Stranger Woman Sex Story: हाय दोस्तो, मेरा नाम संजीव शुक्ला है। मैं 28 साल का हूँ, सजीला, बांका, और जवान नौजवान। शादी हो चुकी है, एक प्यारा सा बेटा है, और मेरी बीवी इतनी सुंदर है कि लोग देखते रह जाएं। उसकी गोरी रंगत, भरा हुआ बदन, और वो मुस्कान जो दिल को छू लेती है। मैं सरकारी नौकरी करता हूँ, तनख्वाह अच्छी खासी है, जिंदगी सेट है। बस एक छोटी सी दिक्कत है—मेरी बीवी बहुत धार्मिक ख्यालों वाली है। पूजा-पाठ, व्रत-त्योहार में डूबी रहती है, और सेक्स की तरफ उसका झुकाव? वो तो ना के बराबर। शायद मेरे साढ़े नौ इंच के लंड से उसे थोड़ी तकलीफ होती हो, या फिर उसका मन ही नहीं बनता। पर मैं तो वो मर्द हूँ जिसके लिए सेक्स जिंदगी का मसाला है। हर वक्त तैयार, हर पल तड़प।
मेरी खासियत? मेरा लंड, जो ढीला हो तब भी दोस्तों के तने हुए लंड से बड़ा है। दोस्त लोग मज़ाक में कहते हैं, “संजीव, तेरा तो गधे जैसा है!” और मैं हंस के टाल देता हूँ। पर सच तो ये है कि जिस लड़की या औरत को मैंने एक बार चोदा, वो मुझे भूल नहीं पाती। मेरे लंड की ताकत और मेरी चुदाई का जादू ऐसा है कि वो बार-बार मेरे पास आती हैं, चाहे वो मेरे दोस्तों की बीवियां हों, उनकी गर्लफ्रेंड्स, या ऑफिस की लड़कियां। मैंने गिनती रखी है—तीन दोस्तों की बीवियों को, चार दोस्तों की गर्लफ्रेंड्स को, ऑफिस में एक सफाई वाली, दो क्लर्क्स, और अपनी एक बॉस के साथ तीन स्टाफ गर्ल्स को चोद चुका हूँ। घर में जितनी भी बाइयां काम करने आईं, उनमें से ज्यादातर की चूत मैंने ले ली। और हाँ, दो-तीन लौंडों की गांड भी मार चुका हूँ, एक हिजड़े की भी, और पैसे देकर चोदी गई गश्तियों की तो गिनती ही नहीं।
मैंने एक चीज़ और नोट की है। जहां भी जाता हूँ, औरतें मेरे आसपास मंडराने लगती हैं। शायद मेरी टाइट जींस में से मेरे लंड का साइज़ भांप लेती हैं। उनकी नजरें मेरे लंड पर टिक जाती हैं, और वो पास-पास रहकर अपनी ठरक मिटाती हैं। अगर चूत न मिले, तो कम से कम नजारा तो ले ही लें। ऐसा ही एक बार हुआ, जब मैंने एक शादी में एक ऐसी औरत को चोदा, जिसका नाम तक मुझे नहीं पता। ना मैं उससे पहले मिला, ना बाद में। पर उसकी गर्मी, उसकी तड़प—वो आज तक मेरे दिमाग में बसी है।
बात 22 फरवरी, 2013 की है। मेरे भाई के दोस्त विवेक की शादी थी। मेरा मन तो बिल्कुल नहीं था जाने का। सोचा, भाई का दोस्त है, क्या जरूरत? पर विवेक ने इतना ज़ोर दिया, “भैया, तुम्हें तो आना ही है,” कि मैं मान गया। सोचा, चलो, एक रात की बात है, मस्ती कर लूंगा। मैंने सादी सी नीली जींस और काली टी-शर्ट पहनी, बालों में जेल लगाया, और निकल पड़ा। पहले लड़के वालों के घर गए, जहां रस्में चल रही थीं। ढोल-नगाड़े, हंसी-मज़ाक, और वो शादी वाला माहौल। फिर सब होटल की तरफ चल पड़े, जहां असली रंग जमना था।
होटल में तो पहले से ही धमाल मचा था। शराब की नदियां बह रही थीं, लड़के-लड़कियां नाच रहे थे, और खाने-पीने की महक हवा में तैर रही थी। मैंने भी मूड बनाने के लिए दो पेग व्हिस्की गटक लिए। हल्का सा सुरूर चढ़ा, और मेरा दिल किसी हसीना की तलाश में लग गया। पर साली, कोई लाइन ही नहीं दे रही थी। हर बार तो शिकार नहीं मिलता, ये सोचकर मैंने दो और पेग खींच लिए। व्हिस्की का नशा दिमाग में चढ़ा, और तभी मुझे एहसास हुआ कि पोटी का प्रेशर बन रहा है।
मैं बाथरूम की तरफ भागा। वहां दो सेक्शन थे—एक में इंग्लिश कमोड, दूसरा इंडियन स्टाइल। मैं इंग्लिश कमोड वाले सेक्शन में घुस गया, पैंट उतारी, और फारिग होने लगा। अभी पोटी करके पोंछा ही था कि बाहर से कुछ आवाज़ें आईं। जैसे किसी ने बाथरूम का मेन दरवाजा लॉक किया हो। और फिर, झुमके, चूड़ियां, और पायल की झनझनाहट। मेरे कान खड़े हो गए। मर्दों के बाथरूम में औरत? फिर नाक में एक तेज, मादक परफ्यूम की खुशबू आई। मेरे दिमाग में लड्डू फूटने लगे।
मैंने चुपके से कान लगाकर सुना। वो बगल वाले इंडियन स्टाइल कमोड सेक्शन में घुसी थी। तभी उसकी पेशाब की छर-छर की आवाज़ आई। मेरी तो हालत खराब हो गई। उत्सुकता ने मुझ पर कब्ज़ा कर लिया। मैं चुपके से कमोड के ऊपर चढ़ गया, दीवार के ऊपर से झांका। और मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं। एक गोरी-चिट्टी औरत, साड़ी ऊपर उठाए, बैठी थी। उसके बड़े-बड़े, गोरे चूतड़ चमक रहे थे। उसकी जांघें इतनी मलाई जैसी थीं कि मन किया कि अभी काट लूं। मेरे लंड ने अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी, और वो टाइट जींस में तनकर सलामी देने लगा।
उसने ढेर सारा पेशाब किया, फिर साड़ी ठीक की और उठने लगी। मैं चुपके से नीचे उतरा, और दिमाग में प्लान बनने लगा। सोचा, अगर इसे लंड दिखा दूं, तो शायद चूत मिल जाए। गलत भी हो सकता था, पर नशे में हिम्मत बंधी थी। जब वो हाथ धोने वॉशबेसिन की तरफ गई, मैंने अपनी जींस की ज़िप खोली, लंड बाहर निकाला, और बाहर आ गया। मेरा लंड, आधा तना हुआ, हवा में लहरा रहा था। उसने शीशे में मुझे देखा, और एकदम से चौंक गई। उसकी आंखें मेरे लंड पर टिक गईं, और फिर वो कड़क कर बोली, “ये क्या बदतमीज़ी है?”
मैंने बेशर्मी से जवाब दिया, “क्यों मैडम, क्या हुआ? पहली बार देख रही हो क्या?” मेरा दिल धक-धक कर रहा था। अगर वो चिल्ला देती, तो मेरी तो वाट लग जाती। पर उसने गुस्से में नहीं, बल्कि अजीब सी नज़रों से कहा, “पहली बार नहीं देखा, पर इतना बड़ा आज पहली बार देखा।”
बस, ये सुनते ही मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने तुरंत पलटवार किया, “तो इसका मतलब तुम्हारे पति का इतना बड़ा नहीं है? शायद इसका आधा ही हो। छूकर देखना चाहोगी?” वो मेरे लंड को घूर रही थी, जैसे उसकी नज़रें उससे चिपक गई हों। डर अब कम हो रहा था। मुझे यकीन हो गया था कि अगर ये मेरा लंड पकड़ लेगी, तो चुदाई पक्की।
वो धीरे-धीरे मेरे पास आई। उसका गोरा, नर्म हाथ मेरे काले, तने हुए लंड पर रखा गया। उसकी उंगलियां मुलायम थीं, गुलाबी नेल पॉलिश चमक रही थी। मेरे लंड को पकड़ते ही उसकी सांसें तेज हो गईं। उसके गाल गुलाबी हो गए, जैसे शर्म और उत्तेजना का मिक्सचर। मैंने मौका देखकर उसका दूसरा हाथ भी पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया। अब वो दोनों हाथों से मेरे लंड को सहला रही थी। मैंने धीरे से अपनी कमर हिलानी शुरू की, ताकि मेरा लंड उसके गुलाबी होंठों के पास पहुंचे।
उसके चेहरे पर पसीना चमक रहा था। उसने दो-तीन बार अपने होंठों पर जीभ फेरी, जैसे उसका गला सूख गया हो। मैंने उसके कंधों पर हाथ रखे और धीरे से उसे नीचे बैठने का इशारा किया। वो मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गई। मेरा लंड अब उसके मुँह के ठीक सामने था। मैंने मज़ाकिया लहजे में कहा, “अपने यार को प्यार नहीं करोगी?”
उसने मेरी तरफ देखा, उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी। फिर बिना कुछ कहे, उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया। उफ्फ! उसके नर्म, गर्म होंठों का स्पर्श मेरे लंड पर ऐसा लगा, जैसे मैं स्वर्ग में पहुंच गया। उसने धीरे-धीरे मेरे लंड को चाटना शुरू किया, जैसे कोई लॉलीपॉप चूस रही हो। उसकी जीभ मेरे लंड के सुपाड़े पर गोल-गोल घूम रही थी, कभी तेज, कभी धीरे। मैं आनंद में डूबा हुआ था।
तभी बाहर से दरवाजे पर खटखट की आवाज़ आई। मेरी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई। मैंने जल्दी से कहा, “कोई दरवाजा खटखटा रहा है, हमें जाना होगा।” मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकालने की कोशिश की, पर उसने मेरे लंड को दोनों हाथों से कसकर पकड़ लिया और बोली, “नहीं, मेरा दिल नहीं भरा। मुझे ये चाहिए, और अभी चाहिए।” उसकी आवाज़ में एक अजीब सी तड़प थी, जैसे वो पागल हो चुकी हो।
मैंने समझाने की कोशिश की, “ठीक है, पर अभी नहीं। थोड़ी देर बाद, मैं कोई इंतज़ाम करता हूँ। यहाँ लोग आएंगे, तो मुश्किल हो जाएगी।” वो थोड़ा मायूस हुई, पर फिर बोली, “ठीक है, पर जल्दी इंतज़ाम करो। मुझसे अब रहा नहीं जाता।” फिर उसने एकदम से अपनी साड़ी ऊपर उठाई, अपनी चूत को मेरे सामने खोल दिया, और बोली, “प्लीज़, एक बार अंदर डाल दो। मैं मरी जा रही हूँ।”
मैं तो जैसे जन्नत में था। मैं उसके पीछे गया, उसकी एक टांग उठाकर वॉशबेसिन पर रखी। उसकी चूत गीली और गुलाबी थी, जैसे मेरे लंड को बुला रही हो। उसने मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़कर अपनी चूत के छेद पर सेट किया। मैंने धीरे से धक्का मारा, और मेरा लंड का सुपाड़ा उसकी चूत में घुस गया। वो सिसकारी भरने लगी, “और डालो, जितना डाल सकते हो, डाल दो। मैं पूरा लेना चाहती हूँ।”
मैंने हंसते हुए कहा, “अगर अभी सारा ले लोगी, तो बाद में क्या लोगी?” उसने तड़पते हुए जवाब दिया, “प्लीज़, बाद में भी लूंगी, पर अभी पूरा डालो।” मैंने एक और जोरदार धक्का मारा, और मेरा आधा लंड उसकी चूत में समा गया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड उसमें फंस सा गया। मैं उसके बड़े-बड़े चूतड़ अपने पेट पर महसूस कर रहा था। उसकी साड़ी कमर तक चढ़ी हुई थी, और उसका गोरा बदन चमक रहा था।
मैंने मौका देखकर अपने दोनों हाथ उसकी कमर से होते हुए उसके ब्लाउज़ के अंदर डाले। उसकी ब्रा और ब्लाउज़ को ऊपर उठाया, और उसके बड़े-बड़े, गोल-गोल बूब्स बाहर निकाल लिए। सामने शीशे में जब मैंने उसके बूब्स देखे, तो मेरी सांस रुक गई। इतने बड़े, नर्म, और गोल बूब्स मैंने पहले कभी नहीं देखे। मैंने जोश में आकर कहा, “तेरी बहन की चूत, मादरचोद, तेरे चुच्चे कितने बड़े हैं! मैंने आज तक ऐसे बूब्स नहीं देखे।”
वो हंस पड़ी और बोली, “हाँ, बहुत बड़े हैं। तुमने ऐसे बूब्स नहीं देखे, और मैंने इतना बड़ा लंड नहीं लिया।” मैंने अपने लंड को उसकी चूत में और गहराई तक ठेला। उसकी चूत का पानी मेरे लंड को और स्लिपरी बना रहा था। मैंने कुछ जोरदार धक्के मारे, और साथ में उसके बूब्स को बेदर्दी से दबाया। वो दर्द और मज़े में सिसकार रही थी। मैंने उसके निप्पल्स को उंगलियों से मसला, और वो और जोर से सिसकने लगी।
करीब तीन-चार मिनट की चुदाई के बाद मैंने लंड बाहर निकाला। वो तुरंत नीचे बैठ गई और मेरे लंड को, जो उसकी चूत के पानी से भीगा हुआ था, फिर से अपने मुँह में ले लिया। उसने इतने प्यार और जोश से मेरे लंड को चूसा कि मैं पागल हो गया। उसकी जीभ मेरे लंड के हर हिस्से को चाट रही थी। मैंने उससे कहा, “अरे मेरी जान, छोड़ो इसे। मैं बाहर देखता हूँ, तुम छुप जाओ। अगर बाहर कोई नहीं हुआ, तो तुम पहले निकल जाना।”
मैंने मुश्किल से अपना लंड उसके मुँह से छुड़ाया और उसे कमोड सेक्शन में धकेल दिया। बाहर झांककर देखा, कोई नहीं था। मैंने कहा, “जल्दी निकल जाओ, आधे घंटे बाद यहीं मिलते हैं।” वो तेजी से बाहर निकल गई। मैं सीधा रिसेप्शन पर गया, और एक रूम बुक कर लिया। चाबी लेकर वापस शादी वाली जगह आया और उसे ढूंढने लगा।
थोड़ी देर बाद मैंने उसे कुछ लोगों के बीच बातें करते देखा। उसकी साड़ी का पल्लू हल्का सा खिसका हुआ था, और उसका गोरा पेट चमक रहा था। जब उसकी नजर मुझ पर पड़ी, मैंने उसे चाबी दिखाई। वो तुरंत लोगों से अलग हुई और मेरी तरफ बढ़ी। मैं आगे-आगे चला, और उसे होटल के रूम में ले गया।
जैसे ही दरवाजा बंद किया, वो मुझसे लिपट गई। उसकी सांसें गर्म थीं, और उसका बदन मेरे बदन से चिपक गया। हमने बिना वक्त गंवाए अपने कपड़े उतारने शुरू किए। एक मिनट में हम दोनों पूरी तरह नंगे थे। उसका बदन देखकर मेरी आंखें फटी रह गईं। गोरा, भरा हुआ बदन, बड़े-बड़े बूब्स, पतली कमर, और गोल-गोल चूतड़। उसकी चूत पूरी तरह गीली थी, और उसकी जांघों के बीच चमक रही थी।
वो बेड पर लेट गई, अपनी टांगें चौड़ी कीं, और उसकी चूत मेरे सामने खुलकर चमकने लगी। मैं उसके ऊपर लेट गया, मेरे सीने पर उसके बूब्स का नरम स्पर्श महसूस हो रहा था। उसने मुझे अपनी बाहों में कसकर जकड़ लिया। मैंने उसके होंठों पर एक लंबा, गहरा चुम्बन लिया। उसने मेरे लंड को अपनी चूत पर सेट किया और बोली, “जल्दी चोदो, मेरे पास ज्यादा टाइम नहीं है।”
मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली, और वो उसे चूसने लगी। मैं अपने पूरे बदन को उसके बदन से रगड़ रहा था, जैसे मैं उसे अंदर-बाहर दोनों तरफ से चोदना चाहता था। मैंने उसके बूब्स को दोनों हाथों से पकड़ा और जोर-जोर से दबाया। वो दर्द और मज़े में सिसकार रही थी। “दबा राजा, और जोर से दबा। तुम्हारा लंड मेरे दिल तक पहुंच गया है। मार डालो मुझे!”
मैंने भी जोश में कहा, “सही कहती हो, मेरी जान। तुम्हारी जैसी गर्म औरत मैंने आज तक नहीं देखी। तुम्हारी चूत ने मेरे लंड को जकड़ लिया है।” मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई, और वो नीचे से कमर उछालकर मेरा साथ देने लगी। उसकी चूत मेरे लंड को निचोड़ रही थी। थोड़ी देर बाद वो अकड़ गई, उसके नाखून मेरे सीने में गड़ गए। मैंने उसे कसकर पकड़ा और अपना लंड पूरा अंदर ठेल दिया।
जब वो निढाल होकर लेट गई, मैंने फिर से स्पीड बढ़ाई। उसका चेहरा चुदाई की खुशी से चमक रहा था। मेरा काम भी होने वाला था। मैंने पूछा, “मेरा वीर्य पिएगी? मैं तुम्हारे मुँह में झड़ना चाहता हूँ।” उसने हाँ में सिर हिलाया। मैंने लंड उसके मुँह में डाल दिया। वो उसे इतने प्यार से चूसने लगी कि दो मिनट में ही मेरा वीर्य छूट गया। कुछ वो पी गई, बाकी उसके मुँह से टपक गया। मैंने अपना लंड उसके चेहरे पर फिराया।
वो मुस्कुराकर बोली, “अगर मुझे आज जाना न होता, तो मैं सारी रात तुमसे चुदवाती। पर जाना तो है। शायद फिर मिलें।” हमने कपड़े पहने, एक-दूसरे को गुडबाय किस किया, और शादी में वापस शामिल हो गए। उस रात की गर्मी आज भी मेरे दिल में बसी है।