शर्मीली पत्नी की गैर मर्द से चुदवाया- 1

Gair mard se chudai – my desi wife sex story: दोस्तो, मैं राकेश शर्मा, 45 साल का एक मध्यमवर्गीय दिल्लीवाला, फिर से अपनी पत्नी आशा की चुदाई की सच्ची दास्तान लेकर हाज़िर हूँ। मेरी हाइट 5 फीट 10 इंच, गठीला बदन, और चेहरे पर हमेशा एक हल्की-सी मुस्कान। मेरी सोच शायद इस ज़माने से सौ साल आगे की है, खासकर जब बात मेरी फंतासियों की आती है। मुझे अपनी बीवी को गैर मर्द से चुदते देखने में मज़ा आता है, और यही मेरी सबसे बड़ी तमन्ना है।

कहानी का पिछला भाग: मेरी पत्नी की गैर मर्द से चूत चुदाई

मेरी पत्नी आशा, 39 साल की, गोरी-चिट्टी, 5 फीट 4 इंच की हाइट, और बदन ऐसा कि मर्दों की नज़रें उस पर टिक जाएँ। उसकी चूचियाँ 36 साइज़ की, गोल, कठोर, और इतनी भरी हुई कि दबाने में उंगलियाँ मज़े से गड़ जाएँ। उसकी कमर पतली, गाँड उभरी हुई, और जाँघें दूधिया सफेद, जैसे कोई कारीगर ने तराशा हो। चेहरा गोल, बड़ी-बड़ी आँखें, और रसीले होंठ, जो किसी को भी दीवाना बना दें। घर में वो सती-सावित्री बनकर सास-ससुर की सेवा करती है, लेकिन बिस्तर पर मेरे लंड को चूसने और अपनी चूत चटवाने में उसे कोई हिचक नहीं। फिर भी, उसकी दुनिया मेरे साथ की चुदाई तक ही सीमित थी, जब तक कि मैंने उसे गैर मर्दों की बाहों में धकेलना शुरू नहीं किया।

पिछली कहानी में आपने पढ़ा था कि कैसे मैंने आशा को गैर मर्दों से चुदवाना शुरू किया। पहले वो संस्कारों की वजह से मना करती थी, लेकिन धीरे-धीरे उसे भी मज़ा आने लगा। आखिरी बार उसने संजय नाम के एक मर्द से चुदवाया, और उसका वीर्य अपनी चूत में ले लिया। मुझे लगा था कि शायद वो उसका पुराना यार होगा, जिससे वो बच्चा चाहती थी। लेकिन किसी वजह से उसे गर्भ नहीं ठहरा। उस घटना के बाद आशा की सोच में बदलाव आया। अब वो मुझसे बड़े लंड वाले मर्द की डिमांड करने लगी। उसकी ये ख्वाहिश सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया।

मैंने फेसबुक पर एक फर्जी आईडी बनाई और आशा के लिए एक तगड़ा लंड ढूँढना शुरू किया। कई मर्द तैयार थे, लेकिन कोई छोटे लंड वाला था, कोई बूढ़ा, तो कोई देखने में फीका। बातों-बातों में मुझे पता चला कि आशा को 35 साल से ऊपर के मर्द पसंद हैं, जो मर्दानगी से भरे हों। आखिरकार मेरी खोज एक आदमी पर जाकर रुकी। उसका नाम था विक्रम, 42 साल का, एक मल्टीनेशनल कंपनी में जनरल मैनेजर। वो दिल्ली में रहता था, जबकि हम दिल्ली से 200 किलोमीटर दूर एक छोटे से शहर में। विक्रम का लंड 7 इंच लंबा और इतना मोटा कि वीडियो कॉल में देखकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए। उसका रंग काला, और बदन गठीला, जैसे कोई सांड हो।

मैंने कल्पना की कि विक्रम का काला, मोटा लंड आशा की गोरी, दूधिया चूत में घुस रहा है। उसकी सफेद जाँघें और चूचियाँ ट्यूबलाइट की रोशनी में चमक रही हैं, और विक्रम उसे रौंद रहा है। ये सोचकर ही मेरा लंड खड़ा हो गया। लेकिन समस्या थी कि विक्रम को पूरी रात के लिए घर कैसे बुलाऊँ? आशा कभी खुद से चुदने को तैयार नहीं होती। वो मना नहीं करती, लेकिन उसका मूड बनाना पड़ता है। अगर इतनी दूर से विक्रम आए और आशा मना कर दे, तो मेरी बेइज्ज़ती हो जाएगी।

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मैंने विक्रम से सारी बात शेयर की। मैंने कहा, “देखो, मैं बुला तो लूँगा, लेकिन पक्का नहीं कि आशा चुदेगी। वो अपने आप कभी राज़ी नहीं होती।” विक्रम समझदार था। उसने कहा, “कोई बात नहीं, भाई। कोई भी औरत इतनी आसानी से गैर मर्द से चुदने को तैयार नहीं होती। हम एक प्लान बनाते हैं।” उसने प्लान बताया, “तुम और आशा किसी रात रेस्टोरेंट में डिनर के लिए जाओ। मैं वहाँ अचानक मिल जाऊँगा, जैसे पुराने दोस्त हों। हम साथ डिनर करेंगे। मैं आशा के सामने कहूँगा कि मैं ऑफिस के काम से आया हूँ और रात को लुधियाना जाना है। रात का सफर मुश्किल है। तुम कहना कि सुबह चले जाना, रात में धुंध खतरनाक है। फिर मैं तुम्हारे घर रुकने को मान जाऊँगा। आशा मेरे सामने मना नहीं कर पाएगी।”

प्लान पक्का हो गया। तय दिन पर मैं आशा को लेकर एक फैंसी रेस्टोरेंट गया। आशा ने लाल साड़ी पहनी थी, जिसमें उसकी गोरी चूचियाँ और उभरी गाँड और भी मादक लग रही थीं। हम टेबल पर बैठे ही थे कि विक्रम आ गया। मैंने नाटक किया, “अरे, विक्रम! कितने साल बाद मिले, यार!” हमने गले मिलकर पुराने दोस्त होने का ड्रामा किया। आशा को थोड़ा अजीब लगा, लेकिन वो चुप रही। विक्रम ने कहा, “बस, ऑफिस के काम से आया था। रात को लुधियाना जाना है, पर रात का सफर बड़ा खतरनाक है।” मैंने तुरंत कहा, “अरे, सुबह निकल जाना। रात में धुंध छा जाती है। हमारे घर रुक जा।” आशा के चेहरे पर हल्का गुस्सा दिखा, लेकिन वो मेरे सामने कुछ बोल नहीं पाई। विक्रम ने थोड़ा नाटक किया और फिर मान गया।

रेस्टोरेंट में डिनर ऑर्डर करने में देर थी। मैंने बहाना बनाकर काउंटर की तरफ जाने का नाटक किया और विक्रम को इशारा किया कि कुछ करो। आशा की पीठ काउंटर की तरफ थी, वो मुझे देख नहीं पा रही थी। विक्रम ने आशा से बात शुरू की, हाल-चाल पूछा। फिर उसने बोतल से पानी गिलास में डाला और आशा की तरफ बढ़ाया। गिलास पकड़ते वक्त उसने जानबूझकर आशा की उंगलियों को छू लिया। आशा ने इसे नज़रअंदाज़ किया, लेकिन विक्रम ने उसकी आँखों में देखकर एक आँख मार दी। आशा का चेहरा गुस्से से लाल हो गया, लेकिन वो चुप रही।

मैं वापस टेबल पर आ गया। डिनर का ऑर्डर हो चुका था, और खाना आने में आधा घंटा लगने वाला था। रेस्टोरेंट में बार था, तो विक्रम ने मेरे और अपने लिए व्हिस्की मँगाई। आशा से पूछा, “भाभीजी, आप क्या लेंगी?” आशा ने मना किया, लेकिन विक्रम ने हँसते हुए कहा, “इससे ज़्यादा खास मौका क्या होगा, भाभीजी?” उसने बिना इजाज़त के आशा के लिए भी एक पैग मँगाया और वेटर को इशारा किया कि पैग रिपीट करता रहे। आशा ड्रिंक नहीं करती थी, कभी-कभार आधा पैग लेती थी। लेकिन उस रात वेटर ने विक्रम के इशारे पर दो हार्ड पैग आशा को पिला दिए।

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खाना आया, लेकिन नशे की वजह से आशा से कुछ खाया नहीं गया। विक्रम और मुझे भी जल्दी थी। हमने जल्दी-जल्दी डिनर खत्म किया। मैं बिल चुकाने गया, तो विक्रम ने गाड़ी की चाबी माँगी और बोला, “भाईसाहब, भाभी को ज़्यादा चढ़ गई है। मैं इन्हें गाड़ी में बिठाता हूँ।” वो आशा को लेकर गाड़ी की तरफ चला गया।

पार्किंग में मैंने देखा कि आशा नशे में लड़खड़ा रही थी। उसकी साड़ी का पल्लू बार-बार खिसक रहा था, और ब्लाउज़ से उसकी चूचियाँ बाहर झाँक रही थीं। विक्रम ने उसे बाँहों के नीचे से पकड़ा, लेकिन उसका तरीका ऐसा था कि उसके हाथ आशा की चूचियों पर टिक गए। वो सबके सामने आशा के दूध मसलता हुआ उसे गाड़ी तक ले गया। होटल के गेट पर खड़े कुछ लोग ये नज़ारा देख रहे थे। एक आदमी, करीब 32-33 साल का, अपनी पैंट खुजलाते हुए मुझसे बोला, “मस्त माल है, सर। इसने अपनी बीवी को टुन्न कर लिया। आज रात इसकी गाँड मारेगा।” वो विक्रम को आशा का पति समझ रहा था। मैं चुप रहा।

विक्रम ने गाड़ी का दरवाज़ा खोला और आशा को अंदर धकेला। आशा नशे में थी, वो सीट पर ठीक से बैठ भी नहीं पा रही थी। विक्रम दूसरी तरफ से गाड़ी में घुसा। मैं चुपके से डिक्की के पास खड़ा हो गया। पार्किंग की लाइट से गाड़ी के अंदर सब दिख रहा था। आशा का पल्लू उसकी जाँघों पर गिरा था, और उसकी चूचियाँ ब्लाउज़ से बाहर झाँक रही थीं। विक्रम ने आशा की गर्दन अपनी तरफ मोड़ी और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। आशा इतनी टुन्न थी कि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसने अपना सिर विक्रम के कंधे पर टिका दिया। विक्रम ने उसके होंठ चूमने शुरू किए और उसकी चूचियाँ दबाने लगा। आशा नशे में थी, ना तो वो जवाब दे रही थी, ना विरोध कर रही थी।

मैंने खिड़की के पास जाकर खटखटाया। विक्रम तुरंत आशा से हट गया और बोला, “लो भाईसाहब, चाबी। आप गाड़ी चलाओ, मैं भाभी को संभालता हूँ।” मैंने गाड़ी स्टार्ट की, लेकिन जानबूझकर धीरे चलाने लगा ताकि कुछ और देख सकूँ। मिरर में देखा कि विक्रम फिर से आशा को चूम रहा था। चुम्मा-चाटी की “चप-चप” आवाज़ें गूंज रही थीं। आशा की सिसकारियाँ, “उह्ह… आह्ह…” निकल रही थीं। विक्रम ने आशा के ब्लाउज़ के दो बटन खोल दिए और उसकी एक चूची बाहर निकाल ली। उसने निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा। आशा की सिसकारियाँ तेज़ हो गईं, “उम्म… आह्ह…” शायद उसकी चूत गीली होने लगी थी।

विक्रम ने धीरे से कहा, “आशा, तुझे ज़्यादा चढ़ गई है। घर पहुँचने तक मेरी गोद में लेट जा।” आशा लुढ़कते हुए उसकी गोद में सिर रखकर लेट गई। उसके पैर सीट से लटक रहे थे। मिरर में मैंने देखा कि विक्रम ने अपनी पैंट की ज़िप खोली और अपना 7 इंच का काला, मोटा लंड बाहर निकाला। वो इतना तना हुआ था कि फनफना रहा था। आशा का सिर उसी के पास था। अचानक मैंने गाड़ी एक सुनसान जगह पर रोकी और अंदर की लाइट जलाई। मैंने पूछा, “आशा को ज़्यादा दिक्कत तो नहीं? नींबू पानी ले लें?” विक्रम बोला, “नहीं, भाई। अब ये ठीक है।”

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मैंने देखा कि विक्रम का लंड आशा के होंठों के बीच फँसा था। आशा नशे में थी, लेकिन उसका मुँह हल्का-हल्का हिल रहा था, जैसे वो लंड चूस रही हो। मैंने लाइट बंद की और गाड़ी चलाने लगा। स्ट्रीट लाइट में देखा कि विक्रम ने आशा की साड़ी और पेटीकोट ऊपर खींच लिया था। वो उसकी गाँड सहलाने लगा। आशा की गाँड इतनी गोरी थी कि लाइट में चमक रही थी। विक्रम इतना झुका कि उसका लंड आशा के मुँह में पूरा घुस गया। आशा ने उल्टी जैसी आवाज़ निकाली, “उक…” मैंने पूछा, “क्या हुआ, भाई? आशा को दिक्कत तो नहीं?” विक्रम हँसा, “नहीं, सब ठीक है।”

आखिरकार हम घर पहुँच गए। मैंने आशा को संभालकर बेडरूम में लिटाया। उसकी साड़ी इतनी अस्त-व्यस्त थी कि मैंने उसे उतार दिया। अब वो सिर्फ़ ब्लाउज़ और पेटीकोट में थी। वो नशे में बेपरवाह सो गई। विक्रम उतावला हो रहा था। मैंने उसे इशारा किया, “थोड़ा सब्र कर, यार। पूरी रात पड़ी है। अभी ये होश में नहीं है, मज़ा नहीं आएगा।” हम दोनों बेड पर बैठकर बातें करने लगे। आशा अर्धनिद्रा में थी, और अपने पेटीकोट को घुटनों तक खींचने की कोशिश कर रही थी। विक्रम का लंड पहले से ही तना हुआ था, और वो उसे बार-बार खुजला रहा था।

मैंने उसे समझाया, “थोड़ा होश में आएगी, तब चोदना। मज़ा दोगुना होगा।” लेकिन विक्रम का सब्र जवाब दे रहा था। वो आशा की गोरी जाँघों को देखकर पागल हो रहा था। उसकी आँखों में वासना साफ दिख रही थी।

दोस्तो, अगले भाग में बताऊँगा कि कैसे विक्रम ने आशा की चूत को अपने काले, मोटे लंड से रौंदा। आपको मेरी ये माय देसी वाइफ की चुदाई की कहानी कैसी लग रही है? अपने विचार ज़रूर बताएँ।

कहानी का अगला भाग: शर्मीली पत्नी की गैर मर्द से चुदवाया- 2

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