माँ बेटा – बाप बेटी – Pariwarik Chudai

Indian Desi Family Group Sex Story हाय दोस्तों, मेरा नाम निशांत है। मैं दिल्ली में रहता हूँ। ये मेरी जिंदगी का एक कड़वा सच है, जो मैं आपसे शेयर करने जा रहा हूँ। लेकिन इस कड़वेपन में मजा भी बहुत आया। कहानी थोड़ी लंबी है, पर अगर आप पूरी पढ़ेंगे तो मजा आएगा। मेरे घर में चार लोग हैं: मैं, निशांत, जो कॉलेज में पढ़ता हूँ, 22 साल का हूँ, एवरेज हाइट, फिट बॉडी, और थोड़ा शर्मीला लेकिन जिज्ञासु स्वभाव। मेरी छोटी बहन निशा, 18 साल की, 12वीं क्लास में, स्कूल की यूनिफॉर्म में उसकी गोरी टांगें और मासूम चेहरा हर किसी का ध्यान खींचता है। मेरी माँ, रीमा, 42 साल की, हाउसवाइफ, जो थोड़ी सोशल लाइफ पसंद करती हैं, किटी पार्टीज का शौक रखती हैं, और उनकी फिगर अभी भी इतनी आकर्षक है कि पड़ोस की आंटियाँ जल-भुन जाती हैं। मेरा बाप, राजेश, 45 साल का, दुकानदार, सख्त मिजाज लेकिन घर में थोड़ा ढीला, और रोज दोपहर को लंच के बहाने घर आता है।

मेरा कॉलेज टाइम सुबह 9 से शाम 4 बजे तक है। निशा का स्कूल सुबह 8 से दोपहर 2 बजे तक। मेरे बाप की दुकान सुबह 10 बजे खुलती है, दोपहर 3 बजे लंच के लिए घर आता है, फिर शाम 4 से रात 9 बजे तक दुकान पर रहता है। एक दिन मैं कॉलेज से जल्दी घर आ गया, करीब दोपहर 2:30 बजे। घर में सन्नाटा था, लाइट्स बंद थीं। मुझे लगा सब सो रहे होंगे। मैंने सोचा माँ से कहूँ कि मेरे लिए लंच बना दे। मैं माँ के बेडरूम की ओर गया। दरवाजा हल्का खुला था। अंदर झाँका तो देखा मेरा बाप माँ को जोर-जोर से चोद रहा था। माँ पूरी नंगी थी, उनकी गोरी चिकनी जाँघें हवा में थीं, और बाप का लंड, जो करीब 7 इंच का मोटा-तगड़ा था, उनकी चूत में बार-बार अंदर-बाहर हो रहा था। माँ की सिसकारियाँ, “आह्ह्ह… राजेश… और जोर से…”, कमरे में गूँज रही थीं। बाप के हर धक्के के साथ बेड की चरमराहट और माँ की चूत से “पच-पच” की आवाज आ रही थी।

पहले तो मुझे गंदा लगा। मैं पीछे हटने लगा, लेकिन फिर सोचा, अरे, दुनिया ब्लू फिल्म देखती है, मैं लाइव देख लूँ तो क्या बुरा! मैंने चुपके से कोने में खड़े होकर देखना शुरू किया। माँ के बड़े-बड़े गोरे बूब्स हर धक्के के साथ उछल रहे थे। बाप उनकी चूत में लंड डाले हुए जोर-जोर से धक्के मार रहा था, और माँ की सिसकारियाँ तेज होती जा रही थीं, “हाँ… राजेश… ऐसे ही… आह्ह्ह… चोदो ना…”। मेरा लंड भी खड़ा हो गया, पैंट में तंबू बन गया। मैंने अपने 6 इंच के लंड को पैंट के ऊपर से सहलाना शुरू किया। तभी बाप ने माँ को पलटा, उनकी गांड ऊपर की, और पीछे से लंड डाल दिया। माँ की चीख निकली, “आआह्ह… धीरे… उफ्फ…”। मैंने देखा माँ की चिकनी गांड पर बाप के हाथों के निशान पड़ रहे थे। करीब 10 मिनट बाद बाप झड़ गया, और माँ बेड पर पसीने से लथपथ लेट गईं। मैं चुपके से वहाँ से हट गया और टॉयलेट की ओर भागा, मुठ मारने के लिए।

टॉयलेट में मैंने पैंट उतारी, लंड बाहर निकाला, और माँ-बाप की चुदाई का सीन दिमाग में लाकर जोर-जोर से हिलाने लगा। तभी अचानक टॉयलेट का दरवाजा खुला। माँ अंदर आईं, शायद मुँह-हाथ धोने। मुझे लंड हिलाते देख वो चौंक गईं और हल्की सी चीख मारकर बाहर भाग गईं। मैं शर्म से पानी-पानी हो गया। सोचने लगा, अब माँ को मुँह कैसे दिखाऊँगा? अगर बाप को बता दिया तो? मैं टॉयलेट से बाहर निकला तो देखा माँ किचन में खाना बना रही थीं, और बाप डाइनिंग टेबल पर बैठा खाना खाने की तैयारी कर रहा था। बाप ने मुझे देखा, लेकिन कुछ कहा नहीं। मैं समझ गया कि माँ ने उसे कुछ नहीं बताया। मैं किचन में गया और माँ से धीरे से बोला, “माँ, आपने डैड को तो नहीं बताया ना कि मैं टॉयलेट में क्या कर रहा था?” माँ चुप रहीं। मैंने 3-4 बार पूछा तो माँ ने कहा, “ये तेरी उम्र है, ये सब तो होता ही है।” मैंने कहा, “माँ, मैं कॉलेज में हूँ, मेरे दोस्त भी हैं, लेकिन मैंने कभी गलत काम नहीं किया। बस ये किया, जो सारी दुनिया के मर्द करते हैं।” माँ ने हल्की हँसी के साथ कहा, “चल, कोई बात नहीं। मैं नहीं बताऊँगी। जा, निशा को उठा और डाइनिंग टेबल पर आ, खाना खा लें।”

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मैं निशा को उठाने उसके कमरे में गया। वो स्कूल की यूनिफॉर्म में सो रही थी। उसकी स्कर्ट थोड़ी ऊपर थी, गोरी टांगें दिख रही थीं। मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। मैंने सोचा, निशा के साथ कुछ करूँ? लेकिन डर लगा कि कहीं उसने मना कर दिया और माँ-बाप को बता दिया तो? फिर मैंने अपने लंड को दबाया और निशा को 4-5 बार पुकारा। वो नहीं उठी। मैंने सोचा, थोड़ा उसकी टांगों पर हाथ फेर लूँ। धीरे-धीरे मैंने उसकी गोरी जाँघों पर हाथ फिराना शुरू किया। उसकी त्वचा इतनी मुलायम थी कि मेरा लंड टनटना उठा। मेरा हाथ धीरे-धीरे उसकी गांड तक गया, और मैंने उसकी पैंटी में उँगलियाँ डाल दीं। तभी निशा की हल्की सिसकारी निकली, “उह्ह… आह्ह…”। मुझे लगा वो जाग गई, लेकिन उसकी आँखें बंद थीं। मैंने उसके बूब्स पर भी हाथ फेरना शुरू किया। उसकी शर्ट के बटन खोल दिए। निशा के बूब्स, करीब 34C, गोरे और गोल, मेरे सामने थे। मैंने धीरे से उसकी ब्रा ऊपर की और निप्पल चूसने लगा। निशा की सिसकारियाँ तेज हुईं, “आह्ह… भाई… क्या कर रहे हो…”। वो अब जाग चुकी थी, लेकिन मना नहीं कर रही थी। मैं उसके साथ बेड पर लेट गया, उसकी पैंटी उतारी, और उसकी चूत पर जीभ फेरने लगा। उसकी चूत गीली थी, और उसका स्वाद नमकीन-सा था। वो सिसकार रही थी, “आह्ह… भाई… और करो…”। मैंने उसकी चूत चाटी, उँगलियाँ अंदर-बाहर कीं, और वो मेरे लंड को सहलाने लगी।

तभी उसने मेरे कान में कहा, “भाई, प्लीज माँ-बाप को मत बताना।” मैंने कहा, “तू भी मत बोलना।” फिर मैंने उसकी टांगें चौड़ी कीं, उसकी चूत पर लंड रगड़ा, और धीरे से अंदर डाला। उसकी चीख निकली, “आआह्ह… धीरे… दर्द हो रहा है…”। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उसकी चूत टाइट थी, और हर धक्के के साथ “पच-पच” की आवाज आ रही थी। वो सिसकार रही थी, “आह्ह… भाई… मजा आ रहा है… और जोर से…”। मैंने स्पीड बढ़ाई, उसके बूब्स दबाए, और करीब 15 मिनट तक चोदा। वो जोर-जोर से चिल्ला रही थी, “हाँ… भाई… चोदो… आह्ह…”। तभी मेरा झड़ गया। मैंने कंडोम उतारा और बेड पर लेट गया। निशा ने कहा, “भाई, और करो ना…”। मैंने उसकी टांगें चाटीं, उसके बूब्स मसले, और फिर से उसकी चूत में उँगलियाँ डालीं। तभी मैंने उसे बताया, “निशा, मैंने आज माँ-बाप को चुदाई करते देखा था।” उसने कहा, “हाँ, मैंने भी कई बार देखा। डैड का लंच तो बहाना है, वो माँ को चोदने आते हैं। एक बार डैड ने मुझ पर भी ट्राई किया था।”

निशा ने बताया कि एक बार उसने माँ-बाप को चुदते देखा था। डैड का लंड देखकर उसका मन भी किया था, लेकिन माँ आ गई थीं। तब से डैड जानबूझकर दरवाजा खुला रखते हैं ताकि निशा देखे। उसने कहा, “जब तुमने घर में एंट्री की थी, मैं सोने का बहाना कर रही थी। मैंने जानबूझकर स्कर्ट ऊपर की थी ताकि तुम मुझ पर ट्राई करो।” मैंने कहा, “तू तो कमाल है!” फिर मैंने कहा, “माँ से पूछ, क्या वो मेरे साथ करेगी?” निशा हँस पड़ी, “पागल हो गए हो? मैं नहीं पूछूँगी।” लेकिन वो माँ से थोड़ी फ्रैंक थी। उसने कहा, “ठीक है, मौका मिला तो पूछूँगी। वैसे, डैड का लंड देखकर मेरा भी मन करता है।” मैंने कहा, “तो मैं डैड से पूछूँ?” वो हँस पड़ी। हमने बातें खत्म कीं और फिर से चुदाई शुरू की। मैंने निशा की चूत चाटी, उसके बूब्स चूसे, और वो मेरे लंड को मुँह में लेने लगी। करीब 2.5 घंटे हो गए थे। मैं थक गया था। निशा ने कहा, “बस, अब बहुत हो गया।” मैंने कहा, “माँ से जरूर पूछना।” तभी हमने देखा कि माँ दरवाजे पर खड़ी थीं, हमें चुदते हुए देख रही थीं। उनकी आँखों में थोड़ा थर्कीपन था। हम दोनों डर गए। मैंने और निशा ने एक साथ कहा, “माँ, सॉरी… सॉरी…”। माँ ने हँसते हुए कहा, “कोई बात नहीं, बेटा। और करो।”

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निशा ने अचानक कहा, “माँ, आप भी जॉइन कर लो।” मेरी तो फट गई। लगा कि माँ निशा को थप्पड़ मार देंगी। लेकिन निशा ने कहा, “माँ, आप भी तो रोज दोपहर को डैड के साथ चुदाई करती हैं, दरवाजा भी खुला रखती हैं।” मैं मन ही मन खुश हुआ। माँ चुप रहीं। मैंने हिम्मत जुटाई और माँ का हाथ पकड़ा, “माँ, कोई बात नहीं। सब करते हैं।” माँ ने कहा, “मैं और तेरा बाप इसलिए करते हैं क्योंकि मैं उनकी बीवी हूँ।” निशा ने कहा, “माँ, आजकल ये कोई नहीं देखता कि कौन किसकी बीवी है। चुदाई में तो बस लंड और चूत का खेल है।” माँ फिर चुप। मैंने कहा, “माँ, आप भी जॉइन कर लो।” माँ का मन तो था, लेकिन वो हाँ नहीं कर रही थीं। मैंने निशा को कहा, “जा, दरवाजा बंद कर दे।” निशा ने कहा, “पहले माँ को बेड पर बिठा।” मैंने माँ को पीछे से पकड़ा। माँ ने साड़ी पहनी थी। मैंने उनके नंगे पेट पर हाथ फेरना शुरू किया, उनकी गर्दन चाटी, कान चूसे। माँ को मजा आ रहा था, लेकिन वो मना कर रही थीं, “निशांत, ये गलत है…”। मैंने निशा को कहा, “माँ को पकड़, बेड पर लेटा, और उनके कपड़े उतार।” निशा ने माँ का ब्लाउज खोलना शुरू किया। माँ को गुदगुदी हुई, और वो हँस पड़ीं।

मैंने माँ को बेड पर लिटाया, उनके बूब्स मसलने शुरू किए, उनके नंगे पेट को चाटा। माँ की सिसकारियाँ निकलने लगीं, “उह्ह… निशांत… मत कर…”। मैंने उनके निप्पल चूसे, जो सख्त हो चुके थे। तभी माँ ने निशा को कहा, “जा, मेरे अलमारी से कंडोम ले आ।” निशा कंडोम लेने गई। मैंने माँ की साड़ी उतारी, उनका पेटीकोट खोला, और उनकी ब्रा उतार दी। उनके 36D बूब्स मेरे सामने थे, इतने गोरे और मुलायम कि मेरा लंड फटने को हो गया। मैंने उनके निप्पल चूसे, उनकी जाँघें सहलाईं, उनकी चूत पर जीभ फेरी। माँ की सिसकारियाँ तेज हुईं, “आह्ह… निशांत… मत चाट… उफ्फ…”। मैंने उनकी चूत में उँगलियाँ डालीं, जो पहले से गीली थी। तभी निशा कंडोम लेकर आई। माँ ने चादर ओढ़ ली। मैंने पूछा, “माँ, क्या हुआ?” माँ ने कहा, “कुछ नहीं।” फिर माँ ने निशा को कहा, “कंडोम दे और दरवाजा बंद करके बाहर जा।” मैंने कहा, “माँ, निशा भी जॉइन करेगी।” माँ ने कहा, “ठीक है, लेकिन मेरे बाद।”

मैंने कहा, “नहीं, हम तीनों एक साथ करेंगे।” निशा ने कहा, “मैं भी करूँगी।” मैं खुश। मेरा ध्यान माँ की ओर ज्यादा था क्योंकि निशा को तो मैं चोद चुका था। मैंने माँ की चूत चाटी, उनके बूब्स चूसे। निशा ने भी कपड़े उतारे और जॉइन कर लिया। मैं दोनों को चाट रहा था, कभी माँ के बूब्स, कभी निशा की चूत। माँ की सिसकारियाँ तेज हो रही थीं, “निशांत… मत चाट… प्लीज… आह्ह…”। मैंने माँ की टांगें चौड़ी कीं, उनकी चूत चाटी, और वो चिल्ला रही थीं, “नहीं… मत चाट… उफ्फ…”। तभी माँ ने कहा, “चल, कंडोम डाल और चोद मुझे। तूने तो मुझे थर्की बना दिया। अब तेरा लंड लेकर ही रहूँगी।” मैंने कंडोम डाला और माँ की चूत में लंड डाल दिया। उनकी चीख निकली, “आआह्ह्ह… धीरे…”। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। माँ चिल्ला रही थीं, “हाँ… और तेज… चोद… आह्ह… मजा आ रहा है…”। मैंने स्पीड बढ़ाई, उनके बूब्स दबाए, उनकी गांड पर थप्पड़ मारे। निशा मेरे पीछे थी, मेरे लंड को सहलाते हुए माँ के बूब्स चूस रही थी। करीब 20 मिनट बाद मेरा झड़ गया। मैंने कंडोम उतारा। निशा ने मेरा लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। माँ ने कहा, “चल, अब मेरी बारी।” माँ ने मेरा लंड चूसा, और मुझे इतना मजा आया कि मैं फिर से खड़ा हो गया।

मैंने कहा, “तुम दोनों करो, मैं लंड साफ करके आता हूँ।” मैं टॉयलेट गया, लंड साफ किया, और थोड़ा सुस्ताने बैठ गया। जब वापस आया तो देखा माँ और निशा एक-दूसरे को चाट रही थीं। कभी स्मूच, कभी बूब्स चूस रही थीं। मैंने निशा को कहा, “अब तुझे चोदूँ।” मैंने कंडोम डाला और निशा को चोदना शुरू किया। निशा ने कहा, “मैंने जानबूझकर दरवाजा खुला रखा था ताकि माँ हमें देखें।” मैंने उसे स्मूच किया। लेकिन मुझे निशा से उतना मजा नहीं आ रहा था क्योंकि मैं थक चुका था। माँ नंगी लेटी थी। मैं माँ के ऊपर चढ़ गया और कहा, “माँ, निशा ने बताया कि डैड ने उस पर ट्राई किया था। निशा को डैड का लंड बहुत पसंद है।” माँ चुप रहीं। मैंने माँ को फिर चाटना शुरू किया। करीब 2.5 घंटे हो गए थे। हमें ध्यान ही नहीं था कि डैड के आने का टाइम हो गया था। तभी घंटी बजी। माँ और निशा ने जल्दी से कपड़े पहनने शुरू किए।

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निशा ने माँ से कहा, “माँ, प्लीज डैड को बोलो कि मुझे चोदें।” माँ ने कहा, “सोचूँगी।” निशा ने एक प्लान बनाया, “माँ, आप टॉवल में जाओ और डैड को बोलो कि मैं और निशांत घर पर नहीं हैं। उन्हें सिड्यूस करके इस कमरे में लाओ।” मैंने भी कहा, “हाँ, माँ, ऐसा ही करो।” माँ ने टॉवल लपेटा और बाहर गईं। डैड आए थे, और थोड़ा नशे में थे। माँ ने डैड को सिड्यूस करना शुरू किया। मैंने एंट्री का दरवाजा लॉक कर दिया। डैड ने माँ से पूछा, “निशांत और निशा कहाँ हैं?” माँ ने कहा, “बाहर गए हैं। इसलिए मैं टॉवल में हूँ।” डैड का लंड खड़ा हो गया। माँ ने डैड का लंड पकड़ा, स्मूच किया। डैड ने माँ का टॉवल खोल दिया। माँ ने कहा, “आज निशांत के कमरे में करेंगे।” डैड ने माँ को चोदना शुरू किया। माँ डैड का लंड चूस रही थी। फिर माँ डैड को मेरे कमरे में ले आईं। मैं और निशा पर्दे के पीछे छुप गए। डैड माँ को जोर-जोर से चोद रहे थे। दोनों नंगे थे। मैं और निशा देख रहे थे। निशा ने कहा, “मुझे डैड से चुदना है।” मैंने कहा, “जा, तू पहले जा।” निशा डर रही थी। मैंने कहा, “डैड ने तुझ पर ट्राई किया है, वो कुछ नहीं कहेंगे। माँ संभाल लेगी।” निशा गई। डैड ने उसे देखकर चादर ओढ़ ली। डैड ने माँ से कहा, “तू तो बोली थी घर में कोई नहीं है।” माँ ने कहा, “मुझे मत बोल।” फिर माँ ने डैड से पूछा, “तुमने निशा पर ट्राई किया था?” डैड ने नशे में कहा, “हाँ, किया था।” माँ ने कहा, “ठीक है, निशा के साथ कर लो। उसका बहुत मन है।” निशा ने डैड की चादर खींची और उनके ऊपर चढ़ गई। डैड ने निशा को चाटना शुरू किया, और निशा डैड का लंड चूसने लगी। फिर डैड ने निशा की चूत में लंड डाला। निशा चीखी, “आआह्ह… डैड… धीरे…”। डैड जोर-जोर से धक्के मारने लगे।

तभी माँ ने मुझे पुकारा। मैं डरते-डरते बाहर निकला। डैड ने माँ से कहा, “ये भी यहाँ है?” माँ ने कहा, “हाँ, मैं निशांत के साथ करूँगी। तुम निशा के साथ करो।” मैंने डैड से आँखें नहीं मिलाईं और माँ के साथ लेट गया। मैं माँ को चाटने लगा। डैड निशा को चोद रहे थे, और मैं माँ को। कभी मैं निशा को चोदता, कभी माँ को। डैड भी कभी निशा को, कभी माँ को। फिर डैड थककर और नशे में सो गए। मैं, माँ और निशा रातभर चुदाई करते रहे। कभी मैं दोनों को चाटता, कभी वो मेरा लंड चूसतीं। अब मैं रोज माँ को चोदता हूँ। जब भी मौका मिलता है, मैं माँ की चूत चाटता, उनके बूब्स चूसता, और चोदता। डैड निशा को चोदते। धीरे-धीरे मेरा टेस्ट माँ की उम्र की औरतों में बढ़ने लगा। मैंने माँ से कहा, “माँ, अपनी किटी पार्टी वाली फ्रेंड्स से मिलवाओ।” माँ ने अपनी 2-3 फ्रेंड्स से मिलवाया, और मैंने उनके साथ भी चुदाई की। माँ ने भी जॉइन किया। अब जब भी हम चारों में से किसी का मन होता है, हम चुदाई शुरू कर देते हैं। दोस्तों, मैं सोच रहा हूँ कि इस पर एक ब्लू फिल्म बनवाऊँ। आप क्या कहते हो?

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