चुदासी माल को संडास में बुला कर चोदा

मेरा नाम चंदू है। पिछले दो सालों से मैंने ढेर सारी सेक्सी कहानियाँ पढ़ी हैं, जिन्हें पढ़कर मैंने अपने लंड को बार-बार हिलाया। आज जो कहानी मैं आपके लिए लिख रहा हूँ, वो मेरे दिल की गहराइयों से निकली सच्ची दास्तान है। ये कहानी मेरे और एक मस्त माल, संगीता, के बीच की है। संगीता 19 साल की जवान, कुंवारी और बला की सेक्सी लड़की थी। उसकी छोटी सी उम्र में ही उसके बूब्स 32 के थे, गांड 30 की, और कमर भी करीब 30 की थी, जो उसे एकदम हुस्न की मलिका बनाती थी। उसका फिगर ऐसा था कि देखने वाला बस देखता ही रह जाए।

एक दिन मैं अपने जॉब से थक-हारकर घर लौटा। फ्रेश होने के बाद मैं कॉफी की चुस्की लेते हुए टीवी देख रहा था। बाहर गली में बच्चों के खेलने की आवाज़ें आ रही थीं। तभी एक नई, मधुर आवाज़ मेरे कानों में पड़ी। मैंने बाहर झाँका तो देखा एक लड़की बच्चों के साथ खेल रही थी। उसकी सादगी में एक अजीब सा आकर्षण था, लेकिन मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। रात को जब मैं पानी भरने के लिए गली के नल पर गया, तो वही लड़की वहाँ पानी भर रही थी। वो राजस्थानी मारवाड़ी लग रही थी, उसकी वेशभूषा से। सलवार-सूट में वो इतनी सेक्सी लग रही थी कि मेरा दिल धक-धक करने लगा। मैं उसे देखता ही रह गया। उसने भी मुझे देखा, और हमारी नजरें कुछ पल के लिए टकराईं। तभी मेरे भाई ने मुझे आवाज़ दी, और मैं वहाँ से चला गया। लेकिन वो वहीं खड़ी रही, जैसे मुझे और देखना चाहती हो।

अगले कुछ दिनों तक मैंने उसे रोज़ देखा। हर सुबह जब मैं गली के कॉमन टॉयलेट में हगने जाता, वो भी उसी वक्त वहाँ आती। चार-पांच दिन तक ये देखा-देखी का सिलसिला चलता रहा। मैंने गौर किया कि वो मुझे देखकर मुस्कुराती थी। एक दिन उसने मुझे स्माइल दी और पूछा, “चाय पी के नहीं?” मैंने कहा, “हाँ, पी ली।” उसकी आवाज़ में एक अजीब सी मिठास थी, जो मेरे दिल को छू गई। उस दिन हगते वक्त मेरे दिमाग में बस उसी के ख्याल घूम रहे थे। मेरा लंड खड़ा हो गया, और मैंने वहीं टॉयलेट में मुठ मार ली। धोकर बाहर निकला तो वो फिर से दिखी। अगले दो दिन वो मुझे रोज़ सुबह टॉयलेट के पास मिली। ऐसा लग रहा था जैसे वो जानबूझकर उसी वक्त आती थी।

धीरे-धीरे हमारी बातचीत शुरू हुई। उसने बताया कि वो परसों अपने गाँव जा रही है, क्योंकि उसकी मंगनी होने वाली है। मैंने चौंकते हुए कहा, “अरे, इतनी जल्दी?” वो बोली, “हाँ, हमारे यहाँ शादी जल्दी हो जाती है।” उसकी बात सुनकर मेरा दिल उदास हो गया। लेकिन मैंने हिम्मत जुटाकर अपना मोबाइल नंबर एक कागज़ पर लिखकर उसे दे दिया और कहा, “अगर तुम्हें मुझसे बात करने का मन हो, तो गाँव से कॉल करना।” मैं अभी काम पर पहुँचा भी नहीं था कि उसका कॉल आ गया। उसकी आवाज़ में उदासी थी। उसने बताया कि उसे जाना तो पड़ेगा, लेकिन वो मुझसे मिलना चाहती है। उसी शाम वो अपने गाँव चली गई।

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उसके जाने के बाद मैं हर दिन टॉयलेट में उसकी याद में मुठ मारने लगा। एक दिन उसका कॉल आया। उसने कहा, “मैं तुम्हारे लिए एक सरप्राइज़ लाई हूँ।” मैंने उत्सुकता से पूछा, “क्या?” वो बोली, “अभी नहीं, थोड़ा इंतज़ार करना पड़ेगा।” और उसने कॉल काट दिया। अगले दिन सुबह जब मैं सोकर उठा, तो मेरे फोन पर उसका मैसेज था, “आय लव यू।” मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मैं जल्दी से टॉयलेट की ओर भागा। सुबह का वक्त था, और वहाँ कम ही लोग आते थे। मैंने देखा कि संगीता वहाँ हगने आई थी। मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे एक कोने के टॉयलेट में खींच लिया। उसे देखकर मेरी साँसें रुक गईं। मैंने उसे बाहों में भरा और उसके होंठों को चूमने लगा। उसने धीरे से कहा, “मेरी दीदी अंदर हगने गई है।” मैंने उसके बूब्स को हल्के से दबाया। वो सिहर उठी और बोली, “मैं शाम को साढ़े सात बजे यहीं मिलूँगी।” मैंने उसे एक गहरा लिप किस किया और उसे छोड़ दिया। वो बाहर निकली, और एक मिनट बाद उसकी दीदी भी नाड़ा बाँधते हुए बाहर आई और चली गई।

मैंने पूरे दिन बेचैनी में शाम का इंतज़ार किया। शाम को वो बांधनी सलवार-सूट में आई। उसका लुक इतना कातिलाना था कि मैं उसे देखकर पागल हो गया। मौका देखते ही मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे कोने के टॉयलेट में ले गया। अंदर से सक्कल लगा दी। जैसे ही मैंने दरवाज़ा बंद किया, वो मुझसे लिपट गई और मुझे चूमने लगी। मैंने भी उसके बूब्स को अपने हाथों में लिया और मसलने लगा। उसके बूब्स इतने नरम और गोल थे कि मैं उन्हें दबाते हुए खो गया। मैंने पहले भी कई रंडियों को चोदा था, लेकिन उनके बूब्स ढीले और लटके हुए थे। संगीता के बूब्स एकदम टाइट और मस्त थे।

वो थोड़ा शरमाई और बोली, “कोई आ गया तो?” मैंने कहा, “डार्लिंग, मेरे से कैसी शर्म? हमारे मोहल्ले में शाम को टॉयलेट में कम लोग आते हैं। अगर कोई आएगा भी, तो हमें आवाज़ से पता चल जाएगा।” मेरी बात सुनकर वो थोड़ा सहज हुई। मैंने उसके बूब्स मसलते हुए कहा, “मेरा लंड देखना है?” वो हँस दी और कुछ बोली नहीं। मैंने अपनी पैंट खोली और चड्डी नीचे करके उसे अपना 7 इंच का लंड दिखाया। उसने लंड देखकर अपने मुँह पर हाथ रखा और बोली, “दैया, इतना बड़ा!”

मैंने मज़ाक में कहा, “हाँ दैया, अब इसे मुँह में ले लो।”
वो बोली, “नहीं, मैं ऐसा नहीं करूँगी।”
मैंने उसे मनाया, “ले लो, मज़ा आएगा।”
वो बोली, “दीदी कहती हैं, उल्टी हो जाती है।”
मैंने हँसते हुए कहा, “अच्छा, दीदी ये सब बात करती हैं? दीदी ने भी तो जीजा के साथ मुँह में लिया होगा। तुम भी एक बार ट्राई कर लो। अगर उल्टी हुई, तो फिर कभी मत करना।”

वो हँस दी और टॉयलेट के अंदर पैर रखने के लिए बने कंक्रीट के स्लैब पर बैठ गई। मैं दीवार के सहारे खड़ा हो गया। उसने मेरे लंड को अपने नरम हाथों में लिया और धीरे-धीरे उसे मुँह में डाला। जैसे ही उसने लंड को चूसा, मैं स्वर्ग में पहुँच गया। उसने आधा लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। उसकी गर्म जीभ मेरे लंड पर फिसल रही थी। मैंने कहा, “देखा, मैंने कहा था ना, उल्टी नहीं होती।” वो हँसी और और मज़े से लंड चूसने लगी। एक मिनट में उसने मेरा पौने लंड अपने मुँह में ले लिया। उसकी चूसने की कला देखकर मैं पागल हो गया। मैंने उसके कंधों को पकड़ा और धीरे-धीरे उसके मुँह को चोदने लगा। जब मेरा लंड उसके गले तक जाता, तो वो “ग्गग्ग्ग… ग्गग्ग्ग…” की सेक्सी आवाज़ें निकालती।

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करीब दो मिनट तक उसके मुँह की चुदाई करने के बाद मैंने उसका सिर पकड़ा और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने शुरू किए। उसकी आँखें लाल हो गईं, और वो मेरे लंड को और गहराई से लेने लगी। मैंने अपने लंड को उसके गले में डाला और जोरदार धक्कों के साथ अपना माल छोड़ दिया। उसका मुँह मेरे वीर्य से भर गया। उसने उसे गटर में थूक दिया और मुँह धो लिया। मैंने कहा, “चलो, अब तुम खड़ी हो जाओ, मैं तुम्हारी चूत चाटूँगा।”

मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला और उसे नीचे सरकाया। उसने पैंटी नहीं पहनी थी, जिससे उसकी चिकनी चूत मेरे सामने आ गई। मैंने उसकी सलवार को दरवाज़े की कड़ी पर टाँगा और उसे दीवार के सहारे खड़ा किया। मैं नीचे बैठ गया और उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा। उसकी चूत इतनी नरम और गीली थी कि मैं खो गया। वो “आह्ह… ओह्ह… उह्ह…” की सिसकारियाँ भरने लगी। उसकी चूत का स्वाद नमकीन और उत्तेजक था। मैंने उसकी चूत के दाने को अपने होंठों से चूसा, जिससे वो और ज़ोर से सिहर उठी।

तभी बाहर किसी के आने की आवाज़ आई। हम दोनों रुक गए। मैंने खड़े होकर उसके बूब्स को ज़ोर से दबाया। वो सिहर रही थी, लेकिन मैंने उसके मुँह पर हाथ रखकर उसे चुप कराया। बाहर पानी से धोने की आवाज़ आई, और फिर कोई चला गया। मैंने फिर से उसकी चूत को चाटना शुरू किया। मेरी जीभ उसकी चूत के अंदर तक जा रही थी, और वो “आह्ह… ओह्ह… चंदू… और करो…” कहकर मस्ती में डूब गई। मैंने उसकी चूत के दाने को ज़ोर-ज़ोर से चूसा, जिससे उसकी चूत पूरी तरह गीली हो गई।

अब मैंने उसे दीवार की ओर मुँह करके खड़ा किया। उसकी गोल, टाइट गांड मेरे सामने थी। मैंने उसकी गांड को दोनों हाथों से दबाया और उसकी गुदा को अपनी जीभ से चाटा। वो मस्ती में चिल्लाई, “ओह्ह… चंदू… ये क्या कर रहे हो… आह्ह…” मैंने कहा, “मेरी रानी, अब तैयार हो जाओ। थोड़ा दर्द होगा, लेकिन चिल्लाना मत।”

वो बोली, “मुझे पता है। मैंने पहले भी सेक्स किया है।”
मैंने चौंककर पूछा, “कब?”
वो बोली, “जब मैं बारहवीं में थी, मेरे मास्टरजी ने मेरे साथ ज़बरदस्ती की थी। लेकिन मुझे मज़ा आया था।”

मैं समझ गया कि ये लड़की पहले से ही चुदक्कड़ है। मैंने उसकी गांड को और खोला और उसकी चूत के छेद पर अपना लंड टिकाया। वो बोली, “हाँ, सही जगह है।” मैंने उसके बूब्स को ज़ोर से पकड़ा और एक धीमा धक्का मारा। मेरा आधा लंड उसकी टाइट चूत में घुस गया। वो “आह्ह्ह… उह्ह…” करके सिहर उठी। उसकी चूत इतनी टाइट और गर्म थी कि मेरा लंड उसे पूरा महसूस कर रहा था। मैंने उसके बूब्स को मसलते हुए एक और धक्का मारा, और मेरा पूरा 7 इंच का लंड उसकी चूत में समा गया। वो “आह्ह्ह… ओह्ह… चंदू… धीरे…” चिल्लाई।

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मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। हर धक्के के साथ उसकी चूत और गीली होती जा रही थी। वो अपनी कमर को मटकाते हुए मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी। “चंदू… और ज़ोर से… चोदो मुझे… आह्ह…” वो मस्ती में बोल रही थी। मैंने उसकी गांड को थपथपाया और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने शुरू किए। हर धक्के के साथ उसकी चूत से “पच… पच… पच…” की आवाज़ें आ रही थीं। उसकी सिसकारियाँ “आह्ह… ओह्ह… उह्ह…” टॉयलेट में गूँज रही थीं।

मैंने उसकी कमर को पकड़ा और उसे और ज़ोर से चोदना शुरू किया। उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। मैंने कहा, “संगीता, तेरी चूत तो जन्नत है।” वो बोली, “हाँ… चंदू… और चोदो… फाड़ दो मेरी चूत…” मैंने उसके बूब्स को ज़ोर से मसला और धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी। उसकी चूत से रस टपकने लगा, जो मेरे लंड को और चिकना कर रहा था। करीब 15 मिनट तक मैंने उसे अलग-अलग पोज़ में चोदा। कभी उसे दीवार के सहारे, कभी उसे झुकाकर। हर धक्के के साथ वो और ज़ोर से सिसकारती थी।

आखिरकार, मैं झड़ने वाला था। मैंने कहा, “संगीता, मेरा माल आने वाला है।” वो बोली, “अंदर ही छोड़ दो… मुझे मज़ा आ रहा है… आह्ह…” मैंने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे और अपना सारा माल उसकी चूत में छोड़ दिया। उसकी चूत मेरे वीर्य से भर गई। मैंने लंड बाहर निकाला तो वो टपक रहा था। उसने लोटे से अपनी चूत को धोया और सलवार पहन ली। उसने मुझे एक गहरा किस किया और बोली, “चंदू, ये मेरी ज़िंदगी का सबसे मस्त चुदाई थी।”

वो अपने कपड़े ठीक करके बाहर निकल गई। मैं पाँच मिनट बाद टॉयलेट से निकला और अपने कमरे में चला गया। उस रात मैं संगीता की चुदाई को याद करके फिर से मुठ मारने लगा।

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