शर्मीली पत्नी की गैर मर्द से चुदवाया- 3

Sharmeeli patni ki chudai sex story: दोस्तो, मैं राकेश शर्मा, 45 साल का, एक बार फिर अपनी पत्नी आशा की गैर मर्द से चुदाई की सच्ची कहानी लेकर आपके सामने हाज़िर हूँ। मेरी हाइट 5 फीट 10 इंच, गठीला बदन, और चेहरा ऐसा कि लोग कहते हैं, “राकेश, तुम तो अभी भी जवान दिखते हो!” लेकिन मेरी असल रुचि मेरी फंतासियों में है, जो शायद इस ज़माने से कहीं आगे की हैं। मुझे अपनी बीवी को गैर मर्द के नीचे चुदते देखने में जो सुकून मिलता है, वो शायद ही कोई समझ सके। मेरी पत्नी आशा, 39 साल की, गोरी-चिट्टी, 5 फीट 4 इंच की हाइट, और बदन ऐसा कि मर्दों की आँखें उस पर टिक जाएँ। उसकी 36 साइज़ की चूचियाँ, गोल, कठोर, और इतनी भरी हुई कि दबाने में उंगलियाँ मज़े से गड़ जाएँ। उसकी कमर पतली, गाँड उभरी हुई, और जाँघें दूधिया सफेद, जैसे किसी ने नक्काशी की हो। चेहरा गोल, बड़ी-बड़ी आँखें, और रसीले होंठ, जो किसी को भी दीवाना बना दें। घर में वो सास-ससुर की सेवा करने वाली सती-सावित्री है, लेकिन बिस्तर पर मेरे लंड को चूसने और अपनी चूत चटवाने में उसे कोई हिचक नहीं।

कहानी का पिछला भाग: शर्मीली पत्नी की गैर मर्द से चुदवाया- 2

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने आशा को विक्रम, एक 42 साल के काले, गठीले मर्द के साथ सेट किया, जिसका 7 इंच का मोटा लंड था। रेस्टोरेंट में नशे में धुत आशा के साथ छेड़छाड़ के बाद, घर पर विक्रम ने आशा की चूत को अपने काले लंड से रौंद दिया। चुदाई के दौरान उन्होंने लाइट बंद कर दी, जिससे मेरी ख्वाहिश अधूरी रह गई, लेकिन मैं छेद से आवाज़ें सुनकर अपनी तृप्ति कर रहा था।

अब आगे की देसी वाइफ गाँड सेक्स कहानी।

लाइट बंद होने के बाद मैंने छेद पर कान सटा दिया। चुदाई की आवाज़ें, “फच-फच”, “पट-पट”, और आशा की सिसकारियाँ, “उह्ह… आह्ह…” साफ सुनाई दे रही थीं। जब विक्रम ने आशा को डॉगी स्टाइल में चोदा, तो उसका मुँह छेद के पास था। उसकी चीखें, “उई माँ… और जोर से…!” मेरे कानों में गूंज रही थीं। उसकी साँसों की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि मुझे लगा, वो मेरे सामने ही चुद रही है। फिर जब विक्रम ने उसे सीधा लिटाकर चोदा, तो उनका सिर छेद से दूर था, लेकिन चूत और लंड की ठोकरों की आवाज़, “ठक-ठक” और “फच-फच”, इतनी तेज़ थी कि मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने उसी वक़्त मुठ मारकर पानी निकाला और बिस्तर पर लेट गया।

करीब एक घंटे बाद, जैसी आशा की आदत थी, वो मेरे कमरे में आकर मेरे बगल में लेट गई। मैंने पूछा, “कैसा रहा?” वो बोली, “बस, ठीक-ठाक।” मैंने मज़ाक में कहा, “ठीक-ठाक या कुछ ज़्यादा ही मज़ा आया?” वो गुस्से में बोली, “मेरी नींद खराब होती है। तुम क्यों बुलाते हो अपने दोस्तों को? तुम भी तो ठीक ही सेक्स करते हो।” उसका लापरवाही भरा अंदाज़ मुझे चुभ गया। मैंने सोचा, अब वो मेरे साथ चुदेगी, जैसे हर बार करती है। लेकिन उस रात उसने नींद का बहाना बनाया और सो गई। मैं भी मुठ मारकर थक चुका था, सो चुपचाप सो गया।

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रात को 3 बजे मेरी नींद खुली, तो आशा बिस्तर पर नहीं थी। मैंने उठकर छेद पर आँख सटाई। कमरे में रोशनी थी, और नज़ारा देखकर मेरे होश उड़ गए। आशा, जिसे मैं दबाव डालकर गैर मर्द से चुदवाता था, खुद विक्रम के कमरे में थी। वो घुटनों के बल बैठी थी, और विक्रम का 7 इंच का काला लंड चूस रही थी। उसकी लार से लंड गीला चमक रहा था। आशा बार-बार लंड पर थूक रही थी और उसे चूस रही थी, जैसे कोई पॉर्नस्टार। मैंने पहले कभी उसे इतने मज़े से लंड चूसते नहीं देखा था।

आशा पूरी तरह नंगी थी, और उसकी गोल गाँड ट्यूबलाइट में चमक रही थी। विक्रम उसके चूतड़ों को सहला रहा था, और कभी-कभी उसकी गाँड में उंगली डाल रहा था। अचानक उसने पूरी उंगली आशा की गाँड में पेल दी। आशा ने कोई विरोध नहीं किया, बल्कि और जोश से लंड चूसने लगी। विक्रम को समझ आ गया कि आशा गाँड मरवाने को तैयार है। उसका चेहरा देखकर लग रहा था कि वो आशा के प्रति प्यार भरा अहसास रखता है।

विक्रम ने आशा को सीधा लिटाया। आशा ने अपनी गोरी जाँघें फैला दीं, और विक्रम ने एक झटके में अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया। उसकी चुदाई की स्टाइल मेरी तरह थी—वो पूरा शरीर नहीं हिलाता था, बल्कि सिर्फ़ लंड से सटीक निशाना लगाता था। वो अपने हाथों और पैरों के सहारे अपने शरीर को संभाले था, और आशा की चूत में डिप्स की तरह धक्के मार रहा था। “फच-फच-फच” की आवाज़ गूंज रही थी, और आशा की सिसकारियाँ, “उह्ह… आह्ह… और गहरे…” कमरे में गूंज रही थीं।

विक्रम ने 200 से ज़्यादा धक्के मारे, और उसकी रफ़्तार में कोई कमी नहीं आई। सचमुच वो एक मर्द था, जो किसी भी औरत को अपने लंड का दीवाना बना सकता था। कुछ देर बाद आशा निढाल हो गई। वो शायद दूसरी बार झड़ चुकी थी। विक्रम भी आशा के ऊपर ढेर हो गया, और उसकी साँसों की आवाज़ मुझे साफ सुनाई दे रही थी।

आशा कुछ देर बाद उठी और नंगी ही बाथरूम चली गई। जब वो वापस आई, तो विक्रम ने एक सिगरेट सुलगा ली थी। उसने आशा को अपनी बाँहों में खींच लिया और मस्ती करने लगा। आशा भी उसके साथ खुश दिख रही थी। वो सिगरेट लेने के लिए विक्रम की उंगलियों में अपनी उंगलियाँ फँसाने लगी। अगले ही पल सिगरेट आशा के होंठों में थी, और वो मज़े से धुआँ उड़ा रही थी।

विक्रम ने आशा के कान में कहा, “मेरे साथ कैसा लगा?” आशा ने उसके होंठ चूमकर कहा, “बेहद दिलकश। तेरा मेरे अंदर बहुत गहराई तक जा रहा था।” विक्रम बोला, “मतलब मैंने तुझे खुश किया?” आशा ने सिगरेट बुझाते हुए कहा, “हाँ।” विक्रम ने कहा, “फिर मुझे इनाम भी मिलना चाहिए!” उसने धीरे से अपनी उंगली आशा की गाँड में फिराई। आशा ने मुस्कुराकर उसे चूम लिया, जैसे कह रही हो, “गाँड भी मार ले।”

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आशा ने कहा, “मगर तेरा बहुत बड़ा है। कैसे करेगा?” विक्रम बोला, “मेरी जान, फिक्र मत कर। मेरे पास इसका भी उपाय है। बस ये बता, यहाँ तेल है?” आशा कभी-कभी अपने पैरों पर तिल के तेल की मालिश करती थी, और तेल की कटोरी बेड के नीचे रखी थी। उसने टटोलकर कटोरी निकाली और विक्रम को थमा दी।

विक्रम ने आशा को घोड़ी बनने को कहा। आशा तुरंत घोड़ी बन गई, उसका सिर बेड पर टिका था। विक्रम ने ढेर सारा तेल लिया और आशा की पीठ और चूतड़ों पर मलने लगा, जैसे मसाज कर रहा हो। फिर उसने आशा की गाँड और चूत के आसपास तेल लगाया। उसने अपने लंड पर भी ढेर सारा तेल चुपड़ लिया। आशा को कुछ पता नहीं था कि वो तेल कहाँ लगा रहा है।

विक्रम ने पहले आशा की चूत के आसपास लंड रगड़ा, जिससे आशा फिर से गर्म हो गई। फिर उसने लंड को आशा की गाँड पर टिका दिया। आशा पहले भी गाँड मरवा चुकी थी, लेकिन वो इसमें ज़्यादा अभ्यस्त नहीं थी। विक्रम ने लंड को गाँड के छेद पर टिकाकर हल्का-सा दबाव डाला। आशा को लगा कि वो चूतड़ों का मज़ा ले रहा है। लेकिन तेल की वजह से लंड का सुपारा धीरे-धीरे गाँड में घुस गया। आशा को दर्द का अहसास नहीं हुआ।

विक्रम ने और तेल डाला, और लंड को धीरे-धीरे गाँड में पेलता गया। करीब ढाई इंच लंड अंदर था। आशा की सिसकारियाँ, “उह्ह… स्स्स…” गूंज रही थीं। उसे कोई तकलीफ नहीं थी। विक्रम ने अब दबाव बढ़ाया, और एक झटके में पूरा लंड आशा की गाँड में समा गया। आशा की चीख निकली, “आह्ह…!” लेकिन तेल की वजह से दर्द कम था। विक्रम आशा की पीठ पर झुक गया और उसकी चूचियाँ मसलने लगा। आशा अपनी गाँड हिलाकर मज़े ले रही थी।

विक्रम ने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए, और आशा की गर्दन पीछे मोड़कर उसके होंठ चूमने लगा। धक्कों की रफ़्तार बढ़ने लगी। आशा तेज़ धक्कों को झेल नहीं पा रही थी। वो धीरे-धीरे पेट के बल लेट गई। उसकी गाँड बाहर को निकली थी, तो लंड बाहर नहीं निकला। विक्रम भी आशा के ऊपर चिपक गया। वो लगातार गाँड मार रहा था, और आशा मीठे दर्द के साथ सिसकारियाँ भर रही थी, “उह्ह… आह्ह…”

विक्रम का एक हाथ आशा की कमर के नीचे गया और उसकी चूत को रगड़ने लगा। करीब 20 मिनट तक गाँड मारने और चूत में उंगली करने के बाद दोनों स्खलन के कगार पर थे। विक्रम बोला, “आशा, मेरा निकलने वाला है!” आशा बोली, “हाँ, मेरा भी… अंदर ही निकाल दे!” विक्रम ने कहा, “नहीं, मुझे तेरी चूत में निकालना है!”

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आशा चुप रही। विक्रम ने लंड गाँड से निकाला और आशा से बोला, “जल्दी सीधी लेट!” आशा एक झटके में सीधी लेट गई और अपनी टाँगें फैला दीं। विक्रम ने बिना देर किए उसकी चूत में लंड पेल दिया और ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा। “फच-फच-फच” की आवाज़ गूंज रही थी। आशा ने अपनी टाँगें विक्रम की कमर पर लपेट लीं, और विक्रम ने अपने हाथ आशा की पीठ के नीचे डालकर उसे जकड़ लिया। उसका मुँह आशा के मुँह से चिपक गया।

विक्रम ने धक्कों की रफ़्तार और तेज़ की। आशा चीखने लगी, “आह… मादरचोद, पेल दे… भोसड़ी के, फाड़ दे!” उसे मेरे दूसरे कमरे में होने का ख्याल भी नहीं रहा। विक्रम ने आशा की चूत को अपने वीर्य से भर दिया। आशा निढाल हो गई, जैसे उसने अमृत पी लिया हो। विक्रम के चेहरे पर मर्दानगी का गर्व था, जैसे उसने आशा को जीत लिया हो।

दोनों एक-दूसरे से जकड़े रहे। विक्रम ने आखिरी बूँद तक अपने लंड को आशा की चूत में रखा। फिर उसने लंड निकाला, और आशा आँखें बंद किए निढाल पड़ी रही। विक्रम ने उसके होंठ चूमे और “थैंक्यू” कहा। आशा ने आँखें खोलीं, उठी, और उसे फिर से चूमा। फिर वो नंगी ही मेरे कमरे में आकर मेरे बगल में लेट गई।

कुछ देर बाद मैंने नींद का बहाना बनाकर उसकी चूत पर हाथ रखा, लेकिन उसने “स्स्स…” की आवाज़ करके मेरा हाथ हटा दिया। शायद उसे दर्द हो रहा था। मैं फिर सो गया।

आशा ने इस चुदाई का कभी ज़िक्र नहीं किया। हाँ, एक महीने बाद उसने पूछा, “तुम्हारे वो दोस्त आजकल कहाँ हैं? उनके साथ मज़ा आया था।” मैं बस मुस्कुरा दिया। मेरे दिमाग में तो आशा को नए-नए लंड से चुदवाने का प्लान था। मैं अब विक्रम जैसा ही तगड़ा मर्द ढूँढ रहा हूँ।

दोस्तो, आपको मेरी ये देसी वाइफ गाँड सेक्स कहानी कैसी लगी? क्या मैं आशा को फिर से विक्रम से चुदवाऊँ, या कोई नया लंड ढूँढू? अपने सुझाव ज़रूर दें।

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