Kitchen me chudai sex story – कहानी का पिछला भाग: बहकती बहू-20
काम ज्वार के उतरने के बाद ससुर-बहू दोनों ने मिलकर नहाया। मदनलाल का कई दिनों से सपना था कि वो अपनी बहू काम्या के साथ नहाए, और आज वो सपना पूरा हो गया। उसने काम्या के हर अंग को मसल-मसलकर धोया, जैसे कोई मूर्तिकार अपनी मूर्ति को तराश रहा हो। काम्या की गीली चमकती देह को देखकर उसका मन बार-बार उछल रहा था। उसने काम्या की चूचियों को रगड़ा, उसकी गांड को सहलाया, और उसकी चूत की दरार में उंगलियाँ फिराकर उसे सिहरन से भर दिया। काम्या भी इस खेल में पूरी तरह डूब गई थी, उसकी सिसकारियाँ बाथरूम में गूँज रही थीं, “आआह… बाबूजी…” दोनों बाहर निकले तो मदनलाल की लुंगी पहले ही गीली हो चुकी थी। वो बिना कुछ सोचे नंगा ही अपने कमरे में चला गया और नई लुंगी पहन ली। काम्या ने उसकी गीली लुंगी धोकर डाल दी, जैसे कोई प्यार करने वाली बीवी अपने पति का ख्याल रखती है।
काम्या खाना बनाकर लाई। उसने बाबूजी के लिए थाली सजाई और अपनी थाली लगाने लगी, तभी मदनलाल ने उसे रोक दिया।
मदनलाल: बस, एक ही थाली लगाओ।
काम्या: क्यों, बाबूजी? एक ही क्यों?
मदनलाल: कम ऑन, यार! आज एक ही थाली में खाएँगे।
काम्या: हाय, ये क्या ज्यादा मस्ती सूझ रही है? मम्मी कभी भी आ सकती हैं, हमें अपनी थाली अलग लगाने दो।
मदनलाल: नहीं, आज एक ही थाली में खाएँगे, वरना मैं लंच नहीं करूँगा। रात को सीधा डिनर कर लूँगा।
काम्या: जानू, ये क्या जिद है? कभी-कभी आप बच्चे बन जाते हो।
मदनलाल ने हँसते हुए काम्या का हाथ पकड़ा और उसे खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया। काम्या की साड़ी थोड़ी ऊपर खिसक गई, और उसकी गोरी जाँघें नजर आने लगीं।
काम्या: उई माँ! ये क्या कर रहे हो? ऐसे में आप खाएँगे कैसे?
मदनलाल: आज तुम हमें खिलाओगी, बहू।
काम्या: जी नहीं, हम नहीं खिलाने वाले!
मदनलाल: तो ठीक है, हम खाना-वाना नहीं खाएँगे। और तुम ऐसी ही मेरी गोद में बैठी रहोगी।
काम्या: खाना नहीं खाओगे तो कमजोर हो जाओगे।
मदनलाल: तुम्हें उससे क्या फर्क पड़ता है?
काम्या: अच्छा जी, कमजोर हो गए तो हमारी सेवा कैसे कर पाओगे? कमजोर मर्द किसी काम का नहीं होता!
मदनलाल: तो फिर खाना खिलाओ, ताकि तुम्हारा काम कर सकूँ।
काम्या हँस पड़ी। दोनों ने मस्ती भरे माहौल में एक ही थाली में खाना खाया। काम्या की उंगलियाँ जब मदनलाल के मुँह में निवाला डालतीं, तो वो जानबूझकर उसकी उंगलियों को चूस लेता। काम्या शरमाते हुए हँस देती। खाना खत्म होने के बाद काम्या बर्तन लेकर किचन चली गई। तभी शांति घर में दाखिल हुई और एक खबर सुनाई।
शांति: आज से भागवत सप्ताह शुरू हुआ है। सात दिन तक कथा चलेगी।
ये सुनकर मदनलाल और काम्या के मन में लड्डू फूटने लगे। काम्या शांति के लिए खाना लगाने लगी, तभी शांति बरामदे में गई और वहाँ सुख रही मदनलाल की लुंगी देखकर बोली, “ये क्या, जी? आप तो नहाकर ये लुंगी पहने थे, फिर दोबारा क्यों धोई?”
शांति का सवाल सुनकर दोनों के चेहरे सफेद पड़ गए। काम्या किचन में थी, मगर उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मदनलाल हॉल में था, और उसे कोई जवाब नहीं सूझ रहा था। अच्छा हुआ कि शांति बरामदे में थी, वरना उनके चेहरों को देखकर वो शक कर लेती। मदनलाल ने हिम्मत जुटाकर कहा, “अरे, वो खाना खाते वक्त थाली में घी डाल रहा था, तो थोड़ा लुंगी पर गिर गया। इसलिए धोनी पड़ी।”
शांति: आपने धोई है क्या?
मदनलाल: नहीं, बहू ने धोई है।
शांति: अच्छा हुआ आपने नहीं धोई। घी का दाग आसानी से नहीं छूटता। बहू ने तो अच्छे से रगड़कर साफ कर दिया होगा।
काम्या किचन में सुन रही थी और शरम से लाल हो रही थी। शांति की बातों में मासूमियत थी, मगर मदनलाल और काम्या जानते थे कि उस लुंगी के पीछे की सच्चाई क्या थी। अगले चार दिन ससुर-बहू का खेल खूब चला। शांति सुबह कथा सुनने चली जाती, और सुनील भी अपने काम में व्यस्त रहता। मदनलाल और काम्या को दिन में खुलकर अपनी वासना का खेल खेलने का मौका मिल जाता। काम्या की जवानी अपनी चरम सीमा पर थी। उसका जिस्म हर पल चुदाई की माँग करता था, और मदनलाल उसकी इस भूख को बखूबी शांत करता। मदनलाल का मकसद कुछ और था। वो चाहता था कि सुनील के घर में रहते हुए ही काम्या गर्भवती हो जाए, ताकि कोई शक ना रहे। इसलिए वो हर दिन काम्या की चूत में अपना बीज डालता, और इस काम में उसे बेहिसाब मजा भी आता।
काम्या को भी मदनलाल की ये भूख पसंद थी। सुनील रात को फोरप्ले करके उसकी चूत में आग तो लगा देता, मगर उसका लंड इतना ताकतवर नहीं था कि उस आग को बुझा सके। काम्या रातभर सुलगती रहती, और सुबह मदनलाल उसकी आग को ठंडा करता। मगर पाँचवें दिन मुसीबत खड़ी हो गई। शांति तो कथा सुनने चली गई, लेकिन सुनील घर से निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था। काम्या और मदनलाल दोनों बेचैन थे। काम्या किचन में काम कर रही थी, तभी मदनलाल ने मौका देखकर किचन में घुसकर उसकी गांड को पीछे से सहलाना शुरू कर दिया। काम्या घबरा गई। सुनील घर में था, और वो कोई आवाज भी नहीं कर सकती थी। उसने इशारों में मदनलाल को बाहर जाने को कहा, मगर मदनलाल ने उसकी मजबूरी का फायदा उठाया। उसने काम्या की चूचियों को जोर-जोर से दबाना शुरू कर दिया। काम्या की साँसें तेज हो गईं, “आआह…” एक हल्की सी सिसकारी निकल गई। मदनलाल करीब पाँच मिनट तक उसकी चूचियों और गांड से खेलता रहा, फिर बाहर चला गया। मगर इतनी देर में ही उसने काम्या के जिस्म में आग लगा दी थी।
काम्या बाहर निकली और सुनील से पूछा, “क्या बात है? आज कहीं जाना नहीं है क्या?”
सुनील: अभी तक कोई प्रोग्राम नहीं बना।
काम्या का मूड खराब हो गया। उसने सुबह मदनलाल की पसंद की एक सेक्सी साड़ी पहनी थी, मगर अब उसने उसे उतार दिया और एक मैक्सी पहन ली। वो किचन में काम करने लगी। मदनलाल और सुनील हॉल में टीवी देख रहे थे। करीब एक घंटे बाद सुनील का फोन बजा। वो बात करता हुआ बाहर चला गया। मदनलाल ने देखा कि सुनील सड़क तक चला गया है। वो तुरंत किचन की ओर भागा।
काम्या प्लेटफॉर्म पर झुककर आटा गूँथ रही थी। उसकी मैक्सी उसके कूल्हों पर चिपकी हुई थी। मदनलाल ने पीछे जाकर एक झटके में उसकी मैक्सी कमर तक उठा दी। नीचे काम्या की छोटी सी पैंटी थी, जिसमें से उसकी गोलमटोल गांड दो-तिहाई बाहर झांक रही थी। मदनलाल ने बिना वक्त गँवाए अपनी जीभ उसकी गांड पर फिरानी शुरू कर दी। काम्या के मुँह से सिसकारी निकल गई, “आआह… बाबूजी!” उसने सुनील के फोन की आवाज सुनी थी और उसे बाहर जाते देखा था, मगर वो जानती थी कि वो कभी भी लौट सकता है।
काम्या: बाबूजी, प्लीज! यहाँ से जाइए, सुनील कभी भी आ सकता है।
मदनलाल: जान, वो अपने दोस्तों से घंटों बात करता है। तुम चिंता मत करो।
काम्या: चिंता ना करूँ? पति घर पर है, और ससुर बहक रहा है, तो चिंता तो होगी ना?
मदनलाल: हम खुद से थोड़े बहक रहे हैं? तुम्हारी ये जालिम जवानी हमें बहका देती है।
काम्या: चुप रहिए! जब देखो, बातें बनाने लगते हो। चार दिन सब्र नहीं कर सकते? सुनील दो-चार दिन में चला जाएगा।
मदनलाल: चार दिन नहीं, चार घंटे भी मुश्किल हैं। और एक बात बताएँ?
काम्या: क्या?
मदनलाल: पगली, तुम्हें कुछ समझ नहीं आता। हम चाहते हैं कि सुनील के रहते ही तुम गर्भवती हो जाओ, ताकि कोई शक ना रहे। वरना छह महीने और इंतजार करना पड़ेगा।
काम्या: जानू, हमने आपको कभी मना थोड़े किया। मगर आज वो घर पर हैं। उनके रहते तो ये सब नहीं कर सकते ना?
मदनलाल: जो कर सकते हैं, वो तो कर लेने दो। मूड बनाए रखने के लिए।
काम्या: रहने दीजिए! आपके मूसल को मूड बनाने की कोई जरूरत नहीं। वो तो हमेशा तैयार रहता है।
मदनलाल हँस पड़ा और अपने काम में जुट गया। वो घुटनों के बल बैठा और अपनी जीभ से काम्या की गांड को चाटने लगा। उसने काम्या की मांसल जाँघों को सहलाना शुरू किया। काम्या का पूरा जिस्म कामाग्नि में जलने लगा। मदनलाल ने उसकी पैंटी को घुटनों तक खींच दिया। अब काम्या की नंगी गांड उसके सामने थी। वो जोर-जोर से उसे चूमने और चाटने लगा, बीच-बीच में हल्के से काट लेता। काम्या की सिसकारियाँ निकल रही थीं, “उउह… बाबूजी…” वो सुनील के डर से जोर से चीख नहीं सकती थी, मगर उसका जिस्म बेकाबू हो रहा था।
जब खड़े रहना मुश्किल हो गया, तो काम्या ने प्लेटफॉर्म का सहारा लिया और आगे झुक गई। उसकी गांड और बाहर निकल आई, और उसका गुलाबी छेद थोड़ा खुल गया, जैसे कोई भूखा मुँह खोल रहा हो। मदनलाल का दिमाग सुन्न हो गया। वो खड़ा हुआ, अपनी लुंगी से अपना 8 इंच का तना हुआ लंड निकाला और काम्या की चूत के मुँह पर रख दिया। जैसे ही सुपाड़ा उसकी चूत को छूआ, काम्या सिहर उठी, “आआह…” मदनलाल ने धीरे-धीरे दबाव डाला, और उसका सुपाड़ा काम्या की गीली चूत में सरक गया। काम्या का पूरा बदन काँप रहा था, उसकी चूत की दीवारें ससुर के लंड को कसकर जकड़ रही थीं।
मदनलाल अगला धक्का मारने ही वाला था कि तभी सुनील की बातचीत की आवाज पास आने लगी। दोनों जल्दी से अलग हुए। मदनलाल ने अपनी लुंगी ठीक की, मगर उसका लंड अभी भी टनटना रहा था। काम्या ने अपनी मैक्सी नीचे की और देखा कि उसकी जाँघें गीली हो चुकी थीं। मदनलाल धीरे से किचन से निकल गया। सुनील अंदर आया और बोला, “काम्या, खाना कब तक तैयार होगा?”
काम्या: क्यों, फोन आने के बाद कोई प्लान बन गया क्या?
सुनील: हाँ, खाना खाकर थोड़ा बाहर जाना है।
काम्या ने जल्दी-जल्दी खाना बनाया, मगर फिर भी काफी वक्त लग गया। सुनील खाना खाकर निकला, तो मदनलाल ने तुरंत दरवाजा बंद किया और किचन की ओर भागा। काम्या बर्तन सिंक में रख रही थी। मदनलाल ने पीछे से उसकी मैक्सी को एक झटके में चूचियों तक उठा दिया। काम्या ने मैक्सी पकड़ते हुए कहा, “बाबूजी, प्लीज! अभी मत करिए, मम्मी कभी भी आ सकती हैं!”
मदनलाल: चिंता मत करो, अभी आधा घंटा बाकी है।
उसने काम्या की मैक्सी उतार दी, फिर उसकी ब्रा और पैंटी भी खींचकर फेंक दी। अब काम्या किचन में पूरी तरह नंगी थी। मदनलाल उसकी चमकती देह को आँखें फाड़कर देख रहा था। उसने काम्या की चूचियों पर हमला बोल दिया। एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा, और दूसरी को जोर-जोर से मसलने लगा। काम्या की सिसकारियाँ पूरे किचन में गूँज रही थीं, “आआह… उउह… बाबूजी…” मदनलाल ने उसे उठाकर प्लेटफॉर्म पर बिठा दिया और उसकी टाँगें फैला दीं। काम्या की गीली चूत अब उसके सामने थी। वो उसकी रसीली चूत को घूरने लगा। काम्या शरम से लाल हो रही थी, मगर उसका जिस्म उत्तेजना से थरथरा रहा था।
मदनलाल ने अपना मुँह काम्या की चूत पर रख दिया और जीभ से उसे चाटना शुरू किया। काम्या का पूरा बदन सिहर उठा, “आआह… बाबूजी, प्लीज! वहाँ मुँह मत लगाइए, ये किचन है!”
मदनलाल: कौन कहता है ये गंदी चीज है? ये तो अमृत का कुंड है, जान। तुम बस मजा लो।
वो अपनी जीभ को काम्या की चूत की पंखुड़ियों पर फिराने लगा, नीचे से ऊपर तक चाटता। काम्या की टाँगें काँप रही थीं। वो उसे धकेलने की कोशिश करती, मगर मदनलाल ने उसकी जाँघों को मजबूती से पकड़ रखा था। आखिरकार काम्या की 24 साल की जवानी हार मान गई। उसने मदनलाल के सिर को अपनी चूत की ओर खींचना शुरू कर दिया। मदनलाल ने उसकी चूत की पंखुड़ियाँ फैलाईं और अपनी जीभ को अंदर तक डाल दिया। काम्या का जिस्म ऐंठने लगा, “उउह… आआह…” उसकी सिसकारियाँ तेज हो गईं। जब मदनलाल ने उसकी क्लिट को होंठों में दबाकर चूसना शुरू किया, तो काम्या बेकाबू हो गई। उसकी चूत से रस का सैलाब बह निकला। मदनलाल ने उसका सारा रस चाट लिया। काम्या दो मिनट तक ऑर्गेज्म की लहरों में डूबी रही।
जैसे ही उसे होश आया, उसने कहा, “बाबूजी, मम्मी कभी भी आ सकती हैं। आप बिना किए नहीं मानेंगे, तो जल्दी से कर लीजिए।” उसने पलटकर किचन के प्लेटफॉर्म पर डोगी स्टाइल में झुक गई। उसकी भारी-भरकम गांड और चौड़ी हो गई। मदनलाल का लंड पहले से ही तना हुआ था। उसने अपना 8 इंच का मूसल काम्या की चूत के मुँह पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा। “आआह!” काम्या की चीख किचन में गूँज गई। मदनलाल का तीन-चौथाई लंड एक ही झटके में उसकी चूत में समा गया। उसकी चूत की दीवारें लंड को कसकर जकड़ रही थीं। मदनलाल ने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। “थप-थप-थप…” हर धक्के के साथ काम्या की गांड का मांस उछल रहा था, जैसे कोई लहरें उठ रही हों।
काम्या भी अब अपने रंग में आ गई थी। वो हर धक्के के साथ अपनी गांड को पीछे धकेल रही थी। “आआह… बाबूजी… और जोर से…” वो सिसकार रही थी। मदनलाल ने उसकी कमर छोड़कर उसकी चूचियों को पकड़ लिया और उन्हें मसलते हुए चोदने लगा। किचन में वासना का तूफान मच गया। पाँच मिनट की घनघोर चुदाई के बाद काम्या की चूत मदनलाल के रस से भर गई। मदनलाल ने भी अपनी रबड़ी उसकी चूत में उड़ेल दी। दोनों हाँफ रहे थे। मदनलाल का लंड अभी भी काम्या की चूत में था, और वो उसकी चूचियों को मसल रहा था।
काम्या: अब हटिए, बाबूजी! क्या मम्मी को खुजुराहो के पोज दिखाने हैं?
मदनलाल: क्या करूँ, जान? निकालने का मन ही नहीं करता। बस ऐसे ही अंदर डालकर पड़ा रहूँ।
काम्या: चुप रहिए! मम्मी आ गईं तो पता चलेगा कि बहू में डालना क्या होता है।
दोनों अलग हुए। काम्या ने देखा कि मदनलाल का रस उसकी जाँघों पर बह रहा था। उसने मदनलाल की ओर देखा, जो इसे देखकर मुस्कुरा रहा था।
काम्या: इतनी मेहनत का क्या मतलब? सारा माल तो जाँघों पर बह गया।
मदनलाल: हमने तो सच्चे मन से तुम्हारी सेवा की थी।
काम्या ने पैंटी पहनने की बजाय अपने सारे कपड़े उठाए और नंगी ही बाथरूम चली गई। अगले दो दिन ससुर-बहू को रोज मौका मिला, और वो अपनी वासना का खेल खेलते रहे। मगर भागवत कथा खत्म होने के बाद शांति घर पर ही रहने लगी, और दोनों को कोई मौका नहीं मिला। दोनों की कामाग्नि दावानल बन गई थी। तीसरी रात मदनलाल छत पर टहल रहा था। जब वो नीचे आया, तो उसने काम्या के कमरे की खिड़की से झाँका। काम्या पूरी तरह नंगी लेटी थी, उसकी देह चाँदनी में स्वर्ण की तरह चमक रही थी। मदनलाल का लंड फिर से तन गया। वो वापस छत पर गया और काम्या को फोन किया।
काम्या ने देखा कि बाबूजी का फोन है। सुनील खर्राटे ले रहा था। उसने फोन उठाया।
काम्या: हाँ, बाबूजी?
मदनलाल: जान, थोड़ी देर के लिए छत पर आ जाओ।
काम्या: क्या बोल रहे हैं? सुनील यहीं है।
मदनलाल: वो सो रहा है, सुबह तक नहीं उठेगा। प्लीज, पाँच मिनट के लिए आ जाओ।
काम्या: बाबूजी, रिस्क मत लीजिए। कोई उठ गया तो?
मदनलाल: कुछ नहीं होगा। बाहर से कुंडी लगाकर आ जाना। दो मिनट की बात है।
काम्या: बस एक दिन नहीं रुक सकते? कल शाम को सुनील चला जाएगा।
मदनलाल: एक मिनट भी रुकना मुश्किल है। तुम जल्दी आओ, वरना मैं आ रहा हूँ।
काम्या: नहीं-नहीं, आप मत आना। मैं कुछ करती हूँ।
काम्या उठी, उसने मैक्सी पहनी। पैंटी की जरूरत नहीं थी, क्योंकि वो जानती थी कि छत पर पहुँचते ही वो उतर जाएगी। वो बाहर निकली, कुंडी लगाई और धीरे-धीरे सीढ़ियाँ चढ़ने लगी। उसका पूरा जिस्म रोमांच से भरा था। एक शरीफ बहू अपने ससुर से चुदने छत पर जा रही थी, वो भी तब जब सास और पति घर में थे। छत पर पहुँचते ही मदनलाल ने उसका हाथ पकड़कर खींच लिया और दरवाजा बंद कर दिया। उसने कमरे की लाइट जलाई। काम्या ने देखा कि मदनलाल पूरी तरह नंगा खड़ा था, और उसका लंड तना हुआ था। वो उसे मसल रहा था। काम्या की आँखें फटी रह गईं।
कहानी का अगला भाग : बहकती बहू-22