Village doctor sex story: उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव में मेरी पहली पोस्टिंग हुई थी, जैसे ही मैंने एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। गाँव के लोग, जिन्होंने शायद ही पहले कभी कोई असली डॉक्टर देखा हो, मुझे भगवान की तरह पूजने लगे। पहले यहाँ नीम-हकीम, ओझा और झाड़-फूँक करने वालों का राज था। मेरी मौजूदगी ने गाँव वालों के लिए एक नई उम्मीद जगाई। रोज़ाना मरीज़ों की भीड़ मेरे बंगले पर बनी डिस्पेंसरी में उमड़ती। मैंने कभी किसी को मना नहीं किया, चाहे दिन हो या रात। जल्द ही मैं गाँव की ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन गया। लोग इलाज के अलावा सलाह के लिए भी मेरे पास आने लगे। मेरा बंगला गाँव के थोड़ा बाहर था, जहाँ मैं रहता भी था और अपनी डिस्पेंसरी चलाता था। Gaon ka doctor
गाँव में एक साल बीतने के बाद की बात है। यहाँ की लड़कियाँ और औरतें बेहद खूबसूरत थीं। ऐसी ही एक लुभावनी सुंदरता थी मास्टरजी की बेटी, गौरी। 22 साल की गौरी, लंबी, गोरी, भरे-पूरे बदन वाली, आँखों में मासूमियत और चाल में नजाकत लिए हुए। उसका चेहरा ऐसा कि कोई भी मर्द उसे देखकर पागल हो जाए। मैं भी उसकी खूबसूरती का दीवाना हो गया था, पर किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था। गाँव के ठाकुर का बेटा, रज्जन, जो 25 साल का था, काला, दुबला-पतला और मरियल सा, उसका दिल भी गौरी पर आ गया। दोनों की शादी हो गई, पर जोड़ी बिल्कुल बेमेल थी। गौरी की जवानी और रज्जन की साधारण शक्ल-सूरत का कोई मेल नहीं था। मुझे तो रज्जन के मर्दानगी पर भी शक था।
शादी के एक साल बाद, एक दिन ठकुराइन मेरे पास आईं। चेहरा चिंता से भरा था। उन्होंने कहा, “डॉक्टर साहब, मुझे बड़ी फिक्र हो रही है। मेरी बहू को बच्चा नहीं ठहर रहा। ना जाने क्या कमी है। रज्जन और गौरी कुछ बताते नहीं, पर मुझे शक है कि कहीं गौरी बाँझ तो नहीं?” मैंने उन्हें तसल्ली दी और कहा, “आप रज्जन और गौरी को मेरे पास भेज दीजिए, मैं देख लूँगा कि बात क्या है।” ठकुराइन ने मुझसे गुज़ारिश की कि यह बात गुप्त रहे, क्योंकि यह उनके खानदान की इज़्ज़त का सवाल था।
एक शाम रज्जन और गौरी मेरे क्लिनिक आए। गौरी को देखते ही लगता था कि उसके साथ बड़ा अन्याय हुआ है। 5 फीट 6 इंच की लंबाई, गोरा रंग, भरी-पूरी देह, 36-26-38 का फिगर, और चेहरा ऐसा कि मानो चाँद ज़मीन पर उतर आया हो। दूसरी तरफ रज्जन, काला, पतला, और कमज़ोर। मुझे रज्जन की किस्मत पर तरस आया। दोनों धीरे-धीरे मुझसे खुलने लगे। रज्जन नरम दिल का इंसान था। अपनी खूबसूरत बीवी को ज़रा सा भी दुख देना उसे मंज़ूर नहीं था। एक दिन उसने दबी ज़ुबान में कबूल किया, “डॉक्टर साहब, मैं अभी तक गौरी को छू भी नहीं पाया हूँ।” मैं समझ गया कि बच्चा क्यों नहीं हो रहा। गौरी अभी तक कुँवारी थी।
मेरे मन में एक ख़याल कौंधा। गौरी की जवानी को भोगने का मौका मेरे सामने था। मैंने मौके को हाथ से नहीं जाने दिया। रज्जन ने बताया कि जब भी वह गौरी के नंगे बदन को देखता, उसका लंड खड़ा तो हो जाता, पर वह खुद पर काबू नहीं रख पाता। इससे पहले कि गौरी सेक्स के लिए तैयार हो, वह उस पर टूट पड़ता। नतीजा, जब वह लंड डालने की कोशिश करता, गौरी दर्द से चीख उठती। उसे यह सब तकलीफदेह लगता। रज्जन, उसकी चीखें सुनकर रुक जाता। दूसरी बात, रज्जन इतना कुरूप था कि गौरी का मन ही नहीं बनता था।
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मैंने अपना जाल बिछाया। मैंने ठकुराइन और रज्जन को बुलाया और कहा, “खराबी रज्जन में नहीं, गौरी में है। एक छोटा सा ऑपरेशन करना होगा, फिर सब ठीक हो जाएगा।” ठकुराइन खुश हो गईं, पर रज्जन ने बाद में पूछा, “डॉक्टर साहब, ये ऑपरेशन कैसा होगा?” मैंने कहा, “रज्जन, तुम्हारी बीवी की योनि को थोड़ा खोलना होगा, ताकि तुम सम्भोग कर सको और वह माँ बन सके।” रज्जन घबरा गया, “मतलब मेरी बीवी को आपके सामने नंगी होना पड़ेगा?” मैंने कहा, “हाँ, यह मजबूरी है। लेकिन इसके बिना तुम उसकी जवानी का मज़ा नहीं ले पाओगे।” रज्जन नरम पड़ गया और बोला, “डॉक्टर साहब, कुछ भी कीजिए, बस मेरा खानदान बच्चे की किलकारी से गूँज उठे।” मैंने कहा, “ठीक है, गौरी को मेरे क्लिनिक में भर्ती कर दो। दो-चार दिन में वह ठीक होकर घर चली जाएगी।”
इस तरह गौरी मेरे बंगले पर आ गई। वह खुली-खुली सी थी, मुझसे घुल-मिल गई थी। पर उसकी जवानी देखकर खुद को काबू करना मुश्किल था। 36 इंच के उन्नत स्तन, 26 इंच की पतली कमर, और 38 इंच के भारी नितंब। उसका बदन ऐसा कि जैसे जवानी फूट-फूटकर उबल रही हो। महीनों से मैं किसी औरत के साथ नहीं सोया था। मेरा लंड, जो पूरी तरह खड़ा होने पर 10 इंच लंबा और 4 इंच मोटा हो जाता था, किसी नंगी देह को देखते ही तन जाता था। गौरी के आने के बाद पहली रात तो मैंने जैसे-तैसे काटी, पर दूसरे दिन मैं बेकाबू हो गया। मुझे लगा कि अगर अब गौरी को नहीं भोगा, तो कहीं मैं उसका बलात्कार न कर बैठूँ।
रात के खाने के बाद मैंने गौरी से कहा, “मुझे तुमसे तुम्हारे केस के बारे में कुछ खास बातें करनी हैं।” मैंने क्लिनिक बंद किया और उसे अपने घर के अंदर बुलाया। वह गाँव की वधू की तरह मेरे सामने बैठी थी, साड़ी में लिपटी हुई। मैंने उस पर एक भारी नज़र डाली। उसने नज़रें झुका लीं। मैंने कहा, “गौरी, जो बातें मैं तुमसे करने जा रहा हूँ, शायद मुझे तुम्हारे पति की गैरमौजूदगी में नहीं करनी चाहिए। पर तुम्हारे इलाज के लिए मुझे सब जानना ज़रूरी है। तुम सच-सच बताना।”
गौरी ने शर्माते हुए कहा, “क्या बताया उन्होंने, डॉक्टर साहब?” मैंने कहा, “रज्जन कहता है कि तुम माँ बनने के काबिल नहीं हो। वह तुमसे कहता भी है, और जब तुम नहीं मानती, तो उसने तुम्हें मारा भी है।” गौरी की आँखें नम हो गईं। “हाँ, डॉक्टर साहब, वह ऐसा कहते हैं। पर मेरे में कोई कमी नहीं। मैं माँ बन सकती हूँ।” मैंने पूछा, “तो क्या रज्जन में कोई खराबी है?” गौरी ने झिझकते हुए कहा, “हाँ, साहब। उनसे… उनसे होता ही नहीं।”
मैंने अनजान बनते हुए पूछा, “क्या नहीं होता?” गौरी शरमाई, “साहब, मुझे शर्म आती है। आप पराए मर्द हैं।” मैंने कमरे का दरवाज़ा बंद किया, खिड़की की चिटकनी लगाई और कहा, “अब कोई नहीं सुन सकता। मुझसे शर्माओ मत। हो सकता है, इलाज के लिए तुम्हें मेरे सामने नंगी भी होना पड़े। तुम्हारी सास और पति ने कहा है कि मैं कुछ भी करूँ, बस उनके खानदान को बच्चा दे दूँ।” गौरी ने कहा, “वह मेरे साथ कुछ कर नहीं पाते।” मैंने पूछा, “क्या मतलब? वह तुम्हारी योनि में लंड नहीं डाल पाते?” गौरी ने नज़रें झुकाकर कहा, “नहीं, साहब। शादी को एक साल से ज़्यादा हो गया, पर मैं अभी तक कुँवारी हूँ।”
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वह रोने लगी। मैंने पूछा, “रज्जन कहता है कि तुम चीखने लगती हो, सहन नहीं कर पातीं।” गौरी ने गुस्से में कहा, “झूठ बोलते हैं, साहब। हर लड़की को पहली बार दर्द होता है। पर मर्द को चाहिए कि वह रुके नहीं। पर उनके लंड में इतनी ताकत ही नहीं।” मैंने कहा, “पर मैंने उसका लंड देखा है, ठीक-ठाक है।” गौरी ने तंज कसते हुए कहा, “साहब, आप उनकी बातों में न आएँ। पहले तो मेरे पीछे पड़े रहते थे कि गाँव में मुझसे खूबसूरत कोई नहीं। और अब मुझे ही ताने मारते हैं।”
मैंने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा और कहा, “चिंता मत कर, मैं सब ठीक कर दूँगा। चलो, बिस्तर पर लेट जाओ, मुझे तुम्हारा चेकअप करना है।” गौरी घबराई, “क्या देखेंगे, साहब?” मैंने कहा, “तुम्हारे बदन का मुआयना करना होगा।” वह बोली, “ऊपर से ही देख लीजिए।” मैंने हँसते हुए कहा, “ऊपर से तो तुम काम की देवी लगती हो। मुझे देखना है कि तुम इतनी खूबसूरत होकर भी कुँवारी कैसे रह गईं। चलो, साड़ी उतारो।”
गौरी शरमाई, “जी, मुझे शर्म आती है।” मैंने कहा, “डॉक्टर से शर्माओगी, तो इलाज कैसे होगा?” वह बिस्तर पर लेट गई। मैंने उसकी साड़ी उतारने में मदद की। अब वह सिर्फ़ ब्लाउज़ और पेटीकोट में थी। मेरा लंड तनने लगा। मैंने उसका पेटीकोट थोड़ा ऊपर सरकाया और एक हाथ अंदर डाला। उसने अंदर कुछ नहीं पहना था। मैंने एक उंगली से उसकी चूत को सहलाया। वह सिहर उठी और अपनी जाँघों से मेरे हाथ पर हल्का दबाव डाला। उसकी चूत के होंठ बेहद कसे हुए थे। मैंने उसकी चूत की दरार पर उंगली घुमाई और अचानक एक उंगली अंदर घुसा दी। वह उछल पड़ी। “आह्ह!” उसके होंठों से एक सिसकारी निकली।
मैंने उंगली अंदर-बाहर की। वह साल भर से तड़प रही थी। मेरी हरकत ने उसे गर्म कर दिया। मैंने दूसरी उंगलियों से उसकी चूत से गाँड के छेद तक सहलाना शुरू किया। “कैसा लग रहा है, गौरी?” मैंने पूछा। वह सिसकते हुए बोली, “हाँ, साहब… अच्छा लग रहा है।” मैंने पूछा, “रज्जन ऐसा करता था? तुम्हारी चूत में उंगली डालता था?” वह चिल्लाई, “नहीं, डॉक्टrrrर साहब… आह्ह!” उसकी आँखें लाल हो गई थीं।
मैंने कहा, “अगर तुम्हारा पति सम्भोग से पहले ऐसा करे, तो तुम्हें अच्छा लगेगा?” वह बोली, “हाँ… वह तो कुछ जानते ही नहीं। सारा दोष मेरे सिर मढ़ते हैं।” मैंने कहा, “अगली बार अपने पति के पास जाने से पहले अपनी चूत के एक भी बाल मत रखना। उसे बहुत अच्छा लगेगा।” गौरी ने कहा, “वह तो कभी नहीं बोले कि बाल साफ करूँ।” मैंने कहा, “जाओ, बाथरूम में जाकर सब साफ कर आओ। वहाँ रेज़र रखा है।”
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वह बाथरूम गई और कुछ देर बाद वापस आई। मैंने पूछा, “हो गया? कहीं नाज़ुक जगह कट तो नहीं गई?” वह बोली, “जी, कर लिया। शादी से पहले भी मैंने कई बार रेज़र इस्तेमाल किया है।” मैंने कहा, “चलो, फिर लेट जाओ।” इस बार उसने कम विरोध किया। मैंने उसका पेटीकोट का नाड़ा पकड़ा और खींच दिया। पेटीकोट खुल गया। उसकी कमर 26 इंच की थी, और नितंब 38 इंच के। उसकी जाँघें मांसल और गोल थीं। मैंने कहा, “देखूँ तो, बाल ठीक से साफ किए या नहीं।”
मैंने उसका पेटीकोट घुटनों तक खींच लिया। “उफ्फ, गौरी, तुम बहुत खूबसूरत हो,” मैंने कहा। मेरी तारीफ ने उसे थोड़ा ढीला किया। मैंने पूरा पेटीकोट खींचकर कुर्सी पर फेंक दिया। उसका सपाट पेट, पतली कमर, और भारी नितंब मेरे सामने थे। सिर्फ़ ब्लाउज़ में उसका बदन चमक रहा था। वह शर्म से पेट के बल हो गई। मैंने कहा, “पलटो, गौरी। शर्म मत करो। तुम्हारा बदन इतना मस्त है कि तुम्हें गर्व करना चाहिए।”
वह पलटी। उसकी कुँवारी चूत दो गोरी जाँघों के बीच चमक रही थी। चूत के होंठ फड़क रहे थे, जैसे किसी मर्द के लंड की खुशबू सूँघ ली हो। मैंने उसकी चूत पर उंगलियाँ फिराईं और पूछा, “रज्जन तुम्हें यहाँ चूमता है?” वह बोली, “नहीं, साहब, यहाँ कैसे चूमेंगे?” मैंने उसके नितंबों पर हाथ रखकर पूछा, “यहाँ चूमता है?” वह बोली, “नहीं, साहब, आप कैसी बातें कर रहे हैं?” उसकी आवाज़ में अब नशा था, जैसे चुदने को तैयार हो।
मैं बिस्तर पर चढ़ गया। मैंने उसके दोनों चूचों पर हाथ रखे और मसलना शुरू किया। वह तड़पने लगी। “डॉक्टrrrर साहब… आह्ह… ये क्या कर रहे हैं?” मैंने पूछा, “कैसा लग रहा है, गौरी?” वह बोली, “बहुत अच्छा… पर क्या ये ठीक है?” मैंने कहा, “रज्जन कहता है, तुम चीखने लगती हो। मुझे देखना है कि वह सही कहता है या नहीं।” मैंने उसके चूचों को और ज़ोर से दबाया। वह सिसकने लगी, “आह्ह… साहब… आपके हाथों में मर्दानगी है। रज्जन ऐसा नहीं करता।”
मैंने उसे कमर से पकड़कर उठाया। उसका ब्लाउज़ फट गया, और उसके 36 इंच के चूचे बाहर उछल आए। मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू किया। वह सिहर उठी। मेरा एक हाथ उसकी चूत में उंगली डालकर उसकी भगनासा मसल रहा था। वह मस्ती में चिल्लाने लगी, “आह्ह… डॉक्टर साहब… उफ्फ!” मैंने पूछा, “रज्जन ने कभी ऐसा किया?” वह बोली, “नहीं, साहब… वह तो बस चढ़कर हिलते हैं और ढीले पड़ जाते हैं।”
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मैंने कहा, “गौरी, तेरा बदन एक साल से तड़प रहा है। आज मैं तेरा कौमार्य भंग करूँगा।” मेरी उंगली उसकी चूत में थी, जो अब रस से तर थी। वह चिल्लाई, “साहब, मैं रुसवा हो जाऊँगी। मेरा मर्द मुझे निकाल देगा।” मैंने कहा, “मुझ पर भरोसा रख। मैं तुझे पूरी जवानी का सुख दूँगा और हर मुसीबत से बचाऊँगा। आज के बाद रज्जन तुझसे सम्भोग कर सकेगा।”
वह बोली, “कैसे, साहब?” मैंने उसके चूचे मसलते हुए कहा, “तेरी चूत का द्वार बंद है। मैं अपने लंड से उसे खोलूँगा, ताकि रज्जन अपना लंड डाल सके।” उसके चूचे कठोर हो गए थे। वह पूरी तरह नंगी थी, और उसका बदन पसीने की बूँदों से चमक रहा था।
वह बोली, “साहब, मुझे डर लग रहा है।” मैंने कहा, “तेरी चूत का रस और तेरे चूचे साफ बता रहे हैं कि तुझे चुदाई चाहिए।” वह सिसकते हुए बोली, “हाँ, साहब… मैं माँ बनूँगी ना? मेरा मर्द मुझे रखेगा ना?” मैंने कहा, “हाँ, गौरी। आज रात तेरी जवानी मेरी है।”
वह मेरे गले लग गई। “साहब, मैं प्यासी हूँ। मेरी आग बुझा दो।” मैंने अपनी कमीज और पैंट उतारी। मेरा 10 इंच का लंड बाहर निकला, जिसका सुपाड़ा लाल और मोटा था। गौरी ने देखा और चीख पड़ी, “हाय! ये… ये लंड तो गधे जैसा है! साहब, ये मेरी चूत में कैसे जाएगा? मैं मर जाऊँगी!”
मैंने कहा, “घबराओ मत, गौरी। असली मर्द का लंड ही चूत को चीर सकता है। इसे छू, इससे प्यार कर।” वह डरते-डरते मेरे लंड को छूने लगी। “उफ्फ, साहब, ये तो बहुत मस्त है। पर ये मेरी चूत को फाड़ देगा।” मैंने उसे बाहों में उठाया और बिस्तर पर लिटाया। उसकी चूत पूरी तरह गीली थी। उसके चूचे उफान पर थे।
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मैं उसके पेट पर बैठ गया और अपने लंड को उसके चूचों के बीच रखकर मसलने लगा। मेरा लंड उसके होंठों को छू रहा था। जैसे ही उसने चीखने के लिए मुँह खोला, मेरा सुपाड़ा उसके मुँह में चला गया। “गो… गो…” वह गुर्राने लगी। मैंने ज़ोर लगाया, और मेरा 3 इंच लंड उसके मुँह में घुस गया। वह मेरे लंड को चूसने लगी। मैंने 69 की पोज़ीशन ली और उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी चूत इतनी कसी थी कि मेरी जीभ भी मुश्किल से अंदर जा रही थी।
वह चिल्लाई, “साहब, चोद दो मुझे! घुसा दो अपना लंड!” मैंने उसकी टाँगें V-शेप में उठाईं और उसकी चूत पर अपना लंड रखकर धीरे से दबाया। उसकी चूत इतनी गीली थी कि सुपाड़ा अंदर चला गया। “आह्ह… मर गई… डॉक्टrrrर साहब!” वह चीखी। मैंने धीरे से और ज़ोर लगाया। वह दर्द से तड़प रही थी। मैंने उसे कसकर पकड़ा और एक ज़ोरदार धक्का मारा। “आआआह्ह!” उसकी चीख के साथ उसका कौमार्य टूट गया। उसकी चूत से रस की धार बह निकली।
मैंने धक्के मारना शुरू किया। “फच… फच…” उसकी चूत की दीवारें मेरे लंड को रगड़ रही थीं। वह चिल्ला रही थी, “चोदो, साहब! फाड़ दो मेरी चूत! आह्ह… उफ्फ!” मैंने उसे डॉगी स्टाइल में किया और पीछे से चोदना शुरू किया। वह भी मस्ती में चिल्लाने लगी, “और ज़ोर से, साहब! फाड़ दो! मैं तुम्हारी दासी हूँ!”
उस रात मैंने उसे दो बार चोदा। अगले दिन ठकुराइन आईं। मैंने कहा, “चेकअप हो गया है। शाम तक ऑपरेशन हो जाएगा।” अगली रात गौरी और ज़्यादा उतावली थी। हमने एक-दूसरे के अंगों को चूमा, सहलाया, और हर पोज़ में चुदाई की। मैंने उसे समझाया कि ससुराल में क्या करना है।
अगले दिन रज्जन आया। मैंने कहा, “गौरी का ऑपरेशन हो गया। एक महीने तक उससे दूर रहना। बीच-बीच में चेकअप के लिए भेजते रहना।” दो महीने बाद गौरी का गर्भ ठहर गया। मैंने उसे रज्जन से चुदवाने को कहा। मेरे 10 इंच के लंड ने उसकी चूत को खोल दिया था, और अब रज्जन का लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। ठकुराइन खुश थीं। मैं भी खुश था और अब किसी दूसरी गौरी की तलाश में हूँ।
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