मैं पल्लवी, 24 साल की जवान लड़की, अपनी पहली गैंगबैंग की कहानी सुनाने जा रही हूँ। मेरी फिगर 34-30-32 है—मम्मे भरे हुए, गोल और तने हुए 34D, कमर पतली सी 30, और हिप्स गोल-मटोल 32। मेरी गोरी चमकती त्वचा और लंबे काले बाल हर मर्द की नजरें ठहरा देते हैं। मेरे होंठ गुलाबी, आँखें कजरारी, और चाल ऐसी कि जवान लड़कों से लेकर बुजुर्ग तक, सबके लंड मेरी एक झलक पाते ही तन जाते हैं। मेरे दोस्त—सलिल, गीतेश, वीरेन, शैलेश, और किशन—सब मेरे कॉलेज के क्लासमेट हैं। सलिल, 25 साल का, साँवला, मस्कुलर, 5 फुट 10 इंच का, 7 इंच का लंड, जो मुझे पहली बार चोदने वाला था। गीतेश, 26 साल, गोरा, जिम-टोन्ड बॉडी, 8 इंच का लंड। वीरेन, 25 साल, लंबा, 6 पैक, 9 इंच का लंड। शैलेश, 24 साल, मध्यम कद, थोड़ा मोटा, 7.5 इंच का लंड। और किशन, 26 साल, जिम फ्रीक, 10 इंच का मोटा लंड, जो गैंगबैंग में सबको मात देता था।
ये कहानी तब शुरू हुई जब मैं 18 साल की थी। मेरी सहेलियाँ, खासकर उन्नति, जो 23 साल की थी, पतली, 32-28-32 की फिगर वाली, अपने बॉयफ्रेंड्स के साथ चुदाई की कहानियाँ सुनाती थीं। वो बताती कि कैसे उनका आशिक उनकी चूत को चाटता, लंड से रगड़ता, और रातभर पेलता। मैं बाहर से शरमाती, लेकिन अंदर से मेरी चूत गीली हो जाती। उनकी बातें सुनकर मेरे मन में भी आग लगती कि काश मेरा भी कोई ऐसा लवर हो जो मेरी सलवार फाड़ दे, मेरी चूत को चाटे, और लंड से फाड़ दे। लेकिन मैं एक रईस खानदान से थी। पापा डॉक्टर थे, मम्मी इनकम टैक्स ऑफिसर। मेरी जिंदगी ड्राइवर और लग्जरी गाड़ी तक सीमित थी। मुझे लड़कों से बात करने का मौका ही नहीं मिलता था।
19, 20 साल की उम्र तक मेरा जिस्म और निखर गया। मेरे मम्मे और सख्त हो गए, हिप्स और गोल। रात को जब घरवाले सो जाते, मैं अपने लैपटॉप पर ब्लू फिल्में देखती। उस समय फेसबुक नहीं था, लेकिन ऑरकुट पर हॉट प्रोफाइल्स देखकर मेरी चूत में खुजली होने लगती। मैं मोटे-मोटे, लंबे लंडों के बारे में सोचती, उंगलियाँ अपनी चूत में डालकर खुद को शांत करती। “उफ्फ… कितना मज़ा आएगा जब असली लंड अंदर जाएगा…” मैं सपने देखती। मम्मी जब कमरे में चेक करने आतीं, मैं जल्दी से किताब उठा लेती। वो समझतीं कि उनकी बेटी रात के 1 बजे तक पढ़ रही है, लेकिन उनकी बेटी तो चुदाई की आग में जल रही थी।
एक दिन मैंने उन्नति से कहा, “यार, मुझे भी चुदवाना है! अपने बॉयफ्रेंड गीतेश से मेरी सेटिंग करवा दे। मैं तुझे पिज्जा खिलाऊँगी।” उन्नति हँसी, “ठीक है, गीतेश से बात करती हूँ।” मैं बेसब्री से इंतज़ार करने लगी। शनिवार की रात गीतेश ने अपने गुड़गाँव वाले फार्महाउस में पार्टी रखी। वहाँ बियर, व्हिस्की, रम, ग्रिल्ड चिकन, और बारबेक्यू का पूरा इंतज़ाम था। उन्नति के कहने पर मैंने काली शॉर्ट स्कर्ट और टाइट सफेद टॉप पहना, जिसमें मेरे मम्मे उभरे हुए दिख रहे थे। मेरी चिकनी जाँघें चमक रही थीं। पार्टी में गीतेश ने उन्नति को आँख मारी, और वो ऊपर कमरे में चली गई। मैं समझ गई, अब वो चुदने जा रही है।
एक घंटे बाद उन्नति लौटी। उसकी लिपस्टिक बिखरी थी, काजल फैला हुआ, बाल बेतरतीब। मैंने पूछा, “अरे, इतनी देर कहाँ थी?” वो हँसी, “तीन राउंड मारे यार! गीतेश ने फाड़ दिया!” मेरा खून खौल गया। “तीन राउंड? अब गीतेश मुझे क्या चोदेगा?” मैंने सोचा। उन्नति ने मुझे ऊपर कमरे में भेजा। मैं गई तो देखा गीतेश नंगा बेड पर पड़ा था, व्हिस्की के दो पैग चढ़ाकर। उसका लंड सिकुड़ा पड़ा था। मेरी चुदाई की ख्वाहिश अधूरी रह गई। “साला, उन्नति ने सारा माल हजम कर लिया…” मैंने गुस्से में सोचा।
कुछ हफ्ते बाद मेरी क्लास का सलिल मुझे लाइन देने लगा। साँवला, मस्कुलर, 25 साल का सलिल मुझे अपनी करिश्मा बाइक पर घुमाता। हम मॉल जाते, मल्टीप्लेक्स में फिल्म देखते, कभी डिस्को में थिरकते। मैं उससे खुल गई। एक दिन मैंने उससे कहा, “यार सलिल, तू बस घुमाएगा या कुछ करेगा भी?” उस दिन सलिल अपने पापा की होंडा सिटी कार लेकर आया। गाड़ी एकदम शानदार थी, AC में ठंडक भरी थी। रात के 1:30 बज चुके थे, हम बार से निकले थे। कार में सलिल ने मुझे कमर से पकड़ा और बोला, “पल्लवी, कार में ही दे दे!”
मैंने व्हिस्की के नशे में चिल्लाया, “अबे चूतिए, पूछता क्या है? चोद ना मुझे! कब से तड़प रही हूँ!” सलिल ने मुझे कसकर पकड़ा और मेरे चेहरे, गले, और कंधों पर चुंबनों की बरसात कर दी। उसने कार को मॉल की अंधेरी बेसमेंट पार्किंग में खड़ा किया। सीट पीछे की, मैं लेट गई। मेरी सील टूटने का वक्त था। सलिल ने मेरी काली स्कर्ट ऊपर सरकाई। मेरी चिकनी टाँगों को चूमते हुए वो धीरे-धीरे मेरी मांसल जाँघों तक पहुँचा। “उफ्फ… सलिल… आह्ह…” मैं सिसकारी। उसने मेरी जाँघों को चाटा, हल्के-हल्के काटा। फिर उसकी जीभ मेरी लाल डिज़ाइनर पैंटी तक पहुँची। मेरी चूत गीली थी, वो पैंटी के ऊपर से ही चूसने लगा। “आह्ह… सलिल… और चूस… उफ्फ…” मेरी साँसें तेज हो गईं।
उसने मेरा सफेद टॉप उतारा, जिसमें मेरे मम्मे उभरे हुए थे। मेरी काली ब्रा खोली, मेरे 34D के मम्मे आज़ाद हो गए। “पल्लवी, तेरे मम्मे तो माल हैं…” सलिल ने कहा और मेरे निप्पल्स पर टूट पड़ा। वो मेरे काले निप्पल्स को चूस रहा था, हल्के-हल्के काट रहा था। “आह्ह… सलिल… धीरे… उफ्फ…” मैं चिहुंकी। उसकी जीभ मेरे मम्मों पर गोल-गोल घूम रही थी। मेरी चूत में आग लग रही थी। फिर सलिल ने मेरी पैंटी खींच दी। मैं पूरी नंगी थी। उसने अपनी जींस और टी-शर्ट उतारी, उसका 7 इंच का लंड तनकर खड़ा था।
कार लॉक थी, लाइट्स ऑफ। मैंने अपने पतले हाथ सिर के नीचे रखे। सलिल मेरी चूत की ओर बढ़ा। मेरी चूत भट्टी की तरह गर्म थी। उसने अपनी जीभ मेरी चूत की फाँकों में डाली, गोल-गोल घुमाने लगा। “उफ्फ… सलिल… आह्ह… और चाट… तेरी जीभ तो कमाल है…” मैं सिसकारी। उसकी गर्म जीभ मेरी क्लिट को चूस रही थी। “आह्ह… उफ्फ… सलिल… और तेज़…” मैंने अपनी जाँघें और खोल दीं। मेरी चूत टपक रही थी। सलिल ने अपना फोन निकाला, मेरी गुलाबी चूत को फैलाया और फोटो खींची। “ये मेरे लिए यादगार रहेगा,” उसने कहा। मैंने विरोध नहीं किया।
उसने मेरे पैर कार के डैशबोर्ड पर रखे। अपनी उँगली से मेरी चूत को सहलाया, फिर अपने 7 इंच के लंड को मुठ मारकर तड़का दिया। मेरी धड़कनें तेज हो गईं। “हाय… अब चुदने वाली हूँ…” मैंने सोचा। डर था कि कहीं सिक्योरिटी गार्ड न आ जाए। सलिल ने फोन की रिकॉर्डिंग ऑन की और बोला, “पल्लवी, पहली बार दर्द होगा, तैयार है?” मैंने कहा, “धीरे करना… कम दर्द हो।” वो हँसा, “पल्लवी, भाई मत बोल, बहनचोद नहीं बनना। दर्द तो बर्दाश्त करना पड़ेगा।”
मैंने आँखें बंद कीं। सलिल ने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा और एक जोरदार धक्का मारा। “आआह्ह… माँ… मर गई…” मैं चीखी। ऐसा लगा जैसे चाकू घुस गया हो। खून निकलने लगा। “उफ्फ… सलिल… धीरे…” मैं छटपटाई। उसने मेरे चिकने पैर कसकर पकड़े और फिर धक्का मारा। “पट… पट… चट… चट…” की आवाज़ गूंजी। उसका लंड मेरी कुंवारी चूत को चीर रहा था। “आह्ह… सलिल… रुक…” मैंने कहा, लेकिन वो नहीं रुका। धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। “पट… चट… पट… चट…” की आवाज़ तेज हुई। दर्द कम होने लगा। “आह्ह… सलिल… अब मज़ा आ रहा है…” मैंने आँखें खोलीं।
“बेबी, अब मज़े ले!” सलिल ने कहा और तेज़ धक्के मारने लगा। कार हिलने लगी। “पट… पट… चट… चट…” की आवाज़ और मेरी सिसकारियाँ—“आह्ह… उफ्फ… सलिल… और जोर से…”—पूरी कार में गूंज रही थीं। मेरी चूत की गर्मी और महक कार में फैल गई। सलिल ने मेरे मम्मों को दबाया, निप्पल्स को मसला। “उफ्फ… सलिल… फाड़ दे मेरी चूत…” मैं चिल्लाई। उसका लंड मेरी चूत की दीवारों को रगड़ रहा था। “चट… चट… पट… पट…” की आवाज़ तेज हो गई। मैंने अपनी टाँगें और खोल दीं। सलिल मुझे रगड़-रगड़ कर चोद रहा था। “आह्ह… उफ्फ… सलिल… और तेज़… चोद ना…” मेरी सिसकारियाँ कार को हिला रही थीं।
करीब तीन घंटे तक सलिल ने मुझे चोदा। मेरी चूत लाल हो गई थी। आखिर में उसने लंड निकाला और मेरे मुँह पर छोड़ दिया। गर्म वीर्य मेरे होंठों, गालों पर गिरा। “उम्म… सलिल… तेरा माल तो गज़ब है…” मैंने चाटते हुए कहा। फिर हमने कपड़े पहने—मैंने अपनी स्कर्ट, टॉप, और पैंटी, सलिल ने अपनी जींस और टी-शर्ट। इसके बाद मैं सलिल से अक्सर मॉल की पार्किंग में चुदवाती।
एक दिन मैंने मजाक में सलिल को व्हाट्सएप किया, “मैं गैंगबैंग करना चाहती हूँ!” सलिल ने इसे सीरियस लिया। उसने गीतेश, वीरेन, शैलेश, और किशन से बात की। उनकी प्रोफाइल्स भेजीं—सब हट्टे-कट्टे, जिम जाने वाले। मेरे मुँह में पानी आ गया। “पांच लंड… हाय… कितना मज़ा आएगा…” मैंने सोचा। गीतेश ने अपने फार्महाउस पर गैंगबैंग प्लान किया। रविवार की सुबह मैं अपनी स्विफ्ट डिज़ायर में पहुँची। मैंने टाइट जींस और लाल टॉप पहना था, जिसमें मेरे मम्मे उभर रहे थे। गीतेश 60 बोतल बियर लाया था। किशन थोड़ा कोकीन लाया। सलिल और शैलेश चिकन सैंडविच लाए। वीरेन कंडोम के पैकेट्स और सिल्डेनाफिल की गोलियाँ लाया।
मुझे थोड़ी शर्मिंदगी थी, लेकिन ये सब मेरे क्लासमेट थे। “पल्लवी, दिखा ना अपनी जलवा!” गीतेश ने कहा। मैंने अपनी जींस और टॉप उतार दिया, सिर्फ काली ब्रा और पैंटी में थी। सलिल के साथ चुदाई के बाद मैं बिंदास हो गई थी। गीतेश मेरे पास आया, मेरी ब्रा खोली, मेरे 34D मम्मों को चूसने लगा। “उफ्फ… गीतेश… आह्ह… और चूस…” मैं सिसकारी। किशन, सलिल, शैलेश, और वीरेन ने कपड़े उतारे। उनके लंड—7 से 10 इंच तक—हवा में लहरा रहे थे। गीतेश, वीरेन, और किशन के 6 पैक और मोटे लंड देखकर मेरी चूत टपकने लगी।
गीतेश ने मुझे बियर की बोतल दी। मैंने गटक ली, नशा चढ़ गया। मैंने चिल्लाया, “ऐ गाँडुओं! जिसका लंड सबसे बड़ा, वही पहले चोदेगा!” सब सीटियाँ मारने लगे। किशन का 10 इंच का लंड सबसे पावरफुल था। उसने मुझे सोफे पर बैठाया, मेरी पैंटी उतारी, मेरी गाँड़ के पीछे से चूत चाटने लगा। “उफ्फ… किशन… आह्ह… तेरी जीभ… हाय…” मैं सिसकारी। उसकी जीभ मेरी चूत की फाँकों में गहरे तक जा रही थी। मेरी क्लिट को वो चूस रहा था। “आह्ह… किशन… और तेज़… चाट ना…” मैंने टाँगें खोल दीं।
किशन ने पूछा, “तेरी सील किसने तोड़ी?” सलिल ने हाथ उठाया, “मैंने!” किशन हँसा, “क्या माल है! एक बार चुदकर गैंगबैंग के लिए तैयार!” उसने अपने लंड पर थूक लगाया, मेरी चूत पर रगड़ा, और एक जोरदार धक्का मारा। “आआह्ह… माँ… किशन… धीरे…” मैं चीखी। उसका 10 इंच का लंड मेरी चूत को चीर रहा था। “पट… चट… पट… चट…” की आवाज़ गूंजी। गीतेश मेरे मुँह में अपना 8 इंच का लंड डालने लगा। “उम्म… ग्लप… ग्लप…” मैं उसे गले तक चूस रही थी। वीरेन मेरे मम्मों को चूसने लगा। “आह्ह… वीरेन… और जोर से…” मैं सिसकारी। शैलेश मेरी पीठ और गाँड़ सहलाने लगा। “उफ्फ… शैलेश… हाय…” मैं मदहोश थी।
किशन मुझे गचागच चोद रहा था। “पट… चट… पट… चट…” की आवाज़ तेज थी। “आह्ह… किशन… और जोर से… फाड़ दे…” मैं चिल्लाई। गीतेश मेरे मुँह को चोद रहा था। “उम्म… ग्लप… ग्लप…” मेरी सिसकारियाँ और चूसने की आवाज़ मिल रही थी। वीरेन मेरे मम्मों को मसल रहा था, शैलेश मेरी गाँड़ पर हल्के-हल्के थप्पड़ मार रहा था। “आह्ह… उफ्फ… और मारो…” मैं सिसकारी।
आधे घंटे बाद किशन हट गया। गीतेश मेरी चूत में पेलने लगा। “आह्ह… गीतेश… तेरा लंड… उफ्फ…” मैं सिसकारी। सलिल मेरे मुँह में लंड डालने लगा। वीरेन और शैलेश मेरे मम्मों और गाँड़ को सहला रहे थे। 40 मिनट बाद गीतेश झड़ गया। फिर वीरेन, शैलेश, और सलिल ने बारी-बारी चोदा। मेरी चूत लाल थी। हमने रेस्ट किया, चिकन खाया, व्हिस्की पी, कोकीन लिया। सिल्डेनाफिल ने सबके लंड फिर तान दिए। वीरेन ने फिर चोदा, फिर शैलेश, सलिल, गीतेश, और किशन। पूरे दिन मैं चुदी। “आह्ह… उफ्फ… चोदो… और जोर से…” मेरी सिसकारियाँ गूंजती रहीं। मैंने पाँचों के लंड चूसे, वीर्य निगला। “उम्म… कितना मज़ा…” मैंने कहा।
मेरा गैंगबैंग ब्लू फिल्मों जैसा था। पाँचों ने मेरे मम्मों, चूत, और गाँड़ को रगड़ा। मैं रानी थी, वो मेरे गुलाम।
क्या आपको मेरी सलवार फाड़ कर चुदाई की कहानी पसंद आई? अपनी राय ज़रूर बताएँ।