Chudai train me bhabhi ko: दोस्तों, जिंदगी में कुछ पल ऐसे होते हैं जो दिल-दिमाग में हमेशा के लिए नक्श हो जाते हैं। जैसे कोई रंगीन सपना, जो बार-बार आँखों के सामने नाचता है। जब मन उदास हो, या रातें अकेली लगें, तो वही सपना तुम्हारी साँसों में जान फूँक देता है। चाहे वो किसी प्यार भरी मुलाकात हो, किसी हसीना की चुलबुली बातें, या फिर कोई ऐसी चुदास भरी रात, जो तुम्हें जिंदगी भर याद रहे। मेरी जिंदगी में भी ऐसा ही एक ख्वाब है, जो मैं आज तुमसे शेयर करने जा रहा हूँ। ये कहानी है एक पंजाबन भाभी की, जिसने राजधानी एक्सप्रेस के सफर को मेरे लिए जन्नत बना दिया। उम्मीद है, मेरी ये चटपटी कहानी तुम्हें उतना ही मaza देगी, जितना मुझे उस रात मिला।
मेरा नाम रोहन है, 29 साल का जवान मर्द, जो अपने लंड की गर्मी को काबू में रखना जानता है। मेरी सोसाइटी में एक भाभी रहती हैं, जिनका नाम है नेहा। चंडीगढ़ की पंजाबन, जिन्हें भगवान ने अपने हाथों से गढ़ा है। करीब 6 फीट की लंबाई, गोरा-चिट्टा बदन, जो देखते ही लंड को तनने पर मजबूर कर दे। उनकी चूचियाँ 36D की, भारी-भरकम, पर उनके बदन के साथ एकदम फिट। उनकी पतली कमर, गहरी नाभि, और वो मटकती गांड—हाय, यार, बस देखकर ही मुठ मारने का मन करता है। जब वो शाम को पार्क में टाइट कुर्ते में टहलती हैं, तो हर मर्द की नजरें उनकी चूचियों और गांड पर अटक जाती हैं। मैं जब भी उन्हें देखता, मेरा लंड पैंट में उछलने लगता, और मैं पार्क में उनके सामने बैठकर बस उनकी एक झलक पाने को तरसता।
नेहा भाभी का मेरे घर से दोस्ती का रिश्ता था। मेरी बीवी से उनकी खूब पटती थी। वो अक्सर हमारे फ्लैट पर आतीं, और उनकी हँसी, उनकी नशीली आँखें, और वो कामुक अदा मुझे हर बार बेकाबू कर देती थीं। लेकिन मैंने कभी हिम्मत नहीं की कि कुछ बोलूँ, कहीं रिश्ता खराब न हो जाए। उनकी गुलाबी होंठों की मुस्कान और क्लीवेज में फँसा लॉकेट मेरे सपनों में आता, और मैं रातों को मुठ मारकर अपनी आग बुझाता।
एक दिन मुझे किसी काम से मुंबई जाना था। मैंने बीवी को बताया, तो उसने नेहा भाभी से ये बात शेयर कर दी। भाभी ने तुरंत कहा, “अरे, मैं भी तो मुंबई जाना चाह रही थी। मेरी सास वहाँ हैं, और मेरे पति अमेरिका गए हैं ऑफिस के काम से। सासू माँ को लाने मुझे जाना पड़ेगा। अगर रोहन भैया जा रहे हैं, तो मैं भी उनके साथ चलूँ?” मेरी बीवी ने हँसते हुए जवाब दिया, “हाँ, क्यों नहीं? तुम दोनों साथ चले जाओ, रोहन को भी कंपनी मिल जाएगी।” मैंने मन में सोचा, यार, ये तो किस्मत खुल गई! नेहा भाभी के साथ ट्रेन का सफर, वो भी अकेले—क्या पता ऊपरवाला क्या रंग दिखाए!
अगले दिन सुबह फ्लैट की बेल बजी। दरवाजा खोला तो सामने नेहा भाभी खड़ी थीं, टाइट जींस और लो-कट टॉप में। उनकी चूचियाँ टॉप से बाहर झाँक रही थीं, और वो मुस्कुराते हुए बोलीं, “भैया, मैंने हसबैंड से परमिशन ले ली। मैं आपके साथ मुंबई चलूँगी। आप दो दिन के लिए जा रहे हैं ना? मैं भी सास को लेकर वापस आ जाऊँगी।” मैंने हड़बड़ाते हुए कहा, “हाँ, ठीक है भाभी। मैं अभी टिकट बुक करने वाला था।” मन में तो लड्डू फूट रहे थे—भाभी के साथ दो दिन, कुछ तो गुल खिलेगा!
मैंने लैपटॉप खोला और IRCTC पर टिकट चेक किया। कन्फर्म टिकट तो मिला नहीं, बस RAC में दो सीटें थीं। मैंने भाभी से कहा, “चलो, RAC ही ले लेते हैं। ट्रेन में TTE से बात करके कन्फर्म करवा लेंगे।” भाभी ने अपनी गहरी आँखों से मुझे देखा और बोलीं, “ठीक है भैया, ट्रेन में खूब मस्ती करेंगे।” उनकी ‘मस्ती’ वाली बात सुनकर मेरा लंड झटका मारने लगा। मैंने सोचा, यार, ये भाभी तो कुछ और ही प्लान कर रही है!
अगले दिन हम नई दिल्ली स्टेशन पहुँचे और राजधानी एक्सप्रेस में चढ़ गए। हमारी सीट साइड वाली थी—एक लोअर और एक अपर। हम दोनों नीचे वाली सीट पर बैठ गए। भाभी ने टाइट सलवार-कुर्ता पहना था, जिसका गला इतना गहरा था कि उनकी क्लीवेज साफ दिख रही थी। उनकी चूचियाँ कुर्ते में कैद थीं, लेकिन बाहर निकलने को बेताब। मैं चोरी-छिपे उनकी चूचियों को ताड़ रहा था। चाय की चुस्की लेते हुए हमारी बातें शुरू हुईं। भाभी ने हँसते हुए कहा, “भैया, आप तो बड़े शांत टाइप हो। बीवी के साथ भी ऐसे ही चुपचाप रहते हो?” मैंने हँसकर जवाब दिया, “नहीं भाभी, आप जैसी हसीना सामने हो तो चुप कैसे रहूँ?” वो ठहाका मारकर हँस पड़ीं और बोलीं, “अच्छा, तो मैं हसीना हूँ? बीवी को मत बताना, वरना मेरी खैर नहीं!”
रात हुई। हमने खाना खाया, आइसक्रीम का मजा लिया, और गपशप चलती रही। करीब 5 घंटे का सफर हो चुका था, जब TTE आया और बोला, “सर, आपका टिकट कन्फर्म हो गया है। आप ऊपर वाली बर्थ ले लीजिए।” मैंने उसे थैंक्स कहा, लेकिन भाभी ने मुझे टोकते हुए कहा, “अरे भैया, अभी तो रात जवान है। थोड़ी देर और गप्पें मारते हैं। रोज तो सोते ही हैं!” मैं रुक गया। भाभी ने पर्दा लगाया और बोलीं, “पैर फैलाओ, कोई बात नहीं। ट्रेन में सब चलता है।” मैंने पैर फैलाए, और वो भी तकिया लगाकर पैर फैला कर बैठ गईं।
अब हालत ये थी कि हम एक ही कम्बल में थे। उनका एक पैर मेरे दोनों पैरों के बीच, और मेरा एक पैर उनकी जाँघों के बीच। अचानक उनका पैर मेरे लंड को छू गया। मेरा लंड तो पहले से ही उनकी क्लीवेज को देखकर तन चुका था। भाभी बिना दुपट्टे के थीं, और उनकी चूचियाँ कुर्ते से आधी बाहर लटक रही थीं। उनके गले में सोने का लॉकेट उनकी क्लीवेज में फँसा हुआ था, जो और भी कामुक लग रहा था। भाभी समझ गईं कि मेरा लंड खड़ा है। वो थोड़ा नीचे सरक गईं, और मेरा पैर उनकी चूत पर टिक गया। मैंने महसूस किया—उनकी चूत गर्मी से लबरेज थी।
अब वो धीरे-धीरे अपने पैर से मेरे लंड को दबाने लगीं। मैंने भी अपने पैर से उनकी चूत को सहलाना शुरू किया। दोनों चुप थे, बस पैरों का खेल चल रहा था। तभी भाभी बोलीं, “भैया, मुझे थोड़ा तंग फील हो रहा है। क्या मैं तुम्हारे पैर पर सिर रख लूँ?” मैंने हकलाते हुए कहा, “हाँ, ठीक है।” वो पलटीं और अपना सिर मेरी गोद में रख लिया। यार, उनके गुलाबी होंठ, लाल-लाल गाल, और चूचियों की गोलाई इतने करीब थी कि मेरा लंड पैंट फाड़ने को तैयार था।
करीब 10 मिनट तक वो आँखें बंद किए पड़ी रहीं। मैंने हिम्मत करके उनके होंठों को अपनी उँगली से छुआ। वो चुप रहीं। फिर मैंने उनके गाल सहलाए—कोई जवाब नहीं। धीरे-धीरे मैंने उनकी चूची को हल्के से छुआ। फिर थोड़ा और, और फिर पूरी हथेली उनकी दोनों चूचियों पर रख दी। मेरा दिल धक-धक कर रहा था, और ट्रेन की रफ्तार के साथ मेरी साँसें भी भाग रही थीं। तभी भाभी ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी चूचियों पर जोर से दबाने लगीं। मैं समझ गया—आज रात जन्नत के दरवाजे खुलने वाले हैं!
मैंने उनकी चूचियों को मसलना शुरू किया। वो उठीं, बिना कुछ बोले अपना कुर्ता उतार फेंका। अब वो सिर्फ काली ब्रा में थीं। यार, क्या नजारा था! उनकी गोरी चूचियाँ ब्रा से बाहर निकलने को बेताब थीं। मैंने उनके पीठ के पीछे हाथ डाला और ब्रा का हुक खोल दिया। भाभी ने खुद ब्रा को साइड में फेंक दिया। उनकी चूचियाँ आजाद हो गईं—बड़ी, गोल, और निप्पल गुलाबी, जैसे रसभरी। मैं पागल हो गया। मैंने उनकी एक चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा, जैसे कोई भूखा शेर। कभी एक, कभी दूसरी, मैं दोनों चूचियों को पी रहा था, दबा रहा था। मेरा एक हाथ उनके होंठों पर, कभी उनकी गहरी नाभि पर, कभी उनकी कमर को सहला रहा था।
भाभी अपने होंठ दाँतों से काट रही थीं और मादक सिसकारियाँ ले रही थीं— “आह… उह्ह… हाय… उम्म्म… और जोर से, रोहन!” उनकी आवाज सुनकर मेरा लंड और सख्त हो गया। मैं उनके पैरों की तरफ सरका और उनकी सलवार का नाड़ा खींच दिया। सलवार नीचे सरक गई। फिर मैंने उनकी लाल पैंटी को भी उतार फेंका। सामने थी उनकी चिकनी, गुलाबी चूत, हल्के-हल्के बालों से सजी, जैसे कोई फूल। मैंने उनके पैर फैलाए और उनकी चूत को चाटना शुरू किया। उनकी चूत का रस नमकीन था, और मैं पागलों की तरह उसे चूस रहा था। भाभी सिसकार रही थीं, “हाय… रोहन… और चाट… आह… तू तो कमाल है!”
करीब 10 मिनट चाटने के बाद भाभी बोलीं, “बस कर, अब और तड़पा मत! जल्दी से चोद दे!” मैंने अपना लंड निकाला—8 इंच का, सख्त, और भाभी की चूत के लिए बेताब। मैंने लंड उनकी चूत पर सेट किया और एक जोरदार धक्का मारा। मेरा पूरा लंड उनकी गीली चूत में समा गया। भाभी की एक हल्की सी चीख निकली, “आह… धीरे!” लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था। मैंने धक्के मारने शुरू किए—दे दना दन! ट्रेन की रफ्तार और मेरे धक्कों का तालमेल गजब का था।
करीब 10 मिनट बाद मैं थक गया। मैं नीचे लेट गया, और भाभी मेरे ऊपर चढ़ गईं। उनकी चूचियाँ मेरे मुँह के सामने उछल रही थीं। वो अपनी गांड उठा-उठाकर मेरे लंड पर कूद रही थीं। आसपास सब सो रहे थे, और हमारी चुदाई का सिलसिला चालू था। भाभी की सिसकारियाँ अब तेज हो रही थीं— “आह… रोहन… और जोर से… चोद दे… मेरी चूत फाड़ दे!” करीब 20 मिनट बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए। भाभी की चूत से उनका रस बह रहा था, और मेरा माल उनकी चूत में समा गया।
हम दोनों थोड़ी देर तक एक-दूसरे को पकड़कर लेटे रहे, लेकिन सीट की तंगी की वजह से ज्यादा मजा नहीं आ रहा था। मैंने कहा, “भाभी, मैं ऊपर चला जाता हूँ।” वो बोलीं, “ठीक है, पर सुबह फिर मस्ती करेंगे।” मैं ऊपर वाली बर्थ पर चला गया। करीब 2 घंटे बाद भाभी ने मुझे हल्के से टच किया। मैं नीचे आया तो देखा वो फिर से कम्बल में थीं। वो बोलीं, “रोहन, तेरा लंड तो जादू करता है। एक बार और चखने दे!” उन्होंने मेरा लंड मुँह में लिया और चूसने लगीं। यार, उनकी जीभ मेरे लंड पर ऐसे नाच रही थी जैसे कोई नाचने वाली। मैं गरम हो गया और फिर से उनकी चूत में लंड पेल दिया।
रात भर हमने 3 बार चुदाई की। हर बार भाभी और मैं एक-दूसरे में खो गए। सुबह करीब 10 बजे हम मुंबई पहुँचे। मैंने सोचा, अब भाभी अपनी सास को लेने जाएँगी, और मैं अपने काम पर। लेकिन भाभी ने धमाका कर दिया। वो बोलीं, “रोहन, एक काम करते हैं। आज हम होटल में रुक जाते हैं। मैं सास को कल लेने जाऊँगी, और तुम भी अपना काम कल कर लेना।” फिर उन्होंने अपने हसबैंड को फोन किया, “हाँ जी, हम कल मुंबई पहुँच रहे हैं। सासू माँ को लेने कल जाऊँगी।” और सास को भी यही झूठ बोल दिया। मैं तो दंग रह गया—यार, ये भाभी तो कमाल की है!
हम दोनों एक फाइव-स्टार होटल में चले गए। वहाँ जाकर हमने खाना ऑर्डर किया, बियर की बोतलें मँगवाईं, और फिर चुदाई का दौर शुरू हुआ। भाभी ने एक सेक्सी नाइटी पहनी, जो उनकी चूचियों और गांड को और उभार रही थी। मैंने नाइटी फाड़ दी और उनकी चूत को फिर से चाटना शुरू किया। भाभी बोलीं, “रोहन, तू तो मेरी चूत का दीवाना है! अबकी बार मेरी गांड भी मार दे!” मैंने उनकी गांड में तेल लगाया और धीरे-धीरे लंड डाला। भाभी की सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थीं— “आह… हाय… और जोर से… फाड़ दे मेरी गांड!” हमने दिन-रात चुदाई की—कभी बेड पर, कभी बाथरूम में, कभी सोफे पर।
अगले दिन भाभी अपनी सास को लेने गईं, और मैं अपने काम पर। लेकिन वो रात, वो ट्रेन का सफर, और होटल की चुदाई मेरे दिल में हमेशा के लिए बस गई। आज भी जब मैं उस रात को याद करता हूँ, मेरा लंड खड़ा हो जाता है, और चेहरा मुस्कुरा उठता है। ये मेरी जिंदगी का वो ख्वाब है, जो मैं कभी भूलना नहीं चाहता।
दोस्तों, आपको मेरी और नेहा भाभी की चुदास भरी कहानी कैसी लगी? अपने कमेंट्स जरूर शेयर करें। और हाँ, अगर तुम्हें भी कभी ऐसी हॉट भाभी मिले, तो मौका मत छोड़ना!