ लंड देखते ही उसकी सारी समझ हवा हो गई। वो अपलक उसे घूर रही थी। सुनील का पिद्दी सा लंड और बाबूजी का फौलादी हथियार—जमीन-आसमान का फर्क था। मदनलाल के घस्से मारने से उसका सुपाड़ा लाल टमाटर की तरह चमक रहा था। काम्या सम्मोहित सी उसे देख रही थी, तभी मदनलाल ने उसे खींचकर अपनी बाहों में भर लिया। अगले ही पल उसके रसीले होंठ मदनलाल के प्यासे होंठों से टकराए। मदनलाल का एक हाथ उसकी चूची पर था, तो दूसरा उसकी मांसल गांड को सहला रहा था। वो कभी उसकी चूचियों को मसलता, कभी उसकी जाँघों को सहलाता। काम्या पर भी वासना का खुमार चढ़ गया। उसकी साँसें गर्म थीं, और मुँह से मादक सिसकारियाँ निकल रही थीं, “आआह… बाबूजी…”
जब वासना हद से गुजर गई, तो काम्या ने मदनलाल के लंड को पकड़ लिया और जोर-जोर से मसलने लगी। अब मदनलाल सिसकने लगा, “उउह… बहू…” उसका मुँह खुला रह गया। पूरे टावर में वासना का तूफान मच गया। मदनलाल ने काम्या की मैक्सी उतार दी। अंदर वो पहले से ही नंगी थी। उसकी मलाई सी देह को देखकर मदनलाल बावरा हो गया। तीन दिन बाद आज उसे काम्या के साथ एकांत मिला था। वो उसकी गांड को जालिमों की तरह मसलने लगा। अचानक उसने काम्या की तर्जनी उंगली को मुँह में लेकर चूसना शुरू किया। काम्या को पहले कुछ समझ नहीं आया, फिर उसे लगा कि बाबूजी ब्लोजॉब का इशारा कर रहे हैं। वो मदनलाल के कठोर जिस्म का सहारा लेते हुए घुटनों पर बैठ गई और उसका लंड मुँह में भर लिया। सुपाड़ा उसके गर्म मुँह में जाते ही मदनलाल बेसुध हो गया। काम्या किसी एक्सपर्ट की तरह लंड चूसने लगी। टावर में मदनलाल की सिसकारियाँ गूँजने लगीं, “आआह… बहू… उउह…”
थोड़ी देर बाद मदनलाल ने काम्या को उठाकर फर्श पर लिटाया और 69 की पोजीशन बना ली। अब दोनों एक-दूसरे के प्राइवेट पार्ट्स से खेलने लगे। मदनलाल काम्या की चूत को चाट रहा था, और काम्या उसके लंड को चूस रही थी। दोनों एक-दूसरे को ज्यादा से ज्यादा मजा देने में जुटे थे। जब ठरक हद से बढ़ गई, तो मदनलाल ने काम्या के मुँह को चोदना शुरू कर दिया। काम्या चुपचाप लेटी हुई दोनों तरफ से आनंद ले रही थी। उत्तेजना के चरम पर मदनलाल ने बिना सोचे काम्या के मुँह में अपना सारा माल उड़ेल दिया। उसका लंड इतना गहरा था कि काम्या को सारा रस पीना पड़ गया। जब खुमार उतरा, तो दोनों अलग हुए। काम्या ने मैक्सी पहनते हुए कहा, “बाबूजी, आप बहुत गंदे हो! आपने हमारी कसम तुड़वा दी!” मदनलाल: क्यों, ऐसा क्या किया? काम्या: हमने तय किया था कि जब तक गर्भ नहीं ठहरता, हम आपका पानी नहीं पिएँगे। मगर आपने जबरदस्ती पिला दिया! हम आपसे गुस्सा हैं!
मदनलाल ने काम्या का चेहरा अपने हाथों में लिया और बोला, “पगली, तू चिंता क्यों करती है? तू तो कब की पेट से हो गई होगी। हम एक महीने से मेहनत कर रहे हैं। अब कुछ ही दिन में तू खबर देगी कि बाबूजी, आप बाप बनने वाले हैं!” काम्या ने शरम से चेहरा छिपा लिया और बोली, “आप बाप नहीं, दादा बनेंगे। दुनिया के सामने जो सच है, वही रिश्ता रखना पड़ेगा, समझे बुद्धू!”
दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे। काफी देर तक दोनों एक-दूसरे के अंगों से खेलते रहे। अचानक काम्या को याद आया कि वो टावर में है, और नीचे सुनील सो रहा है। उसने जल्दी से खुद को छुड़ाया और कपड़े पहनकर जाने लगी। मदनलाल: प्लीज, थोड़ा और रुक ना! काम्या: नो-नो, एक मिनट भी नहीं! नीचे आपके साहबजादे कहीं उठ गए तो? आपको ठंडा तो कर दिया, अब चुपचाप जाकर सो जाइए।
अगले दो दिन सुनील घर पर ही रहा। मदनलाल और काम्या एक-दूसरे का साथ पाने को तरस गए। तीसरे दिन रात को डिनर के वक्त शांति बोली, “सुनील, बेटा, तुम्हें तो परसों जाना है ना?” सुनील: हाँ, मम्मी। कोई काम है क्या? शांति: मैं सोच रही हूँ, कल तुम्हारी मौसी के यहाँ हो आते हैं। वो कई बार कह रही थी कि सुनील को शादी के बाद से देखा ही नहीं। सुबह आठ बजे चलेंगे, तो रात आठ बजे तक वापस आ जाएँगे। ठीक है ना? सुनील: ठीक है, माजी।
ये सुनकर मदनलाल और काम्या के दिल बल्लियों उछलने लगे। दोनों कनखियों से एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे। अगले दिन सुबह शांति और सुनील चले गए। मदनलाल और काम्या उन्हें बस में बिठाने गए। घर लौटते ही मदनलाल ने दरवाजा बंद किया। काम्या नहाने जा रही थी, तभी मदनलाल ने उसे पकड़ लिया। काम्या: छोड़िए ना, पहले हमें नहाना है। मदनलाल: नहाकर क्या करोगी? अभी फिर गंदी हो जाओगी। काम्या: धत, कैसी बात करते हो?
मदनलाल ने उसे गोद में उठाया और बेडरूम में ले जाकर बिस्तर पर पटक दिया। “धम्म” की आवाज के साथ काम्या गिरी, और उसके मुँह से कराह निकल गई, “आआह…” मदनलाल ने अपने कपड़े उतार दिए। एक मिनट में वो अपने फौजी बदन के साथ नंगा खड़ा था। काम्या ने शरम से मुँह नीचे कर लिया। मदनलाल ने उसे पकड़ा और उसकी साड़ी उतार दी। काम्या हल्का-सा ना-नुकुर करती रही, मगर मदनलाल ने उसे पूरी तरह नंगी कर दिया। उसकी चमकती देह को देखकर मदनलाल का लहू उबाल मारने लगा। वो उसकी चूचियों को चूमने लगा, फिर उसकी गांड और जाँघों को सहलाने लगा।
फोरप्ले का असर काम्या पर तुरंत पड़ गया। उसकी सिसकारियाँ शुरू हो गईं, “आआह… बाबूजी…” वो अपनी जाँघें रगड़ने लगी। जब मदनलाल ने उसकी चूत में जीभ लगाई, तो काम्या का पूरा जिस्म झनझना गया। बेडरूम में उसकी सिसकारियाँ गूँजने लगीं, “उउह… आआह…” वो अपना सिर इधर-उधर पटकने लगी। जब सहन नहीं हुआ, तो वो शरमाते हुए बोली, “बाबूजी, प्लीज अब आ जाइए!” मदनलाल: आ जाइए मतलब? हम तो यहीं हैं। काम्या: आइ मीन, कम ओवर मी! आइ वॉन्ट टू फील यू इनसाइड मी। मदनलाल: ये क्या इंग्लिश बड़बड़ा रही हो? हिंदी में बोलो। काम्या: अरे यार, प्लीज हमारे ऊपर आइए और अब करिए ना! मदनलाल: क्या करें? काम्या झल्लाकर बोली, “चोदिए अपनी बहू को, और क्या करोगे!”
मदनलाल हँस पड़ा। उसने काम्या की टाँगें मोड़ीं और अपने मूसल को उसकी चूत के मुँह पर फिट किया। एक करारा धक्का मारा, और “पक्क” की आवाज के साथ उसका लंड चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया। पहले धक्के में ही आधा लंड अंदर था। दो और धक्कों में पूरा लंड जड़ तक समा गया। काम्या मुँह भींचे उसे अडजस्ट कर रही थी। फिर मदनलाल ने दनादन धक्के शुरू कर दिए। पूरे कमरे में सेक्स का तूफान मच गया। दस मिनट की भीषण चुदाई के बाद मदनलाल ने अपना रस काम्या की चूत में उड़ेल दिया। इस दौरान काम्या दो बार झड़ चुकी थी। दोनों निढाल होकर बिस्तर पर सो गए।
दो घंटे बाद काम्या नहाने जाने लगी, तो मदनलाल ने उसका हाथ पकड़ लिया। काम्या: अब क्या है? नहाने जाना है। मदनलाल: इतनी जल्दी क्या है? हम भी तो नहाएँगे। काम्या: मुझे खाना भी बनाना है। आपके जैसे फुर्सत में नहीं हूँ। मदनलाल: जान, आज हम भी फुर्सत में नहीं रहेंगे। काम्या: क्यों, आपको कहीं जाना है क्या? मदनलाल: जाना नहीं, मगर आज दिनभर तुम्हारे साथ मेहनत करनी है।
काम्या शरमाकर जीभ दिखाकर भाग गई। नहाने के बाद वो खाना बनाने लगी, मगर मदनलाल उसे छेड़ता रहा। उसकी जाँघें गीली होती रहीं, मगर वो किसी तरह खुद को काबू में रखे रही। खाना खाने के बाद मदनलाल ने उसे फिर गोद में उठाया और बेडरूम में ले गया। चार घंटे बाद उसका लंड फिर टनटना रहा था। उसने काम्या की धुआँधार चुदाई शुरू कर दी। “मदनलाल निकेतन” फिर से काम्या की कामुक सिसकारियों से गूँज उठा। काम्या हर धक्के का जवाब अपनी गांड को पीछे धकेलकर दे रही थी। दस मिनट बाद तूफान थमा, और दोनों निढाल होकर सो गए।
शाम पाँच बजे शांति का फोन आया। उसने बताया कि वो थोड़ी देर में निकलने वाले हैं। मतलब अभी तीन घंटे से ज्यादा बाकी थे। मदनलाल को बाहर बारिश की टप-टप सुनाई दी। वो बरामदे में गया और देखा कि हल्का अंधेरा और बारिश हो रही थी। अंदर आकर उसने देखा कि काम्या अभी भी नंगी लेटी थी। उसने उसे गोद में उठाया और बरामदे में ले गया। बारिश की बूँदें पड़ते ही काम्या ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, मगर मदनलाल की फौजी ताकत के आगे वो बेकार थी। जब वो पूरी तरह भीग गई, तो उसने विरोध छोड़ दिया। उसकी मखमली देह पर पानी की बूँदें मोतियों की तरह चमक रही थीं।
काम्या: बाबूजी, आपने हमें भिगा दिया। अब बाल नहीं सूखेंगे, तो मम्मी को क्या जवाब दूँगी? मदनलाल: कह देना, आज शाम को नहाया। आज हम अपना एक सपना पूरा करेंगे। काम्या: कौन सा सपना? मदनलाल: बारिश में भीगती लड़की को चोदने का। आज तुम्हें बरसते पानी में पटककर चोदेंगे।
काम्या अवाक रह गई, मगर वो भी इस अनुभव के लिए बेकरार थी। मदनलाल ने उसे बरामदे में लिटाया और उसके जिस्म से खेलने लगा। उसकी टाँगें चौड़ी कीं, तो बारिश की बूँदें उसकी चूत में जाने लगीं। ठंडी बूँदें उसके जिस्म में आग लगा रही थीं। मदनलाल ने केँची आसन में अपने लंड को उसकी चूत पर फिट किया और एक हल्का पुश किया। काम्या की सिसकारी बारिश की आवाज में खो गई, “आआह…” बारिश लुब्रिकेशन का काम कर रही थी, जिससे मदनलाल तेजी से धक्के मार रहा था। खुले बरामदे में ससुर-बहू वासना में डूब गए। अच्छा हुआ कि आसपास कोई मकान नहीं था, वरना ना जाने कौन शूटिंग देख लेता। मदनलाल ने दस मिनट तक काम्या को पेला। बीच में उसने उसे डोगी स्टाइल में भी चोदा। आखिर में डोगी पोज में ही उसने काम्या की चूत को अपने रस से भर दिया।
दोनों हाँफते हुए अलग हुए। काम्या की साँसें तेज थीं, “बाबूजी, आपने तो बारिश में भी आग लगा दी!”