xxx cuckold sex story: दोस्तो, मैं राकेश शर्मा, 45 साल का, फिर से अपनी पत्नी आशा की गैर मर्द से चुदाई की सच्ची कहानी लेकर हाज़िर हूँ। मेरी हाइट 5 फीट 10 इंच, गठीला बदन, और चेहरा ऐसा कि लोग मुझे देखकर कहते हैं, “भाई, तुम तो अभी भी जवान हो!” लेकिन मेरी असली पहचान मेरी सोच है, जो शायद इस ज़माने से कहीं आगे की है। मुझे अपनी बीवी को किसी गैर मर्द के नीचे चुदते देखने में जो मज़ा आता है, वो शायद ही कोई समझ पाए। मेरी पत्नी आशा, 39 साल की, गोरी-चिट्टी, 5 फीट 4 इंच की हाइट, और बदन ऐसा कि मर्दों की साँसें थम जाएँ। उसकी 36 साइज़ की चूचियाँ, गोल और कठोर, दबाने में मज़ा देती हैं। उसकी कमर पतली, गाँड उभरी हुई, और जाँघें दूधिया सफेद, जैसे कोई मूर्तिकार ने तराशा हो। चेहरा गोल, आँखें बड़ी-बड़ी, और होंठ इतने रसीले कि कोई भी चूमने को बेकरार हो जाए। घर में वो सती-सावित्री बनकर सास-ससुर की सेवा करती है, लेकिन बिस्तर पर मेरे लंड को चूसने और अपनी चूत चटवाने में उसे कोई शर्म नहीं।
पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने आशा को एक तगड़े लंड वाले मर्द, विक्रम, के साथ सेट किया। विक्रम, 42 साल का, काला, गठीला, और 7 इंच का मोटा लंड वाला मर्द, जो एक मल्टीनेशनल कंपनी में जनरल मैनेजर था। मैंने उसे रेस्टोरेंट में आशा से मिलवाया, और नशे में धुत आशा को गाड़ी में छेड़छाड़ के बाद घर ले आया। घर पर आशा नशे में बिस्तर पर पड़ी थी, सिर्फ़ ब्लाउज़ और पेटीकोट में, और विक्रम उसे चोदने को बेताब था। मैंने उसे सब्र करने को कहा, क्योंकि आशा अभी होश में नहीं थी।
कहानी का पिछला भाग: शर्मीली पत्नी की गैर मर्द से चुदवाया- 1
अब आगे की कहानी।
आशा अब धीरे-धीरे होश में आने की कोशिश कर रही थी। उसकी साँसें भारी थीं, और नींद में वो बार-बार कसमसा रही थी। करीब आधे घंटे बाद विक्रम बोला, “भाई, मुझे नींद आ रही है। आशा देगी तो ठीक, नहीं तो भी कोई बात नहीं। मैं अब सोना चाहता हूँ।” मैंने सोचा, आधा घंटा हो गया, आशा का नशा अब थोड़ा उतर चुका होगा। मैंने कहा, “ठीक है, मैं भी यहीं लेट जाता हूँ।”
विक्रम ने तुरंत कहा, “भाईसाहब, आप बगल वाले कमरे में सो जाओ। मुझे दूसरे के सामने चुदाई में झिझक होती है।” मुझे बुरा लगा। मैं तो ये सब इसलिए कर रहा था कि आशा को चुदते देख सकूँ, लेकिन अब मुझे दूसरा कमरा लेना पड़ रहा था। मैंने कहा, “ठीक है, मैं बगल वाले कमरे में जाता हूँ।” जैसे ही मैं जाने लगा, विक्रम बोला, “बीच का दरवाज़ा बंद कर देना।”
मैंने दरवाज़ा बंद किया, लेकिन मेरे पास पहले से ही इंतज़ाम था। मैंने दीवार में एक छोटा-सा छेद बनाया हुआ था, जिससे मैं सब कुछ देख सकूँ। मैंने अपने कमरे की लाइट बंद की और उस छेद पर आँख गड़ा दी। नज़ारा वही था, जो मैं छोड़कर गया था। आशा बिस्तर पर पड़ी थी, उसका पेटीकोट घुटनों तक खिसका हुआ था, और ब्लाउज़ के दो बटन खुले थे, जिससे उसकी गोरी चूचियाँ बाहर झाँक रही थीं।
विक्रम अपने कपड़े उतार रहा था। उसने पहले शर्ट, फिर पैंट, और आखिर में अंडरवियर उतारा। उसका 7 इंच का काला, मोटा लंड तना हुआ था, जैसे कोई लोहे का डंडा। उसे देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए। आशा अगर होश में होती, तो शायद उसकी गाँड फट जाती। लेकिन मुझे मज़ा आ रहा था। विक्रम पढ़ा-लिखा और सभ्य आदमी था। वो आशा को ज़बरदस्ती चोदना नहीं चाहता था। उसका तरीका था प्यार से, गर्म करके चोदना, ताकि आशा बार-बार उससे चुदवाए।
वो चुपके से आशा के बगल में लेट गया, बिना उसे जगाए। आशा का गोरा, अर्धनग्न जिस्म और विक्रम का काला, नंगा बदन एक-दूसरे से सटे थे। आशा सीधी लेटी थी, उसकी साँसें भारी थीं, और ब्लाउज़ में कैद चूचियाँ हर साँस के साथ ऊपर-नीचे हो रही थीं, जैसे छत को छूना चाहती हों। विक्रम ने धीरे से आशा का पेटीकोट और ऊपर खिसकाया, अब वो जाँघों तक पहुँच गया था। आशा की गोरी, चिकनी जाँघें ट्यूबलाइट में चमक रही थीं।
आशा नींद में थी, लेकिन उसका जिस्म हल्की-हल्की हरकतें कर रहा था। अचानक उसने करवट बदली, और उसकी गाँड विक्रम की तरफ हो गई। विक्रम भी करवट लेकर लेट गया। उसका तना हुआ लंड अब आशा की गाँड से टकरा रहा था। उसने अपने लंड को मोड़कर आशा की गाँड की दरार में सेट किया और पूरी तरह से उससे सट गया। आशा ने कोई हरकत नहीं की। विक्रम ने अपना हाथ आशा की कमर पर रखा, और धीरे-धीरे ऊपर ले जाकर उसकी चूचियों तक पहुँचा।
आशा थोड़ा कसमसाई। उसने अपनी गाँड को हल्का-सा एडजस्ट किया, शायद उसे लंड की चुभन महसूस हुई। विक्रम ने बहुत सावधानी से आशा के ब्लाउज़ के बाकी बटन खोले और उसकी लाल ब्रा को ऊपर खिसका दिया। आशा की चूचियाँ अब पूरी तरह आज़ाद थीं। करवट में होने की वजह से वो एक-दूसरे से सटी थीं, जैसे दो गोरे पहाड़। विक्रम ने आशा की चूचियों को प्यार से दबाना शुरू किया। आशा के मुँह से “स्स्स…” की आवाज़ निकली, लेकिन वो अभी भी नींद में थी।
विक्रम ने आशा का कंधा पकड़ा और उसे फिर से सीधा लिटाया। आशा गुड़िया की तरह सीधी लेट गई, ना विरोध, ना सहयोग। विक्रम ने इसे उसकी मूक सहमति समझा। उसने आशा का पेटीकोट कमर तक खींच दिया। अब आशा की चूत और चूचियाँ दोनों नंगी थीं। विक्रम ने आशा की ब्रा पूरी तरह उतार दी और उसकी चूचियों को अपने हाथों में लिया। वो एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा, और दूसरी को मसलने लगा। आशा की साँसें तेज़ हो गईं, “उह्ह… उम्म…” उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगीं। मुझे लगा, अब वो पूरी तरह जाग चुकी है, लेकिन वो कुछ बोल नहीं रही थी।
मैं सोच रहा था कि शायद वो मन ही मन अपनी किस्मत को कोस रही है कि आज फिर गैर मर्द से चुदना पड़ेगा। लेकिन उसकी चूत शायद पहले से ही गीली थी। विक्रम ने चूचियाँ चूसना बंद किया और अपना हाथ आशा की चूत पर ले गया। वो चूत को सहलाने लगा, और साथ में आशा के होंठ चूमने लगा। आशा की सिसकारियाँ तेज़ हो गईं, “आह्ह… स्स्स…” वो नींद का नाटक कर रही थी, लेकिन उसकी जाँघें हल्की-हल्की फैल गईं।
विक्रम आशा के ऊपर चढ़ गया। वो उसकी चूचियाँ दबाते हुए उसके होंठ चूम रहा था। आशा अब बीच-बीच में आँखें खोलकर विक्रम को देख रही थी। अचानक विक्रम ने फिर से आँख मारी और मुस्कराया। आशा ने अपने होंठ हल्के से खोलकर जवाब दिया, जैसे कह रही हो, “कर लो जो करना है।” वो जानती थी कि मुझे उसकी चुदाई देखने में मज़ा आता है। उसे ये भी पता था कि मैं चोरी-छिपे सब देख रहा हूँ। शायद इसलिए वो ज़्यादा साथ नहीं दे रही थी, ताकि मुझे बुरा न लगे।
विक्रम का तरीका बाकी मर्दों से अलग था। वो आशा को प्यार से, गर्म करके चोदना चाहता था। बाकी मर्द जो आशा को चोद चुके थे, वो बस लंड पेलकर पानी निकालते थे। लेकिन विक्रम का प्यार भरा अंदाज़ मुझे थोड़ा परेशान कर रहा था। कहीं आशा उसे ज़्यादा पसंद न करने लगे।
विक्रम का चेहरा आशा के चेहरे से बस कुछ इंच दूर था। उसने आशा की आँखों में देखकर भौंहें मटकाईं, जैसे पूछ रहा हो, “तैयार हो?” आशा ने आँखें बंद कर लीं, जैसे कह रही हो, “अब सब तुम्हारे हाथ में है।” आशा की गोल गाँड और गोरा जिस्म उस वक़्त किसी वीणा की तरह लग रहा था, और विक्रम उस वीणा के हर तार को छेड़ने वाला था।
विक्रम ने अपना एक हाथ चूचियों से हटाया और अपने लंड को पकड़ा। उसने आशा की चूत की हालत देखी, जो इतनी गीली थी कि मानो बारिश हो गई हो। वो चुदने को तैयार थी, और विक्रम का लंड तो पहले से ही फनफना रहा था। उसने अपने लंड को आशा की चूत के मुँह पर रखा और हल्का-सा रगड़ा। आशा की सिसकारी निकली, “उह्ह…” विक्रम ने अपनी जाँघों से आशा की जाँघें और फैलाईं और एक जोरदार धक्के के साथ अपना 7 इंच का लंड आशा की चूत में पेल दिया।
आशा चीख पड़ी, “ऊई माँ…!” उसने इतने मोटे लंड की उम्मीद नहीं की थी। विक्रम ने लगातार 10-12 धक्के मारे, “फच-फच-फच” की आवाज़ कमरे में गूंजने लगी। आशा की चूत ने लंड को जगह दे दी। फिर विक्रम रुका और आशा के होंठ चूमने लगा। वो बोला, “आशा, मैं तुझे अच्छा लगा?” आशा ने जवाब नहीं दिया, लेकिन अपने होंठ खोलकर उसे चूमने का न्योता दे दिया।
विक्रम ने कहा, “आई लव यू, आशा!” और अपनी जीभ आशा के मुँह में डाल दी। साथ ही उसने 8-10 कसकर धक्के मारे। आशा सातवें आसमान पर थी। उसकी चूत से “फच-फच” की आवाज़ें आने लगीं। मैं छेद से देख रहा था, विक्रम का काला लंड आशा की गोरी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था। उसका काला, गठीला बदन आशा के गोरे जिस्म को रौंद रहा था, और उसकी चूचियाँ मसल रहा था।
विक्रम अब धीरे-धीरे आशा की चूत पेल रहा था। उसका लंड आशा की मुलायम चूत में आराम से अंदर-बाहर हो रहा था। आशा की सिसकारियाँ, “उह्ह… आह्ह…” तेज़ हो रही थीं। उसकी चूत का पानी विक्रम को और तेज़ करने के लिए उकसा रहा था। अचानक विक्रम ने रफ़्तार बढ़ाई। वो आशा को बुरी तरह चोदने लगा। “फच-फच-फच” की आवाज़ से कमरा गूंज उठा। वो लंड को चूत के मुँह तक खींचता और फिर बच्चेदानी तक पेल देता। आशा हर धक्के पर बिलबिला रही थी, “उई… माँ… धीरे…”
पहली बार आशा ने विक्रम की कमर को अपने हाथों से जकड़ लिया। वो हर धक्के को झेल रही थी, और उसकी सिसकारियाँ अब चीखों में बदल रही थीं, “आह्ह… मादरचोद… और जोर से!” पाँच मिनट बाद आशा की चूत से “फच-फच” की आवाज़ बंद हो गई। शायद वो झड़ चुकी थी, और उसकी चूत सूख गई थी। लेकिन विक्रम रुका नहीं। उसने आशा को घोड़ी बनाया, उसकी गाँड हवा में उठाई, और पीछे से लंड पेल दिया। “पट-पट-पट” की आवाज़ गूंजने लगी। आशा चीख रही थी, “उई… मेरी गाँड… धीरे…!” विक्रम हँसा, “अभी तो तेरी चूत मार रहा हूँ, गाँड की बारी बाद में आएगी!”
कुछ देर बाद आशा की चूत फिर गीली हो गई, और “फच-फच” की आवाज़ दोबारा शुरू हो गई। विक्रम ने रफ़्तार और बढ़ाई। उसने आशा को अपनी बाँहों में जकड़ लिया और 10-12 धक्के मारकर उसकी चूत में झड़ गया। उसने कंडोम नहीं पहना था, और आशा की चूत उसके वीर्य से भर गई। दोनों एक-दूसरे से लिपटे रहे, और विक्रम का लंड अभी भी आशा की चूत में था।
आशा का ये रूप देखकर मुझे हैरानी भी हो रही थी, और खुशी भी। वो विक्रम को पसंद कर रही थी, जो अभी तक उसके लिए अनजान था। मुझे लग रहा था कि वो सचमुच मज़े ले रही है। चुदाई की गर्मी और नशा उतरने के बाद दोनों कम्बल में लिपट गए। कमर से ऊपर कम्बल नहीं था, तो मैं सब देख पा रहा था। दोनों करवट लेकर लेटे थे, उनके चेहरे एक-दूसरे से सटे थे। चुम्मा-चाटी की “चप-चप” आवाज़ें गूंज रही थीं। आशा की सिसकारियाँ, “उह्ह… आह्ह…” कमरे में गूंज रही थीं।
अचानक विक्रम ने सांड की तरह हुंकार भरी। आशा तुरंत उससे लिपट गई और “उँह… उँह…” की आवाज़ें निकालने लगी, जैसे कोई मादा पशु। दोनों के मुँह एक-दूसरे में घुसे थे। विक्रम कम्बल के अंदर आशा की चूचियाँ मसल रहा था, और आशा की दर्द भरी सिसकारियाँ, “उई माँ… आह्ह…” गूंज रही थीं। अचानक उन्होंने लाइट बंद कर दी। मैंने छेद पर कान सटा दिया। “फच-फच” की आवाज़ें, सिसकारियाँ, और विक्रम की हुंकार साफ सुनाई दे रही थीं। मैं अपने लंड को सहलाने लगा, लेकिन लाइट बंद होने से मेरी ख्वाहिश अधूरी रह गई।
दोस्तो, अगले भाग में बताऊँगा कि विक्रम ने आशा की गाँड कैसे मारी। आपको मेरी ये xxx कक्कोल्ड सेक्स कहानी कैसी लग रही है? अपने विचार ज़रूर बताएँ।
कहानी का अगला भाग: शर्मीली पत्नी की गैर मर्द से चुदवाया- 3