शादीशुदा चचेरी बहन

मैं, वीजू, उम्र 22 साल, गर्मी की छुट्टियों में मुम्बई गया था। मुम्बई में मेरी चाची रहती हैं, चेम्बुर में, एक छोटे से एक कमरे के घर में। चाची का नाम सुनीता है, उम्र करीब 45 साल, साधारण कद-काठी, गोल चेहरा और हमेशा हँसमुख स्वभाव। इस बार जब मैं उनके घर पहुँचा, तो मेरी चचेरी बहन रीना भी वहाँ थी। रीना दीदी, 24 साल की, शादीशुदा, लेकिन ऐसी हसीन कि कोई भी देखे तो बस देखता रह जाए। उसका गोरा रंग, भरी-भरी चूचियाँ, पतली कमर और भरे हुए चूतड़, हर अदा सेक्सी थी। कपड़े भी वो ऐसे पहनती थी—टाइट ब्लाउज, साड़ी का पल्लू थोड़ा नीचे, जिससे उसकी गहरी नाभि और क्लीवेज साफ दिखे। उसका चलना, बात करना, सबमें एक अजीब सा नशा था। उसकी शादी को दो साल हो चुके थे, लेकिन उसका हुस्न अभी भी वैसा ही था, जैसे जवान लड़की।

एक दिन चाची को अचानक गाँव जाना पड़ा। वो सुबह जल्दी निकल गईं, और घर पर सिर्फ मैं और रीना दीदी रह गए। दिनभर हमने इधर-उधर की बातें कीं। मैं उसे देखकर थोड़ा घबराता भी था, क्योंकि उसकी हर अदा मेरे मन में हलचल मचा रही थी। शाम को मैं बोर हो गया। बाहर बारिश की हल्की फुहारें पड़ रही थीं, मुम्बई का मौसम और भी सुहाना हो गया था। मैंने दीदी से कहा, “दीदी, क्यों ना हम कोई फिल्म देखने चलें? घर पर तो बस बोरियत हो रही है।”
वो हँसी, उसकी आँखों में एक शरारत-सी चमक थी। “हम्म, ठीक है वीजू, चलो। लेकिन कोई मस्त फिल्म देखेंगे, बोरिंग नहीं।” उसने अपनी साड़ी का पल्लू ठीक किया, और मैंने देखा कि उसकी गहरी नाभि फिर से झलक रही थी। मेरे मन में कुछ तो हुआ, लेकिन मैंने खुद को संभाला।

हम दोनों तैयार हुए। दीदी ने एक हल्के गुलाबी रंग की साड़ी पहनी, जो इतनी पतली थी कि उसका पूरा फिगर उभरकर दिख रहा था। ब्लाउज टाइट, जिससे उसकी चूचियाँ बाहर को उभरी हुई थीं। मैंने जीन्स और टी-शर्ट पहनी। हम मॉल के पास एक थिएटर में गए और ‘मर्डर’ फिल्म देखने का फैसला किया। फिल्म शुरू हुई, और उसमें एक के बाद एक गर्म सीन आ रहे थे—चुंबन, बिस्तर के दृश्य, औरतों के उत्तेजक कपड़े। मैं बार-बार दीदी की तरफ देखता, और वो भी फिल्म में खोई हुई थी। उसकी साँसें थोड़ी तेज थीं, शायद वो भी उन दृश्यों से गरम हो रही थी। एक सीन में जब हीरो-हीरोइन बिस्तर पर थे, दीदी ने मेरी तरफ देखा और हल्के से मुस्कुराई। मेरे लंड में हलचल होने लगी, लेकिन मैंने ध्यान हटाने की कोशिश की।

फिल्म खत्म हुई, और हम घर लौट आए। रात के 10 बज चुके थे। हमने साथ में खाना खाया—साधारण सी दाल-रोटी, जो चाची ने सुबह बनाकर रखी थी। खाने के बाद दीदी ने कहा, “वीजू, थक गई हूँ, अब सोना है।” मैंने हाँ में सिर हिलाया, लेकिन मन में हलचल मची थी। मुम्बई के छोटे से घर में एक ही बिस्तर था, और उसी पर हमें सोना था। जगह इतनी कम थी कि दो लोग बमुश्किल पास-पास लेट सकते थे।

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मैंने अपनी लुंगी निकाली और दीदी के सामने ही कपड़े बदलने लगा। पहले शर्ट उतारी, फिर पैन्ट। फिल्म के गर्म सीन मेरे दिमाग में घूम रहे थे, और मेरा लंड खड़ा था, अंडरवियर में साफ दिख रहा था। मैंने देखा कि दीदी की नजर मेरे लंड पर गई। वो मुस्कुराई, और मैं शरमा गया। मेरे अंडरवियर में तंबू बना हुआ था, और मैंने जल्दी से लुंगी बाँध ली। लेकिन लुंगी में भी मेरा लंड साफ उभर रहा था। मैंने सोचा, दीदी को शर्म नहीं आ रही, तो मुझे क्यों? मैंने हिम्मत जुटाई और बिस्तर पर लेट गया।

दीदी ने अलमारी खोली और अपनी नाइटी निकाली। उसने कमरे का दरवाजा बंद किया और साड़ी उतारने लगी। मैं चुपके से उसे देख रहा था। उसने पहले पल्लू हटाया, फिर साड़ी को धीरे-धीरे खींचा। उसका गोरा पेट, गहरी नाभि, और टाइट ब्लाउज में उभरी चूचियाँ देखकर मेरा लंड और सख्त हो गया। उसने ब्लाउज उतारा, फिर पेटीकोट। अब वो सिर्फ काली ब्रा और पैंटी में थी। उसका जिस्म ऐसा था कि मैं पागल होने लगा। उसकी चूचियाँ ब्रा में कैद थीं, लेकिन इतनी भरी-भरी कि ब्रा फटने को थी। उसकी पैंटी टाइट थी, जिससे उसकी चूत का उभार साफ दिख रहा था। मैंने खुद को रोका, क्योंकि वो मेरी दीदी थी। अगर कुछ गलत हुआ तो? लेकिन उसने नाइटी पहन ली—पारदर्शी, जिससे उसका पूरा जिस्म चमक रहा था। ब्रा और पैंटी साफ दिख रही थीं।

वो मेरे पास बिस्तर पर आकर लेट गई। हम दोनों इतने करीब थे कि उसकी साँसें मुझे छू रही थीं। उसकी नाइटी का कपड़ा मेरे हाथ पर रगड़ रहा था। मेरी नींद उड़ चुकी थी। सामने उसका नंगा जिस्म घूम रहा था, और उसका इतना करीब होना मेरे लंड को और बेकाबू कर रहा था। मैं बस लेटा रहा, लेकिन मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। आधा घंटा बीत गया, लेकिन नींद नहीं आई। मैंने सोचा, ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा। थोड़ा रिस्क तो बनता है।

मैं धीरे से दीदी की तरफ सरका। वो मेरी उल्टी दिशा में मुँह करके सो रही थी। मैंने धीरे से अपना हाथ उसके पेट पर रखा। उसका पेट इतना मुलायम था कि मेरे हाथ काँपने लगे। मैंने धीरे-धीरे हाथ घुमाया, उसकी नाभि के आसपास। उसने कोई हरकत नहीं की। मेरी हिम्मत बढ़ी। मैंने अपना हाथ ऊपर ले जाकर उसकी चूचियों पर रखा। उसकी चूचियाँ बड़ी, मुलायम, और गर्म थीं। मैंने धीरे से उन्हें दबाया। मेरा लंड अब लोहे जैसा सख्त था। मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और अपना लंड उसके चूतड़ों पर दबाया। उसकी नाइटी ऊपर सरक गई थी, और मेरा लंड उसके चूतड़ों की दरार में रगड़ रहा था। अचानक वो मेरी तरफ मुड़ी। मेरी तो गाँड फट गई।

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लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। बल्कि वो और करीब सरक आई। मेरा लंड अब उसकी चूत पर दब रहा था, और उसकी चूचियाँ मेरी छाती से टकरा रही थीं। मैं समझ गया कि वो सो नहीं रही थी। वो बस नाटक कर रही थी। मेरी हिम्मत और बढ़ गई। मैंने उसे और जोर से अपनी तरफ खींचा, लेकिन वो हल्का सा दूर सरक गई। मैं डर गया, शायद उसने मना कर दिया। मैं चुपचाप लेट गया।

थोड़ी देर बाद उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा। मेरे बदन में बिजली दौड़ गई। उसने मेरी लुंगी खींचकर उतार दी, फिर अंडरवियर भी। मेरा 7 इंच का लंड अब खुला था, लोहे जैसा सख्त। उसने उसे अपने मुलायम हाथों से पकड़ा और मसलने लगी। उसका स्पर्श इतना गर्म था कि मैं सिहर उठा। उसने मेरे कान में फुसफुसाया, “वीजू, तेरा लंड तो बहुत मस्त है। तेरे जीजू का तो छोटा सा है, इसके सामने कुछ भी नहीं।” उसकी बात सुनकर मेरा जोश दुगना हो गया।

मैंने उसकी नाइटी ऊपर खींची और उसे पूरा नंगा कर दिया। उसकी ब्रा और पैंटी मैंने धीरे से उतारी। उसकी चूचियाँ अब मेरे सामने थीं—गोरी, भरी-भरी, 36D की, जिनके निप्पल गुलाबी और सख्त थे। उसकी चूत पूरी तरह साफ थी, जैसे अभी शेव की हो। मैं उसके ऊपर लेट गया और उसे चूमने लगा। पहले उसके होंठ, जो रसीले और गर्म थे। फिर उसकी गर्दन, उसकी साँसें तेज हो रही थीं। मैं नीचे गया, उसकी चूचियों को चूमा, निप्पल को मुँह में लिया। वो सिसकियाँ लेने लगी, “आआह… वीजू… ओह…” मैंने एक चूची को चूसा और दूसरी को दबाया। उसकी सिसकियाँ और तेज हो गईं, “उउह… और जोर से… आआह…”

मैं और नीचे गया, उसकी नाभि को चूमा, फिर उसकी चूत पर मुँह रखा। उसकी चूत गीली थी, उसकी खुशबू मेरे होश उड़ा रही थी। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाली, और वो उछल पड़ी। “आआह… वीजू… ओह्ह… क्या कर रहा है…” वो अपने चूतड़ उठाकर मेरे मुँह को और दबा रही थी। मैंने उसकी चूत को चाटा, उसकी क्लिट को जीभ से सहलाया। उसकी सिसकियाँ अब चीखों में बदल रही थीं, “आआह… उउह… वीजू… बस्स… ओह्ह…” उसका रस मेरे मुँह में आ रहा था, और मैं उसे चाटता रहा।

मेरा लंड अब फटने को था। मैं उठा और उसकी छाती पर बैठ गया। मैंने अपना लंड उसके मुँह के पास ले गया। उसने उसे पकड़ा और चूसने लगी। उसकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी, और मैं सिहर रहा था। “आआह… दीदी… ओह… कितना मस्त चूस रही हो…” उसने मेरे लंड को गले तक लिया, और मैं पागल होने लगा। फिर मैंने अपना लंड उसकी चूचियों के बीच रखा और उन्हें जोर-जोर से दबाकर चोदने लगा। उसकी चूचियाँ इतनी मुलायम थीं कि मेरा लंड उनके बीच फिसल रहा था। “आआह… दीदी… क्या चूचियाँ हैं तुम्हारी…”

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थोड़ी देर बाद उसने कहा, “वीजू, अब और नहीं रहा जाता। प्लीज, अपना लंड मेरी चूत में डाल दे। मुझे चोद दे, जोर से।” उसकी बात सुनकर मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा। उसकी चूत गीली और गर्म थी। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया। “आआह…” उसने जोर से सिसकारी भरी। मैंने पूछा, “दीदी, तुम तो कह रही थीं कि जीजू का लंड छोटा है, फिर तुम्हारी चूत इतनी ढीली कैसे?”

वो हँसी और बोली, “अरे वीजू, जीजू का लंड छोटा है, लेकिन मेरी चूत ने कई लंडों का मजा लिया है।” उसकी बात सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया। मैंने दूसरा धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। “आआह… वीजू… ओह्ह…” उसकी चूत टाइट थी, लेकिन इतनी गीली कि मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। मैंने चुदाई शुरू की, धीरे-धीरे, फिर तेज। हर धक्के के साथ उसकी चूचियाँ उछल रही थीं। “फच… फच… फच…” चुदाई की आवाज कमरे में गूँज रही थी। वो चीख रही थी, “वीजू… चोदो… आआह… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो… ओह्ह… कितना मस्त लंड है तेरा…”

मैंने उसकी टाँगें उठाईं और अपने कंधों पर रखीं। अब मेरा लंड उसकी चूत की गहराई तक जा रहा था। “आआह… उउह… वीजू… और अंदर… ओह्ह…” वो अपनी कमर उठाकर मेरा साथ दे रही थी। मैंने उसकी चूचियों को दबाया, निप्पल मसले, और वो पागल हो रही थी। “आआह… वीजू… चोदो… मेरी चूत को रगड़ डालो… ओह्ह…” मैंने अपनी रफ्तार बढ़ाई, और कमरे में सिर्फ हमारी सिसकियाँ और चुदाई की आवाजें गूँज रही थीं।

करीब 20 मिनट बाद मैं झड़ने वाला था। मैंने कहा, “दीदी, मैं झड़ने वाला हूँ…” उसने कहा, “अंदर ही झड़ जा, वीजू… मैं पिल्स लेती हूँ…” मैंने और जोर से धक्के मारे, और फिर मैं झड़ गया। मेरा गर्म माल उसकी चूत में भर गया। “आआह…” वो भी सिसकारी और मेरे साथ झड़ गई। मैं उसके ऊपर ही ढेर हो गया, उसकी चूचियों से खेलता रहा। उस रात मैंने उसे दो बार और चोदा। हर बार वो और जोश में थी, और मैं भी।

हम दोनों थककर सो गए, लेकिन मेरे मन में एक सवाल था—क्या ये सब दोबारा होगा?
(आपको क्या लगता है, क्या वीजू और रीना का ये रिश्ता आगे बढ़ेगा? कमेंट में बताएँ।)

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