Sexy Bahu story – मदनलाल बाजार से थकाहारा घर लौटा, उसका बदन पसीने से तर और दिमाग रोज़मर्रा की भागदौड़ से भारी। 55 साल का मदनलाल, सेना से रिटायर्ड, अभी भी हट्टा-कट्टा था। उसका कद छह फीट, चौड़ा सीना, और भारी-भरकम कंधे उसे एक नौजवान मर्द का रौब देते थे। उसकी पत्नी शांति, 53 साल की, पिछले कुछ सालों से बीमारी के चलते कमज़ोर थी, और उसका बेटा सुनील, 26 साल का, मुंबई में नौकरी करता था। सुनील की शादी पिछले साल ही काम्या से हुई थी, जो 22 साल की थी, और उसकी बेटी कमला, 28 साल की, ससुराल में रहती थी। काम्या, एक ऐसी औरत थी, जिसकी खूबसूरती की चर्चा मोहल्ले में आम थी। उसका गोरा रंग, भरा हुआ बदन, और कातिलाना अंदाज़ हर मर्द की नज़र को अपनी ओर खींच लेता था।
मदनलाल ने घर में कदम रखते ही जूते उतारे और सीधा बाथरूम की ओर भागा। उसे पेशाब की सख्त ज़रूरत थी। घर में लैट्रिन और बाथरूम एक ही था, और दरवाज़ा हल्का सा खुला देखकर उसने सोचा कि शायद अंदर कोई नहीं। वो तेज़ी से अंदर घुसा, लेकिन जैसे ही उसकी नज़र सामने पड़ी, उसकी सांसें थम गईं। वहां उसकी नई-नवेली बहू काम्या, बिल्कुल नंगी, नहाने की तैयारी में खड़ी थी। उसका गीला बदन पानी की बूंदों से चमक रहा था, जैसे कोई ताज़ा मोती समंदर से निकला हो। काम्या का चेहरा खूबसूरत था, लेकिन उसका बदन तो मानो जन्नत की सैर करा रहा था। मदनलाल की नज़रें उसके चेहरे से हटकर सीधे उसके गोल, भरे हुए स्तनों पर टिक गईं। वो स्तन, जो इतने सख्त और उभरे हुए थे कि मानो किसी मूर्तिकार ने बड़े जतन से तराशे हों। उनके ऊपर गुलाबी निप्पल्स, हल्के भूरे रंग के घेरे के साथ, किसी मर्द के होश उड़ा देने को काफी थे।
मदनलाल की नज़रें और नीचे खिसकीं। काम्या का पेट, चिकना और सपाट, हल्का सा उभरा हुआ, जिसके नीचे उसकी कमर इतनी पतली थी कि मानो किसी ने नाप-तोल कर बनाई हो। और फिर, उसकी नज़रें उस त्रिकोण पर रुक गईं, जो हर मर्द के सपनों का केंद्र होता है। काम्या की योनि के ऊपर हल्के काले बालों का झुरमुट था, जो गीले होकर उसकी त्वचा से चिपके हुए थे। वो जगह इतनी मोहक थी कि मदनलाल का गला सूख गया। उसका लंड, जो सालों से सिर्फ पेशाब के काम आ रहा था, अचानक तन गया, और उसके खून में गर्मी की लहर दौड़ पड़ी।
काम्या, जो अब तक सन्न थी, अचानक होश में आई। उसने शर्म से अपनी आंखें नीचे कीं और जल्दी से पीछे मुड़ गई। लेकिन ये उसकी सबसे बड़ी भूल थी। जैसे ही वो मुड़ी, मदनलाल के सामने उसकी गांड आ गई—वो गांड, जो इतनी गोल, भरी हुई, और चिकनी थी कि मानो मक्खन का गोला हो। काम्या की गांड का हर हिस्सा इतना परफेक्ट था कि मदनलाल के लिए उससे नज़र हटाना नामुमकिन था। उसकी जांघें, जो गांड के नीचे से शुरू हो रही थीं, मांसल और गोरी थीं, जैसे केले के तने। मदनलाल, जो औरतों की गांड का दीवाना था, अब पूरी तरह बेकाबू हो चुका था। उसकी ज़िंदगी में उसने कई औरतों की गांड देखी थी—बाज़ार में, रास्ते में, गलियों में—but काम्या की गांड ने उसे पूरी तरह झकझोर दिया।
वो आगे बढ़ा, जैसे कोई भूखा शिकारी अपने शिकार की ओर बढ़ता है। उसने अपने घुटनों पर बैठते हुए काम्या की कमर को दोनों हाथों से पकड़ लिया। काम्या के बदन में एक झुरझुरी सी दौड़ गई। उसने विरोध करने की सोची, लेकिन उसका शरीर मानो सुन्न पड़ गया था। मदनलाल ने बिना वक्त गंवाए अपने होंठ काम्या की गांड के एक गाल पर रख दिए। “आह्ह…” काम्या के मुंह से हल्की सी सिसकारी निकली। उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। सुनील ने कभी उसकी गांड को इस तरह नहीं चूमा था। हां, वो उसे सहलाता ज़रूर था, लेकिन ये जो ससुर कर रहा था, वो कुछ और ही था।
मदनलाल अब पूरी तरह खो चुका था। उसने अपनी जीभ बाहर निकाली और काम्या की गांड के चिकने गालों को चाटना शुरू किया। उसकी जीभ, गीली और खुरदरी, ऊपर से नीचे तक फिसल रही थी, और हर बार जब वो काम्या की गांड की दरार के पास पहुंचता, काम्या का बदन कांप उठता। “उम्म… आह्ह…” काम्या की सिसकारियां अब तेज़ हो रही थीं। उसकी योनि में गीलापन बढ़ रहा था, और वो शर्म के साथ-साथ उत्तेजना की आग में भी जल रही थी। मदनलाल ने अपनी जीभ को और गहराई में डाला, काम्या की गांड की दरार में रगड़ते हुए। “ओह्ह… बाबूजी…” काम्या के मुंह से हल्की सी आवाज़ निकली, लेकिन वो अब भी रुकी रही। उसका दिमाग़ उसे रोकने को कह रहा था, लेकिन उसका शरीर इस स्पर्श का मज़ा ले रहा था।
मदनलाल ने अब अपने हाथों को काम्या की जांघों पर फेरना शुरू किया। उसकी उंगलियां धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ीं और काम्या की योनि के बालों को छूने लगीं। काम्या का बदन अब पूरी तरह गर्म हो चुका था। उसकी सांसें तेज़ थीं, और उसकी योनि में गीलापन अब साफ महसूस हो रहा था। “आह्ह… ओह्ह…” उसकी सिसकारियां अब और तेज़ हो गई थीं। मदनलाल ने अपनी जीभ को और तेज़ी से रगड़ा, और फिर, एकाएक, उसने काम्या की गांड के एक गाल में हल्का सा दांत गड़ा दिया। “आउच!” काम्या के मुंह से हल्की सी चीख निकली।
ये चीख सुनते ही काम्या को होश आया। उसने जल्दी से कहा, “बाबूजी, आप जाइए… मम्मी पूजा के कमरे में हैं।” उसकी आवाज़ में शर्म, डर, और उत्तेजना का मिश्रण था। मदनलाल भी एकदम से रुक गया। उसे अहसास हुआ कि वो बहुत दूर निकल आया था। वो उठा और बिना कुछ कहे बाथरूम से बाहर चला गया। काम्या ने जल्दी से दरवाज़ा बंद किया और दीवार के सहारे खड़ी होकर हांफने लगी। उसकी टांगें कांप रही थीं, और उसका दिल अब भी ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था।
मदनलाल अपने कमरे में पहुंचा और बिस्तर पर लेट गया। उसका दिमाग़ उस घटना को बार-बार दोहरा रहा था। काम्या का नंगा बदन, उसकी गोल गांड, और वो सिसकारियां—सब कुछ उसके सामने बार-बार आ रहा था। उसका लंड फिर से तन गया, इतना सख्त कि उसे दर्द होने लगा। उसे याद आया कि पिछले पांच-छह सालों से उसने अपनी पत्नी शांति के साथ चुदाई नहीं की थी। शांति की बीमारी ने उसे बिस्तर तक सीमित कर दिया था, और उसका लंड सिर्फ पेशाब के लिए काम आ रहा था। लेकिन आज, काम्या की जवानी ने उसकी रगों में फिर से आग भर दी थी।
वो सोचने लगा कि काम्या ने इतनी देर तक क्यों चुप्पी साधी। उसने पहला चुम्बन लेते ही क्यों नहीं रोका? और जब रोका, तो सिर्फ इतना कहा कि “मम्मी पूजा के कमरे में हैं”? क्या इसका मतलब ये था कि अगर शांति घर में न होती, तो काम्या उसे और आगे बढ़ने देती? मदनलाल के दिमाग़ में सवालों का तूफान उठ रहा था। क्या काम्या भी सुनील की गैरमौजूदगी में मर्द की कमी महसूस कर रही थी? क्या वो भी इस स्पर्श का मज़ा ले रही थी?
आप यह Sasur Bahu Chudai Kahani हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
मदनलाल ने मन ही मन एक फैसला ले लिया। वो इस रास्ते पर आगे बढ़ेगा, लेकिन सावधानी से। वो जानता था कि काम्या को पटाना आसान नहीं होगा। अगर घर में इसकी भनक पड़ गई, तो सब कुछ तबाह हो सकता था। उसने सोचा कि वो पहले काम्या की प्रतिक्रिया को परखेगा। वो जानता था कि औरतें मर्दों की नीयत को तुरंत भांप लेती हैं। उसने फैसला किया कि वो कुछ दिन सिर्फ काम्या को प्यासी नज़रों से देखेगा, उसकी हर हरकत को गौर करेगा, और उसकी प्रतिक्रिया को समझेगा।
इधर, काम्या अपने कमरे में पहुंची और दरवाज़ा बंद करके बिस्तर पर बैठ गई। उसका बदन अभी भी कांप रहा था। वो बार-बार उस पल को याद कर रही थी, जब ससुर की जीभ उसकी गांड पर फिसल रही थी। “हे भगवान,” उसने मन में सोचा, “अगर मैंने वक्त पर होश न संभाला होता, तो बाबूजी की जीभ कहीं और पहुंच जाती।” इस ख्याल ने उसकी योनि में फिर से गीलापन बढ़ा दिया, और उसके निप्पल्स तन गए। उसे याद आया कि उसकी ज़िंदगी में ये पहली बार नहीं था जब किसी ने उसका फायदा उठाने की कोशिश की थी।
काम्या को एक पुरानी बात याद आ गई। जब वो बारहवीं में थी, तब उसके मोहल्ले में मेला लगा था। वो अपनी सहेली मधु के साथ “मौत का कुआं” देखने गई थी। भीड़ में खड़े होते ही उसे किसी लड़के का हाथ अपनी गांड पर महसूस हुआ। उसने शर्म के मारे कुछ नहीं कहा, क्योंकि उसे डर था कि अगर उसने हंगामा किया, तो मोहल्ले में उसकी बदनामी हो जाएगी। वो लड़का और साहसी हो गया और उसने अपनी उंगलियां काम्या की स्कर्ट के नीचे डाल दीं। उसकी पैंटी की लाइनिंग के अंदर उंगलियां फिसलने लगीं, और काम्या का बदन शर्म और उत्तेजना से कांपने लगा। उसने मधु की ओर देखा, तो पाया कि उसकी सहेली भी दो लड़कों के हाथों का शिकार थी। खेल खत्म होने के बाद, जब वो सीढ़ियों से उतर रही थी, तो किसी ने उसके कान में फुसफुसाया, “जानेमन, तेरी गांड इतनी मस्त है कि सारी ज़िंदगी इसे ही चूमता रहूं।”
काम्या को वो शब्द याद आते ही गुदगुदी हुई। उसने मन में बड़बड़ाया, “बेशरम! उसे क्या पता कि औरत की गांड जन्नत का दरवाज़ा होती है।” वो अभी ये सब सोच ही रही थी कि सास की आवाज़ आई, “काम्या, कहां हो? नाश्ता नहीं बनाना क्या? अपने बाबूजी को भूखा रखेगी?”
काम्या ने जल्दी से साड़ी पहनी और किचन की ओर भागी। उसकी साड़ी का पल्लू बार-बार सरक रहा था, और उसका गोरा, चिकना पेट बार-बार झलक रहा था। मदनलाल की नज़रें उसकी कमर पर टिकी थीं। वो जानता था कि इस रास्ते पर चलना आसान नहीं, लेकिन काम्या की जवानी ने उसे बेकाबू कर दिया था। वो अब हर कदम सोच-समझकर उठाएगा, और काम्या की हर प्रतिक्रिया को बारीकी से देखेगा।
काम्या ने नाश्ता बनाकर मदनलाल के सामने रखा। उसकी साड़ी का पल्लू फिर से सरका, और उसका पेट और गहरी नाभि साफ दिख रही थी। मदनलाल की नज़रें उसकी कमर पर टिक गईं। काम्या ने उसकी नज़रें देख लीं, और उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया। वो जल्दी से किचन की ओर भागी। उसे अपने ऊपर गुस्सा आ रहा था कि अगर उसने बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया होता, तो शायद ये सब न होता। लेकिन अब जो हो गया, वो हो गया। उसे पता था कि बाबूजी की आंखों में अब कई रातों तक नींद नहीं आएगी।
मदनलाल किचन में हाथ धोने के बहाने पहुंचा। उसका असली मकसद तो काम्या की जवानी को फिर से निहारना था। वो जानता था कि ये खेल अब शुरू हो चुका है, और वो इसे और आगे ले जाएगा।
कहानी का अगला भाग: बहकती बहू-2
1 thought on “बहकती बहू-1”