दो हलवाइयों ने चोदा माँ को

मम्मी की चुदाई की कहानी में आप सभी दोस्तों का स्वागत है। मेरा नाम विजय है और मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ। मेरी मम्मी, वंदना, को आप सब अच्छे से जानते हैं। उनकी हरकतें और उनकी चुदक्कड़पन की बातें तो मशहूर हैं। अगर मेरी मम्मी को लंड न मिले, तो वो ऐसी रंडी बन जाती हैं कि किसी के भी लंड पर चढ़ने को तैयार हो जाती हैं। उनकी फिगर है 38-36-40, जो किसी को भी दीवाना बना दे। कल की ही बात लें, जब मैं और मम्मी दूध लेने गए थे। मम्मी ने मैक्सी पहनी थी, जो उनके जिस्म को और उभार रही थी। दूधवाले के पास पहुँचते ही मैंने देखा कि वो अपनी धोती हटाकर मम्मी को अपना लंड दिखा रहा था। और मम्मी? वो बेशर्मी से उसे ऐसे घूर रही थीं जैसे अभी जाकर उसका लंड मुँह में ले लेंगी। उनकी आँखों में वो भूख साफ दिख रही थी, जैसे उनके मुँह में पानी आ रहा हो। खैर, वहाँ मैं, मम्मी और वो दूधवाला था, जो दूध निकालने का नाटक कर रहा था।

अब मैं सीधे कहानी पर आता हूँ। ये उस वक्त की बात है जब मैं 18 साल का था और मम्मी 36 की थीं। मेरे पापा काम के सिलसिले में ज्यादातर बाहर रहते थे। हमारे घर के बगल में एक आंटी रहती थीं, जिनके घर में सिर्फ वो और उनके पति थे। उनके बच्चे पढ़ाई के लिए बाहर गए थे। अंकल हमेशा काम में व्यस्त रहते थे। एक बार आंटी ने अपने घर पर पूजा रखी थी। पड़ोसी होने के नाते हमारा और उनका रिश्ता काफी अच्छा था। हमारा और उनका घर आपस में जॉइंट टाइप का बना था, जिसमें दीवारें साझा थीं। सुबह 11 बजे का वक्त था। आंटी ने पूजा के लिए मिठाई और प्रसाद बनाने के लिए दो हलवाइयों को बुलाया था। दोनों हलवाइयों का नाम था रमेश और सुरेश। रमेश 38 साल का था, लंबा-चौड़ा, मोटी मूँछों वाला, जिसके बाजुओं की मांसपेशियाँ उसकी ताकत बयान करती थीं। सुरेश 40 का था, थोड़ा गठीला, काले रंग का, जिसके चेहरे पर हमेशा एक चालाक मुस्कान रहती थी। दोनों हलवाइयों की आँखों में ठरक साफ झलक रही थी। जैसे ही वो आए, उन्होंने अपना काम शुरू कर दिया और लड्डू बनाने में जुट गए।

थोड़ी देर बाद आंटी हमारे घर आईं और मम्मी से बोलीं, “वंदना, थोड़ी देर के लिए मेरे घर चली जाओ। हलवाइयों को देख लो और प्रसाद अच्छे से बनवा दो। मुझे पूजा का सामान लेने जाना है।” गर्मी बहुत थी, लेकिन मम्मी मान गईं। आखिर पूजा का मामला था। मम्मी ने कहा, “ठीक है, मैं नहाकर जाती हूँ।” लेकिन आंटी को देर हो रही थी और वो हलवाइयों के भरोसे घर नहीं छोड़ना चाहती थीं। आंटी बोलीं, “अरे, गर्मी बहुत है। अभी नहाने का फायदा नहीं। पूजा के वक्त नहा लेना।” मम्मी ने उनकी बात मान ली और तुरंत उनके घर चली गईं। मम्मी ने उस दिन काली मैक्सी पहनी थी, जो सामने से डोरी से बंधती थी। मम्मी घर में कभी पैंटी नहीं पहनती थीं, और उस दिन भी नहीं पहनी थी। सिर्फ ब्रा और ऊपर से मैक्सी। हलवाइयों ने घर के पीछे लगे टेंट में काम शुरू किया था, जिसका मुँह मेरे कमरे की तरफ था, जो दूसरी मंजिल पर था। मैं अपने कमरे से सब देख सकता था।

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जब मम्मी हलवाइयों के पास पहुँचीं, तो दोनों की आँखें मम्मी के जिस्म पर टिक गईं। उनकी नजरें मम्मी के उभरे हुए स्तनों और गोल-मटोल नितंबों पर थीं। मम्मी ने एक कुर्सी पर पैर के ऊपर पैर रखकर बैठ गईं और हलवाइयों से बातें करने लगीं। उनकी मैक्सी थोड़ी ऊपर खिसक गई थी, जिससे उनकी गोरी जाँघें नजर आ रही थीं। थोड़ी देर बाद जब लड्डू गोल करने का वक्त आया, तो मम्मी उनकी मदद करने के लिए नीचे जमीन पर बैठ गईं। मम्मी इस तरह बैठी थीं कि उनकी चूत की हल्की-हल्की झलक दोनों हलवाइयों को मिल रही थी। उनकी मैक्सी का पल्लू थोड़ा खुल गया था, जिससे उनकी ब्रा साफ दिख रही थी।

कुछ देर बाद मम्मी आंटी के किचन में कुछ सामान लेने गईं। तब दोनों हलवाइयों ने आपस में बात शुरू की। रमेश बोला, “सुरेश, देखा साली की चूत? जानबूझकर दिखा रही थी क्या?” सुरेश ने हँसते हुए कहा, “हाँ, भाई। ये बड़े घर की औरतें ऐसी ही होती हैं। बाहर से सभ्य, अंदर से रंडी।” दोनों मम्मी को चोदने की बातें करने लगे। रमेश बोला, “साली की गांड देख। ऐसा लग रहा है जैसे अभी पकड़कर पेल दूँ।” सुरेश ने कहा, “अरे, मौका मिले तो छोड़ेंगे नहीं।” मम्मी जब वापस आईं, तो दोनों हलवाइयों की नजरें उनके जिस्म को भेड़ियों की तरह घूर रही थीं।

तभी रमेश बहाना बनाकर बाहर गया। उसने टॉयलेट जाने का बहाना किया, लेकिन असल में उसने एक मक्खी पकड़ी और उसे अपने हाथ में दबाकर ले आया। वो मम्मी के पीछे से चुपके से आया और उस मक्खी को इस तरह छोड़ा कि वो मम्मी की मैक्सी के अंदर घुस गई। मक्खी जब मम्मी की मैक्सी में उड़ने लगी, तो मम्मी डर के मारे उछल पड़ीं। वो चीखते हुए बोलीं, “ये क्या घुस गया मेरी मैक्सी में?” उनकी आवाज में डर साफ सुनाई दे रहा था। रमेश ने मौके का फायदा उठाया और बोला, “मैडम, हिलिए मत। कोई कीड़ा होगा। रुकिए, मैं देखता हूँ।” मम्मी डर के मारे काँप रही थीं। सुरेश ने कहा, “मैडम, मैक्सी उतारकर झाड़ लीजिए, नहीं तो वो काट लेगा।” मम्मी ने डरते-डरते अपनी मैक्सी को ऊपर उठाया और देखने की कोशिश की। तभी रमेश ने मौका देखकर मम्मी की मैक्सी को पूरी तरह ऊपर उठा दिया। लेकिन उसकी नजर मम्मी की चूत पर नहीं पड़ सकी। उसने हिम्मत की और मम्मी की मैक्सी को पूरी तरह उतार दिया। मक्खी उड़ गई, और रमेश ने कहा, “लगता है कोई कीड़ा था, जो उड़ गया।”

अब मम्मी सिर्फ ब्रा में खड़ी थीं। उनका गोरा जिस्म उन दोनों हलवाइयों के सामने नंगा था। मम्मी शर्म से लाल हो रही थीं और अपने हाथों से अपने स्तनों और चूत को छुपाने की कोशिश कर रही थीं। लेकिन उनकी शर्मिंदगी देखकर दोनों हलवाइयों की ठरक और बढ़ गई। सुरेश ने पीछे से आकर मम्मी को अपनी बाहों में जकड़ लिया। मम्मी छटपटाने लगीं, “छोड़ो मुझे! ये क्या कर रहे हो?” लेकिन उनकी आवाज में डर के साथ एक अजीब सी कमजोरी थी। तभी रमेश ने आगे बढ़कर मम्मी की ब्रा का हुक खोल दिया। अब मम्मी पूरी तरह नंगी थीं। उनके बड़े-बड़े स्तन और गोल नितंब उन हलवाइयों के सामने थे। मम्मी ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन दोनों हलवाइयों की ताकत के सामने उनकी एक न चली।

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रमेश ने मम्मी को जमीन पर लिटा दिया। मम्मी चीखने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन सुरेश ने उनके मुँह पर अपना हाथ रख दिया। मम्मी की आँखों में डर था, लेकिन कहीं न कहीं उनकी साँसें तेज हो रही थीं। दोनों हलवाइयों ने अपनी धोती खोल दी। रमेश का लंड 8 इंच लंबा और मोटा था, जबकि सुरेश का लंड 10 इंच का था, जो किसी घोड़े के लंड जैसा लग रहा था। मम्मी की आँखें फटी की फटी रह गईं। उनकी साँसें और तेज हो गईं।

सुरेश ने मम्मी का मुँह पकड़ा और अपना लंड उनके मुँह में डाल दिया। मम्मी ने पहले तो विरोध किया, लेकिन फिर वो धीरे-धीरे उस लंड को चूसने लगीं। “उम्म… आह…” उनकी सिसकारियाँ निकल रही थीं। लंड इतना बड़ा था कि मम्मी के मुँह में पूरा नहीं जा रहा था। सुरेश ने उनके बाल पकड़े और जोर-जोर से लंड को उनके मुँह में अंदर-बाहर करने लगा। “चूस साली, अच्छे से चूस,” वो गंदी बातें करते हुए बोला। मम्मी की आँखों में आँसू थे, लेकिन उनकी सिसकारियाँ बता रही थीं कि वो अब इस चुदाई में डूब रही थीं।

इधर रमेश ने मम्मी की टाँगें चौड़ी कीं। उनकी चूत पूरी तरह गीली थी। वो बोला, “देख, साली की चूत तो पहले से ही पानी छोड़ रही है।” उसने मम्मी की चूत पर अपनी उँगलियाँ फिराईं। मम्मी सिहर उठीं, “आह… नहीं…” लेकिन उनकी आवाज में विरोध कम और मजा ज्यादा था। रमेश ने वहाँ पड़े घी के डिब्बे से थोड़ा घी लिया और मम्मी की चूत पर मल दिया। उसने अपनी एक उंगली उनकी चूत में डाली और अंदर-बाहर करने लगा। मम्मी की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “उम्म… आह… ओह…” रमेश ने फिर अपने लंड पर भी घी लगाया और मम्मी की चूत पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा। “आआह!” मम्मी की चीख निकल गई। लेकिन लंड पूरा अंदर नहीं गया। रमेश ने फिर एक और धक्का मारा। इस बार उसका 8 इंच का लंड पूरा मम्मी की चूत में समा गया। “थप-थप-थप” की आवाजें टेंट में गूँजने लगीं। मम्मी की चूत से रस टपक रहा था, जो घी के साथ मिलकर उनकी जाँघों पर बह रहा था।

सुरेश अब भी मम्मी के मुँह को चोद रहा था। उसका लंड मम्मी के गले तक जा रहा था। “ग्लक-ग्लक” की आवाजें आ रही थीं। मम्मी की साँसें फूल रही थीं, लेकिन वो अब पूरी तरह से इन हलवाइयों के हवाले थीं। रमेश ने अपनी स्पीड बढ़ा दी। हर धक्के के साथ मम्मी का पूरा जिस्म हिल रहा था। “आह… ओह… उफ्फ…” मम्मी की सिसकारियाँ टेंट में गूँज रही थीं। रमेश बोला, “साली, तेरी चूत तो जन्नत है।” मम्मी ने कुछ नहीं कहा, बस अपनी आँखें बंद करके उस चुदाई का मजा ले रही थीं।

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करीब 20 मिनट तक रमेश ने मम्मी को चोदा। फिर उसने एक जोरदार धक्का मारा और अपना गाढ़ा पानी मम्मी की चूत में छोड़ दिया। जब उसने अपना लंड बाहर निकाला, तो मम्मी की चूत से इतना पानी निकला कि उनकी जाँघें पूरी तरह गीली हो गईं। मम्मी हाँफ रही थीं, लेकिन अभी उनकी चुदाई खत्म नहीं हुई थी। अब सुरेश की बारी थी। उसने मम्मी की मैक्सी उठाई और उनकी चूत को साफ किया। फिर उसने अपना 10 इंच का लंड मम्मी की चूत पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा। “आआआह!” मम्मी की चीख निकल गई। सुरेश का लंड इतना मोटा था कि मम्मी की चूत पूरी तरह खुल गई। “थप-थप-थप” की आवाजें फिर से गूँजने लगीं। सुरेश ने मम्मी के स्तनों को जोर-जोर से दबाना शुरू किया। “उफ्फ… कितने बड़े हैं ये,” वो बोला। मम्मी की सिसकारियाँ अब और तेज हो गई थीं, “आह… ओह… धीरे…” लेकिन सुरेश रुका नहीं। उसने अपनी स्पीड और बढ़ा दी। मम्मी का पूरा जिस्म हिल रहा था। उनकी चूत से रस और घी का मिश्रण उनकी जाँघों पर बह रहा था।

करीब आधे घंटे तक सुरेश ने मम्मी को चोदा। फिर उसने भी अपना पानी मम्मी की चूत में छोड़ दिया। जब उसने अपना लंड बाहर निकाला, तो मम्मी की चूत ऐसी लग रही थी जैसे किसी घोड़े ने चोदा हो। उनकी जाँघें पूरी तरह गीली थीं। मम्मी हाँफते हुए जमीन पर पड़ी थीं। तभी बाहर मेन गेट से आंटी की आवाज आई। मम्मी ने जल्दी से अपनी मैक्सी उठाई और पहन ली। वो हड़बड़ाहट में गेट की तरफ गईं। आंटी ने मम्मी को देखा और बोलीं, “वंदना, तुम इतनी पसीने से गीली क्यों हो?” मम्मी ने हँसते हुए कहा, “अरे, आग के सामने बैठकर लड्डू गोल कर रही थी, इसलिए ऐसा हुआ।” और वो जल्दी से वहाँ से निकलकर घर की तरफ चल दीं।

मम्मी ने हलवाइयों का पानी ठीक से साफ नहीं किया था। जब वो घर पहुँचीं, तो उनके पैरों से लेकर स्लीपर्स तक वो गाढ़ा पानी लिपटा हुआ था। घर आते ही मम्मी सीधे बाथरूम में घुस गईं और नहाने लगीं। उनके स्लीपर्स बाथरूम के बाहर पड़े थे, जिन पर हलवाइयों का सफेद गाढ़ा पानी साफ दिख रहा था। मैं अपने कमरे से नीचे आया और ये सब देखा।

दोस्तों, मेरी मम्मी की इस चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी? अपनी राय जरूर बताएँ।

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