ट्रेन में वकील साहिबा की चुदाई

नमस्ते दोस्तों, मैं हूँ युवराज, और एक बार फिर से मैं आपके लिए एक नई, सच्ची और मसालेदार कहानी लेकर आया हूँ। ये कहानी मेरे जीवन की एक ऐसी घटना है, जो जनवरी 2020 में मेरे साथ घटी, जब मैं दिल्ली से इंदौर की ट्रेन में सफर कर रहा था। मेरी पिछली कहानी(रशियन लड़की की सीलतोड़ चुत चुदाई) को आपने बहुत प्यार दिया, उसका दिल से शुक्रिया। आज की ये कहानी एक ऐसी औरत की है, जो बाहर से सख्त वकील साहिबा थी, लेकिन अंदर से इतनी प्यासी थी कि ट्रेन की उस रात ने हमें दोनों को एक अनोखे रोमांच में डुबो दिया।

मैं पहले एक टूरिस्ट गाइड था, लेकिन अब गोवा में अपना छोटा-सा बिजनेस चला रहा हूँ। जनवरी 2020 में मुझे अपने बिजनेस के सिलसिले में दिल्ली जाना पड़ा। दिल्ली में मेरा काम दस दिन तक चला। जनवरी की ठंड तो आप जानते ही हैं, जब पारा 3-4 डिग्री तक गिर जाता है। मेरा बिजनेस उस समय थोड़ा धीमा था, तो मेरे पास वक्त की कोई कमी नहीं थी। मैंने सोचा, क्यों न दिल्ली और आसपास की जगहें घूम लूँ। पहले मैंने आगरा जाने का प्लान बनाया, लेकिन न जाने क्यों, मेरा मन बदला और मैंने आगरा का प्लान कैंसिल कर दिया।

मैं नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुँचा और वहाँ से इंदौर के लिए फर्स्ट एसी में टिकट बुक करवाया। मेरा इरादा था कि मध्य प्रदेश की कुछ खास जगहें जैसे खजुराहो, अमरकंटक घूमते हुए गोवा लौट जाऊँ। मैं ट्रेन में चढ़ा, मेरी सीट फर्स्ट एसी के दो लोगों वाले केबिन में थी। मेरे साथ एक औरत थी, जिसका नाम मैं यहाँ जेबा फरहीन रखूँगा, क्योंकि मैं उसका असली नाम नहीं बता सकता। जेबा एक वकील थी, इंदौर में कोर्ट में प्रैक्टिस करती थी। उम्र में वो करीब 32 साल की थी, गोरी, भरे हुए बदन की, और चेहरे पर एक सख्त-सी मुस्कान जो उसकी प्रोफेशनल ज़िंदगी की कहानी बयान करती थी। उसने काले रंग का सलवार-सूट पहना था, जिसमें वो किसी कॉरपोरेट औरत की तरह लग रही थी, लेकिन उसकी आँखों में एक चमक थी, जो कुछ और ही कह रही थी।

ट्रेन चलने से पहले वो भी केबिन में आ चुकी थी। हम दोनों अपनी-अपनी सीट पर बैठे, शुरू में मोबाइल में खोए रहे। थोड़ी देर बाद जेबा ने चुप्पी तोड़ी। उसने पूछा, “आप कहाँ जा रहे हैं?” उसकी आवाज़ में एक औपचारिक-सी गंभीरता थी, जैसी वकीलों की होती है। मैंने जवाब दिया, “इंदौर, और आप?” उसने कहा, “मैं भी इंदौर जा रही हूँ।” फिर उसने मेरा नाम पूछा, मैंने भी उसका नाम जाना।

जेबा ने पूछा, “आप करते क्या हैं? इंदौर से हैं?” मैंने बताया, “मैं गोवा में बिजनेस करता हूँ, इंदौर घूमने जा रहा हूँ।” फिर मैंने उससे पूछा, तो उसने बताया कि वो वकालत करती है और अपने अंकल के घर इंदौर जा रही है। मैंने उसकी तरफ गौर से देखा। वो खूबसूरत थी, उसकी सलवार में उसका भरा हुआ फिगर साफ नजर आ रहा था। उसकी सलवार का कुर्ता टाइट था, जो उसके 36D साइज़ के मम्मों को उभार रहा था। उसने हल्का मेकअप किया था, और उसके बाल खुले थे, जो हल्की हवा में लहरा रहे थे।

जेबा ने फिर पूछा, “इंदौर में क्या करने जा रहे हैं?” मैंने कहा, “घूमने।” उसने मुस्कुराते हुए कहा, “इंदौर में घूमने की बहुत जगहें हैं।” मैंने मजाकिया लहजे में कहा, “हाँ, लेकिन अगर कोई जान-पहचान वाला मिल जाए जो घुमा दे, तो मज़ा दोगुना हो जाए।” मेरा इशारा उसकी तरफ था। उसने तपाक से जवाब दिया, “क्या आप मेरे साथ घूमना चाहते हैं?” मैंने हँसते हुए कहा, “ऐसी बात नहीं, लेकिन अगर आपके पास वक्त हो, तो क्यों नहीं!”

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वो बोली, “इस बार मैं काम से जा रही हूँ, वक्त नहीं होगा। लेकिन मैं एक टूरिस्ट गाइड को जानती हूँ, उसका नंबर दे दूँगी। वो आपको इंदौर, खजुराहो, अमरकंटक, पूरा मध्य प्रदेश घुमा देगा।” मैंने शुक्रिया अदा किया, और फिर हम दोनों अपने-अपने काम में व्यस्त हो गए। मैंने खाना खाया और अपनी बर्थ पर लेट गया। जेबा भी अपनी ऊपरी बर्थ पर चली गई।

रात के करीब 1 बजे मुझे कुछ अजीब-सी आवाज़ें सुनाई दीं। “सी… आह… सी…” मैंने नींद में चौंककर ऊपर देखा। जेबा चादर लपेटे हुए थी, लेकिन उसकी सिसकारियाँ साफ सुनाई दे रही थीं। मुझे लगा शायद उसकी तबीयत खराब है। मैंने पूछा, “मैडम, आप ठीक तो हैं?” मेरी आवाज़ से वो हड़बड़ा गई। उसने जल्दी से कहा, “हाँ, मैं ठीक हूँ।” मैंने गौर किया कि उसके माथे पर पसीना था। एसी केबिन में पसीना? मुझे अजीब लगा, लेकिन मैं चुप रहा और फिर सो गया।

थोड़ी देर बाद फिर वही आवाज़ें शुरू हुईं। अब मुझे शक हुआ। मैं उठा और केबिन से बाहर चला गया। थोड़ी देर बाद जब वापस आया, तो जो नज़ारा देखा, उसने मेरे होश उड़ा दिए। जेबा अपनी सलवार नीचे करके, टाँगें खोलकर अपनी चूत में उंगली कर रही थी। उसकी सलवार एक तरफ पड़ी थी, और उसकी उंगलियाँ उसकी गीली चूत में तेज़ी से अंदर-बाहर हो रही थीं। उसकी सिसकारियाँ और चूत की गीली फच-फच की आवाज़ पूरे केबिन में गूँज रही थी। मुझे देखकर वो थोड़ा घबरा गई, लेकिन उसने खुद को जल्दी से ढका नहीं।

मैंने हैरानी से पूछा, “मैडम, आप ये क्या कर रही हैं? मैं भी तो यहीं हूँ!” उसने बेझिझक जवाब दिया, “ये मेरी मर्ज़ी है।” उसकी ये बिंदास बात सुनकर मैं हैरान था। मैंने अपने जीवन में कई बार सेक्स किया था, लेकिन किसी औरत को इतने बेधड़क अंदाज़ में ऐसी बात करते पहली बार देखा। मैंने कुछ नहीं कहा और अपनी बर्थ पर लेट गया। लेकिन जेबा अब और बेशर्म हो गई। उसने फिर से अपनी चूत में उंगली शुरू कर दी, और अब तो उसकी सिसकारियाँ और फच-फच की आवाज़ें मेरे सामने ही आ रही थीं।

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थोड़ी देर बाद उसने मुझे जगाया और कहा, “सॉरी, अगर आपको बुरा लगा। दरअसल, मैं अपनी सहेली से चैट कर रही थी। बातें चुदाई की तरफ चली गईं, और उसने मुझे कुछ लंड की तस्वीरें भेज दीं। बस, मैं खुद को रोक नहीं पाई।” उसके मुँह से “लंड” और “चुदाई” जैसे शब्द सुनकर मैं चौंक गया। मैंने कहा, “कोई बात नहीं, ऐसा हो जाता है। हर किसी को अपनी ज़िंदगी अपने तरीके से जीने का हक है।”

फिर उसने पूछा, “आपकी कोई गर्लफ्रेंड है?” मैंने बताया, “थी, लेकिन अब ब्रेकअप हो गया। आपका कोई बॉयफ्रेंड है या आप शादीशुदा हैं?” उसने बताया, “मेरा निकाह हो चुका है। मेरे शौहर सऊदी में रहते हैं।” मैंने पूछा, “कोई बच्चा?” उसने कहा, “नहीं।” फिर उसने मुझसे पूछा, “आप पोर्न देखते हैं?” मैंने हँसते हुए कहा, “हाँ, बिल्कुल। और आप?” उसने कहा, “मैं भी देखती हूँ।”

अब बातों में मज़ा आने लगा। उसने पूछा, “आपके फेवरेट पोर्नस्टार कौन हैं?” मैंने कहा, “एवा ऐडम्स और मियाँ खलीफा।” उसने पूछा, “मियाँ खलीफा क्यों?” मैंने कहा, “उसके बूब्स और गाँड की शेप कमाल की है। खासकर जब वो स्कार्फ बाँधकर सेक्स करती है, तो अलग ही मज़ा आता है।” मेरी बात पर वो हल्का-सा मुस्कुराई। फिर मैंने पूछा, “आपको कौन पसंद है?” उसने कहा, “मुझे जो अच्छी चुदाई करता है, वही पसंद है। लेकिन ब्लैक वाले ज़्यादा अच्छे लगते हैं।” मैंने पूछा, “क्यों?” उसने बिंदास कहा, “उनका लंड लंबा और मोटा होता है, और स्टैमिना भी ज़्यादा।”

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मैंने हँसते हुए कहा, “ऐसा कुछ नहीं। दवाइयों का कमाल है। लेकिन हाँ, साइज़ मैटर करता है।” फिर उसने पूछा, “आपने कभी रैंडम सेक्स किया?” मैंने कहा, “हाँ, कई बार। आपने?” उसने कहा, “नहीं, लेकिन मुझे ऐसे रोमांचक सेक्स का बहुत शौक है।” मैंने मौके का फायदा उठाया और कहा, “तो आज मौका है। ठंड का मौसम, ट्रेन का सफर, और हम दोनों का मूड।” वो हँसी और बोली, “आप तो नॉटी हो रहे हैं।” मैंने कहा, “मौका और दस्तूर, दोनों हैं।”

इसके बाद एक अजीब-सी खामोशी छा गई। जेबा मुझे वासना भरी नज़रों से देखने लगी। न जाने मुझे क्या हुआ, मैं उठा और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मैंने उसे किस करना शुरू किया। पहले तो उसने हल्का-सा विरोध किया, लेकिन मैंने उसकी गर्दन और कानों के पास किस करना शुरू किया। औरतों की कमज़ोरी होती है गर्दन और नाभि। मेरा ये जादू काम कर गया। वो धीरे-धीरे मेरे साथ बहने लगी। उसने सलवार-सूट पहना था, लेकिन उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं। मैंने उसकी कमीज के ऊपर से उसके मम्मों को हल्का-सा दबाया। वो सिसकारी भरी, “आह…”

मैंने धीरे-धीरे उसकी कमीज उतारी। उसकी काली ब्रा में उसके 36D साइज़ के मम्मे उभरे हुए थे। मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके मम्मों को चूमा और दबाया। उसकी सिसकारियाँ तेज़ हो गईं, “आह… युवराज… और करो…” मैंने उसकी ब्रा खोल दी। उसके गोल, भरे हुए मम्मे मेरे सामने थे। मैंने एक मम्मे को मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। उसका निप्पल सख्त हो चुका था। मैंने उसे हल्का-सा काटा, तो वो चीखी, “उफ्फ… धीरे…” लेकिन उसकी आवाज़ में मज़ा साफ झलक रहा था।

मैंने उसके दोनों मम्मों को बारी-बारी चूसा। उसकी सिसकारियाँ अब पूरे केबिन में गूँज रही थीं। ट्रेन की छुक-छुक के साथ उसकी “आह… ओह…” की आवाज़ें एक अजीब-सा माहौल बना रही थीं। मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला और धीरे-से नीचे सरकाया। उसकी काली पैंटी गीली हो चुकी थी। मैंने उसकी नाभि पर जीभ फिराई, और वो तड़प उठी। उसने मेरे बाल पकड़े और कहा, “युवराज… और नीचे…”

मैंने उसकी पैंटी उतार दी। उसकी चूत गीली और गर्म थी। मैंने उसकी चूत पर जीभ रखी और चाटना शुरू किया। उसकी सिसकारियाँ अब और तेज़ हो गईं, “आह… ओह… युवी… हाय…” उसकी चूत से रस टपक रहा था। मैंने उसकी क्लिट को हल्का-सा चूसा, और वो चरम पर पहुँच गई। उसने मेरे मुँह पर झड़ दिया, और उसकी टाँगें काँप रही थीं।

अब उसने मेरी टी-शर्ट उतारी और मेरी चड्डी खींच दी। मेरा 7 इंच का लंड खड़ा था। उसने उसे देखा और बोली, “हाय… कितना मस्त लंड है तुम्हारा।” उसने मेरा लंड पकड़ा और मुँह में ले लिया। वो उसे चूसने लगी, जैसे कोई प्यासा इंसान पानी पी रहा हो। उसकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी। मैंने उसके बाल पकड़े और धीरे-धीरे उसके मुँह में लंड अंदर-बाहर किया। 5-7 मिनट बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया। उसने सारा वीर्य निगल लिया।

तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। हम दोनों अलग हुए। जेबा ने जल्दी से एक गाउन डाला, और मैंने टी-शर्ट और बरमूडा पहन लिया। टीटी आया, टिकट चेक किया और चला गया। मैं फिर से मूड में आना चाहता था, लेकिन जेबा बोली, “बस, इतना काफी है।” मैं केबिन से बाहर निकला और दरवाजे के पास खड़ा रहा।

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थोड़ी देर बाद जेबा मेरे पास आई और बोली, “कभी ट्रेन के बाथरूम में चुदाई की है?” मैंने कहा, “नहीं, यहाँ तो अच्छी जगह है।” वो बोली, “मुझे एडवेंचर चाहिए।” मैंने कहा, “ठीक है, तुम अंदर जाओ।” वो टॉयलेट में चली गई। मैं थोड़ी देर बाद अंदर गया। वो मुझसे लिपट गई और मुझे किस करने लगी। मैंने भी उसे जोर से किस किया। उसकी साँसें गर्म थीं। मैंने उसका गाउन उतारा, और वो पूरी नंगी थी।

मैंने उसे टॉयलेट की दीवार से टिकाया और उसकी चूत पर अपना लंड सेट किया। उसकी चूत कसी हुई थी, क्योंकि वो महीनों से सेक्स के लिए तरस रही थी। मैंने एक जोरदार झटका मारा। वो चीखी, “आह…” लेकिन मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से बंद कर दिया। मैंने धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया। उसकी चूत गीली थी, और फच-फच की आवाज़ टॉयलेट में गूँज रही थी। वो सिसकार रही थी, “आह… ओह… युवी… और जोर से…”

मैंने अपनी रफ्तार बढ़ाई। उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। वो बोली, “हाय… कितना मोटा लंड है… चोदो मुझे…” मैंने उसके मम्मे मसले और एक टाँग उठाकर उसे और गहराई से चोदा। वो चरम पर पहुँची और झड़ गई। उसकी चूत का रस मेरे लंड पर बह रहा था। मैंने चोदना जारी रखा। उसकी सिसकारियाँ अब “आह… ओह… फक मी हार्ड…” में बदल गई थीं। ट्रेन की खटपट और उसकी सिसकारियाँ मिलकर एक जंगली माहौल बना रही थीं।

15 मिनट की चुदाई के बाद वो फिर झड़ गई। उसकी टाँगें काँप रही थीं। मैंने उसे पलटा और पीछे से उसकी चूत में लंड डाला। उसकी गोल गाँड मेरे सामने थी। मैंने उसकी गाँड पर हल्का-सा थप्पड़ मारा, और वो सिसकारी, “उफ्फ… और मारो…” मैंने तेज़ झटके मारे। फच-फच की आवाज़ और उसकी सिसकारियाँ टॉयलेट में गूँज रही थीं।

जब मैं झड़ने वाला था, उसने मेरा लंड मुँह में लिया और सारा वीर्य पी गई। हम दोनों हाँफ रहे थे। इसके बाद हम केबिन में लौटे और फिर से चुदाई शुरू कर दी। जेबा की प्यास मानो बुझ ही नहीं रही थी। वो बार-बार मेरे लंड को चूस रही थी, और मैं उसकी चूत और मम्मों को मसल रहा था।

जब हम इंदौर पहुँचे, तो जेबा ने अपने घर फोन किया और कहा कि उसकी ट्रेन छूट गई। हम दोनों एक होटल में रुके। वहाँ 10 दिन तक हमने दिन-रात चुदाई की। जेबा हर बार नए अंदाज़ में मुझसे चुदवाती थी। कभी वो मेरे ऊपर चढ़ती, कभी मैं उसे बिस्तर पर पटकता। हर रात हमारी सिसकारियाँ और फच-फच की आवाज़ें होटल के कमरे में गूँजती थीं।

दोस्तों, इसके बाद मैं गोवा लौट आया। जेबा ने मुझे दिल्ली में फिर मिलने को कहा है। अगर भविष्य में कुछ और हुआ, तो मैं आपको ज़रूर बताऊँगा।

आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ट्रेन में ऐसा रोमांच किया है? अपने अनुभव मेरे साथ साझा करें।

कहानी का अगला भाग: जंगल में तीन चूत और एक लंड

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