हाय दोस्तो, मेरा नाम निहाल है और मैं जमशेदपुर का रहने वाला हूँ। ये मेरी जिंदगी की एक सच्ची कहानी है, जो मैं तुम्हारे साथ शेयर करने जा रहा हूँ। मैं 19 साल का हूँ, जिम जाता हूँ, तो बॉडी मेरी काफ़ी अच्छी है। चौड़ा सीना, मज़बूत बाहें और मेरा लंड, जो 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है, किसी को भी दीवाना बना सकता है।
मैंने अभी-अभी 10वीं पास की थी और कॉलेज में नया-नया एडमिशन लिया था। वहाँ मेरी दोस्ती श्वेता, राज और श्रेया से हुई। हम चारों की काफ़ी अच्छी बनती थी। हम कॉलेज में खूब मस्ती करते, साथ में टाइम स्पेंड करते, कभी कैंटीन में चाय पीते तो कभी लाइब्रेरी में बैठकर नोट्स बनाते। धीरे-धीरे राज और श्रेया एक-दूसरे को पसंद करने लगे। वो दोनों दोस्ती से आगे बढ़कर बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड बन गए। राज मुझे अक्सर बताता था कि उसने श्रेया को कई बार उसके घर पर चोदा है। वो मुझे श्वेता को पटाने और उसकी चुदाई करने की सलाह देता, लेकिन मैं उसकी तरह इतना फास्ट नहीं था। मैं हँसकर उसकी बातें टाल देता।
श्वेता भी हमारी तरह बैचलर थी। वो अकेले एक सिंगल रूम फ्लैट में रहती थी। उसका फ्लैट छोटा सा था, लेकिन काफ़ी क्यूट और सजा हुआ। मैं अक्सर उसके घर आता-जाता रहता था। हम लोग साथ में नोट्स बनाते, मूवी देखते, या बस यूं ही गप्पे मारते। श्वेता थी ही इतनी खूबसूरत—गोरी-चिट्टी, लंबे काले बाल, और उसकी वो कातिलाना स्माइल, जो किसी का भी दिल चुरा ले। उसकी फिगर तो ऐसी थी कि बस देखते ही लंड खड़ा हो जाए—34-28-36 का फिगर, टाइट चूचियाँ, और गोल-मटोल गांड।
दशहरे की छुट्टियाँ शुरू हो गई थीं, लेकिन हम चारों ने घर न जाने का प्लान बनाया। कॉलेज के कुछ प्रैक्टिकल्स और नोट्स पूरे करने थे। एक दिन राज और श्रेया कहीं घूमने निकल गए। मैं अपने रूम में अकेला बैठा बोर हो रहा था। बाहर बारिश की हल्की फुहार पड़ रही थी, और मैं बस मोबाइल में गेम खेल रहा था। तभी मेरे फोन पर कॉल आई। स्क्रीन पर श्वेता का नाम देखकर मैं थोड़ा चौंका।
“हाय निहाल, क्या कर रहा है?” उसकी आवाज़ में एक अजीब सी मस्ती थी।
“बस, रूम में पड़ा बोर हो रहा हूँ। तू बता, क्या हाल है?” मैंने पूछा।
“मैं भी अकेली बोर हो रही हूँ, यार। क्यूँ ना कहीं घूमने चलें? मौसम भी बड़ा सुहाना है,” उसने कहा।
मैं तुरंत तैयार हो गया। आधे घंटे में हम मिले और पास के दशहरा मेले में घूमने निकल गए। मेले में रौनक थी—रंग-बिरंगे पंडाल, ढोल-नगाड़ों की आवाज़, और खाने-पीने की स्टॉल्स। हमने खूब मस्ती की, झूले झूले, गोलगप्पे खाए, और एक-दूसरे को छेड़ते रहे। श्वेता ने एक टाइट जींस और रेड टॉप पहना था, जिसमें उसकी चूचियाँ और गांड उभरकर बाहर आ रही थी। मैं बार-बार उसकी तरफ देख रहा था, और वो भी मुझे चोर नज़रों से ताड़ रही थी।
रात के 2 बज गए थे। मेले से लौटते वक्त हम दोनों थक चुके थे। मैं श्वेता को उसके फ्लैट छोड़ने गया। दरवाजे पर पहुँचते ही उसने कहा, “अंदर आ, कॉफी पिएगा ना? इतनी रात को अकेले कहाँ जाएगा?”
मैं थका हुआ था, और कॉफी का ऑफर सुनकर हाँ कर दी। उसका फ्लैट अंदर से और भी क्यूट था—हल्की-हल्की लाइट्स, दीवारों पर कुछ पेंटिंग्स, और एक कोने में छोटा सा सोफा। उसने कहा, “तू बैठ, मैं चेंज करके कॉफी बनाती हूँ।”
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मैं सोफे पर बैठ गया और टीवी ऑन कर दिया। थोड़ी देर बाद जब श्वेता वापस आई, तो मैं उसे देखकर दंग रह गया। उसने एक पिंक टॉप पहना था, जो इतना टाइट था कि उसकी चूचियों का शेप साफ दिख रहा था। नीचे ब्राउन शॉर्ट्स, जिसमें उसकी गोरी-गोरी जाँघें चमक रही थी। उसकी टाँगें इतनी स्मूथ थीं कि मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया। वो मेरे सामने आई, एक शरारती स्माइल दी, और किचन में चली गई।
हम सोफे पर बैठकर कॉफी पीने लगे। बातें शुरू हुईं—कॉलेज, दोस्त, और फिर धीरे-धीरे पर्सनल बातें। मेरी नज़र बार-बार उसकी चूचियों पर जा रही थी, और शायद उसने ये नोटिस कर लिया था। अचानक उसने मुझसे कहा, “निहाल, तू इतना घूर क्यों रहा है? कुछ चाहिए क्या?” उसकी आवाज़ में एक मस्ती थी, जो मुझे और जोश में ला रही थी।
फिर उसने धीरे से कहा, “देख, राज और श्रेया तो साथ में कितना मज़ा करते हैं। हम क्यों नहीं? हम भी तो दोस्त हैं, फिर थोड़ा और क्लोज़ क्यों ना हों?”
ये सुनकर मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गई। मैंने उसका हाथ पकड़ा और कहा, “श्वेता, I love you.” वो मेरी आँखों में देखने लगी, और धीरे-धीरे मेरे करीब आई। उसने अपने गुलाबी होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। उसका नरम-नरम होंठ मेरे होंठों को चूस रहा था। मैंने भी उसके ऊपरी होंठ को चूसना शुरू किया। वो मेरे बालों में उंगलियाँ फिराने लगी, और धीरे से मेरे ऊपर लेट गई।
हम दोनों सोफे पर एक-दूसरे में खो गए थे। मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली और उसकी जीभ से खेलने लगा। हमारी जीभ एक-दूसरे से टकरा रही थी, जैसे कोई जंग लड़ रही हो। मैंने अपना दायाँ हाथ उसकी बायीं चूची पर रखा और धीरे-धीरे दबाने लगा। उसकी चूची इतनी मुलायम थी कि मेरा लंड और सख्त हो गया। वो गर्म हो रही थी, उसने मेरे होंठों को अपने दाँतों से हल्का सा काटा। मैंने उसे सीधा किया और उसका टॉप उतार दिया।
उसकी गोरी-गोरी चूचियाँ मेरे सामने थीं, पिंक ब्रा में कैद। मैंने ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को चूसना शुरू किया। वो मेरे सिर को पकड़कर अपनी चूचियों में दबाने लगी। “आआह्ह… निहाल… और चूस… उफ्फ… मज़ा आ रहा है, जान,” वो सिसकारियाँ ले रही थी। उसकी मादक आवाज़ सुनकर मैं और जोश में आ गया। मैंने उसकी ब्रा उतारी और उसकी चूचियों को आज़ाद कर दिया। उसकी चूचियाँ गोल, मस्त, और पिंक निप्पल्स इतने कड़क कि बस चूसने का मन करे। मैंने एक चूची को मुँह में लिया और दूसरे को मसलने लगा। वो मेरे सिर को और ज़ोर से दबाने लगी, “जान… सारा दूध पी जा… और ज़ोर से चूस… उफ्फ…”
मैंने धीरे-धीरे उसकी नाभि की तरफ बढ़ना शुरू किया। उसकी नाभि को चाटते हुए मैं उसकी शॉर्ट्स तक पहुँचा। मैंने उसकी शॉर्ट्स उतारी और उसकी पैंटी को सूँघा। उसकी बुर से एक मस्त सी खुशबू आ रही थी, जो मुझे और पागल कर रही थी। मैंने उसकी पैंटी उतारी और उसकी बुर को देखा—गुलाबी, साफ, और हल्की सी गीली। मैंने अपनी जीभ उसकी बुर के ऊपर फिराई। वो सिहर उठी और मेरे सिर को पकड़कर अपनी बुर में दबाने लगी। “आआह्ह… निहाल… चाट… और चाट… मेरी बुर को खा जा…”
मैंने अपनी जीभ उसकी बुर के अंदर डाल दी और चूसने लगा। उसकी बुर का रस इतना स्वादिष्ट था कि मैं रुक ही नहीं पा रहा था। वो चिल्लाने लगी, “उफ्फ… जान… और ज़ोर से… आआह्ह…” अचानक वो मेरे मुँह में झड़ गई। मैंने उसका सारा रस पी लिया। उसका चेहरा लाल हो गया था, और वो हाँफ रही थी।
अब उसने मेरी जींस उतारी और मेरा लंड अपने हाथों में लिया। मेरा लंड पहले से ही सख्त था, और उसने उसे देखकर एक शरारती स्माइल दी। “इतना बड़ा लंड… आज तो मज़ा आएगा,” उसने कहा और मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया। वो मेरे लंड को चूस रही थी, जैसे कोई लॉलीपॉप चूस रहा हो। मैंने उसके बाल पकड़े और उसके मुँह को ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। “आआह्ह… श्वेता… और चूस… तेरा मुँह तो जन्नत है…” मैं सिसकारियाँ ले रहा था। कुछ ही देर में मैं उसके मुँह में झड़ गया। उसने मेरा सारा माल पी लिया और मुस्कुराने लगी।
अब मैंने उसे 69 की पोजीशन में आने को कहा। वो मेरे लंड को फिर से हिलाने लगी, और मैं उसकी बुर में उंगली डालकर उसे गर्म करने लगा। उसकी बुर टाइट थी, और मुझे पता चला कि वो वर्जिन है। मैंने उसे और जोश में लाने के लिए उसकी बुर को चाटा और उंगली से चोदा। वो फिर से सिसकारियाँ लेने लगी, “निहाल… अब और बर्दाश्त नहीं होता… डाल दे अपना लंड… मेरी बुर को फाड़ दे…”
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मैंने उसे बेड पर लिटाया और अपने लंड पर थूक लगाया। मैंने उसकी बुर पर अपना लंड सेट किया। वो बोली, “जान… धीरे-धीरे करना… ये मेरा पहला टाइम है।” मैंने कहा, “बस 5 मिनट दर्द होगा, फिर तुझे मज़ा आएगा।” मैंने अपना लंड उसकी बुर पर रखा और एक ज़ोर का झटका मारा। वो चीख पड़ी, “आआह्ह… उफ्फ… बहुत दर्द हो रहा है… निकाल दे…”
मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से लॉक किया और एक और झटका मारा। मेरा पूरा लंड उसकी बुर में चला गया। उसकी बुर से हल्का सा खून निकला, जिसे मैंने कपड़े से साफ किया। उसकी आँखों में आँसू थे, लेकिन मैं रुक गया। थोड़ी देर बाद जब उसका दर्द कम हुआ, मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए। अब उसे मज़ा आने लगा था। वो अपनी गांड उठाकर मेरा साथ देने लगी। “आआह्ह… निहाल… और ज़ोर से… चोद… मेरी बुर को फाड़ दे…” वो चिल्ला रही थी।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। उसकी बुर इतनी टाइट थी कि मेरा लंड हर धक्के में और जोश में आ रहा था। वो फिर से झड़ गई, और उसका रस मेरे लंड को और गीला कर गया। मैं थक गया था, तो मैंने उसे पोजीशन चेंज करने को कहा। वो मेरे ऊपर आ गई और अपनी बुर को मेरे लंड पर सेट करके उछलने लगी। मैंने उसकी गांड पकड़ी और उसे ऊपर-नीचे करने लगा। “आआह्ह… श्वेता… तेरी बुर तो जन्नत है… और ज़ोर से उछल…”
हम दोनों पसीने से तरबतर थे। उसकी चूचियाँ मेरे सामने उछल रही थीं, और मैं उन्हें मसल रहा था। कुछ देर बाद मैं उसकी बुर में ही झड़ गया। हम दोनों हाँफते हुए एक-दूसरे के बगल में लेट गए। मैंने उसके होंठों को चूमा, और उसकी आँखों में आँसू थे। शायद उसे मुझसे प्यार हो गया था, और शायद मुझे भी। हमने एक-दूसरे को गले लगाया और थोड़ी देर तक वैसे ही लेटे रहे।
उस रात के बाद हमारा रिश्ता और गहरा हो गया। हम अक्सर मिलने लगे, और हर बार पहले से ज़्यादा जोश के साथ एक-दूसरे में खो जाते। श्वेता मेरी जिंदगी का वो हिस्सा बन गई, जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता।