Train sex story- Aunty ke sath toilet sex : मेरा नाम समर शर्मा है, और मैं पश्चिम बंगाल का रहने वाला हूँ। मैं एक छोटा-सा बिजनेस करता हूँ, जिसके चलते मुझे अपने काम से फुर्सत ही नहीं मिलती। ये कहानी कई साल पुरानी है, जब मैं पहली बार मुंबई गया था। उस वक्त मुझे मर्द और औरत के प्यार के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था। मैं 25 साल का था, और सेक्स के बारे में मेरी जानकारी बिल्कुल शून्य थी।
मुंबई से वापसी के लिए मुझे ट्रेन का टिकट नहीं मिल रहा था। मजबूरी में मैंने जनरल कोच में सफर करने का फैसला किया। एक कुली की मदद से बड़ी मुश्किल से मुझे सीट मिली। ट्रेन चल पड़ी, और हवा के झोंके खिड़की से मेरे चेहरे को छू रहे थे। कुछ देर बाद एक चायवाला आया। मैंने चाय ली और अपने बैग से बिस्किट निकालकर खाए।
जब ट्रेन कल्याण स्टेशन पर रुकी, तो मैंने देखा कि एक आंटी दो बैग लिए मेरी तरफ आ रही थीं। उनकी उम्र करीब 42 साल रही होगी। उन्होंने आसमानी रंग की साड़ी और मैचिंग ब्लाउज पहना था। उनका फिगर भरा हुआ था, और चेहरा देखकर लगता था कि वे अपनी जवानी में काफी खूबसूरत रही होंगी। आंटी ने मुझसे पूछा, “बैग नीचे रख लेंगे आप?” मैंने तुरंत हामी भरी और उनके बैग सीट के नीचे सेट कर दिए।
आंटी खड़ी-खड़ी सफर करने लगीं। दो घंटे तक वे ऐसे ही खड़ी रहीं। मुझे लगा कि उनकी मदद करनी चाहिए। मैंने कहा, “आप यहाँ बैठ जाइए।” मैंने थोड़ी जगह बनाई, और आंटी मेरे बगल में चिपककर बैठ गईं। जगह कम थी, इसलिए हमारे शरीर आपस में सट रहे थे। उनकी जांघ मेरी जांघ से टकरा रही थी, और मुझे एक अजीब-सी गुदगुदी हो रही थी।
बातों-बातों में पता चला कि उनका नाम कुसुम है, और वे पटना जा रही थीं। तभी ट्रेन में कुछ किन्नर आए। मैंने पैसे निकालने के लिए हाथ बढ़ाया, और गलती से मेरा हाथ आंटी की छाती पर लग गया। उनकी मुलायम चूची का स्पर्श मेरे लिए बिजली के झटके जैसा था। मैंने जल्दी से 20 रुपये का नोट किन्नर को दिया, लेकिन मेरे दिमाग में वही स्पर्श घूम रहा था। मेरा लंड धीरे-धीरे तनने लगा। मुझे समझ नहीं आया कि ये क्या हो रहा है, लेकिन मजा बहुत आ रहा था।
रात के 10 बज चुके थे। आंटी को हल्की नींद आने लगी थी। वे ऊंघ रही थीं, और उनका सिर मेरे कंधे पर टिक गया। उनकी साड़ी की खुशबू और बदन की गर्माहट से मेरा मन बेकाबू होने लगा। मैंने देखा कि उनकी ब्रा की पट्टी ब्लाउज से बाहर झांक रही थी। न जाने क्यों, मैं उनके ब्लाउज में झांकने लगा। उनके दूध का उभार देखकर मेरी वासना और भड़क गई।
मैंने धीरे-धीरे उनकी जांघ को छूना शुरू किया। जब कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, तो मैंने हिम्मत बढ़ाई और उनकी जांघ को सहलाने लगा। एक बार तो मैंने हल्के से उनकी जांघ को दबा भी दिया। आंटी सोई रही। मेरा लंड अब पूरी तरह खड़ा हो चुका था। मैंने उनकी कमर को भी छूना शुरू किया। तभी आंटी ने आँखें खोलीं और हल्के से मुस्कुरा दीं। मेरी तो सांस अटक गई।
उन्होंने अपनी साड़ी से कमर ढक ली। मैं घबरा गया, लेकिन उनकी मुस्कान ने मुझे फिर हिम्मत दी। मैंने दोबारा कोशिश की और अपना हाथ उनकी चूचियों के निचले हिस्से तक ले गया। उनकी नर्म त्वचा का अहसास मेरे लिए नया था। तभी आंटी ने मेरा हाथ पकड़ लिया। मेरी हालत खराब हो गई। उन्होंने धीमी आवाज में पूछा, “क्या तुम शादीशुदा हो?” मैंने कहा, “नहीं।”
“कभी सेक्स किया है?” उन्होंने पूछा। मैंने फिर ना में जवाब दिया। आंटी ने मेरा हाथ पकड़कर अपने दूध पर रख दिया और साड़ी से ढक लिया। “धीरे-धीरे दबाओ,” उन्होंने फुसफुसाते हुए कहा। मैंने उनकी चूची को हल्के-हल्के दबाना शुरू किया। उनकी मुलायमियत से मेरा लंड और कड़क हो गया। आंटी ने मेरे लंड को छुआ और बोलीं, “तुम बाथरूम में जाओ, मैं आती हूँ।”
मैं बाथरूम में गया और उनका इंतजार करने लगा। दस मिनट बाद आंटी आईं। मैंने उन्हें गले लगाया। उन्होंने पूछा, “तुमने सचमुच कभी सेक्स नहीं किया?” मैंने उनके दूध मसलते हुए कहा, “नहीं।” आंटी ने अपना ब्लाउज खोला और ब्रा से एक दूध निकालकर बोलीं, “लो, इसे आम की तरह चूसो और दबाओ।” मैंने वैसा ही किया। उनकी चूची को चूसते हुए मैंने एक हाथ उनकी चूत की तरफ बढ़ाया।
“मेरी चूत चाटोगे?” आंटी ने पूछा। मैंने हामी भरी। उन्होंने साड़ी उठाई, पैंटी उतारी और टांगें फैलाकर कमर आगे की। उनकी चूत पर घने बाल थे। मैं नीचे बैठा और जीभ से उनकी चूत चाटने लगा। उसकी खुशबू मुझे पागल कर रही थी। आंटी मेरे सिर को अपनी चूत में दबा रही थीं और आह… ओह… की सिसकारियाँ ले रही थीं।
कुछ देर चूत चाटने के बाद मैंने अपना लंड निकाला। आंटी उसे देखकर चौंक गईं। “इतना बड़ा?” उन्होंने कहा। मैंने पूछा, “क्या सबका ऐसा नहीं होता?” वे हँस पड़ीं और बोलीं, “तुम तो बिल्कुल अनाड़ी हो।” फिर उन्होंने मेरा लंड पकड़कर हिलाना शुरू किया। मैंने कहा, “आप भी मेरा लंड चूसो ना।” पहले तो वे मना करने लगीं, लेकिन मेरे जिद करने पर मान गईं।
आंटी घुटनों पर बैठीं और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं। गी… गी… की आवाजें आ रही थीं। मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैं उनके मुँह में लंड को और जोर से पेलने लगा। फिर आंटी खड़ी हुईं और बोलीं, “अब चूत में डाल दो।” मैंने उन्हें वॉशबेसिन पर टिकाया और लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा। उन्होंने अपनी एक टांग उठाकर दरवाजे पर रखी, जिससे उनकी चूत खुल गई।
आंटी ने मेरा लंड पकड़कर चूत के मुँह पर लगाया और बोलीं, “पेल दो।” मैंने धक्का मारा, लेकिन लंड फिसल गया। वे बोलीं, “तुम सचमुच अनाड़ी हो।” फिर उन्होंने लंड को सही जगह लगाया और मैंने धक्का मारा। इस बार लंड अंदर चला गया। आंटी की सिसकारी निकली, “ऊई… कितना मोटा है!”
मैं धीरे-धीरे धक्के देने लगा। आंटी की चूत की गर्मी और गीलापन मुझे पागल कर रहा था। मैंने उनकी कमर पकड़ी और जोर-जोर से चोदने लगा। आह… ओह… उनकी सिसकारियाँ ट्रेन की आवाज में मिल रही थीं। पाँच मिनट बाद आंटी बोलीं, “अब पीछे से पेलो।” उन्होंने वॉशबेसिन पकड़ा और घोड़ी बन गईं। मैंने लंड उनकी चूत में डाला और शंटिंग शुरू कर दी।
आंटी बोलीं, “थोड़ा तेज करो।” मैंने रफ्तार बढ़ा दी। उनकी उफ… आह… की आवाजें और तेज हो गईं। कुछ देर बाद मेरा निकलने वाला था। मैंने और जोर से धक्के मारे और आंटी की चूत में ही झड़ गया। आंटी सीधी हुईं और बोलीं, “तुम्हारा लंड बहुत मोटा और मजबूत है।” उन्होंने मुझे होंठों पर चूमा और कपड़े ठीक करके बाहर चली गईं।
थोड़ी देर बाद मैं भी सीट पर लौटा। आंटी ने मेरा मोबाइल लिया और अपना नंबर डायल किया। फिर बोलीं, “एक बार और लेने का मन है।” मैंने पूछा, “पैंटी पहनी?” वे बोलीं, “नहीं।” मैं नीचे बैठा और उनकी साड़ी में हाथ डालकर चूत छूने लगा। आंटी ने आँखें बंद कर लीं और होंठ काटने लगीं। मैंने उनकी चूत में उंगली डालकर अंदर-बाहर करना शुरू किया। दस मिनट बाद उनकी चूत से पानी निकलने लगा। मैंने उंगली चाटी और मजा लिया।
आंटी फिर बाथरूम चली गईं और मुझे इशारा किया। मैं भी पीछे गया। उन्होंने कहा, “जल्दी चूत में डाल दो।” मैंने कहा, “पहले मेरा लंड चूसो।” इस बार वे तुरंत मान गईं। आंटी ने मेरे लंड को मुँह में लिया और गी… गों… की आवाज के साथ चूसने लगीं। मैं उनके मुँह को चोद रहा था। फिर मैंने लंड उनकी चूत में डाला और जोर-जोर से पेलने लगा।
आंटी बोलीं, “थोड़ा धीरे, तुम्हारा लंड मोटा है।” लेकिन मैं रुका नहीं। दस मिनट बाद आंटी की चूत से पानी निकलने वाला था। मैंने लंड निकाला और जीभ से उनकी चूत चाटने लगा। आंटी मेरे सिर को दबाते हुए बोलीं, “आह… जोर से चूसो।” उनकी चूत ने रस छोड़ दिया, और मैंने सारा पानी पी लिया।
आंटी थककर बोलीं, “इस बार तुमने और अच्छा किया।” मैंने कहा, “मेरा पानी कौन निकालेगा?” वे नीचे बैठीं और मेरे लंड को चाटने लगीं। मैं उनके मुँह में जोर-जोर से पेल रहा था। कुछ देर बाद मैंने सारा पानी उनके मुँह में निकाल दिया। आंटी ने उसे पी लिया।
उसके बाद हम सीट पर लौटे और सो गए। अगली मुलाकात किसके साथ होगी, ये तो वक्त बताएगा।