मैं अनामिका गुप्ता, दिल्ली की गीता कॉलोनी में रहने वाली एक हाउसवाइफ हूँ। मेरी पढ़ाई-लिखाई और परवरिश लखनऊ में हुई। माँ-बाप की इकलौती बेटी होने के नाते उन्होंने मेरी शादी बड़ी धूमधाम से की थी। मेरे पति विपुल गुप्ता बेहद नेकदिल और प्यार करने वाले इंसान थे। मेरी उम्र 28 साल है, और मेरा फिगर 36-28-38 है, जिसे मैंने हमेशा संभालकर रखा, क्योंकि मैं अपनी जवानी सिर्फ अपने पति के लिए न्योछावर करना चाहती थी। लेकिन जब विपुल की बेवफाई सामने आई, मेरा सुहाग, मेरा घर, सब कुछ बिखर गया। आज मैं आपको अपनी वो दास्ताँ सुनाने जा रही हूँ, जिसमें मैंने अपने टूटे हुए घर को जोड़ने के लिए क्या-क्या सहा और किया।
शादी के बाद शुरुआती दो महीने तो जैसे चुदाई का तूफान सा आया। विपुल का 7 इंच का मोटा लंड मेरी चूत में दिन-रात पेलता था। कभी शिमला की ठंडी वादियों में, जहाँ होटल के कमरे में बिस्तर की चादरें हमारी चुदाई की गवाही देती थीं। कभी मनाली की बर्फीली रातों में, जहाँ मैं ठंड से काँपती थी और विपुल मुझे अपनी बाहों में जकड़कर मेरी चूत को गर्म करता था। “आह्ह… विपुल, और जोर से!” मैं सिसकियाँ लेती थी, और वो मेरी 36D की चूचियों को मसलते हुए और तेज धक्के मारता। घर में तो कोई कोना ऐसा नहीं बचा था जहाँ मेरी चूत ना चुदी हो। खासकर किचन में, जब मैं स्लैब पर रोटी बेल रही होती थी। मैं हल्की गुलाबी साड़ी में होती, मेरी चूचियाँ साड़ी के ऊपर से उभरी हुई, और विपुल पीछे से आकर मेरी साड़ी कमर तक उठा देता। “अनामिका, तेरी चूत तो जन्नत है!” वो कहता और अपना लंड मेरी चूत में डाल देता। “फच… फच…” की आवाजें गूंजतीं, और मैं सिसकियाँ लेती, “आह्ह… ऊह्ह… धीरे, कोई सुन लेगा!” लेकिन वो रुकता कहाँ था? मेरी चूत को और जोर से चोदता, और मेरी चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही मसल देता।
लेकिन ये खुशी ज्यादा दिन नहीं चली। एक लड़की थी, रागिनी। मैं उसे दिल से कमीनी ही कहती थी। वो विपुल की दोस्त थी, लेकिन उसकी नीयत साफ नहीं थी। उसने मेरे पति को अपने जाल में फँसाया और उत्तराखंड के हर्षिल ले जाकर उसके साथ रंगरलियाँ मनाईं। बस तभी से विपुल का सारा ध्यान, सारा प्यार, और मेरी चूत का हक भी रागिनी को मिलने लगा। अब वो मुझसे झगड़ा करने लगा। “अनामिका, तुम तो बिल्कुल बहनजी टाइप हो। मॉडर्न नहीं हो। देखो रागिनी को, कितना हॉट फिगर है, कितना स्टाइल है। और तुम? अपने आप को आईने में देखो!” मैं समझ गई कि रागिनी ने मेरे पति को मुझसे छीन लिया।
मैं रात-रात भर तकिए को गले लगाकर रोती। कई बार मैंने वासना भरी कहानियाँ पढ़ीं, लेकिन उससे कुछ राहत नहीं मिली। मैं अपनी जवानी को यूँ बर्बाद होते नहीं देखना चाहती थी। मैं चाहती थी कि विपुल मुझे फिर से वैसे ही चोदे, जैसे पहले चोदता था। पहले मैं गांड मरवाने से मना करती थी, लंड को मुँह में लेना भी मुझे पसंद नहीं था। लेकिन अब मैं तैयार थी। मैं लंड को आइसक्रीम की तरह चूसने को तैयार थी, गांड मरवाने को तैयार थी, बस वो मुझे फिर से अपना बनाए। लेकिन कुछ भी हासिल नहीं हुआ। विपुल मुझसे और दूर होता गया।
एक दिन अखबार में मैंने एक तांत्रिक का इश्तिहार देखा। मैंने तुरंत फोन किया। तांत्रिक ने कहा, “बेटी, मैं तेरे पति को वापस ला दूँगा।” मैंने उस पर भरोसा किया। उसने कुछ पैसे माँगे और कहा कि एक खास पूजा करनी होगी, वो भी मेरे घर में, रात के वक्त। मैंने 20 तारीख की तारीख दी, जब विपुल कंपनी के काम से बाहर जा रहे थे।
20 तारीख को शाम करीब 6 बजे तांत्रिक मेरे घर आया। वो करीब 36 साल का था, मजबूत कद-काठी, काले रंग का, और उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। उसने मेरे बेडरूम में नीचे चटाई बिछाई, 25-30 दीपक जलाए, अगरबत्तियाँ जलाईं, और कर्मकांड शुरू किया। पूरा घर धूप और अगरबत्ती की खुशबू से महक रहा था। उसने मुझसे कहा, “बेटी, तुम नहा लो, लेकिन शरीर पर सिर्फ एक ही कपड़ा होना चाहिए।” मैं थोड़ा डर गई। एक अजनबी के सामने, वो भी सिर्फ एक कपड़े में? लेकिन फिर मैंने सोचा, अगर इससे मेरा घर बच जाए, तो कुछ भी कर लूँगी। मैं नहाकर एक पतली सफेद कॉटन की साड़ी पहनकर आई। साड़ी गीली थी, मेरे बदन से चिपकी हुई। मेरी 36D की चूचियाँ साड़ी के ऊपर से साफ दिख रही थीं, बिना ब्रा और ब्लाउज के। मेरे निप्पल साड़ी के कपड़े से उभरे हुए थे। मेरी कमर और गांड का उभार भी साड़ी में साफ दिख रहा था। मैं बिल्कुल किसी देसी पोर्न की हीरोइन जैसी लग रही थी।
तांत्रिक ने मुझे देखा, उसकी आँखें मेरी चूचियों पर टिक गईं। उसने कहा, “लेट जाओ।” मैं बेड पर लेट गई, मेरी साड़ी अभी भी मेरे बदन से चिपकी हुई थी। उसने मेरी साड़ी को धीरे-धीरे कमर तक उठाया। मेरी चूत, जो मैंने सुबह ही शेव की थी, अब खुली हुई थी। उसने कहा, “मुझे योनि पूजा करनी है।” मैं समझ नहीं पाई, लेकिन मैं कुछ भी करने को तैयार थी। उसने मेरी चूत पर गंगाजल छिड़का, कुछ गुलाब के फूल चढ़ाए, और मंत्र पढ़ने लगा। उसका हाथ मेरी चूत को छू रहा था, और मेरे अंदर एक अजीब सी सिहरन दौड़ रही थी। “आह्ह…” मेरे मुँह से हल्की सी सिसकी निकली।
फिर उसने मेरे पूरे शरीर को हाथों से सहलाना शुरू किया। उसका हाथ मेरी चूचियों पर रुका, उन्हें जोर से दबाया। “आह्ह… बाबा, ये क्या कर रहे हो?” मैंने सहमते हुए पूछा। वो बोला, “चुप रह, रंडी! ये पूजा का हिस्सा है।” उसकी गालियाँ सुनकर मेरी चूत गीली हो गई। उसने मेरी साड़ी को पूरी तरह उतार दिया। अब मैं बिल्कुल नंगी थी, मेरी 36D की चूचियाँ हवा में तनी हुई थीं, मेरे निप्पल सख्त हो चुके थे। उसने मेरी चूचियों को दोनों हाथों से मसला, मेरे निप्पल को चूसा। “आह्ह… ऊह्ह…” मैं सिसक रही थी। उसका 8 इंच का काला लंड अब खड़ा हो चुका था, जो उसके कुर्ते के नीचे से साफ दिख रहा था। उसने अपना कुर्ता और धोती उतार दी। उसका लंड मेरी चूत को छू रहा था। “बाबा, प्लीज… ये गलत है,” मैंने कहा, लेकिन मेरी चूत गीली थी, और मेरे शरीर में आग लग रही थी।
उसने मेरे पैर फैलाए और अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। “फच… फच…” की आवाजें कमरे में गूंजने लगीं। “आह्ह… बाबा, धीरे… दर्द हो रहा है!” मैं चिल्लाई, लेकिन वो बोला, “ले साली, तेरी चूत को आज फाड़ दूँगा!” वो जोर-जोर से धक्के मार रहा था। उसका लंड मेरी चूत की गहराइयों में जा रहा था। “आह्ह… ऊह्ह… और जोर से!” मैं अब मजे में चिल्ला रही थी। उसने मेरी चूचियों को मसलना शुरू किया, मेरे निप्पल को काटा। “आह्ह… बाबा, मेरी चूचियाँ… आह्ह…” मैं सिसक रही थी। वो गंदी-गंदी बातें कर रहा था, “तेरी चूत कितनी टाइट है, रंडी! तेरा पति तो इसे चोदता ही नहीं होगा!” उसकी बातें मुझे और गर्म कर रही थीं।
उसने मुझे घोड़ी बनाया। मेरी गांड हवा में थी, मेरी चूचियाँ बेड पर लटक रही थीं। उसने मेरी गांड पर जोर से थप्पड़ मारा। “फट… फट…” की आवाज गूंजी। “आह्ह… बाबा, क्या कर रहे हो?” मैंने कहा। वो बोला, “तेरी गांड मारूँगा, रंडी!” उसने मेरी गांड में उंगली डाली, फिर अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया। “आह्ह… ऊह्ह… बाबा, दर्द हो रहा है!” मैं चीख रही थी, लेकिन वो रुका नहीं। “फच… फच…” की आवाजें तेज हो गईं। मेरी गांड में उसका लंड अंदर-बाहर हो रहा था। मैं दर्द और मजे के बीच झूल रही थी। “आह्ह… बाबा, और जोर से… मेरी गांड फाड़ दो!” मैं चिल्लाई।
रात भर चुदाई चलती रही। कभी वो मेरी चूत चोदता, कभी मेरी गांड। कभी वो मेरी चूचियों को चूसता, कभी मेरे निप्पल को काटता। “आह्ह… ऊह्ह…” मेरी सिसकियाँ कमरे में गूंज रही थीं। उसने मुझे बेड पर उल्टा लिटाया, मेरी चूत में उंगलियाँ डालीं, और फिर अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। “चूस, रंडी!” वो बोला। मैंने उसका लंड आइसक्रीम की तरह चूसा। “म्म्म… आह्ह…” मैं सिसक रही थी। उसका लंड मेरे मुँह में अंदर-बाहर हो रहा था। आखिरकार, उसने मेरी चूत में फिर से लंड डाला और तेज-तेज धक्के मारे। “फच… फच…” की आवाजें गूंज रही थीं। “आह्ह… बाबा, मैं झड़ रही हूँ!” मैं चिल्लाई, और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। उसने भी मेरी चूत में अपना माल छोड़ दिया।
सुबह होते-होते उसने मुझे फिर से खड़े-खड़े चोदा। मैं अभी भी नंगी थी, मेरी चूचियाँ हवा में हिल रही थीं। उसने मुझे दीवार के सहारे खड़ा किया, मेरी एक टाँग उठाई, और अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया। “फच… फच…” की आवाजें फिर गूंजीं। “आह्ह… बाबा, और जोर से!” मैं चिल्ला रही थी। उसने मेरी चूचियों को मसला, मेरे निप्पल चूसे, और फिर मेरी चूत में अपना माल छोड़ दिया। मैंने उसे पैसे दिए, और वो चला गया।
अगले दिन विपुल आने वाला था। मैंने खुद को सजाया-संवारा। मैंने एक लाल साड़ी पहनी, मेरी चूचियाँ ब्लाउज में कसी हुई थीं। शाम को करीब 6 बजे घंटी बजी। विपुल आया, लेकिन बहुत उदास था। मैंने पूछा, “क्या हुआ?” उसने बताया, “रागिनी ने मेरा सारा पैसा लेकर फरार हो गई। मैंने उसके खिलाफ शिकायत की है। उसने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी।” वो मेरे गले लगकर रोने लगा। मैं समझ नहीं पाई कि ये अपने आप हुआ या तांत्रिक की वजह से, लेकिन जो भी हुआ, अच्छा हुआ।
क्या आपको मेरी योनि पूजा की कहानी(Yoni Pooja, Tantrik Sex, Chudai Kahani, Hindi Sex Story, Anamika Gupta, Vipul Gupta, Ragni, Adult Story, Desi Kahani, Gandi Baatein, Chut Chudai, Gand Marna, Lund Choosna Housewife Story) पसंद आई? आपने कभी ऐसी तांत्रिक पूजा का अनुभव किया है? नीचे कमेंट में अपनी राय जरूर बताएँ!
हां मेरी वाइफ तांत्रिक पुजा बहुत बार पचासों बार करवायी घर में मेरे रहते करवायी आह आह आह सी सीसीसी उंउंउंउं आह आह बस यही आवाज मेरी वाइफ की बाहर आती थी।वाइफ को बच्चा नहीं ठहरता था। लगभग दस या बारहवां बार में तांत्रिक का बच्चा ठहर गया। वाइफ बहुत खुश थी। बच्चा पेट में रहते तीसरा महीना तक तांत्रिक मेरे वाइफ को चोद गया उसके बाद नौवां महीना में बेटा हुआ। फिर पांच साल तक दूसरा एक बूढ़ा तांत्रिक आकर वाइफ को बीसों बार चोदा मगर बच्चा नहीं ठहरा। फिर पहला बच्चा बिमारी पड़ा और पतला पैखाना होते होते मर गया। दुख से वाइफ भी बिमारी पड़ी और मर गयी। तब बहन जो विधवा थी बच्चा भी नहीं हुआ था पति छोड़ दिया था।वो मेरे साथ रहने लगी उससे मुझे दो बेटा हुआ आज 45 साल का है उसकी बीबी है बच्चे हैं अलग रहते हैं मैं अकेला हूं।