मोहल्ले की बदनाम भाभी की चुदास

मेरा नाम अनमोल है। मैं 21 साल का नौजवान हूँ और मेरठ में रहता हूँ। मेरी हाइट 5 फीट 8 इंच है, और लंड का साइज, खैर, मैंने कभी नापा नहीं, पर अंदाजा है कि 7 इंच से कम तो नहीं होगा। मेरी बॉडी अच्छी-खासी भरी हुई है, न ज्यादा स्मार्ट, न ही इतना बुरा कि कोई लड़की मुझे पसंद न करे। मुझे चैटिंग में बड़ा मजा आता है, खासकर जब बातें थोड़ी नॉटी हो जाएँ। आज मैं अपनी जिंदगी की एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो मेरे दिलो-दिमाग में बसी हुई है।

ये मेरी पहली कहानी है। मैंने ढेर सारी सेक्स स्टोरीज पढ़ी हैं, कुछ तो इतनी गर्म थीं कि मन में आग लग गई। उन कहानियों ने मुझे प्रेरित किया कि मैं भी अपनी कहानी लिखूँ। तो चलिए, बिना ज्यादा बोर किए, मैं अपनी कहानी शुरू करता हूँ।

मेरे घर से थोड़ी दूर पर एक भाभी रहती हैं। उनका नाम सुनकर मोहल्ले में लोग कानाफूसी करने लगते हैं। उनकी बदनामी का आलम ये है कि लोग कहते हैं, उनकी चूत में हमेशा आग लगी रहती है। उनके घर के पास मेरा एक दोस्त रहता है, जिसके घर मैं अक्सर जाता हूँ। भाभी का वहाँ आना-जाना था। कई बार मैंने उन्हें वहाँ देखा और धीरे-धीरे हमारी बातचीत शुरू हो गई।

वो भाभी, यार, क्या कहूँ, एकदम माल हैं! उनकी हाइट 5 फीट 3 इंच है, फिगर ऐसा कि बस देखते ही लंड सलामी देने लगे। उनकी गांड इतनी मस्त है कि चलते वक्त लचक-लचक के दिल में हलचल मचा देती है। उम्र 34 साल, थोड़ी सांवली, पर सेक्स अपील ऐसी कि बड़े-बड़े मर्दों का लंड खड़ा हो जाए। उनके बूब्स, यार, एकदम रसभरे, 36D होंगे, और वो जब साड़ी पहनती हैं, तो ब्लाउज में से उनकी क्लीवेज ऐसी दिखती है कि बस मन करता है, अभी पकड़कर चूस लूँ। पर मैंने कभी उन्हें गलत नजर से नहीं देखा था।

हालांकि, वो मुझे अच्छी लगती थीं। उनकी मुस्कान, उनकी अदा, वो बात करने का ढंग—सब कुछ ऐसा कि मन डोल जाता था। पर मैंने कभी सेक्स की नजर से नहीं सोचा था। लेकिन जब से मैंने उन्हें अपने दोस्त के घर करीब से देखा, उनके साथ बातें कीं, तो मन में कुछ और ही खयाल आने लगे। उनकी हर अदा में एक नशा था।

उनका पति एक दुकानदार है। सुबह दुकान चला जाता है और रात को लौटता है। भाभी के दो बच्चे हैं—एक 18 साल की लड़की और एक 20 साल का लड़का, जो कॉलेज में पढ़ते हैं। एक दिन मैं अपने दोस्त से मिलने उसके घर गया। वहाँ उसकी मम्मी ने बताया कि वो तो बाहर गया है, शाम को आएगा। तभी भाभी वहाँ आ धमकीं। उन्होंने भी मेरे दोस्त के बारे में पूछा। जब उन्हें पता चला कि वो बाहर है, तो उनका चेहरा थोड़ा लटक गया।

मैंने पूछा, “भाभी, क्या बात है? कोई टेंशन?”

वो बोलीं, “हाँ यार, मेरा कंप्यूटर खराब हो गया है। उसमें वायरस आ गया है, और मुझे कुछ जरूरी काम करना है।”

फिर उन्होंने मुझसे पूछा, “तुम्हें कंप्यूटर ठीक करना आता है? मेरी हेल्प कर सकते हो?”

मेरा दिल तो जैसे उछल पड़ा। मैं तो खुद सोच रहा था कि भाभी से बात को कैसे आगे बढ़ाऊँ। मैंने कहा, “हाँ भाभी, बिल्कुल। मैं थोड़ी देर में आपके घर आता हूँ। अभी मुझे एक छोटा-सा काम निपटाना है।”

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वो बोलीं, “ठीक है, मैं इंतजार करूँगी।”

मैं घर आया, दोपहर का खाना खाया और ठीक एक घंटे बाद उनके घर पहुँच गया। मैंने बेल बजाई, तो अंदर से आवाज आई, “दरवाजा खुला है, अंदर आ जाओ!” मैं अंदर गया, पर कमरे में कोई नहीं था। मैंने आवाज लगाई, “भाभी, आप कहाँ हैं?”

वो बोलीं, “अरे, मैं बाथरूम में नहा रही हूँ। तुम बैठो, मैं दो मिनट में आती हूँ।”

पाँच मिनट बाद जब वो बाथरूम से निकलीं, तो मेरे होश उड़ गए। उनके बदन पर बस एक तौलिया लपेटा हुआ था, जो उनके बूब्स को मुश्किल से ढक रहा था। उनकी जांघें, उनकी नंगी बाहें, और वो गीले बाल—यार, ऐसा लग रहा था जैसे कोई अप्सरा मेरे सामने खड़ी हो। मेरा लंड तो तुरंत खड़ा हो गया। मन तो किया कि अभी पकड़कर चोद दूँ, पर मैंने खुद को कंट्रोल किया। कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था।

वो सीधे अपने कमरे में गईं और थोड़ी देर बाद साड़ी पहनकर लौटीं। नीली साड़ी, टाइट ब्लाउज, जिसमें उनके बूब्स ऐसे उभरे हुए थे कि बस अभी फट जाएँ। मैं तो बस उनकी क्लीवेज को घूरता रहा। मेरा लंड पैंट में तंबू बनाए हुए था। वो आईं और बोलीं, “सॉरी यार, बच्चों को कोचिंग छोड़ने गई थी, इसलिए लेट हो गई। बताओ, ठंडा लोगे या गर्म?”

मैंने मजाक में कहा, “जो आपको पसंद हो, भाभी।”

वो हँसकर बोलीं, “मुझे तो गर्म चीजें पसंद हैं। मैं चाय बनाती हूँ, तुम तब तक कंप्यूटर चालू करो। वो उस रूम में है।”

मैंने कंप्यूटर चालू किया। उसमें कोई वायरस नहीं था, बस कुछ सेटिंग्स गड़बड़ थीं, जो मैंने फटाफट ठीक कर दीं। तभी भाभी चाय लेकर आईं। जब वो चाय देने के लिए झुकीं, तो उनकी साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया। यार, उनके बूब्स की क्लीवेज देखकर मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। वो इतने गोल, इतने रसीले थे कि बस मन कर रहा था, अभी दबा दूँ। मैंने नजरें हटाने की कोशिश की, पर हट ही नहीं रही थीं। वो कुछ नहीं बोलीं, बस मुस्कुराईं और मेरे बगल में बैठ गईं।

हम दोनों चाय पीने लगे। वो बोलीं, “वाह अनमोल, तुम तो बड़े तेज हो। इतनी जल्दी मेरा पीसी ठीक कर दिया!”

मैंने हँसकर कहा, “भाभी, ये तो आपका असर है।”

वो जोर से हँसीं और मेरी जांघ पर हल्के से हाथ रख दिया। मेरा लंड तो और सख्त हो गया। मैंने पैर पर पैर रख लिया ताकि वो मेरा उभार न देख ले, पर उनकी नजरें तो जैसे मेरे लंड को ही ढूंढ रही थीं।

तभी डोरबेल बजी। वो उठकर दरवाजा खोलने गईं। दो-तीन मिनट बाद मुझे कुछ गिरने की आवाज आई और भाभी की चीख सुनाई दी। मैं भागकर बाहर गया। देखा तो भाभी फर्श पर गिरी पड़ी थीं। मैंने फौरन उन्हें उठाया और पूछा, “भाभी, क्या हुआ? चोट तो नहीं लगी?”

वो बोलीं, “बाहर कुछ चंदे वाले थे। मैं चंदा देकर लौट रही थी, तभी फिसल गई। कमर में बहुत दर्द हो रहा है। मुझे बेडरूम में ले चलो।”

मैंने उन्हें सहारा देकर बेडरूम में लिटाया। मैंने पूछा, “भाभी, डॉक्टर से दवा ला दूँ?”

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वो बोलीं, “नहीं, उसकी जरूरत नहीं। मैं तुम्हारे भैया से मंगवा लूँगी। बस तुम दराज से मूव निकाल दो, मैं लगा लूँगी।”

मैंने दराज से मूव निकालकर उन्हें दिया। वो कोशिश करने लगीं, पर दर्द की वजह से मूव नहीं लगा पा रही थीं। मेरे दिमाग में तुरंत उन सेक्स स्टोरीज की बात आई, जहाँ मालिश के बहाने चुदाई हो जाती है। मैंने हिम्मत करके कहा, “भाभी, अगर आपको कोई दिक्कत न हो, तो मैं मूव लगा दूँ?”

वो बोलीं, “हाँ, ठीक है। कमर में ज्यादा दर्द है, वहीँ लगा दो।”

वो पेट के बल लेट गईं। उनकी साड़ी उनकी गांड तक सरक गई थी। यार, उनकी गांड देखकर मेरा लंड तो जैसे पैंट फाड़ने को तैयार था। मैंने आज तक किसी औरत को छुआ तक नहीं था, और आज मालिश का मौका मिल रहा था। मेरे दिमाग में बस सेक्स के खयाल घूम रहे थे। मैंने मूव लिया और उनकी कमर पर लगाने लगा। उनकी स्किन इतनी नरम थी कि मेरे हाथ कांपने लगे। धीरे-धीरे मेरे हाथ उनकी कमर से ऊपर की तरफ बढ़ने लगे।

वो बोलीं, “थोड़ा और ऊपर लगा दो।”

मैंने कहा, “भाभी, आपका ब्लाउज खराब हो जाएगा।”

वो बिना कुछ बोले उठीं और ब्लाउज उतार दिया। अब उनकी नंगी कमर मेरे सामने थी। उनकी ब्रा की स्ट्रिप्स उनकी पीठ पर दिख रही थीं। मेरा लंड तो जैसे फटने को तैयार था। मैंने मालिश शुरू की। उनकी स्किन को छूते ही मेरे बदन में करंट दौड़ गया। वो बोलीं, “वाह अनमोल, तुम तो बड़ा अच्छा मालिश करते हो। दर्द कम हो रहा है।”

मैंने हँसकर कहा, “भाभी, आपकी स्किन ही इतनी सॉफ्ट है कि मालिश करने में मजा आ रहा है।”

वो हँस पड़ीं और बोलीं, “अच्छा, इतना मजा आ रहा है?”

मैं जानबूझकर उनकी ब्रा की स्ट्रिप्स में हाथ फंसाने लगा। वो बोलीं, “ये भी उतार दो, दिक्कत हो रही है।”

मैंने फौरन उनकी ब्रा की हुक खोल दी। अब उनकी पूरी पीठ नंगी थी। मैं मालिश करता रहा, और धीरे-धीरे मेरे हाथ उनके बूब्स की साइड तक जाने लगे।

अचानक मेरा एक हाथ उनके बूब्स को हल्का-सा छू गया। वो एक मादक-सी सिसकी लेते हुए बोलीं, “उम्म… थोड़ा और जोर से दबाओ ना।”

मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने सोचा, यही मौका है। मैंने उनके बूब्स को दोनों हाथों से जोर से दबा दिया। वो “आह्ह…” करके सिसक पड़ीं और बोलीं, “हाँ, ऐसे ही… और जोर से… मजा आ रहा है।”

मैं पागल हो गया। मैंने उन्हें पलट दिया और उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। यार, वो मेरी जिंदगी की पहली किस थी। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं उनकी जीभ को चूस रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे मैं स्वर्ग में हूँ। हम दोनों एक-दूसरे को पागलों की तरह चूम रहे थे। उनकी साड़ी अब पूरी तरह से सरक चुकी थी। मैंने उनके बूब्स को चूसना शुरू किया। वो “उम्म… आह्ह… और जोर से चूसो…” कहते हुए सिसक रही थीं। उनके निप्पल्स सख्त हो चुके थे, और मैं उन्हें जीभ से चाट रहा था।

वो मेरी जीन्स में हाथ डालकर मेरा लंड सहलाने लगीं। उनका हाथ मेरे लंड पर पड़ते ही मैं सिहर उठा। वो बोलीं, “वाह, कितना सख्त है तेरा लंड… इसे तो मैं अभी चखूँगी।”

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मैंने उनकी साड़ी पूरी तरह उतार दी। अब वो सिर्फ पैंटी में थीं। उनकी चूत उनकी पैंटी में से साफ दिख रही थी, जो गीली हो चुकी थी। मैंने उनकी पैंटी भी उतार दी। उनकी चूत पूरी तरह गीली थी, और उसकी खुशबू मेरे दिमाग में नशा चढ़ा रही थी।

वो बोलीं, “अनमोल, अब और मत तड़पाओ… चोद दो मुझे… मेरी चूत में आग लगी है।”

मैंने अपनी जीन्स और अंडरवियर उतार दिया। मेरा 7 इंच का लंड अब पूरी तरह खड़ा था। मैंने उसे उनकी चूत के छेद पर रखा। वो सिसकते हुए बोलीं, “हाँ, डाल दो… पूरा अंदर तक…”

मैंने एक जोरदार धक्का मारा। “चटाक!” मेरे लंड का सुपारा उनकी चूत में घुस गया। वो चीख पड़ीं, “आह्ह… धीरे पगले… चूत फट जाएगी।”

मैंने कहा, “भाभी, आप इतनी गर्म हैं कि मैं खुद को रोक नहीं पा रहा।”

मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड हर धक्के में रगड़ खा रहा था। “फच-फच” की आवाज कमरे में गूंज रही थी। वो हर धक्के के साथ सिसक रही थीं, “आह्ह… उम्म… और तेज… चोद डाल मुझे…”

मैंने स्पीड बढ़ा दी। मेरे हर धक्के के साथ उनके बूब्स उछल रहे थे। मैंने उनके निप्पल्स को चूसते हुए धक्के मारने जारी रखे। वो चिल्ला रही थीं, “हाँ मेरे राजा… और जोर से… मेरी चूत को फाड़ दो…”

लगभग 15 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था। मैंने कहा, “भाभी, मैं झड़ने वाला हूँ…”

वो बोलीं, “अंदर ही झड़ जाओ… मैं भी झड़ रही हूँ… आह्ह…”

हम दोनों एक साथ झड़ गए। मेरे लंड से गर्म-गर्म वीर्य उनकी चूत में छूटा, और उनकी चूत ने भी रस छोड़ दिया। हम दोनों एक-दूसरे से चिपके पड़े थे, साँसें तेज चल रही थीं।

तभी उनके मोबाइल की घंटी बजी। उनके पति का फोन था। वो बोले, “कुछ मेहमान आ रहे हैं, खाना तैयार कर दो।”

बस, यहीं हमारी चुदाई अधूरी रह गई। मैंने जल्दी से कपड़े पहने और घर लौट आया। पर मेरी आँखों के सामने बस भाभी का नंगा बदन घूम रहा था।

क्या आपको ये कहानी पसंद आई? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएँ। क्या अनमोल और भाभी की चुदाई का अगला हिस्सा जानना चाहेंगे?

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